अपने उद्देश्यों तथा जनादेशों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा विदेश नीति शीर्षक पर किए गए स्तरीय अनुसंधान पर मूल पुस्तक/पाण्डुलिपि के अभियान हेतु योजना की घोषणा करते हुए विश्व मामलों की भारतीय परिषद को प्रसन्न्ता हो रही है। इसे परिषद की वेबसाइट www.icwa.in पर देखा जा सकता है। प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करने के लिए विश्वा मामलों की भारतीय परिषद को 6 माह की समय सीमा चाहिए।
उद्देश्य
विश्व मामलों की भारतीय परिषद के पुस्ताक अनुसंधान अनुदान का उद्देश्य क्षमता निर्माण और शिक्षकों, विशेषज्ञों, अधिकारियों का व्यावसायिक विकास करना तथा अंतराष्ट्रीय संबंधों, अध्ययन क्षेत्रों और भारत की विदेश नीति के क्षेत्र में उभरते हुए अनुसंधानकर्ताओं को प्रोत्सााहन देना है।
अनुसंधान क्षेत्र
अनुसंधान अनुदान के आवेदन हेतु निम्न विचारार्थ विषय शामिल हैं:
- भारत की विदेश एवं आर्थिक नीति तथा इसके निर्माण के लिए किया जा रहा कार्य।
- एशिया, भारत प्रशांत तथा एशिया प्रशांत क्षेत्र की बदलती राजनीतिज्ञ-सामरिक गतिशीलता और कैसे यह भारत को प्रभावित कर रहा है ।
- भारत का अपने पड़ोसियों तथा वृहद पड़ोस के साथ संबंध ।
- पी-5 देशों के साथ भारत का संबंध।
- बहुपक्षीय संस्थानों का क्रमिक विकास।
- क्षेत्रीय व्यवस्था् का क्रमिक विकास।
- अध्ययन क्षेत्रः दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका, मध्यल एशिया, अफ्रीका, यूरोप, परमाणु मुद्दा, जलवायु परिवर्तन आदि।
पात्रता
आवेदक/आवेदकों के पास पात्रता के लिए रूप से निम्नलिखित अर्हताएं होनी चाहिए :
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालय से संबद्ध हो तथा जिसके साथ उनके विभाग अथवा व्यक्तियों का कायकारी संबंध हो। प्रारंभिक करियर अनुसंधानकर्ता तथा पोस्ट डॉक्टरेट छात्र जो अंतर्राष्ट्रीाय संबंध के क्षेत्र में अनुसंधान में अपना अकादमिक करियर बनाना चाहते हैं। (प्रारंभिक अनुसंधानकर्ता वे हैं जिन्होंने आवेदन की अंतिम तिथि से 10 साल से भी कम पूर्व डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त् की है)।
- प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान से संबद्ध हो। मेजबान संगठन यह प्रदर्शित करने में सक्षम होना चाहिए कि वे आवेदक को अपने अनुदान का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में समर्थ बनाने के लिए उपयुक्त बौद्धिक समर्थन और सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय, विचार मंच/संस्थान अथवा अन्य् अनुसंधान संस्थान में कार्यरत हो। यह सभी विषयों के लिए भी खुला है, परंतु अनुसंधान विश्व मामलों की भारतीय परिषद के अनुसंधान प्राथमिक क्षेत्रों में सूचीबद्ध क्षेत्रों से संबंधित होना चाहिए।
- आवेदक को भारत का नागरिक होना चाहिए।
- विषय/डोमेन ज्ञान के साथ सेवारत अथवा सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी / राजनयिक / कार्यपालक।
प्रस्तावः कपृया संलग्न दिशानिर्देशों (पीडीएफ) को देखें।
नियम
- आवेदक इस बात का साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे कि उन्होंने अनुसंधान/ शोध की साख या विश्वनीयता की स्थापना की है तथा वे 18 माह की समय सीमा के अंदर इस अनुसंधान को पूरा करना चाहते हैं।
- सफल आवेदक अपना अनुसंधान कार्य अधिसूचना प्राप्त होने के बाद शुरू करेंगे तथा इसे निर्धारित अवधि में प्रस्तुत करेंगे। असफल होने पर विश्व मामलों की भारतीय परिषद के पास जुर्माना लगाने का अधिकार होगा, जिसमें बाजार की दर पर ब्यााज सहित अनुसंधान अनुदान को लौटाना शामिल होगा।
