20-21 अक्टूबर 2022 को, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पेरिस में अपना पूर्ण सत्र आयोजित किया। काफी अटकलों के बाद पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से हटा दिया गया। इसी सप्ताह की शुरुआत में, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर–ए–तैयबा (एलईटी), के तल्हा सईद और शाहिद महमूद को प्रतिबंधित करने के प्रयासों को चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में वीटो कर दिया था। इस संदर्भ में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान को बाहर करना वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और उसमें इस्लामाबाद की स्थिति को कैसे प्रभावित करता है।
वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयास में एफएटीएफ को कहाँ रखा जाए?
वर्ष 1989 में, जी-7 देशों ने एक साल के टास्क फोर्स का गठन किया है, जो कि अंतरराष्ट्रीय नशीले पदार्थों के बढ़ते बाजार को कैप करने के तरीके ढूंढ़ेगा। परिणामस्वरूप, एफएटीएफ को एक अंतर–सरकारी निकाय के रूप में स्थापित किया गया था, जिसमें 16 सदस्य शामिल थे, जिसका उद्देश्य एक अंतरराष्ट्रीय एंटी–मनी लॉन्ड्रिंग व्यवस्था बनाना था।[i] इसमें चालीस अनुशंसाएं दी गई थीं। उस समय, हालांकि नशीले दवाओं के अवैध कारोबार से होने वाली कमाई, जिसने आतंकी समूहों के वित्तपोषण का मार्ग प्रशस्त किया, को नियंत्रित करना बहुत हद तक एफएटीएफ के दायरे में था, और वैश्विक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को अनिवार्य रूप से यूएनएससी ( UNSC) द्वारा निपटाया जाना था।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 24 के अनुसार, “अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने” [ii] के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत का समर्थन करना सुरक्षा परिषद का प्राथमिक उत्तरदायित्व है। इसके लिए, आतंकवाद का मुकाबला करने समेत “शांति के लिए खतरों को रोकने और उन्हें दूर करने के लिए सामूहिक उपाय”[iii], परिषद द्वारा किए जाने हैं। इस उद्देश्य को पूरा करने और आतंकवाद के तेज़ी से बढ़ते मामलों का समाधान करने के लिए, 1999 में यूएनएससी 1267 समिति बनाई गई थी। इसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट (आईएसआईएस/ दाएश) और अल कायदा प्रतिबंध समिति के नाम से भी जाना जाता है, यह निकाय संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को आतंकवादी समूहों और इससे जुड़े व्यक्तियों के नाम प्रस्तावित करने, काली सूची में डालने या संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में डालने में सक्षम बनाता है, बशर्ते यूएनएससी को ऐसे प्रस्ताव मंजूर हों। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यूएनएससी द्वारा काली सूची में डाला जाना “इस संस्थाओं/ व्यक्तियों की रहनुमाई करने वाले देशों”[iv] की तुलना में थोड़ा अधिक है, इसे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु देशों पर दबाव बनाने का एक तरीका माना जाता है।
9/11 और अमेरिका के ‘ग्लोबल वॉर ऑन टेरर’ के बाद बड़े पैमाने पर बहुपक्षीय संस्थानों के वैश्विक एजेंडे में आतंकवाद का मुकाबला करने के विषय को प्राथमिकता मिली। परिणामस्वरूप, आतंकवाद के मुद्दे से निपटने के लिए उपरोक्त दो पाश्चात्य–नीत प्रक्रियाएं सुदृढ़ हुईं।
