संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत के आठवें दो वर्षीय कार्यकाल में, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा में भारत’ की आईसीडब्ल्यूए श्रृंखला में तेरहवां विश्लेषण निम्नवत् है: संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत अशोक कुमार मुखर्जी द्वारा मासिक पुनर्कथन
नॉर्वे ने जनवरी 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अध्यक्षता की। क्षेत्रीय समूहों से चुने गए पांच सदस्य - पश्चिम से अल्बानिया (डब्ल्यूईओजी), जीआरयूएलएसी से ब्राजील से, गैबॉन तथा अफ्रीका से घाना और अरब समूह का प्रतिनिधित्व करने वाला संयुक्त अरब अमीरात - इस महीने से शुरू होने वाले दो वर्षीय कार्यकाल हेतु यूएनएससी में शामिल हुए, जिन्हें एशिया-प्रशांत तथा अफ्रीका समूहों द्वारा हर वैकल्पिक वर्ष में यूएनएससी में जगह दी है, जो अपनी एक सीट उन्हें देते हैं।
यूएनएससी के एजेंडे में नॉर्वे की घोषित प्राथमिकताएं महिलाएं, शांति व सुरक्षा तथा शहरी संघर्ष की स्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा थीं। नॉर्वे ने यह भी फैसला किया कि महीने के दौरान मध्य पूर्व पर यूएनएससी की नियमित बहस की अध्यक्षता "लंबे समय तक चलने वाले इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष पर अधिक ध्यान आकर्षित करने" हेतु उसके विदेश मंत्री द्वारा की जाएगी।
महीने के दौरान दो यूएनएससी प्रस्तावों (लीबिया तथा साइप्रस पर) को अपनाया गया। चार यूएनएससी प्रेस वक्तव्य (यमन, संयुक्त अरब अमीरात, इराक तथा कोलंबिया में आतंकवादी कृत्यों पर) यूएनएससी द्वारा जारी किए गए थे।
एशियाई मुद्दे
अफगानिस्तान : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 26 जनवरी को यूएनएससी को बताया कि अफगानिस्तान दो दशकों में सबसे बड़े सूखे का सामना कर रहा है, जिससे 90 लाख लोग अकाल की स्थिति में पहुंच गए हैं। 80 प्रतिशत से अधिक आबादी को दूषित पेयजल का इस्तेमाल करना पड़ा, तथा कुछ परिवार भोजन खरीदने हेतु अपने बच्चों को बेचने हेतु मजबूर हो गए। अर्थव्यवस्था की विफलता ने मानवाधिकारों, विशेषकर महिलाओं तथा लड़कियों के अधिकारों को प्रभावित किया, जबकि आतंकवाद न केवल अफगानिस्तान की सुरक्षा हेतु, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी एक खतरा बना हुआ रहा। उन्होंने वित्तीय संस्थानों तथा व्यापारिक भागीदारों को कानूनी सुरक्षा देने हेतु अफगानिस्तान पर लगे प्रतिबंधों को निलंबित करने का आह्वान किया, जिससे वे मानवीय सहायता पहुंचाने वाले व्यक्तियों के साथ काम कर सकें। उनकी आगामी रिपोर्ट सुरक्षा, प्रगति तथा मानवाधिकारों का समर्थन करने हेतु "अफगानिस्तान हेतु एक संयुक्त राष्ट्र संक्रमणकालीन संबद्धता की रूपरेखा" का प्रस्ताव करेगी। संयुक्त राष्ट्र की टीमें यह सुनिश्चित करेंगी कि धन जरूरतमंद अफगानी लोगों पर पहुंचे तथा यह डायवर्ट हो पाए।
महासचिव के विशेष प्रतिनिधि तथा अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की प्रमुख डेबोरा लियोन (कनाडा के) ने अफगानिस्तान में मौजूदा चुनौती से निपटने हेतु तीन चरणों का सुझाव दिया। पहला, तालिबान को राष्ट्रीय सुलह पर लंबे समय से लंबित व्यापक वार्ता शुरू करनी चाहिए। दूसरा, शासी संरचनाओं में अधिक से अधिक जातीय समावेशन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। तीसरा, महिलाओं तथा बच्चों सहित मौलिक अधिकारों को बरकरार रखा जाना चाहिए। उन्होंने अगस्त 2021 के बाद क्षेत्रीय देशों के सतर्क, रचनात्मक दृष्टिकोण की सराहना की, तथा दिसंबर 2021 में पाकिस्तान द्वारा आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक पर प्रकाश डाला।
बैठक की अध्यक्षता करने वाले नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर ने हाल ही में ओस्लो में एक उच्च स्तरीय तालिबानी प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करने की नॉर्वे की पहल पर जानकारी दी, जिसका उद्देश्य अफगान नागरिक समाज के गैर-तालिबान महिलाओं तथा पुरुषों को भावी उपायों पर बातचीत में तालिबान को शामिल करना था। उन्होंने बल देकर कहा कि नॉर्वे की पहल से वास्तविक प्रशासन पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिलती है। उन्होंने यूएनएससी से तालिबान के साथ जुड़ने हेतु यूएनएएमए को व्यापक व मजबूत जनादेश प्रदान करने; मानवाधिकार की स्थिति की निगरानी व रिपोर्ट करने; तथा मानवीय सहायता व मदद पहुंचाने की सुविधा प्रदान करने की बात कही।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने हेतु उठाए गए कदमों की जानकारी दी कि प्रतिबंधों से मानवीय सहायता में बाधा नहीं आई है, तालिबान से सुरक्षित, मुक्त, निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने, सहायता कर्मियों की मुक्त आवाजाही तथा सभी कमजोर व्यक्तियों को सहायता का प्रावधान, पहचान की परवाह किए बिना सुनिश्चित करने का आह्वान किया। इसमें कहा गया है कि तालिबान को आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धताओं तथा मानवाधिकारों के प्रति निष्ठा दिखानी चाहिए, विशेषतः महिलाओं तथा लड़कियों के मानवाधिकारों के लिए।
