अफगानिस्तान यूरोपीय संघ (ईयू) और उसके सदस्य देशों के लिए एक महत्वपूर्ण देश बना हुआ है, जहां पिछले दो दशकों में उन्होंने न केवल सैन्य रूप से अपनी प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है, बल्कि मानवीय सहयोग और विकास सहायता भी प्रदान की है। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा कर लेने से यूरोपीय देशों के बीच प्रवासन, देश को दी जाने वाली सहायता के भविष्य और आतंकवाद के उदय जैसी चिंताओं पर गहरी बहस हुई है। यह पत्र तालिबान के अधिग्रहण के बाद यूरोपीय देशों और यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया पर नज़र डालता है। यह यूरोप की अफगान नीति के भविष्य से जुड़ी उभरती चिंताओं का भी विश्लेषण करता है।
यूरोप से प्रतिक्रिया
यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों के नेतृत्व इस दुविधा में हैं कि अफगानिस्तान में नए शासन से कैसे निपटा जाए। तालिबान के कब्जे के बाद सुरक्षा स्थिति में तेजी से गिरावट के कारण सामने आए विभिन्न बयानों में इसे उजागर किया गया है। जर्मन विदेश मंत्री हेइको मास ने एक बयान में कहा, "क्या तालिबान को एक खलीफ़ा का शासन स्थापित करना चाहिए, वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को अलग कर लेंगे और एक राज्य के रूप में राजनयिक मान्यता प्राप्त नहीं करेंगे।"[i] इसी तरह की भावनाओं को यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी साझा किया था जब उन्होंने कहा था, "हम नहीं चाहते कि कोई भी द्विपक्षीय रूप से तालिबान को मान्यता दे।"[ii] इसके अलावा, यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि, जोसेफ बोरेल ने पहले के एक बयान में कहा था कि "यदि बल प्रयोग से सत्ता ली जाती है और एक इस्लामी अमीरात फिर से स्थापित हो जाता है, तो तालिबान को गैर-मान्यता, अलगाव, अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की कमी और अफगानिस्तान में लगातार संघर्ष तथा दीर्घ अस्थिरता जारी रहने की स्थितियों का सामना करना पड़ेगा।"[iii]
हालाँकि, जैसे-जैसे तालिबान सरकार गठन की प्रक्रिया को शुरू कर रहा है, स्थिति के प्रति यूरोपीय दृष्टिकोण और विकसित होता दिख रहा है। इस बात का अहसास हो रहा है कि उन्हें तालिबान के साथ सहयोग करने की आवश्यकता होगी। यह 17 अगस्त 2021 को उच्च प्रतिनिधि के बयान में परिलक्षित हुआ जब उन्होंने कहा कि "कोई भी सहयोग इस बात पर निर्भर करेगा कि अफगानिस्तान के नए शासक मौलिक अधिकारों का सम्मान करते हैं या नहीं"। उन्होंने कहा, "तालिबान ने युद्ध जीत लिया है, इसलिए हमें उनसे बात करनी होगी ... हम अफगान अधिकारियों से वैसे ही मिलेंगे जैसे वे हैं, तथा साथ ही साथ स्वाभाविक रूप से सतर्क बने रहेंगे।"[iv] जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने भी 25 अगस्त को बुंडेस्टाग में अपने भाषण में कहा था कि "पिछले 20 वर्षों में अफगानिस्तान में जो कुछ भी बदलाव हमने हासिल किया है, उसे यथासंभव संरक्षित करना लक्ष्य होना चाहिए",[v] और इस तरह उन्होंने पश्चिमी देशों से आग्रह किया कि तालिबान से बातचीत जारी रहनी चाहिए।
अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने और निकट भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए, यूके ने 24 अगस्त 2021 को जी7 की दूसरी बैठक बुलाई। संयुक्त बयान में जोर दिया गया कि "अफगानिस्तान को फिर कभी आतंकवाद के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनना चाहिए, न ही उसे दूसरों पर आतंकवादी हमलों के लिए जरिया होना चाहिए..... भविष्य की किसी भी अफगान सरकार को सभी अफगानों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए; कानून के शासन को बनाए रखना चाहिए; निर्बाध और बिना शर्त मानवीय पहुंच की अनुमति देनी चाहिए; तथा मानव एवं मादक पदार्थों की तस्करी का प्रभावी ढंग से मुकाबला करना चाहिए।"