"हिन्द महासागर पर त्रिपक्षीय वार्ता के
दूसरे चक्र के उद्घाटन सत्र
में
राजदूत राजीव के. भाटिया महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए
द्वारा
वक्तव्य
कैनबरा 9 सितम्बर, 2014
छह से भी कम माह के भीतर कैनबरा लौटना अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। हम हिन्द महासागर पर त्रिपक्षीय वार्ता (टीडीआईओ) के दूसरे चक्र की मेजबानी करने के लिए आस्ट्रेलियाई रणनीतिक नीति संस्थान (एएसपीआई) को धन्यवाद करते हैं और बधाई देते हैं। हमें विश्वास है कि यह बैठक प्रथम चक्र जिसके सितम्बर, 2013 में आयोजन करने का सौभाग्य भारतीय विश्व मामले परिषद को प्राप्त हुआ था, के दौरान हमारे द्वारा सामूहिक रूप से प्रारंभ किए गए अत्यंत महत्वपूर्ण सहयोगी कार्य को आगे बढ़ाएगी, उसे सुदृढ़ और विस्तारित करेगी।
- इसके बाद से काफी कुछ घटित हुआ है। आईओर-एआरसी ने एक नया नाम प्राप्त किया - हिंद महासागर संघ (आईओआरए), यह आस्ट्रेलिया की अध्यक्षता के अंतर्गत और भी फला-फूला जिसने 2011-13 में अध्यक्ष के रूप में भारत के कार्यकाल के दौरान हासिल की गई उल्लेखनीय गतिशीलता को जारी रखा है। पर्थ सिद्धांतों की घोषणा तथा नवम्बर, 2013 में जारी पर्थ प्रकाशनी आज यहां हमारे विचार-विमर्श के लिए पर्याप्त प्रासंगिक है। इसके अलावा, हमें हिंद महासागर क्षेत्र के रणनीतिक, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और अन्य घटनाक्रमों के संबंध में भी अनेक मुद्दों पर चर्चा करनी होगी जो हिंद महासागर को प्रभावित कर रहे हैं और जो हमारी एक वर्ष पूर्व हुई बैठक के बाद से उत्पन्न हो गए हैं। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि हमारे तीनों देशों में बहुत ही शीघ्र नई सरकार विद्यमान होगी।
आस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के शिष्टमंडल के सदस्यों के साथ राजदूत राजीव के. भाटिया, महानिदेशक आईसीडब्ल्यूए
हिन्द महासागर की प्रमुखता
- जिस चीज में बदलाव नहीं आया है, वह विश्व अर्थव्यवस्था संपोषणीय विकास, सुरक्षा और शांति के लिए हिंद महासागर की निरंतर बढ़ती प्रमुखता के प्रति रूझान है। आज हिंद महासागर विश्व में एक महत्वपूर्ण आर्थिक राजमार्ग तथा वैश्विक "गुरुत्वाकर्षण का केन्द्र" बन गया है। यह उल्लेखनीय है कि विश्व का 60 प्रतिशत तेल नौवहन, थोक कार्गो का 33 प्रतिशत तथा कंटेनर व्यापार का 50 प्रतिशत हिंद महासागर के जल के माध्यम से होकर गुजरता है। अत: रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में गहनता लाने तथा पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों के उभरने की सामान्य पृष्ठभूमि में एक सुरक्षित और संरक्षित परिवेश हमारी प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए।
- इसके अलावा, क्षेत्र की विविधता अवसरों और चुनौतियों का प्रतिनिधित्व करती है। हमें विविधता का लाभ उठाने तथा हमारे सामान्य संबंधों और साझे हितों की पूर्ण क्षमता का विकास करने पर ध्यान-केन्द्रित करने आवश्यकता है।
टीडीआईओ का अब तक का सफर
- टीडीआईओ की परिकल्पना करने के लिए, हमें चार कार्य सौंपे गए हैं, जो इस प्रकार है:
- हिंद महासागर क्षेत्र में भू-राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी घटनाक्रमों की समीक्षा जिसका उद्देश्य ऐसे बलों और कारकों को सहायता प्रदान करना है जो स्थायित्व, सुरक्षा, शांति आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए सहायक हो।
- संघ को सुदृढ़ बनाने और इसकी प्रभावकारिता में वृद्धि करने के लिए एक खाका तैयार करने के उद्देश्य से आईओआर-एआरसी, जो अब आईओआरए है, के विकास का आकलन करना। इस संदर्भ में हमने अधिकारिक स्तर के करार से प्रेरणा ग्रहण की है कि ट्रोइका एक समन्वयक की भूमिका निभा सकता है।
- इनके लिए रूपात्मकताएं तैयार करना (क) हिंद महासागर और आईओरआर-एआरसी से संबंधित मुख्य मुद्दों के बारे में जनता की जागरूकता में वृद्धि करना, और संबंधित सरकारों के विद्वानों के नए विचारों और सिफारिशों की साझेदारी करना।
- केन्द्रीय विषय से संबंधित किसी अन्य विचार पर विचार करना जिस पर तीन संबंधित पक्षों के बीच सहमति है।
