सारांश: इस शोधपत्र का उद्देश्य यह समझना है कि 2021 के म्यांमार सैन्य तख्तापलट के बाद भारत– म्यांमार सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ– साथ पूर्वोत्तर भारत की आंतरिक सुरक्षा को किस तरह से प्रभावित किया है।
परिचय
भारत– म्यांमार सीमा पर नशीले पदार्थों की बढ़ती तस्करी क्षेत्र की राजनीतिक और सामाजिक– आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा है। यह पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद को भी बढ़ावा देता है, जिससे इसकी आंतरिक सुरक्षा प्रभावित होती है। जगह– जगह से प्रवेश की जा सकने और बिना बाड़ वाली सीमाएं एवं कमज़ोर निगरानी ने मादक पदार्थों की तस्करी के लिए अनुकूल माहौल बना दिया है। साल 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता के साथ सीमाओं पर ये कमियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन गई हैं। उत्तर पूर्व भारत की सीमाओं पर म्यांमार में एथनिक आर्मर्ड ऑर्गेनाइजेसंस (ईएओ/EAOs) की बढ़ती संख्या ने मादक पदार्थों की तस्करी में उनकी भागीदारी बढ़ा दी है, जिसका उपयोग सत्ताधारी सेना के खिलाफ उनके अभियानों को धन उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, उत्तर पूर्व में स्थित उग्रवादी अफीम के पैसे का उपयोग हथियार और विस्फोटक खरीदने के लिए करते हैं, जिससे मादक पदार्थों की तस्करी और बढ़ जाती है एवं भारत की सुरक्षा और स्थिरता पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।
इस संदर्भ में, राजस्व खुफिया निदेशालय की 2023-24 की रिपोर्ट नार्को– तस्करी के मुद्दे को सुलझाने के महत्व पर प्रकाश डालती है। यह अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ व्यापार के विकसित होते गठबंधन के बारे में चिंता दर्शाती है क्योंकि भारत– म्यांमार क्षेत्र मेथामफेटामाइन और याबा जैसी सिंथेटिक दवाओं का केंद्र बन गया है जो मुख्य रूप से म्यांमार से आती हैं।[i]
सैन्य तख्तापलट के बाद नार्को– तस्करी
साल 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद, एथनिक आर्मर्ड ऑर्गेनाइजेशंस एवं सत्ताधारी सेना के बीच तनाव के कारण म्यांमार में राजनीतिक स्थिति खराब हो गई है। तख्तापलट के परिणामस्वरूप म्यांमार अत्यधिक हिंसक दमन, सशस्त्र प्रतिरोध और आर्थिक उथल–पुथल का सामना कर रहा है। राजनीतिक अस्थिरता के अलावा, म्यांमार दक्षिण–पूर्व एशिया में मादक पदार्थों का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।[ii] यह ‘गोल्डन ट्रायंगल’ का भी एक महत्वपूर्ण अंग है, जो म्यांमार, लाओस और थाईलैंड से मिलकर बना क्षेत्र है। ऐसा क्षेत्र जो मादक पदार्थों की खेती और नशीली दवाओं की तस्करी से जुड़ा है। ये कारक भारत– म्यांमार सीमा पर नशीली दवाओं की तस्करी को और बढ़ावा देते हैं।[iii]
सैन्य–तख्तापलट के बाद अफीम की खेती में बढ़ोतरी के कारण मादक पदार्थों की तस्करी पर असर पड़ा है। यूनाइटेड नेशन ऑफिस ऑन ड्रग एंड क्राइम (यूएनओडीसी/UNODC) के क्षेत्रीय प्रतिनिधि जेरेमी डगलस ने कहा कि 1 फरवरी 2021 को सैन्य अधिग्रहण के बाद आर्थिक, सुरक्षा और शासन में व्यवधानों ने अंततः दूरदराज के क्षेत्रों में स्थानीय किसानों को अफीम की खेती से आजीविका चलाने के लिए विवश किया है।[iv] इसके अलावा, अफीम की तुलना में सामान्य नकदी फसलों की खेती की उच्च लागत जैसे सामाजिक– आर्थिक कारकों ने किसानों के पास अफीम की खेती के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।