संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 1-2 मई 2023 को कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान के मुद्दे पर दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया। कथित तौर पर, बंद दरवाजे में हुए इस सम्मेलन में अफगानिस्तान द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों पर लगभग 20 देशों के प्रतिनिधियों तथा कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने हिस्सा लिया।[i]15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज तालिबान प्रशासन को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था।
बैठक का उद्देश्य
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान को लेकर साझा अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण बनाना था। हालाँकि ऐसी कुछ रिपोर्टें आई थीं कि तालिबान सरकार की मान्यता का मुद्दा एजेंडे में हो सकता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने साफ कर दिया था कि यह बैठक "तालिबान सरकार की मान्यता को लेकर नहीं थी।"[ii] बल्कि, इसका उद्देश्य मानवीय संकट, मानवाधिकार, विशेषतः महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों, समावेशी प्रशासन, आतंकवाद का मुकाबला करने और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे प्रमुख मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव को फिर से मजबूत करना था।[iii]
बैठक में आमंत्रित नहीं किए जाने पर अपनी बात रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र में तालिबान के नामित राजदूत, सुहैल शाहीन ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया, "आईईए (इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान) के प्रतिनिधियों को शामिल किए बिना कई भी बैठक सफल नहीं हो सकती और कभी-कभी इसके प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं...ऐसी बैठकों में भाग लेकर अपनी स्थिति साफ करने का मौका देना इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान का अधिकार है। अगर हम प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं, तो ऐसी बैठकों में लिया गया निर्णय कैसे माना या लागू किया जा सकता है? यह भेदभावपूर्ण और अनुचित है।"[iv]
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने बैठक में तालिबान को न शामिल किए जाने के विषय पर कहा कि यह अफगान सरकार से सीधे जुड़ने का सही समय नहीं है। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि वह भविष्य में भी इसी तरह की और बैठकें करेंगे।
इस बैठक में क्या हुआ?
अफगानिस्तान सरकार को इस बैठक में न बुलाए जाने का एक कारण महिलाओं के साथ तालिबान का अनुचित व्यवहार है। बैठक के प्रतिभागियों ने 27 अप्रैल के सर्वसम्मत सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2681[v] के अनुसार बैठक की, जिसमें अफगानिस्तान में महिलाओं तथा लड़कियों की पूर्ण, समान, सार्थक और सुरक्षित भागीदारी का आह्वान किया गया। दोहा बैठक पर यूएनएससी के बयान[vi] के अनुसार, प्रतिभागियों ने बैठक में प्रस्ताव को अपनाने में दिखाई गई एकजुटता की भावना को दोहराया। उन्होंने जुड़ाव की ऐसी आम रणनीति की आवश्यकता पर सहमति जताई जिससे न केवल अफगानिस्तान में स्थिरता आए; बल्कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों की लगातार उपस्थिति, समावेशिता की कमी, अधिकारों की कमी (जिसमें मानव अधिकार, विशेषतः महिलाओं और लड़कियों के अधिकार शामिल हैं) और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी बड़ी चिंताओं को भी दूर किया जा सके। कुल मिलाकर, प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से अस्थिर अफगानिस्तान के निहितार्थों पर अपनी चिंता व्यक्त की।
हालांकि यूएनएससी के बयान[vii] से ऐसा प्रतीत होता है कि दोहा बैठक में अफगानिस्तान से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कवरेज में ज्यादातर महिलाओं के अधिकारों की बात की गई और कहा कि यह बातचीत का मुख्य मुद्दा रह। 2021 में सत्ता में लौटने के बाद से, तालिबान ने महिलाओं की स्वतंत्रता पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। 28 अप्रैल 2023 से, महिलाओं को संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने से भी रोक दिया गया है, वो भी ऐसे देश में जहाँ लगभग 29 मिलियन लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान के इस कदम को अस्वीकार्य बताया क्योंकि इससे सहायता एजेंसियों का काम मुश्किल हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दो दिवसीय बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, "मैं बिल्कुल स्पष्ट कहूंगा कि, हम महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर होने वाले इन प्रणालीगत हमलों पर चुप नहीं बैठेंगे। अगर लाखों महिलाओं और लड़कियों की आवाज को दबाया जा रहा हो और गायब किया जा रहा हो तो हम आवाज उठाए बिना नहीं रह सकते।[viii] संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के भविष्य पर निर्णय लेने हेतु तालिबान की अनुपस्थिति में दोहा और काबुल में बैठक कर रहे हैं।
