9 जुलाई 2022 को, किरिबाती ने महामारी के बाद हुए नेताओं के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर, पीआईएफ से हटने के अपने निर्णय की घोषणा की। पीआईएफ नेताओं की 51वीं बैठक 11-14 जुलाई, 2022 तक सुवा, फिजी में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनीमारामा ने की। सम्मेलन में भाग लेने के लिए न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज फिजी आये। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बैठक को वर्चुअली संबोधित किया। किरिबाती के अलावा नाउरू, मार्शल आइलैंड्स व कुक आइलैंड्स के नेताओं ने पीआईएफ की 51वीं बैठक में हिस्सा नहीं लिया, बल्कि इसकी जगह अपने प्रतिनिधियों को भेजा।
किरिबाती का हटना तथा मौजूदा भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि
पिछले कुछ समय में दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। पीआईएफ के टूटने के लंबे समय में बड़े भू-राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं। किरिबाती का हटना सदस्य देशों के बीच के विवादों को हल करने हेतु पिछले एक साल में किए गए प्रयासों को एक बड़ा झटका (चूंकि माइक्रोनेशियन सदस्यों[i] ने फोरम से बाहर निकलने की घोषणा की थी) है। इससे दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में पीआईएफ और क्षेत्रवाद के भविष्य के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। बहुत विचार-विमर्श के बाद, 7 जून 2022 को, प्रशांत क्षेत्र के नेता पीआईएफ को टूटने से रोकने हेतु एक महत्वपूर्ण समझौते यानी सुवा समझौते पर पहुंचे। समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्यों के राष्ट्रपति डेविड पैनुएलो ने कहा कि "समझौते से अब वह काले बादल हट गए हैं जो प्रशांत पर मंडरा रहे थे"।[ii] हालांकि, पीआईएफ शिखर सम्मेलन से ठीक पहले, 9 जुलाई 2022 को, किरिबाती के राष्ट्रपति तानेती मामाउ ने पीआईएफ के महासचिव को एक पत्र में लिखा था कि किरिबाती की चिंता को ठीक से संबोधित नहीं किया गया और उनका देश सुवा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा और किरिबाती शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेगा।[iii] घरेलू स्तर पर, किरिबाती में विपक्ष ने कहा कि "फोरम से हटने के सरकार के फैसले से वे स्तब्ध तथा निराश हैं"।[iv]
51वीं पीआईएफ नेताओं की बैठक में दो अन्य माइक्रोनेशियाई सदस्यों नाउरू के नेताओं ने भी हिस्सा नहीं लिया, जिसकी वजह देश तथा मार्शल द्वीप समूह में फैला कोविड था, जिसने पीआईएफ से बाहर निकलने के पिछले निर्णय को पूर्ववत करने हेतु आंतरिक कानूनी प्रक्रिया को हल करने में विफलता के कारण भाग नहीं लिया।[v] पीआईएफ से बाहर निकलने का फैसला कुक आइलैंड्स भी तीन सप्ताह में राष्ट्रीय चुनावों के कारण शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ।[vi]
किरिबाती पीआईएफ से ऐसे समय में निकला है, जब यहाँ पहले से ही भू-राजनीतिक उथल-पुथल मचा हुआ है और बड़ी शक्ति की प्रतिस्पर्धा के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं। इस संदर्भ में एक प्रमुख हालिया घटनाक्रम किरिबाती और सोलोमन द्वीप समूह का ताइवान से चीन की तरफ झुकाव रहा है। किरिबाती इस क्षेत्र के सबसे छोटे देशों में से एक है, लेकिन इसके पास 3.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर का काफी बड़ा तथा संसाधन संपन्न ईईजेड है। किरिबाती बीजिंग हेतु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ चीन का उपग्रह ट्रैकिंग स्टेशन है जो चीन की एकमात्र अपतटीय उपग्रह सुविधा है। किरिबाती के राष्ट्रपति तनती मामाउ ने भी जनवरी 2020 में बीजिंग का दौरा किया था, और इस दौरान उन्होंने किरिबाती में अधिक चीनी निवेश का समर्थन करने की इच्छा व्यक्त की थी।[vii] किरिबाती में चीन की सक्रिय उपस्थिति इस क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए आशंका की मुख्य वजह हो सकती है।
