हाल के वर्षों में क्वाड का पुनरुत्थान[i] हुआ है, और इसमें क्षेत्रीय भू-राजनीति की ऐसी झलक देखने को मिलती है, जो इसके सदस्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चाहते हैं: लचीला साझेदारी के ज़रिए शक्ति संतुलन की बहाली। क्वाड के भीतर गतिशीलता में सबसे बड़ी बाधा इंडो-पैसिफिक में चीन के असममित विस्तार को पुनर्संतुलित करने हेतु सभी देशों का एक साथ आना है। हालांकि, इस एजेंडे पर समूह के सदस्यों ने स्वीकार किया है कि क्वाड किसी देश के खिलाफ नहीं है,[ii]जो दर्शाता है कि राज्यों को साझेदारी, मित्रता, गठबंधन बनाने और प्रतिस्पर्धा में शामिल होने का अधिकार है। फिर भी, चीन एक ऐसा बेंचमार्क बना हुआ है जिसके खिलाफ क्वाड की प्रभावशीलता को मापा जा सकता है। जैसे, क्वाड के भीतर चीन के खिलाफ मुद्दों पर कठोर रुख हर एक सदस्य देशों की क्वाड और उसके एजेंडे के प्रति प्रतिबद्धता का आकलन करने का एक मजबूत आधार बना हुआ है। इसी मीट्रिक के भीतर, अमेरिका ने चीन के खिलाफ कड़ा विरोधी कदम उठाया और कड़े रुख की अगुवाई की है, जबकि भारत को अमूमन क्वाड की सबसे कमजोर कड़ी माना जाता रहा है।[iii] हालाँकि, इस सोच में, क्वाड देशों के धीरे-धीरे बदलते रुख के मद्देनजर बदलाव आ सकता है, विशेष रूप से महामारी की शुरूआत के बाद से चीन के सदस्य देशों की तीखी स्थिति के ज़रिए। चीन की प्रतिस्पर्धा की बढ़ती क्षमता,[iv]अमेरिका के साथ कम होता शक्ति का अंतर, ऑस्ट्रेलिया के साथ बढ़ती शत्रुता,[v]जापान से खतरे की धारणा,[vi]भारत के साथ जारी सीमा संघर्ष[vii] और कोरोनावायरस के फैलने की जवाबदेही तय करने हेतु सर्वसम्मत वैश्विक आह्वान से क्वाड के लक्ष्यों में तेजी आई है और समूह के एजेंडा के स्पेक्ट्रम व्यापक हुआ है। इस सबकी वजह से, महामारी की शुरूआत के बाद से ही क्वाड मजबूत हुआ है।
विगत कुछ वर्षों में क्वाड के विकास ने चीन को संतुलित करने के क्वाड के स्पष्ट उद्देश्य को और स्पष्ट किया है। क्वाड के भीतर विभिन्न द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय तंत्रों के रूप में इंट्रा-मेंबर उप-समूहों के बढ़ते चैनलों ने क्वाड सदस्यों के बीच साझेदारी को और मजबूती दी है। क्वाड के भीतर द्विपक्षीय बैठकों के अलावा, भारत-जापान-अमेरिका; जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत; यूएस-जापान-ऑस्ट्रेलिया इंफ्रास्ट्रक्चर त्रिपक्षीय; आदि जैसे समूह के मजबूत त्रिपक्षीय तंत्र ने क्वाड सर्वसम्मति को मजबूत करने और बढ़ाने का मजबूत आधार प्रदान किया है। उदाहरण के लिए, समूह के एजेंडे से जुड़े रहने हेतु क्वाड के बाहर भी समान विचारधारा वाले भागीदारों के लिए रास्ता बनाने का प्रयास है। भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों द्वारा लंदन में पहली त्रिपक्षीय बैठक,[viii]समूह के बाहर क्वाड की लोकतांत्रिक सहमति को व्यापक बनाने के प्रयास का संकेत है। इसके अलावा, मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी की वजह से सहयोग की जरूरत ने कच्चे माल, महत्वपूर्ण उपकरणों, वैक्सीन निर्माण हेतु अग्रणी वैज्ञानिक सहयोग और देशों के बीच लोगों की गतिशीलता बहाल करने हेतु देशों के बीच राजनयिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में यह जरुरी हो गया है कि राजनयिक, राजनीतिक और व्यापारिक परस्पर निर्भरता को सुनिश्चित किया जाए और पूर्वानुमेय चैनलों को मजबूत रखा जाए। ये वो क्षेत्र हैं जिसमें क्वाड देशों ने विशेष रूप से महामारी के दौरान इंट्रा-ग्रुप एकजुटता और लचीलापन को दर्शाया है। अमेरिका की अगुवाई में, क्वाड सदस्यों ने महामारी के दौरान इंट्रा-ग्रुप साझेदारी को बढ़ाने की दिशा में एक नया जोश दिखाया है, और अब क्वाड सदस्यों के बीच सहयोग अबतक के सबसे व्यापक स्तर पर है। आकलन से यह भी विश्वास होता है कि महामारी के दौरान क्वाड को एक नया 'मिशन (उद्देश्य)' मिल सकता है।[ix]
