संकट
20 मई को गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम की वजह से पश्चिम एशियाई क्षेत्र में शांति कायम हुई, जिससे यहां एक बड़ा क्षेत्रीय संकट का खतरा टल गया। यह संघर्ष 11 दिनों तक चला और इसके प्रभाव 2014 के इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध से भी अधिक घातक थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों द्वारा गाजा पट्टी में हमास के साथ युद्धविराम के आह्वान कॉल को अस्थायी रूप से अनदेखा करने के बाद, इजराइल के कैबिनेट ने हमास के साथ युद्धविराम को मंजूरी दे दी। मिस्र, कतर, सऊदी अरब और अमेरिका उस दौरान भी तत्काल युद्धविराम पर बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे, [i] जब इजरायली रक्षा बलों और हमास के बीच गोलाबारी जारी थी। एक तरफ इजराइल द्वारा गाजा से सटी अपनी सीमा पर हवाई बमबारी और तोपखाने की गोलाबारी की, जिसमें 65 बच्चों और 33 से अधिक महिलाओं सहित 233 लोग मारे गए, तो दूसरी तरफ हमास ने इजराइल में 3500 से अधिक रॉकेट दागे थे जिसमें 12 नागरिक मारे गए और 500 से अधिक घायल हो गए।[ii] इनमें से बिना किसी विशेषज्ञता के बनाए गए कई रॉकेट गाजा के भीतर ही गिर गए, जिससे उन्हें खुद की क्षति हुई। हालांकि हमास के रॉकेटों ने तेल अवीव, बेरहसेबा, अशकलोन और अशदोद सहित इजराइल के प्रमुख शहरों को निशाना बनाया है, जो उनके शस्त्रागार में महत्वपूर्ण क्षमता वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि, इस बार वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों और धार्मिक रूप से मिश्रित जातीयता वाले अन्य शहरों में सांप्रदायिक हिंसा कि वजह से स्थिति काफी गंभीर हो गई थी। कुछ इजरायली शहरों में हिंसा और विरोध की छिटपुट घटनाएं अभी भी जारी हैं।
संघर्ष को रोकने के लिए बिडेन के प्रयास
संघर्ष के गाजा में एक बड़े मानवीय संकट की ओर बढ़ने का खतरा देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के नेतृत्व में वैश्विक समुदाय ने युद्ध को तुरंत समाप्त करने हेतु एकजुटता दिखाई। संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में महासभा और सुरक्षा परिषद दोनों स्तरों पर कई बैठकें हुईं। इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर अमेरिका के पारंपरिक रुख के विपरीत, बिडेन प्रशासन की डेमोक्रेटिक पार्टी और उनके प्रशासन द्वारा मानवाधिकारों की हिमायत करने से फिलिस्तीन की ओर झुकाव की उम्मीद बढ़ने लगी। इसके बजाय, सबसे प्रभावशाली अतिरिक्त-क्षेत्रीय कारक के रूप में, अमेरिका ने यूएनएससी द्वारा इजरायल और हमास के बीच तत्काल युद्धविराम का आह्वान[iii] और इजरायल के प्रधानमंत्री के लिए व्यक्तिगत पहुंच पर निर्भर करने वाले बयान को जारी करने के तीन प्रयासों को रोक दिया। राष्ट्रपति बिडेन ने स्थिति के भड़कने के बाद से ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को छह बार फोन कर तत्काल गतिरोध का आग्रह किया।[iv]
हालांकि, बिडेन ने इस समस्या का हल निकालने हेतु क्षेत्रीय संकट में प्रत्यक्ष रुप से शामिल होने के बजाय क्षेत्रीय मध्यस्थता तंत्र पर भरोसा जताया, और उन्होंने बातचीत को सुविधाजनक बनाने में इजरायल के साथ अमेरिका की निकटता का बखूबी इस्तेमाल किया। हालांकि, इजराइल के 'खुद की रक्षा करने के अधिकार' का उनके द्वारा स्पष्ट बचाव करना और इजराइल को इस बात का आश्वासन देने कि अमेरिका हाल के संघर्ष में हमास के खिलाफ इस्तेमाल किए गए आयरन डोम सिस्टम को खरीदेगा, ट्रम्प के बाद बदली हुई दुनिया की अपेक्षाओं के विपरीत है, जिनकी नीतियों ने अमेरिका की मध्य पूर्व नीति को बदल दिया। अभी के लिए, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा हाल ही में इस क्षेत्र का दौरा करना[v] और जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी, इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास के साथ उनकी अलग-अलग बैठकों का परिणाम केवल अमेरिका के गाजा में पुनर्निर्माण प्रयासों में मौद्रिक सहायता की ओर इंगित करता है। यह देखना बाकी है कि बिडेन प्रशासन अपने पहले के कुछ राष्ट्रपतियों की तरह इजरायल-फिलिस्तीन शांति प्रक्रिया में गहरी राजनीतिक भागीदारी करने हेतु प्रतिबद्ध होगा या नहीं।