[vi] अफगान शरणार्थियों के संबंध में, बयान में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि जी7 देश एक समन्वित दीर्घकालिक क्षेत्रीय प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में अफगान शरणार्थियों और मेजबान समुदायों का समर्थन करने के लिए पड़ोसी देशों और क्षेत्र के अन्य देशों के साथ सहयोग करेंगे। अपने पिछले बयानों को दोहराते हुए, जी7 ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान की भविष्य की सरकार की वैधता को एक स्थिर अफगानिस्तान सुनिश्चित करने के लिए "अब अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने के लिए उठाए गए दृष्टिकोण" पर आंका जाएगा, और इस बात को दोहराया गया कि "तालिबान को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा..." [vii]
यूरोप के लिए चिंताएं
अफगानिस्तान की स्थिति ने यूरोपीय नेतृत्व के लिए कई चिंताएं और सवाल खड़े कर दिए हैं। ये अपने नागरिकों की तत्काल निकासी से लेकर सुरक्षा, प्रवास, ट्रान्साटलांटिक संबंध आदि से जुड़ी उनकी नीतियों से संबंधित दीर्घकालिक चिंताओं तक फैली हुई हैं। यूरोप के लिए कुछ चिंताएँ निम्नलिखित हैं -
अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति में कथित गिरावट के साथ अनियमित प्रवास यूरोपीय नेतृत्व के लिए मुख्य चिंता के रूप में उभरा। यूरोपीय नेताओं ने पहले ही देश से आने वाले शरणार्थियों के लिए एक योजना तैयार करने और प्रवासियों के प्रवाह से यूरोप की रक्षा करने और उसका अनुमान लगाने का आह्वान किया है। अगस्त की शुरुआत में सबसे पहले यूरोपीय संघ के छह देशों- जर्मनी, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, ग्रीस, डेनमार्क और बेल्जियम ने चिंता ज़ाहिर की थी- और उन अफगानों के निर्वासन को जारी रखने के लिए कहा था जिनके दावों को खारिज कर दिया गया था। हालांकि, 12 अगस्त को, जर्मनी और नीदरलैंड ने देश में बढ़ते संकट के कारण निर्वासन को निलंबित कर दिया।
तब से कई प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए हैं जैसे कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में निर्वासन केंद्र स्थापित करने का ऑस्ट्रिया का सुझाव[viii]; ग्रीस की तरह सीमा पर बाड़ का निर्माण और तुर्की के साथ इसकी सीमा पर 40 किमी बाड़ और निगरानी प्रणाली स्थापित करना[ix]; यूरोपीय संघ द्वारा अपने सदस्य राज्यों से सुरक्षा पाने वाले अफ़गानों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के लिए अपने प्रवेश कोटा को बढ़ाने के लिए कहना[x]। यूरोपीय संघ परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने भी "अफगानिस्तान से आने वाले प्रवासियों के समाधान के लिए गैर-यूरोपीय संघ के देशों के साथ साझेदारी" का संकेत दिया[xi]। जहाँ इस तरह की ख़बरें थीं कि यूरोपीय संघ द्वारा तुर्की से यूरोपीय संघ के मिशन में काम करने वाले अफगानों को शरण देने का अनुरोध किया गया है, तो इसके उत्तर में तुर्की सरकार ने कहा कि यूरोपीय संघ "तुर्की से तीसरे देशों की जिम्मेदारी लेने की उम्मीद नहीं कर सकता"[xii] और यह प्रवासियों के अतिरिक्त बोझ को संभाल नहीं सकता है। यूरोपीय संघ परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने जी7 बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता में इस बात पर भी जोर दिया कि यूरोपीय संघ इस क्षेत्र के देशों, विशेष रूप से ईरान, पाकिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर अफगान शरणार्थियों की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करेगा। यूरोपीय संघ उन लोगों और अन्य कमजोर अफगानों की मदद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा जो उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।[xiii] इसके अलावा, यूरोपीय संघ प्रवासियों के प्रवाह को नियंत्रण में रखने और अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
