पिछले कुछ वर्षों से, हिंद-प्रशांत का सिद्धान्त एशिया में अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर रणनीतिक संवाद को प्रभावित कर रहा है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्रों को एकीकृत करने वाले एक नए मेगा-क्षेत्रीय निर्माण के उद्भव की एक स्थानिक अवधारणा के रूप में, हिंद-प्रशांत तीन दशक पुराने एशिया प्रशांत क्षेत्रीय व्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। हालांकि, दोनों क्षेत्रों के बीच अन्योन्याश्रय को पहचाना जा रहा है, हिंद-प्रशांत के सिद्धान्त के प्रति देशों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। यद्यपि क्षेत्रीय सीमाओं का पुनरुत्थान और व्यवस्था का पुन: एकीकरण एक वास्तविक प्रक्रिया है जो नई वास्तविकताओं को दर्शाती है, लेकिन उभरती हुई रिवायत की ताकत भी क्षेत्रीय भूराजनीतिक कल्पनाओं के मुकाबले का एक परिणाम है। हिंद-प्रशांत के सिद्धान्त को व्यापक रूप से एक क्षेत्रीय भू-राजनीतिक व्यवस्था माना जाता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) उसके मित्र देशों और एशिया में सहयोगियों के बीच साझा किया जाता है, जो ‘चीन के उदय’ से संबंधित हैं।1 दक्षिण कोरिया (इसके बाद कोरिया), अमेरिका का मित्र देश होने के बावजूद अब तक हिंद-प्रशांत के प्रति अपने दृष्टिकोण में अस्पष्ट रहा है। बड़ी शक्ति की क्षेत्रीय भूराजनीति की अनिश्चितताओं से दूर जाने और खुद को एक स्वतंत्र क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करने की रणनीतिक अस्पष्टता की रणनीति के रूप में कोरियाई दृष्टिकोण और भू-राजनीतिक कल्पना के विकास को मानचित्रित करना, लेख अवधारणा का समर्थन किए बिना सियोल के हिंद-प्रशांत के साथ जुड़ने की नीति की व्याख्या करता है।
कोरिया के हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण का विकास
हालांकि हिंद-प्रशांत का सिद्धान्त रणनीतिक और विदेश नीति में एक दशक से अधिक समय से चला आ रहा है, लेकिन जब तक वाशिंगटन ने 2017 में “फ्री एंड ओपन हिंद-प्रशांत स्ट्रैटेजी” (एफओआईपीएस) की घोषणा करके इस सिद्धान्त का समर्थन नहीं किया तब तक इस पर कोरिया में बहुत कम ध्यान दिया गया था।2 हिंद-प्रशांत के लिए कोरिया की पहले की उदासीनता मुख्य रूप से जापान के सिद्धान्त के साथ जुड़ाव के कारण रही है। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक मुद्दों पर संघर्ष के कारण कोरिया में जापानी विरोधी भावनाओं की स्थिति को देखते हुए, हिंद-प्रशांत, एक सिद्धान्त जो जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे द्वारा आरंभ और प्रसारित किया गया था, सियोल में अस्वीकरणीय था।3
नवंबर 2017 में कोरिया की यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वाशिंगटन अमेरिका-कोरिया गठबंधन को “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि के लिंचपिन” के रूप में देखता है।4 हिंद-प्रशांत रणनीति में शामिल होने के राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रस्ताव ने सियोल को हैरान कर दिया। विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति कार्यालय की प्रतिक्रियाओं में अंतर था। जबकि विदेश मंत्रालय ने हिंद-प्रशांत रणनीति का स्वागत किया, राष्ट्रपति कार्यालय अपनी प्रतिक्रिया में उदासीन था। यह तर्क देते हुए कि कोरिया को हिंद-प्रशांत रणनीति से बहुत कम लाभ होगा, राष्ट्रपति कार्यालय ने बाद में प्रस्ताव को खारिज कर दिया।5
शुरुआत में हिंद-प्रशांत विचार पर संदेह रखने के बावजूद, कोरिया ने धीरे-धीरे उन कई बयानों का जवाब देना शुरू कर दिया जो उसे घेरे हुए थे। जुलाई 2018 में राष्ट्रपति मून की भारत यात्रा के दौरान जारी भारत-कोरिया के संयुक्त दृष्टिकोण में हिंद-प्रशांत संवाद में कोरिया की बढ़ती रुचि पर प्रकाश डाला गया। दृष्टिकोण दस्तावेज में “शांतिपूर्ण, स्थिर, सुरक्षित, मुक्त, खुला, समावेशी और नियम आधारित क्षेत्र” का उल्लेख किया गया था जो भारत की ऐक्ट ईस्ट नीति और कोरिया की नई दक्षिणी नीति (एनएसपी) के बीच बढ़ती समाभिरूपता को दर्शाता है। अपने दृष्टिकोण में, भारत-कोरिया ने ‘हिंद-प्रशांत’ सिद्धान्त का उल्लेख किए बिना कहा कि क्षेत्रीय व्यवस्था के लिए उनकी साझा-दृष्टिकोण, हिंद-प्रशांत के प्रति भारत के दृष्टिकोण से मिलता-जुलता है। हालांकि, यह कहा गया कि कोरिया ने “हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति भारत की समावेशी और सहयोगी दृष्टिकोण पर ध्यान दिया है”।6
