नमस्कार, प्रिय देवियों और सज्जनों, प्रिय श्री राघवन। हां, मैं विश्व मामलों की भारतीय परिषद को इस अंतः:संवाद सत्र में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि मैं दूसरी बार आपके संस्थान में आया हूं। मैं दो वर्ष पहले यहां था और हमने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और हमने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में सहयोग और साझा अनुसंधान के आयोजन के बारे में चर्चा की थी। उस समय मैं यह नहीं सोच सकता था कि जब हमने अपना सहयोग शुरू किया तो मैं महासचिव बनूंगा। लेकिन मैं क्या कह सकता हूं। हम जानते हैं कि आईसीडब्ल्यूए भारत में एक अग्रणी थिंक टैंक है जो प्रमुख क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का अध्ययन करता है और उनकी विदेश नीति के विकास की संभावनाएं बनाता है।
2 शंघाई सहयोग संगठन, सूचना और विश्लेषणात्मक कार्य को बहुत महत्व देता है और एससीओ सदस्य देशों, आसियान और यूरोपीय संघ के अनुसंधान केंद्रों के बीच विशेषज्ञ वार्ता का विस्तार करना चाहता है। हमारे थिंक टैंक के लिए ऐसी संस्था या मंच है और यह एससीओ का मंच है। पिछले वर्ष अप्रैल में इसका आयोजन किया गया था और डॉ. टी.सी. राघवन ने इसमें हिस्सा लिया था।
3. वर्ष 2001 में अपनी स्थापना के बाद से, एससीओ ने स्वयं को ऐतिहासिक मानकों के अनुसार अल्पावधि में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रणाली में सफलतापूर्वक खुद को एकीकृत किया है और लगातार दुनिया में अपने अधिकार को मजबूत किया है। आज इस संगठन में 8 देश भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, 4 पर्यवेक्षक राष्ट्र, अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया के साथ-साथ 6 संवाद सहयोगी, आर्मेनिया, अजरबेजान, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका शामिल हैं। इसके अलावा, लगभग 10 देशों, बांग्लादेश, सऊदी अरब, सीरिया, मिस्र, इजराइल, मालदीव, यूक्रेन, इराक, वियतनाम, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और कतर, है जिन्होंने पर्यवेक्षक या संवाद सहयोगी स्थिति के लिए आवेदन किया है, और इससे परिलक्षित होता है कि यूरेशिया के लगभग तीन दर्जन देश पहले से ही एससीओ की परिधि में हैं।
4. एससीओ में भारत के समावेश के साथ ही संगठन ने एक वैश्विक प्रोफाइल हासिल कर ली है, और भावी विकास और पूर्ण स्तर पर सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए पूरी तरह से नए अवसर खोले हैं। क्षेत्रीय और वैश्विक नीतियों को आकार देने, सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में एससीओ की भूमिका बढ़ी है।
5. लगभग आधी, जैसा कि कहा गया था, दुनिया की आधी आबादी एससीओ क्षेत्र में रहती है। और एससीओ में यूरेशिया के 60% क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग इस क्षेत्र में आर्थिक रूप से सक्रिय हैं और वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन कर रहे हैं। एससीओ के क्षेत्र में, उच्च तकनीक और ज्ञान गहन प्रकार सहित उन्नत उत्पादन समूह हैं, उच्च जटिलता के उत्पादन चक्र के संगठन के साथ-साथ मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ाने के लिए सभी प्रकार के खनिज हैं।
6. एससीओ के सदस्य देशों की कुल जीडीपी विश्व की जीडीपी का लगभग 20 ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर या 1/5 है। 2030 में कुछ विशेषज्ञ भविष्यवाणी के अनुसार यह जीडीपी, विश्व की जीडीपी का 35%-40% होगी। जैसा कि पिछले साल के प्रारंभ में, विश्व आर्थिक मंच ने कुछ विश्लेषण प्रकाशित किए हैं। वर्ष 2030 के दशक में, विश्व की 10 अग्रणी अर्थव्यवस्थाएं 180 ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर और तीन देश होंगे, एससीओ, रूस, भारत, चीन के सकल घरेलू उत्पाद इन सभी अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं का 60% होंगे। इसलिए, कुल विदेशी व्यापार कारोबार 6 ट्रिलियन डॉलर या विश्व के विदेशी व्यापार का लगभग 15% से अधिक है। एससीओ क्षेत्र में औसत जीडीपी विकास लगभग 4% है।