फ्रांस ने कहा कि तालिबान ने आतंकवादी समूहों के साथ अपने संबंध नहीं तोड़े हैं, बल्कि उन्हें अपने प्रशासन में शामिल किया है। यह सावधानी बरतते हुए कि अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाला आतंकवादी खतरा अंतरराष्ट्रीय तथा सीमा पार है, फ्रांस ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तालिबान से इन समूहों के साथ संबंध खत्म करने का आह्वान करने का आग्रह किया। रूस ने कहा कि तालिबान अवैध ड्रग्स की समस्या से निपटे तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा प्रदान की गई व्यापक सहायता के साथ मानवाधिकारों का सम्मान करे।
चीन का मानना था कि संकल्प 2615 (2021) को अपनाने के पश्चात् से मानवीय सहायता के वितरण पता चला था कि यह मुद्दा बाधाओं का नहीं, बल्कि राजनीतिकरण का था, क्योंकि कुछ दलों ने सहायता का उपयोग सौदेबाजी करने के लिए किया। इसने कहा कि तालिबान नेतृत्व के साथ जुड़ाव को तर्कसंगत तथा व्यावहारिक तरीके से बढ़ाया जाना चाहिए, जैसा कि नॉर्वे की हालिया वार्ता पहल से स्पष्ट है।
ब्रिटेन ने मानवीय सिद्धांतों के तहत सहायता वितरण के लिए तालिबान की ओर से जुड़ाव की आवश्यकता को रेखांकित किया। ब्रिटेन ने समावेशी प्रशासन की जरुरत को रेखांकित किया तथा तालिबान से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूह फिर से अफगान क्षेत्र से कभी भी संगठित होने, धन जुटाने या हमले की योजना न बना सके।
संयुक्त अरब अमीरात ने 40,000 से अधिक लोगों को वहां से बाहर निकालने में अपनी भूमिका का जिक्र किया, तथा आशा व्यक्त की कि यूएनएएमए के साथ तालिबान के सकारात्मक जुड़ाव से मिशन को अपना उद्देश्य पूरा करने में मदद मिलेगी।
भारत ने कहा कि हमारी तत्काल प्राथमिकता मानवीय सहायता प्रदान करना; समावेशी तथा प्रतिनिधि सरकार का गठन सुनिश्चित करना; आतंकवाद तथा मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करना; और महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना होनी चाहिए। अफगानिस्तान के सबसे बड़े क्षेत्रीय विकास भागीदार के रूप में, भारत अन्य देशों के साथ मिलकर अफगान के लोगों को अति आवश्यक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध था। सुरक्षा परिषद को यूएनएसजी की रिपोर्ट, जो जल्द ही आने वाली थी, इसमें यूएनएएमए के जनादेश हेतु रणनीतिक और परिचालन सिफारिशें शामिल होनी चाहिए।
सीरिया : 5 जनवरी को अवर महासचिव तथा निरस्त्रीकरण मामलों के उच्च प्रतिनिधि इज़ुमी नाकामित्सु ने यूएनएससी को बताया कि रासायनिक हथियार सम्मेलन के संदर्भ में सीरिया के अपने रासायनिक हथियार कार्यक्रम की घोषणा अधूरी है। रूस ने कहा कि सीरियाई रासायनिक हथियार डोजियर परिषद के एजेंडे में सबसे "राजनीतिक" डोजियर में से एक था। ओपीसीडब्ल्यू के महानिदेशक को दमिश्क में आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने आने से इनकार कर दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि सीरिया ने विगत नौ महीनों से परामर्श के अगले दौर को रोके रखा, तथा ओपीसीडब्ल्यू द्वारा प्रस्तावित समाधानों को स्वीकार करने में विफल रहा था। चीन ने सभी देशों से ओपीसीडब्ल्यू के कार्यों का राजनीतिकरण करने से बचने का आह्वान किया।
भारत ने रासायनिक हथियार सम्मेलन की अखंडता तथा विश्वसनीयता को बनाए रखने और तथ्यों तथा सबूतों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचने का आह्वान किया। भारत ने इस क्षेत्र सहित रासायनिक हथियारों तक आतंकवादियों की पहुंच की संभावना के प्रति भी आगाह किया।
27 जनवरी को, यूएनएससी को उत्तर-पूर्वी शहर अल-हसाकाह में इराक में इस्लामिक स्टेट तथा लेवेंट (आईएसआईएल / दाएश) के संदिग्ध संबंध करने वाले हजारों बंदियों द्वारा जेल से भागने की कोशिश करने की घटना का जिक्र किया था, जिसपर सीरियाई सरकार का नियंत्रण नहीं था। संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-रोधी कार्यालय के प्रमुख अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोनकोव ने यूएनएससी को बताया कि यह जेल हमला याद दिलाता है कि इराक में इस्लामिक स्टेट तथा लेवेंट (आईएसआईएल / दाएश) अभी भी इस क्षेत्र में, पूरे अफ्रीका में तथा बाकी देशों के लिए भी एक गंभीर खतरा है। सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गीर