कोरिया ने ‘हिंद-प्रशांत पर आसियान आउटलुक’ (एओआईपी) का भी स्वागत किया है। नवंबर 2019 में कोरिया-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति मून ने कहा “आसियान देशों द्वारा घोषित हिंद-प्रशांत पर आसियान आउटलुक में स्वागत करता हूँ ... और हम आसियान केंद्रीयता के आधार पर क्षेत्रीय सहयोग में शामिल होंगे”।7 शिखर सम्मेलन में जारी किया गया संयुक्त कथन और राष्ट्रपति मून की टिप्पणियों को एक-साथ जोड़ कर देखा जाए तो प्रतीत होता है कि सियोल खुले तौर पर हिंद-प्रशांत के प्रति आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन कर रहा है।8 दोनों पक्षों ने “आसियान-आरओके (कोरिया गणराज्य) रणनीतिक भागीदारी के माध्यम से क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा, स्थिरता, समृद्धि और साझेदारी बढ़ाने में अपना योगदान देता रहेगा, जो हमारे लोगों के पारस्परिक लाभों को साकार बनाने के लिए उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग का समर्थन करता है”।9 एओआईपी के प्रति अपने समर्थन की घोषणा करते हुए, यह ध्यान देना दिलचस्प रहा कि सियोल के कथन में हिंद-प्रशांत का कोई विशिष्ट संदर्भ नहीं था।
हाल में कोरिया, यूएस की हिंद-प्रशांत रणनीति के साथ जुड़ने के लिए सकारात्मक कदम उठा रहा है, जो एफओआईपीएस और एनएसपी के बीच आम जमीन की खोज के प्रयासों की ओर इशारा करता है। जून 2019 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अपने शिखर सम्मेलन के दौरान, कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा, “खुलेपन, समावेशिता और पारदर्शिता के क्षेत्रीय सहयोग सिद्धांतों के तहत, हम कोरिया की नई दक्षिणी नीति और यूएस की हिंद-प्रशांत रणनीति के बीच सामंजस्यपूर्ण सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं”।10 दोनों नेताओं की अगुवाई में नवंबर 2017 में जारी एक संयुक्त दस्तावेज में कहा गया है:
“कोरिया गणराज्य और संयुक्त राज्य अमेरिका, कोरिया गणराज्य की नई दक्षिणी नीति और संयुक्त राज्य अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति के सिद्धांतों के आधार पर खुलेपन, समावेशिता, पारदर्शिता, अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के लिए सम्मान, और आसियान केंद्रीयता के सिद्धांतों के आधार पर सहयोग के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक सुरक्षित समृद्ध और गतिशील भविष्य बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं”।11
दस्तावेज़ में तीन श्रेणियों में एनएसपी और एफओआईपीएस के बीच क्षेत्रीय सहयोग को रेखांकित किया गया; समृद्धि (ऊर्जा, अवसंरचना, विकास ऋण, और डिजिटल अर्थव्यवस्था), लोग (सुशासन और नागरिक समाज), और शांति (मेकांग क्षेत्र-जल प्रबंधन और प्रशांत द्वीप देशों-जलवायु परिवर्तन)। हालांकि, संयुक्त प्रस्ताव में दोनों देशों के बीच पारंपरिक अर्थों में सुरक्षा पर सहयोग का कोई उल्लेख नहीं है।12
कोरिया ने ऑस्ट्रेलिया की हिंद-प्रशांत रणनीति के साथ जुड़ने में भी दिलचस्पी दिखाई है। दिसंबर 2019 में आयोजित द्वितीय कोरिया-ऑस्ट्रेलिया 2+2 वार्ता के दौरान, सियोल “खुलेपन, समावेशिता, पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति सम्मान के आधार पर” अपनी ‘नई दक्षिणी नीति’ और ऑस्ट्रेलिया की ‘हिन्द-प्रशांत रणनीति’ के बीच तालमेल तलाशने के लिए सहमत हुआ।13 क्षेत्रीय साझेदारी की दिशा में पहले कदम के रूप में, सियोल और कैनबरा ने क्षेत्रीय विकास सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किया।14
कोरिया की सामरिक संदिग्धता की व्याख्या
