शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) राष्ट्राध्यक्षों की परिषद्, जो संगठन का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है, ने 15-16 सितंबर 2022 को समरकंद, उज्बेकिस्तान में अपनी 22वीं बैठक की । समरकंद शिखर सम्मेलन 2019 में बिश्केक शिखर सम्मेलन के बाद व्यक्तिशः रूप से आयोजित होने वाली पहली शिखर बैठक थी। कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण, पिछली दो शिखर बैठकें क्रमशः रूस (2020) और ताजिकिस्तान (2021) की मेजबानी में ऑनलाइन या हाइब्रिड मोड में आयोजित की गईं। 2022 शिखर सम्मेलन ने, मुख्य रूप से उस पृष्ठभूमि के कारण जिसमें बैठक आयोजित की गई थी और 2022-2023 की अवधि के लिए भारत की अध्यक्षता के दौरान एससीओ में संभाव्य फोकस क्षेत्रों के संकेत के कारण महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया हैं।
भारत ने पहली बार इस यूरेशिया-केंद्रित संगठन की वार्षिक घूर्णन अध्यक्षता ग्रहण की है। उल्लेखनीय रूप से, एससीओ के दो दशक से अधिक के इतिहास में यह पहली बार है कि इसका नेतृत्व एक दक्षिण एशियाई देश करेगा। यह विकास एससीओ अध्यक्ष पद को एक दक्षिण एशियाई आयाम देता है और दक्षिण एशिया और भूमि से घिरे मध्य एशिया के बीच संबंधों को फिर से स्थापित करने की संभावनाओं को और बढ़ाता है, जिसकी दोनों क्षेत्रों द्वारा लंबे समय से परिकल्पना की गई है।
यह आलेख समरकंद शिखर सम्मेलन 2022 के संदर्भ में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर संक्षेप में चर्चा करता है, शिखर सम्मेलन घोषणा दस्तावेज में उल्लिखित बैठक के चुनिंदा मूर्त परिणामों पर चर्चा करता है, और एससीओ की भारत की अध्यक्षता पर एक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करता है।
I
एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले क्षेत्र में महत्वपूर्ण घटनाक्रम
समरकंद शिखर सम्मेलन की थीम 'एक परस्पर-संबद्ध विश्व में संवाद और सहयोग' था, जिसमें सदस्यों, पर्यवेक्षकों और संवाद भागीदारों के 14 नेताओं ने भाग लिया। यह एससीओ की सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी। सभी पाँच मध्य एशियाई देशों कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान और (अतिथि के रूप में तुर्कमेनिस्तान), भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस, बेलारूस, तुर्की, अजरबैजान, ईरान, मंगोलिया के नेता एससीओ की बैठकों के लिए ऐतिहासिक शहर समरकंद में मौजूद थे। अफगानिस्तान को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था क्योंकि अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल के अधिग्रहण के बाद से एससीओ इसके साथ संबंध नहीं रखता है।[i] अर्मेनिया और अजरबैजान एससीओ पर्यवेक्षक हैं और अजरबैजान के राष्ट्रपति ने एससीओ बैठक में भाग लिया जबकि अर्मेनियाई प्रधानमंत्री ने अजरबैजान के साथ मौजूदा संघर्ष के कारण भाग नहीं लिया।[ii]
एससीओ क्षेत्र और उसके पड़ोस में हालिया बदलाव और कुछ घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में, समरकंद एससीओ शिखर सम्मेलन 2022 अतिरिक्त रूप से महत्वपूर्ण था। जनवरी 2022 में एक एससीओ सदस्य - कजाकिस्तान में आर्थिक मुद्दों पर हिंसक विरोध भड़क उठे, जिसे सीएसटीओ[iii] शांति सेना के बुलाने और आगमन के बाद स्थिर किया गया था। यह पहली बार था जब किसी एससीओ सदस्य ने घरेलू विरोध से निपटने के लिए सीएसटीओ बलों की माँग की और उन्हें तैनात किया। दूसरे, मध्य एशिया में ताजिकिस्तान-किर्गिस्तान सीमा पर नए सिरे से संघर्ष हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों में मृत्यु और विनाश हो रहा है। ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान दोनों एससीओ के संस्थापक सदस्यों में से हैं।
