भारत-श्रीलंका संबंधों में पिछले तीस वर्षों में कई बदलाव आए हैं। श्रीलंका की आंतरिक राजनीतिक स्थिति और उस पर भारत की प्रतिक्रिया ने ज्यादातर द्विपक्षीय संबंधों को आकार दिया है। साथ ही, दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग के साथ-साथ क्षेत्रीय मंचों, जैसे कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) और बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक), के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जुड़ने के प्रयास किए हैं। भारत की "पड़ोसी पहले की नीति" के साथ-साथ श्रीलंका की "भारत पहले नीति" ने श्रीलंका में सरकार बदलने के बावजूद हाल के वर्षों में संबंधों में निरंतरता बनाए रखी है। इस संदर्भ में भारत में श्रीलंकाई उच्चायोग द्वारा अगस्त 2021 में जारी श्रीलंका की एकीकृत राष्ट्र रणनीति (आईसीएस) पत्र, जो अगले दो वर्षों (2021-23) के लिए एक रोड मैप है, बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मौजूदा द्विपक्षीय मुद्दों पर नज़र रखता है और सहयोग के उन नए क्षेत्रों पर प्रस्ताव भी देता है जिनपर काम किया जा सकता है। यह भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति के बारे में श्रीलंका के दृष्टिकोण को लेकर एक परिप्रेक्ष्य भी प्रदान करता है।
आईसीएस ¼ICS½ पत्र को भारत में नवनियुक्त श्रीलंका के उच्चायुक्त, मिलिंडा मोरागोडा ने तैयार किया है। रणनीति को भारत में श्रीलंकाई मिशनों, पूर्व राजनयिकों और श्रीलंका विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के परामर्श से तैयार किया गया था। आईसीएस पेपर विस्तार से उन सात लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करता है जिन्हें भारत में श्रीलंका मिशन द्वारा पूरा किया जाना है। इनमें शामिल हैं: राजनीतिक स्तर पर बातचीत के माध्यम से मौजूदा संबंधों को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाना; विदेशी निवेश और निर्यात से आय को बढ़ावा देना; सामरिक सहयोग, रक्षा और हिंद महासागर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग का विस्तार; संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना; सार्वजनिक कूटनीति के माध्यम से भारत में श्रीलंका की अधिक सकारात्मक छवि पेश करना; कनेक्टिविटी बढ़ाना और अपने समुद्री संसाधनों की रक्षा में श्रीलंका के हितों को बढ़ावा देना।1 इसने ऊपर बताए गए सात लक्ष्यों पर काम करके पहले से मौजूद संबंधों को "विशेष संबंध" तक ले जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस संदर्भ में, यह पत्र सहयोग बढ़ाने के लिए उल्लिखित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को संक्षेप में बताता है और वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की संभावनाओं को देखता है।
आईसीएस के उल्लेखनीय बिंदु
द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाना
द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाने के लिए, पत्र में राजनीतिक संवाद बढ़ाने और श्रीलंका से बाहरी रूप से विस्थापित व्यक्तियों/ भारत में श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के मुद्दे को संबोधित करने की आवश्यकता का प्रस्ताव दिया गया है। युद्ध के बाद के वर्षों में श्रीलंका और भारत के संबंधों ने राजनीतिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने में एक गति देखी। हाल के वर्षों में कई हाई प्रोफाइल दौरे हुए हैं, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री की 2014 से तीन बार, 2019 (जून), 2017 (मई), 2015 (मार्च) में श्रीलंका की यात्रा शामिल है। श्रीलंका के राष्ट्रपतियों की भारत यात्राएं 2019 (नवंबर), 2016 (मई और नवंबर) और 2015 (फरवरी) में हुई हैं। श्रीलंका के प्रधानमंत्रियों ने 2018 (फरवरी और अक्टूबर), 2017 (नवंबर और अप्रैल), 2016 (अक्टूबर और मई) और सितंबर 2015 में भारत का दौरा किया। ये हाई-प्रोफाइल दौरे उच्चतम स्तर पर बढ़े हुए सहयोग के उदाहरण हैं।2 इन यात्राओं के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की यात्राएं भी हुईं। राजनीतिक संपर्क बढ़ाने के लिए, अन्य महत्वपूर्ण सुझाव भारत की संसद में एक कार्यात्मक और जीवंत भारत-श्रीलंका संसदीय मैत्री समूह का पुनर्गठन करना था।3
