अफगानिस्तान तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है और मध्य एशिया का नजदीकी क्षेत्र देश की सुरक्षा और राजनीतिक व्यवस्था के पतन से चिंतित है। अगस्त के मध्य में काबुल के अधिग्रहण के बाद से ही अफगानिस्तान में लोग तालिबान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। काबुल, हेरात और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा प्रदर्शनों की भी खबरें हैं जो अगली सरकार में शिक्षा, रोजगार के अधिकार सहित अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर हैं।1 इसके अलावा, नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान (एनआरएफ) पंजशीर इलाके में तालिबान का विरोध जारी रखे हुए है। 6 सितंबर 2021 को, तालिबान के प्रवक्ता ने काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में देश में युद्ध की समाप्ति की घोषणा की और आशा व्यक्त की कि अफगानिस्तान एक स्थिर देश बन जाएगा।2 तालिबान का दावा है कि पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ताजिकिस्तान भाग गए हैं।3 क्षेत्र में स्थिति के बारे में परस्पर विरोधी रिपोर्टें हैं क्योंकि एनआरएफ नेताओं ने लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है।4 एनआरएफ के कई प्रमुख नेता और पंजशीर क्षेत्र में एक बड़ी आबादी परम्परावादी ताजिक हैं। यह इलाका लंबे समय से तालिबान के विरोध का केंद्र रहा है।
कई अफगान सैनिक और लोग सीमावर्ती ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में शरण मांग रहे हैं। मौजूदा स्थिति में, न केवल ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान बल्कि मध्य एशिया के सभी देश अफगानिस्तान में गिरती स्थिति को लेकर चिंतित हैं, विशेष रूप से उनके क्षेत्र पर पड़ने वाले संभावित सुरक्षा और मानवीय प्रभावों को लेकर। यह पत्र अफगानिस्तान में चल रहे अप्रत्याशित घटनाक्रमों के संदर्भ में मध्य एशियाई देशों की प्रतिक्रियाओं को समझने का प्रयास करता है।
मध्य एशियाई देशों की प्रतिक्रिया
मध्य एशियाई देशों के अफगानिस्तान के लोगों के साथ जातीय संबंध हैं, जिसमें ताजिक, तुर्कमेन और उज़बेक शामिल हैं जो इसकी दक्षिणी सीमाओं पर बड़ी संख्या में रहते हैं। अफगानिस्तान में जो कुछ भी घटित हो रहा है, उसके वहीं तक सीमित रहने की संभावना कम है, बल्कि इसके छींटे मध्य एशियाई क्षेत्र तक पहुंचेंगे और वहां इसके राजनीतिक, सुरक्षा से जुड़े और मानवीय प्रभाव हो सकते हैं। दो दशक पहले अमेरिका में हुए 9/11 के हमलों के बाद, मध्य एशियाई देश तालिबान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के अभियानों और आतंकवाद का मुकाबला करने में सबसे आगे थे। कुछ मध्य एशियाई देशों ने न केवल सैन्य ठिकानों की अनुमति दी थी, बल्कि रसद आपूर्ति के लिए अपने उत्तर (उत्तरी वितरण नेटवर्क-एनडीएन) से अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए भूमि पहुंच भी प्रदान की थी।
हालांकि, इस बार अफगानिस्तान के घटनाक्रम के प्रति उनकी प्रतिक्रिया में बदलाव स्पष्ट है। अफगान समस्या और तालिबान के प्रति मध्य एशियाई देशों की धारणा दशकों से संबंधों और समायोजन के रूप में विकसित हुई है। जैसे-जैसे अफगानिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय सैन्य गठबंधन का अभियान वर्षों तक खिंचता चला गया, मध्य एशिया में बेचैनी बढ़ती गई। 2005 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), जहां मध्य एशिया के चार गणराज्य सदस्य हैं, ने इस क्षेत्र में विदेशी ताकतों के रहने की समय सीमा निर्धारित करने के लिए कहा।5 उज्बेकिस्तान ने 2005 में अमेरिकी बेस को बंद कर दिया और किर्गिस्तान ने 2014 में देश में अमेरिकी सैन्य सुविधा को बंद कर दिया। 2016 में उज्बेकिस्तान में सरकार बदली और पूर्व राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव के विपरीत, नए राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव ने अफगानिस्तान समस्या को हल करने की दिशा में एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया और तालिबान सहित अफगान हितधारकों के साथ संबंध स्थापित किये। मार्च 2018 में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था और इसकी घोषणा में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के मेल-मिलाप वाले तत्वों के बीच 'बिना किसी पूर्व शर्त के' सीधी शांति वार्ता का आह्वान किया गया था।6 मध्य एशिया के गणराज्य अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता चाहते हैं।
