आज जबकि भारत और कनाडा राष्ट्रमंडल राष्ट्रों के सदस्य हैं, मजबूत लोकतंत्रों और बहु-सांस्कृतिक समाजों का हिस्सा हैं, उनके हितों के मिलन पर मतभेदों की छाया पड़ने के कारण द्विपक्षीय संबंधों को आम तौर पर कमजोर माना जा रहा है। राजनीतिक एजेंडे की कमी के कारण 2019 में प्रधानमंत्री (पीएम) जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा की कनाडा में कई लोगों ने आलोचना की थी। भारत में किसानों के विरोध पर उनकी टिप्पणियों का भारत ने कड़ा विरोध किया था। आतंकवाद और सुरक्षा के संबंध में भारत की चिंताओं के अलावा, द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक समझौतों के विकास में प्रगति भी धीमी रही है। बहरहाल, अपने तीसरे कार्यकाल के सात महीने बाद, पीएम ट्रूडो और उनकी सरकार ने जी-20 अर्थव्यवस्थाओं और इंडो-पैसिफिक लोकतंत्रों के बीच अधिक समन्वय बनाने की इच्छा जताई है। 2021 में उच्चायुक्त कैमरॉन मैके की नियुक्ति, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और इसकी व्यापार वार्ताओं से परिचित हैं, इन संबंधों को लेकर कनाडा के फोकस क्षेत्रों का संकेत है। जैसा कि कनाडा 2022 के अंत तक अपनी खुद की इंडो-पैसिफिक रणनीति जारी करने की दिशा में काम कर रहा है, उसके भारत के साथ घनिष्ठ आर्थिक, सुरक्षा और रक्षा संबंध बनाने की उम्मीद है। एक स्थिर आर्थिक और राजनीतिक वातावरण तथा एक मजबूत सुरक्षा दृष्टिकोण के साथ इस क्षेत्र में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत, कनाडा के लिए एक स्वाभाविक साझेदार है। जैसा कि दोनों देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तालमेल बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, मजबूत व्यापार और आर्थिक संबंध द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण पहलू बने हुए हैं।
भारत-कनाडा आर्थिक संबंध
वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियां भारत और कनाडा को भविष्य के लिए संबंध निर्माण का एक उपयुक्त अवसर प्रदान करती हैं, खासकर जब वे महामारी के परिणामस्वरूप आम सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस भविष्यवादी संबंधों के विकास में आर्थिक संबंध एक महत्वपूर्ण स्तंभ बने हुए हैं। व्यापार को कच्चे माल, वस्त्र और खनिजों के पारंपरिक क्षेत्र से आगे बढ़कर उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उच्च गुणवत्ता वाले निर्मित उत्पादों को शामिल करने तक ले जाना है।
भारत समेत बड़े, तेजी से बढ़ते बाजारों के साथ व्यापार और निवेश का विस्तार करना कनाडा सरकार की प्राथमिकता है। 2020 में, भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया और इसे अक्सर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का लेबल दिया जाता है, जिसकी वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर नियमित रूप से 7 प्रतिशत से अधिक है।1 बहरहाल, द्विपक्षीय व्यापार कम रहा है और 2019-20 में 6.36 अरब डॉलर पर रहा। महामारी ने 2020-2021 में इस आंकड़े को और कम करके 5.64 बिलियन डॉलर कर दिया है।2 दोनों सरकारें व्यापार और निवेश संबंधों को गहरा करने के रास्ते तलाश रही हैं।
11 मार्च, 2022 को नई दिल्ली में आयोजित व्यापार और निवेश पर पांचवें भारत-कनाडा मंत्रिस्तरीय संवाद (एमडीटीआई) में, वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले एवं खाद्य, और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल और उनकी कनाडाई समकक्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निर्यात संवर्धन, लघु व्यवसाय एवं आर्थिक विकास मंत्री मैरी एनजी ने घोषणा की कि दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) वार्ता को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। भारत और कनाडा 2010 से सीईपीए की संभावनाओं पर बातचीत कर रहे हैं। इसके लिए वार्ता का अंतिम दौर 2017 में आयोजित किया गया था। दोनों पक्ष एक अंतरिम समझौते या प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (ईपीटीए) पर विचार करने पर सहमत हुए, जिसे सीईपीए की ओर पहले कदम के तौर पर देखा जा सकता है।
अंतरिम समझौते में "वस्तुओं, सेवाओं, उत्पत्ति के नियमों, स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी उपाय, व्यापार के लिए तकनीकी बाधाओं और विवाद निपटान में उच्चस्तरीय प्रतिबद्धताएं शामिल होंगी, और इसमें पारस्परिक रूप से सहमत किसी भी अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है। व्यापार और वाणिज्य को मजबूत करने में मदद करने के लिए पहचाने गए कुछ अन्य क्षेत्रों में कृषि उत्पाद, रसायन, जूते, कपड़ा, ऑटोमोबाइल, ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, खनिज और धातु, शहरी विकास, सूचना प्रौद्योगिकी और पर्यटन शामिल हैं।“3 दोनों देश फार्मास्यूटिकल्स, दुर्लभ खनिजों के साथ-साथ पर्यटन, शहरी बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा और खनन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए भी काम करेंगे। भारत ने आयुर्वेद और अन्य आयुष प्रणालियों सहित पारंपरिक चिकित्सा को मान्यता देने में कनाडा की रुचि पर भी ध्यान दिया है।4 5वीं एमडीटीआई बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की क्षमता पर भी चर्चा की, यह देखते हुए कि भारत अच्छी गुणवत्ता और सस्ती दवा उत्पादों की आपूर्ति के लिए कनाडा का एक विश्वसनीय भागीदार है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि टीके के विकास और उत्पादन के द्वारा कोविड -19 वायरस और इसके म्यूटेंट से लड़ने के लिए सहयोग करने जरूरी है।
