राजदूत विजय ठाकुर सिंह, महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए
राजदूत वीरेंद्र गुप्ता,
राजदूत अनिल त्रिगुणायत,
प्रोफेसर बिनोद खदरिया
श्री सुशील पंडित
महानुभावों, देवियों और सज्जनों,
नमस्कार!
1. सबसे पहले, मैं 8-10 जनवरी 2023 को इंदौर में आयोजित होने वाले 17वें प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन के लिए भारतीय वैश्विक परिषद् (आईसीडब्ल्यूए) को, इस अवसर पर, धन्यवाद देता हूं। मुझे लगता है कि यह इस वर्ष आईसीडब्ल्यूए द्वारा आयोजित किया जाने वाला पहला कार्यक्रम है और यह सेंटर फ़ॉर माइग्रेशन, मोबिलिटी एंड डायस्पोरा स्टडीज़ द्वारा आयोजित पहला कार्यक्रम भी है, जिसे पहले के इंडिया सेंटर फ़ॉर इमिग्रेशन (आईसीएम) को, हाल ही में मिलाकर आईसीडब्ल्यूए के अधीन एक वर्टिकल के रूप में बनाया गया है।
2. 2003 में अपनी स्थापना के बाद से, प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ अपने संबंधों को कनेक्ट करने और मजबूत करने के लिए पीबीडी हमारे लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण मंच बन गया। 17वें पीबीडी में, हम न केवल उनके योगदान का जश्न मनाने की योजना बना रहे हैं बल्कि इस तथ्य पर भी विचार कर रहे हैं कि आज हम इतिहास के जिस मुहाने पर खड़े हैं, हमने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं और आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया है और अमृत काल में प्रवेश किया है और इस प्रतीक्षा में हैं कि अपने अमूल्य साथी के रूप में प्रवासी भारतीयों के साथ हम अपने देश के रूपांतरण का मार्ग कैसे प्रशस्त कर सकते हैं।
3. जैसा कि हम जानते हैं, विदेशों में रहने वाली भारतीय आबादी दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना प्रवासी समुदाय है। हमारे प्रबल प्रवासी 32 मिलियन हैं जिसमें लगभग 68 मिलियन भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) और 13.45 मिलियन अनिवासी भारतीय (NRI) हैं, जिनमें खाड़ी देशों के लगभग 8.75 मिलियन शामिल हैं।
4. भारतीय प्रवासी भारतीय कैरेबियन द्वीप समूह से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और यूरोप तक 210 देशों में फैला हुआ है। सेशेल्स में, भारतीय सबसे पहले बसे हैं।
5. समय के बीतने के साथ, हमारे प्रवासी एक गतिशील और शक्तिशाली इकाई के रूप में उभरे हैं जो अपने कौशल, कड़ी मेहनत, कानून का पालन करने वाले स्वभाव और दृढ़ता के लिए पहचाने जाते हैं। वे दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और विरासत तथा पारंपरिक भारतीय ज्ञान के प्रभावी प्रसार में योगदान करते हुए भारत की सॉफ्ट पावर कूटनीति के एक महत्वपूर्ण घटक रहे हैं।
6. भारतीय प्रवासी भी अपनी दत्तक भूमि में राजनीतिक प्रभाव प्राप्त कर रहे हैं जैसा कि कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों सहित भारतीय मूल के सांसदों की बढ़ती संख्या में दिखाई दे रहा है। 20 से अधिक देशों में संसद के 140 से अधिक मौजूदा सदस्य और महापौर भारतीय प्रवासी भारतीय से संबंधित हैं। कम से कम 7 देशों में राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री हैं (यूके, आयरलैंड, पुर्तगाल मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम और सेशेल्स) जिनकी जड़ें भारत से जुड़ी रही हैं। यह वैश्विक मामलों में भारत की बढ़ती प्रमुखता के साथ बहुत अच्छी तरह से सही बैठता है और इन देशों के साथ भारत के संबंधों को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
7. हमारे प्रवासी भारतीय न केवल अपने चुने हुए देश में विकास को बढ़ावा देने में बल्कि भारत के विकास में भी सहायक रहे हैं। यह भारत के लिए व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रेषण, सामाजिक पूंजी, सामरिक समर्थन और सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से कई तरीकों से किया गया है।
8. मात्र प्रेषण का उदाहरण देखें, महामारी के चरम पर भी, भारत वित्त वर्ष 2020-21 में USD 87 बिलियन के साथ विदेशों से प्रेषण का सर्वोच्च प्राप्तकर्ता बना रहा, जो न केवल मौद्रिक प्रवाह बल्कि हमारे लोगों के लचीलेपन का संकेत देता है। गौरतलब है कि कामगार वर्ग ने कुल प्रेषण में से US$ 54.42 का योगदान दिया।
9. विदेशों में रहने वाले भारतीय उच्च और निम्न-कुशल दोनों व्यवसायों में लगे हुए हैं और उन्हें व्यापक पहचान मिली है। उनकी बौद्धिक पूंजी और नेतृत्व क्षमता वैश्विक उद्यमों का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने वाले भारतीय मूल के सीईओ’ज़ की बढ़ते हुए ट्रेंड में स्पष्ट है।