मानचित्र: अफगानिस्तान तथा इसके मध्य एशियाई पड़ोसी
श्रोत: www.aljazeera.com7
यद्यपि मध्य एशियाई देश आशंकित हैं लेकिन वे अफगानिस्तान में तालिबान के साथ जुड़ने के लिए तैयार लग रहे थे। अपने स्थान के कारण, अफगानिस्तान मध्य एशिया के भूमिबद्ध देशों की कनेक्टिविटी चुनौतियों पर काबू पाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जो इस क्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक विकास में बाधक बन रहा है। इस क्षेत्र से, तीन पड़ोसी देश- उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान- व्यापक दक्षिण एशियाई बाजारों तक पहुंचने के लिए अफगानिस्तान के साथ संपर्क और ऊर्जा संबंध विकसित कर रहे हैं। उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने ताशकंद को काबुल और पेशावर से जोड़ने वाली रेल लाइन के निर्माण के लिए फरवरी 2020 में एक रोडमैप पर हस्ताक्षर किए।8 जनवरी 2021 में अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए बिजली ट्रांसमिशन, फाइबर ऑप्टिक लाइन और एक रेलवे लिंक की तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया।9 तुर्कमेनिस्तान लंबे समय से लंबित तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना को आगे बढ़ाना चाहता है। फरवरी 2021 में तुर्कमेनिस्तान ने तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की, जिसने देश में 'तापी और अन्य विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन और सुरक्षा के लिए पूर्ण समर्थन' का आश्वासन दिया।10 ताजिकिस्तान और किर्गिज़ गणराज्य मध्य एशिया से दक्षिण एशिया (CASA-1000) तक मध्य एशिया-दक्षिण एशिया बिजली ट्रांसमिशन परियोजना में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के साथ शामिल हैं। क्षेत्र के देशों के लिए अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को जारी रखने के लिए अर्थव्यवस्था शायद एक प्रमुख चालक है।
अफगान के घटनाक्रमों पर मध्य एशियाई नेताओं की प्रतिक्रियाएं
गणतंत्रों की स्वतंत्रता की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपने भाषणों में और अफगानिस्तान की स्थिति पर बयानों में, मध्य एशिया के नेताओं ने इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरे का उल्लेख किया था और अपनी क्षमताओं को मजबूत करने का आह्वान किया। मध्य एशिया में अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के नेताओं ने शांति की शीघ्र स्थापना का आग्रह किया और अंतर-क्षेत्रीय संपर्क में देश की भूमिका पर जोर दिया। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव ने कहा, "हाल के दिनों में, पड़ोसी देश अफगानिस्तान में जो हो रहा है, हम सभी उसे चिंता के साथ देख रहे हैं।" उन्होंने कहा कि हम देश में 'शांति और स्थिरता की शीघ्र स्थापना' का समर्थन करते हैं और ये जरूरी है कि अफगानिस्तान में सत्ता का संक्रमण शांतिपूर्ण और राष्ट्रीय समझौते के आधार पर हो। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए मध्य और दक्षिण एशिया के बीच एक 'पुल' के रूप में काम कर सकता है।11 इससे पहले, उज्बेकिस्तान सरकार ने कहा था कि वह उज्बेकिस्तान की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए तालिबान के साथ 'दैनिक संपर्क' बनाए रख रही है।12
तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामेदोव ने 6 अगस्त 2021 को अवाज़ा के कैस्पियन सागर तट पर मध्य एशिया के राष्ट्राध्यक्षों की तीसरी सलाहकार बैठक की मेजबानी की। नेताओं ने अफगानिस्तान में युद्ध को लेकर आगाह भी किया।13 संयुक्त बयान में कहा गया है, "मध्य एशिया के राज्य भी अफगानिस्तान में सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने, इस देश के सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे की बहाली और विश्व आर्थिक संबंधों में इसकी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सभी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रयासों का समर्थन करते हैं।"14 इससे पहले, जुलाई 2021 में, अशगबत ने शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई के नेतृत्व में एक तालिबान प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की थी। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों और सीमा मुद्दों पर चर्चा की। तालिबान से कथित तौर पर तुर्कमेनिस्तान के क्षेत्र पर हमले से दूर रहने और तुर्कमेनिस्तान में शरणार्थियों के संभावित प्रवाह को 'रोकने' का आग्रह किया गया था।15
ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान के प्रति एक अलग रुख अपनाया है। वह अफगानिस्तान का एकमात्र पड़ोसी था जिसने अफगानिस्तान पर कब्जा करने से पहले तालिबान के साथ बातचीत नहीं की थी।16 25 अगस्त, 2021 को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ एक बैठक में, राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने कहा कि दुशांबे देश को चलाने में ताजिकों की 'महत्वपूर्ण भूमिका' के साथ अफगानिस्तान के सभी जातीय समूहों का अगले कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देखना चाहता है।17 उन्होंने कहा कि दुशांबे एक ऐसी सरकार को मान्यता नहीं देगा जो 'अपमान द्वारा बनाई गई है और पूरे अफगानिस्तान के लोगों के हितों की अनदेखी कर रही है, जिसमें ताजिक, उज्बेक्स और अन्य जातीय अल्पसंख्यक शामिल हैं।’18 उन्होंने कहा कि एक जनमत संग्रह में अफगानिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था को परिभाषित किया जाना चाहिए। इससे पहले, स्वतंत्रता की 30वीं वर्षगांठ पर, राष्ट्रपति ने पूर्व अफगान राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी और पूर्व अफगान रक्षा मंत्री अहमद शाह मसूद को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च पुरस्कार 'ऑर्डर ऑफ इस्मोइली सोमोनी प्रथम श्रेणी' से सम्मानित किया।19 दोनों पुरस्कार विजेता अफगानिस्तान में तालिबान के प्रबल विरोधी थे। पुरस्कार का समय महत्वपूर्ण है और संभवत: इसे काबुल में एक समावेशी सरकार की आवश्यकता को लेकर तालिबान के लिए 'एक मजबूत संदेश' के रूप में देखा जाता है।20
कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासीम-जोमार्ट टोकायव ने कहा, "अफगानिस्तान की स्थिति और वैश्विक तनाव में हो रही बढ़ोतरी ने हमारे सामने सैन्य-औद्योगिक क्षेत्र और सैन्य सिद्धांत को फिर से मजबूत करने की परिस्थिति पैदा कर दी है।" उन्होंने कहा कि "अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करना और खतरों के प्रति जवाबदेही बढ़ाना भी राष्ट्रीय महत्व की प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें बाहरी झटकों और सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।"21 इसी तरह की भावनाओं को किर्गिज़ गणराज्य के राष्ट्रपति सदिर जापरोव ने प्रतिध्वनित किया। उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान में हाल की घटनाएं... पूरी दुनिया में बड़ी चिंता का विषय हैं। हम ईमानदारी से अफगानिस्तान में आंतरिक राजनीतिक स्थिति के जल्द से जल्द स्थिरीकरण में रुचि रखते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि "अब मुख्य लक्ष्य हमारे सीमा क्षेत्रों को मजबूत करना, नियंत्रण को मजबूत करना, किर्गिज़ सेना को हथियारों और सैन्य उपकरणों के साथ फिर से लैस करना और हमारे सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को बढ़ाना है।"22
मध्य एशिया के लिए सुरक्षा के निहितार्थ