सोलोमन द्वीप समूह द्वारा अप्रैल 2022 में चीन के साथ सुरक्षा सहयोग हेतु फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करना भी एक अन्य हालिया महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग का पहला स्पष्ट द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता है। क्षेत्रीय देशों को डर है कि इस समझौते से क्षेत्र में चीन की सैन्य उपस्थिति बढ़ सकती है। समझौते के तुरंत बाद, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 26 मई से 4 जून 2022 तक आठ द्वीप देशों - सोलोमन द्वीप, किरिबाती, समोआ, फिजी, टोंगा, वानुअतु, तिमोर-लेस्ते और पापुआ न्यू गिनी का दौरा किया। चीन द्वारा पीआईसी के साथ क्षेत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर करने की भी रिपोर्ट आई हैं, हालांकि, इसमें कोई सच्चाई नहीं थी।
इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती रुचि तथा दबाव ने क्षेत्रीय देशों के बीच आशंका पैदा कर दी है। पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री सीनेटर पेनी वोंग ने पड़ोसी द्वीप देशों का दौरा किया, और यह दोहराया कि ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में पीआईसी का महत्व अधिक है।
चीन-सोलोमन समझौते के संदर्भ में ऑस्ट्रेलिया ने अपने सपीम संभावित सैन्य अड्डे की उपस्थिति पर चिंता जताई थी। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने पीआईएफ बैठक में भाग लिया, और इस मौके पर कुछ द्वीप देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। प्रधानमंत्री अल्बनीज ने कहा कि "हमने स्पष्ट कर दिया है, हम सोलोमन में किसी भी स्थायी उपस्थिति को लेकर चिंतित हैं, जो ऑस्ट्रेलिया के बहुत करीब हो"।[viii] सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मनश्शे सोगावरे के साथ अपनी बैठक के बाद, उन्होंने कहा कि उन्हें "पूरा विश्वास" है कि चीन को सोलोमन द्वीप समूह में सैन्य अड्डा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।[ix]
पीआईएफ शिखर सम्मेलन की बैठक से पहले, मीडिया से बातचीत के दौरान, चीन-सोलोमन द्वीप समझौते का जिक्र करते हुए, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कहा कि "क्षेत्र के सैन्यीकरण पर हमारा दृष्टिकोण बहुत मजबूत है"।[x] यह दिखाता है कि किसी एक देश द्वारा किया गया समझौता पूरे प्रशांत को प्रभावित कर रहा है, उन्होंने कहा कि "हमें एक मंच तथा एक परिवार के रूप में यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि नए संबंध बनाने का असर इस क्षेत्र पर न पड़े? इस क्षेत्र की अपेक्षाओं पर असर न हो? और क्या यह उम्मीद करना उचित है कि एक परिवार के रूप में, हम सबसे पहले उन जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करते हैं?"[xi]
पीआईएफ के डायलॉग पार्टनर अमेरिका को फोरम के अध्यक्ष फिजी द्वारा बोलने हेतु आमंत्रित किया गया था। पिछले साल अगस्त 2021 में, अमेरिका ने पहली बार राष्ट्रपति के स्तर पर पीआईएफ शिखर सम्मेलन में भाग लिया था, जब राष्ट्रपति जो बिडेन ने शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित किया था। इस साल, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने फोरम की 51वीं बैठक को वर्चुअली संबोधित किया, जहां उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका की "प्रशांत द्वीपों के प्रति प्रतिबद्धता स्थायी" है।....."पिछले कुछ वर्षों में, प्रशांत द्वीप समूह पर राजनयिक स्तर पर ध्यान व समर्थन नहीं मिला है, जिसका यह क्षेत्र हकदार है, लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है"। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए अगले 10 वर्षों हेतु प्रति वर्ष $60 मिलियन डॉलर की घोषणा की।[xii] उन्होंने यह भी घोषणा की कि अमेरिका पीआईएफ में अपना पहला राजदूत नियुक्त करेगा और टोंगा और किरिबाती में दो नए दूतावास खोलने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