इन यात्राओं से द्विपक्षीय संबंधों की एक सकारात्मक छवि पेश करने में मदद मिली है और आर्थिक विकास परियोजनाओं, संपर्क और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में सहयोग की खोज की गुंजाइश बढ़ी है। इन क्षेत्रों में हुए लाभ की ओर इशारा करते हुए, यह पत्र द्विपक्षीय संबंधों में "लेन-देन संबंधी दृष्टिकोण" से आगे बढ़ने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इस बिंदु को संभवत: कई नाकाम वार्ताओं और समझौतों का जिक्र करते हुए रखा गया था, जिन पर अतीत में हस्ताक्षर किए गए थे, जैसे कि असफल आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौता (ईटीसीए) वार्ता, कोलंबो ईस्ट कंटेनर टर्मिनल मुद्दे के साथ-साथ त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म विकसित करने पर समझौते।
यह पत्र भारत में श्रीलंका के राजनयिक मिशनों/वाणिज्य दूतावासों को केंद्र-से-केंद्र संबंधों से आगे बढ़ने और भारतीय संघ की राज्य सरकारों के साथ बातचीत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को भी इंगित करता है। भारत के पूर्वी भाग के साथ संबंध विकसित करने पर विशेष रूप से बल दिया गया है। इस संबंध में कोलकाता में श्रीलंका का महावाणिज्य दूतावास शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है। यह प्रस्ताव वर्तमान श्रीलंका सरकार की "एशिया केंद्रित" विदेश नीति पर ध्यान केंद्रित करने और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ समुद्री सहयोग बढ़ाने में इसकी उत्सुकता के अनुरूप है। श्रीलंका बिम्सटेक का वर्तमान अध्यक्ष है और दिसंबर 2021 में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की योजना है।
बाहरी रूप से विस्थापित तमिलों का भारत से श्रीलंका में प्रत्यावर्तन
सामरिक ढांचे ने भारत में श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों की श्रीलंका में त्वरित वापसी को हल करने की आवश्यकता को स्वीकार किया। पत्र ने जोर दिया कि शरणार्थियों की वापसी से भारत में श्रीलंका की सकारात्मक छवि और श्रीलंका की सुलह प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने में मदद मिलेगी।4 चूंकि शरणार्थियों की वापसी के लिए मौजूदा तंत्र धीमा है, इसने प्रस्तावित किया कि विस्थापित व्यक्तियों के स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जाएगी, जिसे भविष्य में भारत के साथ साझा किया जाएगा। 2009 में युद्ध की समाप्ति का नतीजा उन श्रीलंकाई तमिलों के लिए एक सुरक्षित, स्थिर, आर्थिक और राजनीतिक वातावरण नहीं बना सका, जो श्रीलंका सरकार और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) के बीच लंबे समय तक संघर्ष (1983-2009) के कारण देश से भाग गए थे। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में अपने देश वापस जाने के लिए शरणार्थियों की अनिच्छा के कारण प्रत्यावर्तन प्रक्रिया में समय लग सकता है। वर्तमान में, भारत में लगभग एक लाख श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) वर्तमान में प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया में लगी हुई है। लेकिन श्रीलंका में राजनीतिक स्थिति के कारण प्रक्रिया वास्तव में धीमी है। 2002 के बाद से केवल 17,718 शरणार्थी श्रीलंका लौटे हैं। हालांकि तमिलनाडु सरकार ने शरणार्थियों के लिए ₹317.4 करोड़ के पैकेज की घोषणा की है, फिर भी यह मुद्दा द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक निरंतर चिंता का विषय बना हुआ है।
आर्थिक सहयोग: लक्ष्य निर्धारित हैं
वैश्विक महामारी से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। देश के राजस्व के मुख्य स्रोत, पर्यटन क्षेत्र में गिरावट देखी गई और इसी तरह देश के निर्यात में भी गिरावट आई। भारत 2020 में चीन के बाद दूसरे सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा, और उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका है। इन तीन व्यापारिक भागीदारों के साथ कुल व्यापार 2019 के 12.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 10.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।5 इसलिए, श्रीलंका का पूरा ध्यान अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए अपने व्यापार की मात्रा के साथ-साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ाने पर रहा है। 2005 से 2019 की अवधि में श्रीलंका में भारत से एफडीआई 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।