अफगानिस्तान को सहायता का भविष्य क्या होगा, यह एक अन्य प्रमुख मुद्दा है जिसे यूरोपीय संघ के नेतृत्व द्वारा संबोधित करने की आवश्यकता है। यूरोपीय संघ अफगानिस्तान को विकासात्मक और मानवीय सहायता दोनों प्रदान करता है, जबसे तालिबान ने देश पर नियंत्रण कर लिया है, इसने यूरोपीय संघ को विवश कर दिया है कि वह उस देश को अपनी वित्तीय सहायता पर पुनर्विचार करे। जहां तक विकासात्मक सहायता का सवाल है, तो 2002 से, यूरोपीय संघ ने अफगानिस्तान को लगभग 4 बिलियन यूरो प्रदान किया है, जिससे यह देश दुनिया में यूरोपीय संघ की विकास सहायता पाने वाला सबसे बड़ा लाभार्थी बन गया है। सहायता के लिए शांति, स्थिरता और लोकतंत्र जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों; सतत विकास और रोजगार; तथा बुनियादी सामाजिक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। नवंबर 2020 में, यूरोपीय संघ ने 2021-24 की अवधि के लिए अफगानिस्तान को 1.2 बिलियन यूरो आवंटित किया था[xiv]। चूंकि फंड कई शर्तों पर आकस्मिक प्रकार का है, जिसमें उसका उपयोग मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए- इसलिए यूरोपीय संघ ने स्थिति स्पष्ट होने तक (17 अगस्त को विदेश मंत्रियों की बैठक में) विकास सहायता को निलंबित कर दिया। इस बात की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि अफगानिस्तान को भविष्य में कोई भी विकासात्मक सहायता अत्यधिक पड़ताल और मानवाधिकार के सख्त प्रावधानों के साथ दी जायेगी। मानवीय सहायता के संदर्भ में, यूरोपीय संघ की योजना देश को सहायता प्रदान करना जारी रखने की है। संघ ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता के रूप में 2021 के लिए निर्धारित मौजूदा 57 मिलियन यूरो को 200 मिलियन यूरो तक बढ़ा देगा[xv]। यूरोपीय संघ 1994 से अफगानिस्तान में मानवीय कार्यों को फंड देता आ रहा है, और 1 बिलियन यूरो से अधिक प्रदान कर चुका है[xvi]। ये फंड पोषण, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा आदि जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। चूँकि मानवीय सहायता संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों[xvii] जैसे भागीदारों के माध्यम से दी जाती है, वर्तमान स्थिति को देखते हुए, सहायता को लेकर चिंता व्याप्त है।
सुरक्षा यूरोपीय नेतृत्व के लिए एक प्रमुख चिंता के रूप में उभरी है। चरमपंथी ताकतों के पनाहगाह के रूप में अफगानिस्तान के फिर से उभरने को लेकर यूरोप में आशंकाएं हैं। हालाँकि, तालिबान ने आश्वासन दिया है कि वे अफगानिस्तान को वैसा नहीं बनने देंगे- हाल में हुए हमले1 ने इस बात को दिखा दिया है कि चरमपंथी समूह नए आत्मविश्वास से लौट रहे हैं। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान अल-कायदा और अफगानिस्तान में सक्रिय इसके संबद्ध समूहों के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। उसी रिपोर्ट में इस बात को भी बताया गया है कि इराक में इस्लामिक स्टेट और लेवेंट-खोरासन (ISIL-K) अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में सक्रिय और खतरनाक बना हुआ है। चूंकि प्रवास और आतंकवाद की चुनौतियों को देखते हुए अफ़ग़ानिस्तान और बड़े क्षेत्र की स्थिरता यूरोप के लिए अनिवार्य है, इसलिए इसे कुछ बुनियादी सवालों पर गौर करने की आवश्यकता होगी जैसे कि संकट को कम करने के लिए यह क्या कर सकता है और अफगानिस्तान के प्रति एक ठोस नीति कैसे तैयार की जाए।