चीन के अलावा, जिसपर हाल ही में दक्षिण प्रशांत क्षेत्र द्वारा 51वीं पीआईएफ शिखर बैठक में चर्चा बहुत अधिक हुई है, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि जलवायु परिवर्तन क्षेत्र व क्षेत्रीय समन्वय हेतु सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, ब्लू पैसिफिक के लिए जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के महत्वपूर्ण मुद्दे पर सामूहिक अंतरराष्ट्रीय वकालत प्राथमिकता बनी हुई है। फोरम के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए, फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनीमारामा ने कहा कि किरिबाती हमेशा प्रशांत परिवार का हिस्सा रहेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एकजूट प्रशांत और क्षेत्रीय एकजुटता आवश्यक है क्योंकि यह क्षेत्र अभी कोविड - 19, जलवायु और संघर्ष जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए आगे बढ़ रहा है।[xiii]
पीआईएफ के आंतरिक मुद्दे
1971 में 'साझा पहचान एवं उद्देश्य की भावना' पर आधारित बहुपक्षीय मंच के रूप में गठित पीआईएफ, दक्षिण प्रशांत में प्रमुख क्षेत्रीय संगठन है।[xiv] यह छोटे व दूर स्थित देशों को अपनी आवाज उठाने तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने का अवसर देता है। फोरम के सदस्य विविध प्रकार के देश हैं। चूंकि इंडो पैसिफिक क्षेत्र के बढ़ते महत्व ने दक्षिण प्रशांत में छोटे द्वीप राष्ट्रों का ध्यान आकर्षित किया है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सदस्य देशों की आवाज को उठाने के लिए पीआईएफ और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
चित्र:1
स्रोत: संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग
पीआईएफ की 51वीं बैठक, ऐसे समय में हुई जब किरिबाती द्वारा फोरम से निकलने की घोषणा की गई तथा चीन की बढ़ती आर्थिक व राजनयिक उपस्थित के कारण क्षेत्रीय भू-राजनीति में बदलाव हो रहा था। वर्तमान संकट की शुरुआत पीआईएफ के पांच माइक्रोनेशियाई सदस्यों द्वारा फरवरी 2021 में पीआईएफ के नए महासचिव (हेनरी पुना, पोलिनेशिया क्षेत्र के कुक आइलैंड्स के प्रधानमंत्री), की नियुक्ति के मुद्दे पर संगठन छोड़ने की घोषणा के साथ हुई, किरिबाती उनमें से एक था। हेनरी पुना ने पीआईएफ के महासचिव के रूप में मेलानेशिया क्षेत्र के पापुआ न्यू गिनी से मेग टेलर की जगह ली। किरिबाती, नाउरू, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया, मार्शल आइलैंड्स और पलाऊ सहित माइक्रोनेशिया के सदस्य, पीआईएफ के महासचिव की नियुक्ति से नाखुश थे, उनका कहना था कि फोरम के शीर्ष पद पर माइक्रोनेशिया के बैठने की बारी थी। उनका मानना था कि पोलिनेशिया, माइक्रोनेशिया और मेलानेशिया के बारी बारी से महासचिव बनने के लिए "जेंटलमेन एग्रीमेंट" का सम्मान नहीं किया गया था[xv], क्योंकि पोलिनेशिया उम्मीदवार कुक आइलैंड्स के प्रधानमंत्री हेनरी पुना को महासचिव नियुक्त किया गया था। 9 फरवरी 2021 को जारी एक संयुक्त विज्ञप्ति में, पांच माइक्रोनेशियन देशों के नेताओं ने नियुक्ति प्रक्रिया पर "बड़ी निराशा" व्यक्त करते हुए, "मंच छोड़ने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू करने" पर सहमति व्यक्त की थी।[xvi]
फोरम में हुए इस विभाजन ने यह भी बात सामने आई कि समूह के भीतर उत्तर और दक्षिण के बीच तनाव निहित है।[xvii] ऐसा माना जा रहा है कि समूह में दक्षिण देशों विशेषतः ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और फिजी सहित बड़े देशों का दबदबा है। माइक्रोनेशियन राष्ट्रों को लगता है कि कैनबरा और वेलिंगटन दक्षिण प्रशांत में अपना प्रभाव बनाए रखना चाहते हैं।
तब से, पीआईएफ के सदस्य 'क्षेत्रीय एकता एवं एकजुटता' के हित में 'इस गतिरोध के समाधान' की संभावना के प्रति आशान्वित हैं, विशेषतः जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 और महामारी की वजह से उपजी आर्थिक चुनौतियों का सामना करने को लेकर। जैसा कि तुवालु के तत्कालीन फोरम अध्यक्ष ने कहा था कि यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है और इसका 'प्रशांत क्षेत्रवाद एवं सामूहिक कार्रवाई' पर प्रभाव पड़ेगा।[xviii]
