स्लोवेनिया की संसद के अध्यक्ष महामहिम डॉ. मिलन ब्रेज्ज़
द्वारा
"यूरोपीय संघ में स्लोवेनिया के दशक पर –पूर्व परिदृश्यम और भावी अवसर"
पर
बीसवां सप्रु हाउस व्याख्यान
पर इवेंट रिपोर्ट
26 नवंबर, 2015
स्लोवेनिया की संसद के अध्यक्ष महामहिम डॉ. मिलन ब्रेज्ज़ ने "यूरोपीय संघ में स्लोवेनिया के दशक - पूर्व परिदृश्य और भावी अवसर" विषय पर 26 नवंबर 2015 को बीसवां सप्रू हाउस व्याख्यान दिया।सप्रू हाउस, नई दिल्ली में इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राजदूत दिनकर खुल्लर ने की।
श्री अजनेश कुमार, उप महानिदेशक, विश्व मामलों की भारतीय परिषद ने स्वागत भाषण दिया |
अपने स्वागत उद्बोधन में, विश्व मामलों की भारतीय परिषद के उप महानिदेशक, श्री अजनेश कुमार ने अध्यक्षऔर प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने यूरोपीय संघ के समक्षआने वाली वर्तमान राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का उल्लेख किया, जिसमें आर्थिक मंदी, प्रवासी संकट, आदि शामिल हैं। अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में, उन्होंने यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों के बारे में भी बताया, और कहा कि भारत,यूरोपीय संघ के दस सामरिकसाझेदारों में से एक है। राजदूत दिनकर खुल्लर ने वक्ता का परिचय दिया। राजदूत खुल्लर ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जब देश यूगोस्लाविया का हिस्सा था, तब स्लोवेनिया के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध थे। यूगोस्लाविया के टूटने के बाद, स्लोवेनिया 2004 में यूरोपीय संघ में शामिल हो गया। स्लोवेनिया ने 2008 में यूरोपीय संघ की परिषद की चक्रीयअध्यक्षता भी की है। राजदूत खुल्लर ने यूरोप में वर्तमान राजनीतिक और सुरक्षा समस्याओं, विशेष रूप से सुरक्षा मुद्दों, आर्थिक संकट और प्रवासी संकटमुद्दों पर भी बात की।
महामहिम डॉ. मिलान ब्रेज्जसप्रू हाउस व्याख्यान देते हुए |
डॉ. मिलन ब्रेज्ज़ ने अपने संबोधन में यूरोपीय संघ के स्लोवेनियाई परिप्रेक्ष्य के साथ-साथ यूरोपीय संघ और स्लोवेनिया के लिए वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा की। यूरोपीय संघ की प्रकृति और विकास का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ एक अति-राष्ट्रीय संस्था या संगठन है। यूरोपीय संघ के अपने अंग हैं। सैद्धांतिक रूप से, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली वेस्टफेलिया मॉडल पर आधारित है - राष्ट्र-राज्य प्रणाली। डॉ. ब्रेज्ज़ ने कहाकि यूरोपीय एकीकरण की नींव माल, पूंजी, सेवाओं और लोगों के मुक्त आवागमन पर रखी गई थी। यूरोपीय संघ का मॉडल आगे बढ़ रहा है।फलस्वरूप, यूरोपीय एकीकरण प्रक्रिया और अधिक गहरी और विस्तृतहो रही है। स्लोवेनिया के वर्ष 2004 में यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद, यूरोपीय संघ के दो और विस्तार हुए- बुल्गारिया और रोमानिया 2007 में शामिल हुए और क्रोएशिया 2013 में यूरोपीय संघ का सदस्य बन गया। 2004 में का पूर्वी विस्तार सबसे बड़ा विस्तार था। डॉ. ब्रेज़्ज़ ने कहा कि स्लोवेनिया की विदेशनीति का मुख्य उद्देश्ययूरोपीय संघ में शामिल होना था।
यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद, स्लोवेनिया ने सोचा कि यह यूरोपीय संघ के भीतरक्या कर सकता है और यह किस तरह के मूल्यों का संरक्षणकर सकता है। स्लोवेनिया ने यूरोपीय संघ की परिषद के चक्रीयअध्यक्षता की है। डॉ. ब्रेज्ज़ ने उल्लेख किया कि स्लोवेनिया एक छोटा देश है, इसलिए, यह यूरोपीय संघ के बाजार पर अधिक निर्भर है और विश्वमें परिवर्तन के लिए अधिक संवेदनशील है। हालांकि, उन्होंने तर्क दिया कि छोटे सदस्य राष्ट्र, यूरोपीय संघ की आम सुरक्षा और विदेश नीति में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यूरोपीय संघ की आम विदेशी और सुरक्षा नीति का विकास जारीहै। स्लोवेनिया एक ऐसा राज्य है जिसकीकोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमिनहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि यूरोपीय संघ की प्रकृति और राजनीति बदल रही है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघमें, अनेक विस्तार होने के बाद से यह परिवर्तित हो रहा है। मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के यूरोपीय संघ में शामिल होने पर,वे अब यूरोपीय संघ की प्रक्रिया और प्रणाली में और अधिक प्रभावशाली होते जा रहे हैं।
स्लोवेनिया में यूरोपीय संघ के बारे में जनता की राय सकारात्मक है। उन्होंने कहा कि स्लोवेनियाई लोगों को अभी तक एक यूरोपीय पहचान बनाना शेष है। वे राष्ट्रीय संस्थानों की तुलना में अधिक यूरोपीय संस्थानों पर भरोसा करते हैं। स्लोवेनिया ने विकास के स्थायी तरीके और हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने को अपनाया है। डॉ. ब्रेज्ज़ ने कहा कि ज्ञान और अनुसंधान और विकास महत्वपूर्ण है और कहा कि उनका देश अनुसंधान और विकास पर अधिक खर्च कर रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यूरोसेप्टिकवाद का स्लोवेनिया परसीमित प्रभाव है। यूरोपीय संसद के 2014 केचुनावों में यूरोसैप्टिक पार्टियों ने जीत हासिल की। यूरोपीय संघ के बारे में अधिक समझ बनानेकी आवश्यकता है।
प्रश्नोत्तरसत्र में, डॉ. ब्रेज्ज़ ने पूर्व यूगोस्लाव राष्ट्रपति, मार्शल टीटो, आर्थिक संकट, प्रवासी संकट, सीरिया संकट, भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों, रूस और मध्य-पूर्वी यूरोप के बारे में स्लोवेनियाई लोगों की धारणा पर अनेकप्रश्नों का उत्तर दिया। भारत-यूरोपीय संघ संबंधों पर, उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी, फ्रांस और यूके का दौरा किया और छोटे यूरोपीय देशों के नेता भारत का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व यूगोस्लाव राष्ट्रपति, मार्शल टीटो के बारे में स्लोवेनियाई लोगों की धारणा नकारात्मक है। उन्होंने कहा कि स्लोवेनियाई लोगों में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के बारे में उनकी धारणा सकारात्मक है। यूरोपीय संघ शरणार्थी समस्या का समाधान करनेका प्रयास कर रहा है। उन्होंने रेखांकित किया कि यूरोप में प्रवासी/शरणार्थी की समस्या का समाधान करने में टर्कीकी भूमिका महत्वपूर्णहोगी। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के छोटे राष्ट्र सदस्यों के लिए शरणार्थिक की अधिक संख्या को खपाना कठिन होगा। आर्थिक संकट में बढ़तेहुए निवर्तमन आर्थिकविकास की प्रवृति पर चर्चा की और कहा कि ग्रीक संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है। डॉ. दिनोज कुमार उपध्याय, शोध फैलो, विश्व मामलोंकी भारतीय परिषद्, नई दिल्ली ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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