वर्ष 2001 में, एफएटीएफ मिशन में “आतंकवादियों के वित्तपोषण के खिलाफ जंग में मानकों का विकास”[v] को शामिल किया गया था। उस वर्ष अक्टूबर माह तक, विशेष रूप से आतंकवादियों के वित्तपोषण[vi] से निपटने के लिए आठ विशेष अनुशंसाओं को शामिल किया गया। वर्ष 2000 तक 28 सदस्य देश एफएटीएफ में शामिल हो चुके थे, इसमें और विस्तार किया गया और संख्या 31 तक हो गई। वर्ष 2012 तक, एफएटीएफ की समीक्षा कर ली गई थी। 40+9 अनुशंसाओं के साथ, एफएटीएफ मानदंड एंटी–मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) और आतंक के वित्तपोषण (सीएफटी) से निपटने पर वैश्विक मानकों के रूप में पहचाने जाने लगे। 39 सदस्यों (37 राष्ट्र और 2 क्षेत्रीय संगठन, यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद) के साथ एफएटीएफ की सदस्यता में वृद्धि जारी है और वर्तमान में इंडोनेशिया इसका पर्यवेक्षक राष्ट्र है। इसके अलावा, 9 एफएटीएफ के जैसे ही क्षेत्रीय निकाय (एफएसआरबी), एफएटीएफ आज “मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण एवं सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार हेतु वित्तपोषण का मुकाबला करने का”[vii] वैश्विक नेटवर्क बन चुका है, और इसे एक ऐसे निकाय में बदल रहा है जो वैश्विक आतंकवाद–रोधी व्यवस्था का मूल है।
यूएनएससी के संबंध में, 1267 समिति को 2001 में अधिक प्रमुखता मिली। आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित व्यक्तियों और संस्थाओं/ समूहों को काली सूची में डाले जाने की प्रक्रिया तेज हुई। वर्तमान में यूएनएससी की प्रतिबंध सूची[viii] में 703 व्यक्ति और 253 संस्थान हैं। फिर भी, यह प्रक्रिया बाधाओं से मुक्त नहीं रही है। सबसे प्रमुख पाकिस्तान से काम कर रहे सबसे कुख्यात आतंकवादियों को काली सूची में डालने पर चीन द्वारा अपने वीटो का प्रयोग करना है। सबसे नए उदाहरण का जिक्र ऊपर किया जा चुका है। इसके अलावा, हालांकि जैश–ए–मोहम्मद (JeM) को एक आतंकवादी संगठन के रूप में यूएनएससी द्वारा 2001 में काली सूची में डाल दिया गया था, लेकिन चीन ने संगठन प्रमुख मसूद अज़हर को दस वर्षों तक काली सूची में न डाले जाने के लिए वीटो किया था, वर्ष 2019 में आखिरकार उसे काली सूची में डाले जाने को मंजूरी दी जा सकी थी।
आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अलग– अलग राष्ट्रों द्वारा उठाए गए कदमों के बावजूद, वैश्विक आतंकवाद विरोधी उपायों के संदर्भ में 2001 में, संकल्प सं. 1373 के तहत संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी समिति (यूएन–सीटीसी) की स्थापना पर ध्यान देना उचित है। यूएन–सीटीसी में यूएनएससी के सभी 15 सदस्य शामिल हैं और इलाके में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों पर सदस्यों से नियमित रूप से रिपोर्ट प्राप्त करते हैं[ix]। वर्तमान में, समिति के अध्यक्ष होने के नाते भारत “आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई और उभरती तकनीकों के उपयोग का मुकाबला”[x] करने पर ध्यान दे रहा है। इसके लिए सीटीसी ने 29 अक्टूबर 2022 के दिल्ली घोषणा को अपनाया है।
एफएटीएफ की ग्रे सूची से पाकिस्तान को बाहर रखने के मायने
पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर होने के किसी भी प्रभाव का विश्लेषण करने से पहले, कुछ तथ्यों पर गौर करने की आवश्यकता है। पहला, एफएटीएफ के नामकरण में ‘ग्रे लिस्ट’ या ‘ब्लैक लिस्ट’ जैसा कोई शब्द ही नहीं है। इसकी जगह क्रमशः ‘अत्यधिक निगरानी के अधीन क्षेत्राधिकार’ और ‘कार्रवाई के अधीन उच्च जोखिम वाले क्षेत्राधिकार’, वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है [xi]। प्रत्येक वर्ष एफएटीएफ तीन पूर्ण सत्रों का आयोजन करता है– अक्टूबर, फरवरी और जून के माह में। यदि कोई देश एफएटीएफ के दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहता है या उस देश में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण गतिविधियों का मुकाबला करने एवं उनका मुकाबला करने के लिए