विश्व मामलों की भारतीय परिषद ने 24-25 नवंबर, 2020 को ‘भारत और अफ्रीका: भविष्य की ओर: समकालीन वास्तविकताएं एवं उभरती हुई संभावनाएं’, पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार के वक्ताओं में भारत और अफ्रीका के शिक्षाविद, नीति निर्माता, राजनयिक व विशेषज्ञ बहु-अनुशासनात्मक समूह के रुप में शामिल हुए।
2. सम्मेलन में निम्न विषयों पर चर्चा की गई:
3. उद्घाटन सत्र को महामहिम श्री क्वार्टी थॉमस क्वेसी, उपाध्यक्ष, अफ्रीकी संघ आयोग, सचिव (आर्थिक संबंध), एमईए श्री राहुल छाबड़ा, महामहिम श्री एलेमी त्सेये वोल्डेमारीम, भारत में इरिट्रिया के राजदूत और भारत में अफ्रीकी डिप्लोमैटिक कॉर्प्स के अध्यक्ष, और डॉ. टीसीए राघवन, महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए ने संबोधित किया। इस दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि भारत-अफ्रीका साझेदारी 21वीं सदी की मजबूत भागीदारी में से एक है और यह दक्षिण का दक्षिण से सहयोग का एक मॉडल है। अफ्रीका के विकास में भारत एक महत्वपूर्ण हितधारक बना हुआ है। भारत-अफ्रीका के संबंध गहरे रहे हैं और हाल के वर्षों में दोनों ओर से कई उच्च स्तरीय यात्राएं हुई हैं। भारत अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अफ्रीका में इसकी राजनयिक उपस्थिति भी बढ़ रही है। यह संबंध गतिशील होने के साथ-साथ पारस्परिक रूप से लाभदायक भी है। भारत को अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में योगदान देने हेतु आमंत्रित किया गया था। इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है कि भारत अफ्रीका की भोजन एवं ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने में अफ्रीका का एक विश्वसनीय भागीदार बन सकता है। समुद्री सुरक्षा और एचएडीआर वितरण दोनों देशों के बीच सहयोग के नये क्षेत्र हैं। अफ्रीका को भी इंडो-पैसिफिक की उभरती अवधारणा का हिस्सा बनना चाहिए। यह पर भी ध्यान दिया गया है कि अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों का संख्या अधिक है और उनमें अफ्रीका के विकास की क्षमता है।
4. "वैश्विक मुद्दों पर भारत-अफ्रीका सहयोग" पर आधारित पहले सत्र की अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि राजदूत असोक मुखर्जी ने की। इस सत्र के वक्ताओं में डॉ. फिलानी माथेहेम्बु, कार्यकारी निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल डायलॉग, दक्षिण अफ्रीका, डॉ. एफेम यूबी, शोध के कार्यकारी निदेशक, नाइजीरियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स, नाइजीरिया, प्रोफेसर सीएसआर मूर्ति, पूर्व प्रोफेसर, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति केंद्र, संगठन एवं निरस्त्रीकरण, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, भारत शामिल थे। इस सत्र में वर्तमान भू-राजनीतिक बदलाव, कोविड-19 महामारी और बहुपक्षवाद की उभरती चुनौतियों के संदर्भ में भारत-अफ्रीका साझेदारी के महत्व पर चर्चा की गई। इस दौरान कहा गया कि भारत और अफ्रीका वैश्विक व्यवस्था के बहुपक्षीय संगठनों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र की निर्णय प्रक्रियाओं में समान उद्देश्य साझा करते हैं। इस बात पर चर्चा की गई कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार लाने में और अधिक देर नहीं किया जा सकता। इसके लिए, समूचे दक्षिण से मजबूती से आवाज उठना जरूरी है।
5. "भारत और अफ्रीका के बीच व्यापार व निवेश संबंधों को बढ़ाने" पर आयोजित दूसरे सत्र की अध्यक्षता इथियोपिया और अफ्रीकी संघ के पूर्व भारतीय राजदूत गुरजीत सिंह ने की। इस सत्र के वक्ताओं में डॉ. मबोउबा डायगन, उपाध्यक्ष, ईसीएबीएएस निवेश एवं विकास बैंक, श्री हुसैन हसन हुसैन, कार्यवाहक निदेशक, व्यापार एवं उद्योग, अफ्रीकी संघ आयोग और सुश्री हर्षा बंगारी, उप प्रबंध निदेशक, एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया शामिल थे। इस दौरान इस बात पर चर्चा की गई कि भारत-अफ्रीका के आर्थिक संबंध समकालीन वास्तविकताओं से तय होते हैं जिसमें कोविड-19 और अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (एएफसीएफटीए) शामिल हैं। दोनों देशों के बीच निजी क्षेत्र द्वारा संचालित और पीपीपी मोड के माध्यम से अधिक निवेश वाली साझेदारी बनाने की आवश्यकता है। एएफसीएफटीए निम्न टैरिफ बाधाओं और माल व लोगों की मुफ्त आवाजाही के माध्यम से नए अवसर प्रदान करता है। भारतीय कंपनियों को आईटी और डिजिटल अवसंरचना, कृषि एवं कृषि-प्रसंस्करण, परिवहन व रसद, ऊर्जा संचरण, ई-कॉमर्स और फिनटेक जैसे क्षेत्रों में साझेदारी हेतु आमंत्रित किया गया।