इजरायल-फिलिस्तीन के बीच हाल के संघर्ष के दौरान, इस डर के बीच कि गाजा पट्टी में हमास और इजरायली रक्षा बलों के बीच युद्ध एक नाजुक एवं अस्थायी युद्धविराम समझौते के बावजूद हुआ है, अमेरिका की भूमिका पर ध्यान किया जा रहा है - खासकर क्योंकि अमेरिका लंबे समय से इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत करने की कोशिश कर रहा है। जबकि 1993 के ओस्लो समझौते और ओबामा प्रशासन के तहत 2013 की इजराइल-फिलिस्तीन वार्ता ने इस समस्या का हल तलाशने के लिए अमेरिका ने संकल्प और प्रतिबद्धता नज़र आई थी, बिडेन प्रशासन की जानबूझकर प्रत्यक्ष रुप में शामिल न होना, रणनीतिक अनिच्छा और इस मुद्दे को हल करने में अमेरिका की रुचि कम होने का संकेत हो सकती है।
बिडेन प्रशासन की स्थिति क्या है?
ऐसा प्रतीत होता है कि बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिका इस्राइल और फ़िलिस्तीन के बीच मौजूदा तनाव को हल करने में जानबूझकर ढीला ढाला रवैया दिखा रहा है। हालांकि, राष्ट्रपति बिडेन ने इजराइल से तनाव को तुरंत करने करने के लिए कहा था, लेकिन अमेरिकी दृष्टिकोण कई वजहों से बदला हुआ नज़र आ रहा है। ओबामा प्रशासन के तहत जो बाइडेन के उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा करने के बावजूद, उनके प्रशासन ने पश्चिम एशिया के सबसे जटिल और सबसे पुराने विवाद को संभालने में हिचकिचाहट दिखाई है। बिडेन की इस हिचकिचाहट के विपरीत, ओबामा प्रशासन ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही शांति प्रक्रिया को शुरु करने की कोशिश की और इजरायल तथा फिलिस्तीन के बीच रुकी हुई शांति वार्ता को फिर से शुरु करने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में वेस्ट बैंक में इजरायल के बस्तियों के निर्माण कार्यों पर दस महीने की रोक लगा दी।[vi] राष्ट्रपति ओबामा के दौरान, अमेरिका ने इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को हल करने के लिए दो बार गंभीर प्रयास किये थे, जिसमें पहला 2010[vii] में शुरू हुआ था और दूसरा 2013[viii] में। ओबामा प्रशासन के तहत उपराष्ट्रपति के रूप में जो बिडेन ने 2010 में इस क्षेत्र की अपनी यात्रा के दौरान इजरायल को बस्तियों के निर्माण कार्य के संदर्भ में चेतावनी दी थी।[ix] हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में, बाइडेन अभी ऐसा नहीं कर सकते हैं।
राष्ट्रपति बिडेन द्वारा इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ 'युद्ध की तीव्रता में सार्थक कमी'[x] का अनुरोध करने को लेकर हाल में हुआ टेलीफोन वार्ता के बावजूद, यह प्रयास मानवाधिकारों और गठबंधन का समर्थन करने वाले उनके प्रशासन से की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय अपेक्षाओं से कम है, और इजरायल जिसे अमेरिका मध्य पूर्व में अपना 'एकमात्र सहयोगी' मानता है, को सैन्य बिक्री शामिल है। अपने देश में, बिडेन प्रशासन को हाउस डेमोक्रेट्स ने इजरायल को उनके मौन समर्थन या गाजा के कुछ हिस्सों पर बमबारी को रोकने के लिए इजरायल पर जरुरी दबाव न डालने की वजह से और इजरायल को हथियार बेचने को लेकर काफी कठिन परिस्थिति में डाल दिया है। प्रतिनिधि अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़, मार्क पोकन और रशीदा तलीब के नेतृत्व में डेमोक्रेटिक लेजिस्लेटर्स ने इजरायल को सटीक-निर्देशित हथियारों की 735 मिलियन अमेरिकी डॉलर बिक्री को रोकने के उद्देश्य से एक विधायी प्रस्ताव पेश किया। इससे पहले बाइडेन प्रशासन ने इजरायल को 73.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के हथियारों की संभावित बिक्री को मंजूरी दी थी।[xi]
