'हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा: एक सहकारी सतत, समृद्ध और शांतिपूर्ण क्षेत्र की ओर' विषय पर आईसीडब्ल्यूए पैनल चर्चा में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की संयुक्त सचिव (इंडो-पैसिफिक) परमिता त्रिपाठी की विशेष टिप्पणियाँ। IORA दिवस, 7 मार्च 2024
महानिदेशक आईसीडब्ल्यूए, राजदूत विजय ठाकुर सिंह,
पैनल के विशिष्ट सदस्य,
देवियों और सज्जनों
नमस्कार
शुभ दोपहर।
आज हम सब यहाँ आईओआरए दिवस के अवसर पर एकत्र हुए हैं जो 1997 में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन या आईओआरए की स्थापना का जश्न है। आईओआरए के संस्थापक सदस्य के रूप में यह भारत के लिए एवं इसके अन्य 22 सदस्य देशों और 12 संवाद भागीदारों, जो आईओआरए समुदाय का हिस्सा है, के लिए भी महत्वपूर्ण दिन है।
मैं, आईओआरए दिवस के अवसर पर न केवल भारत के लिए बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र के लिए बहुत प्रासंगिक विषय पर इस चर्चा का आयोजन करने हेतु भारतीय वैश्विक परिषद और विशेष रूप से महानिदेशक राजदूत विजय ठाकुर सिंह को धन्यवाद देता हूँ। जैसा कि आप में से बहुत से लोग जानते होंगे, आईओआरए से संबंधित मामलों के लिए हमारा नॉलेज पार्टनर (ज्ञान भागीदार) होने में आईसीडब्ल्यूए विशेष स्थान रखता है।
आईओआरए के अस्तित्व में आने के इन 27 वर्षों में, भारत क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने और सतत विकास के प्राथमिक उद्देश्य को आगे बढ़ाने, हिंद महासागर समुदाय में एक प्रमुख देश के रूप में उभरने के लिए आईओआरए के साथ रचनात्मक एवं गंभीरता से जुड़ा हुआ है।
वर्ष 2011- 2013 की अवधि के दौरान भारत की एसोसिएशन की अध्यक्षता में, आईओआरए के कार्यक्षेत्र को सुव्यवस्थित किया गया और नया फोकस प्रदान किया गया। आईओआरए में ऊर्जा और प्रयासों को दिशा देने के लिए प्राथमिकता के छह क्षेत्रों की पहचान की गई। प्राथमिकता वाले छह क्षेत्र इस प्रकार हैं:
इसके बाद, ऑस्ट्रेलिया के कार्यकाल के दौरान दो और क्रॉस कटिंग क्षेत्र– ब्लू इकॉनमी और महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, को शामिल किया गया।
हमने पिछले साल अक्टूबर में 2 वर्षों के लिए उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी जिसके बाद 2025-27 में हमारी अध्यक्षता होगी। उपाध्यक्ष और भावी अध्यक्ष के रूप में, भारत की प्राथमिकताओं को अक्टूबर 2023 में आयोजित मंत्रिपरिषद की पिछली बैठक के दौरान माननीय विदेश मंत्री द्वारा स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है और मैं उद्धृत करता हूँ, “ऐसे हिंद महासागर समुदाय को विकसित करना जो स्थिर, समृद्ध, सशक्त और लचीला हो और जो समुद्र में घनिष्ठता के साथ सहयोग करने और समुद्र के बाहर होने वाली घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो”।
विदेश मंत्री द्वारा बताई गई भारत की प्राथमिकताएं आज के विषय से मेल खाती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंद महासागर क्षेत्र की समृद्धि और भलाई सुरक्षा के साथ और अधिक महत्वपूर्ण रूप से, हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के साथ, बहुत गहराई से जुड़ी हुई है।
आज, मैं इस बारे में अपने विचार साझा करना चाहता हूँ कि कैसे हम सामूहिक रूप से एक सहकारी, स्थायी, समृद्ध और शांतिपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र की ओर बढ़ सकते हैं।
सबसे पहले हिंद महासागर के महत्व की सराहना करना है जो एशिया के पुनरुत्थान और वैश्विक पुनर्संतुलन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह व्यापार का समर्थन कर और आजीविका बनाए रख कर क्षेत्र के विकास एवं समृद्धि में अहम भूमिका निभाता है। क्षेत्र के राष्ट्र साझा हितों एवं आम चुनौतियों से जुड़े हुए हैं। एक सहयोगी, स्थायी, समृद्ध और शांतिपूर्ण क्षेत्र की आवश्यकता सिर्फ एक आकांक्षा नहीं है, यह हमारी सामूहिक भलाई की एक आवश्यकता है।
