रूस ने सीरिया मुद्दे पर पहल का नेतृत्व करने के क्रम में फरवरी 2014 में द्वितीय जेनेवा बैठक को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया, दूसरी ओर इसने भूमध्य सागर में एक स्थायी सैन्य टुकड़ी स्थापित कर दी और सीरिया प्रशासन को एस-300 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली तथा रूबी एंटी-शिप मिसाइलों की सहायता प्रदान की जो धीरे-धीरे खेल के नियमों को बदल रहा था।70 इस अभियान के बाद सीरियाई सागरीय क्षेत्र में एशिया के लिए निर्दिष्ट सैन्य टुकड़ी को भेजा, यह अभियान पश्चिमी देशों को सीरियाई गृह युद्ध में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी था। 17 जनवरी, 2014 को र्यूटर ने लिखा कि हाल के दिनों में रूस ने सशस्त्र वाहनों, ड्रोन, प्रेसिजन-गाइडेड बम तथा अन्य विभिन्न सैनिक साजोसामान के रूप में सीरिया को अपनी सैन्य आपूर्ति में वृद्धि की है।71
सीरियाई सेना संघर्ष से परेशान हो चुकी थी और अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र उसके हाथ से निकलते जा रहे थे जैसे अल-नुसर ने इदलिब से लटकिया में प्रमुख राजमार्ग पर कब्जा कर लिया था और सहल अल-गाब के अनेक मैदानी भागों से नगर के दक्षिणी-पूर्वी भाग तक क्षेत्र उनके कब्जे में था। जून 2015 में श्री पुतिन ने असद को रूस के समर्थन की पुष्टि की और कहा कि वह राजनीतिक परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए शासन के साथ मिलकर कार्य करने को तैयार हैं ताकि समस्त सीरियाई नागरिकों की सत्ता में भागीदारी हो सके।72 इसी बीच रूस ने दोमुँही चाल चली : पश्चिमी देशों के साथ वार्ता तीव्र करने तथा इसी बीच शासन को हथियार तथा गोला-बारूद में वृद्धि करने के लिए ताकि शासन बचा रहे और रूस के पास पश्चिमी देशों से सौदेबाजी करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाये। जुलाई, 2015 में राष्ट्रपति असद ने देखा कि सीरियाई सेना सैनिकों की कमी से जूझ रही है और उन्होंने भगोड़े सैनिकों के लिए क्षमादान की घोषणा कर दी। इसके बाद शासन ने महत्त्वपूर्ण मुद्दों और विशेष रूप से डेमास्कस तथा लटकिया के तटीय क्षेत्रों की ओर जाने के लिए एक कॉरीडोर पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए सीरिया की एक सेना "प्रत्येक कोने में" की अपनी रणनीति का परित्याग कर दिया।73
लटकिया : एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तक
सितम्बर, 2015 के अन्तिम सप्ताह में रूस ने सीरिया में सशस्त्र एयरक्राफ्ट तथा खुफिया ड्रोन, घातक के-52 तथा सिग्नल उपकरणों के अतिरिक्त खुफिया विभाग सहित 2000 सैनिकों की आक्रामक शक्ति नियुक्त करने की घोषणा करके सीरिया के रणनीतिक पटल पर एक नयी और सशक्त कोशिश की।74 गृह युद्ध में रूस के प्रवेश ने सीरिया में चार वर्षीय गृहयुद्ध की संघर्ष नीति को परिवर्तित कर दिया जहाँ यह यदि प्रथम खिलाड़ी नहीं तो महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरा। आईएसआईएस के विरुद्ध अमेरिकी नेतृत्व के युद्ध द्वारा अब तक कब्जे में लिए गये सीरियाई वायु क्षेत्र अब विशिष्ट क्षेत्र नहीं रह गये, बल्कि अब इन्हें रूस के युद्धक विमानों के साथ भी साझा करना था। पहले से रक्षा तकनीकी सहायता प्रदान करने वाला रूस वायु, जल तथा थल से सीरिया को रक्षा कवच उपलब्ध कराने के माध्यम से युद्ध में कूद पड़ा। सीरिया में यह रूसी सैन्य अभियान शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात से पूर्व सोवियत संघ की सीमाओं के बाहर का पहला अभियान है।75
रूस ने ईरान तथा इराक में सीरिया की ओर मिसाइलें तैनात कर दीं ताकि यह बता सके कि ईरान तथा इराक रूस के सहयोगी हैं। अमेरिकी रक्षा सचिव ने कहा कि रूस की थल सेना सीरियाई सेना के साथ मिल गयी है जो इस धारणा को नष्ट करती है कि रूस आईएसआईएस के विरुद्ध संघर्ष कर रहा है।76 रूस सभी विरोधियों को हटाना चाहता है ताकि वह आईएसआईएस तथा असद के बीच चुनाव के लिए पश्चिमी देशों के विकल्प को सीमित कर सके। कथित तौर पर रूस ने उन क्षेत्रों में हवाई हमले किये जो न केवल आईएसआईएस के आधार हैं बल्कि होम्स, होमा, इदलिब तथा टार्टस जैसे विद्रोही शक्तियों के कब्जे वाले क्षेत्र भी हैं।
रूस की संलिप्तता ने न केवल असद विरोधी खाड़ी गुटों की आशाओं को ध्वस्त करके उन्हें खदेड़ दिया बल्कि इस संकट से सम्बद्ध क्षेत्री तथा वैश्विक खिलाड़ियों का सम्पूर्ण गणित बिगाड़ दिय। यह ऐसा अभियान था जिसने न केवल सऊदी तथा इसके सहयोगियों को परेशान करके सीरिया पर किसी अन्तिम समझौते पर पहुँचने से पूर्व झुकने पर विवश कर दिया बल्कि यह अमेरिका के लिए भी एक झटका था जो असद के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए जीसीसी तथा अन्य देशों द्वारा दबाव न डालने के बावजूद असद को सत्ता च्युत करना चाहता था।
रूस की दृष्टि से इस अभियान ने न केवल इसके सहयोगियों को ही सशक्त किया बल्कि अन्य असद विरोधी शक्तियों को अनेक रणनीतिक परिवर्तन के लिए भी बाध्य कर दिया। सीरियाई सेना के साथ युद्ध में शामिल होने के तुरन्त पश्चात रूस ने खुफिया साझेदारी के लिए इराक,77 ईरान तथा सीरिया के साथ एक समझौता किया जो अमेरिका के लिए एक निराशाजनक बात थी जिसने इराक को अपना ग्राहक देश बना लिया था। मिस्र के साथ पुरानी रणनीतिक गुटबन्दी को पुनर्जीवित करे की प्रक्रिया पहले से चल रही थी जिसमें दोनों पक्षों ने अनेक आर्थिक तथा रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे।78
आईएसआईएस के विरुद्ध सीरियाई युद्ध में शामिल होने के पश्चात एक दशक में मध्य-पूर्व में रूस के बढ़ते हुए प्रभाव को पूरा विश्व देख रहा है।79 अब रूस सीरिया में सामग्रियाँ तथा कार्मिक भेजेने के लिए ईरान तथा इराक के वायुसेना कॉरीडोर का उपयोग कर रहा है।
रूस ने अल-सनाबोर मिलिटरी कॉम्पलेक्स अधिग्रहीत कर लिया जहाँ सैनिक साजोसामान कथित तौर पर भण्डारित था। साथ ही इसने अपने सैनिक अड्डे के लिए तटीय क्षेत्रों के कुछ विमानपत्तनों को भी अपने नियन्त्रण में ले लिया80 जैसे बसेल अल-असद अन्तर्राष्ट्रीय विमानपत्तन पूरी तरह से रूसी वायुसेना द्वारा नियन्त्रित है जहाँ पर्याप्त सैन्य सामग्री तथा वायुयान एवं हेलीकॉप्टर जमा हैं।81 इसने टार्टस में अपने नौसेना मरम्मत केन्द्र में लगभग 1700 सैन्य विशेषज्ञों को नियुक्त किया है।82 रूस ने लटकिया में शासन-नियन्त्रित वायुसेना केन्द्र में एसयू-30 लड़ाकू जेट, कवचयुक्त वाहन, टी-90 टैंक तथा सेना की टुकड़ियाँ नियुक्त की हैं।83 ऐसी खबरें हैं कि रूस लटकिया के एयरबेस में 2000 कार्मिक भेज सकता है। लटकिया के बाहर हेमिम का एयरबेस भी रूसी सेनाओं के नियन्त्रण में है। रूस 48-96 प्रतिदिन की वर्तमान दर से अनेक छोटी-छोटी उड़ानें भर रहा है और इसके काला सागर फ्लीट की फ्लैगशिप क्रूज मिसाइल मोस्कवा भूमध्यसागर से हवाई तथा मिसाइल रक्षा उपलब्ध करा रही है।84