एससीओ के आसपास के कुछ इलाकों की स्थिति भी चिंता का विषय रही है। अफगानिस्तान - एक एससीओ पर्यवेक्षक, अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा अधिग्रहण के बाद से स्थिर नहीं हो सका है जिससे, विशेष रूप से सीमावर्ती एससीओ सदस्यों के लिए सुरक्षा चिंताएँ बढती है। तथापि, संभवत: सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम जो किसी न किसी रूप में एससीओ के सभी सदस्यों को प्रभावित करता है, वह है फरवरी 2022 से एससीओ सदस्य रूस और उसके पड़ोसी यूक्रेन के बीच अंतर्राज्यीय संघर्ष। रूस गंभीर पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाएँ और अंतर-क्षेत्रीय संपर्क प्रभावित हो रहा है। इन सभी घटनाओं के बीच, एससीओ के सभी सदस्य कोविड-19 महामारी और उसके परिणामों से बाहर आने का भी प्रयास जारी रख रहे हैं। इसलिए, एससीओ शिखर सम्मेलन में चर्चा करने और संबोधित करने के लिए कई मुद्दे थे।
II
एससीओ शिखर सम्मेलन के कुछ ठोस परिणाम
समरकंद में शिखर सम्मेलन के बाद एक घोषणा जारी की गई। इसमें एससीओ नेताओं द्वारा चर्चा और संबोधित की गईं एजेंडा मदों का विवरण शामिल है।[iv] एससीओ सदस्य देशों ने खुद को 'अधिक प्रतिनिधिक, लोकतांत्रिक, न्यायसंगत और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था' के लिए प्रतिबद्ध किया। कोविड-19 महामारी, पर्यावरणीय चुनौतियों सहित मुद्दे पटल पर थे, जबकि बढ़ते तकनीकी और डिजिटल विभाजन, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अशांति, निवेश प्रवाह में वैश्विक कमी, अस्थिर आपूर्ति श्रृंखला और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधाएं वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता को बढ़ाने वाले कारक माने गए। नेताओं का मत था कि दुनिया आज 'वैश्विक परिवर्तन' के दौर से गुजर रही है और यह 'तीव्र विकास के एक नए युग' और बड़े पैमाने पर परिवर्तन में प्रवेश कर रही है।
शिखर सम्मेलन ने क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने में वृहत्तर क्षेत्रीय सहयोग को रेखांकित किया। समरकंद शिखर सम्मेलन ने घोषणा, समझौतों, अवधारणाओं, कार्यक्रमों और निर्णयों सहित कुल 44 दस्तावेजों को अपनाया[v] जो अन्योन्याश्रयता, औद्योगिक सहयोग, 'हरित' अर्थव्यवस्था, डिजिटलीकरण और व्यापार[vi] को मजबूत करने जैसे क्षेत्रों में सहयोग के इरादे को इंगित करते हैं। एससीओ सदस्य राज्यों के दीर्घकालिक अच्छे पड़ोसी, मित्रता और सहयोग पर संधि के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए 2023-2027 के लिए एक व्यापक कार्य योजना को भी अपनाया गया था।
सुरक्षा: सुरक्षा मुद्दे एससीओ देशों और व्यापक क्षेत्र के लिए एक चुनौती और चिंता का विषय बने हुए हैं। एससीओ नेताओं ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से उत्पन्न सुरक्षा खतरों पर गहरी चिंता व्यक्त की। एक महत्वपूर्ण विकासक्रम में, समरकंद में एससीओ देशों ने उन आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी संगठनों की एक एकीकृत सूची बनाने के लिए साझा सिद्धांतों और दृष्टिकोणों को विकसित करने की कोशिश करने पर सहमति व्यक्त की, जिनकी गतिविधियाँ एससीओ सदस्य राज्यों के क्षेत्रों में प्रतिबंधित हैं।[vii]
वर्तमान में, एससीओ के दो स्थायी अंग हैं: बीजिंग में एससीओ सचिवालय और ताशकंद में स्थित क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (एससीओ-आरएटीएस)। एससीओ-आरएटीएस को आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में सदस्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में 'प्रभावी' माना गया है। एससीओ आरएटीएस के भीतर स्थित एससीओ सदस्य-राज्यों की सुरक्षा के लिए चुनौतियों और खतरों का मुकाबला करने के लिए यूनिवर्सल सेंटर की स्थापना का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा, संगठन दुशांबे में एक अलग स्थायी निकाय के रूप में एक नशीले पदार्थ-विरोधी केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
अफगानिस्तान अस्थिर बना हुआ है। एससीओ के सदस्यों ने 'अफगानिस्तान में स्थिति के त्वरित समाधान' का आह्वान किया, जिसे एससीओ क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने और मजबूत करने में 'सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक' माना गया । उन्होंने एक स्वतंत्र, तटस्थ, एकजुट, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण राज्य के रूप में, आतंकवाद, युद्ध और ड्रग्स से मुक्त अफगानिस्तान की स्थापना का समर्थन किया और अफगान समाज के सभी जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समूहों के प्रतिनिधियों के साथ 'एक समावेशी सरकार' के लिए इसे 'महत्वपूर्ण' करार दिया।