6 दस्तावेज़ में निवेश के लिए निर्धारित लक्ष्यों के साथ-साथ भारत में श्रीलंका की बाजार हिस्सेदारी का विस्तार करने का विवरण दिया गया है। यह श्रीलंका में भारत के मौजूदा निवेश जैसे कोलंबो पोर्ट के वेस्ट कंटेनर टर्मिनल, त्रिंकोमाली ऑयल टैंक फार्म, बिजली क्षेत्र में सहयोग और विकास सहयोग के तहत परियोजनाओं पर फॉलो अप कार्रवाई का भी प्रस्ताव रखता है। इन परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने के अलावा, श्रीलंका के निवेश बोर्ड (बीआईओ) ने वर्ष 2021 के लिए 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2022 के लिए 256 मिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया है।7 जिन क्षेत्रों की पहचान की गई है उनमें ऑटो घटक, भोजन प्रसंस्करण, बुनियादी ढांचा, नवीकरणीय ऊर्जा और वस्त्र शामिल हैं।
आईसीएस पत्र आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत में विभिन्न राज्य सरकारों के साथ जुड़ने का भी प्रयास करता है। यह दस्तावेज़ में श्रीलंका द्वारा निर्धारित "समृद्धि और वैभव के दृश्य" के व्यापक आर्थिक लक्ष्यों को साकार करने में मदद करेगा।8 श्रीलंका में पिछली यूनिटी सरकार ने सभी पांच दक्षिण भारतीय राज्यों को शामिल करते हुए भारत के साथ 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संभावित व्यापार की कोशिश की। हालाँकि ईटीसीए प्रस्ताव, जिसे भारत और श्रीलंका के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए बनाया गया था, अमल में नहीं लाया जा सका। सेवाओं में व्यापार के खंड पर कुछ पेशेवर समूहों द्वारा समझौते के विरोध और केंद्र में राजनीतिक अस्थिरता ने वार्ता को कमजोर कर दिया।
फ्रेमवर्क दस्तावेज़ में ईटीसीए के बारे में तो उल्लेख नहीं किया गया था, लेकिन इसने भारत में श्रीलंका के निर्यात को प्रभावित करने वाले मुद्दों के रूप में 'संरक्षणवाद, सीमित बाजार पहुंच और भारत में अप्रत्याशित नियामक वातावरण' के मुद्दे को उठाया।9 2020 में, भारत में श्रीलंका का निर्यात उसके कुल निर्यात का 19 प्रतिशत था, जबकि भारत से आयात लगभग 6 प्रतिशत था।10 वर्ष 2021 के लिए निर्धारित व्यापार लक्ष्य 621.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2022 के लिए 674.15 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।11 भारतीय निवेश को लेकर पिछले अनुभव के साथ-साथ आशंकाओं और श्रीलंका के व्यापार संघों द्वारा श्रीलंका के सेवा क्षेत्र जैसे व्यापार के लिए क्षेत्रों को खोलने के कारण, यह देखना बाकी है कि दोनों सरकारें भविष्य में आशंकाओं को कैसे दूर करेंगी।
लोगों के बीच आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संबंध: कुछ नए विचार
कुछ दिलचस्प बिंदु हैं जो लोगों से लोगों के बीच संपर्क और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए बनाए गए थे। श्रीलंका बौद्ध सर्किट, रामायण, मुरुगन और शिव शक्ति चिह्नों के साथ-साथ दक्षिण भारत में वेलंकन्नी ट्रेल के ज़रिये दोनों देशों के बीच बौद्ध और हिंदू आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर रिश्ते को "विशेष संबंध" तक बढ़ाने का इच्छुक है।12 यह प्रस्ताव सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय स्तर पर लिए गए हालिया फैसलों के अनुरूप है। 2020 में, भारत ने दोनों देशों के बीच बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता प्रदान की।13 पत्र ने श्रीलंकाई विद्वानों और छात्रों के लिए भारत में बौद्ध और पाली भाषा सीखने की संभावनाओं को खोलने का भी प्रस्ताव रखा।14
सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक संस्थागत बनाने के लिए, आईसीएस ने जल्द से जल्द श्रीलंका सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा। इसने श्रीलंका को बढ़ावा देने और भारत में एक सकारात्मक छवि पेश करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके विद्वानों, पत्रकारों और लेखकों एवं अन्य समूहों के बीच नेटवर्क को बढ़ावा देने का भी प्रस्ताव रखा। इसमें की गई महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक प्रमुख थिंक टैंकों में, शिक्षाविदों में और श्रीलंका पर लेख लिखने वाले राजनीतिक शोधकर्ताओं के साथ संपर्क बनाना था।15 दोनों राजधानियों दिल्ली और कोलंबो के विश्वविद्यालयों में श्रीलंका-भारत पीठ की स्थापना करना दस्तावेज़ का एक और महत्वपूर्ण बिंदु है। भारत हजारों श्रीलंकाई छात्रों के लिए एक पसंदीदा शिक्षा स्थल रहा है। इस संदर्भ में, यह पत्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और भारत के अन्य निजी विश्वविद्यालयों से छात्रवृत्ति की संख्या में वृद्धि करके, छात्रों के लिए, जिनमें श्रीलंका के बागान क्षेत्र के वंचित छात्र भी शामिल हैं, उच्च शैक्षिक अवसरों को सुरक्षित करने का प्रस्ताव करता है।
