‘भारत-असियान संबंध: एक्ट ईस्ट नीति की ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक वंशावली’ पर सेमिनार रिपोर्ट
‘भारत-असियान संबंध: एक्ट ईस्ट नीति की ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक वंशावली’
पर
सेमिनार रिपोर्ट
स्थान: सिनेट हाल, केरल विश्वविद्यालय, त्रिवेन्द्रम
दिनांक: 13/14 नवम्बर, 2018
सामाजिक सशक्तिकरण सोसायटी, नई दिल्ली,
द्वारा
भारतीय विदेशी मामलों की परिषद्, नई दिल्ली
को प्रस्तुत
सेमिनार रिपोर्ट
‘भारत-असियान संबंध: एक्ट ईस्ट नीति की ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक वंशावली’ पर दो दिवसीय सेमिनार। सेमिनार का उद्घाटन 13 नवम्बर, 2018 को केरल विश्वविद्यालय के सिनेट चेम्बर में अम्बेसडर टी.पी. श्रीनिवासन, पूर्व राजदूत तथा कार्यकारी उपाध्यक्ष, केरल राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् ने किया। भारतीय सेना के मेजर जनरल विनय चन्द्रन, ने सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने आर्थिककूटनीति से सैनिक सहयोग तथा सहायता प्राप्तकर्त्ता देशों के आन्तरिक मामलों में भी हस्तक्षेप करके/के माध्यम से क्षेत्र में चीन की हलचलों पर भारत की चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि पड़ोसी देश द्वारा लगातारदी जा रही धमकियों को रोका जा सके। अम्बेसडर टी पी श्रीनिवासन ने उल्लेख किया कि अधिकांश दक्षिण-पूर्व एशियाई देश चीन के विरोधी नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 01 जून,2018 के शांगरी ला भाषण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एक्ट ईस्ट नीति में आशियान भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। तथापि उन्होंने सार्क को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि बिम्सटेक (बीआईएमएसटीईसी) सार्क (एसएएआरसी) का विकल्प नहीं है।
उद्घाटन तथा समापन सत्रों के अलावा दो दिवसीय सेमिनारमें चार तकनीकी सत्र तथा 27 शोध पत्र जो विभिन्न विषयों पर थे, प्रस्तुत किए गए। सेमिनार के संयोजकों ने संसाधन व्यक्तियों से अपने संशोधित पत्र 15 जनवरी, 2019 को या इससे पूर्व प्रकाशनार्थ प्रस्तुत करने का भी अनुरोध किया।
सुश्री प्रज्ञा पाण्डेय ने सेमिनार में आईसीडब्ल्यूए का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपना पत्र प्रस्तुत किया तथा एक्ट ईस्ट नीति के कार्यान्वयन में सरकार की अग्र सक्रियता पर जोर दिया। उनका कहना था कि एक्ट ईस्ट नीति एलईपी का उन्नत संस्करण है तथा यह समय की मांग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आईसीडब्ल्यूए का इरादा हमारी विदेश नीति से संबंधित मुद्दे पर वाद-विवाद तथा चर्चा को प्रोत्साहन देना है।
केरल विश्वविद्यालय तथा केरल के केन्द्रीय विश्वविद्यालय, त्रिवेन्द्रम सिटी सेन्टर के पीएचडी तथा एम.फिल के शोध छात्रों तथा स्नातकोत्तर छात्रों एवं अन्य छात्रों ने भी राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लिया। दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने वालों की संख्या 115 थी। राष्ट्रीय सेमिनार के दौरान चर्चाबहुत ही उपयोगी थी तथा पीजी छात्रों और शोधार्थियों को संसाधन व्यक्तियों (प्रतिष्ठितों) से सीधी बातचीत का अवसर मिला।
सेमिनार के अंत में डॉ. सुरेश आर. ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने भारतीय विदेश मामलों की परिषद, नई दिल्ली को इसके विनम्र प्रायोजन के लिए विशेषत: धन्यवाद दिया और कहा कि आईसीडब्ल्यूए प्रत्याशित भविष्य में भी यह प्रक्रिया बनाए रखेगी। उन्होंने पेपर प्रस्तुतकर्त्ताओं का भी उनकी कड़ी मेहनत तथा सेमिनार में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने में निष्ठा के लिए धन्यवाद किया।