वित्तीय बुनियादी ढांचे की कमी हो, तो उन देशों में निगरानी बढ़ा दी जाती है या उन्हें ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है। इसकी वजह से उस देश पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक (डब्ल्यूबी) और अन्य[xii], जो एफएटीएफ पर्यवेक्षक संगठनों का हिस्सा है, से, गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इसका अर्थ है, एफएटीएफ के अधिकारक्षेत्र में आने वाले देश अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय प्रतिबंधों और वैश्विक शर्मिंदगी के दायरे में आते हैं। दूसरा, पाकिस्तान एफएटीएफ का सदस्य नहीं है। हालांकि, यह एशिया पेसेफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग (एपीजी), 9 एफएसआरबी में से एक, का हिस्सा है और एफएटीएफ का सहयोगी सदस्य है। इसी तरह, भारत को छोड़कर, जो 2010 में एफएटीएफ का पूर्ण सदस्य बना, दक्षिण एशिया के सभी देश केवल एपीजी का हिस्सा हैं। इसके अलावा, यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर रखा गया है। सबसे पहले 2008 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला गया था, 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकी हमे के बाद। वर्ष 2012 में इसे सूची से बाहर कर दिया गया[xiii], लेकिन उसी वर्ष ‘रणनीतिक एएमएल/ सीएफटी कमियों’ का हवाला देते हुए फिर से ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया। एक बार फिर, 2015 में इसे ग्रे लिस्ट से बाहर रखा गया था, और 2018 में इसे फिर से इसे ग्रे लिस्ट में डाला गया। उस समय पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए 27-सूत्रीय कार्ययोजना दी गई थी, जिसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए 7 और कार्ययोजनाएं दी गईं।
फरवरी 2022 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना पाकिस्तान के लिए मुश्किल लग रहा था। लेकिन जून के माह में होने वाले पूर्ण सत्र का समय जैसे– जैसे नज़दीक आ रहा था, इस्लामाबाद की आशाएं बढ़ती जा रही थी। आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए ईमानदारी की कमी के बावजूद, विशेष रूप से भारत के संबंध में, पाकिस्तान ने एफएटीएफ की अनुशंसाओं का पालन करने हेतु नीतिगत उपायों को अपनाया। जून में एफएटीएफ के पूर्ण सत्र से ठीक पहले, लाहौर के एक आतंकवाद–रोधी अदालत ने 2008 में हुए मुंबई हमले के जिम्मेदार और लश्कर–ए– तैयबा के गुर्गों में से एक, साज़िद मीर को दोषी ठहराया था। एक साल से भी कम समय पूर्व, पाकिस्तान ने इसी साज़िद मीर के ‘मृत’ होने का दावा किया था। यहां ध्यान देने की बात है कि सितंबर 2022 और उससे पहले यूएनएससी में चीन द्वारा मीर की ब्लैकलिस्टिंग को भी वीटो किया गया था। इसी तरह का एक और फैसला करते हुए, लाहौर उच्च न्यायालय ने 2020 में एफएटीएफ की समीक्षा बैठक से ठीक पहले दो अलग– अलग मामलों में यूएनएससी की काली सूची में डले आतंकवादी हाफिज़ सईद को 11 साल के जेल की सज़ा सुनाई थी। इस साल अप्रैल में, एक आतंकवाद रोधी अदालत ने सईद की सज़ को बढ़ा कर 31 वर्ष[xiv] का कर दिया था। इन घटनाक्रमों ने एफएटीएफ में पाकिस्तान की स्थिति को बेहतर बनाया। अगस्त– सितंबर 2022 के बीच पाकिस्तान का दौरा करने वाले 15– सदस्यीय एफएटीएफ और एपीजी प्रतिनिधिमंडल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने दी गई कार्य योजनाओं में सभी 34 मदों को 'काफी हद तक' पूरा किया है। इसलिए, अक्टूबर 2022, में पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट में न होना, आश्चर्य की बात नहीं है। भविष्य में इसे फिर से अपनी स्थिति कमजोर नहीं बनानी चाहिए।
अब क्या उम्मीद की जा सकती है?