रूस जलयान, प्रीफ्रैब्रिकेटेड आवास, पोर्टेबल एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम का परिवहन कर रहा है। ईरान ने रूसी उड़ानों को अपने देश के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति दे दी है और इसे केवल इराकी एयर स्पेस द्वारा ही रोका जा सकता है और यह सब अमेरिका के लिए चिन्ता का विषय है।
निस्सन्देह काफी समय तक तटीय वायुसेना केन्द्र के अलवाइत क्षेत्र में रूसी एयरक्राफ्ट की तैनाती रही है किन्तु रूस की वर्तमान गतिविधि ने सेना के सभी समीकरण बदल दिये हैं जो असद शासन के शीघ्र पतन को रोक सकता है। रूस का श्री असद के साथ यह मेलजोल ने इस अभिवृत्ति के विस्थापन और परिवर्तन को तीव्र कर दिया है और जर्मनी के विदेश मन्त्री सहित यूरोपीय संघ के अनेक नेताओं ने स्वयं पश्चिमी देशों के नेताओं के मध्य मतभिन्नता का संकेत देते हुए रूस85 के हस्तक्षेप का स्वागत किया है।
इजराइल जो कि सीरिया तथा ईरान को लेकर अब तक चिन्तित था वह सहयोग करने के लिए तैयार था और रूस तथा इजराइल के मध्य अनेक उच्चस्तरीय बैठकें हुईं और इजराइली प्रधानमन्त्री ने स्थिति का आकलन करने के लिए मास्को का मैत्रीपूर्ण दौरा किया और तुर्की के राष्ट्रपति ने भी मास्को जाने में कोई समस्या नहीं देखी। मास्को की ओर अचानक इस झुकाव ने सीरिया के अनेक विद्रोही समूहों को हिलाकर रख दिया।
सीरिया में आईएसआईएस के विरुद्ध रूस तथा अमेरिका की कार्यवाही की वैधता के विषय में बहस और प्रतिक्रिया के बीच दो क्रमागत घटनाएँ : मिस्र के सिनाई में 31 अक्टूबर को रूसी मेट्रो जेट उड़ान को मार गिराना तथा 13 नवम्बर की रात को पेरिस पर आतंकवादी हमले ने रूस के लिए दरवाजे खोल दिये। सिनाई में रूसी जेट प्लेन की घटना में 224 लोग मारे गये जबकि पेरिस के आतंकवादी हमले में 130 लोग मारे गये। दोनों घटनाओ की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली और ये दोनों घटनाओं ने रूस की इस बात को उचित ठहराया कि असद शासन की समाप्ति के पश्चात किसी अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग द्वारा आईएसआईएस के विरुद्ध संघर्ष हेतु समर्थित होना चाहिए।86 रूस की गहन संलिप्तता ने आईएसआईएस के विरुद्ध लड़ाई की प्रमुख दिशा को अमेरिका केन्द्रित होने के स्थान पर सहयोगी-गुट केन्द्रित प्रचालन में बदल दिया।
ये दोनों घटनाएँ सीरिया के विषय में अमेरिका की अब तक की नीति पर गहरा प्रभाव डाला। पेरिस हमले के बाद तुर्की में आयोजित जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति ओबामा तथा उनके रूसी समकक्ष पुतिन बैठक से बाहर आपस में मिले और राष्ट्रपति ओबामा ने कथित तौर पर कहा कि युद्धविराम के पश्चात संयुक्त राष्ट्र सीरिया में विरोधियों तथा शासन के बीच मध्यस्थता कर सकता है जबकि वास्तविकता यह है कि इससे पहले उनकी मुलाकात करने की कोई योजना नहीं थी।87 अब राष्ट्रपति पुतिन की वैश्विक मान्यता अधिक हो गयी है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने पहले ही आईएसआईएस के विरुद्ध संघर्ष हेतु रूस तथा अमेरिका के बीच मैत्री का आह्वान किया है। "पहले असद को सत्ताच्युत करो" का उद्घोष करने वाले ब्रिटेन तथा फ्रांस जैसे देशों ने भी अपना विचार परिवर्तित कर लिया और आईएसआईएस 88 के विरुद्ध संघर्ष के लिए एक व्यापक गठजोड़ का आह्वान करना प्रारम्भ कर दिया।
कुछ विश्लेषकों का विचार है कि आईएसआईएस के विरुद्ध वैश्विक गठजोड़ के आह्वान के पश्चात यूक्रेन संकट के पश्चात रूस के विरुद्ध लगाये गये प्रतिबन्ध, जिसमें रूस के स्वामित्व वाले बैंकों तथा प्रमुख ऊर्जा कम्पनियों हेतु पश्चिमी पूँजी बाजार को बन्द करना शामिल था, उसे समाप्त करने अथवा उसे भविष्य में आगे नहीं बढ़ाने की सम्भावना व्यक्त की गयी। यद्यपि राष्ट्रपति ओबामा ने सितम्बर 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहले ही कहा था कि यूक्रेन की शर्त पर सीरिया के साथ सौदेबाजी नहीं की जायेगी।89
24 नवम्बर, 2015 को तुर्की एफ-16 द्वारा रूसी एसयू-24 को मार गिराने का यह बहाना कि रूसी वायुयान ने तुर्की की हवाई सीमा का उल्लंघन किया था, इस क्षेत्र में एक नये प्रकार का तनाव उत्पन्न कर दिया। इस घटना के पश्चात पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रेजिन्सकी ने अमेरिकन वेबसाइट पोलिटिको के एक साक्षात्कार में कहा कि यदि यह घटना बाल्टिक गणराज्य में घटित हुई होती तो रूस की जवाबी कार्यवाही कठोर और खतरनाक होती।90 यह भी देखा गया कि यह विशेष घटना इस क्षेत्र में अन्य देशों की संलिप्तता को बढ़ा देगी क्योंकि तुर्की नाटो का सदस्य देश है। नाटो ने तुर्की का समर्थन व्यक्त करने के लिए एक आपातकालीन मन्त्रिस्तरीय बैठक बुलाई और राष्टरपति ओबामा ने कहा, "अन्य किसी देश की भाँति तुर्की को अपनी वायुसीमा तथा क्षेत्र की रक्षा करने का अधिकार है।"91 यदि रूस सीरिया में आईएसआईएस के ठिकानों पर आक्रमण जारी रखता है तो रूस को गम्भीर परिणाम भुगतने की तुर्की द्वारा दी गयी धमकी के कुछ दिनों बाद यह घटित हुई।
रूसी वायुयान के गिराये जाने के बाद स्वयं नाटो के भीतर अनेक उतार-चढ़ाव आये। किसी को भी ज्ञात नहीं था कि नाटो सीरिया में कितने दिनों तक तुर्की का साथ देगा अथवा यह कितने दिनों तक प्रभावशाली रहेगा। क्या नाटो रूस के विमान को मार गिराने के पश्चात रूस द्वारा तुर्की पर लगाये गये आर्थिक प्रतिबन्धों की प्रतिपूर्ति कर रहा होगा अथवा इसका सहयोग केवल रक्षा तथा सैन्य क्षेत्र तक की सीमित रहेगा। नाटो ने भी भूमध्यसागर में कुछ जलयान भेजने का निर्णय लिया और अंजरलेक में तुर्की के सैन्य अड्डे पर और अधिक लड़ाकू विमान भेजे जा रहे हैं। नाटो के महासचिव ने 8 अक्टूबर, 2015 क कहा कि पारस्परिक रक्षा संगठन शीत युद्ध की समाप्ति से हमारे सामूहिक रक्षा तन्त्र को अत्यधिक प्रबलित करने का कार्य कर रहा है।92 नाटो प्रयास पूर्व की ओर बढ़ने का है और इसने नाटो में नये राष्ट्रों को शामिल होने का आह्वान किया है जिसे रूस ने खतरनाक बताया है।93
रूस के लिए सीरिया का क्या महत्त्व है?
