विल्नुस में 'ताइवानी प्रतिनिधिमंडल कार्यालय' और ताइपे में व्यापार कार्यालय की घोषणा और लिथुआनिया की सरकार द्वारा किए गए कई नीतिगत निर्णयों के बाद चीन के साथ इसके द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ा है। इन कार्यालयों के खोले जाने के बाद बीजिंग ने विल्नुस से अपना राजदूत वापस बुला लिया– पहली बार उसने यूरोपीय संघ (ईयू) के किसी भी देश से अपना राजदूत वापस बुलाया है– लिथुआनिया के साथ अपना व्यापार सीमित कर दिया है और रेल मालभाड़ा सेवाओं को कम कर दिया है। ऐसा लगता है जैसे दोनों देशों के बीच का गतिरोध बहुत विकट स्थिति में पहुँच गया है। इस शोधपत्र में उन घटनाओं के बारे में बताया गया है जिनके कारण लिथुआनिया और चीन के बीच गतिरोध हुए और स्थिति का समग्र मूल्यांकन भी किया गया है।
घटनाक्रम
राष्ट्रीय संकट आकलन (नेशनल थ्रेट असेस्मेंट)(2019) जारी किया जाना, चीन के साथ लिथुआनिया की विदेश नीति में किया जाने वाला पहला बदलाव माना जा सकता है। लिथुआनिया के खुफिया विभाग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में देश में चीन द्वारा चलाई जा रही कई गतिविधियों के बारे में बताया गया और कहा गया कि “चीन की घरेलू नीति संबंधी मुद्दे के कारण ही लिथुआनिया में चीन की खुफिया गतिविधियां हो रही हैं… नीति के तहत चीन नहीं चाहता कि लिथुआनिया तिब्बत और ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करे और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन मुद्दों को समाधान करना नहीं चाहेगा।”[i] इसी तरह, 2021 की रिपोर्ट[ii] में उन तरीकों के बारे में बताया गया है जिसमें चीन ने महामारी के दौरान लिथुआनिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार शुरु किया था।
अक्टूबर 2020 में चुनी गई नई सरकार ने चीन के प्रति कड़ा रुख अपनाया। गठबंधन ने यह कहते हुए कि "नई सरकार किसी भी प्रकार से मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का सक्रिए रूप से विरोध करेगी और, बेलारूस से ताइवान तक, विश्व में स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों की रक्षा करेगी " प्रतिज्ञा की कि नई सरकार ‘मूल्य– आधारित विदेश नीति’ अपनाएगी।[iii] इसके बाद लिथुआनिया की सरकार द्वारा चीन के प्रति अपने नीति में कई बदलाव किए गए। एक महत्वपूर्ण कदम 17+1 समूह, जिसे लिथुआनिया ने ‘विभाजनकारी' कहा था, से स्वयं को अलग करना था। लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रियलियस लैंड्सबर्गिस ने कहा कि, "हमारे नजरिए में, यूरोपीय संघ के लिए विभाजनकारी 16+1 प्रारूप से हट कर उससे कहीं अधिक कार्यकुशल और मिल कर काम करने वाले 27+1 प्रारूप में शामिल होने का यही सही समय है”, उन्होंने यह भी कहा कि “यूरोपीय संघ तब सबसे अधिक सशक्त होगा जब उसके सभी 27 सदस्य देश यूरोपीय संघ के संस्थानों के साथ मिल कर काम करेंगे”।[iv]
20 मई 2021 को लिथुआनिया सीमस (संसद) द्वारा हांगकांग में चीन के कार्यों, "मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों" और "उइगर नरसंहार" की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित कर एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया था।[v] प्रस्ताव, "चीन द्वारा बड़े पैमाने पर व्यवस्थित और मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों और मानवता के विपरीत किए गए अपराधों की कड़ी निंदा करता है।" चीन के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप घोषित करते हुए बीजिंग के दूतावास ने इस प्रस्ताव को “चीन के पक्ष की गंभीर स्थिति के साथ–साथ झिंजियांग और चीन के अन्य हिस्सों में मानवाधिकारों के संरक्षण के क्षेत्र में महान उपलब्धियों के तथ्यों की पूर्ण अवहेलना” करने वाला बताया। इसके अलावा दूतावास ने कहा कि, “सीमस के कुछ सदस्यों ने चीन के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया जो कि झूठ और दुष्प्रचार पर आधारित एक और निम्न स्तर की राजनीति है।”
