प्रथम भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय वार्ता का वरिष्ठ स्तर पर 9 सितंबर, 2020 को वर्चुअल आयोजन किया गया था। भारतीय विदेश सचिव, हर्षवर्धन श्रृंगला, महासचिव, फ्रांसीसी यूरोप और विदेश मंत्रालय फ्रेंकोइस डेलात्रे तथा फ्रांसेस एडम्सन, ऑस्ट्रेलियाई विदेश और व्यापार विभाग के सचिव ने उद्घाटन वार्ता की सह-अध्यक्षता की थी। यहबैठक भारत-प्रशांत के बीच एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण, समृद्ध और नियम-आधारित क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग में वृद्धि करने पर केंद्रित थी। बैठक के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें कोविड-19 वैश्विक महामारी के संबंध में उनकी प्रतिक्रियाएं, साझी आर्थिक और भू-रणनीतिक चुनौतियां तथा सहयोग के बल प्रदान किए गए क्षेत्र, बहुपक्षीयता को कायम रखने और उसमें सुधार की आवश्यकता तथा विभिन्न मंचों जैसे आसियान, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) एवं हिंद महासागर आयोग (आईओसी) के माध्यम से त्रिपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल थे। त्रिपक्षीय वार्ता प्रतिवर्ष आयोजित करने पर सहमति हुई।1
यह त्रिपक्षीय वार्ता पहले से विद्यमान उन वार्ताओं के अतिरिक्त है जो भारत एक त्रिपक्षीय संरचना के माध्यम से भारत-प्रशांत क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग का निर्माण करने के लिए अपने रणनीतिक भागीदारों के साथ पहले से ही संचालित कर रहा है जिसमें इंडोनेशिया और जापान शामिल हैं। भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय वार्ता का सुझाव फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन द्वारा वर्ष 2018 में सिडनी के गार्डन द्वीप में उनके संबोधन के दौरान दिया गया था। उन्होंने “‘भारत-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त उद्देश्यों सहित क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका के साथ "एक नूतन पेरिस-दिल्ली-कैनबरा अक्ष" स्थापित करने का सुझाव दिया था।2 इसके अलावा, शैक्षणिक समुदाय ने भी हाल ही में इस प्रकार की त्रिपक्षीय व्यवस्था की संभावना तलाशने के विचार का प्रस्ताव किया है।3
नई त्रिपक्षीय वार्ता का उद्देश्य तीन देशों के बीच विद्यमान व्यापक द्विपक्षीय संबंधों में संवर्धन करना और सुदृढ़ता लाना है। भारत के फ्रांस के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और दोनों 1998 से सामरिक साझेदार हैं। हाल के वर्षों में, ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हाल ही में, 4 जून 2020 को वर्चुअली आयोजित 'भारत-ऑस्ट्रेलिया नेताओं के शिखर-सम्मेलन' के दौरान, दोनों देशों के बीच वर्ष 2009 से स्थापित “’सामरिक भागीदारी””’ को ‘परस्पर समझ, विश्वास, साझे हित और लोकतंत्र के साझा मूल्यों’ के आधार पर ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ (सीएसपी) के रूप में विस्तारित किया गया था।4 फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंध भी सुदृढ़ हैं। दोनों देशों ने वर्ष 2017 में भारत-प्रशांत क्षेत्र में परस्पर संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए संवर्धित सामरिक साझेदारी के संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए।5
