“दक्षिण अफ्रीका का अफ्रीकी एजेंडा:
अफ्रीका के विकास पर परिप्रेक्ष्य बदलना”
पर
पैनल चर्चा में
राजदूत राजीव के. भाटिया
महानिदेशक, आईसीडब्ल्युए
द्वारा
उद्घाटन वक्तव्य
सप्रू हाउस, नई दिल्ली में
03 नवंबर, 2014
दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के ह्यूमन सेटलमेंट मंत्री एच.ई. सुश्री लिंडवे सिसुलु, राजदूत शिव मुखर्जी, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व भारतीय उच्चायुक्त, डॉ. सचिन चतुर्वेदी, महानिदेशक, आरआईएस, प्रो. राजने हर्षे, पूर्व कुलपति, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और एच.ई. मोरुले, दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के उच्चायुक्त ने अतिथियों, महिलाओं और सज्जनों को सम्मानित किया ।
आई.सी.डब्ल्यु.ए. की ओर से दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के ह्यूमन सेटलमेंट मंत्री एच.ई. सुश्री लिंडवे सिसुलु का स्वागत करने में मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है और स्वयं को गौरवांवित महसूस कर रहा हूं । वर्ष 1994 के बाद से नेशनल असेंबली में संसद सदस्य, सुश्री सिसुलु दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक वॉल्टर की पुत्री हैं और अल्बर्टिना सिसुलु अपने आप में रंगभेद विरोधी अभियान का एक प्रतीक है ।
(बाएं से दाएं) : एच.ई. श्री एफ. के. मारु ले, दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के उच्चायुक्त, राजदूत शिव एस. मुखर्जी, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व उच्चायुक्त, एच.ई. सुश्री लिंडवे सिसुलु, दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के ह्यूमन सेटेलमेंट मंत्री,राजदूत राजीव के. भाटिया, महानिदेशक, आई.सी.डब्ल्यु.ए., प्रो.राजेन हर्षे, दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर और डॉ. सचिन चतुर्वेदी, महानिदेशक, विकसशील देशों हेतु अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आर.आई.एस.)
- यह पैनल चर्चा अफ्रीका के अफ्रीकी एजेंडे को प्रतिबिंबित करने के लिए आयोजित की गई है, जो अफ्रीका के विकास पर एक बदलते दृष्टिकोण को दर्शाता है । यह आई.सी.डब्ल्यु.ए की अफ्रीका के साथ बातचीत प्रक्रिया का हिस्सा है । आई.सी.डब्ल्यु.ए, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत-अफ्रीका के मुद्दों पर अफ्रीकी मामलों से संबंधित व्यापक स्पेक्ट्रम पर एक बातचीत और मैत्रीपूर्ण बहस में योगदान देने में बहुत सक्रिय रहा है।
- यह चर्चा पिछले दो दशकों में दक्षिण अफ्रीका की विदेश नीति के अलावा अफ्रीका की केंद्रीयता के संदर्भ में एक विशेष प्रमुखता प्राप्त करती है । इसका उद्देश्य अफ्रीका के विकासात्मक परिदृश्य और दक्षिण और दक्षिण अफ्रीका और भारत सहित अन्य उभरती शक्तियों की भूमिका का विश्लेक्षण करना है, जो पारस्परिक विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं ।
स्वागत अभ्युक्तियां देते हुए राजदूत राजीव के. भाटिया, महानिदेशक,आई.सी.डब्ल्यु.ए.
- भारत के लिए, अफ्रीका ने हमेशा अपनी विदेशी नीति वचनबद्धता में महत्वपूर्ण स्थिति का आनंद लिया है। इन वर्षों में, भारत ने अफ्रीका के साथ अपने विकास के अनुभवों को साझा किया है और ताकत के क्षेत्र में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है । अफ्रीका में एक विकास भागीदार के रूप में इसके आकर्षण को व्यापक रूप में स्वीकार किया गया है। भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन प्रक्रिया ने, विशेष रूप से, इस विकास सहयोग को एक नई गति प्रदान की है, जो परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से पारस्परिक लाभ की तलाश करता है ।
- भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों अफ्रीका में सकरात्मक विकास की भूमिका निभा रहे हैं । ऐतिहासिक रूप से भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सदियों से पुरानी बातचीत रही है । वे एक विशेष संबंध; एक संबंध का पोषण करते हैं, जो नस्लवाद और भेदभाव के विरूद्ध में नकली था । महात्मा गांधी, दोनों राष्ट्रों के बीच सबसे महत्पूर्ण और विकसित करने वाले संबंधों में से एक बने हुए हैं, और 21वीं सदी में दोनों देशों को प्रेरित करते रहते हैं । एक विशेष संबंध जनवरी, 2015 में एक असाधारण तरीके से मनाया जाएगा । अफ्रीका और भारत में विकास की साझेदारी और वितरण के वर्तमान परिदृश्य में, उनके विचार बहुत अधिक प्रासंगिक हैं ।
- दक्षिण अफ्रीका महाद्वीप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक नई विश्व व्यवस्था के मामले में वैश्विक आकांक्षाओं के साथ अफ्रीका में सबसे बड़ा निवेशक है, अफ्रीका को देखने में वास्तविक हितों और अधिक स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रतिस्पर्धी बन गया है । दक्षिण अफ्रीका ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों – यू.एन., अफ्रीकी संघ (ए.यू.), जी-20, ब्रिक्स और आई.बी.एस.ए. में नेतृत्व की भूमिकाएं निभाई हैं । इसने अफ्रीका की आवाज और मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए इन मार्गों का उपयोग किया है । दरअसल,‘अफ्रीकन एजेंडा’ दक्षिण अफ्रीकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है । हम विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप के लिए दक्षिण अफ्रीका के नीति एजेंडा को प्रतिबिंबित करना चाहते हैं । इसके अफ्रीका एजेंडे के ड्राइवर्स क्या है? क्या दक्षिण अफ्रीका पिछले 20 वर्षों में अफ्रीकी एजेंडा के घोषित लक्ष्यों को पूरा करने में सफल रहा है ? आगे क्या चुनौतियां हैं ? विशेष रूप से यह अफ्रीकी एकजुटता को बनाए रखने और एक क्षेत्रीय शक्ति और एक उभरते बाजार के रूप में खुद को अलग करने के बीच संतुलन कैसे करना चाहता है ?
- हमें उम्मीद है कि आज के विचार-विमर्श इन और अन्य संबंधित प्रश्नों के जवाब देंगे, और हमारी बातचीत आगे के अनुसंधान और अकादमिक आपसी संवाद(इंटरैक्शन) के लिए नए विचारों का निर्माण करेगी, जो पारस्परिक लाभ के लिए लाभान्वित हो सकते हैं ।
मुझे सुनने के लिए धन्यवाद ।
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