जैसा कि पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है, आतंकवाद के विरुद्ध पाकिस्तान की जंग उसके इलाके में उत्पन्न होने वाले आतंकवाद को उखाड़ फेंकने की वास्तविक इच्छा की बजाए सुविधाजनक गणनाओं पर आधारित है। वैश्विक आतंकवाद–विरोधी मानदंडों का पालन करने के लिए हाल ही में उठाए गए कदमों के बावजूद, इस्लामाबाद, काली सूची में डाले गए, पाकिस्तान की सर–ज़मीन से आतंकवाद फैलाने वाले आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने में लगातार विफल रहा है। जैसे, मसूद अजहर को काली सूची में डाले जाने के बावजूद अभी तक उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सका है। इससे पहले, हाफिज़ सईद को दोषी करार दिए जाने और साज़िद मीर की जेल की सज़ा को तब तक टाल दिया गया जब तक गैर–कार्रवाई प्रति–उत्पादक नहीं बन गई। वास्तव में, यह काफी हद तक एफएटीएफ की जांच का ही परिणाम है जिसने पाकिस्तान को 2008 में हुए मुंबई हमलों में शामिल आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने को मजबूर किया [xv]। इसके अलावा, पाकिस्तान में, संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों की जांच करने वाले मुख्य निकायों में से एक है और यहां भी भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध रूप से मुनाफा कमाने के तरीकों का बोलबाला है। यहां भी, आशावाद की कमी नज़र आती है। जैसे, हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित इंटरपोल की 90वें सम्मेलन के दौरान भारत के मोस्ट वान्टेड माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के ठिकाने के बारे में पूछे जाने पर एफआईए प्रमुख ने चुप्पी साध ली[xvi], जिससे क्षेत्रीय स्तर पर पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर संदेह पैदा होता है। अब, जबकि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर है, इस्लामाबाद का ढुलमुल रवैया संभवतः आतंकवाद का मुकाबला करने के उसके मामूली प्रयासों पर हावी हो जाएगा। इसमें यूएनएससी में चीन का पाकिस्तान (या यहां रहने वाले आतंकवादी) को दिया जाने वाला संरक्षण भी शामिल है। यह देखते हुए कि पाकिस्तान एफएटीएफ के साथ 'पारस्परिक मूल्यांकन और अनुवर्ती रिपोर्ट' चरण में बना रहेगा और “एएमएल/ सीएफटी प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए एपीजी के साथ काम करता रहेगा”[xvii], पाकिस्तान पर दबाव बना रहेगा। इसलिए, इस्लामाबाद की ओर से किसी भी प्रकार की ढील उसे एफएटीएफ की नज़र में फिर से संकट में डाल सकती है।
पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में विफल होने का एक और कारण है, देश की आंतरिक समस्याएं। राजनीतिक स्तर पर, अपदस्थ प्रधानमंत्री, इमरान खान, इस्लामाबाद पहुंच कर सत्ता में वापसी के लिए 'लॉन्ग मार्च' के जरिए प्रयास कर रहे हैं[xviii], लेकिन 3 नवंबर 2022 को उन पर हुए हमले ने, इस वर्ष शुरू हुई राजनीतिक उदासनीता की प्रक्रिया को उत्प्रेरित कर दिया है। दूसरी तरफ, सेना प्रमुख, जनरल क़मर बाजवा की 29 नवंबर को होने वाली सेवानिवृत्ति, पाकिस्तान की सबसे प्रमुख संस्था, सेना को अस्थायी रूप से अव्यवस्थित कर देगा। आर्थिक रूप, एफएटीएफ की सूची से बाहर आ जाना पाकिस्तान के लिए राहत की बात है, क्योंकि इससे वित्तीय संस्थानों और अन्य देशों को इस्लामाबाद के साथ सामान्य व्यापार करने, आर्थिक सहायता प्रदान करने एवं कारोबार को जारी रखने की अनुमति मिल जाती है, जो अन्यथा एफएटीएफ की स्थिति और प्रतिबंधों के कारण प्रभावित हुआ था। ध्यान दिए जाने वाली बात है कि 2008-2019 के बीच पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में होने के कारण पाकिस्तान की जीडीपी को 38 अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक का नुकसान हुआ था [xix]। जून 2022 तक, पाकिस्तान पर 130 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी ऋण था[xx]। विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) की समीक्षा के बाद अगस्त तक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर का बेल–आउट पैकेज दिया था[xxi]। एफएटीएफ के मानदंडों के अनुसार पाकिस्तान की प्रगति ने इन सकारात्मक कदम को प्रभावित किया था, जिससे डिफॉल्ट होने का खतरा टल गया था। ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने से पाकिस्तान के आर्थिक तनाव में कुछ हद तक सुधार होने की उम्मीद है। जैसा कि देखा गया है, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अक्टूबर में बिल्डिंग रेजिलिएंस विद एक्टिव काउंटरसाइक्लिकल एक्सपेंडिचर (बीआरएसीई) कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रदान किया[xxii]। इससे पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई और अगस्त में, 7.59 अरब डॉलर से बढ़कर वर्तमान समय में यह 8.9 अरब डॉलर हो गया है[xxiii]। यह कहते हुए कि, पाकिस्तान का विदेशी ऋण बहुत अधिक है (इसमें से अधिकांश चीन का है) और चूंकि इसमें कई सामाजिक– आर्थिक चुनौतियां बनी हुई हैं, इस्लामाबाद आंतकवादी विरोधी प्रयासों में इसे लगाने की बजाए इन समस्याओं, जिसमें बाढ़ से संबंधित पुनर्वास और वसूली शामिल है, को दूर करने पर पैसा खर्च करेगा।
निष्कर्ष
वर्ष 2008 से ही पाकिस्तान का एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आने– जाने का सिलसिला रहा है। वैश्विक आतंकवाद–का मुकाबला करने में इसके प्रयासों को इस्लामाबाद को अपनी ज़मीन से चलाए जा रहे आतंकवादी अभियानों को खत्म करने के दीर्घकालिक दृष्टि की बजाए अल्पकालिक लाभ ही हुए हैं। अक्टूबर 2022 में एफएटीएफ से बाहर होना, हालांकि इस्लामाबाद को अपने बढ़ते आर्थिक संकट से निपटने में राहत प्रदान करता है, एएमएल–सीएफटी के लिए पर्याप्त लाभ के बारे में कुछ भी नहीं बताता है। इसके बजाय, यह यूएनएससी क्रियाविधि के माध्यम से आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर अतिरिक्त दबाव डालने की आवश्यकता की ओर इशारा करता है। पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ विश्वसनीय, सत्यापन योग्य, अपरिवर्तनीय और निरंतर कार्रवाई” जारी रखनी चाहिए, यह लंबे समय में वैश्विक हित में होगा[xxiv]।
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*डॉ श्रबना बरुआ, रिसर्च फेलो, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i] History of FATF, Accessed on 31 October 2022, URL: https://www.fatf-gafi.org/about/historyofthefatf/.
[ii] United Nations Charter, Full text, Accessed on 31 October 2022URL: https://www.un.org/en/about-us/un-charter/full-text.
[iii] Ibid.
[iv] “What Pakistan’s removal from FATF grey list signifies”, Indian Express, Editorial, 26 October 2022, URL: https://indianexpress.com/article/opinion/editorials/what-pakistans-removal-from-fatf-grey-list-signifies-8229739/.
[v] History of FATF, Accessed on 31 October 2022, URL: https://www.fatf-gafi.org/about/historyofthefatf/.
[vi] Ibid.
[vii] FATF Secretariat, Accessed on 2 November 2022, URL: https://www.fatf-gafi.org/about/fatfsecretariat/.
[viii] United Nations Security Council Consolidated List, Accessed on 31 October 2022, URL: https://www.un.org/securitycouncil/content/un-sc-consolidated-list#technical%20actions.
[ix] The Counter-Terrorism Committee of the United Nations Security Council (UN CTC), Accessed on 1 November 2022, URL: https://www.fatf-gafi.org/pages/thecounter-terrorismcommitteeoftheunitednationssecuritycouncilunctc.html.
