द्वितीय इंडिया थिंक टैंक फोरम
में
राजदूत नलिन सूरी
महानिदेशक
भारतीय विश्व मामले परिषद
द्वारा
प्रारंभिक टिप्पणियां
बीजिंग, चीन
24 जून, 2017
मुझे और मेरे प्रतिनिधिमंडल को भारत-चीन थिंक टैंक फोरम की दूसरी बैठक के लिए बीजिंग में आकर बहुत खुशी हो रही है। यह दूसरी बैठक पिछले दिसंबर में नई दिल्ली में आयोजित सफल पहली बैठक की पृष्ठभूमि में हो रही है। उस अवसर का विषय था ‘चाइनाटुवर्ड्स अ क्लोज़र इंडिया-चाइना डेवलपमेंटल पार्टनरशिप ’। इस अवसर पर, हमारे पास एक विषय है जिसे और अधिक स्पष्ट किया गया है और हम भारत-चीन सामरिक सहयोग और विकास साझेदारी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे। मेरे विचार से पहला स्वाभाविक रूप से दूसरे पर निर्भर है।
हमें अपना जनादेश अपने दोनों प्राधिकारियों के बीच मई 2015 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन से मिलता है। इसका उद्देश्य क्षेत्र अध्ययन, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, रणनीतिक विचार और जनसांख्यिकी के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ाना है। इसके अलावा, हम यहां क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के समकालीन मुद्दों पर विचार-विमर्श करने वाले हैं।
दूसरे फोरम के लिए हमारा एजेंडा हमारे पास मौजूद जनादेश के अनुरूप है और हम रणनीतिक संचार से लेकर,कृषि में सहयोग, लोगों से लोगों के आदान-प्रदान, आईसीटी और नवाचार और हरित और सतत विकास,द्विपक्षीय व्यापार और निवेश सहयोग तक के क्षेत्रों को कवर करेंगे। इस एजेंडे के साथ न्याय करने के लिए, हमारे पास ग्यारह भारतीय थिंक टैंक और संस्थानों के सत्रह विशेषज्ञों / विद्वानों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल है। इन सभी विशेषज्ञों ने विशेषज्ञता के अपने संबंधित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसलिए, हमारी यह अपेक्षा है कि यहां पर विचारों का एक बहुत ही सार्थक आदान-प्रदान होगा।
यह दूसरा फोरम एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर अस्ताना में प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 09 जून 2017 को एक बहुत ही सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक बैठक की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है। हम इस संगठन की हमारी सदस्यता के लिए चीन के समर्थन की बहुत सराहना करते हैं। इसमें हमारा समावेश इसके उद्देश्यों को पूरा करने की क्षमता को मजबूत करने में मदद करेगा।
इस बात को दोहनाने की आवश्यकता है कि उनकी चर्चा के दौरान, हमारे दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि थिंक टैंक एक्सचेंज अधिक होने चाहिए। उनकी चर्चा, निश्चित रूप से अधिक व्यापक थी और इसमें व्यापार के मुद्दों पर सहयोग, निवेश के मुद्दे, संपर्क के कुछ मुद्दे, आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग, सुरक्षा सहयोग, रक्षा आदान-प्रदान, औद्योगिक पार्कों की स्थापना, रेलवे और संस्कृति में सहयोग शामिल थे।
हमारे नेता इस बात पर भी सहमत हुए कि वैश्विक अनिश्चितता, जटिलता और परिवर्तन के इस समय में,भारत-चीन संबंध स्थिरता के कारक हैं और हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया अधिक बहुध्रुवीय होती जा रही है। इसके लिए भारत और चीन को शांति, स्थिरता और उनके व्यापक विकास के अपने समान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी।
अपनी प्रारंभिक टिप्पणियां करते हुए राजदूत नलिन सूरी, महानिदेशक, भारतीय विश्व मामले परिषद
भारत और चीन दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। दोनों देश तेजी से विकास कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मामलों में इनके द्वारा काफी अधिक भूमिका निभाए जाने की उम्मीद है। हमारी विकासात्मक और सामाजिक समस्याएं बहुत समान हैं। हमारे पास कई कारण हैं कि हम अनावश्यक प्रतिस्पर्धा या प्रतिद्वंद्विता न करते हुए आपस में सहयोग करें। हमारे बीच मतभेद हैं। हालाँकि, यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि ये विवाद न बनें, बल्कि और अधिक सहयोग के अवसरों में परिवर्तित हो जाएं। हमारे नेताओं की राय है कि हमें एक-दूसरे की चिंता को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस साल के अंत में, चीन 19 वीं पार्टी कांग्रेस का आयोजन करेगा। यह न केवल चीन में हमारे दोस्तों के लिए बल्कि एशिया और सामान्य रूप से वैश्विक समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण घटना है। हम उस पार्टी कांग्रेस में लिए गए निर्णयों से यह समझने के लिए उत्सुक हैं कि चीन अगले पांच वर्षों में किस दिशा में आगे बढ़ेगा।
इस फोरम में प्रतिनिधित्व किए गए कई चीनी विचारकों ने निस्संदेह काफी योगदान दिया है, जो आखिरकार कांग्रेस द्वारा लिए गए निर्णयों के रूप में सामने आएंगे। भविष्य की चीनी नीतियों दोनों घरेलू, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय की दिशाओं के बारे में आपकी अपेक्षाएँ हमारे लिए बहुत रुचिकर और उपयोगी साबित होंगी।
पिछले महीने, चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी ने अपनी स्थापना की 40 वीं वर्षगांठ मनाई। चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमीको अब चीन के सबसे बड़े और यकीनन सबसे महत्वपूर्ण थिंक टैंक के रूप में दर्जा दिया गया है जिसमें छह शैक्षणिक प्रभाग और उनतीस संस्थान शामिल हैं जो दर्शन शास्त्र और सामाजिक विज्ञान के सभी प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देते हैं। अपनी 40 वीं वर्षगांठ पर हमारी बधाई स्वीकार करें। हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आने वाले वर्षों में, चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमीऔर अधिक सुदृढ़ होती जाएगी।
अपनी बात पूरी करने से पहले मैं चीन में अपने कार्यक्रम के लिए , अपने प्रवास के लिए और अपने आगमन के बाद से प्राप्त होने वाले अत्यंत गर्मजोशी भरे आतिथ्य हेतु किए गए इंतजामों के लिए चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमीको धन्यवाद देता हुं। हम एक उत्पादक वार्ता के लिए तत्पर हैं, जो हमारे द्विपक्षीय संबंधों के गहन, विकास और विविधीकरण में और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर हमारे सहयोग को और मजबूत बनाने में सार्थक योगदान देगी।
आर्थिक और भू-सामरिक संतुलन के गुरुत्वाकर्षण का केंद्र पश्चिम से पूर्व की ओर स्थानांतरित होता जा रहा है और 21 वीं सदी को एशियाई सदी बनाने के लिए , भारत और चीन के बीच सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
धन्यवाद