अर्थव्यवस्था: एससीओ ने अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग पर जोर देना जारी रखा और सदस्यों का इरादा व्यापार, वित्त, निवेश, नवाचार और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग को और आगे विकसित करना था। नेताओं ने विभिन्न रूपों में क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित किया, माल, पूँजी, सेवाओं और प्रौद्योगिकी के प्रगतिशील मुक्त आवागमन को प्राप्त करने की दृष्टि से व्यापार और निवेश के लिए एक सक्षम वातावरण को बढ़ावा देने का आह्वान किया। रोजगार और समृद्धि बढ़ाने के लिए आर्थिक सहयोग के विकास के लिए ई-कॉमर्स को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना गया। एससीओ सदस्यों ने कुशल और प्रतिस्पर्धी परिवहन और तकनीकी बुनियादी ढाँचे का निर्माण करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एससीओ सदस्य राज्यों के बुनियादी ढाँचे के विकास के कार्यक्रम को अपनाया। एससीओ सदस्यों के आपसी भुगतानों में राष्ट्रीय मुद्राओं की हिस्सेदारी में क्रमिक वृद्धि के लिए एक 'रोडमैप' भी अपनाया गया था। एससीओ सदस्य देशों के बीच सेवाओं में व्यापार के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक रूपरेखा पर भी हस्ताक्षर किए गए।[viii]
कनेक्टिविटी: एससीओ क्षेत्र में आर्थिक सहयोग में सुधार के लिए अंतः-क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को महत्वपूर्ण माना गया। एससीओ के भूमि से घिरे हुए मध्य एशियाई सदस्य, दक्षिण एशिया और दुनिया के साथ कनेक्टिविटी में सुधार के लिए प्रयासरत हैं। उज्बेकिस्तान दोहरे रूप से भूमि से घिरा एकमात्र एससीओ देश है। घोषणापत्र में कहा गया है कि मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयास स्थायी व्यापार, आर्थिक, परिवहन और संचार लिंक बनाने और सभ्यताओं के बीच संवाद को मजबूत करने के द्वारा विशाल एससीओ क्षेत्र में समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित करने के 'साझे लक्ष्य' में योगदान करते हैं।
एससीओ क्षेत्र में पारगमन क्षमता विकसित करने के लिए, राष्ट्राध्यक्षों ने 'इंटरकनेक्टिविटी विकसित करने और कुशल परिवहन गलियारे बनाने के लिए एससीओ सदस्य राज्यों के सहयोग की अवधारणा' को मंजूरी दी। एक सदस्य के रूप में ईरान का समावेश और चाबहार बंदरगाह, जिसे भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है, का अधिक से अधिक उपयोग एससीओ क्षेत्र में अंतर-क्षेत्रीय संपर्क संभावनाओं को और बढ़ाता है।
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) सहित दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच निर्बाध व्यापार और पारगमन प्रणाली स्थापित करने के लिए भारत, कुछ एससीओ देशों सहित, पर्याप्त प्रयास कर रहा है। समरकंद बैठक को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ देशों से जोरदार ढंग से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे को 'पारगमन का पूरा अधिकार' दें। अबाधित पारगमन एससीओ अर्थव्यवस्थाओं के तुलनात्मक लाभ को व्यावहारिक और उपयोगी तरीके से अनुभव करने में मदद करेगा।
विशेष रूप से, समरकंद में शिखर सम्मेलन के मौके पर, तीन एससीओ देशों को जोड़ने वाली रेलवे लाइन के निर्माण के लिए उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और चीन के संबंधित प्राधिकारियों द्वारा एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।[ix] समझौते के अनुसार, किर्गिस्तान में रेलवे खंड के निर्माण के लिए व्यवहार्यता अध्ययन 1 जून, 2023 तक पूरा किया जाना है। समझौते को क्षेत्रीय संपर्क की दिशा में एक महत्वपूर्ण विकास माना जा सकता है।
