मई 2021 में बांग्लादेश से खबर आई कि उसके प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पिछले वर्ष 9% प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 2227 डॉलर तक पहुंच गया।1 इसने इस क्षेत्र की हर दूसरी अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया। यह निस्संदेह एक अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा ,खासकर एक ऐसी अर्थव्यवस्था के लिए जो केवल 50 वर्ष पुरानी है। इसका उल्लेख कभी-कभी एक ऐसी बड़ी आबादी वाली अर्थव्यवस्था के रूप में किया जाता है जिसका कोई महत्वपूर्ण औद्योगिक आधार नहीं है और जो हर साल प्राकृतिक आपदाओं से जूझती रहती है। फिर भी इन तमाम चुनौतियों को पार करते हुए इसने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। यह निस्संदेह बांग्लादेश के लिए खुशी की बात है। इस संबंध में यह शोध लेख कुछ ऐसे प्रमुख कारणों पर नजर डालता है जिन्होंने बांग्लादेश को यह मुकाम हासिल करने में मदद की। लेख में उन प्रमुख चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है जो बांग्लादेश के सामने आज भी मौजूद हैं।
विश्व बैंक द्वारा अप्रैल 2019 में जारी "बांग्लादेश के विकास की ताजा स्थिति: विनियामक संभावनाओं वाले भविष्य की ओर" शीर्षक वाली इस रिपोर्ट ने बांग्लादेश को दुनिया की शीर्ष पांच सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया है। रिपोर्ट में 2018-19 के दौरान बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। बांग्लादेश के पहले इस कतार में उसके दो अन्य एशियाई पड़ोसी देश भारत और भूटान हैं जिनका इसी अवधि के दौरान क्रमशः 7.5 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत की दर से विकास होने का अनुमान लगाया गया है।
2011 और 2019 की अवधि के बीच बांग्लादेश का कुल निर्यात में 8.6 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि हुई, जबकि इस दौरान वैश्विक विकास का औसत 0.4 प्रतिशत था। इस सफलता का श्रेय मुख्य रूप से रेडिमेड कपड़ों (आरएमजी), कृषि और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों को जाता है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश अमेरिका-चीन व्यापार विवाद का लाभ उठाने वाली कुछ अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जिसने अमेरिकी बाजार में 17.4 फीसदी का विस्तार किया जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में केवल 1.4 प्रतिशत की ही वृ्द्धि दर्ज की थी। बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने के लिए यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने यूएस-बांग्लादेश बिजनेस काउंसिल की शुरुआत की ताकि वहां अमेरिका के लिए व्यापार और निवेश क्षमता का पता लगाया जा सके और दोतरफा व्यापार को भी बढ़ाया जा सके।3 यूरोपीय संघ की वरीयता सामान्यीकृत योजना ने बांग्लादेश को यूरोपीय बाजार में अपने आरएमजी उत्पादों के निर्यात का विस्तार करने में काफी मदद की है।
प्रवासी बांग्लादेशियों द्वारा बड़ी मात्रा में स्वदेश पैसे भेजे जाने से भी देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ने में मदद मिलती रही है। 2021 में यह राशि 200 अरब डॉलर तक पहुंच गई थी, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार 45 अरब डॉलर का हो गया था। इन सबके साथ ढाका स्टॉक एक्सचेंज का स्थिर सूचकांक एक अतिरिक्त उपलब्धि है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक ने अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 2018-19 में इसमें 18.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2017 में उद्योग क्षेत्र में बड़े और मध्यम स्तर के विनिर्माण उद्योगों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ 10.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बिजली किसी भी तरह के औद्योगिक उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। बांग्लादेश ने इस क्षेत्र में भारी निवेश किया है। जिसने पिछले एक दशक में ऊर्जा उत्पादन में दोगुने से अधिक की वृद्धि का रास्ता प्रशस्त किया है। वर्तमान में देश में स्थापित ऊर्जा क्षमता 18275 मेगावाट है।5
बांग्लादेश की व्यापक नीतियों के चलते देश में काफी लंबे समय तक मुद्रास्फीति की दर को 5 से 5.5 प्रतिशत के बीच स्थिर रखा जा सका। पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में ग्रामीण और शहरी मुद्रास्फीति के बीच का अंतर कम होता जा रहा है। बांग्लादेश द्वारा हासिल सतत आर्थिक विकास ने उसे गरीबी को काफी हद तक कम करने में मदद की है। 1.90 डॉलर की प्रति दिन आय के हिसाब से निर्धारित अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा के आधार पर (2011 के क्रय शक्ति समानता विनिमय दर का उपयोग करते हुए) देश में गरीबी 1991 के 44 प्रतिशत से घटकर 2016 में 15 प्रतिशत रह गई।