[v] अफीम की खेती से होने वाली आय 355 अमेरिकी डॉलर प्रति किलो तक पहुँच गई है जो अन्य फसलों की तुलना में बहुत अधिक है। अनुमान है कि 2023 में म्यांमार से 154 टन हेरोइन का निर्यात किया गया जिसका बाज़ार मूल्य 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर था।[vi] इसके अलावा कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए/KIA), अराकान आर्मी (एए/AA) और यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी (यूडब्ल्यूएसए/UWSA) जैसे ईएओ की मादक पदार्थों की तस्करी में कथित संलिप्तता ने भी इस वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि अफीम की खेती से अर्जित धन का उपयोग हथियार और विस्फोटक खरीदने एवं लोगों की भर्ती करने में किया जाता है।[vii]
यूएनओडीसी की रिपोर्ट में दिए आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में अफीम की खेती का क्षेत्र जो साल 2021 में 30,200 हेक्टेयर था वह 2023 में बढ़कर 47,000 हेक्टेयर हो गया था।[viii] इसके अलावा, अध्ययनों से पता चलता है कि 2021 के तख्तापलट के बाद भी, शान राज्य म्यांमार का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक राज्य बना हुआ है। यह राज्य कुल उत्पादन में करीब 88% का योगदान करता है। कचिन राज्य में 2021 में जहाँ 4,200 हेक्टेयर में खेती की जा रही थी वहीं 2023 में खेती के क्षेत्रफल वृद्धि हुई और यह 4,600 हेक्टेयर पहुँच गई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय सीमाओं के पास बसे चीन के राज्यों में होने वाली खेती के क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है, साल 2021 में जहां 560 हेक्टेयर में खेती हुआ करती थी वही 2023 में 760 हेक्टेयर में खेती की गई।[ix]
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
म्यांमार में इन घटनाक्रमों का भारत की सुरक्षा पर कई प्रभाव पड़ रहे हैं। सबसे पहले, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में अफीम की खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। पूर्वोत्तर भारत में अफीम की खेती मुख्य रूप से मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश राज्यों में की जाती है जो म्यांमार के कचिन, सागाइंग क्षेत्र और चिन राज्य की सीमा पर हैं। दोनों देशों के जातीय समूह जो ऐसे अलग– थलग, पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं, इन सीमावर्ती क्षेत्रों को अपना घर कहते हैं और वे समान भौगोलिक विशेषताओं को साझा करते हैं। गरीबी और रोजगार की कमी समेत खराब सामाजिक– आर्थिक संकेतकों के कारण इन क्षेत्रों में अवैध अफीम उत्पादन जारी है।[x]
मणिपुर में अफीम की खेती मुख्य रूप से उखरुल, सेनापति, कांगपोकपी, कामजोंग, चुराचांदपुर और टेंग्नौपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है।[xi] हालांकि, यह ध्यान देने वाली बात है कि मणिपुर में अफीम की खेती 2021 के स्तर से लगभग 60% कम होकर 28,000 एकड़ से घटकर 11,200 एकड़ रह गई है, जिसका मुख्य कारण सख्त नीति परिवर्तन और वैकल्पिक आजीविका कार्यक्रमों का पालन करना है।[xii] जहाँ तक अरुणाचल प्रदेश का सवाल है, अफीम की खेती की लगातार समस्या और इसकी जटिल सामाजिक– सांस्कृतिक जड़ें चिंता का विषय बनी हुई हैं और विशेष रूप से अंजॉ और लोहित जिलों में सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई हैं।[xiii]
म्यांमार से मादक पदार्थों की तस्करी दो तस्करी मार्गों से होकर भारत में कई स्थानों तक की जाती है, जो इस प्रकार हैं:
ये मार्ग सीमित निगरानी वाले संवेदनशील सीमा और पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरते हैं। इसके अलावा, सीमा के दोनों ओर व्याप्त जातीय विद्रोह की मौजूदगी तस्करों को अवैध सामान ले जाने में सहूलियत देती है।[xiv] सीमा पर ठोस प्रवर्तन की कमी, निगरानी व्यवस्था की कमी और स्थानीय तस्करी नेटवर्क संघों की बड़े पैमाने पर मौजूदगी नशीली दवाओं के प्रवाह को बढ़ावा देती रहती है। इससे एक मुश्किल स्थिति पैदा होती है, जहाँ अधिकारी अक्सर स्वयं को तस्करों से एक कदम पीछे पाते हैं, जिससे दीर्घकालिक समाधान लागू करना मुश्किल हो जाता है।
मादक पदार्थों की तस्करी का एक और निहितार्थ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। भारत– म्यांमार सीमा पर मादक पदार्थों की तस्करी 1970 के दशक से, एक लंबे समय से चली आ रही समस्या रही है और म्यांमार से 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से यह लगातार सुरक्षा चुनौती पेश कर रही है।[xv] 7 जनवरी 2024 को असम के कछार जिले के श्रीकोना इलाके में डीआरआई द्वारा जब्त किए गए 64,000 मेथमफेटामाइन टैबलेट वाले पैकेट बरामद किए गए। इसी तरह 7 मार्च 2024 को मिज़ोरम के आइजॉल में तुइरियल गांव के पास करीब 149,800 गोलियां जब्त की गईं, इसमें दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। 17 फरवरी 2024 को डीआरआई ने पश्चिमी त्रिपुरा जिले से 416.13 किलोग्राम गांजा जब्त किया और 7 मार्च 2024 को एक अन्य मामले में सिपाहीजाला जिला, त्रिपुरा, असम राइफल्स ने 450 किलोग्राम गांजा जब्त किया। पूर्वोत्तर राज्यों में खुफिया निदेशालय राजस्व द्वारा दर्ज किए गए ड्रग मामले नशीले पदार्थों की तस्करी की खतरनाक प्रवृत्ति को दर्शाते हैं जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।[xvi]
तस्करी के मामले खास तौर पर भारत और म्यांमार की सीमाओं पर सुरक्षा के लिए संकट पैदा कर रहे हैं जो भारत के मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे 1643 किमी लंबे क्षेत्र में फैली हुई है।[xvii] नशीले पदार्थों के तस्कर सीमा पार अवैध गतिविधियों के लिए पहाड़ी इलाकों और संवेदनशील सीमाओं का लाभ उठाते हैं, जो इन सीमावर्ती राज्यों में स्थानीय विद्रोही समूहों को हथियार और विस्फोटक खरीदने और उनकी अलगाववादी मांगों को जारी रकने के लिए पैसे उपलब्ध कराने का स्रोत हैं। असम के पूर्व डीजीपी मुकुल सहाय ने कहा, "किसी भी आतंकवादी और विद्रोही संगठन को मिलने वाली फंडिंग का एक हिस्सा, जिसमें पूर्वोत्तर और असम के संगठन भी शामिल हैं, अवैध व्यापार– मुख्य रूप से तंबाकू, ड्रग्स और नकली मुद्रा, से आता है।" उन्होंने दावा किया कि ड्रग तस्कर अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए संरक्षण राशि का भुगतान करते हैं और इस पैसे का इस्तेमाल उग्रवाद को जारी रखने के लिए किया जाता है। यह प्रथा राज्य की संप्रभुता और इन सीमावर्ती राज्यों की कानून– व्यवस्था के लिए गंभीर संकट है।[xviii]
ज़ोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी, चिन कुकी लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड ट्राइबल लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर एवं यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम जैसे विद्रोही समूह ज्यादातर नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़ें हैं। वे तस्करों से सुरक्षा राशि लेते हैं और तस्करों को अपने इलाके से सुरक्षित रास्ता मुहैया कराते हैं जबकि मणिपुर की कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी जैसे समूह तत्काल धन प्राप्त करने के लिए तस्करी में सीधे तौर पर शामिल हैं। उदाहरण के लिए, 16 अक्टूबर 2023 को मणिपुर में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए कुकी उग्रवादी नेता को गिरफ्तार किया गया था जो नार्को– तस्करी और उग्रवाद के बीच संबंध को दर्शाता है।[xix] उग्रवाद और मादक पदार्थों के बीच इस प्रकार का गठजोड़ इन राज्यों में कानून और व्यवस्था की स्थिति को और जटिल बनाता है।