7. आज, एससीओ क्षेत्र 15 से 24 वर्ष की आयु के 800 मिलियन से अधिक युवा लोगों का घर है, जिन्हें सूचना का अभाव और खतरा सबसे अधिक हैं। इसलिए एससीओ के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह युवा लोगों की उच्च क्षमता को सही दिशा में निर्देशित करने, बौद्धिक कौशल, क्षमताओं के साथ-साथ डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नवाचार के क्षेत्र में युवा उद्यमिता विकसित करने की दिशा में काम करे। वर्ष 2018 में चिंगदाओ शिखर सम्मेलन में नेताओं ने कार्यान्वयन के लिए अपील और कार्रवाई कार्यक्रम को अपनाया। यह अपील युवाओं से थी कि वे आतंकी, उग्रवादी और अलगाववादी संगठनों की गतिविधियों में हिस्सा न लें।
8. एससीओ मानवीय संबंधों पर भी केंद्रित है। सदस्य देश शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, पर्यटन और युवा संपर्कों के क्षेत्र में सार्थक रूप से काम कर रहे हैं। हमारी मंशा सफलतापूर्वक कार्य कर रहे एससीओ नेटवर्क विश्वविद्यालय में प्रतिभागियों की संख्या का विस्तार करने की हैं, जिसकी स्थापना पर रूस, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हमें आशा है कि भारत भी इसमें शामिल हो सकता है। एससीओ युवा परिषद के रूसी हिस्से में इस क्षेत्र में बड़ी योजनाएं हैं।
9. एक सामूहिक पर्यटक स्थान बनाने के लिए, एससीओ सचिवालय ने एससीओ परियोजना के आठ अजूबों की शुरुआत की, जिसमें प्रत्येक सदस्य राष्ट्र से एक अजूबा शामिल है। बीजिंग में सेंट पीटर्सबर्ग, समरकंद में, दुशांबे, शीआन और हेलसिंकी में हमने प्रस्तुतियां आयोजित की हैं। हम इस आयोजन के समर्थन और भारत से अजूबे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को शामिल करने के लिए भारतीय पक्ष के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
10. हम 2018 में चिंगदाओ में एससीओ शिखर सम्मेलन में एससीओ के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को और गहन करने के लिए भारतीय पक्ष के प्रयासों की अत्यधिक सराहना करते हैं। भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि कई हजारों वर्षों से एससीओ देशों द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया भौगोलिक क्षेत्र दुनिया भर में प्रेरणा, वैज्ञानिक और दार्शनिक प्रगति का स्रोत रहा है। बुद्ध, कन्फ्यूशियस, यह मात्र एक उदाहरण है समरकंद, बुखारा भी हमारी साझी विरासत है, महात्मा गांधी और अन्य नामों के उदाहरण हैं।
11. ऐसे महान लोगों के अनगिनत उदाहरण हैं जिन्होंने दुनिया भर में मानवता को प्रेरित किया है। यह हमारी साझी विरासत है जो पूरी दुनिया में महसूस की जाती है। क्योंकि हजारों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों ने सहयोग के पुलों के माध्यम से भौगोलिक दूरियों की यात्रा की थी और आज हम फिर से उस स्तर पर हैं जब भौतिक और डिजिटल परस्पर जुड़ाव भूगोल की परिभाषा को बदल रहा है। [यह क्या है] श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा।
12. वर्ष 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन में, चिंगदाओ में और पिछले वर्ष बिश्केक में, जिसमें भारत ने पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लिया, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और सुदृढ़ करने, आर्थिक सहयोग को मजबूत करने, कृषि, चिकित्सा, आईटी, अंतरिक्ष, वित्त, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के विकास और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से अनेक महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत किए।
13. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता इसके दर्शन में निहित है, जो पृथ्वी को हमारी मां मानता है, श्री मोदी ने चिंगदाओ में शिखर सम्मेलन में कहा। इस संदर्भ में, मैं एससीओ सदस्य देशों के बीच पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग की अवधारणा को लागू करने के लिए कार्य योजना का उल्लेख करना चाहूंगा।