ओ. पेडर्सन ने कहा कि आईएसआईएल के अधिकांश लड़ाकों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। विशेष दूत ने तेहरान तथा दोहा की अपनी हालिया यात्राओं के साथ-साथ सीरियाई वार्ता आयोग एवं अस्ताना प्रत्याभूतिकर्ता के साथ बुई बैठक के बारे में बात की, जिसका उद्देश्य "चरणबद्ध" तरीक से विश्वास-निर्माण उपायों थथा स्पष्ट वार्ता को बढ़ावा देना है। उन्होंने सीरिया के नेतृत्व वाली, सीरियाई स्वामित्व वाली, संयुक्त राष्ट्र-सुविधा वाली संवैधानिक समिति को पुनः संगठित करने की अपनी योजना का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने देशों से उस महत्वपूर्ण मोर्चे "या न्यूनतम मतभेदों" का सामान्य हल तलाशने का आग्रह किया। मानवीय मामलों के अवर महासचिव तथा आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने राहत, नागरिक सुरक्षा तथा बुनियादी सामाजिक सेवाओं तक पहुंच पर ध्वस्त सीरियाई अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल प्रभाव की बात की।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने विभिन्न तरीकों से स्थायी शांति के रास्ते तलाशने का समर्थन किया, जिसमें आईएसआईएल/ दाएश के पुनरुत्थान को रोकने हेतु गठबंधन के अभियान को जारी रखना शामिल था, जो एक वास्तविक खतरा बना रहा, जैसा कि हसाका में हिरासत केंद्र की मौजूद स्थिति से प्रदर्शित होता है। पूरे सीरिया में पूर्ण, अबाधित मानवीय पहुंच तथा खुले सीमा क्रॉसिंग से देश भर की बढ़ती जरूरतें पूरी हो सकेंगी। रूस ने बताया कि सीरिया के अनुसार उसकी सरकार के प्रतिनिधि संवैधानिक समिति के सातवें सत्र के लिए स्विट्जरलैंड जाने वाले हैं। चीन ने कहा कि उत्तर-पूर्व से तेल की चोरी तथा गोलान हाइट्स में बस्तियों का निर्माण सीरिया के अधिकारों का उल्लंघन है। उसने हर महीने सीरिया पर तीन सत्र आयोजित करने की यूएनएससी की मौजूदा व्यवस्था को एक सत्र में संयोजित करने का प्रस्ताव रखा। फ्रांस ने जोर देकर कहा कि ठोस राजनीतिक समाधान के बिना सीरिया के साथ संबंधों को सामान्य करने का कोई कारण नहीं है, और राजनीतिक प्रक्रिया के अंत में पुनर्निर्माण होने पर ही प्रतिबंध हटा दिए जाने चाहिए, न कि इससे पहले।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 के अनुरूप सीरिया के नेतृत्व वाली तथा सीरिया के स्वामित्व वाली संयुक्त राष्ट्र की सुविधा वाली राजनीतिक प्रक्रिया हेतु सभी पक्षों, विशेष रूप से बाहरी देशों द्वारा प्रतिबद्धता की आवश्यकता को दोहराया। भारत ने कहा कि ऐसी परियोजनाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे सीरियाई लोगों के लिए बहुत आवश्यक रोजगार तथा आर्थिक अवसर आए तथा इस तरह कमी को कम करने में मदद करेगी। भारत ने आतंकवादी समूहों द्वारा सीरिया के लिए मानवीय सहायता की हेराफेरी के आरोपों की जांच हेतु संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा जांच करने का आह्वान किया।
यमन : 12 जनवरी को यमन पर नियमित यूएनएससी ब्रीफिंग में, यमन के महासचिव के विशेष दूत हैंस ग्रंडबर्ग ने देश को राजनीतिक, आर्थिक तथा सैन्य रूप से तेजी से खंडित होते हुआ बताया, तथा दोहराया कि स्थायी परिणाम हासिल करने हेतु एक व्यापक राजनीतिक ढांचे की आवश्यक है। इस ढांचे का उद्देश्य एकसाथ सभी क्षेत्रों में प्रगति को सुगम बनाना है। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस तथा चीन ने विशेष दूत के प्रयासों का समर्थन किया। यूके ने आयरलैंड के मेजर जनरल माइकल बेरी का भारत के लेफ्टिनेंट जनरल अभिजीत गुहा के उत्तराधिकारी के रूप में यूएनएमएचए का प्रमुख बनने स्वागत किया। नॉर्वे ने यमन से अपनी महिलाओं, शांति और सुरक्षा रणनीति को संचालित करने और निर्णय लेने एवं नेतृत्व के पदों पर महिलाओं को शामिल करने का आग्रह किया। यूएई ने नागरिक मालवाहक पोत रवाबी के लाल सागर में हाउती विद्रोहियों द्वारा अपहरण की घटना की निंदा की।
भारत ने विशेष दूत के प्रयासों के लिए बिना शर्त समर्थन का आह्वान किया, और कहा कि यमन में मानवीय सहायता या कर्मियों की आवाजाही में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। अपने चालक दल में कई भारतीय नागरिकों के साथ संयुक्त अरब अमीरात के झंडे वाले पोत की जब्ती से इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को खतरा है। भारत ने हौथियों से चालक दल के सदस्यों तथा जहाज को तुरंत रिहा करने का आग्रह किया। हाउती चालक दल के सदस्यों की रिहाई तक उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी जिम्मेदार हैं। सऊदी अरब पर सीमा पार से जारी हमलों की निंदा करते हुए, भारत ने नागरिकों तथा नागरिक अवसंरचना पर हमलों का विरोध किया।