मार्च 2021 में, लिथुआनिया ने एशिया में आर्थिक कूटनीति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ताइवान में एक व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की अपनी योजना की घोषणा की थी। चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया की थी और उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि बीजिंग “ताइवान क्षेत्र और लिथुआनिया समेत चीन के साथ राजनयिक संबंधों वाले देशों के बीच सभी रूपों में आधिकारिक एजेंसियों और आधिकारिक आदन– प्रदानों के खिलाफ है”, विल्नुस से आग्रह किया कि, "वह ताइवान के अलगाववादी ताकतों से फायदा न उठाए।"[vi] बीजिंग के ताइवान मामलों के राष्ट्रीय परिषद के कार्यालय ने विकास का विरोध किया और “लिथुआनिया से एक– चीन सिद्धांत का पालन करने और 'ताइवान के आजादी की मांग कर रहे लोगों को गलत संदेश न भेजने का अनुरोध किया।"[vii] ताइपे ने अपने हिस्से के लिए, जुलाई 2021 में आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने और सांस्कृतिक आदान– प्रदान को बढ़ावा देने के लिए लिथुआनिया में एक 'ताइवानी प्रतिनिधि कार्यालय', जो यूरोप में ताइवानी कहलाने वाला पहला कार्यालय है, खोलने की घोषणा की थी।
ताइवान में व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की घोषणा के परिणामस्वरूप लिथुआनिया–चीन के द्विपक्षीय संबंधों में ठहराव आ गया है। लिथुआनिया के इस कदम के जवाब में, चीने ने 10 अगस्त को विल्नुस से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और इस बाल्टिक देश से बीजिंग से अपना राजदूत वापस बुलाने को कहा। 3 सितंबर 2021 को लिथुआनिया के राजदूत चीन से वापस बुला लिए गए थे।[viii] चीन भी लिथुआनिया के साथ अपना कारोबार कम कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार[ix], हालांकि लिथुआनिया के खाद्य उत्पादक चीन को अपने उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं, बीजिंग ने बढ़ते राजनीतिक तनाव को देखते हुए अपनी मालगाड़ियों का लिथुआनिया जाना रद्द कर दिया है। देश के खाद्य और पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने यह भी गौर किया है कि चीन ने लिथुआनिया को दिए जाने वाले नए निर्यात परमिट को भी मंजूरी देने की प्रक्रिया रोक दी है।
मूल्यांकन
जून 2020[x] में हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के बीजिंग के फैसले पर दी गई सम्मति में, मंतास एडोमोनास (सीमस के पूर्व सदस्य) और गेब्रियलियस लैंड्सबर्गिस (वर्तमान विदेश मंत्री) ने लिखा कि लिथुआनिया को “एक विकल्प चुनना होगाः क्या वह अपने सबसे पुराने और सबसे विश्वसनीय सहयोगियों, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंग्डम, लोकतांत्रिक ताइवान और स्वतंत्रता चाहने वाले हांगकांग के लोगों के साथ रहना चाहेगा या अधिनायकवादी एवं हिंसक चीनी वाम शासन के साथ?” इस सम्मति में विशेष बात य़ह रही कि इसमें कम–से–कम आठ बार ताइवान के संदर्भ में “ताइवान के साथ उसके (लिथुआनिया) संबंधों को मजबूत करने और कानून द्वारा शासित एक वास्तविक स्वतंत्र लोकतांत्रिक राज्य के रूप में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी राजनीतिक मान्यता का समर्थन करने की सिफारिश” की गई थी।[xi] तब से, लिथुआनिया ने वह विकल्प बनने के लिए कई कदम उठाए हैं।
