राष्ट्रपति जो बिडेन और राष्ट्रपति व्लादिमीर वी. पुतिन अपने पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन की शुरुआत इस बात से की कि, "...उन्होंने सामरिक क्षेत्र में पूर्वानुमेयता सुनिश्चित करने, सशस्त्र संघर्ष के जोखिम को कम करने तथा परमाणु युद्ध के खतरे को कम करने के अपने साझा लक्ष्यों पर अच्छी प्रगति की हैं।"[i] द्विपक्षीय संबंधों में पूर्वानुमेयता, और संचार के माध्यमों को खुला रखना अभी भी साझा लक्ष्य है, फिर भी, दोनों पक्षों द्वारा आयोजित अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस से यह भी साफ हो गया है कि दोनों देशों के मानवाधिकारों से लेकर साइबर हमले तक के मुद्दों पर विचार अलग-अलग हैं।
शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति बिडेन की आलोचना भी हो रही है। आलोचकों का कहना है कि उनका राष्ट्रपति पुतिन से मिलने के लिए राजी होना, पुतिन द्वारा किए गए कार्यों को सही ठहराना है। वहीं, कई लोगों का कहना है कि रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच स्थिर संबंध दोनों देशों के लिए हितकर हैं। विगत कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़े हैं। मार्च 2021 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में रूसी राजदूत, अनातोली एंटोनोव वाशिंगटन से मास्को आ गए, और कुछ हफ्ते बाद ही, मास्को में अमेरिकी राजदूत, जॉन सुलिवन भी वाशिंगटन लौट आए। मई 2021 में, रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका को "अमित्र देशों की सूची" में डाल दिया। यह एक ऐसी कार्यवाही थी जिसमें अमेरिकी दूतावास को अपने सभी गैर-अमेरिकी कर्मचारियों को बर्खास्त करना जरुरी हो गया। राजदूत न होने और कर्मचारियों व प्रतिनिधित्व में कमी की वजह से, संवाद के चैनलों में कमी आई। इन चैनलों को फिर से स्थापित करना बाइडेन प्रशासन की प्राथमिकता है क्योंकि वह अभी चीन द्वारा पेश की गई चुनौतियों पर ध्यान दे रहे हैं।
जिनेवा वार्ता
ऐसा कहा जा सकता है कि जिनेवा वार्ता पूर्व निर्धारित सीमा के भीतर हुई। इस वार्ता ने दोनों देशों के नेताओं को अपनी 'रेड लाइन' पार किए बिना संबंधों में स्थिरता लाने का मौका दिया, विश्वसनीयता में कमी के बिना दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हुई।
राष्ट्रपति बिडेन का कहना है कि सार्वभौमिक मानवाधिकार और सभी पुरुषों व महिलाओं की मौलिक स्वतंत्रता अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्य हैं और इस मुद्दे को कभी भी 'नज़रअंदाज'[ii] नहीं किया जा सकता। उन्होंने अभी जेल में बंद रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नवलनी के साथ उचित व्यवहार का मुद्दा उठाया। नवलनी जेल में बेहतर चिकित्सा सुविधा की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर थे। जेल में उनकी जान को खतरा है।[iii] हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका ने कई अन्य देशों के साथ मिलकर उनकी गिरफ्तारी की निंदा की है, लेकिन राष्ट्रपति बिडेन ने वार्ता के दौरान उनकी रिहाई पर ज्यादा बल नहीं दिया, जिसे एक संभावित रेड लाइन माना जा रहा है, जो अभी रूस को स्वीकार्य नहीं है। नवलनी के मामले के साथ-साथ राष्ट्रपति बिडेन ने रूस में कैद दो अमेरिकी नागरिकों का भी मामला उठाया।
राष्ट्रपति बिडेन ने यूक्रेन की स्थिति पर भी अपने समकक्ष से बात की। रूस द्वारा सैन्य अभ्यास के लिए अप्रैल 2021 में सीमा पर हजारों सैनिकों को इकट्ठा करने से रूस और यूक्रेन के बीच भी सीमा पर तनाव बढ़ा था। हालांकि, मॉस्को ने अपने कुछ सैनिकों को वापस हटा लिया है, लेकिन सितंबर 2021 में एक अन्य अभ्यास के लिए कुछ सैनिकों के साथ अपने उपकरण व अन्य हथियार वहीं रखा हुआ है। दोनों राष्ट्रपतियों के बीच होने वाली वर्तमान वार्ता में रूसी समर्थित समूहों द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन के मुद्दे और रूस को समझौते के प्रावधानों का पालन करना चाहिए, इसपर चर्चा हुई है। हालांकि, इस दौरान रूसी सैनिकों की वापसी का कोई जिक्र नहीं किया गया है। इससे रूस को सैनिकों को तैनात रखने की अनुमति मिलती है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन को लेकर प्रतिबद्ध है।
