16 सिंतबर 2021 को, यूरोपीय संघ (ईयू) अपना अंतिम हिंद– प्रशांत रणनीति दस्तावेज जारी किया। दस्तावेज का शीर्षक था ‘हिंद– प्रशांत में सहयोग हेतु यूरोपीय संघ की रणनीति’। दस्तावेज को “क्षेत्र में यूरोपीय संघ के संबंधों को बढ़ावा” देने के उद्देश्य से जारी किया गया था।[1] यूरोपीय संघ के हिंद– प्रशांत रणनीति के लिए आरंभिक योजना इस वर्ष अप्रैल में सदस्यों द्वारा अपनाई गई थी जब यूरोपीय परिषद ने पूर्ण हिंद– प्रशांत रणनीति के लिए सितंबर 2021 की समय–सीमा निर्धारित की थी। रणनीति में क्षेत्र के बढ़ते महत्व और “इस क्षेत्र के साझीदारों के साथ सहयोग को मजबूत बनाने के लिए यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता, हिंद– प्रशांत में अपने प्रमुख सिद्धांतों को” मान्यता दी गई है।[2] यूरोप अब तक हिंद– प्रशांत पर होने वाली बहसों में प्रमुख रूप से सामने नहीं आया था; हालांकि, यूरोपीय देशों ने हाल ही में हिंद– प्रशांत निर्माण पर रणनीतिक रूप से विचार करना शुरु किया है, क्योंकि विश्व इस क्षेत्र में बदलती भू–राजनीतिक वास्तविकताओं को अपनाने का प्रयास कर रहा है।
हिन्द– प्रशांत के लिए यूरोपीय संघ का केंद्र बिन्दु
इस क्षेत्र के लिए यूरोपीय संघ का केंद्र बिन्दु इस बात को स्वीकार करना है कि यूरोप के सामरिक और आर्थिक हित आंतरिक रूप से हिंद–प्रशांत से जुड़े हैं। यूरोपीय संघ की रणनीति से पहले फ्रांस, जर्मनी और नीदरलैंड्स ने हिंद–प्रशांत दृष्टिकोणों को रेखांकित करते हुए अपने नीति दस्तावेजों की घोषणा की है। हिंद– प्रशांत 2019 के लिए फ्रांस की रणनीति में इस बात को जोर दे कर कहा गया है कि “हिंद– प्रशांत की सुरक्षा एक रणनीतिक चुनौती है।”[3] जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने हिंद–प्रशांत पर जर्मनी के सरकार की नीति दिशानिर्देशों की घोषणा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में "अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का आकार तय किया जाएगा"[4] और यह भी कहा कि "जर्मनी यूरोपीय साझीदारों, विशेषरूप से फ्रांस के साथ मिल कर यूरोपीय हिंद– प्रशांत रणनीति बनाने पर काम कर रहा है।"[5] फ्रांस और जर्मनी के बाद यूरोपीय संघ के एक और सदस्य– नीदरलैंड्स ने नई नीति दस्तावेज की घोषणा की, इसमें उसने हिंद–प्रशांत क्षेत्र के लिए रणनीतिक रूपरेखा तैयार की जिसमें इस बात पर बहुत जोर दिया गया है कि “यूरोपीय संघ को दक्षिण चीन सागर में होने वाली गतिविधियों, जो कि यूएनसीएलओएस (UNCLOS) पर पहले की तुलना में अधिक विचार–विमर्श करना चाहिए और अपना पक्ष अधिक मजबूती के साथ रखना चाहिए”।[6]
यूरोप, हालांकि भौगोलिक रूप से हिंद–प्रशांत क्षेत्र का हिस्सा नहीं है, लेकिन यूरोप–एशिया व्यापार मार्ग का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र में स्थित महत्वपूर्ण चेकप्वाइंट्स से होकर गुजरता है। कार्यशक्ति और वाणिज्य के प्रवाह को चुनौती देने वाली महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के लिए कोई भी खतरा या अवरोध और क्षेत्र में किसी भी प्रकार के संघर्ष का यूरोप की समृद्धि और सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ेगा”।[7] इन गतिविधियों को देखते हुए, यूरोपीय देशों ने यह मानना शुरु कर दिया है कि यूरोपीय संघ हिंद–प्रशांत की सुरक्षा का प्रमुख हितधारक है।
हिंद–प्रशांत में सहयोग हेतु यूरोपीय संघ की रणनीति की मुख्य बातें
यूरोपीय संघ के विदेश मामलों एवं सुरक्षा नीति के उच्चाधिकारी जोसेप बोरेल ने 16 सितंबर 2021 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रणनीति की घोषणा करते हुए कहा कि, हिंद– प्रशांत वह क्षेत्र है जहां विश्व के गुरुत्वाकर्षण का केंद्र भू–आर्थिक और भू–राजनीतिक, दोनों ही दृष्टियों से आगे की ओर बढ़ रहा है।’[8] यूरोपीय संघ की रणनीति का उद्देश्य सहयोग के आधार पर 'मुक्त और नियम– आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था' सुनिश्चित करने में सहयोग करना है न कि आपस में लड़ते रहें।[9] रणनीति का सिद्धांत है “जब भी संभव हो सहयोग करें और हमारे मूल्यों एवं हितों की रक्षा करें”।