बैठक के बाद यूएनएससी ने 2 जनवरी 2022 को यमन के तट पर हाउती द्वारा जब्ती तथा यूएई-ध्वजांकित पोत को हिरासत में लेने की निंदा करते हुए एक प्रेस वक्तव्य जारी किया।
फिलिस्तीन : फिलिस्तीन पर यूएनएससी ओपन डिबेट 19 जनवरी को आयोजित किया गया था। मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया हेतु संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वेनेसलैंड ने कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र की आर्थिक, सुरक्षा तथा राजनीतिक स्थितियों के बिगड़ने पर चेतावनी दी, जो इजरायल के निरंतर विस्तार, फिलिस्तीनियों के निष्कासन तथा उनके घरों के विध्वंस से और बढ़ गया है। उन्होंने फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास की हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ के साथ चार महीने में दूसरी मुलाकात के द्वारा फिलिस्तीन-इजरायल उच्च स्तरीय जुड़ाव का स्वागत किया। बैठक की अध्यक्षता करने वाले नॉर्वे के विदेश मंत्री एनीकेनो हुइटफेल्ड ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को किसी भी फ़िलिस्तीनी सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए जो हिंसा के खिलाफ है। नॉर्वे ने इज़राइल तथा कई अरब राज्यों के बीच संबंधों के सामान्य होने का स्वागत किया और कहा कि यह आवश्यक है कि फिलिस्तीनियों को इस प्रक्रिया से लाभ मिले। फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मल्की ने कहा कि इस संबंध में मध्य पूर्व के चारों देशों की भी जिम्मेदारी हैं, और उन्होंने मंत्री स्तर पर अपनी प्रारंभिक बैठक हेतु रूसी संघ के प्रस्ताव का समर्थन किया। इस्राइल ने फ़िलिस्तीन प्राधिकरण से इसराइल को लक्षित हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने को कहा। संयुक्त राज्य अमेरिका ने संघर्ष के राजनीतिक समाधान के लिए सिफारिश की मांग की, और दो-राज्यकीय समाधान हेतु समर्थन दोहराया। रूस ने मध्य पूर्व देशों की भागीदारों की मदद से पक्षों के बीच सीधी बातचीत को पुनः शुरू करने की दिशा में बहुपक्षीय प्रयासों का समर्थन किया। उसने सीरिया के गोलन हाइट्स में नई बस्तियों के लिए इज़राइल द्वारा नई योजनाओं का अनावरण करने पर चिंता व्यक्त की। चीन ने इजरायल की हाल की उस घोषणा पर चिंता व्यक्त की कि वह गोलान हाइट्स में बस्तियों में तथा कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में बिगड़ती स्थिति पर $300 मिलियन से अधिक का निवेश करेगा।
भारत ने एक दो-राज्यकीय समाधान के लिए अपने समर्थन को दोहराया, जिससे सुरक्षित तथा मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर स्थित संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की जा सके, जिसकी इजरायल के साथ शांति हो। मौजूदा दो तत्काल प्राथमिकताएं संयुक्त राष्ट्र के दूत द्वारा उल्लिखित नकारात्मक प्रवृत्तियों को उलटना तथा प्रत्यक्ष राजनीतिक वार्ता को पुनः शुरू करने हेतु रोडमैप पर सहमत होना था। व्यापक क्षेत्र की ओर मुड़ते हुए, भारत ने अबू धाबी में हाल ही में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें दो भारतीयों की दुखद मौत हो गई थी।
अफ्रीकी मुद्दे
पश्चिम अफ्रीका/साहेल : खतीर महामत सालेह अन्नादिफ, पश्चिम अफ्रीका एवं साहेल के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडब्ल्यूएएस) के विशेष प्रतिनिधि और प्रमुख ने 10 जनवरी को यूएनएससी को जानकारी दी। उन्होंने काबो वर्डे तथा गाम्बिया में चुनावों के सफल आयोजन के साथ-साथ पश्चिम अफ्रीका में हालिया तख्तापलट का उल्लेख किया। ड्रग्स तथा अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) के कार्यकारी निदेशक घाडा फाथी वैली ने परिषद को बताया कि समुद्र में समुद्री डकैती तथा सशस्त्र डकैती, जो दुनिया भर में फिरौती हेतु नाविकों के अपहरण का मुख्य कारण है, इससे गिनी राज्यों की खाड़ी में सालाना 1.94 बिलियन डॉलर की लागत का नुकसान हो रहा है, साथ ही बंदरगाह शुल्क एवं आयात शुल्क में अतिरिक्त 1.4 बिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है। घाना (अफ्रीकी यूएनएससी के निर्वाचित सदस्य गैबॉन और केन्या के लिए बोलते हुए) ने बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए यूएनओडब्लयूएएस जनादेश में निवारक कूटनीति के महत्व पर बल दिया।
भारत ने गिनी तथा माली में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और साहेल क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित किया। क्षेत्र में आतंकवाद का बढ़ना गंभीर चिंता का विषय था। भारत ने कहा कि साहेल में जी-5 के संयुक्त बल तथा बहुराष्ट्रीय संयुक्त कार्य बल हेतु वित्तीय संसाधनों और रसद सहायता की तत्काल आवश्यकता है। कई भारतीय नाविक गिनी की खाड़ी में समुद्री डकैती और अपहरण के शिकार हुए है, जिकी समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए अधिक निगरानी की आवश्यकता है।