हाल के वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के प्रयास किए गए हैं। इस संबंध में, 2021 में, दोनों सरकारों ने अपने-अपने सम्बद्ध मंत्रालयों के तहत विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए भारत और श्रीलंका के वैज्ञानिकों को मिलाकर बनी नौ टीमों का समर्थन करने का निर्णय लिया है, इन क्षेत्रों में शामिल हैं; खाद्य प्रौद्योगिकी; पौधे आधारित दवाएं; मेट्रोलॉजी; अंतरिक्ष अनुसंधान और अनुप्रयोग; रोबोटिक्स और स्वचालन; औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स; नवीकरणीय ऊर्जा; कचरे का प्रबंधन; सूचना और संचार प्रौद्योगिकी।16 यह एक स्वागत योग्य विकास है। श्रीलंका फार्मास्यूटिकल्स में भी भारत के अनुभव से लाभ उठाने का इच्छुक है। इसलिए, पत्र ने भारत की मदद से श्रीलंका में दवा निर्माण इकाइयों की स्थापना का प्रस्ताव रखा।
कनेक्टिविटी बढ़ाना: एक चिरलंबित मुद्दा
कनेक्टिविटी बढ़ाना एक लंबे समय से लंबित मुद्दा रहा है, हालांकि कुछ समय से भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र, इलेक्ट्रिक ग्रिड और डिजिटल कनेक्टिविटी की सुविधा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। श्रीलंका में आंतरिक राजनीतिक/संघर्ष की स्थितियों के कारण और लिट्टे द्वारा अपनी सैन्य आपूर्ति के परिवहन के लिए समुद्र के उपयोग के कारण समुद्री संपर्क की पुनर्बहाली रोक दी गई थी। इसके कारण पाक खाड़ी में आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि, युद्ध की समाप्ति समुद्री संपर्क को बढ़ाने के मामले में परिदृश्य को ज्यादा नहीं बदल पाया। युद्ध के बाद थलाईमन्नार-रामेश्वरम, कोलंबो-तूतीकोर्न और कांकेसंथुराई-कराइकल के बीच यात्री नौका सेवाओं को फिर से शुरू करने के बारे में बहुत चर्चा हुई, लेकिन इन्हें अमल में लाना अब भी बाकी है। थलाइमन्नार-रामेश्वरम के बीच यात्री नौका सेवाओं को 1983 में तमिल विरोधी दंगों के बाद निलंबित कर दिया गया था, और उसे 2011 में युद्ध के बाद कुछ समय के लिए फिर से शुरू किया गया था लेकिन ये फिर से बंद हो गया। दोनों सरकारों के बीच, थलाइमन्नार-रामेश्वरम और कोलंबो-तूतीकोर्न यात्री नौका सेवा शुरू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन वर्तमान में लागू है।
डिजिटल और एयर कनेक्टिविटी
डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं। 2018 में, दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थानों को भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (INKN) और श्रीलंका के लंका शिक्षा एवं अनुसंधान नेटवर्क (LEARN) द्वारा उच्च क्षमता वाले इंटरनेट के माध्यम से जोड़ा गया है।17 भारत और श्रीलंका के बीच आईटी क्षेत्र, साइबर सुरक्षा और ई-गवर्नेंस में सहयोग बढ़ाने के लिए 2018 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।18 चेन्नई और जाफना हवाई संपर्क को 2019 में बहाल कर दिया गया है।
इलेक्ट्रिक ग्रिड कनेक्टिविटी
भौगोलिक निकटता के बावजूद भारत और श्रीलंका अब तक इलेक्ट्रिक ग्रिड कनेक्टिविटी स्थापित नहीं कर पाए हैं। इसके लिए बातचीत चल रही है। भारत ने 18 दिसंबर, 2018 को बिजली के आयात/निर्यात (सीमा पार) के लिए दिशा-निर्देश जारी किए और श्रीलंका से जुड़ने की उम्मीद की।19 वर्तमान में, भारत इस क्षेत्र में नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ जुड़ा हुआ है। भारत और श्रीलंका बिम्सटेक के सदस्य हैं। संगठन के सदस्य देशों के ग्रिड को जोड़ने की आवश्यकता 2005 से ही एजेंडे में है। गोवा में 2016 में बिम्सटेक नेताओं के शिखर सम्मेलन में, सदस्य राज्यों के बीच सर्वोच्च बिजली कनेक्शन को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।20 सीमा पार व्यापार को सक्षम करने के लिए इस क्षेत्र में मौजूद एक अन्य ढांचा ऊर्जा सहयोग (बिजली) के लिए सार्क फ्रेमवर्क समझौता है, जिस पर 2014 में नेपाल में आयोजित 18वें सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान सदस्य राज्यों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे। भविष्य में ग्रिड कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के पास ये दो क्षेत्रीय ढांचे हैं।
