"भारत अफ्रीका सहयोग : क्षेत्रीय आर्थिक समुदाय की भूमिका"
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राजदूत राजीव के. भाटिया
महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए
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प्रारंभिक वक्तव्य स्प्रू हाउस, नई दिल्ली
21 अगस्त, 2014
अफ्रीका के क्षेत्रीय आर्थिक समुदायों के माननीय नेतागण और शिष्ट मंडल के सदस्यगण, महामहिमगण, अतिथिगण, देवियो और सज्जनो।
भारतीय विश्व मामले परिषद (आईसीडब्ल्यूए) की ओर से मुझे आप सभी का 'भारत-अफ्रीका सहयोग : क्षेत्रीय आर्थिक समुदायों की भूमिका' विषय पर इस संपर्क बैठक में स्वागत करते हुए हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। यह दूसरा अवसर है जब आईसीडब्ल्यूए अफ्रीका के क्षेत्रीय आर्थिक समुदायों (आरईसी) प्रतिनिधियों के साथ संपर्क कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। ऐसा पहला संपर्क 9 नवम्बर, 2011 में आयोजित किया गया था। यह संपर्क बैठक आगामी तीसरी भारत-अफ्रीका फोरम शिखर-सम्मेलन के संदर्भ में विशेष महत्व अर्जित करती है। इसका उद्देश्य अफ्रीकी आर्थिक प्रादेशिक समुदायों के साथ भारत के संबंधों की मौजूदा दिशा को समझना तथा भारत-अफ्रीका सहयोग में आगे और वृद्धि करने के लिए नए विचारों का सृजन करना है।
(राजदूत राजीव के. भाटिया, महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए, (मध्य में) अफ्रीका में प्रादेशिक आथ्रिक समुदायों के नेताओं के साथ)
- 2. भारत और अफ्रीका ऐतिहासिक सौहार्दपूर्ण संबंध संपोषित करते हैं जिन्होंने इनकी आशामान आर्थिक संभावनाओं जनसांख्यिकीय लाभ, लोकतंत्र की अभिलाषा, क्षेत्रीय एकीकरण के लिए इच्छा और वैश्विक मामलों में बढ़ती भूमिका के संदर्भ में अफ्रीका के प्रयासों के साथ एक नवीकृत महत्व अर्जित कर लिया है। ये कारक एक उल्लेखनीय वैश्विक देश के रूप में भारत के उदय के साथ संबंध रखते हैं जिसने अफ्रीका के विकास के लिए उसके भागीदार होने के प्रति सुदृढ़ रुचि प्रदर्शित की है।
- हाल के वर्षों में, भारत-अफ्रीका संबंधों में तेजी के साथ प्रगति हुई है, विशेष रूप से वर्ष 2008 में प्रथम भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के प्रारंभ होने के बाद। ऐतिहासिक आईएएफएस प्रक्रिया ने न केवल तीन स्तरों अर्थात् महाद्वीपीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय, पर सहयोग का एक सांस्थानिक ढांचा उपलब्ध कराया है, बल्कि एक व्यापक परिमाण में संबंधों में एक नवीन गति का संचार भी कर दिया है। इसने अनेकानेक क्षेत्रों में अफ्रीका के साथ भारत की भागीदारी में संवृद्धि करने के लिए एक खाका भी उपलब्ध कराया है। जिनमें आर्थिक सहयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक विकास, आर्थिक अवसंरचना, ऊर्जा और पर्यावरण भी शामिल है।
- भारत-अफ्रीका संबंधों की इस बहुआयामी और बहुस्तीय संरचना में अफ्रीका के क्षेत्रीय आर्थिक समुदाय (आरईसी) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अफ्रीका में अनेक आरईसी हैं, जिनमें से आठ को अफ्रीकी संघ द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। इनमें शामिल हैं, पूर्वी और मध्य अफ्रीकी राज्यों के लिए साझा बाजार (सीओएमईएसए) पूर्व अफ्रीकी समुदाय (ईएसी), मध्य अफ्रीकी राज्यों का आर्थिक समुदाय (ईसीसीएएस), अंतर्सरकारी विकास प्राधिकरण (आईजीएडी), दक्षिण अफ्रीका विकास समुदाय (एसएडीसी), पश्चिम अफ्रीका राज्य आर्थिक समुदाय (सीईएनएसएडी) तथा अरब मगरेब संघ (यूएसए)।