माली: 11 जनवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को माली में संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी एकीकृत स्थिरीकरण मिशन (मिनुस्मा) के महासचिव के विशेष प्रतिनिधि एवं प्रमुख अल- ‑घासिम वेन ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 में पश्चिम अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (ईसीओडब्ल्यूएएस) द्वारा माली पर लगाए गए प्रतिबंधों को बरकरार रखा गया था तथा बढ़ा दिया गया है क्योंकि ईसीओडब्ल्यूएएस ने राष्ट्रपति चुनाव (2025 के अंत तक) हेतु प्रस्तावित समयरेखा को स्वीकार नहीं किया था। 2021 के दौरान, काफिले, शिविरों तथा अस्थायी परिचालन ठिकानों को निशाना बनाने वाले असममित हमलों में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण 2013 के बाद से एमआईएनयूएसएमए में हताहत होने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक हो गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने माली से सुरक्षा परिवेश में सुधार हेतु एमआईएनयूएसएमए के साथ काम करने का आग्रह किया और अपने ग्लोबल पीस ऑपरेशंस इनिशिएटिव के ज़रिए आवश्यक प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करके शांति रक्षकों को सुरक्षा का समर्थन किया। फ़्रांस ने वैगनर समूह जैसे विदेशी भाड़े के सैनिकों को भुगतान करने हेतु संक्रमणकालीन अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक धन के उपयोग पर खेद व्यक्त किया, जिसे उसने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। रूस ने इसका तीखा खंडन किया था। माली ने परिषद को स्पष्ट किया कि माली की धरती पर भाड़े के सैनिक नहीं है और रूसी प्रशिक्षक एवं अन्य प्रशिक्षक माली सैनिकों को रूसी संघ से माली द्वारा प्राप्त उपकरणों के उपयोग में प्रशिक्षित करने हेतु माली आए थे।
भारत ने कहा कि माली अपने प्रशासनिक, संवैधानिक तथा सुरक्षा ढांचे में लंबे समय से असंतुलन की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो कई दशकों से बना हुआ है। 8 दिसंबर 2021 को मध्य माली में एमआईएनयूएसएमए के काफिले पर हमले में अपनी जान गंवाने वाले टोगो के 7 शांति सैनिकों के शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, भारत ने कहा कि शांति सेना तथा शांति रक्षक अलग-अलग काम नहीं कर सकते। भारत ने शांति सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ प्रभावी जनादेश वितरण हेतु एमआईएनयूएसएमए में अधिक से अधिक तकनीकी एकीकरण का आह्वान किया। भारत ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया को आगे ले जाने की जिम्मेदारी अब सभी हितधारकों की है। माली में आतंकवाद के खतरे को संबोधित करने हेतु एक मजबूत क्षेत्रीय सुरक्षा प्रतिक्रिया की आवश्यकता है, जिसमें जी5 साहेल के संयुक्त बल हेतु संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय सहायता शामिल है।
दारफुर/आईसीसी : अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के अभियोजक करीम ए.ए. खान ने 17 जनवरी को यूएनएससी को दारफुर की स्थिति से संबंधित घटनाक्रम तथा न्यायालय को संदर्भित यूएनएससी के पहले मूलपाठ संकल्प 1593 (2005) के बारे में जानकारी दी। 25 अक्टूबर 2021 को सूडान में सैन्य अधिग्रहण अदालत के लिए एक बड़ा झटका है। रूस ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय अपने तथा सीमित संख्या में राज्यों के बीच एक संधि पर आधारित संस्था है। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर ने न्यायालय को यूएनएससी की इच्छा की व्याख्या करने का अधिकार नहीं दिया, जिसके परिणाम दूरगामी हैं। संकल्प 1593 (2005) के तहत, जो राज्य रोम संविधि के पक्षकार नहीं हैं, वे उस संधि के तहत कोई जिम्मेदारी नहीं रखते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि उसने एक पर्यवेक्षक के रूप में रोम संविधि हेतु राज्य दलों की सभाओं में भाग लिया और सबसे गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेही लाने के लिए न्यायालय के साथ जुड़ने के लिए तैयार है। चीन ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को सूडान की न्यायिक संप्रभुता का सम्मान करते हुए पूरकता के सिद्धांत का सख्ती से पालन करना चाहिए।
भारत ने कहा कि वह रोम संविधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। भारत ने जोर देकर कहा कि जुबा शांति समझौते के पक्षकारों द्वारा सहमत दारफुर अपराधों हेतु विशेष न्यायालय के पास 2002 से नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध तथा युद्ध अपराधों से संबंधित मामलों का अधिकार क्षेत्र था।
