1982 यूएनसीएलओएस पर आईओआरए क्षमता निर्माण कार्यशाला
29 जनवरी 2021
डॉ. टी.सी.ए. राघवन महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए
द्वारा
स्वागत टिप्पणियां
सुश्री रिवा गांगुली दास, सचिव (पूर्व), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
राजदूत डॉ नोमवुयो एन नोकवे, महासचिव, आईओआरए, प्रतिभागियों, देवियों और सज्जनों,
- मैं विश्व मामलों की भारतीय परिषद और आईओआरए सचिवालय के सहयोग से भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की जा रही 1982 यूएनसीएलओएस पर आईओआरए क्षमता निर्माण कार्यशाला में आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आईसीडब्ल्यूए में इस आभासी कार्यशाला का संचालन करना वास्तव में हमारे लिए एक अनूठा सम्मान है।
- आपमें से कई लोगों को स्मरण होगा कि आईसीडब्ल्यूए और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने 13 दिसंबर 2019 को नई दिल्ली में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) की 5 प्रमुख छठी हिंद महासागर वार्ता (आईओडी) की मेजबानी की थी।
- दिल्ली आम सहमति में छठी हिंद महासागर वार्ता के परिणाम दस्तावेज में, सहयोग अनेक मुद्दें चिन्हित किए गए। प्रतिभागियों ने तकनीकी विशेषज्ञता हांसिल करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की जिससे समुद्री क्षमता निर्माण को मजबूती मिलेगी और एक संरक्षित, सुरक्षित और स्थिर समुद्री डोमेन बनाने के लिए विकासात्मक सहयोग बढ़ेगा। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानूनों, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस 1982 की समझ बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण में सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को भी स्वीकार किया। इस संबंध में, आईओआरए सदस्य देशों के साथ मिलकर इस दिशा में काम करने के आईसीडब्ल्यूए के प्रस्ताव पर गौर किया गया।
- समुद्री संरक्षा और सुरक्षा पर आईओआरए कार्यकारी समूह (डब्ल्यूजीएमएसएस) कार्य योजना में भी विद्यमान और उदीयमान मुद्दों के समाधान के लिए आईओआरए में समुद्री संरक्षा और सुरक्षा के लिए एक एकीकृत नीतिगत दृष्टिकोण और समन्वित क्षेत्रीय दृष्टि की स्थापना का आह्वान किया गया।
- आईओडी और डब्ल्यूजीएमएस दोनों ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और समुद्री कानून पर 1982 संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के आधार पर, हिंद महासागर में चुनौतियों को कम करने के लिए 'क्षमता वृद्धि' और 'क्षमता निर्माण' के माध्यम से सहयोग के महत्व पर जोर दिया है।
देवियों और सज्जनों,
- इस बात से इंकार नहीं किया जा रहा है कि महासागर और समुद्र मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसके लिए संपेषणीय उपयोग की आवश्यकता है और हमें कुशल प्रबंधन और प्रभावी कानून प्रवर्तन की आवश्यकता है। यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनी साधनों के माध्यम से हांसिल किया जा सकता है जो नौवहन या संसाधन विकास के लिए साझा भूगोल के रूप में महासागरों का उपयोग करने की "कार्य-विधि" बनाते हैं और उसमें निहित वस्तुओं और सेवाओं पर मानव पदचिह्न के किसी भी नकारात्मक या प्रतिकूल प्रभाव को कम करते हैं। 1982 यूएनसीएलओएस, महासागरों और समुद्रों के प्रबंधन के लिए एक सुदृढ़ कानूनी ढांचा है। इसे महासागरों के लिए संविधान के रूप में सही कहा जाता है और संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देशों द्वारा इसे अपनाने और बाद में अनुसमर्थन ने इसे कानूनी आदेश के रूप में दृढ़ता से स्थापित किया है। अधिकांश आईओआरए सदस्य देशों ने 1982 यूएनसीएलओएस की पुष्टि की है/को स्वीकार किया है।
- भारत ने 10 दिसंबर 1982 को 1982 यूएनसीएलओएस पर हस्ताक्षर किए और 29 जून 1995 को इसकी पुष्टि की और तटीय राष्टों के क्षेत्रीय हितों और संप्रभुता को अक्षुण रखने और उसका सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने एक सहकारी, सहयोगात्मक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य नियम आधारित आदेश, सभी राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान, चर्चा के माध्यम से विवादों का शांतिपूर्ण समाधान और अंतर्राष्ट्रीय नियमों और कानूनों के पालन पर आधारित स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत का आह्वान किया।
- हम इस कार्यशाला में भाग लेने में आईओआरए सदस्य देशों द्वारा दिखाई गई रुचि के लिए आभारी हैं। ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भारत, मेडागास्कर, मॉरीशस, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, सेशेल्स, सिंगापुर और तंजानिया के वक्ता कार्यशाला में भाग लेंगे; और अन्य आईओआरए सदस्य देशों के कई विशेषज्ञ चर्चाओं में भाग लेंगे। हमने परिचालित विभिन्न विषयों में आईओआरए सदस्य राष्ट्रों द्वारा दिखाई गई रुचि के अनुरूप कार्यशाला के कार्यक्रम की संरचना की। आज राष्ट्रों द्वारा 1982 यूएनसीएलओएस की अलग-अलग व्याख्या और अनुप्रयोग, विवाद समाधान, नौवहन की स्वतंत्रता, सतत मत्स्य पालन विकास और अवैध, अनियमित, और असूचित (आईयूयू) मछली पकड़ने और समुद्री पर्यावरण और समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान के मुद्दों (एमएसआर) पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस कार्यशाला की तैयारी में आईसीडब्ल्यूए ने अगस्त 2020 में भारतीय विशेषज्ञों के साथ राष्ट्रीय परामर्श भी किया था।
देवियों और सज्जनों,
- आईसीडब्ल्यूए में, हम आईओआरए सदस्य देशों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं के माध्यम से महासागरों और समुद्रों से संबंधित नियामक और कानूनी ढांचे के ज्ञान को साझा करने के लिए मंच बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जैसाकि हम आज आयोजित कर रहे हैं।
- मैं एक बार फिर आप सभी का यह कहते हुए स्वागत करता हूं कि हम आपकी उपस्थिति और भागीदारी के लिए कितने प्रसन्न और सम्मानित हैं। मैं ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर रचनात्मक और सार्थक चर्चाओं के लिए तत्पर हूं।
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