14. इस वर्ष, पहली बार, भारत मुख्य एससीओ कार्यक्रमों में से एक, सरकार के प्रमुखों की परिषद, शरद ऋतु में इस वर्ष की दूसरी छमाही में संगठन के सदस्य देशों के प्रधानमंत्रियों की अध्यक्षता कर रहा है। सदस्य देशों ने प्रधानमंत्रियों की बैठक की मेजबानी करने की भारत की मंशा की काफी सराहना की है। इस कार्यक्रम से पहले भारत में कई बैठकें होंगी, जिनमें आर्थिक गतिविधियों के एससीओ मंत्रियों की बैठक, विदेशी व्यापार गतिविधियों पर एससीओ के वरिष्ठ अधिकारियों के आयोग की बैठकें, राष्ट्रीय समन्वयकों की परिषद, वित्तीय और व्यक्तिगत विशेषज्ञों के साथ-साथ एससीओ कंसोर्टियम ऑफ इकोनॉमिक थिंक टैंक की पहली बैठक शामिल है। खास बात यह है कि एससीओ कंसोर्टियम की इस प्रकार की पहली बैठक भारत में होगी। भारत में अपार संभावनाएं, आर्थिक क्षमता है और हम देख सकते हैं कि तीन देशों चीन, भारत और रूस को ज्यादातर आर्थिक, बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में एससीओ विकसित करने के लिए लोकोमोटिव होना चाहिए।
15. जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, हमारे पास 6 ट्रिलियन डॉलर [और] अधिक, सभी सदस्य देशों का यह व्यापार कारोबार है, लेकिन हमारे राष्ट्रों के बीच व्यापार केवल 305 बिलियन डॉलर या 5% है। उदाहरण के लिए आसियान में यह 27% है । और यूरोपीय संघ में यह 50% से अधिक है । इसलिए हम सोचते हैं कि यह कंसोर्टियम कई बाधाओं के समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो हमारे बीच सहयोग को मजबूत करने में बाधक है और इस बड़े क्षेत्र का उपयोग हमारे लोगों के लाभ के लिए और हमारे देशों, अधिकतर मध्य एशियाई देशों, डबल लैंडलॉक देशों की समृद्धि के लिए करता है। उनके लिए इस क्षमता का प्रयोग करना आवश्यक है।
16. कंसोर्टियम आर्थिक मुद्दों पर अनुसंधान केंद्रों के बीच सहयोग स्थापित करेगा और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विश्लेषण करेगा। हम इन घटनाओं को महत्व देते हैं और इस संबंध में मैं एससीओ सचिवालय की तत्परता को व्यक्त करना चाहूंगा कि वे उनकी तैयारी और आचरण में सक्रिय रूप से भाग लें।
17. आज प्रात: हमने विदेश मंत्री श्री जयशंकर और वाणिज्य मंत्री श्री गोयल के साथ बैठक की और दोनों ने इन विचारों का समर्थन किया। मुझे बहुत खुशी है कि यह एक अच्छी परंपरा बन गई है। सरकारी बैठकों के एससीओ प्रमुखों के साथ संयोजन के रूप में व्यापार मंचों का आयोजन करने के लिए व्यापार समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच सीधा संपर्क स्थापित कर रहा हूं। दोनों मंत्रियों ने इस विचार का समर्थन किया।
18. और हम अपनी तरफ से, सचिवालय की ओर से, इन बैठकों को बहुत सफल बनाने के सभी प्रयास करेंगे। मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि सुरक्षा के क्षेत्र में एससीओ तंत्रों में भारतीय पक्ष की सक्रिय भागीदारी, जिसमें सुरक्षा परिषदों के सचिवों, रक्षा मंत्रियों, आंतरिक, न्याय, महा-अभियोजक, न्यायिक प्राधिकरणों आदि के माध्यम से एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे में शामिल है।
19. आज, हम आतंकवाद विरोधी सैन्य अभ्यास में भारत की ओर से भागीदारी को बहुत महत्व देते हैं। हमारे संगठन की विशिष्ट विशेषता सहयोग की सार्वभौमिक प्रकृति है, जो राजनीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और मानवीय संबंधों के क्षेत्रों को शामिल करती है। वर्ष 2025 की एससीओ विकास रणनीति ने वैश्विक और क्षेत्रीय विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए संगठन के लिए नए दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं और इसकी गतिविधि में मुख्य प्राथमिकता के रूप में क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के प्रावधान की पुष्टि की है। जैसा कि आप जानते हैं, जैसा कि राजदूत पी एस राघवन ने ठीक ही कहा, उज्बेकिस्तान 2001 में एससीओ में शामिल हो गया; इन 5 देशों की एकता। और इस 15 जून, 2001 के बाद, इस संगठन, शंघाई सहयोग संगठन ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि इस समय में, तालिबान, हेराटन में उज्बेकिस्तान की सीमा पर, जिसमें उन्होंने हेराटन पर कब्जा करने के बाद ईरानी राजनयिकों को मार डाला, मुझे याद है। और अलकायदा वहां मौजूद था। इसलिए, वहां कुछ भविष्यवाणी की गई थी कि वे तत्काल जा सकते हैं। यह समय 97 में था, मुझे याद है कि मैं प्रथम राष्ट्रपति का राज्य सलाहकार था और श्री सोलाना के साथ बैठक हुई थी। वह उस समय नाटो के महासचिव थे और राष्ट्रपति करिअप्पा ने पूछा था, यदि तालिबान हमारे पास आएगा, सीमा से होकर जाएगा, क्या आप आ सकते हैं, हमारा बचाव करेंगे? कोई जवाब नहीं थे, इसलिए एससीओ ने अहम भूमिका निभाई।