लीबिया: यूएनएससी ने 24 जनवरी को लीबिया में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएसएमआईएल) पर परामर्श आयोजित किया। काउंसिल को ब्रीफिंग करते हुए, रोज़मेरी डिकार्लो, संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक एवं शांति निर्माण मामलों के अवर महासचिव ने कहा कि कानूनी ढांचे की कमियां थथा उम्मीदवारों के लेकर विरोधाभासी अदालती फैसले 24 दिसंबर 2021 के चुनावों को स्थगित करने के कारणों में से एक थे। लीबिया के प्रतिनिधि सभा ने चुनाव के माध्यम से देश में स्थिरता लाने के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के समर्थन से एक महीने के भीतर संविधान का मसौदा तैयार करने का फैसला किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि यूएनएसएमआईएल को लीबियाई संवाद मंच रोड मैप के कार्यान्वयन हेतु समर्थन प्रदान करना जारी रखना चाहिए और लीबिया के राजनीतिक उम्मीदवारों तथा पक्षों को इसकी शर्तों का पालन करना चाहिए या यूएनएससी द्वारा कि जाने वाली लक्षित कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। रूस ने कहा कि विदेशी लड़ाकों तथा भाड़े के सैनिकों की वापसी पर 5+5 संयुक्त सैन्य आयोग के समझौते को रूस का समर्थन है। यूएई ने एक साथ, चरणबद्ध, क्रमिक तथा संतुलित तरीके से बलों, विदेशी लड़ाकों और भाड़े के सैनिकों की वापसी पर हस्ताक्षरित कार्य योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति तथा संसदीय चुनाव 24 दिसंबर 2021 को निर्धारित समय के अनुसार न हो सकने पर भारत ने खेद व्यक्त किया। लीबिया के आंतरिक मामलों में बाहरी ताकतों की वजह से राजनीतिक दिशा में होने वाली प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और आतंकवादी गतिविधियां फिर से शुरु हो गई हैं। हथियारों के प्रतिबंध का लगातार उल्लंघन भी खतरनाक है। भारत ने यूएनएससी से स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी तथा विश्वसनीय तरीके से चुनाव कराने का समर्थन करने; लीबिया की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता तथा क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने; विदेशी बलों तथा भाड़े के सैनिकों की पूर्ण वापसी पर यूएनएससी के निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने; अफ्रीका में स्थित आतंकवाद तथा लीबिया की स्थिति के बीच बढ़ते संबंधों पर ध्यान केंद्रित करने; राज्य के बाहरी सशस्त्र गुटों को फिर से संगठित करने हेतु समावेशी और व्यापक राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया की देखरेख करने; तथा लीबिया में प्रभावी भूमिका निभाने हेतु यूएनएमआईएल के लिए एक मजबूत जनादेश सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
31 जनवरी को यूएनएससी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव 2619 को तीन महीने हेतु अपने विशेष राजनीतिक मिशन लीबिया में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएसएमआईएल) को 30 अप्रैल तक रोल-ओवर करने के लिए अपनाया। लीबिया पर कलम-धारक के रूप में यूके ने खेद व्यक्त किया कि वह यूएनएसएमआईएल के लिए वास्तविक जनादेश के नवीनीकरण को सुरक्षित करने में विफल रहा।
अन्य मुद्दे
यूक्रेन : राजनीतिक तथा शांति स्थापना मामलों की अवर महासचिव, रोज़मेरी डिकार्लो ने 31 जनवरी को यूएनएससी को यूक्रेन के साथ सीमाओं पर हाल ही में सैन्य निर्माण के बारे में जानकारी दी, तथा तनाव को कम करने का आह्वान किया। बैठक का अनुरोध करने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका ने तर्क दिया कि यूक्रेन की सीमाओं पर रूसी सैन्य का निर्माण अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा के लिए खतरा है। रूस ने इस बैठक को आयोजित करने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि अपने क्षेत्र के भीतर सैनिकों की स्थिति एक घरेलू मामला है, न कि वैश्विक स्थिरता को खतरा। परिषद ने इसके पश्चात् इस मामले पर मतदान कराया, जिसमें परिषद के 10 सदस्यों ने बैठक के आयोजन का समर्थन किया। रूस तथा चीन ने प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि गैबॉन, भारत और केन्या ने भाग नहीं लिया।
बैठक के दौरान, भारत ने कहा कि उसकी रुचि इस समस्या ऐसा समाधान तलाशने में है जो सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तुरंत कम कर सके और इसका उद्देश्य क्षेत्र तथा उसके बाहर दीर्घकालिक शांति एवं स्थिरता हासिल करना हो। भारत सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है तथा इस मुद्दे को हल करने का एकमात्र तरीका कूटनीतिक बातचीत है। भारत ने आगे कहा कि "मिन्स्क पैकेज" के पूर्ण कार्यान्वयन के साथ नॉरमैंडी प्रारूप के तहत कार्य आधार के रूप में मिन्स्क समझौतों की पुन: पुष्टि इसकी रूपरेखा होनी चाहिए।