- हमारी तीन संस्थाओं के मध्य इसी समानता के साथ प्रारंभ करते हुए हमने सतर्कतापूर्वक और सृजनात्मक तरीके से कार्य किया है। इसके परिणामस्वरूप हम नई दिल्ली में निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर सर्वसम्मति का निर्माण करने में सफल रहे:
- हिंद महासागर हमारी 'सामूहिक नियति' के भाग का निर्माण करता है। विभिन्न प्रासंगिक घटनाक्रमों की समीक्षा करते हुए हम स्वयं को उन बलों और कारकों को समर्थन करने के प्रति समर्पित करते हैं जो क्षेत्र में शांति, समृद्धि, स्थायित्व और सुरक्षा को बढ़ाते हैं।
- हिंद महासागर चुनौतियों के एक जटिल समूह का सामना कर रहा है तथा क्षेत्र और उसके परे लोगों के कल्याण के लिए उसके पास अनेक आकर्षक अवसरों की परिधि भी है। हम उनका और अधिक अध्ययन और मूल्यांकन करना चाहते हैं ताकि सामुद्रिक सहयोग को और साथ ही अंतर्वेशी और संपोषणीय विकास को प्रोत्साहित किया जा सके।
- हम आईओआर-एआरसी की परिकल्पना हिंद महासागर क्षेत्र में एक अग्रणी संस्था के रूप में करते हैं। आईओआर-एआरसी जो अब आईओएआर है, अध्यक्ष के रूप में भारत के अति-सक्रिय कार्यकाल के दौरान लिए गए नए और महत्वपूर्ण पहलकदमों से पर्याप्त रूप से लाभान्वित हुआ है। पिछले 16 वर्षों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय परिवेश में हुए उल्लेखनीय परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए आईओआर-एआरसी को सुदृढ़ तथा और भी शक्तिशाली बनाए जाने की आवश्यकता है तथा हमें विश्वास है कि ऐसा आगामी दो वर्षों के दौरान आस्ट्रेलिया की अध्यक्षता तथा इंडोनेशिया की उपाध्यक्षता में अवश्य ही होगा।
- उक्त संदर्भित उद्देश्य के लिए, हमने प्रतिभागियों द्वारा उल्लेख किए गए अनेक प्रस्तावों की समीक्षा की है, जिसमें सहयोग के विद्यमान छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के अंतर्गत शामिल किए जाने वाले सहयोग के नए पहलू भी शामिल हैं। इस विषय का आगे अध्ययन किया जाएगा तथा आगामी टीडीआईओ बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी।
- हम विद्यमान सहयोग तथा क्षेत्र में की गई पहलों में हुई प्रगति का जायजा लेने की आवश्यकता पर बल प्रदान करते हैं जो सामान्य चिंता के मामलों से संबंधित हैं तथा हिंद महासागर क्षेत्र के भीतर विद्यमान तंत्रों के आधार पर निर्मित हुई हैं।
- हम निम्नलिखित क्षेत्रों की पहचान भावी अध्ययन तथा नीतिगत विकास के लिए विशेष महत्व के रूप में करते हैं:
- क. आईओआर-एआरसी में एचएडीआर चुनौतियों के लिए 'श्रेष्ठ प्रक्रिया' दृष्टिकोण विकसित करना।
- ख. आईओआर-एआरसी के कार्य के बारे में जागरूकता में वृद्धि करने के लिए कार्यनीतियां तैयार करना तथा मीडिया वृत्तियों के मध्य आईओआर-एआरसी के बारे में बेहतर समझ को प्रोत्साहित करना।
- ग. आईओआर-एआरसी क्रियाकलापों में निजी क्षेत्र की प्रतिभागिता और भूमिका को सुदृढ़ बनाना।
- घ. आईओआर-एआरसी पहलों के संबंध में हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों के हितों और नेतृत्व भूमिकाओं को परिभाषित करने के लिए कार्य करना।
- ड. आईओआर में क्षेत्रीय सामुद्रिक आत्मविश्वास निर्माण उपायों को सुदृढ़ बनाना।
- च. आईओआर-एआरसी की शोध और आंकड़ा संग्रहण क्षमताओं को सुदृढ़ बनाना तथा क्षेत्र में आर्थिक और पर्यावरणीय संधारणीयता के मुख्य मुद्दों का निवारण करना।
vii जैसा कि आईओआर-एआरसी के सदस्य राज्यों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है, ट्रोइका (पूर्व, वर्तमान और भावी अध्यक्ष) को अपने सदस्यों के मध्य नियमित रूप से संपर्क स्थापित करने के माध्यम से सहयोग को समन्वित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना है। अधिकारिक ट्रोइका को टीडीआईओ प्रक्रिया के अंतर्गत कार्य करने वाले विशेषज्ञों के हमारे त्रिपक्षीय समूह द्वारा सहायता और सहयोग प्रदान किया जा सकता है।
आगामी अवस्था
- एएसपीआई की अध्यक्षता में आज की बैठक में हमें सबसे पहले पिछले वर्ष स्प्रू हाउस वार्ता के दौरान सर्वसम्मति से तय किए गए अवयवों को आगे ले जाना होगा।