[x] Ministry of External Affairs, Government of India, (2022), “Keynote Address by External Affairs Minister, Dr. S. Jaishankar at the Plenary Session of the Special Meeting of the Counter-Terrorism Committee on Countering the use of new and emerging technologies for terrorist purposes”, October 29 2022, URL: https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/35838/Keynote_Address_by_External_Affairs_Minister_Dr_S_Jaishankar_at_the_Plenary_Session_of_the_Special_Meeting_of_the_CounterTerrorism_Committee_on_Counte.
[xi] Outcomes FATF Plenary, 19-21 February 2020, URL: https://www.fatf-gafi.org/publications/fatfgeneral/documents/outcomes-fatf-plenary-february-2020.html.
[xii] Dhrubajyoti Bhattacharjee, (2022), “Pakistan and the FATF: An Assessment”, Indian Council of World Affairs, 20 March 2022, URL: /show_content.php?lang=1&level=3&ls_id=4803&lid=3492#_edn3.
[xiii] Ibid.
[xiv] “Pakistan anti-terrorism court sentences Lashkar-e-Taiba chief Hafiz Saeed to 31 years in jail”, The Economic Times, 8 April 2022, URL: https://economictimes.indiatimes.com/news/international/world-news/pakistan-anti-terrorism-court-sentences-lashkar-e-taiba-chief-hafiz-saeed-to-31-years-in-jail/videoshow/90730876.cms.
[xv] Ministry of External Affairs, Government of India, “Official Spokesperson’s response to media queries on Pakistan and the FATF "Grey List"”, 21 October 2022, Accessed on 11 November 2022, URL: https://www.mea.gov.in/response-to-queries.htm?dtl/35825/Official_Spokespersons_response_to_media_queries_on_Pakistan_and_the_FATF_Grey_List.
[xvi] “Pakistan FIA chief silent on whereabouts of Dawood, Masood Azhar”, The Economic Times, 19 October 2022, URL: https://economictimes.indiatimes.com/news/international/world-news/pakistan-fia-chief-silent-on-whereabouts-of-dawood-masood-azhar/articleshow/94951431.cms.
[xvii] Ministry of External Affairs, Government of India, “Official Spokesperson’s response to media queries on Pakistan and the FATF "Grey List"”, 21 October 2022, Accessed on 11 November 2022, URL: https://www.mea.gov.in/response-to-queries.htm?dtl/35825/Official_Spokespersons_response_to_media_queries_on_Pakistan_and_the_FATF_Grey_List.
[xviii] Sushant Sareen, (2022), “Imran Khan’s long march: Capitulation, chaos or coup”, Raisina Debates, Observer Research Foundation, 3 November 2022, URL: https://www.orfonline.org/expert-speak/imran-khans-long-march/.
[xix] “Research shows that FATF grey-listing from 2008 to 2019 has caused losses of over $38 billion to Pakistan's GDP”, European Foundation for South Asian Studies, Commentary, 12 March 2021, URL: https://www.efsas.org/commentaries/fatf-grey-listing-from-2008-to-2019-has-caused-losses-of-over-$38-billion-to-pakistan/.
[xx] Pakistan External Debt, Accessed on 1 November 2022, URL: https://www.ceicdata.com/en/indicator/pakistan/external-debt.
[xxi] “IMF Executive Board Completes the Combined Seventh, and Eighth Reviews of the Extended Fund Facility for Pakistan”, Press Release No. 22/293, 29 August 2022, URL:
[xxii] “$1.5 Billion ADB Financing to Promote Social Protection, Food Security in Pakistan”, News Release, 21 October 2022, URL: https://www.adb.org/news/1-5-billion-adb-financing-promote-social-protection-food-security-pakistan.
[xxiii] “Forex reserves rise to $8.9b”, Tribune.com, 4 November 2022, URL: https://tribune.com.pk/story/2384560/forex-reserves-rise-to-89b.
[xxiv] Ministry of External Affairs, Government of India, “Official Spokesperson’s response to media queries on Pakistan and the FATF "Grey List"”, 21 October 2022, Accessed on 11 November 2022, URL: https://www.mea.gov.in/response-to-queries.htm?dtl/35825/Official_Spokespersons_response_to_media_queries_on_Pakistan_and_the_FATF_Grey_List.