रणनीति के अनुसार हिंद–प्रशांत “अफ्रीका के पूर्वी तटों से लेकर प्रशांत महासागर के द्वीपीय राष्ट्रों तक फैला एक विशाल क्षेत्र” है, जो यूरोप के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। महामारी, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा जैसी प्रमुख चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इसमें सहयोगात्मक तरीके से दूरदर्शिता तलाशने के लिए प्राथमिकता के सात क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है यानि लचीले और विविध मूल्य श्रृंखलाओं के साथ टिकाऊ और समावेशी समृद्धि; स्वच्छ ऊर्जा और परिवहन, महासागर प्रशासन, डिजिटल गवर्नेंस और साझेदारियों, कनेक्टिविटी, सुरक्षा और रक्षा एवं मानव सुरक्षा के साथ हरित पारगमन।[10]
रणनीति में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि “यूरोपीय संघ और हिंद–प्रशांत स्वभाविक साझीदार क्षेत्र हैं”।[11] यूरोपीय संघ के दस सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार इसी क्षेत्र में हैं और दोनों क्षेत्रों के बीच व्यापार का आदान–प्रदान विश्व के किसी भी अन्य भौगोलिक क्षेत्रों के साथ होने वाले आदन–प्रदान की तुलना में अधिक है। यूरोपीय संघ ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत के साथ व्यापार समझौतों पर चल रही बातचीत को जल्द ही अंतिम रूप देने पर जोर दिया है। यूरोपीय संघ ने चीन से परे और ताइवान समेत क्षेत्रीय साझेदारियों के “विविधीकरण” पर उत्सुकता व्यक्त की है।[12] इसके अलावा, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुनिश्चित करना और मुक्त, टिकाऊ एवं नियम आधारित व्यापार प्राथमिक फोकस क्षेत्रों में से एक हैं।
हिंद–प्रशांत के उदय और बढ़ते महत्व में इलाके की भू–राजनीतिक मानचित्र में गतिशील बदलाव भी शामिल है। यूरोपीय संघ के लिए एक बड़ी चुनौती चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों का संतुलन स्थापित करना है ताकि वे शून्य–संचय खेल की जाल में फंसने से बच सकें। यूरोपीय संघ की 2018 की चीन रणनीतिक दृष्टिकोण में चीन को एक “सर्वांगी प्रतिद्वंद्वी और आर्थिक प्रतियोगी” स्वीकार किया गया है।[13] नाटो 2021 शिखर सम्मेलन की हालिया विज्ञप्ति में चीन की ‘पारदर्शिता में कमी, उसके आक्रामक रवैये और दुष्प्रचार के उपयोग’ पर चिंता जताई गई क्योंकि यह नियम–आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रणालीगत चुनौतियां पैदा करता है।[14] प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोसेप बोरेल ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण हिंद–प्रशांत क्षेत्र में भू–राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की तीव्रता महसूस की जाएगी। रणनीति में इस क्षेत्र में भू–राजनीतिक तनाव, विशेष रूप से ‘दक्षिण और पूर्वी चीन सागर और ताइवान जलसंधि’ के घटनाक्रमों से यूरोप की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है, के बारे में भी बात की गई है।
भू–रणनीतिक शब्दों में, रणनीति आसियान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूज़ीलैंड और कोरिया गणराज्य, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका समेत साझीदारों के साथ जुड़ने की यूरोपीय संघ की इच्छा को दोहराती है। इसके साथ ही रणनीति क्वाड के साथ भी सहयोग करने की उत्सुकता व्यक्त करती है। रणनीति का शुभारंभ करते समय, जोसेप बोरेल ने इस बात पर भी जोर दिया कि रणनीति चीन के लिए भी खुली है और वह चाहे तो आम हितों के क्षेत्रों से संबंधित कार्यों का साझीदार बन सकता है।[15]
संरचनात्मक ढांचा और कनेक्टिविटी, अपने सभी आयामों में, हिंद–प्रशांत में यूरोपीय संघ की केंद्र बिन्दु का प्रमुख फोकस क्षेत्र है, रणनीति में भी इसका उल्लेख किया गया है। रणनीति में जापान और भारत को दो प्रमुख हिंद– प्रशांत “कनेक्टिविटी साझीदार”,[16] और आशियान को भी कनेक्टिविटी साझीदार, बताया गया है। जैसे– जैसे यूरोप चीन के बीआरआई के व्यापक आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा निहितार्थों का एहसास होना शुरु होता है, ऐसा लगता है कि शुरुआती उत्साह यूरोप में चीनी परियोजनाओं की व्यवहार्यता और पारदर्शिता के बारे में चिंता में बदल रही है। ब्रुसेल्स में 2019 में यूरोपीय शिखर सम्मेल में बोलते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रॉन ने कहा कि, चीन की कंपनियों को रणनीतिक द्वार से यूरोपीय संघ के बुनियादी ढांचे तक पहुँचने देना एक “रणनीतिक त्रुटि” थी।