मिल रही प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट है कि मध्य एशियाई नेता एक स्थिर और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान चाहते हैं जहां आबादी के सभी वर्गों के अधिकार सुरक्षित हों। वे क्षेत्र पर सुरक्षा और मानवीय प्रभाव को लेकर भी चिंतित हैं। मध्य एशिया के देश अफगानिस्तान के घटनाक्रमों पर नज़र रखे हुए हैं और किसी भी स्थिति को लेकर सतर्क हैं। तालिबान द्वारा काबुल का अधिग्रहण मध्य एशिया में सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां लेकर आया है। संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न देशों और आतंकवादी समूहों के लड़ाके अफगानिस्तान में अब भी काम कर रहे हैं, हालांकि तालिबान ने इससे इनकार किया है। इसका अनुमान है कि विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की संख्या 8 हजार से 10 हजार के बीच है। वे मुख्य रूप से मध्य एशिया, रूसी संघ के उत्तरी काकेशस क्षेत्र, पाकिस्तान और चीन के झिंजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र से हैं।23 इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि उनमें से अधिकांश तालिबान से संबद्ध हैं, लेकिन कई अल-कायदा का भी समर्थन करते हैं। रिपोर्ट तालिबान और अल-कायदा के बीच निरंतर संबंधों को रेखांकित करती है। दाइश (आईएसआईएस/आईएसआईएल/आईएसआईएल-खोरासन) मध्य एशिया में सुरक्षा के लिए एक और बड़ा खतरा बनकर उभरा है। इस क्षेत्र से कई लोग आतंकी समूह में शामिल होने के लिए सीरिया गए थे। इस समूह की अफगानिस्तान में पकड़ है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआईएल-खोरासंत हालांकि 'कम' हो गया है, फिर भी यह 'अप्रभावित' तालिबान और अन्य आतंकवादियों को आकर्षित करने की अपनी क्षमता के साथ सक्रिय और खतरनाक बना हुआ है।
तालिबान अफगानिस्तान में अन्य देशों को नुकसान पहुंचाने और इन तत्वों को मध्य एशिया में विनाशकारी गतिविधियों को अंजाम देने से नियंत्रित करने के अपने वादे को कैसे पूरा करेगा, इसकी पड़ताल तो भविष्य में के गर्त में ही है। फिर भी, क्षेत्र के गणराज्य पहले से ही सुरक्षा स्थितियों से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने अफगान सीमाओं के पास रूस के साथ सैन्य अभ्यास किया। 10 अगस्त 2021 को संपन्न संयुक्त अभ्यास में सीमा पार से आतंकवादियों के हमले के लिए संयुक्त प्रतिक्रिया का अभ्यास किया गया।24 18-19 अगस्त 2021 को ताजिकिस्तान और चीन द्वारा ताजिक राजधानी दुशांबे के पास दो दिवसीय संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास आयोजित किया गया था।25
अफगानिस्तान से मध्य एशिया जाने वाले शरणार्थी
अफगान कई वर्षों से सुरक्षा और बेहतर आजीविका की तलाश में एशिया और यूरोप के देशों की ओर पलायन कर रहे हैं। भाषाई और जातीय समानता के बावजूद मध्य एशिया के पड़ोसी देश उनके गंतव्य के रूप में शायद ही कभी पसंदीदा विकल्प रहे हों।26 जैसे ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए सैन्य आक्रमण शुरू किया, अफगान सुरक्षा बलों में से कई सुरक्षा की तलाश में पड़ोसी मध्य एशियाई देशों में चले गए। लगभग 5,000 अफगान सैनिक जो ताजिकिस्तान को पार कर गए थे, उन्हें बाद में वापस अफगानिस्तान भेज दिया गया।27
प्रमुख अफगान शख्सियत अब्दुल रशीद दोस्तम और अता मुहम्मद नूर भी कथित तौर पर अपने लड़ाकों और परिवार के सदस्यों के साथ उज्बेकिस्तान भाग गए हैं।28 वे 580 से अधिक अफगान सैनिक 22 सैन्य विमानों और 24 हेलीकॉप्टरों के साथ उज्बेकिस्तान भाग गए, जबकि कई पैदल ही सीमा पार कर गए।29 ऐसी खबरें थीं कि 16 अगस्त 2021 को उज़्बेकिस्तान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान के एक सैन्य विमान को अपने हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए मार गिराया गया था, हालांकि इसके पायलट बच गए थे।30 तालिबान के साथ समझौते और शरणार्थियों के अनुरोध के तहत उज्बेकिस्तान ने 150 अफगान शरणार्थियों को वापस अफगानिस्तान भेज दिया है।31
तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान भी अफगानिस्तान से विदेशी नागरिकों को निकालने में अमेरिका और यूरोप सहित अन्य देशों के साथ समन्वय कर रहे हैं।32 इन देशों के पास अफगानिस्तान से बड़ी संख्या में शरणार्थियों की मेजबानी करने की न तो क्षमता है और न ही इच्छा। तजाकिस्तान के आंतरिक मंत्री रमज़ोन रहीमज़ोदा ने बुनियादी ढांचे की कमी का हवाला देते हुए कहा कि उनका देश अफगानिस्तान से शरणार्थियों की मेजबानी करने में असमर्थ है। उन्होंने इस तरह के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सहायता मांगी।33 इसके अलावा, बड़ी संख्या में अफगान शरणार्थियों की मेजबानी करना काबुल में तालिबान के साथ क्षेत्र के संबंधों को जटिल बना सकता है।34 अफगान सैनिकों और विमानों की वापसी अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बन सकता है। तालिबान पहले ही उन्हें देश वापस लाने की मांग कर चुका है। उज्बेकिस्तान ने अमेरिका से पायलटों को तीसरे देश में ले जाने का आग्रह किया है ताकि तालिबान के साथ उसकी बातचीत अप्रभावित रहे।35
मध्य एशियाई अर्थव्यवस्थाएं भी वैश्विक आर्थिक मंदी, हाइड्रोकार्बन ऊर्जा की कम कीमतों और कोविड-19 प्रभाव के कारण पहले से ही तनावग्रस्त हैं। वे शरणार्थियों की आमद को मुश्किल से सहन कर सकते हैं। राजनीतिक और आर्थिक ज़रूरतों के अलावा, मध्य एशियाई देश सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं क्योंकि बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने से वे कट्टरवाद और उग्रवाद के खतरों के संपर्क में आ सकते हैं। 20 अगस्त 2021 को क्रेमलिनन में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान से 'आतंकवादियों' के 'शरणार्थियों की आड़ में' पड़ोसी देशों में प्रवेश करने से रोकने के महत्व का भी उल्लेख किया था।36
निष्कर्ष
ऐसा प्रतीत होता है कि ज्यादातर मानवीय, आर्थिक और कनेक्टिविटी के विचारों से प्रेरित, मध्य एशियाई देशों के अफगानिस्तान के साथ अपने जुड़ाव को जारी रखने की उम्मीद है। उनकी दक्षिणी सीमाओं पर कई वर्षों से अस्थिरता है और ये देश काफी हद तक इससे निपटने में सक्षम हैं। वे अपनी सीमाओं को किसी भी घटना और फैलाव से बचाने के लिए सुरक्षात्मक और अन्य उपाय करते रहे हैं। हालांकि, अफगानिस्तान में बिना किसी सरकार के मौजूदा घटनाक्रम उनके लिए बहुत चिंता का विषय है। वैसे तो मध्य एशियाई देशों के अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की संभावना नहीं है, फिर भी वे एक समावेशी सरकार, चरमपंथी तत्वों और अफगानिस्तान में नशीले पदार्थों के उत्पादन और व्यापार पर सख्त नियंत्रण पर जोर देंगे। यह बताया गया है कि तालिबान के रैंकों में मध्य एशियाई देशों के जातीय सदस्य हैं। अफगानिस्तान में उनका बसना या प्रत्यावर्तन अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों की भविष्य की सरकार के बीच एक प्रमुख अड़चन बन सकता है। यह देखना होगा कि तालिबान इन तत्वों को नियंत्रण में कैसे रख पाता है। वर्तमान अफगान संकट ने एक बार फिर मध्य एशिया में अपनी सीमाओं पर आपातकालीन स्थितियों से संयुक्त रूप से निपटने के लिए एक क्षेत्रीय ढांचे की आवश्यकता को उजागर किया है। मध्य एशिया के देश प्रतीक्षा करने और नज़र रखने के मूड में हैं और वे तालिबान द्वारा किए गए कार्यों और निर्णयों के अनुसार अपनी प्रतिक्रियाएँ तैयार करेंगे।
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*डॉ. अतहर ज़फर, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
संदर्भ:
[1] آمنه حکیمی،, "اعتراض خبرنگاران و فعالان مدنی در کابل به خشونت گرایید." 5 September 2021, Tolo News, https://tolonews.com/fa/afghanistan-174508
2 Tolo News, “ذبیح الله مجاهد از ختم جنگ در کشور خبر داد,” 6 September 2021, https://tolonews.com/fa/afghanistan-174531
3 ANI, "Amrullah Saleh fled to Tajikistan, according to Taliban," 6 September 2021,
4 Meenakshi Ray, “Taliban claim Panjshir captured, resistance forces vow to carry on fighting,” Hindustan Times, 6 September 2021, https://www.hindustantimes.com/world-news/taliban-claim-panjshir-captured-resistance-forces-vow-to-carry-on-fighting-101630903029859.html