अब सबसे महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि सीरिया के संकट से रूस के किन हितों की पूर्ति हो सकती है। क्या सीरिया के गृह युद्ध में शामिल होना एक नाटक था या यह पूर्व नियोजित था जैसा कि आस्ट्रेलिया विदेश मन्त्री ने कहा कि रूसी हस्तक्षेप अप्रत्याशित नहीं था।94 रूस की सीरिया में दखल देना पुतिन के व्यापक दृष्टिकोण का प्रदर्शन था जिसे अमेरिका तथा यूरोप समझते थे। रूस ने प्रसन्नतापूर्वक असद के बचाव के लिए वैश्विक निन्दा स्वीकार कर ली ताकि वह टार्टस में अपने अन्तिम सुदूरवर्ती नौसैनिक अड्डे की पहुँच सरल बना सके, जो कि रूस की वैश्विक पहुँच का एक प्रतीक मात्र है, देश के आन्तरिक मामलों में बाहरी दखल से निपट सके तथा अरब जगत में अमेरिकी प्रभाव का प्रतिरोध कर सके।
इसमें अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक दोनों उद्देश्य निहित हैं जो सीरिया में रूस की वर्तमान नीति को आकार देते हुए प्रतीत होते हैं। इसके अतिरिक्त सीरिया पुराना मित्र देश है जो रूस को अपना प्रभाव डालने की अनुमति देता है, भारी संख्या में रूसी नागरिक (लगभग 100,000) सीरियाई क्षेत्र में निवास करते हैं।95 रूस एक अग्रणी कारक है और सीरिया में पर्याप्त संख्या में जलयान तथा लड़ाकू विमान भेज रहा है और इसका तात्कालिक लक्ष्य सीरिया96 में सत्ता पर सैनिक प्रभाव को दुर्बल करना तथा एक नया राजनीतिक समाधान प्रस्तुत करना प्रतीत होता है। रूस भी गृह युद्ध की समाप्ति चाहता है जिससे यूरोप में बढ़ने वाले शरणार्थी संकट की समाप्त हो सकेगी और उनके साथ समझौतों के लिए मार्ग प्रशस्त हो जायेगा। मास्को 1956 से सीरिया को हथियारों की आपूर्ति करता आया है किन्तु हाफिज असद (वर्तमान सीरियाई शासक के पिता) के सत्ता में आने के पश्चात 1971 में यह सीरिया को अस्त्र आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा अस्त्र आपूर्तिकर्ता बन गया और एक फायदे का सौदा प्रारम्भ हो गया। केवल 2013 में सीरिया रूसी हथियारों का सबसे बड़ा क्रेता था और इसने 1,5,70,280,000 डॉलर97 की राशि अस्त्र-शस्त्रों पर व्यय की। आज रूस सम्पूर्ण सीरिया अस्त्र खरीद का लगभग 80 प्रतिशत निर्यातक है।98 वर्तमान रूसी सेना की गतिविधि भी सैन्य उपलब्धि का सूचक है जिसे इसने गत एक दशक में एकत्रित किया है। राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने संकट के समय रूसी अर्थव्यवस्था को आधार प्रदान करने वाले प्राथमिक उद्योगों में आयुध उद्योग को एक उद्योग बनाने का आश्वासन दिया है। 2014 में अस्त्रों के निर्यात से 29.7 बिलियन डॉलर के राजस्व की प्राप्ति हुई जबकि अमेरिका का निर्यात केवल 26.9 बिलियन ही रहा।99 रूस का अस्त्र उद्योग देश में कुल विनिर्माण नौकरियों का 20 प्रतिशत उपलब्ध कराता है और तीन मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करता है।100 इसने अन्तर्महाद्वीपीय मिसाइलों पर भारी निवेश किया है और कुछ अत्याधुनिक सबमेराइन का निर्माण किया है। गत वर्ष रूस ने अमेरिका से अधिक लड़ाकू विमानों का निर्यात किया और केवल इसी वर्ष इसने 240 लड़ाकू विमानों का निर्माण किया और 2018 तक आयुध उद्योग में अमेरिका को प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।101
दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में सीरिया में रूसी कार्यवाही रूस की पुनर्कथन है जिसमें खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त करने की अभिलाषा है और इसमें नयी विश्व व्यवस्था तथा नयी क्षेत्रीय व्यवस्था की लालसा है। यह अभियान श्री पुतिन के नेतृत्व में रूस के स्वाभिमान की इच्छाशक्ति को समेटे हुए है जैसा कि एक प्रेक्षक ने कहा कि यह पुतिन के अक्खड़ तथा अचिन्तनशील स्वभाव का परिचायक है102 और कम से कम इस क्षेत्र में शक्ति रिक्तता को भरने अथवा अमेरिका की वापसी के लिए है। शीतयुद्ध में अमेरिका की यथोचित विजय और पैक्स अमेरिकाना के क्रियान्वयन का विस्तार अधिक क्षेत्रों तक हुआ जिसमें सेना का उपयोग किया गया। पहला प्रयास युगोस्लाविया द्वारा और बाद में अफगानिस्तान और इराक तथा उसके पश्चात लीबिया द्वारा किया गया।103
1990 के दौरान रूस सर्बिया में अपने पक्ष का शासन स्थापित करने में असफल रहा और 1995 में बोस्नियाई सर्बिया पर नाटो की बमबारी को नहीं रोक सका और कोसोवो के भाग्य पर सर्बिया के विरुद्ध नाटो के हमले को नहीं रोक सका। इस अक्रियता को रूस के पतन के रूप में देखा गया और यूक्रेन तथा जॉर्जिया के पूर्व सोवियत गणराज्यों को नाटो की सदस्यता का आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। यूक्रेन में संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यूरोपीय संघ यूक्रेन को उसकी शक्ति हासिल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं जबकि रूस ऐसा नहीं होने दे रहा है और यूक्रेन (अथवा इसके एक भाग को) अपने सीमित प्रभाव के दायरे में रखने का प्रयास कर रहा है।104 कुल मिलाकर एक महाशक्ति अपने "मित्रों और सहयोगियों" की रक्षा करने की क्षमता प्रदर्शित कर चुका है और रूस ऐसा करने में समर्थ नहीं था।105
रूस का कहना है कि यूक्रेन का संकट नाटो पूर्व की ओर बढ़ने के निर्णय में निहित है। 2014 की बसन्त ऋतु के दौरान एक टेलीविजन साक्षात्कार में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, "हमसे वादा किया गया था कि जर्मनी के एकीकरण के पश्चात नाटो पूर्व की ओर नहीं बढ़ेगा।"106 उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन के नाटो में प्रवेश सम्बन्धी उनका भय आंशिक रूप क्रीमिया पर अधिकार करने के उनके निर्णय से प्रेरित था।107
अब उत्तर सोवियत युग तथा पूर्व के दिनों में प्रभाव बढ़ाने हेतु संघर्ष होना प्रतीत होता है, साम्यवाद तथा पूँजीवाद के बीच के बेमेल वैचारिक मतभेद के मध्य भूराजनीतिक संघर्ष ने अपना स्थान बना लिया है। पुन:, बीस वर्षों के पश्चात यह पाषण्ड सामने आया है जब रूसी नीति निर्माताओं तथा राजनयिकों ने बीस वर्षों के बहु-केन्द्री विश्व को एकध्रुवीय विश्व के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया।108
इस विषय के एक अन्य विशेषज्ञ ने रूस के वर्तमान इरादे को निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त किया है :
"रूस के लिए सीरिया केवल एक पश्चिमी एशियाई भूराजनीति, शीतयुद्ध कालीन सहयोगी, युद्धक सामग्री क्रेता अथवा विशेष रुचि जैसे टार्टस नौसेना के पुनरुद्धार के लिए सामग्री आपूर्ति का ही विषय नहीं है जिससे रूस को भूमध्यसागर में अपना प्रभुत्व प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है, बल्कि रूस की नीति के दृष्टिकोण से कल के लीबिया, इराक अथवा यूगोस्लाविया की भाँति सीरिया विश्व व्यवस्था के विषय में प्राथमिक है। यह "कौन निर्णय करता है" के विषय में है कि कौन निर्णय करता है कि सैन्य बल का उपयोग किया जाये, कौन सेना के उपयोग के लिए देशों का निर्णय करता है और कौन निर्णय करता है कि किस नियम, शर्त अथवा चौकस सैन्य बल का उपयोग किया जाना है।"109
रूस का सर्वप्रथम और महत्त्वपूर्ण लक्ष्य रणनीतिक है जिसमें रूस सीरिया को रणनीतिक आधार का अंग समझता है और इसके पास भूमध्यसागर में टार्टस के रूप में सीआईएस देशों से परे एकमात्र नौसैनिक अड्डा है। "भूमध्यसागर" नाम अरब के खुर्बाबदेह द्वारा अपनी पुस्तक "बुक ऑफ रोड्स एण्ड किंगडम"110 में दिया गया और यह 1967 से रूस और यूरोप के मध्य संघर्ष का विषय बना रहा है, रूस के जलयान वहाँ बने हुए हैं।
