भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विदेश और रक्षा मंत्रियों के स्तर की आरंभिक टू प्लस टू वार्ता 11 सितंबर 2021 को नई दिल्ली में आयोजित की गई।इस अवसर पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्च स्तरीय वार्ता के लिए भारत दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने और रक्षा मंत्री पीटर डटन से मुलाकात की।यह बैठक जून 2020 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच वर्चुअल माध्यम से आयोजित द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के इन देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर बनी सहमति के परिप्रेक्ष्य में आयोजित की गई थी।1 दोनों देशों के बीच रणनीतिक और रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित इस आरंभिक बैठक में पारस्परिक हित से जुड़े कई सारे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई।2
सामरिक महत्व वाले अपने क्षेत्र के भागीदार देशों के साथ ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत, इंडोनेशिया, कोरिया गणराज्य और अमेरिका की संयुक्त यात्रा की घोषणा करते हुए श्री पायने ने कहा था कि "ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंध ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गए हैं क्योंकि हम आपस में मिलकर सकारात्मक क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का काम करते हैं।3
दोनों देशों के बीच यह टू प्लस टू बैठक हर दो साल में कम से कम एक बार आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इनका आयोजन एक ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है जब हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं। वार्ता के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने भारत को "हिन्द प्रशातं क्षेत्र में एक उभरती हुई बड़ी शक्ति और विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में उसके एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार के रूप में स्वीकार किया”।4
साझा समुद्री भौगोलिक क्षेत्र और बढ़ते सुरक्षा संबंधों के साथ समुद्री सहयोग हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व के संदर्भ में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधो का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। दोनों के बीच सुरक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम हाल ही में नवंबर 2020 में अरब सागर में आयोजित 24 वें मालाबार युद्धाभ्यास में आस्ट्रेलिया का फिर से शामिल होना रहा है। यह पहली बार था जब ऑस्ट्रेलियाई नौसेना ने 2007 में आयोजित मालाबार अभ्यास के बाद अन्य क्वाड देशों की नौसेनाओं के साथ भाग लिया।क्वाड देशों के साथ ताजा मालाबार अभ्यास अगस्त 2021 में पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गुआम में आयोजित किया गया था। इसके अलावा दोनों देशों के बीच 2015 में शुरू हुए द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास गुजरते समय के साथ और गहन होते चले गए हैं।विशाखापत्तनम में आयोजित AUSINDEX-2019 अब तक का सबसे गहन युद्दाभ्यास था।यह विशेष रूप से पनडुब्बी रोधी युद्ध के तौर तरीकों पर केन्द्रित किया गया था। टू प्लस टू वार्ता से पहले ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय नौसेना के बीच द्विपक्षीय AUSINDEX समुद्री युद्धाभ्यास चौथी बार आयोजित किया गया था।ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त रक्षा परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए भारत को 2023 में अपने यहां आयोजित सबसे बड़े युद्धाभ्यास टेलिसमैन सैबरे (टीएस) में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। वर्ष 2021 में प्रशांत क्षेत्र के सात देशों के लगभग 17,000 सैन्य कर्मियों ने थल, नभ और समुद्री क्षेत्र में आयोजित ऐसे ही युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया था।5
ऑस्ट्रेलिया, हिन्द-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) पर व्यावहारिक सहयोग शुरू करने वाले पहले भागीदार देशों में से एक है। ऑस्ट्रेलिया ने 2019 में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में प्रधान मोदी नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित आईपीओआई को आगे बढ़ाने के लिए भारत के अलावा इस क्षेत्र के अन्य इच्छुक भागीदारों के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की है। अप्रैल 2021 में ऑस्ट्रेलिया ने आईपीओआई के तहत 14 लाख आस्ट्रेलियाई डॉलर के अनुदान की घोषणा की थी। इसका मकसद आईपीओआई के विभिन्न आधार स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करते हुए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आस्ट्रेलिया और भारत के साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है।जुलाई, 2021 को ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय द्वारा ऑस्ट्रेलिया-भारत हिन्द-प्रशांत सागर पहल साझेदारी (AIIPOIP) कार्यक्रम के लिए अनुदान की पहली किस्त की घोषणा "खुली, समावेशी, लचीली,समृद्ध और नियम-आधारित सागरीय व्यवस्था के लिए करीबी क्षेत्रीय भागीदारों के साथ काम करने की मजबूत प्रतिबद्धता" को दोहराते हुए की गई थी।7 गौरतलब है कि वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत रणनीति का भी स्वागत किया। दोनों देश दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में छोटे द्वीपों के लिए ऑस्ट्रेलिया की प्रशांत स्टेप-अप नीति में सहयोग करने पर भी सहमत हुए।