- हम, जैसा कि हमारे मेजबान द्वारा प्रस्तावित किया गया है, 'पोत परिवहन : सुरक्षा और संरक्षा', 'आपदा जोखिम प्रबंधन और मानवीय सहायता', 'सामुद्रिक आत्मविश्वास निर्माण उपाय' और 'सामुद्रिक वैज्ञानिक शोध और मात्यिस्की प्रबंध' विषयों पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं, जो ऐसे विशिष्ट विषय है, जिन पर वैयक्तिक सत्र प्रस्तावित और तैयार किए गए हैं। मुझे आशा है कि हमारा दृष्टिकोण व्यावहारिक और कार्यवाही-उन्मुखी होगा ताकि ठोस, सहमत सिफारिशें उभरकर सामने आ सकें।
- इसके अलावा हमें नवम्बर, 2013 में आयोजित आईओआरएए के विदेश मंत्रियों की पर्थ बैठक के परिणामों की ओर भी विशेष ध्यान देना होगा। इसके अनेक परिणाम पर्याप्त महत्व के प्रतीत होते हैं। हमारे द्वारा पढ़ जाने के अनुसार इनमें से कुछ मुख्य परिणाम हैं:
- हिंद महासागर तथा इसके संसाधनों के संरक्षण और गरीबी उन्मूलन, सतत् आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा और उत्कृष्ट कार्य की संपोषणीय आजीविकाओं के सृजन के लिए इसके सतत् प्रयोग के महत्वपूर्ण योगदान को पहचानना। 'पर्थ सिद्धांतों' का यह सूत्रीकरण पर्थ प्रकाशनी में सम्यक रूप से प्रतिबिंबित किया गया था जिसमें हमारे क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही विकास, सुरक्षा, संसाधन और पर्यावरणीय चुनौतियों का निवारण करने में आईओआरसी की भूमिका को उजागर किया गया था;
- इन क्षेत्रों में संभव आईओएनएस पहलकदमों के साथ सामुद्रिक सुरक्षा और संरक्षा तथा आपदा प्रबंधन पर आईओआरए के कार्य को संरेखित करने की आवश्यकता;
- लोगों-के-लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने की आवश्यकता जिसमें पर्यटन, शिक्षा, व्यापार का माध्यम तथा क्षेत्रीय पहचान की भावना की संवृद्धि भी शामिल है।
- क्रियाकलाप के साठ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के साथ शामिल होने के लिए आईओआरए वार्ता भागीदारों को निमंत्रण प्रदान किया गया, जिसमें संवर्धित पारस्परिक संबंधों के लिए अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से आईओआरए सदस्य-राज्यों और वार्ता भागीदारों के बीच औपचारिक बैठक उपरांत वार्तालाप आयोजित करने की संभावना शामिल है; और
- आईओआरए के संबंधों को अन्य अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संस्थाओं तक विस्तारित करने पर सहमति ताकि सक्रियता का निर्माण हो और समन्वय सथापित हो सके।
- इसके अलावा हम हिंद महासागर के शक्तिशाली देशों और क्षेत्र-इतर शक्तिशाली देशों के मध्य संबध स्थापित करने तथा पश्चिम एशिया और अफ्रीका के भागों में संकट और अस्त-व्यस्तता के प्रभाव तथा पूर्व एशिया में भू-राजनीति की शुरुआत के बारे में रणनीतिक पहलुओं पर विचारों का आदान-प्रदान भी कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में, हम हमारी तीन संस्थाओं के मध्य साझे विचार विकसित करने तथा तीन देशों के बीच संवर्धित राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा और अन्य सहयोग की संभावनाओं को तलाशने की स्थिति में भी होंगे।
- अंत में, कुछ परिणामों के कतिपय औचित्यपूर्ण मुद्दों का नीचे दिए गए अनुसार निवारण किए जाने की आवश्यकता है:
- हम इस विचार पर पुनर्विचार कर सकते हैं कि क्या हमें एक अथवा दो और देशों को शामिल करने के लिए टीडीआईओ में विस्तार करना चाहिए;
- हमें टीडीआईओ के तीसरे चक्र के लिए समय पर भी विचार करना चाहिए; और
- तीन चक्रों की प्रथम श्रृंखला की समाप्ति के उपरांत, हमें एक विस्तृत रिपोर्ट के साथ तैयार रहना चाहिए (जिसमें हमारी सिफारिशों का पैकेज भी शामिल हो)। इसे विचार के लिए हमारी सरकारों को प्रेषित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट को तैयार करने तथा इसके संप्रेषण के लिए कार्य-रीति को भी तैयार किए जाने की आवश्यकता है।
- अंत में, अध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह आश्वासन देना चाहता हूं कि मेरा शिष्टमंडल पर्याप्त ध्यानपूर्वक अन्य दो प्रतिनिधियों के विचारों को सुने। हम इस विचार-विमर्श में एक निर्माणात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार और इच्छुक हैं।
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