क्यूबा तथा वियतनाम में रूस के सैन्य अड्डे समाप्त हो जाने के पश्चात केवल टार्टस ही एकमात्र अपवाद है जब आज अधिकतर बहुकार्यकारी सैनिक अड्डों के रूप में रूस की नीतियों के भूरणनीतिक प्रदर्शन के पश्चिम से सम्बद्ध होने की चर्चा की जाती है। टार्टस सीरिया के समुद्र तट पर स्थित एक नगर है जो आपूर्ति तथा रखरखाव का एकमात्र केन्द्र है। रूस थोड़े-बहुत कर देता है और शीतकाल में इस गर्म जल तक अपनी पहुँच को खोना नहीं चाहता है। अन्यथा रूस अपने हितों की रक्षा के व्यापक प्रयास के लिए काला सागर तक का भ्रमण करना पड़ेगा। 1971 में रूस द्वारा टार्टस को पट्टे पर लेने के पश्चात रूस ने सीरिया के 1.3 बिलियन डॉलर का ऋण माफ कर दिया।111 इराक के विपरीत 1990 तक सीरिया को सैन्य सामग्री की आपूर्ति करने के लिए रूस को कोई नियमित भुगतान नहीं मिला, अत: रूस को क्षतिपूर्ति के रूप में टार्टस का पूर्ण और स्वतन्त्र अड्डा बनाने की अनुमति थी।
पूर्वी भूमध्यसागर में सैन्य अड्डे के माध्यम से रूप काला गार में अपनी पहुँच बनाना चाहता है जो रोमानिया तथा बल्गेरिया के नाटो में शामिल होने और यूक्रेन तथा जार्जिया के स्वतन्त्र होने के पश्चात मौलिक रूप से परिवर्तित हो गया है। इसके अतिरिक्त, काला सागर को कर्च जलडमरूमध्य के माध्यम से जोड़ने वाले अजोव सागर में सेना की नियुक्ति करने की नाटो की योजना ने भूमध्य सागर पर नियन्त्रण करने के लिए सीरिया में रूस की संलिप्तता और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए उकसाया है। पुन:, रोमानिया ने 2005 में काला सागर में अमेरिकी सेना की नियुक्ति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसे रूस ने काला सागर पर अटलांटिक आक्रामकता कहा था जो रूस के लिए चिन्ता का एक प्रमुख स्रोत था।112 रूस नाटो को कालासागर में मुक्त प्रवेश देने का इच्छुक नहीं है और पूर्वी भूमध्यसागर पर नियन्त्रण के माध्यम से रूस अपनी विदेशी नौसैनिक नीति को आकार दे सकता है। 2008 से रूस ने भूमध्यसागर की ओर अनेक जलयान नियुक्त किये और वहाँ भारी संख्या में सैनिक गतिविधियाँ संचालित कीं।
सीरिया का सुरक्षा परिदृश्य क्षेत्रीय तथा वैश्विक रणनीतिक मामलों तथा अत्यन्त जटिल पश्चिमी देशों तथा तुर्की रणनीतिक व्यवस्था में एक निर्णायक भूमिका अदा करने का मार्ग प्रदान करता है।113 रणनीतिक कारण से भी सीरिया रूस के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह ईरान तथा अमेरिका के मध्य के तनाव का अपने पक्ष में लाभ उठाने के लिए सीरिया का उपयोग कर सकता है। रूस की वर्तमान कार्यवाही उसके आर्थिक हितों द्वारा भी प्रेरित है। सबसे बड़ी समस्या टार्टस में आपूर्ति के मार्ग को सुरक्षित करना है और इसके अतिरिक्त रूस की ऊर्जा कम्पनियों की सीरिया के तटीय क्षेत्रों के सम्भावित तेल तथा गैस भण्डारों में रुचि हो सकती है।
अरब क्षेत्र में रूस की बढ़ती महत्त्वाकांक्षा पूर्णत: स्पष्ट है कि क्योंकि यह मिस्र तथा ईरान जैसे देशों के साथ अपने रणनीतिक सम्बन्धों का विस्तार करता रहा है। 2013 में मिस्र में अब्देल अल-फत्ता अल-सिसी के सत्ता में आने के पश्चात दोनों नेताओं ने चार शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया114 और वायु मिसाइल प्रणाली सहित अनेक रक्षा सम्बन्धी सौदों पर हस्ताक्षर किए जिसके कारण उनके सम्बन्ध एक बार पुन: नासिर के युग की भाँति हो गये जब रूस मिस्र को सैन्य सामग्री उपलब्ध कराने वाला सबसे बड़ा देश था।
इस क्षेत्र के राज्यों के साथ उत्तम सम्बन्ध अन्तर्राष्ट्रीय पृथक्कीकरण से बचाव और अमेरिकी-यूरोपीय संघ के प्रतिबन्धों के नकारात्मक प्रभाव की क्षतिपूर्ति करने में सहायता कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, मार्च 2014 में यूक्रेन संकट के परिणामस्वरूप रूस ने ईरान के साथ 5+1 परमाणु वार्ता में अपनी भागीदारी करने पर पुनर्विचार करने की धमकी दी थी जिसके कारण 2014 के पूरे वर्ष में अमेरिका गम्भीर संकट में पड़ गया था।115 इसी प्रकार, अप्रैल 2015 में रूस ने इस क्षेत्र में मास्को को एक स्वतन्त्र खिलाड़ी के रूप में प्रदर्शित करने के लिए ईरान पर एस-300 मिसाइलों के निर्यात पर लगे प्रतिबन्ध को हटा लिया।116
रूस तथा ईरान दोनों ने एक-दूसरे को घेरकर रखा है। निस्सन्देह ईरान सुन्नी कट्टरपन्थियों के विरुद्ध रूस का एक स्वाभाविक सहयोगी है, जबकि दूसरी ओर चीन सीरिया के मुद्दे पर रूस का काफी निकटवर्ती सहयोगी बन गया है किन्तु इसके अन्य अनेक कारण भी हैं। वर्तमान में ऐसा लगता है कि चीन इस क्षेत्र की ऊर्जा के विषय में काफी उत्साहित है क्योंकि इस राजनीतिक परिदृश्य में उसे जापान तथा वियतनाम जैसे विरोधियों की संलिप्तता का भय है।117
सीरिया के संकट ने सीरिया, ईरान तथा आईएसआईएस में घटनाओं की दिशा को प्रभावित करके यूरोप के बाहर यूरोप के मुद्दे का समाधान करने के लिए रूस को एक विकल्प प्रदान किया है। अब रूस शेष लोगों को अपनी बढ़ती महत्त्वाकांक्षाओं को समंजित करने के लिए बाध्य कर सकता है और अपने समय के भीषण संकट के समाधान के लिए पश्चिमी देशों को अपने सुरक्षा ढाँचे को उन्नत करने के लिए कह सकता है। रूस के लिए यह अधिक महत्त्वपूर्ण क्षण है जब अमेरिकी राष्ट्रपति यथास्थिति बनाये रखने की बात कहते हैं, यदि कोई अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के इस वक्तव्य पर ध्यान दे जब उन्होंने कहा, "यह नया शीतयुद्ध नहीं है",118 जबकि रूस अमेरिकी धमकी को पुन: चर्चित करना चाहता है। नाटो द्वारा रूस के भय के घेरे को समाप्त करने के लिए पश्चिमी देशों पर दबाव डालने हेतु सीरिया रूस के लिए एक आश्रय हो सकता है।
सीरिया में रूस का दखल किसी भी प्रकार से सीरिया तथा रूस के समीपस्थ क्षेत्र में इस्लामी कट्टरपन्थ तथा आतंकवाद के विषय में बढ़ती चिन्ता से सम्बद्ध नहीं है। रूस का भय सीरिया के भीतर तथा इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में अस्थिरता की बढ़ती सम्भावना तथा पश्चिमी एशिया की सुरक्षा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले बढ़ते कट्टरपन्थ के खतरे को लेकर है।119
अब जो दिखाई दे रहा वह यह है कि शासन पद्धति तथा राष्ट्र एक और एक जैसे हो गये हैं। सत्ता का पतन राज्य संस्थाओं के तात्कालिक रूप से दुर्बल होने का खतरा उत्पन्न कर रहा है। वैश्विक जेहादवाद के इस युग में इसके परिणाम आतंकवादियों के लिए स्वर्ग सिद्ध हो रहे हैं जैसा कि लीबिया और यमन में देखा गया। अन्तर्राष्ट्रीय आतंक का यह युग पुरानी कहावत को सत्य सिद्ध करता है कि, "एक दिन की अराजकता सैकड़ों वर्षों की निरंकुशता से निकृष्ट है।" मास्को की दृष्टि में 1992 से अफगानिस्तान, 2003 से इराक तथा 2011 से लीबिया के उदाहरणों ने इस तर्क को इतना निश्चयात्मक सिद्ध कर दिया है कि अब उनके लिए किसी अन्य परिचर्चा की आवश्यकता नहीं रह गयी है।
वर्तमान स्थितियों में रूस अनुभव करता है कि असद शासन को समाप्त करना आईएसआईएस के हाथों में खेलने जैसा है और यह इस उक्ति को सिद्ध करता है कि "b***h का हमारा पुत्र" केजीबी के लिए उतना पराया नहीं है जितना कि सीआईए के लिए।120