ट्रान्साटलांटिक गठबंधन और नाटो से संबंधित चिंताएं। जून 2021 में बाइडेन की यूरोपीय महाद्वीप की यात्रा के दौरान हासिल की गई ऊंचाई अफगानिस्तान में उभरती स्थिति के साथ कम होती दिख रही है। अफ़ग़ानिस्तान संकट ने यूरोप में महत्वपूर्ण चीजों का अहसास करा दिया है- सबसे पहले, इसने नाटो पर इसके संभावित प्रभाव और यूरोपीय नेताओं के साथ ट्रान्स अटलांटिक सहयोग से संबंधित प्रश्नों को जन्म दिया है, जो 'नाटो कैसे काम करता है' और 'ट्रान्स अटलांटिक गठबंधन में सुधार' का आह्वान करता है[xviii]। इससे कई यूरोपीय लोगों को यह विश्वास हो गया है कि वे अपने सुरक्षा हितों के लिए अकेले अमेरिका पर भरोसा नहीं कर सकते[xix], भले ही व्हाइट हाउस पर किसी की भी सत्ता हो। दूसरा, इस संकट ने अमेरिकी रणनीतिक संपदा (अमेरिकी समर्थन के बिना अपने स्वयं के नागरिकों की निकासी) के बिना इस क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा करने में नाटो की सीमाओं के साथ-साथ यूरोप की क्षमताओं को भी उजागर कर दिया है। नाटो के पूर्व महासचिव जाप डी हूप शेफर के एक बयान में इस दुविधा को उजागर किया गया था- उन्होंने कहा था कि यूरोपीय "अमेरिकी नेतृत्व के आदी हो गए हैं", यह कहते हुए कि "[उन्हें] सैन्य और राजनीतिक रूप से अपने पैरों पर खड़े होने की क्षमता विकसित करनी चाहिए, और "अफगानिस्तान में संकट यूरोप के लिए एक सबक होनी चाहिए"[xx]। हालांकि, अफगान संकट सुरक्षा और रक्षा में सामरिक स्वायत्तता के लिए यूरोप के दबाव को मजबूत कर सकता है, लेकिन वे स्वायत्तता से कार्य करने में सक्षम हों, इससे पहले यह रास्ता लंबा होगा।
निष्कर्ष
यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल ने अफगानिस्तान की स्थिति को "अफगान लोगों के लिए, पश्चिमी मूल्यों और विश्वसनीयता के लिए तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विकास के लिए एक तबाही" करार दिया है[xxi]। ऊपर वर्णित प्रतिक्रियाओं और चिंताओं से, तीन निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं -
पहला, यूरोपीय सरकारों और यूरोपीय संघ को बेहतर तरीके से तैयार होना चाहिए था। चूंकि ट्रम्प प्रशासन ने मई 2021 तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर फरवरी 2020 में ही तालिबान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे, अत: यूरोपीय देशों और संघ को सैनिकों, सहायता कर्मियों और स्थानीय अफगान सहयोगियों की वापसी के लिए एक रणनीति तैयार कर लेनी चाहिए थी। रणनीति बनाने के बजाय यूरोपीय नेता संभावित शरणार्थी संकट पर चिंतित रहे और वापसी का उनके सुरक्षा हितों पर प्रभाव का आकलन करते रहे। इसे 16 अगस्त 2021 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन ने रेखांकित किया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि यूरोप को अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों के उदय को रोकने के लिए अपने प्रयासों को मजबूत करने की आवश्यकता होगी और अनियमित प्रवास के संभावित प्रवाह के लिए तैयार रहना होगा[xxii]।