रक्षा और हिंद महासागर सुरक्षा सहयोग: एक नया जोर
हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्तर पर रणनीतिक सहयोग बढ़ रहा है। भारत सबसे पहले पहुँचने वाला देश रहा है और उसने 2004 की सुनामी जैसी श्रीलंका की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक और हालिया उदाहरण सितंबर 2020 में श्रीलंका के पूर्वी तट पर तेल रिसाव को संभालने के लिए भारतीय तटरक्षक बल की तैनाती है। चरमपंथी तत्वों द्वारा श्रीलंका के चर्चों और होटलों पर अप्रैल 2019 को किए गए ईस्टर संडे हमलों से पहले और उसके बाद खुफिया सहायता प्रदान करने में भारत ने श्रीलंका सरकार की मदद करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संबंधों के सुरक्षा आयाम केंद्र में हैं और भारत ने 2019 में आतंकवाद विरोधी गतिविधियों पर रोक के लिए विशेष ऋण के रूप में 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किए हैं। दोनों देश मित्र शक्ति के साथ-साथ क्षमता निर्माण अभ्यास जैसे कई संयुक्त सैन्य अभ्यासों का हिस्सा रहे हैं।
क्षेत्र में अस्थिर सुरक्षा स्थिति को देखते हुए हिंद महासागर की सुरक्षा एक प्राथमिकता बन गई है। यह सदियों से समुद्री व्यापार के केंद्र में रहा है। इस क्षेत्र में श्रीलंका और भारत की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, दोनों देशों ने इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा तथा नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर दिया है। दोनों हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के सदस्य हैं और इस क्षेत्र में समुद्री रक्षा एवं सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में योगदान करने की कोशिश कर रहे हैं। हथियारों की तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद जैसे पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों के रूप में आम चुनौतियों ने सुरक्षा क्षेत्र में एक साथ काम करने की आवश्यकता को अनिवार्य कर दिया है। हाल के महीनों में कुछ उदाहरण इस अबाध समुद्र में सुरक्षा समस्या की पुष्टि करते हैं। पहला, सितंबर 2021 में श्रीलंकाई नौसेना द्वारा 600 किलोग्राम से अधिक हेरोइन की जब्ती और सात पाकिस्तानी नागरिकों की गिरफ्तारी21 और दूसरा मार्च 2021 में मछली पकड़ने वाले श्रीलंकाई जहाज द्वारा ले जाए जा रहे 300 किलोग्राम से अधिक हेरोइन, पांच एके -47 राइफल और 1,000 राउंड गोला-बारूद की जब्ती है।22
सुरक्षा क्षेत्र में हितों का सम्मिलन भारत और श्रीलंका के बीच आयोजित विभिन्न बैठकों में प्रकट होता है। छह साल के अंतराल के बाद, 26 नवंबर 2020 को कोलंबो में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर की त्रिपक्षीय बैठक हुई। इस क्षेत्र में वर्तमान चुनौतियों पर विचार करते हुए, भारत, श्रीलंका और मालदीव ने खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद, उग्रवाद, कट्टरता और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मुद्दों से निपटने में सहयोग को व्यापक बनाने पर सहमति व्यक्त की है।23 6 अगस्त 2021 को श्रीलंका द्वारा आयोजित उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की बैठक के दौरान सहयोग के सुरक्षा पहलू को दोहराया गया।
इसलिए, आईसीसी पत्र ने सामान्य सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए 'ट्रोइका' जैसे तंत्र को विकसित करने और तलाशने का प्रस्ताव रखा। इस तंत्र को 2009 में युद्ध के अंतिम चरण के दौरान स्थापित किया गया था। भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन, राजदूत शिव शंकर मेनन, विदेश सचिव और रक्षा सचिव विजय सिंह ट्रोइका का हिस्सा थे। श्रीलंका की ओर से बासिल राजपक्षे, श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के वरिष्ठ सलाहकार; गोटाबाया राजपक्षे, रक्षा सचिव; और श्रीलंका के राष्ट्रपति के सचिव ललित वीरातुंगा 'ट्रोइका' तंत्र का हिस्सा थे। श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच युद्ध के दौरान भारत-श्रीलंका संबंधों से निपटने के लिए ट्रोइका व्यवस्था उनकी संबंधित सरकारों की ओर से निर्णय ले सकती है। संयुक्त सैन्य अभ्यास की सुविधा, प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए भारत के रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित सुविधाओं की संख्या में वृद्धि के अलावा, पत्र भारत में श्रीलंका के उच्चायोग में रक्षा सलाहकार के कार्यालय को मजबूत करने का प्रयास करता है।