इजराइल-फिलिस्तीन हालिया संघर्ष को लेकर बिडेन की चुनौतियां और संघर्ष को समाप्त करने में उनकी स्पष्ट हिचकिचाहट दरअसल मध्य पूर्व के बड़े क्षेत्रीय भू-राजनीति से जुड़ी हुई है जो ईरान और इजराइल के बीच दूसरों पर हावी होने की आदत की परवाह ज्यादा करती है। अमेरिका आधिकारिक तौर पर हमास, हिज़्बुल्लाह और अन्य फ़िलिस्तीनी 'आतंकवादी संगठनों' को ईरान के समर्थन को मान्यता देता है, जिसका ईरान पर तैयार की गई 2019 के अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया है।[xii] ये सभी संगठन इजराइल को मान्यता नहीं देते हैं। इसलिए इस बात को लेकर बिल्कुल भी हैरानी नहीं है, कि इजराइल संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) को फिर से शुरु करने के बिडेन प्रशासन के प्रयासों का विरोध करता है, [xiii] जिसके लागू होने का मतबल अमेरिका द्वारा ईरान पर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाना, अभी रुके हुए अरबों डॉलर के प्रवाह को सुविधाजनक बनाना है, जिसका कुछ हिस्सा हमास को जा सकता है। अमेरिका के सामने इससे जुड़ी एक और चुनौति हमास की मदद किए बिना गाजा को सहायता प्रदान करना है। चूंकि पुनर्निर्माण हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहायता गाजा को जाती है, इसलिए इसे गाजा में हमास से दूर रखना मुश्किल होगा, जिस पर यह पूरी तरह से अपना नियंत्रण रखता है।
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी संकट ने अमेरिका की मध्य पूर्व की रणनीति को कई तरह से जटिल बना दिया है। एक उभरती हुई इंडो-पैसिफिक नीति के बीच यह खींचतान अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी पर भारी पड़ती है, लेकिन यहां की क्षेत्रीय जटिलताएं अमेरिका के हितों का इस क्षेत्र से जुड़े रहना सुनिश्चित करती हैं। इस साल 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य टुकड़ी को पूरी तरह से बुला लेने की बाइडेन प्रशासन की हालिया घोषणा अमेरिका की घरेलू राजनीति और उसकी बाहरी नीतियों के बीच के अटूट संबंधों का नया संकेत है। बिडेन प्रशासन यह कभी नहीं चाहेगा वह इस क्षेत्र के सबसे कठिन संघर्षों में फिर से किसी तरह से शामिल हो, वह भी तब जब वह अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की कोशिश कर रहा है। इस क्षेत्र को लेकर बिडेन ने अब तक अमेरिका की पहले की क्षेत्रीय कूटनीति पर भरोसा किया है, न कि किसी प्रत्यक्ष भागीदारी पर। ऐसा बिडेन के मंत्रिमंडल में जॉन केरी की उपस्थिति (हालांकि अब वो एक अलग भूमिका में है) के बावजूद देखने को मिला है, जिन्हें पिछली 2013-2014 की इजराइल-फिलिस्तीन वार्ता में ओबामा प्रशासन द्वारा प्रमुख वार्ताकार नियुक्त किया गया था।[xiv] इसके अलावा, मध्य पूर्व में मौजूदा क्षेत्रीय भू-राजनीति ने व्यापक क्षेत्र में अमेरिकी विदेश नीति के सैन्यीकरण के बिडेन के दीर्घकालिक लक्ष्य में भी मदद की है। व्यक्तिगत रूप से, बिडेन ने 1991 में पहले इराक युद्ध के खिलाफ मतदान किया था। उन्होंने 2003 में शक्तिशाली सीनेट विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को इराक पर आक्रमण करने हेतु अधिकृत करने वाले कांग्रेस के प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए आधिकारिक तौर पर खेद व्यक्त किया है।[xv]