कोलंबिया : कोलंबिया में संयुक्त राष्ट्र सत्यापन मिशन के प्रमुख कार्लोस रुइज़ मासीयू ने 20 जनवरी को यूएनएससी को सूचित किया कि मार्च 2022 के चुनावों में 16 "शांति हेतु विशेष संक्रमणकालीन चुनावी जिलों" के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिन्हें 2021 में स्थापित किया गया था। ये जिले संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में ऐतिहासिक रूप से बहिष्कृत आबादी की भागीदारी को बढ़ावा देने हेतु 2016 के समझौते द्वारा बनाए गए थे। यूएनएससी ने एक एकीकृत तथा समृद्ध भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कोलंबिया की प्रशंसा की। यूएनएससी ने 27 जनवरी को प्रेस वक्तव्य में कोलंबिया में शांति प्रक्रिया को अपना पूर्ण और सर्वसम्मत समर्थन दोहराया।
भारत ने शांति समझौते को लागू करने तथा इसे समग्र सकारात्मक प्रक्षेपवक्र देने में कोलंबिया सरकार की भूमिका की सराहना की। भारत ने कहा कि अवैध सशस्त्र समूहों के बीच विवाद तथा क्षेत्रीय नियंत्रण तथा रणनीतिक अवैध तस्करी मार्गों पर विभिन्न एफएआरसी-ईपी असंतुष्ट समूहों जैसी कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है। इनका पुनर्एकीकरण पहलों पर विघटनकारी प्रभाव पड़ा है।
साइप्रस : सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से 27 जनवरी को प्रस्ताव 2618 को अपनाया, जिसमें साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (यूएनएफआईसीवाईपी) के अधिदेश को 31 जुलाई तक छह महीने हेतु बढ़ा दिया गया।
विषयगत मुद्दे
18 जनवरी को महिलाएं, शांति एवं सुरक्षा पर यूएनएससी की खुली बहस में मानवाधिकार हेतु संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेत ने कहा कि महिलाओं द्वारा तथा महिलाओं के लिए शांति सुनिश्चित करने के हर संभव प्रयास के बावजूद, उनके भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से होने वाली वार्ता में उनकी भागीदारी की संभावनाएं महामारी से पहले की तुलना में "बेहद खराब" हैं। 1992 तथा 2019 के बीच, प्रमुख शांति प्रक्रियाओं में केवल 13 प्रतिशत वार्ताकार, 6 प्रतिशत मध्यस्थ तथा 6 प्रतिशत हस्ताक्षरकर्ता महिलाएं थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि, "शांति पर ऐसे निर्णय जो महिलाओं की आवाज़, वास्तविकताओं तथा अधिकारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं, टिकाऊ नहीं हैं।" अफगानिस्तान में, वास्तविक कैबिनेट तथा राष्ट्रीय व प्रांतीय स्तरों पर अन्य प्रमुख मंचों से महिलाओं को बाहर रखा गया, जिसने शांतिपूर्ण भविष्य सुनिश्चित करने की उनकी क्षमता बहुत कम हो गई दिया। कई अफगान महिला मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों, वकीलों तथा न्यायाधीशों को भागने या छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावे देने हेतु तालिबान पर अपने प्रभाव का उपयोग करने साथ-साथ अफगान महिला मानवाधिकार रक्षकों के लिए सुरक्षित मार्ग तथा पुनर्वास कार्यक्रम बनाने और सुरक्षा की मांग करने वाली अफगान महिलाओं के निर्वासन को तुरंत रोकने हेतु सदस्य-राज्यों पर दबाव डालने की बात कही। उन्होंने साहेल तथा म्यांमार में महिलाओं की भागीदारी के सामने आने वाली समस्याओं पर भी बात की। उन्होंने प्रस्तावित किया कि शांति अभियान में सभी नागरिक समाज से जुड़े व्यक्तियों तथा संयुक्त राष्ट्र के वार्ताकारों को होने वाले खतरों तथा प्रतिशोध से सुरक्षा के प्रावधान शामिल हो सकते हैं, जैसा कि दक्षिण सूडान गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआईएसएस) के मामले में देखा गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने महिला नेताओं की आवाज़ को सामने लाने और लक्षित सहायता कार्यक्रम हेतु तकनीकी सहायता की वकालत की, जिससे महिलाओं के सामुदायिक नेतृत्व बढ़ावा मिलता है, जैसे कि "शी विन्स" पहल, जिसमें नेतृत्व के उनके प्रयासों में महिलाओं को समर्थन देने हेतु अनुदान प्रदान किया है - जिसमें अल्पसंख्यक समूहों की महिलाएं भी शामिल हैं। रूस ने वास्तविक स्थितियों में महिला शांति सैनिकों की भूमिका की प्रशंसा की। बैंकिंग क्षेत्र सहित प्रौद्योगिकी तथा संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाने हेतु अधिक काम करने की आवश्यकता है और इसमें परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण है। चीन ने वार्ता, मध्यस्थता तथा परामर्श के ज़रिए समर्थन करने हेतु यूएनएससी की आवश्यकता पर जोर दिया तथा 1,000 चीनी महिला संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की भूमिका पर प्रकाश ड़ाला।
