27 अगस्त, 2015 को आई.सी.डब्ल्यु.ए, सप्रू हाऊस
में
“ब्लू इकोनॉमी के लिए समुद्री सुरक्षा” विषय पर
एच.ई. जेम्स एलिक्स मिशेल सेशल्स गणराज्य के राष्ट्रपति
द्वारा
आयोजित 19वीं सप्रू हाउस व्याख्यान पर
प्रेस विज्ञप्ति
- भारतीय विश्व मामले परिषद (आई.सी.डब्ल्यु.ए.) ने 27 अगस्त, 2015 को सेशेल्स गणराज्य के राष्ट्रपति एच.ई. जेम्स एलिक्स मिशेल द्वारा “ब्लू इकोनॉमी के लिए समुदी सुरक्षा” विषय पर दिए गए व्याख्यान पर उन्नीसवें सप्रू हाउस व्याख्यान (एस.एच.एल.) की मेजबानी की । राष्ट्रपति के साथ उनके दो मंत्री – एच.ई. जोएल मॉर्गन(विदेश मामले और परिवहन मंत्री) तथा एच.ई. जीन-पॉल एडम(वित्त, व्यापार और ब्लू इकोनॉमी मंत्री) भी थे । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राजदूत नलिन सूरी, महानिदेशक,आई.सी.डब्ल्यु.ए. ने की ।
- सेशेल्स के राष्ट्रपति और उनके दोनों मत्रियों का स्वागत करते हुए राजदूत सूरी ने कहा कि ब्लू इकोनॉमी भारत और विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है । उन्होंने आई.सी.डब्ल्यु.ए. के शानदार अतीत के बारे में संक्षेप में बात की । उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा सेशेल्स को हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार माना है। दोनों देशों के लिए सुरक्षा साझेदारी मजबूत और फायदेमंद है । इस वर्ष मार्च में भारत के प्रधानमंत्री की द्वीप राष्ट्र की यात्रा के बाद एच.ई. एलिक्स की वापसी यात्रा ने अधिक महत्व ओर नम्रता प्राप्त कर ली है । प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सेशेल्स यात्रा के दौरान रेखांकित किया था कि महासागर अर्थव्यवस्था भविष्य की चूनौतियों को पूरा करने के लिए अपरिहार्य है । महानिदेशक ने आगे कहा कि समुद्री अर्थव्यवस्था और संसाधनों पर विकासशील सहयोग न केवल पारस्परिक रूप से उत्पादक होगा, बल्कि पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र को भी लाभान्वित करेगा; एक क्षेत्र जो भारत की भावी योजनाओं और कार्यक्रमों में तेजी से आगे बढ़ता है ।
- 19वें एस.एच.एल. राष्ट्रपति मिशेल ने कहा कि भारत और सेशेल्स हिंद महासागर में दो पड़ोसी देश हैं । वे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और साझा हितों का आदान-प्रदान करते हैं । राष्ट्रपति ने समुद्री खतरों के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और सेशेल्स दोनों देशों को समुद्री डकैती जैसे उभरते खतरों के बारे में सतर्क रहना होगा । दोनों देशों को मिलकर इन चुनौतियों का समाधान करना होगा । उन्होंने कहा कि सेशेल्स सभी प्रकार के अपराधिक अपराधों के खिलाफ भारत के साथ निर्णायक कार्रवाई जारी रखेगा । ब्लू इकोनॉमी के महत्व के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा- आज ब्लू इकोनॉमी अंतरराष्ट्रीय एजेंडे पर बहस और कार्रवाई की एक महत्वपूर्ण घटक है । यह हिंद महासागर कमीशन और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन के आर्थिक एजेंडे के केंद्र में है । यह अफ्रीकी संघ के एजेंडा 2063 के साथ-साथ संगठन के एकीकृत समुद्री रणनीति का एक अभिन्न अंग है । यह पोस्ट 2015 डेवेलपमेंट एजेंडा के नए संयुक्त राष्ट्र के विकास के स्थायी लक्ष्यों का एक प्रमुख तत्व भी है । उन्होंने ब्लू इकोनॉमी के क्षेत्र में भारत और सेशेल्स के बीच समझौते पर हस्ताक्षर करने का भी उल्लेख किया, जो दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगा ।