अपनी विकास नीति के भरोसे अल्प विकसित राष्ट्र (एलडीसी) की श्रेणी से निकलने के लिए अपेक्षाकृत कम समय में सभी पूर्वनिर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने पर संयुक्त राष्ट्र विकास नीति समिति की ओर से बांग्लादेश के लिए की गई सिफारिश देश के लिए एक असाधारण उपलब्धि रही है। संयुक्त राष्ट्र विकास समिति की ओर से यह सिफारिश 2018 में की गई थी। इसके आधार पर बांग्लादेश को 2026 तक विकासशील देश की स्थिति में आ जाने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर लेने की आवश्यकता है।7
हालांकि बांग्लादेश ने कम समय में उल्लेखनीय प्रगति कर ली है लेकिन उसके समक्ष कई चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं। बांग्लादेश को बेहतर प्रदर्शन करने और अपनी पूरी क्षमता के साथ सफलता हासिल करने के लिए इन चुनौतियों से निबटने की जरूरत है। उसके रास्ते में विदेशी निवेश के लिए सही वातावरण का न होना, पर्याप्त परिवहन बुनियादी ढांचे की कमी और एक पारदर्शी नियामक व्यवस्था का अभाव भी कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं जिन्हें उसे दूर करने की आवश्यकता है। भूमि, प्राकृतिक गैस और बिजली की कमी बांग्लादेश में पूर्ण क्षमता के साथ निवेश के रास्ते में प्रमुख बाधाएं बनी हुई हैं। बिजली उत्पादन में सराहनीय प्रगति करने के बावजूद, बांग्लादेश अभी भी अपने बढ़ते उद्योगों की मांग के अनुरूप बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहा है और बिजली की कमी से जूझ रहा है।
बांग्लादेश का निर्यात एक तरह से रेडिमेड कपड़ों पर ही केन्द्रित है। यह देश की निर्यात आय में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान करता है। देश से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में विविधता लाने की तत्काल आवश्यकता है। निर्यात और आयात के बीच व्यापक अंतर के कारण भुगतान संतुलन घाटे में वृद्धि हुई है जिसका तत्काल समाधान निकालना जरूरी है। इसके अलावा एक स्थिर विनिमय दर बनाए रखना एक और महत्वपूर्ण चुनौती है। आयात पर उच्च शुल्क दरों के साथ एक सही विनिमय दर की व्यवस्था का अभाव निर्यात विरोधी पूर्वाग्रह को जन्म देती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बांग्लादेश में तेजी से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा विनिमय दर और व्यापार नीतियां अनुकूल नहीं हैं।8
महंगाई पर काबू पाना भी एक बड़ी चुनौती है। कई सारे प्रयासों के बावजूद बांग्लादेश में महंगाई दर ऊंची बनी हुई है। सकल मुद्रास्फिती दर लगभग 7 प्रतिशत पर है और इसमें तत्काल सुधार किया जाना जरूरी है।
एक विकासशील देश के रूप में परिवर्तित होने पर बांग्लादेश के समक्ष कई चुनौतियां भी आएंगी। वह आगे निर्यात में कुछ तरजीही प्रावधानों, कृषि और शिशु उद्योगों के लिए सब्सिडी और जलवायु परिवर्तन के संकट से निबटने के लिए वित्तीय सहायता जैसी सुविधाओं का पात्र नहीं रह जाएगा।
यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ने अच्छी विकास दर हासिल की है। देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों का यदि उपर चर्चा किए गए तरीकों के आधार पर समाधान किया जाता है तो मौजूदा विकास दर को स्थिर बनाए रखा जा सकेगा और आगे और अधिक तरक्की हासिल की जा सकेगी। ऐसी नीतियां तैयार की जानी चाहिए जो आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास की भी पूरक हों।
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*डॉ. राहुल नाथ चौधरी, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
संदर्भ:
1 Sharma, M. S. (June 01, 2021). Bangladesh rises to be South Asia's standout star as India, Pak fall behind. Business Standard, New Delhi Edition. Accessed on 02.06.2021
2World Bank (2019). Bangladesh Development Update: Towards Regulatory Predictability. The World Bank. Washington DC
3Basu, N. (May 28, 2021). Covid aid to India, financial help to Sri Lanka — Bangladesh is showcasing its economic rise. The Print. Accessed on 01.06.2021
4Ibid
5Choudhury, R.(2019).Bangladesh among Five Fastest Growing Economies, ISAS Brief No 649, Institute of South Asian Studies, National University of Singapore
6Ibid
7DD News (27 Feb. 2021) UN body recommends Bangladesh graduation from LDC. DD News. Available at: https://ddnews.gov.in/international/un-body-recommends-bangladesh-graduation-ldc Accessed on 10.9.21
8Raihan Selim (7 Feb., 2019). Six Macroeconomic Challenges. The Daily Star. Available at: https://www.thedailystar.net/opinion/economics/news/six-macroeconomic-challenges-1698601 Accessed on 10.9.21