केंद्रीयता की पुनःप्राप्ति
क्वाड अब समूह के सभी चार सदस्यों और इंडो-पैसिफिक में उनकी क्षेत्रीय नीतियों का केंद्र है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बाइडेन प्रशासन द्वारा क्वाड देशों के साथ जल्द भागीदारी से मालूम होता है कि क्वाड अमेरिका की एशिया नीति का एक केंद्रीय हिस्सा है। अफ़ग़ानिस्तान से सेना की वापसी से, अमेरिका के पास अब अपनी इंडो-पैसिफिक नीति पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ चीन से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने हेतु क्षेत्र के अन्य क्वाड सदस्यों के हितों की पूर्ति का रणनीतिक कारण भी हैं। अमेरिका की इंडो-पैसिफिक नीति को पूर्व प्रशासन द्वारा दी गई गति जारी रखने की बिडेन प्रशासन की इच्छा भी रणनीतिक नज़रिए से अमेरिका के लिए इंडो-पैसिफिक के महत्व को दर्शाती है।
क्वाड के अन्य सदस्यों के लिए भी, समूह अधिक महत्वपूर्ण बन गया है। महामारी के दौरान, चीन के साथ क्वाड सदस्यों के संबंधों में एक व्यापक और सामान्य प्रवृत्ति उभरी, यह प्रवृत्ति है बीजिंग के साथ उनके संबंधों का बिगड़ना। चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के जटिल संबंध, दोनों पक्षों के जवाबी कदमों की वजह से हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2017 के बाद से तेजी से बिगड़े हैं, और महामारी की शुरूआत के बाद से ही खराब हुए हैं।[x]2018 में, ऑस्ट्रेलिया ने चीनी कंपनी हुआवेई को अपने 5जी नेटवर्क से ब्लॉक कर दिया था। हाल ही में, दोनों देशों के बीच 'चीन-ऑस्ट्रेलिया सामरिक आर्थिक वार्ता' नामक ढांचे के तहत सभी गतिविधियों के निलंबन में कई कदम उठाये गए।[xi] जब से महामारी शुरू हुई है, ऑस्ट्रेलिया ने चीन की ओर इशारा करते हुए कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच की मांगकी है, जिसकी वजह से शराब, कोयला और जौ जैसे ऑस्ट्रेलियाई निर्यात पर चीन ने व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिया।[xii] जापान को भी अप्रैल 2020 में शी जिनपिंग की जापान की बहुप्रतीक्षित यात्रा को स्थगित करना पड़ा।[xiii] चीन और जापान के बीच के संबंध ऐतिहासिक रहे हैं, लेकिन विशेष रूप से 2008 के बाद से चीन ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागरों में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। चीन द्वारा इस साल 20वीं बार जापान नियंत्रित जल क्षेत्र में प्रवेश करने के साथ सेनकाकू द्वीप समूह को लेकर चीन और जापान के बीच तनाव जारी है।[xiv] जापान की व्यापार और आपूर्ति लाइनों में महामारी की वजह से आए व्यवधान से इसकी वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिससे जापान अब अपने उत्पादन को चीन के बाहर तीसरे देशों में स्थानांतरित करने हेतु 23.5 बिलियन येन की योजना तैयार की है।[xv]
भारत के लिए, जिसे क्वाड की सबसे कमजोर कड़ी माना जाता है, मार्च 2020 के बाद जब उसे महामारी की वजह से देशव्यापी तालाबंदी को मजबूर होना पड़ा, उसी दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रमण का सामना भी करना पड़ा। एलएसी पर तनाव के बावजूद भारत ने वायरस फैलने की जवाबदेही को लेकर चीन पर उंगली उठाने से परहेज किया। हालाँकि, 15-16 जून, 20202 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई घातक झड़प के बाद से अबतक चीन के गुस्से को भड़काने से बच रहा भारत अधिक मुखर हो गया। क्वाड को मजबूत करने हेतु भारत पहले से ही