5 Shanghai Cooperation Organization, "DECLARATION by the Heads of the Member States of the Shanghai Cooperation Organization," 5 July 2005, Astana, file:///C:/Users/Athar/Downloads/Declaration_by_the_heads_of_the_member_states_of_the_SCO.pdf
6 Government of Uzbekistan, "The Permanent Mission of the Republic of Uzbekistan to the United Nations," The Permanent Mission of the Republic of Uzbekistan to the United Nations, 30 March 2018, https://www.un.int/uzbekistan/news/declaration-tashkent-conference-afghanistan-peace-process-security-cooperation-regional
8 Railway Technology, “Pakistan, Afghanistan and Uzbekistan sign roadmap for rail project,” 5 February 2021, https://www.railway-technology.com/news/pakistan-afghanistan-uzbekistan-rail-project/
9 Shadi Khan Saif, “Afghanistan, Turkmenistan launch connectivity projects,” Anadolu Agency, 14 Janurary 2021, https://www.aa.com.tr/en/asia-pacific/afghanistan-turkmenistan-launch-connectivity-projects/2109837
10 Ministry of Foreign Affairs of Turkmenistan, “THE MEETING WITH THE DELEGATION OF POLITICAL OFFICE OF TALIBAN MOVEMENT WAS HELD IN THE MFA OF TURKMENISTAN,” 6 February 2021, https://www.mfa.gov.tm/en/news/2470
11 kun.uz, “Shavkat Mirziyoyev speaks about relations with Afghanistan,” 31 August 2021, https://kun.uz/en/news/2021/08/31/shavkat-mirziyoyev-speaks-about-relations-with-afghanistan
12 Reporting by Mukhammadsharif Mamatkulov Writing by Olzhas Auyezov Editing by Mark Heinrich, “Uzbek leader says in daily contact with Taliban to ensure security,” Reuters, 27 August 2021, https://www.reuters.com/world/uzbek-leader-says-daily-contact-with-taliban-ensure-security-2021-08-27/
13 France 24, "Central Asian leaders warn on Afghan chaos as Taliban advances," 6 August 2021, https://www.france24.com/en/live-news/20210806-central-asian-leaders-warn-on-afghan-chaos-as-taliban-advances
14 Nebit-Gaz, “Taliban is interested in the implementation of the TAPI gas pipeline and other infrastructure projects in Afghanistan, -representative,” 20 August 2021, https://www.oilgas.gov.tm/en/posts/news/2750/taliban-is-interested-in-the-implementation-of-the-tapi-gas-pipeline-and-other-infrastructure-projects-in-afghanistan-representative
15 Pajhwok Monitor, " Taliban delegation meets Turkmen officials in Ashgabat," 12 July 2021, https://pajhwok.com/2021/07/12/taliban-delegation-meets-turkmen-officials-in-ashgabat/
16 Bruce Pannier & Muhammad Tahir, " Majlis Podcast: Tajikistan Takes A Hard Line On The Taliban," Radio Free Europe Radio Liberty, https://www.rferl.org/a/majlis-podcast-tajikistan-taliban/31433669.html
17 Asia-Plus, "President Rahmon calls for formation of inclusive government in Afghanistan," 26 August 2021,
18Asia-Plus, "President Rahmon calls for formation of inclusive government in Afghanistan," 26 August 2021,
19 ibid
20 Dipanjan Roy Chaudhury, “In a message to Taliban, Tajikistan honours Ahmed Shah Massoud,” The Economic Times, 4 September 2021, https://economictimes.indiatimes.com/news/international/world-news/in-a-message-to-taliban-tajikistan-honours-ahmed-shah-massoud/articleshow/85916501.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst
21 The Astana Times, “Unity Of The People And Systemic Reforms Are A Solid Foundation For The Nation’s Prosperity,” 6 September 2021, https://astanatimes.com/2021/09/unity-of-the-people-and-systemic-reforms-are-a-solid-foundation-for-the-nations-prosperity/