राष्ट्रपति बिडेन को ऐसी चुनौतियां अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रम्प से विरासत में मिली है, जिनकी मध्य पूर्व नीति को न तो सफल माना जाता है और न ही पूरी तरह से विफल। फिर भी, कहा जाता है कि ट्रम्प ने बिडेन के लिए मध्य पूर्व को अपेक्षाकृत बेहद शांत बनाये रखा।[xvi] व्यावहारिक रूप से, सीरिया में आईएसआईएस के खिलाफ ट्रम्प का अंतिम आक्रमण और उसके नेता अबू बक्र अल-बगदादी की हत्या, [xvii] ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या, [xviii] और बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात तथा इजराइल के बीच संबंधों के सामान्यीकरण, [xix] जिसे सामूहिक रूप से इब्राहीम समझौते के रूप में जाना जाता है, ने इस क्षेत्र में संभावित शांति लाने का काम किया। आलोचनाओं के बावजूद, इब्राहीम समझौते को कई लोगों ने इजरायल और अरब दुनिया के बीच शांति का एक महत्वपूर्ण आधार माना है। इजराइल-फिलिस्तीन जारी संघर्ष ने साबित कर दिया है कि अब्राहम समझौते के संदर्भ में शांति एक पूर्ण शर्त नहीं हो सकती है, भले ही संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन जैसे क्षेत्रीय अरब देशों ने समझौते के तहत इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाए रखने हेतु शांति को सशर्त बनाने के लिए किसी तरह की अव्यवस्थित कार्यवाही नहीं की है। अब्राहम समझौते ने अरब दुनिया और इजराइल के बीच क्षेत्रीय ध्रुवीकरण को जिस तरह से कम किया है, उससे बिडेन प्रशासन के लिए राजनीतिक क्षेत्र के भीतर से क्षेत्रीय शांति प्रक्रियाओं को शुरु करने की सहूलियत मिली है।
विशेष रूप से इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे के संदर्भ में, ट्रम्प प्रशासन द्वारा इजरायल के पक्ष में उठाये गए कुछ कदमों की वजह से राष्ट्रपति बिडेन के कार्यकाल में अमेरिका बैकफुट पर आ गया है। पहला, वेस्ट बैंक में बस्तियों की संख्या बढ़ाने पर ट्रम्प प्रशासन द्वारा नेतन्याहू सरकार को पूर्णाधिकार देना; दूसरा, अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम में स्थानांतरित करना; [xx] तीसरा, फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग में कटौती; और चौथा, यहूदी विरोधी भावना का मुकाबला करने पर कार्यकारी आदेश 13899[xxi] ने सामूहिक रूप से ट्रम्प की इजरायल समर्थक नीति को आकार देने पर बल दिया है। हालांकि अपने कार्यकाल की शुरुआत में एक बड़ा कदम उठाते हुए बिडेन प्रशासन ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी को दी जाने वाली सहायता बहाल कर दी और फिलिस्तीनियों को 235 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता की घोषणा की, [xxii] लेकिन, ट्रम्प के बाकी कदमों को पूर्ववत करना मुश्किल होगा। दूसरा सवाल यह है कि क्या बाइडेन प्रशासन ट्रंप प्रशासन के सभी फैसलों को बदलना चाहता है और क्या उसके पास ऐसा करने का राजनीतिक जनादेश है? कई मायनों में, बिडेन प्रशासन 2016 में ओबामा प्रशासन के जैसे ही उसी मोड़ पर खड़ा प्रतीत होता है, जब उनके प्रशासन की वेस्ट बैंक में इजरायली बस्तियों को बढ़ाने की आलोचना के बावजूद, अमेरिका ने इजरायल के खिलाफ यूएनएससी प्रस्ताव से खुद को अलग रखा था। इसी दिशा में चलते हुए, बिडेन प्रशासन ने पहले ही तीन बार गाजा पर इजरायल की कार्रवाई की निंदा करने वाले यूएनएसी के बयान को रोक दिया है। इजरायल के अपने बचाव के अधिकार को अमेरिका द्वारा समर्थन[xxiii] दिये जाने से दुनिया में अमेरिका के खिलाफ आक्रोश बढ़ा है।
बिडेन प्रशासन इजरायल को अपना समर्थन देने और इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर घरेलू बहस और राजनीति में बदलाव के बीच बंटा हुआ है। राजनीतिक रूप से, काफी समय से डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के विचार इस मुद्दे पर एक-दूसरे से बहुत अलग नहीं थे और वो 'टू-स्टेट' समाधान का समर्थन करते थे। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा इजराइल को प्राथमिकता दिया जाना डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के बीच विभाजन को बढ़ा सकता है। इस मुद्दे पर इस तरह के राजनीतिक अंतर से बिडेन के तहत इस मुद्दे पर होने वाली कांग्रेस की चर्चा और अधिक कठिन हो सकती है। अमेरिकी कांग्रेस में सेवा करने वाली फिलिस्तीनी मूल की पहली महिला प्रतिनिधि रशीदा तलीब ने यह बताने के लिए कि, "फिलिस्तीनी मानवाधिकार से किसी तरह का समझौता नहीं किय जा सकता है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए" और "अमेरिकी द्वारा इजरायल को बिना शर्त समर्थन देना फिलिस्तीनियों की मौत का कारण बन रहा है" बिडेन के साथ एक अलग बैठक की। इसके अलावा, डेमोक्रेटिक पार्टी खुद भी इजरायल-फिलिस्तीन के मुद्दे पर बंटी हुई है, जिसमें नरमदलवादी इजरायल के पक्ष में हैं और उदार डेमोक्रेट गाजा में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए इजरायल को जवाबदेह ठहराने का आग्रह कर रहे हैं। 500 से अधिक डेमोक्रेट्स ने बिडेन को फिलिस्तीनियों की मदद करने और गाजा में हुई हालिया कार्रवाइयों के लिए इजरायल को जवाबदेह ठहराने हेतु पत्र लिखा है।[xxiv] चूंकि इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थ के रूप में मिस्र के साथ शांति पर चर्चा की हुआ है, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति बिडेन इजरायल और फिलिस्तीन के बीच क्षेत्रीय शांति प्रक्रिया में स्पष्ट हस्तक्षेक करेंगे या नहीं, खासकर तब जब उनकी कूटनीति से युद्धविराम की संभावना पैदा हुई है।
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*डॉ. विवेक मिश्रा विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
समाप्ति टिप्पणी
[i] “Qatari, Egyptian, Saudi FMs discuss Gaza crisis with top US envoy”. AlJazeera. May 17, 2021. URL: https://www.aljazeera.com/news/2021/5/17/qatari-egyptian-saudi-fms-discuss-gaza-crisis-with-us-secretary (Accessed May 18, 2021).
[ii] “Qatari, Egyptian, Saudi FMs discuss Gaza crisis with top US envoy”. AlJazeera. May 17, 2021. URL: https://www.aljazeera.com/news/2021/5/17/qatari-egyptian-saudi-fms-discuss-gaza-crisis-with-us-secretary (Accessed May 18, 2021).
[iii] Majid, J (2021). “UN General Assembly to meet on Gaza as US blocks 3rd Security Council statement”. Times of Israel. May 17. URL: https://www.timesofisrael.com/un-general-assembly-to-meet-on-gaza-as-us-blocks-3rd-security-council-resolution/ (Accessed May 18, 2021).
[iv] Majid, J (2021). “UN General Assembly to meet on Gaza as US blocks 3rd Security Council statement”. Times of Israel. May 17. URL: https://www.timesofisrael.com/un-general-assembly-to-meet-on-gaza-as-us-blocks-3rd-security-council-resolution/ (Accessed May 18, 2021).
[v] https://www.aljazeera.com/news/2021/5/26/blinken-arrives-in-egypt-to-support-of-israel-gaza-ceasefire. AlJazeera. 26 May, 2021. URL: https://www.aljazeera.com/news/2021/5/26/blinken-arrives-in-egypt-to-support-of-israel-gaza-ceasefire (Accessed May 26, 2021).
[vi] Bronner, E and Landler, M (2009). “Israel offers a Pause in Building New Settlements”. The New York Times. November 25. URL: https://www.nytimes.com/2009/11/26/world/middleeast/26israel.html (Accessed May 26, 2020).
[vii] Bronner, E and Landler, M (2009). “Israel offers a Pause in Building New Settlements”. The New York Times. November 25. URL: https://www.nytimes.com/2009/11/26/world/middleeast/26israel.html (Accessed May 26, 2020).
[viii] Bronner, E and Landler, M (2009). “Israel offers a Pause in Building New Settlements”. The New York Times. November 25. URL: https://www.nytimes.com/2009/11/26/world/middleeast/26israel.html (Accessed May 26, 2020).
[ix] Entousm, A and Assadi, M (2010). “Biden scolds Israel over settlement plan”. Reuters. March 10. URL: https://www.reuters.com/article/us-usa-israel-biden-idUSTRE6271YE20100310 (Accessed May 26, 2021).