- ये आठ आरईसी, जो भारत-अफ्रीका भागीदारी संरचना का अभिन्न भाग हैं, अफ्रीका में उनके भौगोलिक क्षेत्रों में राजनीतिक स्थायित्व सुनिश्चित करने में प्रमुखकर्ताओं तथा आर्थिक एकीकरण के लिए प्रमुख निर्माणकर्ताओं के रूप में मान्यताप्राप्त हैं। एयू के प्रमुख क्रियान्वयन उपकरणों तथा अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में विकास एजेंटों के रूप में इनके पास अंतर-क्षेत्रीय व्यापार तथा सीमापार सामाजिक और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करने, हिंसक विवादों का निवारण और समाधान करने तथा नई और उभरती चुनौतियों का सामना करने की पर्याप्त क्षमता है जिससे आर्थिक कुशलता, जीवन-यापन के मानकों और जीवन की गुणवत्त्ता में सुधार तथा उनके अपने संबंधित क्षेत्रों के लोगों के लिए स्वतंत्रता और सामाजिक न्यास तथा शांति और सुरक्षा सुनिश्चित होगी। वे संवर्धित क्षेत्रीय एकीकरण और संपोषणीय विकास के माध्यम से इन लक्ष्यों की पूर्ति करने का कड़ा प्रयास कर रहे हैं।
- अपने अभियान में समुदायों ने कुछ सफलता हासिल की है। उन्होंने मानकों और नियमों को सरल बनाने तथा साझे बाजारों का गठन करने के लिए ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की है। वे संवर्धित अवसंरचना विकास तथा विशेष रूप से कृषि, खनन, तेल और गैस के क्षेत्रों में प्रसंस्करण सुविधाओं के विकास के माध्यम से माल और सेवाओं के बेहतर संचलन की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं। तथापि, इस सफलता के बावजूद वे सांस्थानिक और संसाधन संबंधित सीमाओं का निरंतर सामना कर रहे हैं। अत: वे बाहरी सहायता तथा पारस्परिक दृष्टि से स्वीकार्य आधार पर भागीदारियों पर विचार कर रहे हैं।
- भारत-अफ्रीकी विकास के क्षेत्रीय आयाम को पहचानता है और विभिन्न विकास पहलकदमों के माध्यम से अफ्रीका में प्रादेशिक एकीकरण प्रक्रिया को समर्थन देता है। यह आईईसी को क्षेत्रीय उत्प्रेरक मानता है तथा उनके साथ अपने संबंधों को गहन बनाने पर ध्यान-केन्द्रित कर रहा है। विभिन्न क्षेत्रीय संगठनों जैसे सीओएमईएसए, एसएडीसी, ईसीओडब्ल्यूएएस, ईएसी और आईजीएडी के साथ उल्लेखनीय प्रगति हासिल की गई है तथा कुछ अन्य संगठनों के साथ भी ऐसी ही प्रगति हासिल करने की अपेक्षा की जा रही है।
- भारत ने आईएएफएस प्रक्रिया के अंतर्गत क्षेत्रीय सहयोग पहलकदमों की एक व्यापक श्रृंखला प्रारंभ की है जिसके अंतर्गत क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, खाद्य और कृषि प्रसंस्करण के क्षेत्रों में उनकी विकासात्मक जरूरतों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। इन कार्यक्रमों में शामिल हैं - व्यवहार्यता अध्ययन, परामर्श, क्षेत्रीय पूंजी और स्टॉक बाजारों का विकास, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों की स्थापना पर प्रायोगिक परियोजनाएं, जल-विद्युत परियोजनाएं विकास के लिए आईसीटी तथा रेलवे नेटवर्कों के विस्तार के लिए संयुक्त परियोजनाएं।
- भारत इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए आईईसी के साथ निकट से कार्य कर रहा है जिन्हें भारत-अफ्रीकी फोरम शिखर सम्मेलन के ढांचे के अंतर्गत प्रारंभ किया गया है। जबकि भारत और अफ्रीकी आरईसी के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों में तेजी आ रही है, आरईसी में हमें इस संबंध में अफ्रीकी आरईसी के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों से उनके विचार सुनने की प्रतीक्षा है कि किस प्रकार हम साथ मिलकर कार्य करते हुए एक पारस्परिक लाभप्रद आधार पर हमारे संबंधों को निर्मित और सुदृढ़ कर सकते हैं।
- मुझे पूर्ण आशा है कि आज की गई हमारी वार्ताएं हमें एक-दूसरे के संदर्श का गहन समझ प्रदान करेंगी तथा सभी स्तरों पर अफ्रीका के साथ भारत के सहयोग में संवृद्धि करने के लिए नए विचारों का सृजन करेंगी।
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