चूंकि, संयुक्त राज्य अमेरिका रूस को साइबर और रैंसमवेयर हमलों की वजह मानता है, इसलिए साइबर सुरक्षा चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय था। राष्ट्रपति पुतिन ने माना कि रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों के लिए साइबर सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, उन्होंने अमेरिकी संस्थानों के खिलाफ होने वाले साइबर हमले में रुस की भूमिका से इंकार कर दिया और कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका इसका सबसे बड़ा अपराधी है। सैद्धांतिक रूप में, दोनों देश विशेषज्ञ स्तर पर बैठकर करने और अपने हितों की रक्षा करने की दिशा में काम करने पर सहमत हुए हैं।[iv] बदले में संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस को सोलह विशिष्ट अवसंरचना संस्थाओं की सूची सौंपी है जिनपर साइबर या किसी अन्य माध्यम से हमले से दूर रखा जाना चाहिए और इनमें ऊर्जा व जल प्रणालियां शामिल हैं।[v]
बिडेन द्वारा रुसी राष्ट्रपति के समक्ष उठाए गए मुद्दों में सीरिया - और विशेष रूप से, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा संचालित मानवीय सहायता गलियारे को पुन: अनुमति देना भी शामिल था, जो 2.8 मिलियन लोगों को भोजन, दवा व कोरोनावायरस टीकाकरण प्रदान करने हेतु महत्वपूर्ण है, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। बिडेन प्रशासन को उम्मीद है कि राष्ट्रपति पुतिन इसमें ढील देंगे और सुरक्षा परिषद में हुई चर्चा के अनुसार, अकाल जैसी स्थितियों से बचने के लिए बाब अल-हावा क्रासिंग के ज़रिए एक महीने में संयुक्त राष्ट्र के 1,000 से अधिक ट्रकों के आवागमन में मदद करेंगे। इससे ऐसे समय में जब इस क्षेत्र में संक्रमण दर बढ़ रही है, कोरोनवायरस के खिलाफ फ्रंट-लाइन वर्कस सहित संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम के तहत लोगों को वैक्सीन लगाने में भी मदद करेगा।[vi] वे इसे रूस की प्रतिबद्धता और वार्ता की सफलता के रूप में देखेंगे। अफग़ानिस्तान की स्थिति दोनों देशों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। रूस चाहता है कि अमेरिका के हटने के बाद भी शांति और स्थिरता बनी रहे। आतंकवाद एक सार्वभौमिक चुनौती है और रूस यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अफगानिस्तान से उसके अपने पड़ोस में वहां से किसी तरह का प्रवाह न हो। रूस ने इस बात का संकेत दिया है कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका की 'मदद' करने को तैयार है, हालांकि अभी तक इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।[vii]
चर्चा में शामिल अन्य महत्वपूर्ण मुद्द परमाणु सुरक्षा, रणनीतिक स्थिरता, आकस्मिक युद्ध की संभावना को कम करना और ईरान परमाणु हथियार विकसित न करे, यह सुनिश्चित करने के लिए रूस के साथ मिलकर काम करना। आर्कटिक एक अन्य विषय था जो इस चर्चा का हिस्सा था। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूसी सैन्यीकरण के संबंध में अमेरिका की चिंताएं बिल्कुल निराधार हैं।। उन्होंने आगे कहा कि रूस आर्कटिक को नियंत्रित करने वाले अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करता है और उत्तरी समुद्री मार्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आर्कटिक परिषद के सभी सदस्यों के साथ मिलकर काम करेगा।[viii]
राष्ट्रपति बिडेन ने शिखर सम्मेलन की पहल क्यों की?
