संशोधित चीनी राष्ट्रीय रक्षा कानून 1 जनवरी 2021 को लागू हुआ था । यह इस क्षेत्र में सशक्त सैन्य शक्ति वाले क्षेत्रीय आधिपत्य के रूप में बीजिंग की स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से एक कदम था। 1997 में लागू हुए मूल रक्षा कानून में चीन की राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत करने, उसकी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने तथा सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए प्रावधान तथा तंत्र निर्धारित किए गए थे।[i].
2020 में किए गए संशोधनों से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को अपने सीधे नियंत्रण में रखकर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अध्यक्षता वाले केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) को अधिक शक्ति प्रदान करते हैं।ताजा संशोधनों के अनुसार, 3 अनुच्छेदों को हटा दिया गया, 50 से अधिक में संशोधन किया गया तथा 6 अतिरिक्त कानून थे। इनमें से सबसे विवादास्पद अनुच्छेद 47 के अंतर्गत "विकास हित" शब्द था।अनुच्छेद में अब यह लिखा है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को संप्रभुता, एकता, क्षेत्रीय अखंडता, सुरक्षा तथा विकास हितों के लिए कोई भी खतरा से निपटने के लिए देश को इसका मुकाबला करने के लिए जनशक्ति तथा संसाधन जुटाने की शक्ति देता है।[ii].
यह आशंका है कि इस शब्द के रूप में अच्छी तरह से विदेशों में खतरों का मुकाबला करने के लिए चीनी सेनाओं के उपयोग का मतलब हो सकता है, विशेष रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से संबंधित परियोजनाओं वाले क्षेत्रों में। 140 से अधिक देशों को अंतरमहाद्वीपीय बुनियादी ढांचे तथा कनेक्टिविटी परियोजना में शामिल होने के लिए समझाने में कामयाब रहे, जिसका मूल्य लगभग $1 ट्रिलियन से $8 ट्रिलियन[iii], है, राष्ट्रपति शी द्वारा 2013 में शुरू की गई बीआरआई चीनी गौरव तथा प्रतिष्ठा का मुद्दा है। निवेश तथा अनुदान के माध्यम से, चीन ने एशिया से परे अपने प्रभाव का विस्तार किया है, जहां उसने कई परियोजनाओं को पूरा किया है तथा कई और अधिक कतार में है। इस परियोजना के महत्व को देखते हुए बीआरआई को बीजिंग के लिए विकास हित का क्षेत्र मानना तथा उसकी संप्रभुता का प्राकृतिक विस्तार करना गलत नहीं होगा। हालांकि यह देखना बाकी है कि क्या, और कैसे बीजिंग विदेशी परियोजनाओं की रक्षा के लिए अपनी सेना तैनात करने की योजना बना रहा है, जिसे रणनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, बीआरआई चीन की रक्षा और विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण हित का है।
इस संशोधन से सुरक्षा का दायरा भी बढ़ा है। स्थल, समुद्री तथा वायु जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के साथ-साथ चीनी रक्षा कानून का उद्देश्य साइबर सुरक्षा, बाहरी अंतरिक्ष तथा विद्युत चुम्बकीय नेटवर्क (अनुच्छेद 30)[iv].
जैसे नए क्षेत्रों को सुरक्षित करना भी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में विकास का उपयोग पीएलए द्वारा अपनी सेना के आधुनिकीकरण तथा ताइवान तथा हांगकांग सहित निगरानी के अंतर्गत क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए भी किया जा सकता है। चीन ने हमेशा ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा माना है, वह किसी भी संभव साधन के माध्यम से पुनः प्राप्त करने की उंमीद है। अमेरिका से ताइवान की निकटता ने केवल इस लक्ष्य को हासिल करने के चीनी संकल्प को मजबूत किया है तथा बीजिंग ने अपना प्रभुत्व जताने के लिए ताइवान की संप्रभुता पर लगातार घुसपैठ की है। 2019-2020 विरोध हांगकांग के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में एक ऐतिहासिक संघर्ष था। वर्ष भर का यह विरोध दमनकारी चीनी सरकार के खिलाफ बढ़ती थकान का संकेत था, जिसका समापन हांगकांग सरकार द्वारा 2019 में प्रत्यर्पण विधेयक पारित होने के साथ हुआ। 2020 हांगकांग राष्ट्रीय सुरक्षा कानून चीन द्वारा भविष्य के विरोध को रोकने तथा व्यापार हब में लोकतंत्र अथवा स्वायत्तता के लिए किसी भी कॉल को दबाने का प्रयास है। चीन विरोधी तथा भविष्य में लोकतंत्र समर्थक विरोध के पुनरुत्थान को रोकने के लिए संशोधित रक्षा कानून का इस्तेमाल कर सकता है, जिससे इन क्षेत्रों पर पूरा नियंत्रण हो सकता है।
चीन का संशोधित रक्षा कानून ऐसे समय में आया है जब उसकी प्रतिष्ठा कोविड-19 महामारी से क्षतिग्रस्त हुई है तथा उसके पड़ोस में हिंसक व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह, बीआरआई से बाहर जाने वाले समर्थक देशों ने चीन के विरुद्ध धारा को मोड़ दिया है। हालांकि, चीनी सैन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि संशोधनों से "न्याय, आक्रमण का विरोध, विस्तार तथा विश्व शांति की रक्षा"”[v], सुनिश्चित होगा, ऐसे समय में जहां "आतंकवाद, अलगाववाद तथा राष्ट्रवाद का अस्तित्व बढ़ा है"[vi] - है-ताइवान तथा हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक विरोध का अप्रत्यक्ष संदर्भ। नई दिल्ली की वाशिंगटन से निकटता भी चीन-भारत संबंधों में कांटे की तरह चुभ रही है तथा जापान, भारत, अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया से मिलकर क्वाड्रिलैटरल अथवा क्वाड के गठन ने चीन को और परेशान किया है। बीजिंग के मुताबिक, यह मंच चार लोकतंत्रों द्वारा चीन को रोकने का प्रयास है, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में। इसी तरह चीन ने वार्षिक मालाबार अभ्यास, एक नौसैनिक अभ्यास का विरोध किया है जिसमें हिंद महासागर में चारों क्वाड सदस्य शामिल हैं। चीन ने हिंद महासागर तथा दक्षिण चीन सागर में अपनी बढ़ी हुई सैन्य गतिविधियों को उन देशों के बीच तीव्र रक्षा तथा राजनीतिक संबंधों के प्रति विरोध के रूप में जायज ठहराया है, जिन्होंने इसके खिलाफ खुलकर बात की है।