एससीओ का विस्तार: अपनी स्थापना के बाद से अपेक्षाकृत कम समय में, एससीओ ने स्वयं को एक प्रभावशाली बहुपक्षीय मंच के रूप में मजबूती से स्थापित किया है। एससीओ के कई विस्तार और विभिन्न देशों द्वारा विभिन्न स्वरूपों में संगठन में शामिल होने के लिए दिखाए गए हितों से संकेत मिलता है कि विभिन्न विश्व क्षेत्रों में कई राष्ट्र एससीओ को एक ऐसे मंच के रूप में देखते हैं जहाँ कई सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर व्यापक प्रभाव वाले परिणामों के साथ ध्यान केंद्रित किया जाता है। समरकंद में, एससीओ और ईरान ने औपचारिक रूप से ईरान के सदस्य के रूप में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और यह प्रक्रिया भारत की अध्यक्षता में अगले शिखर सम्मेलन से पहले पूरी होने की संभावना है। शिखर सम्मेलन 2023 में ईरान के पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लेने की संभावना है। संगठन को सदस्यता के स्तर पर अपनी पर्यवेक्षक स्थिति को अपग्रेड करने के लिए बेलारूस के आवेदन को संसाधित करना भी शुरू करना है। पहले एससीओ द्वारा मिस्र, सऊदी अरब और कतर को वार्ता भागीदारों के रूप में शामिल करने पर सहमति हुई थी, अब इस रैंक में शामिल होने वाले नए देश बहरीन, मालदीव, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और म्यांमार होंगे।[x] खाड़ी क्षेत्र के साथ एससीओ का बढ़ता जुड़ाव संगठन में दुनिया के समुद्री और ऊर्जा-समृद्ध हिस्से तक पहुंचने की इच्छा को दर्शाता है। खाड़ी देश संभवत: यूरेशिया की क्षमता को अगले उभरते हुए क्षेत्र के रूप में देखते हैं और एससीओ को जुड़ाव का एक उपयुक्त मंच मानते हैं।
एससीओ सदस्य, पर्यवेक्षक या संवाद भागीदार बनने के इच्छुक देशों की संख्या बढ़ रही है। यह उम्मीद की जाती है कि भारत की अध्यक्षता की अवधि के दौरान, जब संगठन का नेतृत्व दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र द्वारा किया जाएगा, कुछ अन्य देश एससीओ के साथ जुड़ने की इच्छा व्यक्त कर सकते हैं।
III
एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत
2005 से एक पर्यवेक्षक होने के बाद, भारत 2017 में एससीओ का सदस्य बना । समरकंद में शिखर सम्मलेन बैठक के बाद, भारत ने पहली बार एससीओ की अध्यक्षता ग्रहण की है। 2022 में भारत की अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है - जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। एससीओ की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के नाते, आने वाले वर्षों में एससीओ क्षेत्र में विकास की गति में भारतीय अर्थव्यवस्था द्वारा काफी योगदान दिया जाएगा। भारत ने ऐसे महत्वपूर्ण समय में अध्यक्षता ग्रहण की है जब इस क्षेत्र को चुनौतियों से पार पाने के लिए अधिक सहयोग की आवश्यकता है। शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'आज, जब पूरी दुनिया महामारी के बाद आर्थिक सुधार की चुनौतियों का सामना कर रही है, एससीओ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।'
यह संभावना है कि आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई पर एससीओ के लगातार ध्यान को बनाए रखते हुए, भारत की 2022-23 की अध्यक्षता की अवधि अर्थव्यवस्था, कनेक्टिविटी और लोगों से लोगों के संपर्क के क्षेत्र में अधिक व्यावहारिक और परिणाम-उन्मुख सहयोग बनाने पर जोर देगी। दृष्टिकोण के अधिक जन-केंद्रित होने की संभावना है। पीएम मोदी ने अपनी टिप्पणी में इस बात पर प्रकाश डाला कि महामारी और यूक्रेन में संकट के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं के कारण दुनिया को 'अभूतपूर्व ऊर्जा और खाद्य संकट' का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि एससीओ को इस क्षेत्र में 'विश्वसनीय, लचीली और विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखला' विकसित करनी चाहिए। यह सुझाव दिया गया था कि बाजरा की खेती और खपत को बढ़ावा देने से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
एससीओ में एक बड़ी उद्यमी और युवा आबादी है; क्षेत्र में विकास के लिए उनकी ऊर्जा और क्षमताओं का उपयोग करने की आवश्यकता है। भारत अपने अनुभव साझा कर इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। भारत अपने युवा और प्रतिभाशाली कार्यबल, प्रौद्योगिकी के उपयोग और नवाचार के साथ एक विनिर्माण केंद्र बनना चाहता है। भारत में 70,000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं, जिनमें से 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। आर्थिक सहयोग के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए, भारत ने एससीओ सदस्य देशों के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए स्टार्ट-अप और नवाचार पर एक नए विशेष कार्य समूह की स्थापना की घोषणा की। इस तरह की पहल आम लोगों को व्यावहारिक लाभ के साथ एससीओ क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों और सहयोग के पैमाने को बढ़ाने में योगदान देगी।