दूसरा यह स्वीकार करना है कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए सहयोग महत्वपूर्ण है। आईओआरए ने अपनी स्थापना के बाद से ही क्षेत्रीय सहयोग का लक्ष्य रखा है। क्षेत्र में समुद्री डकैती, आईयूयू मछली पकड़ना और समुद्री आतंकवाद जैसी समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों, साझा खुफिया जानकारी और समन्वित गश्त की आवश्यकता है। इस दिशा में, हमारे प्रधानमंत्री द्वारा घोषित सभी के लिए सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण के आधार पर, भारत ने सुरक्षा और सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में क्षमता निर्माण में योगदान दिया है। भारत इस क्षेत्र में प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता और शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में उभरा है।
तीसरा, एक सतत दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। सतत विकास कोई विकल्प नहीं है; यह महासागर के प्रति एक दायित्व है जो हमें संसाधन, कनेक्टिविटी और आजीविका प्रदान करता है। आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता वाली ब्लू इकोनॉमी का जिम्मेदारी से उपयोग किया जाना चाहिए।
चौथा, हमारा ज़ोर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर है। कनेक्टिविटी क्षेत्रीय आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए एक समर्थकारी और बल गुणक है। आर्थिक साझेदारियों को बढ़ावा देकर, समुद्री बुनियादी ढांचे में निवेश करके और व्यापार को सुव्यवस्थित करके, हम हिंद महासागर क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं।
पांचवां महत्वपूर्ण तत्व विवादों का शांतिपूर्ण समाधान और बातचीत है। आज विश्व जिस जटिल भू– राजनीतिक परिदृश्य में है, उसमें हिंद महासागर क्षेत्र को शांतिपूर्ण सह– अस्तित्व का एक उदाहरण बनना चाहिए। संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के साथ एक बहुपक्षीय नियम– आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था एक सशक्त हिंद महासागर समुदाय के लिए आधार बनी हुई है। समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र समझौता (यूएनसीएलओएस), समुद्र के संविधान के आधार पर हिंद महासागर को एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी स्थान के रूप में बनाए रखना अनिवार्य है।
छठा तत्व जो स्थायी शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, वह है लोगों– से– लोगों का संबंध (पीपल– टू– पीपल टाईज़)। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंद महासागर क्षेत्र में व्यापार और वाणिज्य के माध्यम से लोगों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान– प्रदान एवं अधिक संपर्क से अधिक समझ एवं सद्भावना पैदा होगी जो समस्याओं को दूर कर सकती है, कड़ी का निर्माण कर सकती है और समुदाय की भावना को बढ़ावा दे सकती है।
अंत में, मैं दोहराना चाहूँगा कि हिंद महासागर क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है और इस प्रयास में आईओआरए के पास हिंद महासागर क्षेत्र के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रों को एक साथ लाने की जिम्मेदारी और क्षमता है। सहयोग, सतत विकास, शांति और समृद्धि द्वारा चिन्हित स्थान।
मैं एक बार फिर आईसीडब्ल्यूए और राजदूत विजय ठाकुर सिंह महोदया को आईओआरए दिवस के उपलक्ष्य में इस संस्मारक कार्यक्रम के आयोजन हेतु धन्यवाद देता हूँ और पैनल के प्रतिष्ठित सदस्यों को उनकी भागीदारी के लिए भी धन्यवाद देता हूँ। मैं अधिक– से– अधिक विद्वानों और विशेषज्ञों से हिंद महासागर क्षेत्र एवं आईओआरए पर काम करने का आग्रह करूँगा ताकि इस क्षेत्र के महत्व और क्षेत्र में मौजूद अवसरों एवं चुनौतियों के बारे में जागरूकता पैदा हो और इस पर चर्चा हो सके। आईओआरए और हिंद महासागर क्षेत्र के संबंध में और अधिक लेखों का लिखा जाना, संवादों का होना और नीतिगत अनुशंसाएं देना भी उपयोगी होगा क्योंकि हम अगले वर्ष आईओआरए की अध्यक्षता संभालने को उत्सुक हैं।
धन्यवाद। मैं एक सार्थक पैनल चर्चा की प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
*****