महासागर संसाधनों की रक्षा करना: राजनीति और आजीविका के बीच फंसा
दोनों देशों के बीच भौगोलिक निकटता ने अवसरों के साथ-साथ चुनौतियां भी प्रदान की हैं। समुद्री सीमा का मुद्दा 1974 और 1976 में पाक खाड़ी, पाक जलडमरूमध्य और बंगाल की खाड़ी में सुलझाया गया था। तथापि, समुद्री संसाधनों को साझा करना, विशेष रूप से मछुआरों का मुद्दा, द्विपक्षीय सहयोग में एक चुनौती बना हुआ है। मत्स्य पालन जैसे मुद्दे को हल करने के लिए एक तंत्र मौजूद है, संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) जिसे 2016 में स्थापित किया गया था। दोनों पक्ष नियमित परामर्श के ज़रिये मानवीय आधार पर इस मुद्दे को हल करने के लिए सहमत हुए। दोनों पक्षों के मछुआरों की गिरफ्तारी के साथ-साथ नौकाओं की जब्ती को नियमित तरीके से निपटाया गया। दिसंबर 2020 में वर्चुअल तौर पर आयोजित चौथी जेडब्ल्यूजी बैठक में, जब्त की गई नौकाओं की शीघ्र रिहाई की आवश्यकता के साथ-साथ गश्त में नौसेना और तट रक्षक के बीच सहयोग पर चर्चा की गई। भारत सरकार, तमिलनाडु और पुडुचेरी ने गहरे समुद्र में मछली पकड़ने का विकल्प चुनने के लिए मछुआरों को प्रोत्साहित करके पाक खाड़ी क्षेत्र में मछली पकड़ने के दबाव में विविधता लाने और उसे कम करने के उपाय किए हैं। समुद्री शैवाल की खेती, समुद्री कृषि और जलीय कृषि गतिविधियों की किस्मों के माध्यम से वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।24
इन उपायों के बावजूद, 2019 और 2020 में, लगभग 284 मछुआरों को गिरफ्तार किया गया और कुल 53 भारतीय नौकाओं को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा जब्त किया गया।25 जनवरी 2021 में, एक भारतीय ट्रॉलर के श्रीलंकाई नौसेना के जहाज से टकरा जाने से 4 भारतीय मछुआरों की मौत हो गई थी, जिसके बाद श्रीलंका ने एक स्थायी समाधान खोजने के लिए तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की। आईसीएस पत्र में उल्लेख किया गया है कि श्रीलंका दोनों पक्षों के मंत्रालयों के साथ-साथ मछुआरा संघों को शामिल करते हुए एक प्रस्ताव तैयार करेगा और नीचे की ओर मछली पकड़ने तथा अवैध, बिना सूचना के और अनियमित आईयूयू मछली पकड़ने से होने वाले पारिस्थितिक नुकसान को भी उजागर करेगा।
महासागरीय संसाधनों के बंटवारे के संबंध में पत्र में उठाया गया दूसरा मुद्दा महाद्वीपीय किनारों के छोर का परिसीमन करना था। भारत और श्रीलंका के संबंधित दावों को संयुक्त राष्ट्र के कॉन्टिनेंटल शेल्फ (सीएलसीएस) की सीमाओं पर गठित आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। अतीत में, भारत का पक्ष रहा है कि वह इस मुद्दे पर पारस्परिक रूप से लाभप्रद समाधान पर पहुंचने के लिए द्विपक्षीय चर्चा को प्राथमिकता देगा।26 समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के समझौते के वक्तव्य (एसओयू) (अनुबंध II में) के तहत दोनों देश संयुक्त लाभार्थी हैं।27 फिर भी, हाल के वर्षों में द्विपक्षीय चर्चाओं में इस मुद्दे को ज्यादा नहीं उठाया गया है। सीएलसीएस भविष्य में इसकी प्रस्तुति पर आदेश देगा। यह देखा जाना बाकी है कि क्या दोनों देश भविष्य में उसी प्रकार से चर्चा शुरू करेंगे, जैसा कि पत्र में प्रस्तावित है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, आईसीएस पत्र महत्वपूर्ण है क्योंकि यह द्विपक्षीय संबंधों में आम चिंता के मुद्दों को एक साथ रखता है। श्रीलंका की वर्तमान सरकार का मुख्य जोर राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर रहा है। यह पत्र ऐसे समय में आया है, जब श्रीलंका जबरदस्त आर्थिक दबाव में है। एक छोटी अर्थव्यवस्था जो पर्यटन, निर्यात, निवेश और संकीर्ण उत्पादन क्षमता के ज़रिये राजस्व पर निर्भर है, और उसपर से बढ़ता कर्ज, महामारी का समय कठिन था। श्रीलंका का कुल बकाया कर्ज 35.1 अरब अमेरिकी डॉलर है।28 इसलिए वह आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए हर संभव रास्ते तलाश रहा है। आर्थिक मुद्दों के अलावा, देश पर पश्चिम से सुलह पर प्रगति दिखाने का भी दबाव है। ईयू जीएसटी+ जैसी व्यापार रियायतों को मानवाधिकारों की प्रगति से जोड़ा गया है। इसलिए, श्रीलंका को भारत सहित अपने विदेशी संबंधों में एक नाजुक संतुलन बनाए रखना होगा।