“ताइपे” की जगह “ताइवान” का प्रयोग करने के साथ प्रतिनिधि कार्यालय का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है। यह पहली बार है जब यूरोपीय संघ में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले संस्थानों में इस द्वीपीय राष्ट्र के नाम का उपयोग किया गया है। लिथुआनिया के लिए, इसके नीतिगत निर्णयों के दोहरा परिणाम हैं– पहला, भू–रणनीतिक रूप से इसने लिथुआनिया को एक ऐसे देश के रूप में सुर्खियों में ला दिया जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली देश के खिलाफ अपनी मांग पर अड़ा है। इसके अलावा, ये उपाय ऐसे समय में किए जा रहे हैं जब बीजिंग के रवैये के कारण, विशेषरूप से कोविड महामारी के बाद, यूरोपीय संघ के कई देशों में व्यापक असंतोष है। मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए यूरोपीय संघ के प्रवक्ता, नबीला मस्सराली ने कहा: “हमें चीन की कार्रवाई पर खेद है और घटनाक्रमों पर हम अपनी नज़र बनाए हुए हैं… हम ताइवान में या उसके प्रतिनिधि कार्यालय (दूतावास या वाणिज्य दूतावास के विपरीत) के खोले जाने को यूरोपीय संघ द्वारा एक चीन नीति के उल्लंघन के रूप में नहीं देखते”[xii], साथ में उन्होंने यह भी कहा कि इससे यूरोपीय संघ– चीन के संबंध भी प्रभावित होंगे। इसी प्रकार अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीनी जनवादी गणराज्य) के प्रतिरोधी व्यवहार के सामने अपने नाटो सहयोगियों और यूरोपीय संघ के साझीदार लिथुआनिया के साथ अमेरिका के मजबूत संबंधों को भी रेखांकित किया”।[xiii]
दूसरा, यदि आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, मालगाड़ी द्वारा माल की ढुलाई में कटौती और परमिट न दिए जाने से लिथुआनिया की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि चीन पर उसकी आर्थिक निर्भरता सीमित है। चीन और लिथुआनिया के बीच 2020 में कुल व्यापार लगभग 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर का था, इसमें व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में था। वर्ष 2020 में चीन से लिथुआनिया का 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर का कुल आयात और 357 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल निर्यात हुआ। लिथुआनिया के निर्यात स्थलों में चीन 20वें और आयात के मामले में 7वें स्थान पर है।[xiv] तकनीकी रूप से भी, लिथुआनिया ने देश में चीन में बने उपकरणों को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। इसने देश के 5जी नेटवर्क[xv] से हवाई को प्रतिबंधित कर दिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र लिथुआनिया के हवाईअड्डों पर चीन नियंत्रित न्यूटेक को एक्स–रे बैगेज स्कैनिंग उपकरण लगाने से रोक दिया है। चूंकि चीन लिथुआनिया के शीर्ष व्यापार साझीदारों में से एक नहीं है, इसलिए विल्नुस द्वारा की जाने वाली कार्रवाईयों का अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में इसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। इससे लिथुआनियाई अर्थव्यवस्था को एशिया में नए बाज़ारों की ओर बढ़ने में मदद मिल सकती है जिससे वह अपने आर्थिक और राजनीतिक उपस्थिति का विस्तार कर सकता है।
संक्षेप में, बीजिंग के साथ लिथुआनिया के बदले संबंधों के साथ ताइवान के साथ व्यापार संबंधों की संभावना की तलाश का इरादा किसी भी यूरोपीय संघ के देश के लिए एक असाधारण कदम है। हालांकि यूरोपीय संघ ने लिथुआनिया को शुरुआती समर्थन दिया है– लेकिन चीन के प्रति इसकी नीति की खंडित प्रकृति को देखते हुए यह समर्थन कब तक जारी रखा जा सकता है, यह देखना दिलचस्प होगा। एक और महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या यूरोपीय संघ का कोई अन्य देश इसी मार्ग का पालन करेगा। अब तक, लिथुआनिया बीजिंग के खिलाफ कदम उठाने वाला अकेला देश नज़र आ रहा है। ऐसा कितने समय तक जारी रहेगा, यह देखना अभी बाकी है।