अप्रैल के अंत में, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने यह साफ कर दिया कि तालिबान को बैठक में नहीं बुलाया जाएगा और तालिबान की मान्यता उनके एजेंडे में शामिल नहीं थी। उनका बयान ऐसे वक्त में आया जब अफगान प्रवासी और कुछ पश्चिमी देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव अमीना मोहम्मद द्वारा तालिबान प्रशासन का संभावित मान्यता देने के बयान पर चिंता व्यक्त करने के बाद आया है।[ix] एक खुले पत्र में, अफगान महिला समूहों के एक गठबंधन ने कहा कि वे "नाराज" थे कि सरकार का रिकॉर्ड देखते हुए शायद ही कोई भी देश औपचारिक संबंधों पर विचार करेगा, जो कहता है कि महिलाओं का अधिकार "एक आंतरिक सामाजिक मुद्दा" है।[x]
तालिबान प्रशासन कूटनीतिक रूप से अलग-थलग है क्योंकि किसी भी देश ने इसे मान्यता नहीं दी है, और इसके कई वरिष्ठ नेताओं पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं। फिर भी, अफगानिस्तान में फिर से सत्ता पर काबिज होने के बाद से कई देशों ने तालिबान के साथ संबंध बनाए हुए हैं। इसलिए, इस बैठक को तालिबान के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साझा मत के रूप में देखा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र की कोशिशें क्या रंग लाई हैं, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। निष्कर्ष निकालने के लिए यह तर्क दिया जा सकता है कि; हालांकि दोहा बैठक अफगानिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जुड़ाव हेतु महत्वपूर्ण थी, लेकिन इस बैठक का कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं निकला है। लेकिन, इसकी एकमात्र अच्छी बात, इसके दौरान यह घोषणा करना रहा कि संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान पर एक और बैठक आयोजित करेगा, संभवत: अब से तीन से छह महीने बाद। अफगान महिलाओं को दुनिया की बाकी एजेंसियों के साथ काम करने से रोके जाने के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र द्वारा अफगानिस्तान में अपने राहत अभियान की समीक्षा करने की उम्मीद है - अभी इसके लिए यह तय कर पाना मुश्किल है कि वह अफगानिस्तान में अपने राहत कार्यों को जारी रखे या नहीं। हालाँकि, दोहा में हाल ही में हुई बैठक से एक बात स्पष्ट है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान प्रशासन को अभी मान्यता देने पर विचार नहीं कर रहा है।
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*डॉ. अन्वेषा घोष, शोध अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] “UN chief says ‘not the right time’ to engage with Taliban.” Al Jazeera, May 2, 2023. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2023/5/2/un-chief-says-not-the-right-time-to-engage-with-taliban. (Accessed on 3 May 2023).
[ii] Ibid.
[iii] Ibid.
[iv] “Any meeting without participation of IEA representatives is unproductive & even sometimes counterproductive: Suhail Shaheen” Sabah News, May 1, 2023. Available at: https://sabahnews.net/english/news/any-meeting-without-participation-of-iea-representatives-is-unproductive-even-sometimes-counterproductive-suhail-shaheen/ (Accessed on 3 May 2023).
[v] “ The Situation in Afghanistan”. UNSC Resolution, 27 April, 2023. Available at: https://documents-dds-ny.un.org/doc/UNDOC/GEN/N23/121/49/PDF/N2312149.pdf?OpenElement (Accessed on 3 May 2023).
[vi] “ The Situation in Afghanistan”. UNSC Resolution, 27 April, 2023. Available at: https://documents-dds-ny.un.org/doc/UNDOC/GEN/N23/121/49/PDF/N2312149.pdf?OpenElement (Accessed on 3 May 2023).
[vii] Ibid
[viii] Ibid
[ix] “Top UN Official Proposes Meeting to Discuss Recognition of Taliban.” Voice of America, 18 April 2023. Available at: https://www.voanews.com/a/top-un-official-proposes-meeting-to-discuss-recognition-of-taliban/7055782.html (Accessed on 3 May 2023).
[x] “Top UN Official Proposes Meeting to Discuss Recognition of Taliban.” Voice of America, 18 April 2023. Available at: https://www.voanews.com/a/top-un-official-proposes-meeting-to-discuss-recognition-of-taliban/7055782.html (Accessed on 3 May 2023).