नशीली दवाओं की तस्करी का एक और निहितार्थ यह है कि हेरोइन (स्थानीय रूप से नंबर 4 के रूप में जाना जाता है), और दूसरा– सिंथेटिक ड्रग्स जैसे मेथममेटामाइन (आइस या क्रिस्टल मेथ के रूप में जाना जाता है) और याबा जैसी दवाओं की बढ़ती उपलब्धता और आसान पहुँच के कारण युवाओं के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है, जिन्हें म्यांमार से तस्करी करके लाया जाता है। मणिपुर, नगालैंड, मिज़ोरम के साथ– साथ मेघालय और त्रिपुरा जैसे गैर– सीमावर्ती राज्यों में इन दवाओं का व्यापक रूप से सेवन किया जाता है।[xx] सीमावर्ती राज्यों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं, जहाँ एचआईवी और एड्स के मामले आम हैं, भारत सरकार के लिए चिंता का विषय हैं। स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के अलावा, नशीली दवाओं के सेवन का युवाओं के व्यवहार पर भी अलग प्रभाव पड़ता है, जो या तो अलग– थलग पड़ जाते हैं और समाज से कट जाते हैं या फिर अजीब से व्यवहार अपना लेते हैं जिससे उनका करिअर खराब होता है।
नशीली– दवाओं की तस्करी को रोकने के लिए राज्य की पहल
राज्य स्तर पर, प्रभावित राज्यों ने कदम उठाएं हैं, आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति– छापा मारना और ज़ब्त करना, ताकि नशीले दवाओं की तस्करी के बढ़ते मामलों को रोका जा सके। जैसे, मणिपुर के “वार ऑन ड्रग्स” के कारण 2022-2023 की अवधि के दौरान लगभग ₹ 142 करोड़ मूल्य की ड्रग्स जब्त की गई जबकि नारकोटिक्स ड्रग एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट/NDPS Act) के तहत 764 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह, मिज़ोरम ने भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और असम राइफल्स के साथ समन्वय में नशीले पदार्थों के खिलाफ अपनी परिचालन गतिविधियों को बढ़ाया है। अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक जब्त किए गए नशीले पदार्थों की कीमत ₹355 करोड़ थीं।[xxi] अन्य पहलों में सीमा पर निगरानी बढ़ाना, मणिपुर के मामले में अवैध अफीम की खेती को बर्बाद करना, जन जागरूकता कार्यक्रम और भारत एवं म्यांमार के बीच खुफिया जानकारी को सीमा पार साझा करना शामिल है। असम के मामले में, त्रि– आयामी रणनीति जिसमें प्रवर्तन, पुनर्वास और जागरूकता शामिल है। यहाँ तक कि इस उद्देश्य के लिए पुनर्वास केंद्रों के रूप में नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए हैं। [xxii] इसके अलावा, नगालैंड की नशीली दवाओं की तस्करी विरोधी अभियान अनुकरणीय हैं। इसकी जिला कार्यकारी बल की किफिर इकाई घर– घर जाकर जागरूकता अभियान चलाती है और घरों में शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराती है।[xxiii] इसके बाद, स्कूलों में प्रहरी (PRAHARI) क्लब बना कर नशा विरोधी जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है, इसमें छात्रों को नशीली दवाओं से संबंधित किसी भी गतिविधि की सूचना अधिकारियों को देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। [xxiv]