- अनुसंधान प्रस्ताव प्रस्तुत करने से पूर्व आवेदकों को विश्व मामलों की भारतीय परिषद के कार्यक्षेत्र एवं कार्यक्रम (अनुसंधान, ट्रैक 2 गतिविधियां, आउटरीच, मीडिया तथा प्रकाशन) तथा विश्व मामलों की भारतीय परिषद के हित के क्षेत्रों से अपने आपको परिचित कर लेना चाहिए।
- 6 वर्ष की अवधि के अंदर किसी भी व्यक्ति को दोबारा अनुसंधान अनुदान नहीं दिया जाएगा।
- विश्व मामलों की भारतीय परिषद की अनुसंधान समिति का निर्णय अंतिम एवं बाध्य होगा।
- प्रस्तााव स्वीकृत हो जाने के मामले में 18 माह के भीतर अंतिम पुस्तक/पाण्डुलिपि (प्रस्ताव) प्रस्तुत करना होगा। आपवादिक परिस्थितियों में 6 से 12 माह के विस्तार पर विचार किया जा सकता है।
- विश्व मामलों की भारतीय परिषद अनुदान को तीन किश्तों में देगी, जिसकी अधिकतम सीमा 3 लाख रुपए से अधिक नहीं होगी। अनुसंधान समिति द्वारा प्रस्ताव अनुमोदित कर दिए जाने के बाद प्रत्याशित लेखक द्वारा अपेक्षित वचन पत्र पर हस्ताक्षर करने के उपरांत 1 लाख रुपया जारी कर दिया जाएगा। 1 लाख रुपए के अनुदान की दूसरी किश्त का भुगतान परिषद को प्रस्तुत प्रारूप पुस्तक प्रारूप की आंतरिक समीक्षा करने के बाद ही किया जाएगा। पहले पांच अध्यायों का आरंभिक प्रारूप (20000 से 25000 शब्द ) प्रस्तुत करना होगा। परिषद द्वारा आंतरिक जांच के पश्चात यह संतोषजनक पाए जाने पर कि इस संबंध में पर्याप्त प्रगति की गई है, अनुदान की दूसरी किश्त लेखक को जारी कर दी जाएगी।
- निश्चित समीक्षा प्रक्रिया के उपरांत पुस्तक के प्रकाशन के पश्चात तीसरी किश्त का भुगतान किया जाएगा। समीक्षक की टिप्पणियों को शमावेशित करने के बाद लेखक संशोधित पुस्तक प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। विश्व मामलों की भारतीय परिषद निष्पक्ष द्वि-समीक्षक प्रक्रिया को अंगीकार करती है।
- पुस्तक परियोजना पर प्रगति की निगरानी छमाही आधार पर की जाएगी।
- लेखक द्वारा परिषद को यात्रा/क्षेत्र भ्रमण प्रस्ताव प्रस्तुत करने और परिषद द्वारा अनुमोदन के बाद, क्षेत्र भ्रमण करने के लिए 4 लाख रुपये तक का अतिरिक्त यात्रा अनुदान प्रदान किया जा सकता है। परिषद एक अपवाद के रूप में लेखक से इस उद्देश्य के लिए प्राप्त औचित्य के आधार पर, क्षेत्र यात्राएं शुरू करने के लिए लेखक को सक्षम करने के लिए आशिंक में या पूर्ण रूप से अग्रिम राशि प्रदान करने पर विचार कर सकती है। अग्रिम राशि का समायोजन: परिषद में बिल जमा करने के बाद 15 दिनों के भीतर मूल बिल वाउचर, बोर्डिंग पास, टिकट आदि के साथ जमा किए गए टीए बिल से समायोजन द्वारा अग्रिम की वसूली की जाएगी। भारत सरकार के मौजूदा यात्रा भत्ता नियमों के अनुसार दावा प्रस्तुत करना होगा। आईसीडब्ल्यूए द्वारा इच्छुक लेखकों को कोई अन्य वित्तीय, लॉजिस्टिक या सचिवालीय सहायता प्रदान नहीं की जाएगी।
- पुस्तक परियोजना 7 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी।
दिशानिर्देश
पावती, फुटनोट तथा पूरक अंश को छोड़कर पुस्तक का विस्ताीर न्यू-नतम 60000 शब्दों में होना चाहिए। स्वीकृत पुस्तक की कॉपीराइट विश्वक मामलों की भारतीय परिषद के पास होगी, पुस्तक की प्रति की बिक्री से प्राप्त किसी भी रॉयल्टीं को परिषद लेखक के साथ शेयर कर सकती है।
सभी पुस्तक अनुदान संबंधी प्रस्ताव पूरी तरह विश्व मामलों की भारतीय परिषद के प्रारूप में होना चाहिए। अकादमिक तथा अनुसंधान संस्थानों एवं विचार मंचों से संबद्ध आवेदकों को संकाय अध्यक्ष अथवा केन्द्र /थिंक टैंक मंच के विभागाध्यक्ष से अग्रेषित पत्र लगाना चाहिए। प्रस्तााव संलग्न निर्धारित प्रारूप में मुहरबंद लिफाफे में (ईमेल द्वारा नहीं) जिस पर स्प्ष्टर रूप से बाईं तरफ स्पष्ट रूप से ''पुस्तक परियोजना का शीर्षक’’ एवं ''पुस्तक अनुसंधान अनुदान’’ लिखा हो, उपमहानिदेशक, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू हाउस, बाराखंबा रोड, नई दिल्लीन-110001 को भेजना होगा।