राष्ट्रपति बिडेन को संयुक्त राज्य के भीतर भी आलोचना का सामना करना पड़ा है। रिपब्लिकन सांसदों ने शिखर सम्मेलन पर सवाल उठाया है। यहां तक कि डेमोक्रेट्स जिन्हें लगता है कि 2016 के चुनावों में रूस ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प की ओर से हस्तक्षेप किया था, वे भी रूस पर कड़ा रुख अपनाने की मांग कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि शिखर बैठक से राष्ट्रपति पुतिन और लोकतंत्र को दबाने वाले उनके कार्यों को सही ठहरते हुए अमेरिकी प्रशासन का रुख कमज़ोर होता है। हालांकि, एक ऐसे राष्ट्र के लिए जो ताकत हासिल करना चाहता है, उसके संदर्भ में यह माननामुश्किल होगा कि अमेरिकी शिखर बैठकों या वार्ता के बावजूद रूस को कमजोर किया जा सकता है। राष्ट्रपति बिडेन ने भी कहा है कि उनका एजेंडा रूस के खिलाफ नहीं बल्कि अमेरिकी लोगों के लिए है, इसी तरह, रूसी राष्ट्रपति ने गहरे जुड़ाव के रास्ते खुले रखे हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, और वो इसकी सफलता पर आशावाद नज़र आये हैं।
शिखर सम्मेलन कोविड-19 संकट के समय में हो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ाया है, दूसरी ओर रूस में, वैक्सीन की उपलब्धता के बावजूद इसपर कम ध्यान दिया जा रहा है। राष्ट्रपति पुतिन ने खुद कहा है कि अनिवार्य टीकाकरण अव्यावहारिक है और ऐसा नहीं किया जा सकता। हालांकि, मॉस्को के मेयर ने कहा है कि शहर में सेवा क्षेत्र के लोगों के लिए टीकाकरण अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सामूहिक टीकाकरण आवश्यक है।[ix] स्पुतनिक वैक्सीन की सफलता आपसी जुड़ाव को मजबूत करते हुए दोनों देशों को विकासशील और अविकसित देशों में वैक्सीन की कमी को दूर करने हेतु एक-दूसरे के साथ सहयोग करने का अवसर देती है।
जिनेवा से यह संदेश जाता है कि दोनों नेता जुड़ाव बनाये रखना चाहते थे ताकि देश अपने मतभेदों को बेहतर तरीके से दूर कर सकें और आपसी हित के मुद्दों पर सहमति के रास्ते तलाश सकें। रूस के साथ संबंधों को लेकर कुछ पूर्वानुमेयता के साथ, बिडेन अपनी चीन-केंद्रित विदेश नीति को मजबूत कर सकते हैं। और अमेरिका को कम विरोधी मानते हुए, पुतिन देश के पिछले क्षेत्रों में रूसी प्रभाव बनाए रख सकते हैं। इससे पहले भी, राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन को अलग-थलग करने और रूस से संबंध बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन, इन आरोपों की वजह से कि रूसी साइबर अभियान के ज़रिए उन्हें 2016 के चुनाव जीतने में मदद मिली थी, राष्ट्रपति पुतिन के साथ संबंध बनाने के उनके प्रयासों को वाशिंगटन में विरोध झेलना पड़ा। रूस के संदर्भ में ऐसी नीति बनाने के लिए राष्ट्रपति बिडेन के सामने ऐसी कोई बाधा नहीं है।[x] बाइडेन प्रशासन चीन द्वारा पेश की गई चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त राज्य की रणनीति की रणनीति पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, रूस चीन के साथ अपनी साझेदारी को लगातार बढ़ा रहा है, खासकर तब जब यह पश्चिमी देशों द्वारा अलग-थलग है। ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति बिडेन संबंधों में पुन: पूर्वानुमेयता सुनिश्चित करते हुए इस घनिष्ठ संबंध को बढ़ाना चाहते है। ऐसा भी लगता है कि रूस भी पूर्वानुमेयता को प्राथमिकता दे सकता है क्योंकि वह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, कोविड-19 से लड़ने और अपने सीमावर्ती क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को समझने की कोशिश कर रहा है। अगर ऐसा होता है, तो चीन द्वारा पेश की गई चुनौतियाँ बिडेन प्रशासन को संबंधों में 'पूर्वानुमेयता और स्थिरता बहाल' करने की एक सामान्य वजह हो सकती हैं।