चेचन्या, उत्तरी काकेशस तथा दागिस्तान जैसे पड़ोसियों के साथ दशकों पुराने संघर्ष के कारण रूस के सम्मुख अपनी अनेक चुनौतियाँ हैं। दिसम्बर 2014 में इस्लामी बन्दूकधारियों ने ग्रोंजी में रूसी सेनाओं के साथ युद्ध किया जिसमें 20 लोग मारे गये और उत्तरी काकेशस में आईएस-प्रेरित हिंसा का भय व्याप्त हो गया।121 इस्लामी कट्टरपन्थ के एक विशेषज्ञ ओलिवर रॉय के अनुसार, "जेहादियों के लिए सीरिया एक नया गढ़ है जिसे 1980 में अफगानिस्तान ने, 1990 में बोस्निया ने तथा चेचन्या में हुए संघर्षों ने देखा है।" रूस दावा करता है कि सीरिया तथा इराक में 2000 से अधिक चेचेन्याई विद्रोह आईएसआईएस के साथ मिलकर लड़ रहे हैं, वे वापस अपने देश जा सकते हैं और उसी मिशन को पुन: प्रारम्भ कर सकते हैं।
रूस के हस्तक्षेप को पूर्व के ऐतिहासिक सन्दर्भ में भी देखा जा सकता है जो केवल राजनीतिक अथवा सैन्य आधिपत्य तक सीमित नहीं हो सकता है बल्कि विश्व के कट्टरपन्थी ईसाइयों के मध्य अपने वर्षों पुराने सांस्कृतिक पुनरुत्थानवाद की बढ़ती महत्त्वाकांक्षा से युक्त एक आन्दोलन है।
केवल अक्टूबर 2013 में ही लगभग 50000 सीरियाई ईसाइयों ने रूसी नागरिकता122 के लिए आवेदन किया और रूस के कट्टरपन्थी चर्च ने असद विरोधी कुछ तत्वों द्वारा पीड़ित सीरिया के ईसाइयों के भविष्य पर अपनी चिन्ता व्यक्त की।123 रूसी कट्टरपन्थी चर्च के प्रवक्ता पादरी सेवोलोद चैपलिन ने कहा कि रूस इस्लामिक स्टेट मिलिशिया तथा अन्य कट्टरपनधी ताकतों द्वारा ईसाइयों तथा अन्य अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के मुद्दे पर पीठ नहीं दिखा सकता है। चर्च ने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध को 'पवित्र युद्ध' से जोड़ दिया।124 पवित्र चर्च अमेरिका की बजाय रूस को पश्चिमी एशिया के ईसाइयों के रक्षक के रूप में देखते हैं।125
सीरिया में वर्तमान कार्यवाहियों के माध्यम से मास्को विश्व के देशों को यह सन्देश दे रहा है कि नया रूस अमेरिका से काफी आगे निकल चुका है और इसका विश्व केवल अमेरिका के साथ ही समाप्त होता है। सीरिया में रूसी लोग इस क्षेत्र में रूस की दीर्घकालीन महत्त्वकांक्षाओं के विषय में बात करते हैं और बताते हैं कि प्रभुत्व पर अमेरिका का विरोध क्यों न्यायसंगत है। सीरिया में आतंकवादी कार्ड खेलकर रूस विश्व समुदाय के सम्मुख यह सिद्ध करना चाहता है कि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध के मुद्दे पर अब अमेरिका अधिक विश्वसनीय या भरोसेमन्द नहीं रह गया है।126
2015 में सोची की विचार-विनिमय गोष्ठी के अपने भाषण में रूस के रक्षा मन्त्री ने यह स्पष्ट किया कि रूस को विश्व से अलग-थलग करने का प्रयास निष्फल हो चुका है।127 इस क्षेत्र में विगत में अमेरिका की एकपक्षीय नीतियों के विषय में बताते हुए श्री पुतिन ने कहा कि अमेरिका ने पश्चिमी एशिया में अपनी उपस्थिति को तर्कसंगत करने के लिए ईरानी नाभिकीय खतरे का काल्पनिक हौवा खड़ा किया और यही बात यूरोप में एंटी बैलिस्टिक मिसाइल का तैनाती के विषय में भी सत्य है। सोची में इसी प्रकार की बैठक में राष्ट्रपति पुतिन ने टिप्पणी की कि ओबामा ने रूस के विरुद्ध प्रतिबन्ध लगाकर अपने निजी हितों के लिए अपनी ताबेदारी का प्रयोग किया।128
भावी परिदृश्य तथा निष्कर्ष
उपर्युक्त कथनों में यह देखा गया कि इस क्षेत्र के अन्य देशों की भाँति सीरिया का मामला वैसा कभी नहीं रहा। वास्तव में अपने आन्तरिक कट्टरपंथ तथा नस्ली समीकरणों के कारण यह जटिल था किन्तु इसकी रणनीतिक स्थिति तथा क्षेत्रीय एवं बाद में वैश्विक शक्तियों द्वारा इस क्षेत्र के भूरणनीतिक समीकरण को परिवर्तित करने के लिए इसे एक मोहरे के रूप में उपयोग करने की महत्वाकांक्षा ने इसकी जटिलताओं को बढ़ा दिया। सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कारक जिसने बहुत पहले राजनीतिक विरोधी शक्तियों तथा दिशा के विषय में सम्पूर्ण परिदृश्य को परिवर्तित कर दिया वह सीरियाई समाज की कट्टरपन्थी प्रवृत्ति था। इसके उद्भव से ही सत्ताओं के मध्य संघर्ष तथा विरोधी समूहों को अल्पसंख्यक अलवाइतों तथा बहुसंख्यक सुन्नियों की सत्ता के मध्य कट्टरपंथी संघर्ष के रूप में देखा गया।
इराक में सद्दाम के पतन तथा बाद में ईरान के बढ़ते प्रभाव के पश्चात रणनीतिक व्यवस्था में इस क्षेत्र को पहले से ही विदीर्ण क्षेत्र के रूप में देखा गया जिसे ईरान की दीर्घकाल से पोषित रणनीति की सफलता माना गया। ईरान, सऊदी अरब तथा इसके जीसीसी सहयोगियों की वैचारिक प्रतिस्पर्द्धा की दृष्टि से इस धारणा ने नाजुक सीरिया में दो शक्तियों को ला खड़ा किया जो शीघ्र ही गृहयुद्ध में बदल गया और इससे सऊदी नेतृत्व वाले सुन्नी लड़ाकों तथा ईरानी नेतृत्व वाले शिया लड़ाकों के कारण सीरिया को संकट में फँसना पड़ा। बाद में तुर्की तथा कतर जैसी अन्य शक्तियाँ भी सीरिया में विद्रोही सेनाओं का समर्थन करके अपने रणनीतिक उद्देश्य को छिपाने में असफल रहीं।
सीरिया का मुद्दा एक बार पुन: तब दुरूह हो गया जब शीत युद्ध के प्रतिद्वन्द्वी रूस तथा अमेरिका असद को सत्ता च्युत करने के मुद्दे पर आमने-सामने आ गये जहाँ रूस अपनी इस प्रतिबद्धता से जुड़ा हुआ था कि असद को सत्ता च्युत नहीं करना है जबकि अमेरिका अपने खाड़ी देशों अन्य क्षेत्रीय सहयोगियों के सथ असद को सत्ता च्युत करने के लिए अड़ा हुआ था। इन दोनों के बीच इसी प्रकार का विरोध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी देखने को मिला किन्तु अगस्त 2013 में रासायनिक अस्त्रों के उपयोग के मुद्दे पर अमेरिकी हवाई हमले को टालने के माध्यम से रूस ने निस्सन्देह कुछ रचनात्मक भूमिका निभाई।
एक उत्प्रेरक क्षण तब आया जब अमेरिका ने आईएसआईएस को समाप्त करने के स्पष्ट उद्देश्य से सीरिया पर हवाई हमले प्रारम्भ कर दिये, यह ऐसा प्रस्ताव था जिसे अनेक लोगों ने कभी महत्त्व नहीं दिया। रूस के लिए केवल कूटनीतिक ढंग से अमेरिका का विरोध करने के लिए रूस को तब तक लम्बे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ी जब अक्टूबर माह में इसने उसी वैश्विक शत्रु आईएसआईएस को समाप्त करने के लिए अपने सुनियोजित हवाई हमले प्रारम्भ किये।
वर्तमान युद्ध कभी समाप्त न हो सकने वाला युद्ध प्रतीत होता है क्योंकि यह युद्ध क्षेत्रीय अथवा राष्ट्रीय अस्तित्व के विरुद्ध नहीं है बल्कि बिना किसी रूपरेखा वाले राज्येतर लोगों के विरुद्ध है। रूस के लिए सीरिया संकट वर्तमान समय की अपेक्षा अधिक उपयुक्त समय तक कभी नहीं पहुँचा क्योंकि रूस को विगत में केवल छोड़ ही नहीं दिया गया था बल्कि सीरिया में उस पर अनेक राजनयिक और आर्थिक हमले सहने पड़े, अन्त में रूस को रणनीतिक रूप से जीवित रहने के लिए वह स्थान छोड़ना पड़ा जहाँ इसने पश्चिमी देशों का सामना करने के लिए अपनी कूटनीतिक तथा रणनीतिक क्षमता प्रदर्शित की है।
पेरिस हमले के कारण फ्रांस के समर्थन सहित अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा पुतिन आईएस को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए बातचीत करने तथा मिलकर कार्य करने के लिए एकजुट हुए। रूस चाहता है कि विरोधी विद्रोहियों के लिए एक व्यवस्था प्रदान करके असद सत्ता में बने रहें और यह सब कुछ विश्व को आतंकवाद से बचाने के नाम पर हो रहा है। तात्कालिक तौर पर अपनी सुरक्षा चिन्ताओं को लेकर विश्व के सभी देश आईएसआईएस से युद्ध करने के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ना चाह रहे हं किन्तु कोई नहीं जानता कि यह कितने दिनों में समाप्त होगा।