हाल के वर्षों में क्षेत्रीय और वैश्विक गतिविधियों में भारत-प्रशांत के उदय होते और निरंतर बढ़ते महत्व ने इस नई त्रिपक्षीय वार्ता को साकार रूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसके शक्ति के क्षेत्रीय संतुलन को निर्धारित करने में एक कारक की भूमिका निभाने की संभावना है। जैसा कि भारत में फ्रांसीसी राजदूत ने इस वार्ता के बाद ट्वीट किया था, "एक साथ मिलकर हम अपने मूल्यों और हितों को कायम रखेंगे"!6 इस क्षेत्र के लिए तीन लोकतंत्रों के दृष्टिकोण में पर्याप्त समानताएं विद्यमान हैं, जो मोटे तौर पर 'एक स्वतंत्र, खुले, अंतर्वेशी और नियम-आधारित भारत-प्रशांत' पर बल प्रदान करती हैं। भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत एक अत्यंत महत्वपूर्ण देश है। ऑस्ट्रेलियाई सामरिक समुदाय भारत-प्रशांत के निर्माण में विशेष रुचि लेता रहा है। ऑस्ट्रेलिया, अपनी अनूठी भौगोलिक स्थिति के साथ हिंद और प्रशांत महासागरों को जोड़ने के लिए एक सेतु का कार्य करता है तथा इन दो-महासागरों की नौसेना का इस चाप की आकृति वाले रणनीतिक क्षेत्र की शांति, स्थायित्व और आर्थिक समृद्धि में एक स्थायी हित विद्यमान है। दूसरी ओर, फ्रांस ने भू-राजनीतिक बदलावों को पहचानते हुए, एक भारत-प्रशांत राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने और क्षेत्र में सक्रिय प्रमुख देशों के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत बनाने की इच्छा पर बल प्रदान करना आरंभ कर दिया है। हालांकि फ्रांस भौगोलिक रूप से भारत-प्रशांत का हिस्सा नहीं है, लेकिन फ्रांस में विद्यमान नीतिगत भावनाएं उसे "भारत-प्रशांत राष्ट्र" के रूप में पहचान देती हैं।7 फ्रांस के हिंद महासागर में और साथ ही प्रशांत महासागर में विदेशी क्षेत्र विद्यमान हैं। फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्रालय ने मई 2019 में प्रकाशित फ्रांस और भारत-प्रशांत में सुरक्षा लेख में यह बल प्रदान किया गया है कि फ्रांस का लगभग 9 मिलियन वर्ग किलोमीटर ईईजेड है, 1.6 मिलियन फ्रांसीसी नागरिक फ्रांसीसी विदेश विभागों और क्षेत्रों में रहते हैं तथा देश ने भारत-प्रशांत की एक निवासी शक्ति के रूप में अपनी सुरक्षा जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए विदेश में सशस्त्र बलों को तैनात किया है और स्थायी सैन्य ठिकाने स्थापित किए हैं।8
एक प्रमुख कारक जिसने हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में भू-राजनीतिक मंथन को प्रभावित किया है वह चीन की बढ़ती मुखरता है, जिसके संबंध में सभी तीनों देशों में निश्चित रूप से चिंता का एक अवयव विद्यमान है। क्षेत्रीय भू-राजनीतिक परिवेश पहले से ही अभूतपूर्व रूपांतरण के दौर से गुजर रहा है; और उस पर इस वैश्विक महामारी ने उस परिवर्तन को और भी तेज कर दिया है। जैसे-जैसे इस वैश्विक महामारी को लेकर चीन-विरोधी भावनाएं जोर पकड़ रही हैं, ऑस्ट्रेलिया-चीन संबंधों में कई 'कटु दरारें' उभर आई हैं। दूसरी ओर, यह बैठक एक ऐसे समय में आयोजित हो रही है जब भारत और चीन लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर परस्पर टकराव की स्थिति में आ गए हैं और यह स्थिति निरंतर ऐसी ही बनी हुई है। हालांकि फ्रांस, चीन के मुखर रवैये के बारे में आशंकित है, लेकिन उसने चीन के संबंध में अपेक्षाकृत कम कड़ा रुख अपनाया हुआ है। कुल मिलाकर, चीन निश्चित रूप से तीन देशों को एक त्रिपक्षीय व्यवस्था में एक साथ लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है।