20. ताशकंद में एससीओ और आतंकवाद विरोधी संरचना, जिसे 2004 में स्थापित किया गया था, एक मंच है, एक अच्छा तंत्र है जहां अब भारतीय प्रतिनिधि हमारे सदस्य राष्ट्रों के बीच, हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षा एजेंसियों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए काम कर रहा है। और सुरक्षा के क्षेत्र में एससीओ में कई प्रभावशाली घटनाक्रम हैं। आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, अपराध का प्रतिकार करने के साथ-साथ आधुनिक विश्व की परस्पर निर्भरता के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने के संबंध में सम्मेलन और समझौते शामिल हैं। कोई भी देश अकेले इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं है, इसके विपरीत, उन्हें दूर करने के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर प्रभावी, सामूहिक दृष्टिकोणों के गठन और सुधार की आवश्यकता है।
21. वर्ष 2018 में एससीओ सदस्य देशों के सक्षम अधिकारियों ने आतंकवाद के वित्तपोषण के 10 चैनलों की पहचान की और उन्हें दबा दिया और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के संदेह में 10,000 से अधिक विदेशियों को एससीओ सदस्य देशों में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इसके साथ ही, शांति मिशन के संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
22. हम आतंकवादियों और चरमपंथियों के प्रयोजनों के लिए इसके संचालन के लिए नियमों और मानकों के विकास में सभी राष्ट्रों की समान भागीदारी के आधार पर इंटरनेट के उपयोग के विरूद्ध साझा दृष्टिकोण विकसित करने के प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2018 में, [संगठन] आतंकवादी और अतिवादी प्रकृति की सामग्रियों वाले 165,000 इंटरनेट संसाधनों तक सीमित पहुंच थी, जिसमें सोशल नेटवर्क के उपयोगकर्ताओं के 3,000 से अधिक अकाउंट शामिल हैं।
23. इस दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान 2017 में हस्ताक्षरित उग्रवाद का प्रतिकार करने पर एससीओ सम्मेलन है, जो समाज में अतिवादी विचारधारा के प्रसार का मुकाबला करने के लिए साझा बहुपक्षीय दृष्टिकोणों को दर्शाता है। दस्तावेज़ सार्वभौमिक और किसी भी इच्छुक राष्ट्र द्वारा राज्यारोहण के लिए खुला है।
24. मेरा कहना है कि एससीओ परिधि में आतंकवादी खतरे का मुख्य स्रोत अफगानिस्तान का क्षेत्र बना हुआ है। अफगान सीमा क्षेत्र में वर्तमान स्थिति चिंता बढ़ाने की है और अस्थिरता के फैल प्रभाव और मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के पड़ोसी राज्यों में आतंकवादी गतिविधि के बदलाव के मामले में संभावित जोखिम वहन करती है।
25. विशेष रूप से, इसका साक्ष्य ताजिकिस्तान में सीमांत इश्कोबोद पर आईएसआईएस आतंकवादियों द्वारा हाल ही में किया गया हमला है। इसलिए, मादक पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण फिर से लेने के लिए, अवैध गतिविधि के वित्तपोषण के लिए, एक तरफ से गतिविधि को प्रतिबंधित करने के लिए अब हम जो देख रहे हैं वह यह है कि ये ताकतें तालिबान के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। दूसरी तरफ उनकी इस यातायात, अवैध यातायात या मादक पदार्थों के यातायात, आतंकवादियों को मध्य एशियाई देशों, रूस और दक्षिण एशियाई देशों तक पहुंचाने के लिए इन मार्गों का उपयोग करने में रुचि हैं।
26. मादक पदार्थों के उत्पादन और तस्करी में अफगानिस्तान की संलिप्तता, जो विभिन्न अनुमानों के अनुसार, स्थानीय सशस्त्र समूहों की आय का 65% तक है, एससीओ सदस्य राष्ट्रों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है और पिछले पांच वर्षों में एससीओ के सदस्य देशों ने यूरेशियन महाद्वीप में जब्त की गई सभी मादक पदार्थों में से 40% से अधिक को जब्त किया है। उस देश की बिगड़ती स्थिति के लिए हमें पूरे क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त निवारक उपाय करने की आवश्यकता है। आतंकवादियों के निरंतर खतरों, मादक पदार्थों की तस्करी और सीमा पार संगठित अपराध को ध्यान में रखते हुए हम अफगान समस्या के व्यापक समाधान के बारे में बात कर रहे हैं। एससीओ इस देश के आर्थिक सुधार में मदद करने सहित अफगानिस्तान में राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देना चाहता है।
27. अफगानिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सितंबर में 41 वैगन, इस ट्रेन में 41 वैगन थे, अफगानिस्तान से माल को हेराटन से उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान होते हुए चीन ले जाया गया। इसलिए, हम इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को सभी सदस्य देशों के समर्थन से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। और महत्वपूर्ण बात यह है कि अफगानिस्तान को मादक पदार्थों का विकल्प देने के लिए समर्थन दिया जाए, क्योंकि यदि हमें इस देश में नशीले पदार्थों के उत्पादन का समाधान नहीं मिलेगा तो इस देश में शांति और स्थिरता प्राप्त करना कठिन होगा।
28. बिश्केक शिखर सम्मेलन में, जैसा कि कहा गया था, हमने अफगानिस्तान पर एससीओ के इस संपर्क समूह के लिए रोडमैप अपनाया। और हमें बहुत खुशी है कि भारत इस रोडमैप के कार्यान्वयन के लिए इस संपर्क समूह की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। एससीओ एक एकीकृत और अविभाज्य यूरेशियन सुरक्षा वास्तुकला के लिए एक विश्वसनीय ढांचे के रूप में काम करना जारी रखने के लिए तैयार है, जो आतंकवाद के वैचारिक और रसद भड़काने और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के साथ इसके संलयन का प्रतिकार करने के लिए वैश्विक प्रयासों को प्रभावी ढंग से पूरक करता है। हम एक साझा, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के निर्माण में सभी इच्छुक राष्ट्रों, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संस्थानों के साथ रचनात्मक संवाद और सहयोग के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं।
29. मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि एससीओ को मूल रूप से सुरक्षा क्षेत्र में बातचीत के संगठन के रूप में बनाया गया था। लेकिन धीरे-धीरे व्यापार और आर्थिक संबंधों के क्षेत्र में काम को सक्रिय रूप से विकसित और समर्थन देने की आम समझ थी । मैंने श्री राघवन को इस बारे में सूचित किया। 18 वर्षों के दौरान, हमारे संगठन के ढांचे के भीतर 1,400 दस्तावेजों को अपनाया गया, उनमें से 46% सुरक्षा के लिए समर्पित हैं, केवल 7% आर्थिक और मानवीय सहयोग के लिए हैं। और इस लक्ष्य की प्रासंगिकता और भी स्पष्ट है जब एससीओ के सदस्य, सबसे पहले रूस, चीन के साथ-साथ ईरान, जो एक पर्यवेक्षक राष्ट्र है, स्वयं को एकतरफा संरक्षणवादी उपायों और आर्थिक प्रतिबंधों और प्रतिबंधों के परिणामों और हमारे संगठन में अन्य भागीदारों पर संबंधित प्रभाव के प्रभाव में पाता है।
30. इसलिए डब्ल्यूटीओ की अग्रणी भूमिका और नियम आधारित पारस्परिक व्यापार प्रणाली को संरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के पक्ष में मजबूत सहमति है। बिश्केक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री मोदी के वक्तव्य में विशेष रूप से यह उल्लेख किया गया था कि एक पक्षीयता और संरक्षणवाद ने किसी का भला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि हमें विश्व व्यापार संगठन पर केंद्रित पारदर्शी, भेदभाव रहित, खुली और समावेशी, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली आधारित नियमों की आवश्यकता है। इससे सभी सदस्यों और विशेष रूप से विकासशील देशों के हितों की रक्षा होगी।
31. 7,000 किलोमीटर से अधिक लंबाई वाले [अंतर्राष्ट्रीय] उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के गठन के साथ-साथ एक नए अंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन मार्ग के गठन पर अशगाबात समझौते में भारत के राज्यारोहण के साथ व्यापार और आर्थिक सहयोग की नई संभावनाएं खुल रही हैं।