तुर्की के विषय में, इस क्षेत्र में वायुयान मार गिराने के पश्चात क्रेमलिन ने अंकारा की तुलना में एक कठोर नीति का अनुपालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। रूसी पक्ष के लिए आर्थिक प्रतिबन्ध सबसे सुरक्षित विकल्प हैं किन्तु अन्य बातें बाद में घटित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए मास्को कुर्दों को सैन्य मदद दे सकता है और नाटो सार्वजनिक रूप से अपना समर्थन तुर्की को दे सकता है और साथ ही तुर्की की आक्रामक नीति के प्रति अपना रोष भी जाहिर कर रहे हैं। तुर्की को तुर्कीवासियों के समर्थन के लिए बलिदान देना पड़ सकता है और रूस को न उकसाने तथा संकट को और अधिक न गहराने देने के क्रम में सीरिया में अपनी शेष सभी प्रचालनात्मक गतिविधियों सहित अलेप्पो के युद्ध में अपनी संलिप्तता समाप्त कर सकता है।
आज हम विश्व के किसी देश को रूस द्वारा वह राजनीतिक या सैन्य प्रस्ताव दिया जाना नहीं देखते हैं जो उसने सीरिया को दिया है। शायद, यह परिस्थितियों का माँग है क्योंकि वर्तमान परिस्थितियाँ पूरी तरह से रूस के भूराजनैतिक विकल्प से बँधी हैं। अत: वाशिंगटन में विकसित हो रहा एक निश्चित विचार है कि रूस को सीरिया में अपना दखल देने की स्वतन्त्रता देनी चाहिए और सभी परिणामी खतरों तथा अलोकप्रियता को झेलने देना चाहिए जबकि शायद व्यापक दृष्टि में सम्भव है कि इसमें अमेरिका का दीर्घकालीन हित निहित हो।
रूस तथा पश्चिमी देशों का कट्टरपंथ पर एकसमान दृष्टिकोण है किन्तु उनमें इसके समाधान की रूपरेखा को लेकर मतभिन्नता है और असद की भावी भूमिका के विषय में उनके मतभेद सम्पूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय अवरोध पर वार्ता के लिए आमन्त्रित कर सकते हैं। सीरियाई संकट के कारण रूस तथा चीन अप्रत्याशित ढंग से एक-दूसरे के निकट आ गये और इन दोनों के मध्य की मैत्री राष्ट्र हित में उत्तम भावना से नहीं ले जायी जा सकती है। रूस भावी क्षेत्रीय राजनीतिक ज्यामिति डिजाइन करने के लिए अपनी रणनीतिक चाल व्यावहारिक ढंग से चलेगा जो प्राथमिक तौर पर सुरक्षा तथा रणनीति लक्ष्यों के अनुकूल होगा।
अरब का उभार इस क्षेत्र में राजनीतिक गतिशीलता का एक नया प्रतीक है। कट्टरपन्थी समुदाय का विस्तार हुआ है और इस क्षेत्र का सामान्य रणनीतिक परिदृश्य तथा राजनीतिक भूगोल बड़े खिलाड़ियों के हितों के अनुरूप सँवारा गया है और क्षेत्रीय अभिकर्ता न केवल स्थिति को जटिल बनाते हैं बल्कि क्षेत्र को बाह्य तौर पर अस्थिर भी करते हैं। सीरिया विभिन्न विरोधाभासी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं तथा प्रतिस्पर्द्धाओं के बीच फँसा हुआ है और यह जो मार्ग निर्मित करेगा वह समग्र क्षेत्रीय गतिशीलता तथा वैश्विक संगठन को प्रभावित करेगा। सीरिया में क्रान्ति के प्रसार ने प्रमुख हितधारकों के मध्य समग्र रणनीतिक परिदृश्य को नाटकीय ढंग से जटिल बना दिया है और उन्हें विभाजित कर दिया है क्योंकि राजनीतिक और कूटनीतिक कार्यसूची अमेरिकी नीति और उसके हितों से टकरा रही है। अब तक इन सभी चीजों ने विपरीत रूप से यह संकेत दिया कि अमेरिका रूसी कार्यवाहियों को रोकने के लिए कुछ भी कर सकता है। अब अमेरिका पश्चिम एशिया में असम्भव सी दुविधा में घिरता जा रहा है।
****
* लेखक, वैश्विक मामले की भारतीय परिषद, नई दिल्ली में शोधार्थी हैं।
इसमें व्यक्त विचार शोधार्थी के हैं न कि परिषद के।
अंत टिप्पण:
1 Syrian President in a conversation with erstwhile Foreign Minister of Turkey, Amet Davutoglu in August 2011. Today’s Zaman, http://www.todayszaman.com/diplomacy_report-assad-told-davutoglu-syria-will-set-mideast-on-fire-if-nato-attacks_258900.html.
2 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring (London: Bloomsbury Publishing, 2013) p. no. 03.
3 Ibid.
4 Hennery Kissinger’s remarks in his first visit to Damascus after the end of 1973 war. http://countrystudies.us/syria/67.htm
5 Paul Danaher, The New Middle East : The World after the Arab Spring ( London : Bloomsbury Publishing , 2013) p. no. 370
6 The Syrian Conflict: Four Years On, Staffen De Mistura, UN Special Envoy to Syria, The Chatham House, The Royal Institute of International Affairs. March 5, 2015 https://www.chathamhouse.org/sites/files/chathamhouse/field/field_document/20150305TheSyrianConflict.pdf
7 Dr. Claire Spencer, “The Forgotten Syria”, The Chatham House, October 4, 2013 https://www.chathamhouse.org/media/comment/view/194629
8 Organization of Doctors for the Sake of Human Right
9 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring (London: Bloomsbury Publishing, 2013) p. no.374.
10 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring ( London : Bloomsbury Publishing , 2013) P. no.372
11 United Nations Human Right Council report of the Independent International Commission of Inquiry on the Syrian Arab republic, August 15, 2012. P. no.71 http://daccess-dds-ny.un.org/doc/UNDOC/GEN/G12/160/66/PDF/G1216066.pdf?OpenElement
12 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring ( London : Bloomsbury Publishing , 2013) P. no.404
13 Report Dr. Abdul Azziz Alhaj Mustafa, “Syrian Regime and the Continued Massacre:2011-15,” Report published by Umayya Centre for Research and Strategic Studies, Dar-e-Ammar for Publication and Distribution, Jordan 2015
14 Dr. Abdul Azziz Alhaj Mustafa, “Syrian Regime and the Continued Massacre: 2011-15,” Report published by Umayya Centre for Research and Strategic Studies, Dar-e-Ammar for Publication and Distribution, Jordan 2015.
15 UN Secretary General’s remarks at the Memorial Centre in Srebrenica , 26 July, 2012
16 Report Dr. Abdul Azziz Alhaj Mustafa, “Syrian Regime and the Continued Massacre:2011-15” Report published by Umayya Centre for Research and Strategic Studies, Dar-e-Ammar for Publication and Distribution, Jordan 2015
17 Farahmand Alipour , “Syrian Shiite Take UP Arms in Support of Assad,” Al-Monitor, http://www.al-monitor.com/pulse/originals/2015/08/syrian-shiite-militia.html#
18 Based on the lecture of Ambassador Talmeez delivered at ORF.
19 Sertif DEMIR, “The Impact of the Syria Crisis o the Global and Regional and Political Dynamic,” Scientific Researcher, Institute for Political Studies of Defense and military History, Bucharest, Romania.
20 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring (London: Bloomsbury Publishing, 2013) p. no.376013) p. no. 383.
21 Ibid., p. no. 377.
22 Gennady Gatilov, “A Syrian Settlement Formula: Inter-Syrian Dialogue Supported by External Actors,” International Affairs, Vol. 60, No. 1, 2014.
23 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring (London: Bloomsbury Publishing, 2013) p. no.376013) p. no. 383.
24 Nafees Ahmad, “NATO is Harboring the Islamic Sates,” Insurgentelligence,
25 Al-Monitor, January, 15, 2015. http://www.al-monitor.com/pulse/originals/2015/01/turkey-syria-intelligence-service-shipping-weapons.html
26 Office of the Press Secretary, The White House, Statement by the President Obama on Syria, February 4, 2012
27 “American War on Terror and Syrian Regime Stances” (Arabic), Unit of Political Analysis, Arab Centre for Research and Policy Studies.