त्रिपक्षीय संबंध के विकसित होने के साथ ही आने वाले वर्षों में सामुद्रिक सहयोग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र सिद्ध होगा जिस पर मुख्य रूप से बल प्रदान किया जाएगा। उद्घाटन बैठक के दौरान चर्चा किए गए प्रमुख क्षेत्रों में सामुद्रिक वैश्विक साझा हित भी एक क्षेत्र था। भारत, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस, दोनों ही के साथ नियमित रूप से संचालित द्विपक्षीय सामुद्रिक संवादों और द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। मार्च 2020 के प्रारंभ में, भारत और फ्रांस ने रीयूनियन द्वीप में पहला संयुक्त समन्वित गश्ती अभ्यास (सीओआईआरपीटीए) आयोजित किया था, जो भारतीय नौसेना द्वारा अब तक केवल अपने सामुद्रिक पड़ोसी देशों के साथ ही संचालित किया गया था।9 भारत और ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में आयोजित एक द्विपक्षीय शिखर-सम्मेलन के दौरान एक मह्त्वपूर्ण घोषणा की जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में सामुद्रिक सहयोग के लिए साझा दृष्टिकोण पर संयुक्त घोषणा थी, जिसमें इस बात को मान्यता दी गई थी कि "भविष्य में अनेक चुनौतियां पैदा होने की संभावना है, और ये चुनौतियां सामुद्रिक क्षेत्र से उत्पन्न होंगी"।10 भारत-ऑस्ट्रेलिया आभासी द्विपक्षीय शिखर-सम्मेलन के दौरान पारस्परिक सभार-तंत्र सहयोग संबंधी व्यवस्था (एमएलएसए) पर बहुप्रतीक्षित समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए, जो सामुद्रिक क्षेत्र जागरूकता में सैन्य अंतर्प्रचालनात्मकता और संयुक्त क्षमता में वृद्धि कर रक्षा सहयोग को बढ़ावा देगा। एमएलएसए भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक-दूसरे के सामरिक रूप से स्थित द्वीप प्रदेशों अर्थात मलक्का जलडमरूमध्य के समीप स्थित भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप-समूह तथा हिंद महासागर में लोम्बोक, सुंडा और मकासर जलडमरूमध्य के समीप स्थित ऑस्ट्रेलिया के कोकोस द्वीप-समूह का उपयोग करने की अनुमति प्रदान कर सकता है।11 भारत और फ्रांस के बीच वर्ष 2018 में इसी प्रकार के एक अन्य करार अर्थात पारस्परिक संभार-तंत्र सहयोग करार पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य "भारतीय और फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के लिए एक-दूसरे की सुविधाओं तक पारस्परिक पहुंच प्रदान के लिए संभार-तंत्र का विस्तार" करना है।फ्रांस के राष्ट्रपति की 12 मार्च 2018 को नई दिल्ली की राजकीय यात्रा के दौरान, दोनों देश साझी चिंताओं के प्रति हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग के संयुक्त सामरिक दृष्टिकोण पर सहमत हुए और उन्होंने त्रिपक्षीय वार्ता के प्रारूप में अन्य समान विचारधारा रख्नने वाले देशों के साथ साझेदारी करने की इच्छा भी व्यक्त की।6 ये करार हिंद महासागर क्षेत्र में सामुद्रिक सुरक्षा के लिए सामरिक साझेदारों के साथ भारत द्वारा भागीदारी किए जाने की दिशा में आगे बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। सामुद्रिक क्षेत्र में हितों की बढ़ती हुई अभिसारिता, वैश्विक साझे लक्ष्यों को हासिल करने तथा पारस्परिक सहयोग के साथ और आर्थिक समृद्धि का समर्थन करने के लिए सहयोग को और भी गहन बनाने की सम्भावना प्रदान करता है। जैसे-जैसे भारत एसएजीएआर (सागर - सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण और अब भारत-प्रशांत महासागरीय पहल (आईपीओआई) के अधीन परस्पर सहायक और सहयोगी तरीके से आईओआर में आर्थिक संबंधों और विकास को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रहा है, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय रूप से और त्रिपक्षीय व्यवस्था में भी भारत के लिए महत्वपूर्ण साझेदार सिद्ध हो सकते हैं। इस संबंध के लिए बल प्रदान किए जाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में सामुद्रिक क्षेत्र जागरूकता, निगरानी, समुद्री-डकैती के विरुद्ध संघर्ष और आतंकवाद से मुकाबला, एचएडीआर/एसएआर, समुद्री अर्थव्यवस्था, सामुद्रिक पारिस्थितिकी-तंत्र को संरक्षित करना, संभार-तंत्र सहयोग और संवर्धित अंतर्प्रचालनात्मकता शामिल हो सकते हैं।