32. यह गलियारा सबसे छोटा मल्टीमॉडल परिवहन मार्ग भी होगा, जो ईरान के रास्ते हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को रूस और उत्तरी यूरोप से जोड़ता है। गलियारे की अनुमानित क्षमता प्रतिवर्ष 20 से 30 मिलियन टन माल है और इससे समय और लागत में 30%, 40% की कमी आएगी। रेलवे, सड़कों, बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे के माध्यम से माल के पारगमन परिवहन की यह परियोजना प्रतिभागी देशों के सतत आर्थिक विकास के लिए स्थिति पैदा करेगी। यह विशालकाय परिवहन गलियारा सेंट पीटर्सबर्ग को मुंबई के भारतीय बंदरगाह से जोड़ेगा।
33. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए पिछले वर्ष नवंबर में ताशकंद में एससीओ सदस्य देशों के सरकार प्रमुखों की परिषद ने 2035 तक एससीओ सदस्य देशों के बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग के कार्यक्रम के एक नए संस्करण को मंजूरी दी, जिसमें प्रभावी परिवहन बुनियादी ढांचे के संतुलित विकास और परिवहन में डिजिटल प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक प्रणाली के उपयोग के विस्तार के लिए कार्य के कार्यान्वयन का प्रावधान है। इसने रेलवे सहयोग के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक को भी अपनाया; 18 वर्षों में इस प्रकार का पहला दस्तावेज है जो एससीओ सदस्य देशों के रेलवे प्रशासनों के बीच बातचीत की अवधारणा देता है, जो रेल परिवहन के क्षेत्र में सहयोग के विकास के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है। हमारे सदस्य देशों ने 244,000 किलोमीटर जोड़ी, लेकिन प्रभावशाली बात यह है कि इसमे से 104,000 किलोमीटर भारतीय रेलवे ने जोड़ी है। यह दुनिया में सबसे बड़ा है, यह रेलवे कनेक्शन, कनेक्टिविटी। लेकिन क्या उल्लेख करने के लिए महत्वपूर्ण है कि, 2010 से, [वहां गया है] एशिया से यूरोप और वापस कंटेनरों के परिवहन में 40 बार वृद्धि हुई है, लेकिन रेल मार्ग से केवल 3% माल ले जाया जाता है; 90% जहाजों द्वारा ले जाया जाता है।
34. लेकिन यहां कई बाधाएं हैं, जिसके लिए हमें समाधान ढूंढना चाहिए। क्योंकि परिवहन, रेल विशाल यूरेशियन महाद्वीप में व्यापार और आर्थिक सहयोग के विकास के लिए आज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन अगर हम विकासशील ई-वाणिज्य को ध्यान में रखते हैं, तो हम अपने सामान जिसे हमने इंटरनेट के माध्यम से ऑर्डर किया था, कल नहीं तो परसों अपने दरवाजे पर चाहते हैं। यही कारण है कि रेल-सड़क एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसका महत्व बढ़ जाएगा।
35. एससीओ देशों की पारगमन क्षमता बढ़ाने के संदर्भ में, चीन-किर्गिस्तान-उजबेकिस्तान रेलवे परियोजना पूर्वी एशिया को मध्य पूर्व, तुर्की और यूरोप के साथ जोड़ने वाले आशाजनक अतिरिक्त मार्गों में से एक बन सकती है और साथ ही पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण परियोजना के ढांचे के भीतर परिवहन नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकती है, जिसमें हिंद महासागर [बंदरगाहों] सहित अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों तक पहुंच प्रदान की गई है।
36. एक बड़ी यूरेशियन साझेदारी, एक व्यापक एकीकरण संरचना बनाने का एक दिलचस्प विचार है। यह एक रूसी पहल, व्यापक एकीकरण संरचना है जिसे क्षेत्रीय संघों और अंतर-महाद्वीपीय परियोजनाओं के नेटवर्क के आधार पर विकसित करना चाहिए। वर्तमान में एससीओ के ढांचे में लागू की जा रही परिवहन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्देश्य उन राष्ट्रों के लिए अनुकूल अवसर प्रदान करने के मौलिक कार्य का समाधान करना है, जिनकी पहुंच समुद्र तक नहीं है, जो मुख्य रूप से मध्य एशियाई देश हैं, जहां भूमि मार्ग नहीं हैं। पिछले महीने [संयुक्त राष्ट्र महासचिव] श्री [एंटोनियो] गुटेरेस ने एक बयान दिया था, जहां उन्होंने उन देशों का समर्थन करने के लिए विश्व समुदाय के महत्व को रेखांकित किया, जिनकी समुद्र तक सीधी पहुंच नहीं है। उज्बेकिस्तान, लिकटेंस्टीन दो दोहरे बिन भूमि मार्ग देश हैं। और, जैसा कि श्री गुटेरेस ने सही कहा है, इन देशों द्वारा निर्यात किए गए माल की कीमत में परिवहन घटक 60%-70% है।