7 जून 2022 को द्वीप देशों के नेताओं की उपस्थिति में फिजी में सुवा समझौता हुआ, जिसके द्वारा माइक्रोनेशियन नेता सहमत हैं कि कुक आइलैंड्स के प्रधानमंत्री, हेनरी पुना 2024 तक महासचिव के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, जिसके बाद, किसी माइक्रोनेशियाई उम्मीदवार को महासचिव नियुक्त किया जाएगा।[xix] हालांकि, किरिबाती उस बैठक में शामिल नहीं हुआ और समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए, और इसके बजाय उसने पीआईएफ मंच से हटने का फैसला किया। बाद में पीआईएफ शिखर सम्मेलन में सुवा समझौते का समर्थन किया गया, जिसमें मंच में सुधार हेतु एक राजनीतिक प्रतिबद्धता के रूप में 17 सदस्य देशों के नेताओं ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।[xx] मंच पर मौजूद नेताओं ने प्रशांत एकता के हित में किरिबाती के साथ बातचीत जारी रखने पर भी सहमति जताई।
निष्कर्ष
इस क्षेत्र का भू-राजनीतिक माहौल तेजी से बदल रहा है, विशेषतः चीन के बढ़ते आर्थिक, राजनयिक और रणनीतिक दबदबे एवं इस क्षेत्र में मौजूद क्षेत्रीय देशों की चिंताओं की वजह से। पीआईएफ के उत्तर और दक्षिण द्वीप के सदस्यों के बीच तनाव भी जाहिर हो चुका है, जिससे फोरम में टूट की चिंता बढ़ गई है। ऐसे समय में, किरिबाती का एकमात्र ऐसे क्षेत्रीय संगठन से हटने के, जो इन देशों को कोविड-19 और महामारी के बाद की रिकवरी, जलवायु परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी, व्यापार व निवेश, सतत विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य, समुद्री सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, लोगों से लोगों के संपर्क हेतु समन्वय प्रतिक्रिया, आदि जैसी साझा चुनौतियों व साझा हितों पर चर्चा करने तथा व्यापक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने के लिए एक साथ लाया था, दीर्घावधि में क्षेत्र की समृद्धि एवं स्थिरता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
*****
*डॉ. प्रज्ञा पांडे, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफ़ेयर्स, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i] The three groups of islands in the South Pacific region are: Micronesia: Kiribati, Nauru, the Federated States of Micronesia, Marshall Islands and Palau
Polynesia: Cook Islands, Nauru, Niue, Samoa, Solomon Islands, Tonga, Tuvalu, French Polynesia
Melanesia: Fiji, Vanuatu, New Caledonia, Papua New Guinea, Solomon Islands
[ii] The three groups of islands in the South Pacific region are: Micronesia: Kiribati, Nauru, the Federated States of Micronesia, Marshall Islands and Palau
Polynesia: Cook Islands, Nauru, Niue, Samoa, Solomon Islands, Tonga, Tuvalu, French Polynesia
Melanesia: Fiji, Vanuatu, New Caledonia, Papua New Guinea, Solomon Islands
[iii] The three groups of islands in the South Pacific region are: Micronesia: Kiribati, Nauru, the Federated States of Micronesia, Marshall Islands and Palau
Polynesia: Cook Islands, Nauru, Niue, Samoa, Solomon Islands, Tonga, Tuvalu, French Polynesia
Melanesia: Fiji, Vanuatu, New Caledonia, Papua New Guinea, Solomon Islands
[iv] The three groups of islands in the South Pacific region are: Micronesia: Kiribati, Nauru, the Federated States of Micronesia, Marshall Islands and Palau
Polynesia: Cook Islands, Nauru, Niue, Samoa, Solomon Islands, Tonga, Tuvalu, French Polynesia
Melanesia: Fiji, Vanuatu, New Caledonia, Papua New Guinea, Solomon Islands
[v] Patricia O’ Brien, The Politics Behind Who is Attending the Pacific Islands Forum Leaders’ Meeting, 13 July 2021, https://thediplomat.com/2022/07/the-politics-behind-who-is-attending-the-pacific-islands-forum-leaders-meeting/
[vi] Patricia O’ Brien, The Politics Behind Who is Attending the Pacific Islands Forum Leaders’ Meeting, 13 July 2021, https://thediplomat.com/2022/07/the-politics-behind-who-is-attending-the-pacific-islands-forum-leaders-meeting/