इस संदर्भ में, भारत-श्रीलंका संबंधों की विषम प्रकृति को स्वीकार करते हुए, पत्र ने द्विपक्षीय संबंधों में "रणनीतिक सामग्री" विकसित करने और रणनीतिक संवाद एवं सहयोग के लिए बहुआयामी मंच बनाने की गुंजाइश पर जोर दिया। दिलचस्प बात यह है कि पत्र 'मुख्य रूप से क्षेत्र में भू-राजनीतिक संतुलन के परिणामस्वरूप' विश्वास की कमी के बारे में बात करता है।29 यह बात संभवत: श्रीलंका के विदेशी संबंधों और उसके पीछे अन्य क्षेत्रीय शक्तियों की सक्रिय उपस्थिति के संबंध में भारत की चिंता का हवाला देते हुए की गई थी। श्रीलंका चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है और बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ-साथ अन्य सामाजिक विकास परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण एफडीआई प्राप्त कर रहा है। कुछ परियोजनाओं का रणनीतिक महत्व है जैसे कि हंबनटोटा पोर्ट और कोलंबो पोर्ट सिटी। देश की आर्थिक कमजोरियों से निपटने में श्रीलंका का चीन पर अत्यधिक निर्भरता भारत के लिए चिंता का विषय है। लेकिन, श्रीलंका इस बात पर जोर देता रहा है कि वह भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ काम नहीं करेगा। इस द्वीपीय राष्ट्र में चीन की आर्थिक भूमिका के बावजूद, भारत-श्रीलंका आर्थिक संबंध समय के साथ विकसित हुए हैं, जो देश के तरजीही व्यवहार और विकास आवश्यकताओं पर आधारित हैं। भारत श्रीलंका के लिए पांच सबसे बड़े व्यापार और निवेश भागीदारों में से एक बना हुआ है।
जहां तक राजनीतिक संबंधों का प्रश्न है, इनमें पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है। भारत पारम्परिक मुद्दों का घरेलू राजनीतिक समाधान करना पसंद करेगा, या तो श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन के आधार पर, या घरेलू तंत्र के माध्यम से। इस संबंध में, भारत ने 2009 में युद्ध के बाद, पुनर्निर्माण और पुनर्वास में शामिल होना चुना और 2015 से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में श्रीलंका का समर्थन किया है। श्रीलंका, बाहरी तत्वों को शामिल किए बिना, घरेलू तंत्र के माध्यम से जातीय मुद्दे को हल करना चाहता है। लेकिन, श्रीलंका में सुलह एक जटिल मुद्दा बना हुआ है और इसका राजनीतिक समाधान कैसे निकाला जाए, यह अनिश्चित है। इसके अलावा, हाल के वर्षों में दोनों देशों ने आईओआर सुरक्षा और क्षेत्र में बढ़ते गैर-पारंपरिक खतरों जैसे सामान्य चिंता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है और इन क्षेत्रों के आने वाले वर्षों में सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में बने रहने की संभावना है।
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*डॉ. समाथा मल्लेमपति भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली की रिसर्च फेलो हैं।
अस्वीकरण: ये लेखक के अपने विचार हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
End Notes
[1] Sri Lanka High Commission in India, “Integrated Country Strategy for Sri Lanka Diplomatic Missions in India (2021-2023)”, July 2021, P. VI-VIII, https://www.slhcindia.org/images/stories/N_images/PDF/ics%20english%20final300821.pdf. Accessed on August 12, 2021.
2 Ministry of External Affairs, Government of India, Incoming visits Sri Lanka, https://www.mea.gov.in/incoming-visits.htm?1/incoming_visits, Accessed on?
3Sri Lanka High Commission in India, “Integrated Country Strategy for Sri Lanka Diplomatic Missions in India (2021-2023)”, July 2021, P. X, https://www.slhcindia.org/images/stories/N_images/PDF/ics%20english%20final300821.pdf. Accessed on August 12, 2021.
4 Ibid. P. XI.
5 Central Bank of Sri Lanka, Annual Report 2020, Page 125, https://www.cbsl.gov.lk/sites/default/files/cbslweb_documents/publications/annual_report/2020/en/9_Chapter_05.pdf. Accessed on September 1, 2021.
6High Commission of India, Colombo, Sri Lanka, ‘India-Sri Lanka Economic and Trade Engagement”, June 2021, https://hcicolombo.gov.in/Economic_Trade_Engagement. Accessed on September 2, 2021.
7Ibid 3, p. XIII, https://www.slhcindia.org/images/stories/N_images/PDF/ics%20english%20final300821.pdf. Accessed on August 12, 2021.