तीव्रता से परिवर्तित भू-राजनीतिक परिदृश्य के मध्य, दिल्ली-पेरिस-कैनबरा त्रिपक्षीय वार्ता, भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जैसाकि भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में इसका उल्लेख “परिणामोन्मुख"13 के रूप में किया गया है, यह त्रिपक्षीय वार्ता तीनों पक्षों को भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के उनक प्रयासों को अधिक सक्रिय बनाने के लिए सामान्य मूल्यों और हितों का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती है।
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*डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय , विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[1]प्रथम भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय वार्ता का वरिष्ठ स्तर पर 9सितंबर, 2020को वर्चुअलआयोजनhttps://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/32950/1st+Senior+Officials+IndiaFranceAustralia+Trilateral+Dialogue
[1]मैक्रों की प्रशांत तनाव के बीच पेरिस-दिल्ली-कैनबरा कार्यनीति की इच्छा, 3 मई, 2018मैक्रों की प्रशांत तनाव के बीच पेरिस-दिल्ली-कैनबरा कार्यनीति की इच्छा, 3 मई, 2018, https://www.reuters.com/article/us-australia-france/macron-wants-strategic-paris-delhi-canberra-axis-amid-pacific-tension-idUSKBN1I330F
[1]मोदी-मॉरिसन शिखर सम्मेलन भारत की कूटनीतिक परंपरा में एक खाई को दूर करने में सहायक हो सकता है, 04 जून 2020, https://indianexpress.com/article/opinion/columns/india-narendra-modi-australia-scott-morrison-virtual-summit-c-raja-mohan-6441370/
[1]भारत गणराज्य और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक सामरिक साझेदारी पर संयुक्त वक्तव्य, 04 जून, 2020,https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/32729/Joint_Statement_on_a_Comprehensive_Strategic_Partnership_between_Republic_of_India_and_Australia
[1]https://twitter.com/FranceinIndia
[1]फ्रांस और हिंद-प्रशांत में सुरक्षा, ‘सशस्त्र बल मंत्रालय’, फ्रांस, 2019
[1]पूर्वोक्त
[1]सर्वप्रथम, भारत, फ्रांस द्वारा रीयूनियन द्वीप, 21 मार्च 2020 से संयुक्त गश्ती दल का संचालन किया गया,https://www.thehindu.com/news/international/in-a-first-india-france-conduct-joint-patrols-from-reunion-island/article31129323.ece
[1]भारत गणराज्य और ऑस्ट्रेलिया सरकार के बीच हिंद-प्रशांत में समुद्री सहयोग के लिए साझा दृष्टिकोण पर संयुक्त घोषणा, 04 जून, 2020, https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/32730/Joint_Declaration_on_a_Shared_Vision_for_Maritime_Cooperation_in_the_IndoPacific_Between_the_Republic_of_India_and_the_Government_of_Australia
[1]इतिहास पुनरावृत्ति : कोकोस द्वीप समूह में ऑस्ट्रेलियाई सैन्य शक्ति, https://theconversation.com/history-repeating-australian-military-power-in-the-cocos-islands-4484
[1]फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान भारत-फ्रांस संयुक्त वक्तव्य (10 मार्च, 2018, https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=177251
[1]पूर्वोक्त, no. 1