कई कदम उठा रहा था, उदाहरण के लिए, क्वाड की बैठकों को मंत्रिस्तरीय स्तर तक बढ़ाना और ऑस्ट्रेलिया को मालाबार अभ्यास में शामिल करने को मंजूरी देना, क्वाड की बैठक को राज्य स्तर के प्रमुखों तक बढ़ाना। इसके अलावा, चीन को लेकर भारत का रुख इस दावे की वजह से और सख्त हो गया कि सीमा पर विकास को दोनों देशों के बीच बड़े द्विपक्षीय समझौते के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि सीमा पर शांति के बाद ही दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो सकते हैं।[xvi] महामारी के दौरान घरेलू स्तर पर उठाए गए भारत के कुछ कदमों से भी चीन पर भारत के व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला निर्भरता को धीरे-धीरे कम करने की इच्छा का पता चलता है। मार्च 2020 में भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में बदलाव[xvii] के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने हेतु क्वाड के अन्य भागीदारों के साथ इसके प्रयासों में तेजी[xviii] देखने को मिली, ये कदम एलएसी पर चीन के लगातार आक्रामक रुख के बाद उठाए गए।
अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी को चीन के साथ संबंधों में आई खटास के संदर्भ में भी देखा जा सकता है। महामारी के दौरान अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों और मजबूत हुए, यहां तक कि महामारी से उत्पन्न चुनौतियों और जरुरतों से निपटना दोनों की साझी प्राथमिकता बन गई।[xix]इन प्रयासों को क्वाड को दी गई बिडेन प्रशासन की प्राथमिकता और इसके सदस्यों को अपने प्रशासन में राष्ट्राध्यक्षों की पहली बैठक में भाग लेने से बल मिला। क्वाड के तहत पहली राष्ट्राध्यक्षों की बैठक से इंडो-पैसिफिक के प्रति राष्ट्रपति बिडेन की गंभीरता और अमेरिका की एशिया नीति (चीन की रणनीति पढ़ें) के अनुमान की पुष्टि होती है।
क्वाड नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन
क्वाड के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक इस साल की शुरुआत में इसे नेता-स्तरीय शिखर सम्मेलन में बदलना रहा है। क्वाड के चारों नेताओं ने 12 मार्च 2021 को पहली बार वर्चुअल प्रारूप में मुलाकात की, जहां चारों सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहली बार एक साथ मंच पर मौजूद थे।[xx] राष्ट्रपति बिडेन के सत्ता संभालने के पहले सप्ताह में ही अमेरिका द्वारा शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव रखा गया था। शीर्ष स्तर पर बैठक बुलाने का कदम न केवल अमेरिका की इंडो-पैसिफिक के प्रति गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि क्वाड के भीतर साझेदारी को भी मजबूत करता है।
इन महत्वपूर्ण कदमों के बीच, समान विचारधारा वाले देशों के समूह ने कोविड-19 के प्रभाव पर चर्चा की और 2022 तक एक बिलियन वैक्सीन बनाने और इंडो-पैसिफिक देशों को देना का संकल्प लिया। श्रम विभाजन के तय रोडमैप के अनुसार, इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए धन, उत्पादन व वितरण को चार सदस्य देशों के बीच विभाजित किया जाएगा। चारों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री डोमेन, साइबर स्पेस, महत्वपूर्ण तकनीकियों, आतंकवाद का मुकाबला, गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना में निवेश, और मानवीय-सहायता व आपदा-राहत जैसे क्षेत्रों में अपनी "साझा चुनौतियों" पर भी चर्चा की। इसके अलावा, क्वाड सदस्यों ने लोकतांत्रिक गठबंधन, जलवायु परिवर्तन और साइबर सुरक्षा में भागीदारी को मजबूत करने की जरुरत को भी रेखांकित किया। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नेताओं ने "द स्पिरिट ऑफ क्वाड"[xxi] नामक एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कुछ प्रमुख जिम्मेदारियों और फोकस क्षेत्रों को रेखांकित किया, जिनके लिए सभी चारों सदस्यों ने प्रतिबद्धता दर्शाई। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व और दक्षिण चीन सागर में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था सुनिश्चित करने में सहयोग के अलावा, 'स्पिरिट ऑफ क्वाड'महामारी, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में क्वाड की प्रतिबद्धता की ओर भी इशारा करता है। इस संबंध में, वैक्सीन साझेदारी, जलवायु कार्य समूह और महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकी पर कार्य समूह पर नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान क्वाड की तीन प्रमुख साझेदारी पहलों की घोषणा की गई। इन समूहों में से हर एक ने निकट भविष्य में विशिष्ट विषयों पर सहयोग को मजबूत करने हेतु अपनी प्राथमिकताओं पर बल दिया है। इन समूहों का उद्देश्य मुद्दों से निपटने के लिए समन्वय में क्वाड की दक्षता को मजबूत करना है।
आगे का रास्ता
ये नए प्रयास इंडो-पैसिफिक से जुड़े मामलों में क्वाड को केन्द्र बनाने की दिशा में किए जा रहे हैं।[xxii] महामारी के दौरान क्वाड सदस्यों द्वारा उठाए गए कदमों ने क्वाड के उद्देश्य को और मजबूती दी है। हालांकि, क्वाड की वास्तविक क्षमता इसका लचीलेपन है। जैसे-जैसे समूह का एजेंडा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे अधिक बाहरी सदस्यों के क्वाड प्लस जैसे तंत्रों और आसियान की केंद्रीयता पर बढ़ती आम सहमति के ज़रिए चार क्वाड देशों के मुख्य समूह के साथ काम करने की संभावना बढ़ रही है। चीन को लेकर इन सदस्यों की झिझक भी कम हो रही है। भारत के मामले में, 2020 से शुरु हुए चीन के साथ सीमा संघर्ष को चीन को लेकर उसकी पहले की घटती सतर्कता में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इसी तरह, नियम-आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करने की क्वाड की प्रतिबद्धता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन और आने वाले समय में चीन के प्रभाव को सीमित करने पर केंद्रित है। क्वाड को फ्रांस, यूके जैसे यूरोपीय भागीदारों और दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड एवं वियतनाम जैसे प्रशांत देशों की भागीदारी से मध्य देशों की आम सहमति से बल मिला है। अपने विकास के साथ, क्वाड पूर्वी अफ्रीकी तट से सुदूर पूर्व तक और इंडो-पैसिफिक में क्वाड-नेतृत्व वाले मूल्यों की तलाश में बहु-संरेखित देशों का समूह बनना चाहता है।
क्वाड की रणनीतिक अवधारणा में हुआ बदलाव समूह के समग्र बढ़ते रणनीतिक महत्व का हिस्सा है। काफी समय से, क्वाड की अवधारणा एक ऐसे समूह के रूप में थी, जिसका उद्देश्य समुद्री क्षेत्र तक सीमित था। हालाँकि, अब इसमें बदलाव हो सकता है, क्योंकि क्वाड के एजेंडे में धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है और वह चार देशों के मुख्य समूह से आगे बढ़ते हुए 'क्वाड प्लस' तंत्र के ज़रिए अन्य भागीदारों के साथ साझेदारी बढ़ाने का रास्ता तलाश रहा है। महाद्वीपीय मुद्दों को अपने एजेंडे में शामिल करने हेतु क्वाड के एजेंडे में किया गया विस्तार, इस दिशा में एक नई शुरुआत हो सकती है।
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*डॉ. विवेक मिश्रा, विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i]Dermawan, R (2021). “Is the Quad’s Revival a Threat to ASEAN?”. The Diplomat. March 18. URL: https://thediplomat.com/2021/03/is-the-quads-revival-a-threat-to-asean/ (Accessed June 28, 2021).