समुद्री क्षेत्र में जुड़ते परस्पर हित आर्थिक समृद्धि और विश्व के उन क्षेत्रों में जहां सबकी पहुंच है द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने की गुंजाइश प्रदान करते हैं।
टू प्लस टू बैठक में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और बढ़ाने पर चर्चा की गई। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण हालिया घटनाक्रम जून 2020 में पारस्परिक लॉजिस्टिक्स सपोर्ट से संबंधित बहुप्रतीक्षित समझौते पर हस्ताक्षर करना था। यह समझौता भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक दूसरे के सामरिक महत्व वाले द्वीप क्षेत्रों जैसे मलक्का जलडमरूमध्य के करीब स्थित भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और हिंद महासागर में लोम्बोक, सुंडा और मकासर जलडमरूमध्य के निकट स्थित ऑस्ट्रेलिया के कोकोस द्वीप समूह को इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान करता है।8 यह विशेष रूप से दोनों के बीच सागर क्षेत्र के प्रति जागरूकता की उनकी संयुक्त क्षमता को बढ़ाएगा।
महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बैठक में चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय था। दोनों पक्ष क्वाड फ्रेमवर्क के तहत टीकों के उत्पादन के साथ ही चिकित्सा अनुसंधान और महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति में सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।9 एक रणनीतिक साझेदारों के रूप में, ऑस्ट्रेलिया और भारत विकेन्द्रीकृत वैश्वीकरण, सुरक्षित और लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला 10तथा कोविड के बाद एक समृद्ध, खुली और स्थिर बहुपक्षीय क्षेत्रीय व्यवस्था को आकार देने की दिशा में एक साथ काम करने के इच्छुक दिखे।11
बैठक में अफगानिस्तान के ताजा हालात भी चर्चा का एक प्रमुख विषय थे। दोनों देशों ने इस क्षेत्र में नाजुक सुरक्षा स्थिति को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
अतीत में द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक प्रगति के बावजूद दोनों पक्षों में खासकर एक स्थिर क्षेत्रीय व्यवस्था के निर्माण के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के मामले को लेकर कुछ राजनीतिक दुविधा की स्थिति रही। हालाँकि कोविड महामारी दुनिया में भू-राजनीतिक समीकरणों को नया आकार दे रही है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक माहौल "में भारी उथल पुथल है"। ऐसे समय में जब कि कोविड महामारी को लेकर चीन विरोधी भावना बढ़ रही है, जापान और दक्षिण कोरिया ने अपनी कुछ कंपनियों का चीन से अपनी उत्पादन गतिविधियां स्थानांतरित करने का समर्थन किया है।दक्षिण चीन सागर में चीन की निरंतर बढ़ती सैन्य गतिविधियों ने वर्तमान में महामारी से जूझ रहे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को चिंतित कर दिया है। हाल के दिनों में ऑस्ट्रेलिया-चीन संबंधों में कई 'तनातनी के कारण' सामने आए हैं, जिनमें 5G का मुद्दा, ऑस्ट्रेलिया की घरेलू राजनीति में चीनी दखल की आलोचना तथा कोविड 19 और उसके बाद के समय में दोनों के बीच व्यापार युद्ध जैसी बातें शामिल हैं।नए बाइडेन प्रशासन के तहत अमेरिका ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी निरंतर प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। क्वाड एंड पैसिफिक डिटरेंस इनिशिएटिव (पीडीआई) के साथ सक्रियता के साथ जुड़े रहते हुए बाइडेन प्रशासन ने चीन के प्रति अपने पूर्ववर्तियों के सख्त रुख को जारी रखा है। महामारी के बाद से महत्वपूर्ण प्रगति के साक्षी बने क्वाड के नेताओं के इस महीने के अंत में वाशिंगटन में मिलने की उम्मीद है।
गतिशील भू-राजनीतिक परिदृश्य की इस पृष्ठभूमि में भारत और ऑस्ट्रेलिया अपने बढ़ते व्यापार और घनिष्ठ सुरक्षा और रक्षा सहयोग तथा अन्य समान विचारधारा वाले क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ अपने जुड़ाव के साथ क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हाल की सकारात्मक प्रगति ने यह साबित किया है कि अतीत की दुविधाओं से निकल कर अब दोनों के रणनीति हितों में काफी सामंजस्य आ गया है और वे क्षेत्रीय शक्तिसंतुलन की संरचना और'बहुपक्षवाद के लिए संभावनाओं के साथ एक स्थिर बहुध्रुवीय और पुनर्संतुलित व्यवस्था' के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। प्रारंभिक वार्ता हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के दो करीब भागीदारों के बीच आपसी समृद्धि और स्थिरता पर आधारित मुक्त, खुले और समावेशी क्षेत्र के अपने साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में कई मायनों में एक मील का पत्थर है। वार्ता का अगला दौर 2023 में आयोजित करने पर सहमति बनी है।
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*डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
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