37. इसलिए हम नई रक्त धमनी बनाते हैं जो जीवन देगी, यूरेशियन संगठन को शक्ति देगी। भारत और आसियान राज्यों के खुले दृष्टिकोणों को हिंद-प्रशांत अवधारणा के लिए, एक रचनात्मक, समावेशी और गैर-टकराव प्रकृति पर ध्यान देते हुए हम एक बहुत रुचि के साथ पालन करते हैं जिसका अर्थ है एक बहुविषयक सहयोग, कनेक्टिविटी और टिकाऊ विकास, अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान और उन सभी के लिए खुलापन जो इन सिद्धांतों के आधार पर काम करना चाहते हैं।
38. हमें ऐसा लग रहा था कि चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बीच सहयोग की धुरी रूसी सुदूर पूर्व और दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया की विकास योजनाओं में पूरी तरह से सटीक बैठती है। इस तरह की लक्ष्य निर्धारण पूरी तरह से महान यूरेशियन साझेदारी की अवधारणा के प्रमुख सिद्धांतों के अनुरूप है, जो रूस द्वारा प्रस्तावित है जिसमें एससीओ और आसियान जैसे तंत्र को आगे स्थान मिल सकता है, जो सहयोग के लिए महत्वपूर्ण मंच होने के नाते और स्थापित साझेदारी की बदौलत राजनीति, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उत्पादकता से कार्य करते हैं। हमारे संयुक्त प्रयासों से ही हम यूरेशिया के आसपास के महाद्वीपों और क्षेत्रों को एकजुट करने के लिए विशाल यूरेशियन महाद्वीप पर विशाल समुद्र और भूमि स्थान को एकजुट करने में सक्षम होंगे।
39. और कुल मिलाकर, हम मानते हैं कि एससीओ की विविध व्यावहारिक गतिविधियों से एक बड़ी यूरेशियन साझेदारी, व्यापक एकीकरण सर्किट का गठन होता है, जिसे क्षेत्रीय संघों, एससीओ, यूरेशियन आर्थिक आयोग, आसियान और अंतरमहाद्वीपीय परियोजनाओं के एक नए नेटवर्क के आधार पर विकसित किया जाना चाहिए, जो पारदर्शिता और प्रतिभागियों के हितों के प्रति सम्मान के सिद्धांतों पर विचार करते हैं।
40. मैं आम नियति के समुदाय के चीनी विचार का उल्लेख करना चाहुंगा जो यूरेशियन महाद्वीप को शामिल करने और इन विचारों के कार्यान्वयन निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनके कार्यान्वयन से महाद्वीप में आर्थिक सहयोग सुदृढ़ होगा, साझा परिवहन और ऊर्जा बुनियादी ढांचा विकसित होगा और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
41. इसलिए, चीन और भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के संबंध में यूरोपीय विशेषज्ञों, पश्चिमी विशेषज्ञों के व्याख्यानों में, यह कहा जाता है कि विश्व आर्थिक विकास के रुझान पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं। हां, यह इस प्रकार बहुत सावधानी से था, यह पहले मूल्यांकन किया गया था, लेकिन [फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल] मैक्रों ने खुलेआम कहा। उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि विश्व अर्थव्यवस्था पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ रही है। जैसा कि श्री मोदी ने चिंगदाओ में अपने वक्तव्य में कहा था, हां, ऐतिहासिक रूप से ऐसा है। उन्होंने कहा कि एक हजार वर्षों में एससीओ क्षेत्र, जो अब एकजुट खड़ा है, ने आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
42. अब, विश्व समुदाय को पहली तकनीकी सूचना क्रांति से लाभ हो रहा है जहां वे 5जी, त्वरित संचार नेटवर्क, और वस्तुओं और अति सूक्ष्म प्रद्योगिकी आदि के इंटरनेट के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शुरू कर रहे हैं।
43. हमारा जीवन अलग होगा, व्यापार अलग होगा और निश्चित रूप से जो देश इन फायदों को लागू करने के लिए तैयार नहीं होंगे, वे पीछे रहेंगे। लेकिन, ये नवाचार हमारे देशों में है, एल्गोरिथ्म से एक हजार वर्ष पहले मैंने राजदूत के रूप में यूरोप में 10 से अधिक वर्षों तक काम किया, मैंने अपने सहयोगियों और अपने मित्रों को शिक्षित किया कि एल्गोरिदम लैटिन शब्द नहीं है, यह अल-ख्वारिज़्मी, एल्गोरिज्मस, एल्गोरिदमस, 11 वीं शताब्दी में बीजगणित के संस्थापक का नाम है - 10 या 11 वीं शताब्दी में उन्होंने भारतीय उपलब्धियों, भारतीय लेखांकन, शून्य से शुरुआत की और अब संयोजन 0101 यह [सभी सॉफ्टवेयर का आधार] है। और इसीलिए हमें बहुत खुशी है कि चीन, भारत और रूस जैसे अन्य देश डिजिटलीकरण और ई-वाणिज्य में बड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं । चीन, निश्चित रूप से दुनिया में अग्रणी काउंटर में से एक है और एससीओ ई-वाणिज्य के लिए एक ही है। ई-वाणिज्य के जरिए इन देशों का 35% न्यापार कारोबार [आईएस] है।