[17] इसलिए यूरोपीय संघ बुनियादी ढांचे के अंतर को पाटने के लिए और बीआरआई का स्थायी विकल्प प्रदान करने के लिए इस क्षेत्र में समान विचारधारा वाले साझीदारों के साथ सहयोग करने को इच्छुक है।[18] यूरोपीय संघ ने 2018 में कनेक्टिंग यूरोप एंड एशियाः बिल्डिंग ब्लॉक्स फॉर एन ईयू स्ट्रैटेजी जारी किया था जिसमें व्यापक, स्थायी और नियम आधारित कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए यूरोपीय संघ– एशिया के बीच सहयोग की जरूरत पर ज़ोर दिया गया था।[19] इसके तहत, यूरोपीय संघ और जापान 2019 में एक समान अवसर के आधार पर कार्यों का समन्वय करने हेतु स्थायी कनेक्टिविटी और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे पर साझेदारी को सहमत हुए थे। ‘यूरोपीय संघ– भारत रोडमैप टू 2025’ इस बात पर जोर देता है कि ‘ अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, वित्तीय और पर्यावरणीय स्थिरता के सिद्धांतों, पारदर्शिता और समावेशिता’ के अनुरूप कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने चाहिए।[20] इसलिए, यूरोपीय संघ यूरोप और हिंद–प्रशांत के बीच कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के सहयोग की संभावना का पता लगाने को इच्छुक है।
रणनीति में एक अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र का उल्लेख किया गया है, यह क्षेत्र है– समुद्री सुरक्षा का। रणनीति दस्तावेज हिंद महासागर को प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में दर्शाता है और प्रमुख एसएलओसी (SLOC’S), क्षमता–निर्माण और इलाके में नौसेना की उपस्थिति को सुरक्षित करने के लिए क्षेत्रीय भागीदारों के सहयोग से आम चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता की बात करता है। महासागर यूरोप के लिए हिंद–प्रशांत बाज़ारों से आने– जाने का प्रमुख मार्ग है। भौगोलिक दूरी के बावजूद, यूरोप के लिए इस महासागर का आर्थिक और सामरिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह स्वेज़ नहर के रास्ते एशिया– प्रशात बाज़ार से यूरोप पहुँचने का प्राथमिक प्रवेश द्वार का काम करता है। रणनीति में अनेक गैर–परंपरागत चुनौतियों से निपटने और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हिंद–प्रशांत साझीदारों की क्षमता को बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ के सदस्य देशों द्वारा नौसेना को तैनात करने की आवश्यकता को भी दुहराया गया है।[21]
रणनीति के साथ, यूरोपीय संघ ने पूरे विश्व के समाज, अर्थव्यवस्थाओं और आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को परखने वाले कोविड 19 महामारी से उबरने में अपने साझीदारों का सहयोग करने की प्रतिबद्धता को भी दुहराया। यह भविष्य में इस प्रकार की चुनौतियों से निपटने हेतु संबंधों, बहुपक्षीय सहयोगों, लचीले आपूर्ति श्रृंखला और चिकित्सीय तैयारियों को सशक्त बनाने और विविधता लाने के लिए निर्माण में बेहतर सहयोग की आवश्यकता की भी बात करता है।
निष्कर्ष
यूरोपीय संघ के हिंद–प्रशांत रणनीति की समय पर घोषणा यूरोपीय संघ का हाल में बढ़ा रणनीतिक फोकस और क्षेत्र में यूरोप की बड़ी भूमिका की आवश्यकता दर्शाती है। रणनीति इस क्षेत्र को यूरोप की सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रासंगिक मानती है। हिंद– प्रशांत में भू–राजनीतिक परिवर्तनों का यूरोप पर प्रत्यक्ष और अप्रत्क्ष प्रभाव पड़ेगा। इस रणनीति की घोषणा संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया द्वारा नई सुरक्षा त्रिपक्षीय एयूकेयूएस (AUKUS) की 15 सितंबर 2021 को हुई घोषणा के एक दिन बाद की गई। एयूकेयूएस (AUKUS) पर यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर, जोसेप बोरेल ने कहा कि, “हमें सूचित नहीं किए जाने का अफसोस है”।[22] स्पष्ट रूप से, इस क्षेत्र में बदलते समीकरणों का हिंद–प्रशांत पर यूरोप के नज़रिए और क्षेत्र में मुक्त एवं नियम–आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के सहयोग से इसकी भूमिका और संलग्नता को बढ़ाने में इसकी भूमिका का प्रभाव पड़ेगा।