10. भारत प्रवासी भारतीयों के साथ अपने बंधन को मजबूत करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध है क्योंकि हम प्रवासी भारतीयों को अपनी विदेश नीति में एक 'जीवित सेतु' और भारत के लिए एक व्यवहार्य संसाधन मानते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय प्रवासी भारतीय के साथ हमारा जुड़ाव और आउटरीच कई गुना बढ़ गई है। प्रवासी भारतीय के साथ हमारे जुड़ाव का वर्णन इस सूत्र वाक्य से किया जाता है 4 सी’ज़ - केयर, कनेक्ट, सेलिब्रेट और कंट्रीब्यूट (4Cs — Care, Connect, Celebrate and Contribute)।
देवियों और सज्जनों,
11. हम हर दो वर्ष में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन करके और प्रवासी भारतीय सम्मान अवार्ड्स प्रदान करके अपने प्रवासी भारतीयों के साथ जश्न मनाते हैं। वास्तव में, पीबीडी न केवल प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ हमारे समृद्ध संबंधों का उत्सव है, बल्कि अपने प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़े रहने के लिए हमारे द्वारा प्रदान किए गए मान की अभिव्यक्ति भी है। पीबीडी शायद दुनिया में कहीं भी प्रवासी भारतीय के लिए अपनी तरह का सबसे बड़ा समागम है।
12. यह विचारों और आकांक्षाओं का दोतरफा आदान-प्रदान है और हमारे प्रवासी भारतीय को, उन कई तरीकों से प्रत्यक्ष रूप से साक्षी बनने में सक्षम बनाता है जो उनकी मातृभूमि प्रगति की दिशा में असाधारण कदम उठा रही है। यह उनके लिए जुड़ने और इस यात्रा का हिस्सा बनने का अवसर है और निमंत्रण भी है।
13. 17वां प्रवासी भारतीय दिवस 8-10 जनवरी को इंदौर, मध्य प्रदेश में आयोजित किया जाएगा जो कि भागीदार राज्य है। पीबीडी सम्मेलन का आयोजन 4 वर्ष के अंतराल के बाद भौतिक रूप में किया जा रहा है। ‘अमृत काल’ में यह पहला सम्मेलन भी होगा।
14. हमारा मानना है कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर हमारा राष्ट्र अग्रसर है, हमारे प्रवासी, राष्ट्रीय विकास एजेंडा में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसीलिए 17वें प्रवासी भारतीय दिवस का विषय "प्रवासी: अमृत काल में भारत की प्रगति के लिए विश्वसनीय भागीदार" के रूप में उपयुक्त रूप से चुना गया है।
15. हमारा इरादा प्रवासी भारतीय द्वारा आगे की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के नए तरीकों पर विचार-विमर्श करने का है, विशेष रूप से जनसांख्यिकीय बदलाव, तकनीकी नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के व्यापक प्रसार, दूरस्थ कार्य संचालन, जेण्डर मेनस्ट्रीमिंग, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण और कई गंतव्य देशों की पॉलिसी लैण्डस्केप में परिवर्तन के कारण उभरते हुए बदलावों को देखते हुए यह भारत की विकास गाथा को अतिरिक्त गति प्रदान करेगा।
16. हम युवा, स्वास्थ्य सेवा, सॉफ्ट पावर, भारतीय कार्यबल और महिलाएं विषयों पर पीबीडी में पांच पूर्ण सत्र आयोजित करेंगे। इनमें से चार सत्रों की अध्यक्षता एक कैबिनेट मंत्री करेंगे और पैनल के सदस्य जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से चुने गए हैं।
17. इसके अतिरिक्त, हम अपने भारतीय समुदाय के साथ G20 अध्यक्षता के दौरान भारत की प्राथमिकताओं को भी साझा करना चाहते हैं। हमने G20 पर एक टाउन हॉल योजना बनयी है, जहां G20 शेरपा और साथ ही G20 समन्वयक उपस्थित होंगे।
18. प्रवासी भारतीय दिवस को युवाओं सहित प्रवासी भारतीयों से हमें जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिली है। हमें अब तक 66 विभिन्न देशों से 3500 से अधिक पंजीकरण प्राप्त हुए हैं।
19. 8 जनवरी को होने वाले युवा पीबीडी में भाग लेने के लिए 63वें और 64वें ‘नो इंडिया प्रोग्राम’ (केआईपी) के 80 प्रतिभागियों को आमंत्रित किया गया है।
20. आगे जाकर:
21. मुझे विश्वास है कि आज की चर्चा, सम्बद्ध क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा दृष्टिकोण और अनुभवों को साझा करके हमारे प्रवासी भारतीय के साथ सहजीवी और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध बनाने की दिशा में हमें मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी। मुझे इस पैनल चर्चा की अध्यक्षता करते हुए खुशी हो रही है और मैं आपके विचार जानने के लिए उत्सुक हूं।
धन्यवाद।
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