[ii]Dermawan, R (2021). “Is the Quad’s Revival a Threat to ASEAN?”. The Diplomat. March 18. URL: https://thediplomat.com/2021/03/is-the-quads-revival-a-threat-to-asean/ (Accessed June 28, 2021).
[iii]Dermawan, R (2021). “Is the Quad’s Revival a Threat to ASEAN?”. The Diplomat. March 18. URL: https://thediplomat.com/2021/03/is-the-quads-revival-a-threat-to-asean/ (Accessed June 28, 2021).
[iv]Dermawan, R (2021). “Is the Quad’s Revival a Threat to ASEAN?”. The Diplomat. March 18. URL: https://thediplomat.com/2021/03/is-the-quads-revival-a-threat-to-asean/ (Accessed June 28, 2021).
[v]Dermawan, R (2021). “Is the Quad’s Revival a Threat to ASEAN?”. The Diplomat. March 18. URL: https://thediplomat.com/2021/03/is-the-quads-revival-a-threat-to-asean/ (Accessed June 28, 2021).
[vi]Dermawan, R (2021). “Is the Quad’s Revival a Threat to ASEAN?”. The Diplomat. March 18. URL: https://thediplomat.com/2021/03/is-the-quads-revival-a-threat-to-asean/ (Accessed June 28, 2021).
[vii]Dermawan, R (2021). “Is the Quad’s Revival a Threat to ASEAN?”. The Diplomat. March 18. URL: https://thediplomat.com/2021/03/is-the-quads-revival-a-threat-to-asean/ (Accessed June 28, 2021).
[viii]Sibal, S (2021). “India, France, Australian foreign ministers hold first ever trilateral in London”. WION. UR:
https://www.wionews.com/india-news/india-france-australian-foreign-ministers-hold-first-ever-trilateral-in-london-382839 (Accessed June 27, 2021).
[ix]Sibal, S (2021). “India, France, Australian foreign ministers hold first ever trilateral in London”. WION. UR:
https://www.wionews.com/india-news/india-france-australian-foreign-ministers-hold-first-ever-trilateral-in-london-382839 (Accessed June 27, 2021).
[x]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xi]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xii]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xiii]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xiv]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xv]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xvi]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xvii]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xviii]“Views of China”. Lowy Institute Poll 2021. URL: https://poll.lowyinstitute.org/themes/china/ (Accessed June 26, 2021).
[xix]Kegelman, M (2020). “The U.S.-India Relationship Has a New Top Priority”. Foreign Policy. May 27. URL: https://foreignpolicy.com/2021/05/27/india-us-relationship-priority-covid-jaishankar-visit/ (Accessed June 27, 2021).
[xx]“First Quad Leaders’ Virtual Summit”. Ministry of External Affairs, Government of India. March 09, 2021. URL: https://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/33601/First+Quad+Leaders+Virtual+Summit (Accessed June 27, 2021).
[xxi]“Quad Leaders’ Joint Statement: “The Spirit of the Quad”. Ministry of External Affairs, Government of India. March 12, 2021. URL: https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/33620/Quad+Leaders+Joint+Statement+The+Spirit+of+the+Quad (Accessed June 27, 2021).
[xxii]Lee, M & Slater, J (2021). “Meeting of leaders signals the ‘Quad’ grouping will become central part of the U.S. strategy in Asia”. The Washington Post. March 13, 2021. URL: https://www.washingtonpost.com/national-security/quad-diplomacy-counter-china/2021/03/12/9317aee8-8299-11eb-ac37-4383f7709abe_story.html (Accessed June 27, 2021).