दूसरा, भविष्य की सहायता के संबंध में, ऐसा प्रतीत होता है कि यूरोप से कोई भी रियायत कुछ सामाजिक स्वतंत्रताओं, मानवाधिकारों के सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के लिए समर्थन को समाप्त करने आदि पर निर्भर करेगी। तालिबान नेतृत्व ने 17 अगस्त 2021 को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरिया के ढांचे के भीतर महिलाओं के अधिकारों का सम्मान, सभी राजनयिक मिशनों की सुरक्षा और अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं किए जाने आदि पर जोर दिया- और आश्वस्त किया कि अफगानिस्तान सभी के साथ बहुत अच्छे संबंध रखना चाहता है।[xxiii] हालांकि तालिबान ने फिलहाल सभी प्रासंगिक मुद्दों पर अपनी सहमति व्यक्त की है, लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि क्या वे इस पर अमल करेंगे। जैसा कि अफगानिस्तान में स्थिति नाजुक बनी हुई है, यूरोपीय देश इस बात को लेकर सतर्क हैं कि क्या तालिबान पर अपने वादों को निभाने के लिए भरोसा किया जा सकता है- जैसा कि जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टीफन सीबर्ट ने कहा, "हमें तालिबान और उनके आंदोलन को लेकर कोई भ्रम नहीं है।"[xxiv]
तीसरा, यह देखा जाना बाकी है कि तालिबान पर यूरोपीय नेताओं का क्या प्रभाव होगा और यदि कोई भूमिका है, तो वे क्या भूमिका निभा पाएंगे। पाकिस्तान, रूस और चीन पहले से ही देश पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए तैयार हैं, जिससे यूरोप के दांव-पेंच के लिए बहुत कम जगह बचती है। फिर भी, उम्मीद है कि तालिबान यूरोपीय संघ के साथ बातचीत करेगा। जैसा कि पहले कहा गया है, यूरोपीय संघ ने अफगानिस्तान को अधिकतम विकासात्मक और आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिसकी निरंतरता देश में आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए आवश्यक होगी। इसी तरह, यूरोपीय देशों को भी अफगानिस्तान में मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तालिबान की आवश्यकता है। फिलहाल, यूरोपीय देश केवल इंतजार कर सकते हैं और देख सकते हैं कि अफगानिस्तान में स्थितियां कैसे बदलती हैं।
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*डॉ. अंकिता दत्ता, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं न कि परिषद के।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
संदर्भ:
[i] ‘Foreign Minister Heiko Maas talks to the Stuttgarter Zeitung’, 12 August 2021, Federal Foreign Office, https://www.auswaertiges-amt.de/en/newsroom/news/maas-stuttgarter-zeitung/2476990, Accessed on 24 August 2021
[ii]Reuters, 15 August 2021, https://www.reuters.com/world/uk/countries-should-not-recognise-taliban-afghan-government-says-uks-johnson-2021-08-15/, Accessed on 24 August 2021
[iii]‘Afghanistan: Statement by the High Representative Josep Borrell on the ongoing situation’, EEAS,
Brussels, 12 August 2021 https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage/103012/afghanistan-statement-high-representative-josep-borrell-ongoing-situation_en, Accessed on 24 August 2021
[iv] ‘Afghanistan: Press remarks by the High Representative Josep Borrell after extraordinary videoconference of the EU Foreign Ministers’, EEAS, Brussels, 17 August 2021, https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage_en/103139/Afghanistan:%20Press%20remarks%20by%20the%20High%20Representative%20Josep%20Borrell%20after%20extraordinary%20videoconference%20of%20the%20EU%20Foreign%20Ministers, Accessed on 24 August 2021
[v]DW, 25 August 2021, https://www.dw.com/en/merkel-kabul-evacuations-will-end-in-a-few-days/a-58976708, Accessed on 25 August 2021
[vi]‘G7 Leaders Statement on Afghanistan’, Government of UK, 24 August 2021, https://www.gov.uk/government/news/g7-leaders-statement-on-afghanistan-24-august-2021, Accessed on 25 August 2021
[vii] Ibid.