22 Baktygul Osmonalieva, “Situation in Afghanistan to entail strengthening of Kyrgyzstan’s borders,” 30 August 2021, https://24.kg/english/205569_Situation_in_Afghanistan_to_entail_strengthening_of_Kyrgyzstans_borders_/
23 UN Security Council, " Letter dated 20 May 2021 from the Chair of the Security Council Committee established pursuant to resolution 1988 (2011) addressed to the President of the Security Council," 1 June 2021, https://www.undocs.org/pdf?symbol=en/S/2021/486
24 Radio Free Europe/Radio Liberty, "Russia Wraps Up Drills With Uzbek And Tajik Troops Near Afghan Border," 11 August 2021, https://www.rferl.org/a/russia-tajikistan-uzbekistan-military-drills-afghanistan-/31403841.html
25 Yang Zekun, “China, Tajikistan complete two-day anti-terrorism drill,” 19 August 2021, https://www.chinadaily.com.cn/a/202108/19/WS611e5956a310efa1bd669e83.html
26 Temur Umarov, “Do the Taliban Pose a Threat to Stability in Central Asia?,” Carnegie Moscow Center, 3 September 2021, https://carnegiemoscow.org/commentary/85271
27 Radio Free Europe Radio Liberty, "Interior Minister Says Tajikistan Unable To Host Many Afghan Refugees," 2 September 2021, https://www.rferl.org/a/tajikistan-no-refugees-afghanistan/31440251.html
28 Ummid.com, " Abdul Rashid Dostum, Atta Muhammad Noor flee to Uzbekistan," 15 August 2021, https://ummid.com/news/2021/august/15.08.2021/abdul-rashid-dostum-atta-muhammad-noor-flee-to-uzbekistan.html
29 The Economic Times, "Uzbekistan says hundreds of Afghan soldiers flee over border with dozens of aircraft," 16 August 2021. https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/uzbekistan-says-hundreds-of-afghan-soldiers-flee-over-border-with-dozens-of-aircraft/articleshow/85376488.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst
30 Reporting by Andrey Ostroukh; writing by Tom Balmforth; Editing by Hugh Lawson, "Afghan military jet was shot down by Uzbek air defences – RIA," Reuters, 16 August 2021, https://www.reuters.com/world/asia-pacific/afghan-military-jet-was-shot-down-by-uzbek-air-defences-ria-2021-08-16/
31 Radio Free Europe Radio Liberty, "Interior Minister Says Tajikistan Unable To Host Many Afghan Refugees," 2 September 2021, https://www.rferl.org/a/tajikistan-no-refugees-afghanistan/31440251.html
32 Catherine Putz, " Uzbekistan and Tajikistan Hedge on Afghan Refugees," The Diplomat, 31 August 2021, https://thediplomat.com/2021/08/uzbekistan-and-tajikistan-hedge-on-afghan-refugees/
33 Radio Free Europe Radio Liberty, "Interior Minister Says Tajikistan Unable To Host Many Afghan Refugees," 2 September 2021, https://www.rferl.org/a/tajikistan-no-refugees-afghanistan/31440251.html
34 Catherine Putz, " Uzbekistan and Tajikistan Hedge on Afghan Refugees," The Diplomat, 31 August 2021, https://thediplomat.com/2021/08/uzbekistan-and-tajikistan-hedge-on-afghan-refugees/
35 Siobhan Hughes & Jessica Donati, " Uzbekistan Warns U.S. That Afghan Pilots and Their Families Can’t Stay," The Wall Street Journal, 30 August 2021, https://www.wsj.com/articles/uzbekistan-warns-u-s-that-afghan-pilots-and-their-families-cant-stay-11630315800
36 NDTV, “Vladimir Putin Says World Must Prevent "Collapse" Of Afghanistan,” 20 August 2021, https://www.ndtv.com/world-news/vladimir-putin-says-world-must-prevent-collapse-of-afghanistan-2515185