अंतर्राष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद ने 26 जून, 2019 को “बदलती विश्व व्यवस्था में यूरोपीय संघ : भारत-यूरोप की साझेदारी के लिए संभावनाएँ” पर एक सम्मेलन आयोजित किया।
संगोष्ठी के प्रतिभागियों में पूर्व राजनयिक, आठ विश्वविद्यालयों से अध्येता/विद्वान और भारत से दो प्रबुद्ध मंडल सम्मिलित हुए। संगोष्ठी में 3 सत्रों का समावेशन किया गया:- बदलती विश्व व्यवस्था में यूरोप; यूरोप, भारत और बीआरआई तथा; भारत-यूरोप संघ संबंधों में सहयोग की संभावनाएँ। उद्घाटन अभ्युति अंतर्राष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद् के महानिदेशक, डॉ. टी.सी.ए. राघवन द्वारा प्रस्तुत की गई और मुख्य भाषण श्री बालासुब्रमण्यम, संयुक्त सचिव (यूरोप पश्चिम), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिया गया।
एएमबी. भसवती मुखर्जी, नीदरलैंड में भारत के पूर्व राजदूत ने प्रथम सत्र की अध्यक्षता की। इस सत्र में प्रो. भसवती सरकार, प्राध्यापक, सेंटर फॉर यूरोपीयन स्टडीज, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय; प्रो. नीता ईनामदार, प्राध्यापक, विभागाध्यक्ष, यूरोपीयन स्टडीज विभाग, मनिपाल विश्वविद्यालय और डॉ. अंकिता दत्ता, रिसर्च फेलो अंतर्राष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद् वक्ताओं के रूप में शामिल थे। सत्र में, 2011 के यूरो क्षेत्र के संकट, प्रवासन की चिंताओं, आतंकवाद, आसन्न ब्रेक्सिट और यूरोसैप्टिसिज्म व लोकवाद के आरंभ होने से यूरोप की एकीकरण परियोजना तीव्र दबाव में है, पर चर्चा हुई। इस सत्र में विस्तार से विचार-विमर्श हुआ कि ये विचारधारा स्वत: यूरोपीय परियोजना का प्रश्न कैसे हो सकती है।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता राजदूत जे.एस. मुकुल, अध्यक्ष, विदेश सेवा संस्थान द्वारा की गई। प्रो. गुलशन सचदेव, प्राध्यापक, यूरोपीयन अध्ययन केंद्र, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय; प्रो. मधु भल्ला, पूर्व प्रमुख और प्राध्यापक, पूर्व एशियाई अध्ययन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय; डॉ. सुरभि सिंह, रिसर्च फेलो, आई सी डब्ल्यू ए इस सत्र के वक्ता थें। सत्र में बी आर आई के कार्यान्वयन व चीन की आकांक्षाओं का आकलन तथा चीन और यूरोप के मध्य संबंधों में यह उत्प्रेरक कैसे बन रहा है, पर आकलन किया गया। तत्पश्चात् बी आर आई के संबंध में भारत की स्थिति पर भी सत्र में विचार किया गया।
तृतीय सत्र की अध्यक्षता राजदूत भसवती मुखर्जी, नीदरलैंट में भारत के पूर्व राजदूत ने की। प्रो. जयराज अमीन, प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, मेंगलौर विश्वविद्यालय; डॉ. सौरभ कुमार, एसोसिएट फेलो, कट्स-सिटी, जयपुर और डॉ. चेतन बी. सिंगई, उप निदेशक, रमैया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी, बेंगलुरू इस सत्र के वक्ता थे। सत्र में 2018 यूरोपीय संघ के रणनीति पत्र के प्रकाशन को ध्यान में रखते हुए भारत-यूरोप संघ पर विचार किया गया। सत्र में ब्रक्सिट के बाद की दुनिया में भारत और यूरोपीय संघ के मध्य व्यापार संबंधों पर संभावित प्रभाव और अवसरों तथा जन संपर्क के माध्यम से उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ाने में सहयोग में चुनौतियों पर चर्चा हुई।
समापन सत्र में, देश भर में विचार विमर्श के माध्यम से भारत-यूरोपीय संघ संबंधों के महत्व की समझ को बढ़ाने पर बल दिया गया।