भारत ने कोविड-19 महामारी से निपटने में अपनी मजबूत चिकित्सा और तकनीकी क्षमताओं को साबित किया है। तथापि पारंपरिक दवाएं भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित हुई हैं। इस संबंध में एससीओ में सहयोग प्रारंभिक अवस्था में बीमारियों से प्रभावी ढंग से निपटने में मददगार होगा। इस क्षेत्र में अधिक ध्यान दिया जा सकता है क्योंकि भारत पारंपरिक चिकित्सा पर एक एससीओ कार्य समूह स्थापित करने की पहल कर रहा है।
लोगों से लोगों के बीच और सांस्कृतिक बातचीत के परिप्रेक्ष्य से, एक महत्वपूर्ण विकासक्रम में, एससीओ नेताओं ने भारत में वाराणसी शहर को पहली बार '2022-2023 के लिए एससीओ पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी' के रूप में नामित किया। यह एससीओ की भारत के अद्वितीय सांस्कृतिक लोकाचार की स्वीकृति को दर्शाता है। यह विकासक्रम लोगों के बीच एससीओ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को और बढ़ावा देगा और एससीओ क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ाएगा।
एससीओ शिखर सम्मेलन नेताओं को अन्य भाग लेने वाले देशों के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय प्रारूपों में बैठकें आयोजित करने का अवसर प्रदान करता है। समरकंद में शिखर सम्मेलन के मौके पर, पीएम मोदी ने एससीओ नेताओं के साथ विभिन्न द्विपक्षीय बैठकें कीं।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपनी बैठक में, उन्होंने अन्य द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों के अलावा व्यापार, ऊर्जा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत-रूस सहयोग को आगे बढ़ाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। चर्चाओं में वैश्विक खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और उर्वरकों की उपलब्धता भी शामिल थी। यूक्रेन पर,
प्रधानमंत्री मोदी ने शत्रुता की शीघ्र समाप्ति की आवश्यकता और मुद्दे को हल करने के लिए संवाद और कूटनीति की आवश्यकता को दोहराया।
पीएम मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति मिर्जियोयेव के बीच बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने व्यापार, आर्थिक, निवेश, वैज्ञानिक और शैक्षिक क्षेत्रों में सहयोग कार्यक्रमों को तेजी से अपनाने और लागू करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उज्बेकिस्तान ने चाबहार बंदरगाह सहित भारत के साथ परिवहन संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया।
पीएम मोदी और ईरान के राष्ट्रपति समरकंद में मिले, जो 2021 में राष्ट्रपति रायसी के पद ग्रहण करने के बाद उनकी पहली मुलाकात थी। उन्होंने द्विपक्षीय संबंध, संपर्क, अफगान स्थिति से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की। क्षेत्रीय संपर्क के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह पर चर्चा की।
एससीओ शिखर सम्मलेन से इतर पीएम मोदी और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के बीच बैठक हुई। नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और आर्थिक आदान-प्रदान में हालिया वृद्धि को नोट किया। दोनों नेता न केवल द्विपक्षीय मुद्दों पर बल्कि क्षेत्र के लाभ के लिए भी नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए।
निष्कर्ष
अपने गठन के बाद से, एससीओ अपने 'कोर' को स्थिर और सुरक्षित रखने में काफी हद तक सफल रहा है। विभिन्न राजनीतिक और आधिकारिक स्तरों पर आयोजित इसकी वार्षिक बैठकें और संस्थानों के बीच बातचीत के विभिन्न तंत्र इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, एससीओ ने अपने सदस्यों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए एक मंच भी प्रदान किया है। हालांकि, तेजी से बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय परिवेश में, आपसी विश्वास, पारस्परिक लाभ, समानता, आपसी परामर्श, सांस्कृतिक विविधता के लिए सम्मान और संयुक्त विकास की इच्छा की एससीओ की बहुप्रशंसित 'शंघाई भावना' सदस्य राज्यों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियों को देखते हुए तनाव में आ गई है।