8Government of Sri Lanka, “National Policy Framework Vistas of Prosperity and Splendour” http://www.doc.gov.lk/images/pdf/NationalPolicyframeworkEN/FinalDovVer02-English.pdf. Accessed on?
9 Sri Lanka High Commission in India, “Integrated Country Strategy for Sri Lanka Diplomatic Missions in India (2021-2023)”, July 2021, P. XIV, https://www.slhcindia.org/images/stories/N_images/PDF/ics%20english%20final300821.pdf. Accessed on August 12, 2021.
10 Central Bank of Sri Lanka, Annual Report 2020, Page 125, https://www.cbsl.gov.lk/sites/default/files/cbslweb_documents/publications/annual_report/2020/en/9_Chapter_05.pdf. Accessed on September 1, 2021. Accessed on August 12, 2021.
11 Ibid 3, P. XIV.
12 Ibid 3. P. VII.
13 Opening remarks in the Special Media Briefing on the India-Sri Lanka Virtual Bilateral Summit September 26, 2020, https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/33061/Opening_remarks_in_the_Special_Media_Briefing_on_the_IndiaSri_Lanka_Virtual_Bilateral_Summit. Accessed on?
14 Ibid 3, P. XIX. images/stories/N_images/PDF/ics%20english%20final300821.pdf. Accessed on August 12, 2021
15 Ibid 3, P. XXII.
16 Government of India, Ministry of Science and Technology, “Nine teams of scientists from India & Sri Lanka to research on subjects ranging from food technology to communications technology”, 13 April 2021, https://dst.gov.in/nine-teams-scientists-india-sri-lanka-research-subjects-ranging-food-technology-communications. Accessed on September 1, 2021.
17India's NKN, Sri Lanka's LEARN connect with high capacity Net, 15 January 2018, Outlook, https://www.outlookindia.com/newsscroll/indias-nkn-sri-lankas-learn-connect-with-high-capacity-net/1230701. Accessed on September 2, 2021.
18 Ministry of External Affairs, Government of India, “Bilateral MoUs, Agreements etc, signed by India with Neighbouring Countries during 2015-18”, https://mea.gov.in/Images/amb1/lu1237_2_25_07_2018.pdf. Accessed on September 4, 2021.
19 Ministry of Power, Government of India, “Guidelines for Import/Export (Cross Border) of Electricity- 2018”, https://powermin.gov.in/en/content/guidelines-importexport-cross-border-electricity-2018. Accessed on September 16, 2021.
20 Government of India, Ministry of Power, Memorandum of Understanding for establishment of the BIMSTEC Grid Interconnection, https://powermin.gov.in/en/content/memorandum-understanding-establishment-bimstec-grid-interconnection. Accessed on September 3, 2021.
21 Devesh K. Pandey, “Indian agencies track huge heroin seizure off Sri Lanka”, 7th September 2021, https://www.thehindu.com/news/national/indian-agencies-track-huge-heroin-seizure-off-sri-lanka/article36341826.ece. Accessed on September 10, 2021.
22ibid
23Ministry of Defence, Sri Lanka, Joint Press Statement, 4th National Security Advisor (NSA) Level Trilateral Meeting on Maritime Security Cooperation between India, Sri Lanka and Maldives, 28 November 2020, Colombo, https://www.defence.lk/Article/view_article/2654. Accessed on September 1, 2021.
24Press Information Bureau, Government of India, Ministry of Fisheries, Animal Husbandry & Dairying 4th Meeting of the India-Sri Lanka Joint Working Group on Fisheries, 30 December 2020, https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1684807. Accessed on September 6, 2021.
25Ministry of External Affairs, “Government of India, Question No.1201, Indian Fishermen Killed by Sri Lankan Navy”, 11 February 2021, https://mea.gov.in/rajya-sabha.htm?dtl/33508/QUESTION_NO1201_INDIAN_FISHERMEN_KILLED_BY_SRI_LANKAN_NAVY. Accessed on September 1, 2021.
26Ministry of External Affairs, Government of India, “Agreed Minutes of the 7th session of the India-Sri Lanka Joint Commission”, 26th November 2010, https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/4965/Agreed+Minutes+of+the+7th+session+of+the+IndiaSri+Lanka+Joint+Commission. Accessed on September 8, 2021.
27United Nations Convention on the Law of the Sea, P.205, https://www.un.org/depts/los/convention_agreements/texts/unclos/unclos_e.pdf. Accessed on September 8, 2021.
28 Department of External Sources, Government of Sri Lanka, Foreign Debt Summary, http://www.erd.gov.lk/index.php?option=com_content&view=article&id=102&Itemid=308&lang=en. Accessed on 20 September, 2021.
29 Ibid 3, P. IX.