केंद्रीय स्तर पर, गृह मंत्रालय ने 25 जनवरी 2025 को ड्रग डिस्पोजल पखवाड़ा शुरू किया—बरामद दवाओं को संगठित रूप से नष्ट किया जाना– ताकि उन्हें अवैध बाज़ार से बाहर रखा जा सके।[xxv] नागरिकों की भागीदारी की दिशा में एक ठोस पहल हेल्पलाइन मानस (MANAS) की शुरुआत करके की गई। यह एक राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन है जिसका नंबर ‘1933’ है। इस हेल्पलाइन पर नागरिक अलग–अलग माध्यों से नशीली दवाओं की गतिविधियों की रिपोर्ट कर सकेंगें।[xxvi] चार– स्तरीय नार्को समन्वय केंद्र (एनसीओआरडी/NCORD) तंत्र के साथ एक अधिक संरचित नज़रिया अपनाया गया है– एक संरचना जो शीर्ष, कार्यकारी, राज्य और जिले को जोड़ती है– कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच बेहतर केंद्र– राज्य समन्वय सुनिश्चित करने के लिए। इससे क्षेत्र के बीच खुफिया जानकारी साझा करने, परिचालन दक्षता के प्रति समन्वय बेहतर हुआ है।[xxvii]
नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने हेतु भारत– म्यांमार सहयोग
इसके अलावा, नशीली दवाओं की तस्करी के खिलाफ लड़ाई द्विपक्षीय सहयोग के बिना अधूरी है। भारत– म्यांमार के साथ नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने के लिए सक्रिए रूप से काम कर रहा है। म्यांमार पुलिस कर्नल न्ग्वे सो तुन, सेंट्रल कमिटि ऑन ड्रग अब्यूज़ कंट्रोल (सीसीडीएसी) के संयुक्त सचिव और भारतीय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निदेशक श्री डी वी कुमार द्वारा यंगून में 30 मार्च 1994 को हस्ताक्षरित यांगून समझौते जैसे द्विपक्षीय समझौतों में सूचनाओं के आदान– प्रदान, अफीम के खेतों और अफीम रिफाइनरियों की जांच एवं पहचान और विनाश, प्रीकर्सर्स (आवश्यक रसायन और विलायक) पर नियंत्रण एवं आखिर में नशीली प्रवृति वाली कफ सिरप के आयात पर प्रतिबंध जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान दिया गया था।[xxviii]
एक अन्य द्विपक्षीय पहल 08 मई, 2014 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना था, जो खुफिया जानकारी साझा करने और सुरक्षा सहयोग एवं उग्रवाद, हथियार, नशीली दवाओं एवं मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई और सीमा के अपने– अपने पक्षों पर सक्रिए निगरानी बनाए रखने के लिए संरचना तैयार करता है।[xxix] हाल ही में, 25 जनवरी 2024 को आयोजित ड्रग नियंत्रण पर 7वीं म्यांमार– भारत द्विपक्षीय बैठक में ड्रग व्यापार में हुई वृद्धि पर चर्चा की गई और इस समस्या से निपटने में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इसके अलावा, भारत अंतरराष्ट्रीय सीमा पर क्षेत्र स्तरीय अधिकारी बैठकों के माध्यम से म्यांमार के साथ संपर्क बनाए रखता है, विशेष रूप से भारत के एनसीबी और म्यांमार के सीसीडीएसी के साथ मादक पदार्थों से संबंधित मुद्दों से निपटने और सहयोग बढ़ाने पर चर्चा जारी रखता है।[xxx]
निष्कर्ष
भारत और म्यांमार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों के बावजूद, सीमा पार से अवैध तस्करी चिंता का विषय बनी हुई है, विशेष रूप से 2021 में म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बाद, जिसने तस्करी का मुकाबला करने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों को बाधित कर दिया। म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता के कारण सीमा की स्थिति और भी जटिल हो गई है, जो स्थानीय विद्रोहियों को मादक पदार्थों की तस्करी से लाभ उठाने के लिए एक अनुकूल माहौल देती है।
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*बार्बी बसुमतारी, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण:
[i] Directorate of Revenue Intelligence. Smuggling in India Report 2023-24, (Directorate of Revenue Intelligence, Government of India, 2024). https://dri.nic.in/main/smug2024.