*****
*डॉ. अंकिता दत्ता भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में रिसर्च फेलो हैं।
अस्वीकरण: ये लेखक के विचार हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[i]‘National Threat Assessment-2019’, State Security Department of the Republic of Lithuania and Defence Intelligence and Security Service Under the Ministry of National Defence https://www.vsd.lt/wp-content/uploads/2019/02/2019-Gresmes-internetui-EN.pdf, Accessed on 14 September 2021
[ii]‘National Threat Assessment-2021’, State Security Department of the Republic of Lithuania and Defence Intelligence and Security Service Under the Ministry of National Defence, https://www.vsd.lt/wp-content/uploads/2021/03/2021-EN-el_.pdf, Accessed on 14 September 2021
[iii]Reuters, 9 November 2020, https://www.reuters.com/article/us-lithuania-china-idUSKBN27P1PQ, Accessed on 14 September 2021
[iv]Politico, 21 May 2021, https://www.politico.eu/article/lithuania-pulls-out-china-17-1-bloc-eastern-central-europe-foreign-minister-gabrielius-landsbergis/, Accessed on 15 September 2021
[v]Lrt.lt, 20 May 2021, https://www.lrt.lt/en/news-in-english/19/1413940/lithuanian-parliament-passes-resolution-condemning-uighur-genocide-in-china, Accessed on 15 September 2021
[vi]ANI, 5 March 2021, https://www.aninews.in/news/world/asia/lithuania-says-it-will-open-trade-office-in-taiwan-china-hits-back20210305165255/, Accessed on 16 September 2021
[vii]‘Taiwan Affairs Office of the State Council: Oppose the development of official relations between the country that has diplomatic relations with China and the Taiwan region of China’, Taiwan Work Office of CPC Central Committee, 20 July 2021, http://www.gwytb.gov.cn/xwdt/xwfb/wyly/202107/t20210720_12367042.htm, Accessed on 16 September 2021
[viii]AP News, 3 September 2021, https://apnews.com/article/europe-china-, beijing-taiwan-lithuania-ce378b01a856b3bde0ca6f696832cfd4, Accessed on 17 September 2021
[ix]Baltic Times, 22 August 2021, https://www.baltictimes.com/beijing_stops_approving_new_permits_for_lithuanian_food_exports_to_china___service/, Accessed on 17 September 2021
[x]15min.lt, 11 June 2020, https://www.15min.lt/en/article/opinion/lithuania-it-s-time-for-choosing-530-1331612, Accessed on 20 September 2021
[xi]Ibid.
[xii]Politico, 10 August 2021, https://www.politico.eu/article/china-recalls-its-ambassador-to-lithuania/, Accessed on 20 September 2021
[xiii]Reuters, 22 August 2021, https://www.reuters.com/world/us-lends-support-lithuania-against-china-pressure-2021-08-22/, Accessed on 20 September 2021
[xiv]Lrt.lt, 15 March 2021,https://www.lrt.lt/en/news-in-english/19/1364936/can-china-punish-lithuania-over-support-for-taiwan-analysis, Accessed on 20 September 2021
[xv]Ltr.lt,25 May 2021, https://www.lrt.lt/en/news-in-english/19/1417429/lithuania-bans-unreliable-technologies-from-its-5g-network, Accessed on 15 September 2021