28 Paul Danaher, The New Middle East : The World after the Arab Spring ( London : Bloomsbury Publishing , 2013) P. no.376013) p. no. 413.
29 “US to give $ 123 million package to Syrian Rebels,” Russia Today, April 21, 2013. https://www.rt.com/news/friends-syria-istanbul-us-152/.
30 The Guardian, August, 29, 2013 http://www.theguardian.com/world/2013/aug/29/cameron-british-attack-syria-mps
31 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring (London: Bloomsbury Publishing , 2013) p. no. 387
32 The Times of Israel, September ,2, 2013 http://www.timesofisrael.com/arab-league-urges-un-backed-action-in-syria/?fb_comment_id=231164850367924_869851
33 Jon B. Alterman and Carolyn Barnet, Turkey, Russia d Iran in the Middle East, Centre for Strategic and International Studies, November, 2013.
34 “UN Syria Envoy Lakhdar Brahimi Resigns after Failure Geneva Talks,” The Guardian, May 13, 2014 http://www.theguardian.com/world/2014/may/13/un-syria-envoy-lakhdar-brahimi-resigns.
35 Paul Danaher, The New Middle East : The World after the Arab Spring ( London : Bloomsbury Publishing , 2013) P. no. 402
36 Ibid., p. no. 413-14
37 Ibid., p. no. 409
38 Ibid., p. no. 413-14
39 Fawaz A. Gerges, “The End of America’s Moment? Obama and the Middle East” (US: Palgrave Macmillan, 2012), P. no.69
40 Ibid., p. no. 18
41 Ibid., p. no. 2.
42 Ibid., p. no. 3
43 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring ( London : Bloomsbury Publishing , 2013) P. no.20
44 Elvin Aghayev & Filitz Katman, “Historical Background and Present states of Russia-Syrian Relations,” European Research Paper, 2012, Vol 35, NO.11-3 https://www.academia.edu/3492823/Historical_Background_and_the_Present_State_of_the_Russian-Syrian_Relations
45 Elvin Aghayev & Filitz Katman, Historical Background and Present States of Russia-Syrian Relations. European Research Paper, 2012, Vol 35, No.11-3 https://www.academia.edu/3492823/Historical_Background_and_the_Present_State_of_the_Russian-Syrian_Relations.
46 Ali Ibrahim, Aldur-al-Rusi, Ashrqal Awasat, September 29, 2015
47 Sertif DEMIR,” The Impact of the Syria Crisis o the Global and Regional and Political Dynamic,” Scientific Researcher, Institute for Political Studies of Defense and military History, Bucharest, Romania
48 Anatol Lieven, “Putin Shows His Realism in Syria,” Aljazeera, October 16, 2015 http://www.aljazeera.com/indepth/opinion/2015/10/putin-shows-realism-syria-151013102705917.html.
49Kurdish Press, http://www.kurdpress.com/En/NSite/FullStory/News/?Id=11635#Title=%0A%09%09%09%09%09%09%09%09Moscow-PYD ties to improve as delegation visits Russia%0A%09%09%09%09%09%09%09.
50 M. Titrenk and V Petrovsky, “Russia, China and the New World Order,” International Affairs, Vol. 61. No. 3, 2015.
51 Yan, “Syria Allies: Why Russia, Iran and China,” op.cit.
52 Jon B. Alterman and Carolyn Barnet, Turkey, Russia d Iran in the Middle East, Centre for Strategic and International Studies, November, 2013 http://csis.org/files/publication/131112_Brannen_TurkeyRussiaIranNexus_Web.pdf
53 New York Times, Feb 3 , 2015 http://www.nytimes.com/2015/02/04/world/middleeast/saudi-arabia-is-said-to-use-oil-to-lure-russia-away-from-syrias-assad.html
54 The Guardian, September 23, 2015,
55 Jon B. Alterman and Carolyn Barnet, Turkey, Russia d Iran in the Middle East, Centre for Strategic and International Studies, November, 2013 http://csis.org/files/publication/131112_Brannen_TurkeyRussiaIranNexus_Web.pdf
56 Jon B. Alterman and Carolyn Barnet, Turkey, Russia d Iran in the Middle East, Centre for Strategic and International Studies, November, 2013 http://csis.org/files/publication/131112_Brannen_TurkeyRussiaIranNexus_Web.pdf
57 United Nations: Meetings Coverage and Press Release http://www.un.org/press/en/2015/sc12001.doc.htm, August 7, 2015
58“Russia Wants Pragmatic Steps for Syrian Chemical Arsenal,” Authint Mail, September 29, 2013. http://www.authintmail.com/news/asia/russia-wants-pragmatic-steps-syrian-chemical-arsenal. (Accessed on November 10, 2015).
59 Sertif DEMIR, “The Impact of the Syria Crisis to the Global and Regional and Political Dynamic,” Scientific Researcher, Institute for Political Studies of Defense and military History, Bucharest, Romania
60 “Russia’s Role in the Middle East,” Brooking Doha centre, http://www.brookings.edu/~/media/events/2013/12/09-russia-role-middle-east/russia_role_middle_east_transcript.pdf,December9,2013.
61 Jon B. Alterman and Carolyn Barnet, Turkey, Russia d Iran in the Middle East, Centre for Strategic and International Studies, November, 2013 http://csis.org/files/publication/131112_Brannen_TurkeyRussiaIranNexus_Web.pdf.
62 “Russia’s Role in the Middle East,” Brooking Doha Centre, http://www.brookings.edu/~/media/events/2013/12/09-russia-role-middle-east/russia_role_middle_east_transcript.pdf,December9,2013
63 Paul Danaher, The New Middle East: The World after the Arab Spring (London: Bloomsbury Publishing, 2013), p. no. 400.
64 Ibid., p. no. 400
65“Russia Offers Four Step Plan for Syria Arms Handover: Report,” Hurriyet, September 12, 2013. http://www.hurriyetdailynews.com/russia-offers-four-step-plan-for-syria-arms-handover-report.aspx?pageID=238&nid=54312 (Accessed on November 10, 2015)
66 “Syria’s Chemical Weapons Arsenal Over 98% Dismantled - UN Security Council,” Sputnik, October 8, 2015. http://sputniknews.com/middleeast/20151008/1028188298/Syrias-Chemical-Weapons-Alsmost-Dismantled.html (Accessed on November 112, 2015).
67David Bowden, “Syria Weapons Deal Boosts Putin's Profile,” Sky News, September 15, 2013. http://news.sky.com/story/1141869/syria-weapons-deal-boosts-putins-profile (Accessed on November 10, 2015)
68 Nkolay Kozhanov, “What at Stake of Russia in Syria,” Chatham House http://www.bbc.com/news/world-middle-east-34290965
69Michelle Nichols and Louis Charbonneau, “Russia, China Snub U.N. Talks on Draft Syria Aid Access Resolution,” Chicago Tribune News, February 10, 2014. http://www.chicagotribune.com/news/sns-rt-us-syria-crisis-un-russia-20140210,0,1001517.story (Accessed on November 10, 2015).
70 Liu Ali, Syrian crisis and Restructuring of the Middle East, China Institute of International Studies http://www.ciis.org.cn/english/2013-09/04/content_6273015.htm.
71 Abul Jaleel Al-Marhoun, “The Story of Russia-Syria Relations,” Middle East Monitor, February, 7, 2014 https://www.middleeastmonitor.com/articles/europe/9631-the-story-of-syrian-russian-relations.
72 Nkolay Kozhanov, “What at Stake of Russia in Syria,” Chatham House, http://www.bbc.com/news/world-middle-east-34290965.
73Tim Lister, “Russia's Syria Expedition: Why Now and What's Next?” CNN, October 1, 2015. http://edition.cnn.com/2015/09/27/world/russia-syria-involvement/ (Accessed on November 16, 2015).
74 “Syria, Russia and the West , a Game Changer in Latakia,” The Economist, September 26, 2015
75Jonathan Marcus, “Syria: What can Russia's military do?” BBC, October 7, 2015. http://www.bbc.com/news/world-asia-34411477 (Accessed on November 4, 2015).
76 Kaeli Subberwal, Echoes of the Cold War : Russia in Syria, The Gate , Political Analysis and Opinion for the University of Chicago http://uchicagogate.com/2015/10/25/echoes-of-the-cold-war-russias-role-in-syria/
77 Michael R. Gordon, “Russia Surprises US with Accord on Battling IS,” New York Times, http://www.nytimes.com/2015/09/28/world/middleeast/iraq-agrees-to-share-intelligence-on-isis-with-russia-syria-and-iran.html?smprod=nytcore-ipad&smid=nytcore-ipad-share&_r=1
78
79 Pamela Engel, Business Inside http://www.businessinsider.in/We-are-witnessing-the-most-significant-new-Russian-military-foothold-in-the-Middle-East-in-decades/articleshow/48963353.cms.
