अंतर्राष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद् ने भारत-म्यांमार संबंधों का संवर्धन: आगे का रास्ता: द रोड अहेड विषय पर दिनांक 15 मई, 2019 को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था।
संगोष्ठी के प्रतिभागियों में म्यांमार में भारत के तीन पूर्व राजदूत तथा आठ विश्वविद्यालयों से विद्वानों और भारत से चार प्रबुद्ध मंडल शामिल थे। संगोष्ठी में ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों, राजनीतिक तथा सुरक्षा सहयोग और आर्थिक एवं विकास सहयोग के तीन सत्र शामिल थे। इस संगोष्ठी का शुभारंभ संबोधन अंतर्राष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद के महानिदेशक, डॉ. टी.सी.ए. राघवन द्वारा दिया गया।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता एम्ब. जी. पार्थसारथी, म्यांमार में भारत के भूतपूर्व राजदूत द्वारा की गई थी। इस सत्र मेंडॉ, विनय कुमार राव, एसोसिएट प्रोफेसर, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, महेन्द्रगढ़, डॉ. शास्वती मुतसुद्दी, एसोसिएट प्रोफेसर, पाली विभाग, कोलकाता विश्वविद्यालय, डॉ. अरिंदम भट्टाचार्य, एसोसिएट प्रोफेसर, पाली विभाग, संस्कृत कॉलेज, कोलकाता, डॉ. नेताजी अभिनंदन, सहायक प्रोफेसर, राजनीतिशास्त्र विभाग, रवेनशॉ विश्वविद्यालय, कटक, उड़ीसा, डॉ. अम्बुज ठाकुर, सहायक प्रोफेसर, बांग्लादेश एवं म्यांमार यूजीसी अध्य्यन केन्द्र, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय तथा श्री अभिजीत दत्ता, लेखक, म्यांमार इन द वर्ल्ड, सिंगापुर, वक्तागण शामिल थे। प्रथम सत्र में संबंधों और सभ्यतागत कड़ियों की ऐतिहासिक राह और भारत तथा बर्मा के बीच भाषाई और सांस्कृतिक समानता पर ध्यान केन्द्रित किया गया था।।
द्वितीय सत्र म्यांमार में भारत के भूतपूर्व राजदूत डॉ. वी.एस. शेषाद्री की अध्यक्षता में हुआ था। इस सत्र में प्रोफेसर जी.वी.सी. नायडू (सेवानिवृत्त), इंडो-पेसिफिक अध्ययन केन्द्र, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्ट्डीज, जेएनयू, प्रोफेसर जी. जयचंद्रा रेड्डी, निदेशक, यूजीसी का दक्षिण-पूर्वी एशिया एवं पेसिफिक अध्ययन केन्द्र, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, त्रीपति, श्री प्रदीप पहनजूबम, संपादक, इम्फाल फ्री प्रेस, इम्फाल, डॉ. अंशुमन बेहरा, सहायक प्रोफेसर, विवाद एवं सुरक्षा अध्ययन, एनआईएएस, बंगलूरु, तथा डॉ. सामथा मालेमपट्टी, अध्येता, अंतर्राष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद्, वक्तागण शामिल थे।
तृतीय सत्र राजदूत गोतम मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में हुआ था। इस सत्र, में डॉ. निम्मी कुरिय्यन, प्रोफेसर, नीति शोध केन्द्र, नई दिल्ली, डॉ. देब कुमार चक्रवर्ती, प्रोफेसर, बांग्लादेश एवं म्यांमार अध्ययन का यूजीसी केन्द्र, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय, डॉ. गद्दे ओमप्रकाश, सहायक प्रोफेसर, राजनीतिशास्त्र विभाग, सिक्किम केन्द्रीय विश्वविद्यालय, डॉ. के. योह्म, वरिष्ठ अध्येता, ओआरएफ, दिल्ली, डॉ. प्यूयाम राकेश सिंह, अध्येता, अंतर्राष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद् तथा डॉ. नोन्गथोम्बम जितेन, रिसर्च एसोसिएट, म्यांमार अध्ययन केन्द्र, मणिपाल विश्वविद्यालय। इस सत्र में व्यापार तथा निवेश संबंधों, विकास साझेदारी सहायता, कनेक्टिविटी, सीमाओं को सेतु की दृष्टि से देखकर तथा संघीय-स्थानीय दृष्टिकोण से मेल करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई।
प्रतिभागियों ने भारत में म्यांमार पर अध्ययन के लिए प्रोत्साहन देने की आवश्यकता की बात कही।
16/05/2019
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