दिल्ली आम सहमति के अनुसरण में, 13 दिसंबर 2019 को नई दिल्ली में आयोजित छठे हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) हिंद महासागर वार्ता का एक परिणामी दस्तावेज, और अगस्त 2018 में स्थापित समुद्री सुरक्षा और रक्षा पर आईओआरए कार्य-समूह (डब्ल्यूजीएमएसएस), भारतीय विदेश मंत्रालय ने विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली और आईओआरए सचिवालय के सहयोग से 29 जनवरी 2021 को 1982 यूएनसीएलओएस पर आभासी "आईओआरए क्षमता निर्माण कार्यशाला" की मेजबानी की। 11 आईओआरए सदस्य राष्ट्रों से 25 विशेषज्ञ वक्ताओं 1982 यूएनसीएलओएस के अंतर्गत चार विषयगत मुद्दों पर केंद्रित दृष्टिकोण साझा किया और आईओआरए सदस्य देशों से लगभग 200 प्रतिभागियों ने वेबिनार में भाग लिया।
2. प्रतिभागियों ने इस बात पर जोर दिया कि 1982 यूएनसीएलओएस नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और वैश्विक शासन का एक अनिवार्य घटक है । यह समुद्री दावों, नौवहन की स्वतंत्रता के नियमों के लिए कानूनी संरचना प्रदान करता है और विवाद समाधान के लिए एक मूल्यवान साधन उपलब्ध करवाता है। यह द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए दायित्व भी निर्धारित करता है, जिसमें जीवंत संसाधनों के संरक्षण, और प्रबंधन और समुद्री पर्यावरण के संरक्षा और संरक्षण शामिल हैं। इसके अलावा, आईओआरए देशों को वैश्विक समानता की अखंडता, अक्षमता और सुरक्षा को अक्षुण रखने और समुद्र में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सहयोग को सुदृढ़ करना चाहिए।
3. इस बात पर प्रकाश डाला गया कि 1982 यूएनसीएलओएस ने नौवहन, संसाधनों के दोहन और वैज्ञानिक शोध के संबंध में विभिन्न अधिकारों, कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का निर्धारण किया गया है। साथ ही बकाया समुद्री विवादों को बातचीत के जरिए और अंतर्राष्ट्रीय कानून के स्वीकार्य सिद्धांतों के आधार पर सुलझाने की आवश्यकता है। 1982 यूएनसीएलओएस, राष्ट्रों को 1982 यूएनसीएलओएस के अंतर्गत स्थापित तंत्रों के माध्यम से विवादों के समाधान के लिए बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करता है और शांतिपूर्ण साधनों के माध्यम से निष्पक्ष समाधान के लिए एक मंच प्रदान करता है। आईओआरए ऐसी संभावनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करके, तकनीकी क्षमताओं का निर्माण करके और ज्ञान की खाई को पाटकर योगदान दे सकता है।
4. प्रतिभागियों ने माना कि 1982 यूएनसीएलओएस के अंतर्गत जहाजों को 'नेविगेशन की स्वतंत्रता' होती है; किंतु, राष्ट्र इसकी अलग व्याख्या करते हैं और सैन्य जहाजों द्वारा परिचालनों और अभ्यासों पर प्रतिबंधात्मक प्रथाएं को अपनाते हैं और पूर्व अनुमतियों पर जोर देते हैं, जो विवाद का एक कारण हो सकता है। यह सुझाव दिया गया था कि अनौपचारिक समझौते, परस्पर विश्वास और पक्षकारों के बीच गहरी समझ ऐसी बाधाओं का संभावित समाधान हो सकते है।
5. यह माना गया कि संसाधन विकास, विशेष रूप से मत्स्य पालन आईओआरए सदस्य देशों के लिए उच्च प्राथमिकता है। हिंद महासागर क्षेत्र में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं और इसके परिणामस्वरूप, सदस्य राष्ट्रों को भारी आर्थिक लाभ हो सकता है। किंतु, आईयूयू मछली पकड़ना एक प्रमुख समुद्री सुरक्षा चुनौती है और इसके परिणामस्वरूप समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान के साथ-साथ स्थानीय समुदायों पर नकारात्मक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है। आईयूयू मछली पकड़ने से निपटने के लिए आईओआरए सदस्य देशों के बीच मत्स्य पालन प्रबंधन पर सहयोग, और समुद्री कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचना साझा करने से आईयूयू मछली पकड़ने पर काबू पाने में मदद मिल सकती है। यह ध्यान किया गया कि आईओआरए को राष्ट्रीय नीति और विधायी संरचना और अंतर्राष्ट्रीय साधनों को लागू करने के लिए तकनीकी क्षमताओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
6. प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि समुद्री पर्यावरण और समुद्री वैज्ञानिक शोध (एमएसआर) की सुरक्षा जटिल मुद्दे हैं। हिंद महासागर क्षेत्र के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियां जलवायु परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि, तटीय कटाव, सूक्ष्म प्लास्टिक संदूषण, जैव विविधता की हानि आदि हैं जो चिंता के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। यह सुझाव दिया गया था कि 1982 यूएनसीएलओएस के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुरूप आईओआरए सदस्य देशों को प्रदूषण के विरूद्ध आकस्मिक योजना तंत्र स्थापित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और अधिक तकनीकी आदान-प्रदान और सूचना और आंकड़े साझा करने की दिशा में काम करना चाहिए ।
*****