चीन का जुझारू रवैया भारत के लिए माँग मनवाने का एक संकेत है। बीजिंग की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति का उद्देश्य समुद्र के माध्यम से भारत के आसपास ही है, जबकि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भारतीय संप्रभुता को नजरअंदाज करता है तथा भारत को स्थल मार्ग से घेरता है। भारत अगर अपने पड़ोस में चीन के प्रवेश को कम करना चाहता है तो उसे अपने पड़ोसियों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से 2017 डोकलाम संघर्ष तथा 2020 गलवान झड़प के बाद जो चीन की दुश्मनी तथा भू राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने के प्रयासों की याद दिलाने के रूप में कार्य करते हैं।
चीन की वन चाइना नीति के कारण भारत ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता है तथा चीन-भारत संबंधों के बिगड़ने के डर से ताइपे के साथ राजनयिक संबंधों से बचता रहा है। हालांकि, पीएलए के साथ सैन्य गतिरोध तथा बहुपक्षीय संगठनों में चीन के आक्रामक भारत विरोधी रुख के आलोक में भारत-ताइवान राजनयिक संबंधों के समर्थन में आवाजें उभरकर सामने आई हैं। ताइवान का इलेक्ट्रॉनिक तथा संचार उद्योग बिजली के उपकरणों की भारत की मांग का जवाब हो सकता है, जो चीन पर बाद की निर्भरता का समाधान प्रदान करता है। ताइवान की कोविड-19 वायरस की सफल रोकथाम भी सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एक अग्रणी देश के रूप में अपने रुख को बढ़ा देता है तथा भारत को इस सहयोग के माध्यम से काफी लाभ हो सकता है। एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत ताइवान को गले लगाकर भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने लिए एक मूल्यवान साझेदार सुरक्षित कर सकता है।
अपने पड़ोसी देशों को करीब रखने से भारत को बीजिंग के दावों से लड़ने के लिए और अधिक राजनीतिक समर्थन मिलेगा तथा इसका विपरीत भी उतना ही सत्य है। भारत की ताकत कूटनीति तथा सांस्कृतिक आत्मीयता जैसी अपनी सॉफ्ट पावर रणनीति में निहित है तथा इसकी भौगोलिक निकटता को देखते हुए उसे आसियान देशों के साथ-साथ पूर्वी एशिया के देशों के साथ और अधिक शामिल होना चाहिए ताकि वह एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में अपनी स्थिति को बढ़ावा दे सके। भारत की एक्ट ईस्ट नीति दक्षिण पूर्व तथा पूर्वी एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय संबंधों को एक बड़ा बढ़ावा प्रदान करती है, जिससे दोनों पक्षों को बेहतर संबंधों का लाभ उठाने की अनुमति मिल सकती है। भारत को समुद्रों में व्यापार तथा पारगमन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने तथा समुद्री चोकपॉइंट के लिए इन देशों के साथ नौसैनिक सहयोग का विस्तार भी करना चाहिए। भारत जैसा महत्वपूर्ण अनुभवी होने से चीनी सेना के अनर्गल कदम के विरुद्ध अपना समर्थन देने से चीन पर प्रभाव तथा निर्भरता को काफी हद तक सीमित करने में मदद मिल सकती है। चीन के संशोधित रक्षा कानून ने इसे बेलगाम शक्ति दी है तथा भविष्य में इसके मनमाने इस्तेमाल को नियंत्रित करना देशों के लिए समय की मांग है।
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*ऐश्वर्य एस कुमार , शोधप्रशिक्षु, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली ।
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं ।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i]China Daily (Government). (2018, December 11). Law of the People's Republic of China on National Defence (2009 Amendment) [Effective]. Retrieved from China Daily (Government): https://govt.chinadaily.com.cn/s/201812/11/WS5c0f1b7e498eefb3fe46e8ca/law-of-the-peoples-republic-of-china-on-national-defence-2009-amendment-effective.html Accessed on February 10, 2021
[ii]ICC Legal Tools Database. (2021, January 9). National Defense Law of the People's Republic of China (2020 Revision). Retrieved from ICC Legal Tools Database: https://www.legal-tools.org/doc/umg0ne/pdf/, Accessed on February 10, 2021
[iii]Center for Strategic and International Studies. (2018, April 3). How Big Is China’s Belt and Road? Retrieved from Center for Strategic and International Studies: https://www.csis.org/analysis/how-big-chinas-belt-and-road Accessed on January 2, 2021
[iv]ICC Legal Tools Database. (2021, January 9). National Defense Law of the People's Republic of China (2020 Revision). Retrieved from ICC Legal Tools Database: https://www.legal-tools.org/doc/umg0ne/pdf/ Accessed on February 10, 2021
[v]Global Times. (2020, December 27). China amends national defense law, shows country's sense of global justice. Retrieved from Global Times: https://www.globaltimes.cn/content/1211127.shtml Accessed on January 5, 2021
[vi]Ibid