भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीसरे ट्रैक II संवाद के अवसर पर
राजदूत नलिन सूरी
महानिदेशक
भारतीय विश्व मामले परिषद
द्वारा
स्वागत भाषण
सप्रू हाउस
23 अप्रैल,2018
आप सभी का हार्दिक स्वागत है। मैं पिछले वर्ष आपके खूबसूरत देश का दौरा करने से चूक गया था, किंतु मुझे हमारे शिष्टमंडलों के बीच हुई उपयोगी चर्चाओं के परिणाम पर हुए व्यापक विवरण का लाभ मिला है। आपकी वापसी यात्रा की समयबद्धता भी उत्साहवर्धक है।
हमारे दोनों देशों में काफी समानताएं हैं, लेकिन मेरे लिए विशेष रूप से तीन बातें विशेष हैं। पहला, निश्चित रूप से क्रिकेट है और मौजूदा आईपीएल में न्यूजीलैंड के नौ खिलाड़ियों की उपस्थिति संयोगवश नहीं है। केन विलियमसन, ब्रेंडन मैकुलम, कॉलिन डी ग्रैंडहोमे, कॉलिन मुनरो, कोरी एंडरसन, ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी, माइकल सेंटनर और मिशेल मैकक्लेनाघन भारत में काफी लोकप्रिय क्रिकेटर हैं।
दूसरा, राष्ट्रमंडल है जिसका अभी- अभी एक सफल शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ है। हमारे दोनों देशों के लिए विशेष रूप से राष्ट्रमंडल देशों के द्वीप विकासशील देश के सदस्यों की तुलना में राष्ट्रमंडल ढांचे के भीतर सहयोग करने के कई अवसर हैं।तीसरा, और आज के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण मुद्दा संपर्कता का है। एक हद तक, संपर्कता का समुद्री आयाम भारत और न्यूजीलैंड में प्रमुख रहा है। यह विशेष रूप से भारत – प्रशांत क्षेत्र की विकासशील प्रमुखता, द्वीप राज्यों की सुरक्षा, आतंकवाद रोधी मुद्दों, जलवायु परिवर्तन और महासागर अर्थव्यवस्था के अधिक से अधिक शोषण के प्रति दुनिया द्वारा अपेक्षित परिवर्तन के संदर्भ में प्रासंगिक है।
भारतीय डायस्पोरा भारत-न्यूजीलैंड की कहानी का एक और महत्वपूर्ण केंद्र है। न्यूजीलैंड में शिक्षा सुविधाएं भारतीय युवाओं के लिए काफी आकर्षण का केंद्र रही हैं। हम समझते हैं कि अपनी शिक्षा पूरी करने के बादवे अब न्यूजीलैंड के समाज और उसकी अर्थव्यवस्था में पूरा योगदान दे रहे हैं।
हमारे सामने एजेंडा काफी हद तक द्विपक्षीय है और मेरे सहयोगी संबंधित मुद्दों पर विस्तार से बात करेंगे। हमारा प्रयास होगा कि व्यापार संबंधी मामलों पर ठोस सुझाव दिए जाएं।
जहां तक भारत – प्रशांत क्षेत्र का संबंध है, हम विशेष रूप से आपसे आपके भौगोलिक दृष्टिकोण को जानना चाहते हैं कि आप उस क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग की बढ़ती हुई प्रमुखता और विकास को किस प्रकार देखते हैं। भारत – प्रशांत क्षेत्र भारत की प्राकृतिक विस्तारित पश्चभूमि है। निश्चित रूप से, यह अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमीतटों तक फैली हुई है। प्रशांत द्वीप समूह, फिलहाल, एक मध्य पारगमन बिंदु है। हालांकि, भारत के दीर्घकालीन आर्थिक और सामरिक दृष्टिकोण से, अमेरिका का पश्चिमी समुद्री बोर्ड भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
मैं समझता हूं कि द्विपक्षीय हित के अंटार्कटिका क्षेत्र से संबंधित मुद्दे पर हमारी पहले से ही कुछ बातचीत है। प्रो. चतुर्वेदी इस पर व्यापक चर्चा करेंगे। क्या वहां ऐसे अनुभव हैं जो आर्कटिक में हो रही प्रासंगिकता के हैं? इस पर आपके विचार भी हमारे लिए काफी रुचि के होंगे।
जहां तक आर्थिक पहलू का संबंध है, यद्यपि हमारे दोनों देशों के बीच एक संभावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का अपना आंतरिक महत्व है, यहां तक कि बिना एफटीए के भी, हम उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके अपने व्यापार और निवेश संबंधों में बहुत प्रगति कर सकते हैं जहां न केवल हम में से प्रत्येक को तुलनात्मक लाभ है, अपितु जहां तकनीकी प्रगति विशेष रूप से न्यूजीलैंड में उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए डेयरी प्रौद्योगिकी में आपकी ताकत और उन्नति सुविख्यात है और उसकी प्रशंसा भी की जाती है। क्या हम संयुक्त उद्यमों के माध्यम से इन तकनीकों को भारत में स्थानांतरित करने के तरीकों और साधनों पर विचार कर सकते हैं? क्या हमारे दोनों देशों के बीच शैक्षिक सहयोग हमारे संबंधों का और भी अधिक प्रमुख हिस्सा बन सकता है? इस बाद के संदर्भ में, न्यूजीलैंड की आव्रजन नीति में संभावित परिवर्तनों के बारे में रिपोर्ट एक चिंताजनक बात है।