भारत ने समावेशी समाज को बढ़ावा देने हेतु राजनीतिक प्रक्रियाओं तथा निर्णयन में महिलाओं की पूर्ण, समान तथा सार्थक भागीदारी का दृढ़ता से समर्थन किया। भारत महिलाओं के विकास के प्रतिमान से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रहा है। भारत के अनुभव में महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण शामिल है, जिसमें क्रेडिट, वित्त तथा प्रौद्योगिकी तक उनकी पहुंच शामिल है। भारत ने सदस्य देशों से संघर्ष को रोकने तथा इसके समाधान तथा संघर्ष के बाद शांति निर्माण के प्रयासों तथा कार्यक्रमों में बाधाओं की पहचान करने तथा उन्हें दूर करने में महिलाओं की सार्थक भागीदारी का आह्वान किया। भारत ने 30 अगस्त 2021 को पारित यूएनएससी प्रस्ताव 2593 के अनुसार महिलाओं की सार्थक भागीदारी के साथ अफगानिस्तान में समावेशी तथा प्रतिनिधि प्रशासन के महत्व को रेखांकित किया। भारत ने अधिक महिला संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों और लिंग सुरक्षा सलाहकारों की तैनाती का समर्थन किया। भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को शांति-निर्माण को बनाए रखने हेतु संघर्ष के बाद की स्थितियों में संस्था और क्षमता निर्माण के लिए सदस्य राज्यों को सहायता प्रदान करनी चाहिए।
25 जनवरी को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने "सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा: शहरों में युद्ध - शहरी व्यवस्था में नागरिकों की सुरक्षा" पर यूएनएससी की खुली बहस में कहा कि ऐसे गंभीर उल्लंघनों की जवाबदेही तय करना आवश्यक है, क्योंकि 50 मिलियन लोगों को शहरी युद्ध के भयानक परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यमन में अवसंरनचा को नुकसान पहुंचाने हेतु गाजा तथा अफगानिस्तान के स्कूलों पर हुए लक्षित हमलों का उल्लेख किया। उन्होंने सदस्य-राज्यों से कथित युद्ध अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने हेतु राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने का आह्वान किया। नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर ने शहरी क्षेत्रों में सैन्य अभियानों की योजना और संचालन एवं अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुपालन में रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में नागरिकों तथा नागरिक वस्तुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सात कार्यों का प्रस्ताव दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के अनुमान का हवाला देते हुए कि 2050 तक दुनिया के दो तिहाई लोग शहरी क्षेत्रों में रहेंगे, इस बात पर बल देते हुए कहा कि ऐसे में "शहरी व्यवस्था में नागरिकों की रक्षा करना और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा"। रूस ने कहा कि असत्यापित खुफिया जानकारी के आधार पर सैन्य हमलों के लिए मानव रहित हवाई वाहनों का उपयोग करना किसी भी तरह से अस्वीकार्य है। 1949 के जिनेवा कन्वेंशन तथा अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून से शहरी व्यवस्था में सैन्य अभियानों का संचालन नियंत्रित है।
भारत ने कहा कि अपने अधिकार क्षेत्र में सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में नागरिकों की रक्षा हेतु राज्यों की जिम्मेदारी के अलावा, कई ऐसे अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत तथा कानून हैं जो हमलावर देश पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डालते हैं कि सशस्त्र संघर्ष की परिस्थितियों में नागरिकों और नागरिक अवसंरनचा को निशाना न बनाया जाए। 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में 15 देशों के 166 निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई थी, जो आतंकवाद के सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों के विरोध में दृढ़ता से खड़े होने, तथा आतंकवादी कृत्यों को किसी बी तरह से जायज ठहराने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार करने की आवश्यकता को दर्शाता है। भारत ने इस तरह के कृत्यों से नष्ट हुई शहरी अवसंरचना के पुनर्निर्माण हेतु श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे देशों को सहायता प्रदान की थी। भारत ने कहा कि सशस्त्र संघर्षों में नागरिकों तथा किसी विश्वव्यापी मानक की वास्तुकला की रक्षा के लिए संप्रभुता, राजनीतिक स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता तथा सशस्त्र संघर्षों से प्रभावित देशों की एकता के सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए।
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