दोनों देशों में मौजूदा माहौल को देखते हुए रूस-अमेरिका संबंधों में किसी सार्थक बदलाव की उम्मीद करना जल्दबाजी होगी। बहरहाल, जिनेवा शिखर सम्मेलन से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के संदर्भ में वाशिंगटन के नीति निर्माता रूस को एक माध्यमिक चुनौती और संभावित भागीदार के रूप में देखते हैं, जिससे राजनयिक माध्यमों से निपटने की जरूरत है, न कि जबरन।
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*डॉ. स्तुति बनर्जी, विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i] The Office of the Press Secretary, The White House, “Remarks by President Biden in Press Conference,” 16 June 2021, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/speeches-remarks/2021/06/16/remarks-by-president-biden-in-press-conference-4/, Accessed on 28 June 2021.
[ii] Op. Cit 1, The Office of the Press Secretary, The White House, Accessed on 26 June 2021
[iii] Op. Cit 1, The Office of the Press Secretary, The White House, Accessed on 26 June 2021
[iv] Op. Cit 1, The Office of the Press Secretary, The White House, Accessed on 26 June 2021
[v] Op. Cit 1, The Office of the Press Secretary, The White House, Accessed on 26 June 2021
[vi] The Washington Post, “Biden says he is testing Putin. The answer will come in Syria,” The Washington Post, 25 June 2021, https://www.washingtonpost.com/opinions/2021/06/24/biden-says-he-is-testing-putin-answer-will-come-syria/, Accessed on 25 June 2021.
[vii] The Washington Post, “Biden says he is testing Putin. The answer will come in Syria,” The Washington Post, 25 June 2021, https://www.washingtonpost.com/opinions/2021/06/24/biden-says-he-is-testing-putin-answer-will-come-syria/, Accessed on 25 June 2021.
[viii] The Washington Post, “Biden says he is testing Putin. The answer will come in Syria,” The Washington Post, 25 June 2021, https://www.washingtonpost.com/opinions/2021/06/24/biden-says-he-is-testing-putin-answer-will-come-syria/, Accessed on 25 June 2021.
[ix] Alexander Marrow, “Moscow city orders compulsory COVID-19 shots for 2 million workers”, 16 June 2021, https://www.reuters.com/world/moscow-authorities-make-covid-19-vaccination-compulsory-some-workers-2021-06-16/, Accessed on 03 July 2021.
[x] Stanly Johny, “Why Did Biden Meet Putin?’, The Hindu 18 June 2021, https://www.thehindu.com/news/international/analysis-why-did-biden-meet-putin/article34847755.ece, Accessed on 21 June 2021