[x]“Readout of President Joseph R. Biden, Jr. Call with Prime Minister Benjamin Netanyahu of Israel”. The White House. May 19, 2021. URL: https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2021/05/19/readout-of-president-joseph-r-biden-jr-call-with-prime-minister-benjamin-netanyahu-of-israel-5/ (Accessed May 20, 2021).
[xi]“Readout of President Joseph R. Biden, Jr. Call with Prime Minister Benjamin Netanyahu of Israel”. The White House. May 19, 2021. URL: https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2021/05/19/readout-of-president-joseph-r-biden-jr-call-with-prime-minister-benjamin-netanyahu-of-israel-5/ (Accessed May 20, 2021).
[xii] “Country Reports on Terrorism 2019: Iran” (2019). U.S. Department of State. URL: https://www.state.gov/reports/country-reports-on-terrorism-2019/iran/ (Accessed May 26, 2021).
[xiii] “Country Reports on Terrorism 2019: Iran” (2019). U.S. Department of State. URL: https://www.state.gov/reports/country-reports-on-terrorism-2019/iran/ (Accessed May 26, 2021).
[xiv] Booth, W and R. Iglash (2014). “Kerry’s Nine-Month Quest for Middle-East Peace End in Failure”. The Washington Post. URL: https://www.washingtonpost.com/world/middle_east/kerrys-nine-month-quest-for-middle-east-peace-ends-in-failure/2014/04/29/56521cd6-cfd7-11e3-a714-be7e7f142085_story.html (Accessed May 20, 2021).
[xv] Booth, W and R. Iglash (2014). “Kerry’s Nine-Month Quest for Middle-East Peace End in Failure”. The Washington Post. URL: https://www.washingtonpost.com/world/middle_east/kerrys-nine-month-quest-for-middle-east-peace-ends-in-failure/2014/04/29/56521cd6-cfd7-11e3-a714-be7e7f142085_story.html (Accessed May 20, 2021).
[xvi]Takeyh, R (2020). “Trump’s Parting Gift to Biden: A More Stable Middle East.”. Foreign Policy. November 16. URL: https://foreignpolicy.com/2020/11/16/trump-biden-iran-israel-uae-middle-east/ (Accessed May 2021).
[xvii]Takeyh, R (2020). “Trump’s Parting Gift to Biden: A More Stable Middle East.”. Foreign Policy. November 16. URL: https://foreignpolicy.com/2020/11/16/trump-biden-iran-israel-uae-middle-east/ (Accessed May 2021).
[xviii]Takeyh, R (2020). “Trump’s Parting Gift to Biden: A More Stable Middle East.”. Foreign Policy. November 16. URL: https://foreignpolicy.com/2020/11/16/trump-biden-iran-israel-uae-middle-east/ (Accessed May 2021).
[xix]Takeyh, R (2020). “Trump’s Parting Gift to Biden: A More Stable Middle East.”. Foreign Policy. November 16. URL: https://foreignpolicy.com/2020/11/16/trump-biden-iran-israel-uae-middle-east/ (Accessed May 2021).
[xx]Dumper, M. (2019). The U.S. Embassy Move to Jerusalem: Mixed Messages and Mixed Blessings for Israel? Review of Middle East Studies, 53(1), 34-45. URL: https://www.jstor.org/stable/26731399 (Accessed May 20, 2021).
[xxi]Dumper, M. (2019). The U.S. Embassy Move to Jerusalem: Mixed Messages and Mixed Blessings for Israel? Review of Middle East Studies, 53(1), 34-45. URL: https://www.jstor.org/stable/26731399 (Accessed May 20, 2021).
[xxii]Dumper, M. (2019). The U.S. Embassy Move to Jerusalem: Mixed Messages and Mixed Blessings for Israel? Review of Middle East Studies, 53(1), 34-45. URL: https://www.jstor.org/stable/26731399 (Accessed May 20, 2021).
[xxiii]Dumper, M. (2019). The U.S. Embassy Move to Jerusalem: Mixed Messages and Mixed Blessings for Israel? Review of Middle East Studies, 53(1), 34-45. URL: https://www.jstor.org/stable/26731399 (Accessed May 20, 2021).
[xxiv] Pengelly, M (2021). “Over 500 Democratic staffers urge Joe Biden to ‘hold Israel accountable’”. The Guardian. May 24. URL: https://www.theguardian.com/us-news/2021/may/24/joe-biden-israel-palestine-letter-democratic-staffers (Accessed May 28, 2021).