[vii] Richard K. Pruett, “A United States-Kiribati Compact of Free Association Would Yield Mutual Dividend”, Asia Pacific Bulletin, No. 501, March 2020,https://www.eastwestcenter.org/publications/united-states-kiribati-compact-free-association-would-yield-mutual-
[viii] Australian PM Albanese ‘very confident’ there will be no Chinese bases in Solomon Islands, https://www.theguardian.com/australia-news/2022/jul/14/australia-pm-anthony-albanese-very-confident-no-chinese-bases-china-solomon-islands-pif-pacific-islands-forum
[ix] Australian PM Albanese ‘very confident’ there will be no Chinese bases in Solomon Islands, https://www.theguardian.com/australia-news/2022/jul/14/australia-pm-anthony-albanese-very-confident-no-chinese-bases-china-solomon-islands-pif-pacific-islands-forum
[x] Pacific Islands Forum 2022: Leaders set to issue statement on China, United States, security, climate change and unity issues, 14 Jul, 2022, https://www.nzherald.co.nz/nz/pacific-islands-forum-2022-leaders-set-to-issue-statement-on-china-united-states-security-climate-change-and-unity-issues/GVRZMK4WI6LGN3GS7AD533QWOE/
[xi] Pacific Islands Forum 2022: Leaders set to issue statement on China, United States, security, climate change and unity issues, 14 Jul, 2022, https://www.nzherald.co.nz/nz/pacific-islands-forum-2022-leaders-set-to-issue-statement-on-china-united-states-security-climate-change-and-unity-issues/GVRZMK4WI6LGN3GS7AD533QWOE/
[xii]Remarks by Vice President Harris at the Pacific Islands Forum, JULY 12, 2022, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/speeches-remarks/2022/07/12/remarks-by-vice-president-harris-at-the-pacific-islands-forum/
[xiii] PM Bainimarama's Remarks at the Traditional Welcoming Ceremony of the 51st Pacific Islands Forum Leaders Meeting, 12/07/2022, https://www.fiji.gov.fj/Media-Centre/Speeches/English/PM-JVB-REMARKS-TRADITIONAL-WELCOMING-CEREMONY-51ST
[xiv] The members of the Forum include: Australia, Cook Islands, Federated States of Micronesia, Fiji, French Polynesia, Kiribati, Nauru, New Caledonia, New Zealand, Niue, Palau, Papua New Guinea, Republic of Marshall Islands, Samoa, Solomon Islands, Tonga, Tuvalu, and Vanuatu.
[xv]Five Micronesian countries leave Pacific Islands Forum, 9 February 2021, https://www.rnz.co.nz/international/pacific-news/436039/five-micronesian-countries-leave-pacific-islands-forum
Twitter: https://twitter.com/taliaualiitia/status/1358925449544359938/photo/1
[xvi]Five Micronesian countries leave Pacific Islands Forum, 9 February 2021, https://www.rnz.co.nz/international/pacific-news/436039/five-micronesian-countries-leave-pacific-islands-forum
Twitter: https://twitter.com/taliaualiitia/status/1358925449544359938/photo/1
[xvii] Pacific Islands Forum on brink of collapse over leadership dispute, 8 February 2021, https://amp.smh.com.au/politics/federal/pacific-islands-forum-on-brink-of-collapse-over-leadership-dispute-20210208-p570iw.html
[xviii] Forum Chair’s Statement-on the Micronesian President’s Feb 2021 Communique, https://www.forumsec.org/2021/02/09/forum-chairs-statement-on-the-micronesian-presidents-feb-2021-communique/
[xix] Report: Communique of the 51st Pacific Islands Forum Leaders Meeting
https://www.forumsec.org/2022/07/17/report-communique-of-the-51st-pacific-islands-forum-leaders-meeting/
[xx] Report: Communique of the 51st Pacific Islands Forum Leaders Meeting
https://www.forumsec.org/2022/07/17/report-communique-of-the-51st-pacific-islands-forum-leaders-meeting/