44. क्या महत्वपूर्ण है, यह न केवल अच्छा व्यापार कर रहा है, बल्कि एक ही समय में, श्रम बलों और 55% जो चीन में ई-वाणिज्य में लगे हुए हैं महिलाएं हैं, हम लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण के बारे में अधिक बात कर रहे हैं, लेकिन यहां मजबूत आधार है। भारत में, जैसा कि मैंने कल पढ़ा, इस व्यवसाय में 20% महिलाएं थीं और क्या महत्वपूर्ण है कि ई-वाणिज्य चीन में तेजी से विकसित हो रहा है- भारत में भी यह बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। आज 9,000 ई-वाणिज्य कंपनियां और अगले वर्ष यह 11,500 डॉलर का कारोबार होगा और व्यापार कारोबार 250 अरब डॉलर का होगा, लेकिन इसी समय मुझे यकीन है कि इसमें भी वृद्धि होगी।
45. मैं हाल ही में फेयरमोंट में था और मेरी बेटी वहाँ सैन फ्रांसिस्को में रह रही है, यह सिलिकॉन वैली है. और मैंने केवल भारतीयों [आसपास के क्षेत्र में], भारतीय रेस्तरां, भारतीय सिनेमा थिएटर, सब कुछ देखा। तो मैंने स्वयं से प्रश्न किया कि ये लोग अपने ही देश में अच्छा व्यापार क्यों नहीं कर रहे हैं? हमें ऐसी स्थितियां बनानी चाहिए। यही कारण है कि मैं अलीबाबा, पूर्व अध्यक्ष से मिला, अब वह सेवानिवृत्त हैं और हमने आसियान राज्यों में 1,0,0 युवा छात्रों के प्रशिक्षण के बारे में बात की। मैंने कहा ठीक है, हमारे पास 800,000,0 हैं, आप उन्हें हमारे देशों की सहायता करने के लिए प्रशिक्षित क्यों नहीं कर सकते और पिछले सप्ताह हमारे सचिव ने इस विशाल ई-वाणिज्य कंपनी के अध्यक्ष श्री ब्रायन के साथ बैठक की थी । हमने अपने देश में ई-वाणिज्य का पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए उनके द्वारा कार्यान्वयन के लिए कुछ कार्यक्रम बनाने की बात कही थी। यह एक बड़ा अवसर था, इसीलिए मैं समळाता हूं कि एससीओ परिवार राष्ट्रों, यूरोपीय संघ और आसियान के बीच बातचीत को गहरा करने में हम दूरगामी परिणाम देखते हैं।
46. वर्तमान अस्थिर वैश्विक स्थिति में, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को पूरी तरह से अपनी भूमिकाओं को पूरा करना चाहिए, यही कारण है कि मैं मांग कर रहा हूं, आपके साथ काम करने के लिए। मैं आपके साथ काम करना जारी रखना चाहूंगा कि आपसे और अधिक विचार प्राप्त हों, कि एससीओ को क्या करना चाहिए। इस वर्ष अप्रैल में हम किर्गिज रिपब्लिक में एससीओ का अगला फोरम करेंगे। हां, हम आपको वह कार्यसूची भेजेंगे जो हमने तैयार की है, हमारा सचिवालय, हमने किर्गिज को भेजा है, जो किर्गिज के थिंक टैंक हैं, जो उत्तरदायी हैं। और हमें खुशी होगी अगर हम थिंक टैंक के इस मंच, हमारे संगठन के मंचों को एक संस्था में बदल सकते हैं, जो हमारे देशों की क्षमता को विकसित करने और उपयोग करने और सभी विरोधाभासों के समाधान खोजने के लिए, सभी बाधाओं के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। और क्योंकि अगर हम देख रहे हैं-चीन भारत के रूप में बढ़ रहा है, लेकिन जैसा कि श्री शी जिनपिंग ने इसे रेखांकित किया, 2 वर्ष पहले चीन 15 वर्ष बाद करीब 30,0,000,000 डॉलर (सामान) आयात करेगा। सभी सदस्य देशों के पास चीन के साथ साझा निकाय है, [सिवाय] उजबेकिस्तान। लेकिन चीन ने पिछले वर्ष 2,0,000,0,0 डॉलर का आयात किया, लेकिन (एससीओ) सदस्य देशों से आयातित केवल 100,000,0,000 डॉलर (सामान की कीमत) था। इसलिए हमें इस पर गौर करना चाहिए। एससीओ में शामिल होकर भारत एससीओ के सदस्य देशों के साथ अपने व्यापारिक कारोबार को 27 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। यह व्यापार कारोबार 2017 में 88 अरब डॉलर, और 2018 में 100 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार, लेकिन इसके साथ ही भारत 80 अरब डॉलर मूल्य के सामान का आयात करता है। इसलिए भारत का व्यापार असंतुलित है। इसलिए हमें देखना चाहिए कि हम इस संगठन से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं। हमारे आम लोगों को हमारे देशों में रहने वाले हर व्यक्ति को इससे लाभ होना चाहिए।
ध्यानपूर्वक सुनने के लिए आपका धन्यवाद।
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