- राष्ट्रपति के बाद, एच.ई. जोएल मॉर्गन ने भारत-सेशेल्स संबंध और ब्लू इकोनॉमी पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया । मंत्री ने भारत और सेशेल्स के ऐतिहासिक संबंधों के साथ शुरूआत की । उन्होंने कहा कि वर्तमान में सेशेल्स समुद्री डकैती ओर जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है । भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च, 2015 में अपनी सेशेल्स यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में जैसे अनुसंधान, नेविगेशन, समुद्री सुरक्षा और क्षमता निर्माण पर सुरक्षा संबंधी संधियों और समझौता ज्ञापनों(एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जो आर्थिक विकास के लिए बुनियादी आवश्यकताएं हैं । इसके बाद उन्होंने सोमालिया में समुद्री डकैती से संबंधित खतरों का जिक्र करते हुए कहा कि इसका सेशेल्स ओर क्षेत्र के अन्य पड़ोसी देशों पर प्रभाव है । उसके अनुसार समुदी डकैती के बढ़ते मामलों का कारण पड़ोसी देशों के बीच समुद्री सहयोग का अभाव है । समूद्री डाकू अपने कृत्यों (ऑपरेशन) को अंजाम देने के लिए कमजोर संस्थानों तथा देशों के बीच असहयोग का लाभ उठाते हैं । उन्होंने खतरे के खिलाफ लड़ने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाने पर जोर दिया । उन्होंने भारत के योगदान पर कहा कि भारत ने पहले से ही एक डोर्नियर विमान प्रदान किया है और सेशेल्स के लिए एक और विमान सौंपने (डिलीवरी) का वादा किया है । सेशेल्स ने हिंद महासागर त्रिपक्षीय सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनने हेतु एक निमंत्रण भी स्वीकार किया है, जिसमें भारत, श्रीलंका और मालदीव भी शामिल हैं । सुरक्षा के अतिरिक्त भारत और सेशेल्स प्रौद्योगिकी सहयोग में लगे हुए हैं । ब्लू इकोनॉमी का उद्देश्य महासागरों का डिग्रेडिंग किए बिना आर्थिक लाभ को अधिकतम करना है ।
- एच.ई. जीन-पॉल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का विश्व के लिए योग उपहार है । भौगोलिक रूप से सेशेल्स में 1 प्रतिशत भूमि और 99 प्रतिशत महासागर है । इस भौगोलिक क्षेत्र में 90,000 हजार जनसंख्या निवास करती है । मंत्री जी ने ब्लू इकोनॉमी पर कहा कि समुद्री सुरक्षा के बिना इसे प्राप्त करना संभव नहीं है । ब्लू इकोनॉमी को रिसर्च और इनोवेशन की भी आवश्यकता है, जिसमें भारत एक हब है और जो सेशेल्स की सहायता कर सकता है । उन्होंने अपने देश के बारे में कहा कि इसका 30% क्षेत्र विशेष आर्थिक क्षेत्र(ईईजेड) समुद्री जीवन के संरक्षण तथा सुरक्षा के लिए है । सेशेल्स के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मछली पालन का दूसरा सबसे बड़ा योगदान है। हालांकि, उन्होंने एक्स्ट्रेक्टिव फिशिंग के खिलाफ सावधान भी किया है । उन्होंने ब्लू इकोनॉमी के वित्तपोषण पर स्थायी वित्त सहित निवेश कोष की स्थापना का उल्लेख किया । उन्होंने ब्लू बॉन्ड और ऋण बाजार में निवेश की भी बात कही ।
- तीन वक्ताओं के वक्तव्य के बाद एक संक्षिप्त प्रश्न और उत्तर सत्र आयोजित किया गया था । मालदीव में चीन की बढ़ती व्यस्तता और हिंद महासागर क्षेत्र में इसके भू-रणनीति; अंतरराष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण(आईएसए) के तहत खनिज अन्वेषण में सेशेल्स की भूमिका; जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और; हिंद महासागर रिम एसोसिएशन में सेशेल्स की भूमिका पर प्रश्न पूछे गए । मंत्रियों ने चीन के मुद्दे पर कहा कि भारत और चीन दोनों सेशेल्स के महत्वपूर्ण साझेदार हैं और उनके लिए शांति और स्थिरता सर्वोपरि है । उन्होंने कहा कि सेशेल्स आईएसए का सदस्य नहीं है, लेकिन इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग ओर विनियमन को बढ़ाता है । द्वीप देश को ब्लू इकोनॉमी में भारतीय निवेश की आवश्यकता है और उसने ब्लू बॉन्ड को बाजार में उतारने की योजना बनाई है । मंत्रियों ने कहा कि विस्तारित ईईजेड के प्रबंधन के लिए एक विशेष प्राधिकरण है और कहा कि सेशेल्स हाइड्रोग्राफी और भूकंप सर्वेक्षण में देश की सहायता हेतु भारत से सहयोग चाहता है ।
(तैयारकर्ता : डॉ. अमित रंजन, अध्येता, भारतीय विश्व मामले परिषद)
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