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*डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में रिसर्च फेलो हैं।
अस्वीकरण: ये लेखक के विचार हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[1] EU Strategy for Cooperation in the Indo-Pacific, 19/04/2021, https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage_en/96741/EU%20Strategy%20for%20Cooperation%20in%20the%20Indo-Pacific
[2] I.bid
[3] France and the Security of Indo-Pacific, Minister for the Armed Forces, 2019, P. 2
[4] Foreign Minister Maas on the adoption of the German Government policy guidelines on the Indo-Pacific region, German Federal Foreign Office, 02.09.2020 - Press release, https://www.auswaertiges-amt.de/en/newsroom/news/maas-indo-pacific/2380474
[5] I.bid
[6] After France and Germany, the Netherlands pivot to the Indo-Pacific – Le diplomate, November 18, 2020, https://www.fr24news.com/a/2020/11/after-france-and-germany-the-netherlands-pivot-to-the-indo-pacific-le-diplomate.html
[7] Speech by Minister of State Annen at the reception of Foreign Secretary Vijay Gokhale on the occasion of the Raisina Dialogue 2020, 14.01.2020https://www.auswaertiges-amt.de/en/newsroom/news/annen-raisina/2292714
[8] Twitter, https://twitter.com/JosepBorrellF/status/1438533599628832777
[9] Twitter, https://twitter.com/JosepBorrellF/status/1438533599628832777
[10] https://eeas.europa.eu/sites/default/files/jointcommunication_2021_24_1_en.pdf
[11] Ibid no.1
[12]VEERLE NOUWENS AND GARIMA MOHAN, EUROPE EYES THE INDO-PACIFIC, BUT NOW IT’S TIME TO ACT, 24 June 2021, https://warontherocks.com/2021/06/europe-eyes-the-indo-pacific-but-now-its-time-to-act/
[13] EU-China Strategic Outlook, European Commission, 12 March 2019, https://ec.europa.eu/commission/sites/beta-political/files/communication-eu-china-a-strategic-outlook.pdf, p.1
[14]Brussels Summit Communiqué, NATO, 14 June 2021, https://www.nato.int/cps/en/natohq/news_185000.htm
[15] After Australia arms deal flop, EU launches Indo-Pacific plan, https://www.reuters.com/world/europe/after-australia-arms-deal-flop-eu-launch-indo-pacific-plan-2021-09-16/
[16] I.bid, no. 1, p. 12
[17][17] EU leaders call for end to 'naivety' in relations with China
Reuters, 22 March 2019, https://in.reuters.com/article/us-eu-china/eu-leaders-call-for-end-to-naivety-in-relations-with-china-idINKCN1R31H3
[18] Garima Mohan, ‘Europe in the Indo-Pacific: A Case for More Coordination with the Quad Countries’, January 14, 2020, Policy Brief, German Marshall Fund of the United States, https://www.gmfus.org/publications/europe-indo-pacific-case-more-coordination-quad-countries
[19] Connecting Europe and Asia - Building blocks for an EU Strategy, European Commission, 19 September 2018, https://eeas.europa.eu/sites/eeas/files/joint_communication_-_connecting_europe_and_asia_-_building_blocks_for_an_eu_strategy_2018-09-19.pdf
[20] The Partnership on Sustainable Connectivity and Quality Infrastructure between Japan And the European Union, Ministry of Foreign Affairs, Japan, 2019, https://www.mofa.go.jp/files/000521432.pdf
[21] https://eeas.europa.eu/sites/default/files/jointcommunication_2021_24_1_en.pdf
[22]Indo-Pacific: Remarks by the High Representative/Vice-President at the press conference on the Joint Communication, 16/09/2021
https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage/104215/indo-pacific-remarks-high-representativevice-president-press-conference-joint-communication_en