[ii]Maizland, L. “Myanmar’s Troubled History: Coups, Military Rule, and Ethnic Conflict. (Council on Foreign Relations, January 31, 2022). https://www.cfr.org/backgrounder/myanmar-history-coup-military-rule-ethnic-conflict-rohingya.
[iii] Ashok, A. & Centre for Land Warfare Studies. Challenge of narcotics trafficking in northeast India. (CLAWS, ISSUE BRIEF, 2019). https://www.claws.in/static/IB-206_Challenge-of-Narcotics.pdf.
[iv] UNODC. “Golden Triangle Opium Economy Sees Steady Growth in 2023,” (UNODC Regional Office for Southeast Asia and the Pacific: UNODC, December 12, 2023). https://www.unodc.org/roseap/en/2023/12/southeast-asia-opium-survey-report-launch/story.html.
[v] Bhattacharyya, R. “Myanmar Junta’s Drug Trafficking Links,” (The Diplomat, (June 29, 2023). https://thediplomat.com/2023/06/myanmar-juntas-drug-trafficking-links/.
[vi] Loung, H. “How Myanmar Became the Opium Capital of the World,” (East Asia Forum, (May 16, 2024). https://eastasiaforum.org/2024/05/16/how-myanmar-became-the-opium-capital-of-the-world/#:~:text=The%20most%20 substantial%20 increases%k20in,right%20 altitude%20to%20 cultivate%20 opium.
[vii] Challenges to India’s national security: the illicit flow of drugs from Myanmar to India-Pre and post Myanmar Coup of 2021 – CENJOWS. (June 8, 2023). https://cenjows.in/challenges-to-indias-national-security-the-illicit-flow-of-drugs-from-myanmar-to-india-pre-and-post-myanmar-coup-of-2021/#:~:text=India%20has%20become%20one%20of,due%20to%20these%20narcotics%20flows
[viii] United Nations Office on Drugs and Crime. (n.d.). Myanmar Opium Survey 2021, Cultivation, production, and implications. Retrieved February 7, 2025, from https://www.unodc.org/documents/crop-monitoring/Myanmar/Myanmar_Opium_survey_2021.pdf
[ix] Southeast Asia Opium Survey 2023. (n.d.). United Nation on Drug and Crime. https://www.unodc.org/roseap/uploads/documents/Publications/2023/Southeast_Asia_Opium_Survey_2023.pdf
[x] Banerjee, S. (2024, October 4). From poppy fields to Black markets: Understanding the drug trade across India and Myanmar. orfonline.org. https://www.orfonline.org/research/from-poppy-fields-to-black-markets-understanding-the-drug-trade-across-india-and-myanmar
[xi] The quest to end illicit poppy cultivation in Manipur: Examining the War on Drugs campaign. (2021, August 6). Economic and Political Weekly. https://www.epw.in/engage/article/quest-end-illicit-poppy-cultivation-manipur
[xii] Achom, D. (2024, April 14). Exclusive: End of Opium poppy cultivation in Manipur soon? Satellite imagery data shows. . .www.ndtv.com. https://www.ndtv.com/india-news/exclusive-end-of-opium-poppy-farming-in-manipur-soon-marsac-data-using-satellite-imagery-indicates-so-5439079
[xiii] Banerjee, S. (2024, October 4). From poppy fields to Black markets: Understanding the drug trade across India and Myanmar. orfonline.org. https://www.orfonline.org/research/from-poppy-fields-to-black-markets-understanding-the-drug-trade-across-india-and-myanmar
[xiv] Drug use in Northeast state of India. (n.d.). United Nation Office on Drug and Crime.https://www.unodc.org/pdf/india/drug_use/executive_summary.pdf
[xv]Drug use in Northeast state of India. (n.d.). United Nation Office on Drug and Crime.https://www.unodc.org/pdf/india/drug_use/executive_summary.pdf
[xvi] Government of India, Directorate of Revenue Intelligence. (n.d.-b). https://dri.nic.in/main/smug2024
[xvii]Ashok,A.(n.d.).Https://www.claws.in/static/IB-206_Challenge-of-Narcotics.pdf. https://www.claws.in/static/IB-206_Challenge-of-Narcotics.pdf.