मंत्रियों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा नवाचार क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। 5वीं एमडीटीआई के दौरान इस बात पर सहमति हुई कि स्थायी आर्थिक सुधार का समर्थन करने के लिए व्यावसायिक सहयोग को मजबूत करने की महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं।5
अन्य सभी व्यापार सौदों की तरह, जिन पर वर्तमान में भारत द्वारा बातचीत की जा रही है, कनाडा के साथ व्यापार समझौते में भी आपूर्ति श्रृंखला के विषय को शामिल करने की उम्मीद है। दोनों मंत्रियों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लचीली आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के महत्व को स्वीकार किया और डेटा सुरक्षा तथा साइबर सुरक्षा पर सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ इस क्षेत्र में सहभागिता को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया। उम्मीद की जाती है कि यह साझेदारी दोनों देशों में रोजगार सृजन में भी योगदान देगी। दोनों मंत्रियों ने विश्व व्यापार संगठन के अंतर्गत सन्निहित नियम-आधारित, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण, खुली और समावेशी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए अपने-अपने देशों की प्रतिबद्धता की भी पुनःपुष्टि की।6 द्विपक्षीय रूप से, कनाडा और भारत एक पुरानी विश्व व्यवस्था में सुधार करने में भी मदद कर सकते हैं, खासकर जब संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के प्रभुत्व और रूसी आक्रामकता को समायोजित करने का प्रयास कर रहा है। बहुपक्षीय रूप से, कनाडा, विशाल बहुपक्षीय अनुभव और गहराई के साथ सात सदस्यों के एक समूह के रूप में, भारत के साथ अपने ज्ञान और काम को साझा कर सकता है क्योंकि यह 2023 में अपने ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी20) के अध्यक्ष पद के लिए तैयारी कर रहा है।7
निष्कर्ष
भारत और कनाडा दोनों ने माना है कि दोनों देशों के बीच एक व्यापक व्यापार समझौता व्यापार, निवेश को बढ़ावा देने और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने में मदद करेगा। भारतीय मूल के कनाडाई लोगों की एक बड़ी आबादी के साथ लोगों से लोगों के बीच संबंध अच्छी तरह से स्थापित हैं, जो विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए हैं और राजनीतिक रूप से भी सक्रिय हैं। कनाडा भारतीय छात्रों के लिए भी पसंदीदा स्थान बनता जा रहा है, जहाँ लगभग एक-तिहाई अंतर्राष्ट्रीय छात्र भारत से आते हैं। वे न केवल छात्रों के रूप में बल्कि बाद में श्रमिकों के रूप में भी कनाडा की अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं।
ऐसे में जब आर्थिक सुधार दोनों देशों के लिए प्राथमिक बने हुए हैं, महामारी से सीखे गए सबक बताते हैं कि भारत और कनाडा के बीच व्यापार वार्ता उपयुक्त समय पर फिर से शुरू हुई है। कनाडा ने लंबे समय से भारत को एक प्राथमिकता वाले बाजार के रूप में पहचाना है और एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने से संबंधों के मजबूतीकरण में एक लंबा रास्ता तय होगा जो अब तक आतंकवाद जैसे मुद्दों के कारण ढंका हुआ था। व्यापार वार्ता भू-राजनीतिक तनाव के समय भी शुरू हुई है जब यूक्रेन पर रूस के हमले के परिणामस्वरूप वैश्विक आर्थिक सुधार प्रभावित हुए हैं। बदलते भू-राजनीतिक सम्मिलनों के बीच दोनों देशों के लिए यह अवसर भविष्य के लिए संबंध निर्माण का है।
भविष्य के लिए डिजिटल क्षेत्र, फिनटेक, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और नई प्रौद्योगिकियों के विकास और औद्योगिक नवाचारों में सहयोग की खोज की जानी चाहिए। इंडो-पैसिफिक और डिजिटल क्षेत्र में सहयोग त्वरित परिणाम दे सकता है और संबंधों को गहरा करने के लिए आधार तैयार कर सकता है। भारत के लिए, कनाडा के साथ उच्च प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, और सतत बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग से इसे घरेलू स्तर पर अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी और यह तीसरे देशों में भी परियोजनाओं के लिए कनाडा के साथ साझेदारी कर सकता है। इसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग की बहुत बड़ी गुंजाइश है, जो कनाडा की विदेश नीति की सोच में और भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों के भीतर प्रमुखता प्राप्त कर रहा है।
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*डॉ. स्तुति बनर्जी, शोध अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[1] Government of Canada, “Canada-India Comprehensive Economic Partnership Agreement negotiations - Background information,” https://www.international.gc.ca/trade-commerce/trade-agreements-accords-commerciaux/agr-acc/india-inde/fta-ale/background-contexte.aspx?lang=eng, Accessed on 14 March 2022.
2 Figures have been taken from Ministry of Commerce and Industry, Department of Commerce, Government of India.
3 Ministry of Commerce and Industry, “Joint Statement issued at conclusion of the 5th India-Canada Ministerial Dialogue on Trade & Investment,” PBI, 11 March 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1805112, Accessed on 16 March 2022.
4 Ibid
5 Ibid
6 Ibid
7 Manjeet Kripalani and Rohinton Medhora, “India and Canada: A third pole,” 09 December 2020, Mumbai, https://www.gatewayhouse.in/india-canada-third/, Accessed on 16 March 2022