एससीओ में सुरक्षा क्षेत्र में बल्कि सफल सहयोग, देशों को अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, नवाचार और कनेक्टिविटी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। निर्बाध अंतर-क्षेत्रीय संपर्क और क्षेत्रीय पारगमन के बिना कोई सार्थक आर्थिक सहयोग नहीं हो सकता है। आर्थिक क्षमता संगठन को विकास और समृद्धि के लिए एक शक्तिशाली ताकत बनाती है।
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* डॉ. अतहर जफर, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली में एक वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता हैं। व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[i] Interfax, “No Afghanistan representatives to attend SCO summit,” 14 September 2022, https://interfax.com/newsroom/top-stories/83112/, accessed 18 September 2022.
[ii] armenpress, “Armenian PM will not attend upcoming SCO summit in Samarkand,” 14 September 2022, https://armenpress.am/eng/news/1092529/, accessed 17 September 2022
[iii] The Collective Security Treaty Organization (CSTO) is a military grouping of six former Soviet Republics. Kazakhstan is a member and other members are Armenia, Belarus, Kyrgyzstan, Russia and Tajikistan. Deployment in Kazakhstan was also the CSTO’s first mission in its 30-year history.
[iv] Ministry of External Affairs, Government of India, “Samarkand Declaration of the Council of Heads of State of Shanghai Cooperation Organization,” September 16, 2022, (Translation), https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/35724/Samarkand+Declaration+of+the+Council+of+Heads+of+State+of+Shanghai+Cooperation+Organization, accessed 18 September 2022
[v] kun.uz, “SCO member states sign 44 documents in Samarkand summit,” 16 September 2022, https://kun.uz/en/news/2022/09/16/sco-member-states-sign-44-documents-in-samarkand-summit, accessed 20 September 2022
[vi] kun.uz, “Shavkat Mirziyoyev: SCO should maintain the status of not joining blocks,” 16 September 2022, https://kun.uz/en/news/2022/09/16/shavkat-mirziyoyev-sco-should-maintain-the-status-of-not-joining-blocks, accessed 20 September 2022
[vii] Ministry of External Affairs, Government of India, “Samarkand Declaration of the Council of Heads of State of Shanghai Cooperation Organization,” September 16, 2022, (Translation), https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/35724/Samarkand+Declaration+of+the+Council+of+Heads+of+State+of+Shanghai+Cooperation+Organization, accessed 18 September 2022
[viii] kun.uz, “SCO member states sign 44 documents in Samarkand summit,” 16 September 2022, https://kun.uz/en/news/2022/09/16/sco-member-states-sign-44-documents-in-samarkand-summit, accessed 20 September 2022
[ix] Sputnik, “Kyrgyzstan, Uzbekistan, China Sign Agreement to Build Railway - Presidential Press Service,” 15 September 2022, https://sputniknews.com/20220915/kyrgyzstan-uzbekistan-china-sign-agreement-to-build-railway---presidential-press-service-1100791302.html, accessed 18 September 2022
[x] Ministry of External Affairs, Government of India, “Samarkand Declaration of the Council of Heads of State of Shanghai Cooperation Organization,” September 16, 2022, (Translation), https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/35724/Samarkand+Declaration+of+the+Council+of+Heads+of+State+of+Shanghai+Cooperation+Organization, accessed 18 September 2022