हमारी आर्थिक साझेदारी के संदर्भ में, पहले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधान मंत्री मोदी की स्टॉकहोम की हाल की यात्रा विशेष रूप से प्रासंगिक है। आपने ध्यान दिया होगा कि उस शिखर सम्मेलन के दौरान सहयोग के जिन क्षेत्रों की पहचान की गई उनमें स्वच्छ तकनीकों, समुद्री समाधान, बंदरगाह आधुनिकीकरण, खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य, जीवन विज्ञान और कृषि में नॉर्डिक प्रगति से भारत को लाभ मिलना शामिल है।
मेरा यह भी मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की हाल की यात्रा के दौरान 17 अप्रैल 2018 को जारी भारत-स्वीडन इनोवेशन पार्टनरशिप पर संयुक्त घोषणा इसका एक उदाहरण है कि भारत और न्यूजीलैंड एक साथ क्या कर सकते हैं। मैं उस दस्तावेज़ की एक प्रति आपको सौंपना चाहता हूँ।
भारतीय नए गंतव्यों की तलाश में बड़ी संख्या में विदेश यात्रा कर रहे हैं और ऐसे संकेत हैं कि न्यूजीलैंड फिल्म निर्माण के लिए पसंदीदा स्थान बन सकता है। भारतीय पर्यटक बहुत आसानी से अपना धन व्यय करते हैं और यह पारस्परिक लाभ का एक और क्षेत्र हो सकता है।
मैंने न्यूजीलैंड में एक किफायती आवास कार्यक्रम के बारे में रिपोर्टें पढ़ी हैं जो मुझे विश्वास है कि कीवी बिल्ड के रूप में जाना जाता है। निस्संदेह,आप जानते हैं कि किफायती आवास और स्मार्ट सिटीज हमारे एजेंडे में भी है और यह एक अन्य ऐसा क्षेत्र है, जहां हम पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी विकसित करना चाहते हैं।
हमारे दोनों देशों के बीच एक उपयोगी रक्षा साझेदारी है। चूंकि समुद्री संपर्क और सुरक्षा और भारत-प्रशांत के मुख्य मुद्दे हैं , यह इसे आगे विकसित करने के तरीकों और साधनों पर ध्यान देने में सहायक हो सकता है। भारत की नौसेना तीव्र गति से विस्तार कर रही है और अधिकाधिक नीली जल क्षमताओं को प्राप्त कर रही है। आतंकवाद का सामना, छोटे द्वीप राज्यों और क्षेत्रों की सुरक्षा, ईईजेड की सुरक्षा, ओपन एसएलओसी आदि सहित समुद्री सुरक्षा के मुद्दों को ज्यादा समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
आप एपीईसी सदस्यता में भारत की रुचि से अवगत हैं। पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद महासागर में वर्तमान विकास को देखते हुए, यह समझना हमारे लिए उपयोगी होगा कि आप एपीईसी के भविष्य को कैसे देखते हैं। उस समूह की सदस्यता के प्रति हमारी रुचि कम नहीं हुई है।
न्यूजीलैंड कंप्रीहेंसिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांसपेसिफिक पार्टनरशिप (सीपीएटीपीपी) का एक सदस्य है। राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका को टीपीपी से अचानक वापस लेने के बाद टीपीपी के इस संशोधित संस्करण की आवश्यकता पड़ी। हालाँकि, उनका यह सुझाव कि संयुक्त राज्य अमेरिका संशोधित टीपीपी में शामिल हो सकता है, दिलचस्प आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों को पैदा करता है। हम यह जानना चाहते हैं कि न्यूजीलैंड अमेरिकी के हाल के रूस को कैसे देखता है और क्या, वास्तव में टीपीपी अपने मूल रूप में, कुछ संशोधनों के साथ, निकट भविष्य में एक वास्तविकता बन सकता है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कोई भी बच नहीं सकता है, चाहे कोई भी इसे वैज्ञानिक वास्तविकता मानता हो या नहीं। भारत परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जल-विद्युत, पवन ऊर्जा और भू-तापीय ऊर्जा सहित शमन और अनुकूलन दोनों के लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध है। क्या न्यूजीलैंड के पास ऐसी क्षमता है जिसे वह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में हमारे साथ साझा कर सकता है?
हमने फ्रांस के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की भी स्थापना की है। क्या न्यूजीलैंड की आईएसए और इसके सदस्य राज्यों के साथ काम करने में कोई रुचि है?
मैं जितना चाहता था उससे अधिक बोल चुका हूँ। अत: मैं, एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं। हम अपने बीच एक सार्थक बातचीत की आशा करते हैं और उम्मीद है कि हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को और विकसित करने और उनमें विविधता लाने के लिए ठोस सिफारिश कर सकें।
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