[viii]Reuters, 16 August 2021, https://www.reuters.com/world/asia-pacific/austria-calls-deportation-centres-host-afghans-near-afghanistan-2021-08-16/, Accessed on 28 August 2021
[ix]BBC, 23 August 2021, https://www.bbc.com/news/world-europe-58289893?utm_source=dailybrief&utm_medium=email&utm_campaign=DailyBrief2021Aug23&utm_term=DailyNewsBrief, Accessed on 25 August 2021
[x]Reuters, 19 August 2021, https://www.reuters.com/world/europe/will-afghan-crisis-trigger-new-refugee-crisis-europe-2021-08-19/, Accessed on 25 August 2021
[xi]Politico, 21 August 2021, https://www.politico.eu/article/eu-to-call-on-g7-for-global-effort-to-take-afghan-refugees-taliban-afghanistan/, Accessed on 26 August 2021
[xii]Middle East Eye, 22 August 2021, https://www.middleeasteye.net/news/afghanistan-turkeys-erdogan-rejects-eu-request-take-fleeing-afghan-refugees, Accessed on 26 August 2021
[xiii] ‘Remarks by President Charles Michel following the G7 leaders’ meeting on Afghanistan’, European Council, 24 August 2021, https://www.consilium.europa.eu/en/press/press-releases/2021/08/24/remarks-by-president-charles-michel-following-the-g7-leaders-meeting-on-afghanistan-via-videoconference/, Accessed on 25 August 2021
[xiv]Reuters, 24 November 2020, https://www.reuters.com/article/uk-afghanistan-un-eu-pledge-idUKKBN28413B
[xv] Ursula Von der Leyen, Twitter, https://twitter.com/vonderleyen/status/1430079966419505169, Accessed on 26 August 2021
[xvi]‘European Civil Protection and Humanitarian Aid Operations - Afghanistan’, European Commission, https://ec.europa.eu/echo/where/asia-and-pacific/afghanistan_en, Accessed on 26 August 2021
[xvii]Politico, 20 August 2021, https://www.politico.eu/newsletter/brussels-playbook/brussels-playbook-murderous-and-media-savvy-afghanistan-damage-control-eu-border-fears/?utm_source=POLITICO.EU&utm_campaign=5637600182-EMAIL_CAMPAIGN_2021_08_20_04_59&utm_medium=email&utm_term=0_10959edeb5-5637600182-189693537, Accessed on 27 August 2021
[xviii] Debate on Afghanistan, UK Parliament, 18 August 2021https://hansard.parliament.uk/commons/2021-08-18/debates/A86142BD-A204-4BC8-BBC0-ACA7BAD7E9F0/Afghanistan#contribution-F1E9749C-6C93-4ABC-BEDD-33CD29B62CC5; ‘G7/NATO – Press Briefing, 10 June 2021, Elysee, https://www.diplomatie.gouv.fr/en/french-foreign-policy/news/2021/article/g7-nato-president-emmanuel-macron-press-briefing-elysee-palace-10-jun-2021, Accessed on 27 August 2021
[xix] Ivan Krastev and Mark Leonard, “The Crisis of American Power: How Europeans See Biden’s America”, Policy Brief, ECFR, January 2021, https://ecfr.eu/wp-content/uploads/The-crisis-of-American-power-How-Europeans-see-Bidens-America.pdf, Accessed on 27 August 2021
[xx]The New York Times, 23 August 2021, https://www.nytimes.com/2021/08/23/world/europe/afghanistan-europe-nato-biden.html, Accessed on 28 August 2021
[xxi]Reuters, 19 August 2021, https://www.reuters.com/world/asia-pacific/eus-borrell-brands-afghanistan-events-a-catastrophe-nightmare-2021-08-19/, Accessed on 28 August 2021
[xxii]Speech by President Emmanuel Macron on the Situation in Afghanistan, 16 August 2021, Elysee, https://www.elysee.fr/en/emmanuel-macron/2021/08/16/speech-by-president-emmanuel-macron-on-the-situation-in-afghanistan, Accessed on 28 August 2021
[xxiii]Al Jazeera, 17 August 2021, https://www.aljazeera.com/news/2021/8/17/transcript-of-talibans-first-press-conference-in-kabul, Accessed on 28 August 2021
[xxiv]France24, 17 August 2021, https://www.france24.com/en/europe/20210817-we-do-not-have-any-illusions-europe-seeks-united-response-to-taliban-takeover, Accessed on 30 August 2021