[xviii] Pti. (2015, July 29). Insurgents, militants funded by drug and fake currency trade. TheHindu.https://www.thehindu.com/news/national/other-states/insurgents-militants-funded-by-drug-and-fake-currency-trade/article7475340.ece
[xix] Commander of Manipur Ceasefire-Linked Insurgent Group Asserted With Brown Sugar, NDTV, October 16, 2023. https://www.ndtv.com/india-news/lemtinsei-singson-commander-of-manipur-ceasefire-linked-insurgent-group-arrested-with-brown-sugar-by-assam-rifles-4486741
[xx]Drug use in Northeast state of India. (n.d.). United Nation Office on Drug and Crime.https://www.unodc.org/pdf/india/drug_use/executive_summary.pdf
[xxi] Manipur, F., & Manipur, F. (2025, February 3). Narco-Terrorism emergency in Northeast: COCOMI demands urgent action - The frontier Manipur. The Frontier Manipur - The Mirror of Manipur || Fast, Factual and Fearless.https://thefrontiermanipur.com/narco-terrorism-emergency-in-northeast-cocomi-demands-urgent-action/?utm_source
[xxii] Singh, B. (2022, June 26). Assam govt to set up SOP to regulate rehabilitation and de-addiction centres. EconomicTimes. https://m.economictimes.com/news/india/assam-govt-to-set-up-sop-to-regulate-rehabilitation-and-de-addiction-centres/amp_articleshow/92475840.cms
[xxiii] “Nagaland Police Continues Aggressive Efforts to Combat Drug Spread, DIPR,” (Nagaland-Department of Information & Public Relations, Nagaland, n.d.). https://ipr.nagaland.gov.in/nagaland-police-continues-aggressive-efforts-combat-drug-spread.
[xxiv]Times, M. (2025, January 24). DoSE directs Nagaland schools to form ‘PRAHARI Clubs’ to combat drug abuse » MokokchungTimes.com. mokokchungtimes.com. https://mokokchungtimes.com/dose-directs-nagaland-schools-to-form-prahari-clubs-to-combat-drug-abuse/?amp=1
[xxv] “Union Home Minister and Minister of Cooperation, Shri Amit Shah, to Chair a Regional Conference on “Drug Trafficking and National Security” in New Delhi on January 11, Saturday,” (PIB, n.d.). mePage.aspx?PRID=2091778#:~:text=During%20the%20Drug%20Disposal%20Fortnight,value%20will%20be%20disposed%20of.
[xxvi] Ministry of Health and Family Welfare. “Tele MANAS: Revolutionising Mental Health Care in India,” (PIB, October 12, 2024). https://pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=153277&ModuleId=3®=3&lang=1.
[xxvii] National Narcotics Coordination Portal. (n.d.). https://narcoordindia.gov.in/narcoordindia/index-english.php
[xxviii] Myanmar-Narcotic. Bilateral Agreements. (Central Committee for Drug Abuse Control, September 17, 2022). https://www.myanmar-narcotic.net/eradication/coop5.ht.
[xxix] Embassy of India. “Press Release,” (Embassy of India, Yangon, Myanmar, May 10, 2014). https://embassyofindiayangon.gov.in/listview/OTE%2C.
[xxx] The Golden News Light Of Myanmar. “Myanmar hosts 7th Myanmar-India Bilateral Meeting on Drug Control Online,” (January 25, 2024). https://www.gnlm.com.mm/myanmar-hosts-7th-myanmar-india-bilateral-meeting-on-drug-control-online/.