व्यक्तिगत पेपरों का विवरण उनके क्रमश: पेपरों में दिया गया हैं जो इसके साथ संलग्न हैं। भारत-आसियान संबंधों की गतिशीलता के दो दिवसीय विचार-विमर्श में सभी पहलुओं पर चर्चा हुई तथा भारत सरकार द्वारा अपनाए जाने और लागू किए जाने के लिए निम्नलिखित मुद्दों की सिफारिश की गयी।
नीतिगत सुझाव
दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की विस्तृत कार्यक्रम अनुसूची
राष्ट्रीय सेमिनार
भारत-आसियान संबंध एक्ट ईस्ट नीति की ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक वंशावली
आयोजक
वी.के कृष्णामेनन अध्ययन केंद्र अंतर्राष्ट्रीय संबंध, राजनीतिक विज्ञान विभाग
केरल विश्वविद्यालय,तिरूवनन्तपुरम के सहयेाग से
सामाजिक संशक्तिकरण सोसायटी, नई दिल्ली
दिनांक13/14 नवम्बर, 2018, स्थान-सिनेट चेम्बर,
केरल विश्वविद्यालय, तिरूवनन्तपुरम,
प्रथम दिवस; 13 नवम्बर, 2018
उद्घाटन सत्र 10:15 बजे से 11:15 बजे तक
सिनेट चेम्बर, केरल विश्वविद्यालय
प्रार्थना: एम.ए. राजनीतिक विज्ञान के छात्र
स्वागत भाषण: डॉ. सुरेश आर. सह आचार्य एवं मानद निदेशक, वी.के. कृष्णमेनन स्टडी सेन्टर फॉर इन्टरनेशनल रिलेशन्स, राजनीतिक विज्ञान विभाग केरल विश्वविद्यालय
सेमिनार का परिचय;डॉ. सुधीर सिंह, निदेशक, सोसायटी ऑफ सोशल इम्पावरमेंट, नई दिल्ली
उद्घाटन भाषण:- अम्बेसडर टी पी श्री निवासन, महानिदेशक, केरल अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र, तिरुवनन्तपुरम, यू.एन में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि, कार्यकारी उपाध्यक्ष, केरल राज्य उच्च शिक्षा परिषद।
अध्यक्षीय सम्बोधन: मेजर जनरल विनय चन्द्रा, डायरेक्टिंग स्टाफ, राष्ट्रीय डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली
मुख्य सम्बोधन: प्रोफेसर (डॉ.) के. जयप्रसाद, प्रोफेसर वाइस चान्सलर, केन्द्रीय विद्यालय, केरल कसारागॉड, केरल राज्य
धन्यवाद प्रस्ताव: सुश्री अश्वनी आर एस. सहायक आचार्य, सार्वजनिक नीति विभाग, पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय, देहरादून
चाय अवकाश: 11:15 बजे से 11:30 बजे तक
तकनीकी सत्र I
11:30 बजे से 01:00 बजे (अपराह्न)
विषय वस्तु:- भारत का विकास-आसियान संबंध: भागीदारी की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा दार्शनिक जड़े; मोदी की एक्ट ईस्ट नीति तथा आसियान में भारत की सांस्कृतिक जड़े।
अध्यक्ष: प्रोफेसर उधम कुमार जमदग्नी, मद्रास विश्वविद्यालय
पैनलधारी:-
चर्चा
दोपहर का भोजन: 1:00 बजे से 2:00 बजे
तकनीकी सत्र II2:00 बजे से 4:00 बजे
विषय वस्तु:- आसियान के प्रति भारत की नीति में चीन फेक्टर
देश: आसियान देशों के साथ चीन के संबंध
भारत के निहितार्थ : भारत के दक्षिण चीन सागर में हित
सभापति: डॉ. जोसेफ एन्टोनी, केरल विश्वविद्यालय
पैनलधारी
चाय अवकाश: 4:00 बजे से 4:15 बजे
चर्चा4:15 बजे से 5:30 बजे
दिवस-2
14 नवम्बर, 2018
तकनीकी सत्र III: 9:30 बजे से 11:30 बजे
विषयवस्तु :- भारत में सामुद्रिक सुरक्षा तथा सामुद्रिक अर्थव्यवस्था
आसियन संबंध: क्षेत्रीय सुरक्षा तथा भारत और आसियान की भूमिका
सभापति: प्रोफेसर ईशानी नश्कर, रबिन्द्र भारती विश्वविद्यालय
पैनलधारी
चाय अवकाश: 11:30 बजे से 11:45 बजे तक
तकनीकी सत्र IV
11:45 बजे से 1:00 बजे
विषयवस्तु :- एशिया में विविधता तथा भारत और एशिया के बीच हितों का अभिशरण; संचालक शक्ति के रूप में सांस्कृतिक पर्यटन
सभापति: कोमोडोर आर.एस. वासन, चेन्नई
पैनलधारी
चर्चा
लंच: 1:00 बजे से 2:00 बजे
विदाई सत्र II
2:00 बजे से 3:30 बजे
अध्यक्ष: प्रोफेसर गंगानाथ झा,जेएनयु, नई दिल्ली
विदाई सम्बोधन कोमोडोर आर.एस. वासन, क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय सामुद्रिक फांउडेशन, चेन्नई चेप्टर
निदेशक चेन्नई सेंटर फॉर चाइना स्टडिज, प्रधान, कूटनीति एवं सुरक्षा अध्ययन, सेंटर फॉर एशिया स्टडिज, चेन्नई
प्रमाण पत्र वितरण
धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. संरेश आर, सह आचार्य
राजनीति विज्ञान विभाग, केरल विश्वविद्यालय
राष्ट्रगान