6. "एजेंडा 2063 एवं भारत-अफ्रीका विकास साझेदारी को बनाये रखने" पर तीसरे सत्र की अध्यक्षता प्रो. सचिन चतुर्वेदी, महानिदेशक, विकासशील समाज के लिए सूचना एवं सूचना प्रणाली, भारत ने की। इस सत्र के वक्ताओं में श्री अखिलेश मिश्रा, अपर सचिव, विकास साझेदारी प्रशासन, विदेश मंत्रालय, भारत, महामहिम जैकलीन मुकांगीरा, भारत में रवांडा की उच्चायुक्त और डॉ. प्रोस्पर हॉनेस्ट नॉगोई, अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, मुजुम्बे विश्वविद्यालय, डार एस सलाम, तंजानिया शामिल थे। इस दौरान एजेंडा 2063 के संदर्भ में भारत अफ्रीकी देशों के साथ साझेदारी की अपनी मूल दक्षताओं का सर्वोत्तम उपयोग कैसे कर सकता है, इसपर विस्तार से चर्चा हुई। अफ्रीकी समाज दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह की तेजी से बदल रहा है, इसलिए भारत के लिए आवश्यक है कि वह अपनी विकास सहायता अफ्रीकी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाये रखे। भारत का एक्जिम बैंक और निजी क्षेत्र इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विकास साझेदारी के प्रभाव का आकलन करने हेतु एक तंत्र बनाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।
7. सुरक्षा, स्थिरता एवं स्थिरता: ऊर्जा, पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा पर चौथे सत्र की अध्यक्षता राजदूत एचएचएस विश्वनाथन, नाइजीरिया के पूर्व उच्चायुक्त और प्रतिष्ठित अध्येता, ओआरएफ, नई दिल्ली द्वारा की गई थी। इस सत्र के वक्ताओं में डॉ. थियोफिलस अचेमपोंग, पेट्रोलियम अर्थशास्त्री और राजनीतिक जोखिम विश्लेषक, घाना, श्री सीज़र चेलो, शोध अर्थशास्त्री, व्यापार एवं सीमा शुल्क प्रभाग, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका का सामान्य बाजार, ज़ाम्बिया और डॉ. देबजीत पालित, ऊर्जा एवं आजीविका, ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान, भारत शामिल थे। इस सत्र के दौरान चर्चा अफ्रीका की ऊर्जा एवं खाद्य उत्पादन क्षमता पर केंद्रित रही। यह कहा गया कि, दुनिया के कृषि योग्य भूमि का 60% मौजूद होने के कारण अफ्रीका पूरी दुनिया को खाद्य पदार्थों की आपूर्ति कर सकता है। हालांकि, अफ्रीकी देशों को अपनी आबादी को भोजन उपलब्ध कराने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी ऐसी ही स्थिति है। अफ्रीका के ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव हो रहा है और उपलब्ध ऊर्जा क्षमता का अच्छी तरह से उपयोग करने हेतु ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। इस बात पर चर्चा की गई कि ऊर्जा साझेदारी भारत-अफ्रीका साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ है और इसके खाद्य व पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े होने की बात को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है।
8. "भारत और अफ्रीका के लोगों के बीच जुड़ाव" पर पांचवें सत्र की अध्यक्षता भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महानिदेशक श्री दिनेश पटनायक ने की। इस सत्र के वक्ताओं में प्रो. संजुक्ता भट्टाचार्य, पूर्व प्रोफेसर, जादवपुर विश्वविद्यालय, भारत, श्री अलसेन सिसौमा, पत्रकार, माली ट्रिब्यून, माली और श्री वाहिगा म्हौरा, संपादक, सिटीजन टीवी, केन्या शामिल थे। इस बात पर चर्चा की गई कि युवा भारत-अफ्रीकी साझेदारी को मजबुत करने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, भारतीय सिनेमा अफ्रीका में काफी पसंद किया जाता है, लेकिन दोनों पक्ष एक-दूसरे के इतिहास, संस्कृति, संगीत के बारे में बहुत कम जानते हैं जिससे समकालीन संबंधों में बाधा आती है। इस संदर्भ में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया गया।
9. समापन सत्र में नई दिल्ली में स्थित मिशन के अफ्रीकी प्रमुख : महामहिम श्री मोहम्मद मलिकी, भारत में मोरक्को के उच्चायुक्त, महामहिम श्री सेबेस्टियन बेल्विन, प्रभारी डी'अफेयर, घाना उच्चायोग, भारत, महामहिम सुश्री ताहिना रासामोइलिना, प्रभारी डी'अफेयर, रिपब्लिक ऑफ मेडागास्कर दूतावास, भारत और महामहिम सुश्री टीजीता मुलुगेटा, भारत में इथियोपिया के उच्चायुक्त शामिल थे। इस सत्र की अध्यक्षता प्रमित पाल चौधरी, विदेशी संपादक, हिंदुस्तान टाइम्स ने की। इस दौरान यह चर्चा कि गई कि ने अफ्रीकी महाद्वीप की विशालता और विविधता को देखते हुए भारत को न केवल एक जीवंत अफ्रीका नीति बल्कि ‘कई अफ्रीका नीतियों’ को तय करने की आवश्यकता है। इस बात पर भी चर्चा की गई कि आपसी विश्वास भारत-अफ्रीका साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है। दुनिया को भारत-अफ्रीका के गहरे संबंधों से लाभ मिलेगा। भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन ने इन संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महामारी के बाद की दुनिया में, स्वास्थ्य क्षेत्र सहयोग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। बी2बी / निजी क्षेत्र के इंटरफेस हेतु भारत-अफ्रीका आर्थिक मंच की स्थापना का सुझाव दिया गया। जिन अन्य क्षेत्रों में सहयोग की बात कि गई उसमें शिक्षा एवं कौशल विकास के अलावा पर्यटन, मीडिया, कृषि शामिल हैं। भारत-अफ्रीका संबंधों को मजबूत करने में वार्षिक रुप से आयोजित होने वाले सीआईआई-एक्जि़म बैंक कॉन्क्लेव के सकारात्मक योगदान पर भी चर्चा हुई।
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