81 Moscow Times, September 21, 2015 http://www.themoscowtimes.com/business/article/why-russia-is-expanding-its-syrian-naval-base/531986.html.
82 Asia Times, September 23, 2015 http://atimes.com/2015/09/satellites-photos-show-russia-is-expanding-military-presence-in-syria/
83 Pavel K. Baev, “What is Russian Military Good for?” Brookings, November 4, 2015, http://www.brookings.edu/blogs/order-from-chaos/posts/2015/11/04-what-is-russian-military-good-for-baev
84 Garrett I. Campbell, “The Russian Military is Proving Western Punditry Wrong,” Brookings, October 23, 2015 http://www.brookings.edu/blogs/order-from-chaos/posts/2015/10/23-russian-military-capabilities-syria-campbell
85 The Economist
86 William E. Pomeranz Does Paris Open Door for Russia https://www.wilsoncenter.org/article/does-paris-open-door-for-putin
87 Ibid.
88 Ibid.
89 Ibid.
90 Huda Hussaini, “What Pushed Russia toward Mediterranean Far Away from Syria,” Ashrqal Awasat December 18, 2015
91 Los Angeles Times, November 24, 2015,
http://www.latimes.com/world/middleeast/la-fg-obama-hollande-isis-20151124-story.html
92 NATO Doorstep Statement http://nato.int/cps/en/natohq/opinions_123518.htm
93 Al-Gharb Wa Turkiya: Hal-Liddam Hodood Bil-Azmah Maa-Syria, Aljazeera Arabic , December 3, 2015 http://www.aljazeera.net/news/reportsandinterviews/2015/12/3/%D8%A7%D9%84%D8%BA%D8%B1%D8%A8-%D9%88%D8%AA%D8%B1%D9%83%D9%8A%D8%A7-%D9%87%D9%84-%D9%84%D9%84%D8%AF%D8%B9%D9%85-%D8%AD%D8%AF%D9%88%D8%AF-%D8%A8%D8%A7%D9%84%D8%A3%D8%B2%D9%85%D8%A9-%D9%85%D8%B9-%D8%B1%D9%88%D8%B3%D9%8A%D8%A7
94 Chris Lake, What is Russia’s Syria Intervention is Really About? http://www.inquisitr.com/2464436/what-is-russia-syria-intervention-really-about/
95 Sertif DEMIR, “The Impact of the Syria Crisis on the Global and Regional and Political Dynamics,” Scientific Researcher, Institute for Political Studies of Defense and military History, Bucharest, Romania
96 Huda Hussaini, “What Pushed Russia toward Mediterranean Far Away from Syria,” Ashrqal Awasat, December 18, 2015.
97 Business Insider, http://www.businessinsider.in/This-Map-Shows-The-US-And-Russias-Worldwide-Arms-Sales-Race/articleshow/40199367.cms
98 Jack Karavelli, “Russia’s Arms Sale to Syria and Iran Add to Middle East Instability,” The Washington Free beacon, http://freebeacon.com/national-security/russian-arms-sales-to-syria-iran-add-to-middle-east-instability/
99 Business Insider, http://www.businessinsider.in/This-Map-Shows-The-US-And-Russias-Worldwide-Arms-Sales-Race/articleshow/40199367.cms
100 “Maxim A. Suchko, New Russian Arm deal Could Shake Up the Middle East Market,” Al-Monitor, http://www.usnews.com/news/articles/2015/08/26/new-russian-arms-deals-could-shake-up-mideast-market
101 Huda Hussaini, “What Pushed Russia toward Mediterranean Far Away from Syria,” Ashrqal Awasat December 18, 2015
102 Chris Lake, What is Russia’s Syria Intervention is Really About? http://www.inquisitr.com/2464436/what-is-russia-syria-intervention-really-about/
103 Sergei Karagannov, “Russia and the US: A Long Confrontation? Implications of the Ukraine Conflict,” Russia in Global Affairs, Vol.12 No.03, July-September 2014.
104 Alexei Arbatov, “Collapse of the World Order? The Emergence of Polycentric World and its Challenges,” Russia in Global Affairs, Vol.12 No. 03, July-September 2014.
105 Emmanuel Karagiannis, “What Putin is really After,” Al Jazeera, December 01, 2015 http://www.aljazeera.com/indepth/opinion/2015/12/putin-151201104508608.html.
106 Andrew T. Wolf, “The Future of NATO enlargement after the Ukraine Crises” International Affairs, Vol. 91, no. 5, September 2015.
107 Andrew T. Wolf, “The Future of NATO enlargement after the Ukraine Crises” International Affairs, Vol. 91, no. 5, September 2015
108 Alexei Arbatov, Collapse of the World Order? : The Emergence of Polycentric World and its Challenges” Russia in Global Affairs, Vol.12 No.03, July-September 2014
109 Sertif DEMIR,” The Impact of the Syria Crisis o the Global and Regional and Political Dynamic” Scientific Researcher, Institute for Political Studies of Defense and military History, Bucharest, Romania
110 Abul Jaleel Al-Marhoun, The Story of Russia-Syria Relations, Middle East Monitor, February, 7, 2014 https://www.middleeastmonitor.com/articles/europe/9631-the-story-of-syrian-russian-relations
111 Chris Lake, What is Russia’s Syria Intervention Really About? http://www.inquisitr.com/2464436/what-is-russia-syria-intervention-really-about/.
112 Abul Jaleel Al-Marhoun, “The Story of Russia-Syria Relations,” Middle East Monitor, February, 7, 2014, https://www.middleeastmonitor.com/articles/europe/9631-the-story-of-syrian-russian-relations.
113 Sertif DEMIR, “The Impact of the Syria Crisis on the Global and Regional and Political Dynamics,” Scientific Researcher, Institute for Political Studies of Defense and military History, Bucharest, Romania
114 “Cairo between Washington and Moscow,” (Arabic) Al-Hayat, August 31, 2015.
115 Nikolay, “What is at Stake of Russia in Syria,” http://www.bbc.com/news/world-middle-east-34290965
116 Ibid.
117 “Who will Fill the Vacuum in Middle East,” Asharqal Awasat, October 30, 2014
118 Andrej Krickovic and Yuval Weber, “Why a New Cold War with Russia is Inevitable,” Brooking Institute, September 30, 2015 http://www.brookings.edu/blogs/order-from-chaos/posts/2015/09/30-new-cold-war-with-russia-krickovic-weber
119 Sertif DEMIR, “The Impact of the Syrian Crisis on the Global and Regional and Political Dynamics,” Scientific Researcher, Institute for Political Studies of Defense and military History, Bucharest, Romania
120 Anatol Lieven, “Putin Shows His Realism in Syria,” Aljazeera, October 16, 2015 http://www.aljazeera.com/indepth/opinion/2015/10/putin-shows-realism-syria 151013102705917.html
121Christopher Phillips, “Syria: The View from Moscow,” Chatham House, December 10, 2014. https://www.chathamhouse.org/expert/comment/16470?gclid=CjwKEAiAvauyBRDwuYf3qNyXmW4SJACX9-fXFsB7wOoGLJHfHzJJZBaI5E_DItcqbHTSEVijNLp3ZhoC7Vfw_wcB (Accessed on November 17, 2015).
122 Edward Pentin, “Russia's Interest in Protecting Christians in the Middle East,” Terrasanta.net, November 13, 2013. http://www.terrasanta.net/tsx/articolo.jsp?wi_number=5553&wi_codseq=%20%20%20%20%20%20&language=en (Accessed on November 19, 2015
123Christopher Phillips, “Syria: The View from Moscow,” Chatham House, December 10, 2014. https://www.chathamhouse.org/expert/comment/16470?gclid=CjwKEAiAvauyBRDwuYf3qNyXmW4SJACX9-fXFsB7wOoGLJHfHzJJZBaI5E_DItcqbHTSEVijNLp3ZhoC7Vfw_wcB (Accessed on November 17, 2015).
124 “Russian Orthodox Church Supports Putin's 'Holy War' in Syria to Protect Christians,” Christian Today, October 2, 2015. http://www.christiantoday.com/article/russian.orthodox.church.supports.putins.holy.war.in.syria.to.potect.christias66312.htm (Accessed on November 17, 2015).
125 Adamsky, “Putin's Damascus Steal,” Foreign Affairs, September 16, 2015. https://www.foreignaffairs.com/articles/syria/2015-09-16/putins-damascus-steal (Accessed on November 16, 2015).
126 Putin Goes on Offensive, “The National Interest,” http://nationalinterest.org/feature/putin-goes-the-offensive-its-not-syria-14154.
127 Putin Goes on Offensive “The National Interest” http://nationalinterest.org/feature/putin-goes-the-offensive-its-not-syria-14154
128 Ibid.