हिंद-प्रशांत को लेकर कोरिया का संदिग्धार्थक रवैया उसकी इस धारणा के कारण है कि यह अवधारणा स्वयं में क्षेत्रीय भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का एक अभिन्न खंड है।15 कोरियाई विश्लेषकों ने हिंद-प्रशांत की व्याख्या चीन को काबू में लाने के लिए वाशिंगटन द्वारा संचालित एक रणनीति के रूप में की है, और इस धारणा का समर्थन करना चीन को काबू करने की इस रणनीति में साथ देने की सहमति देने के समान होगा।16 दिसंबर 2017 में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की एक विज्ञप्ति में चीन को स्पष्ट तौर पर एक संशोधनवादी शक्ति कहा था और वाशिंगटन की विदेश नीति के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती के रूप में भविष्यगामी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की दमनकारी दृष्टि ने कोरिया के नज़रिए को मजबूत बनाया कि एफओआईपीएस चीन को काबू में करने की एक रणनीति है।17 इस संबंध में, कोरियाई रणनीतिक टिप्पणीकारों ने हिंद-प्रशांत को मुख्य रूप से क्यूयूएडी या यूएसए, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया वाले चतुर्भुज समूह के साथ जोड़ा और इसे चीन के उदय और इसकी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का मुकाबला करने के लिए अमेरिका द्वारा संचालित एक व्यवस्था के रूप में माना।18 इसका समय भी अजीब था। वाशिंगटन का हिंद-प्रशांत प्रस्ताव उस समय आया जब सियोल चीन के साथ अपने संबंधों को सुधारने का प्रयास कर रहा था, जो टीएचएएडी विवाद के कारण बिगड़ गया था।19
पिछले तीन दशकों के दौरान, कोरिया ने वाशिंगटन के साथ सुरक्षा गठबंधन को बनाए रखते हुए, बीजिंग के साथ अपने आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करने में कामयाबी हासिल की है। वर्तमान में चीन कोरिया का शीर्ष आर्थिक साझेदार है। हालांकि, अमेरिका और चीन के बीच एक बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा कोरिया को कोई युक्ति लगाने या स्वायत्तता हासिल करने की अनुमति नहीं देता। इसलिए वाशिंगटन और बीजिंग के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखना कुछ समय से कोरियाई विदेश नीति में प्रचलित है। 2017 में अपने उद्घाटन के बाद से, राष्ट्रपति मून जे-इन ने खुले तौर पर कहा था कि वे संतुलित कूटनीति का अनुसरण कर रहे हैं। मून के अनुसार, कोरिया:
“का संबंध चीन के साथ न केवल आर्थिक सहयोग के मामले में, बल्कि उत्तर कोरिया के परमाणु मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान हेतु रणनीतिक सहयोग के लिए भी महत्वपूर्ण बन गया है। यही कारण है कि मैं अमेरिका और चीन के साथ संतुलित कूटनीति का अनुसरण कर रहा हूं।”20
वाशिंगटन और बीजिंग के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रति सियोल का प्रयास चीन के बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के कोरियाई दृष्टिकोण से परिलक्षित होता है।21 हालांकि सियोल ने अपनी नई उत्तरी नीति और नई दक्षिणी नीति के साथ बीआरआई का आम आधार खोजने में रुचि दिखाई है, लेकिन इसने अभी तक बीजिंग की पहल का खुला समर्थन नहीं किया है या खुले तौर पर अपनाया नहीं है।22 कोरियाई सरकार के अधिकारियों की ओर से बीआरआई पर आने वाले विवादित संदेश, सियोल की ओर से बीआरआई के दृष्टिकोण पर जानबूझकर संदिग्धता बनाए रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों की ओर इशारा करते हैं।23
कोरिया की हिंद-प्रशांत संदिग्धता का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू, अमेरिकी-कोरिया सुरक्षा गठबंधन के सन्दर्भ में सियोल का उलझाव-त्यागना दुविधा से संबंधित है।24 प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना कोरिया के व्यापार, निवेश और ऊर्जा हितों के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन विस्तारित हिंद-प्रशांत सुरक्षा दृष्टि से सियोल के लिए एक मुख्य भूगोल का गठन नहीं करता है। कोरिया का मुख्य सुरक्षा हित उत्तर कोरिया से होने वाले खतरे पर ध्यान देते हुए कोरियाई प्रायद्वीप और उत्तर पूर्व एशियाई क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। इसलिए, गठबंधन के दायरे का विस्तार करने के प्रस्ताव को कोरिया ने उत्साहपूर्वक प्राप्त नहीं किया है। यह दो अन्य कारणों से भी है। पहला, इससे गठबंधन को बनाए रखने में सियोल की लागत बढ़ेगी। दूसरा, उलझने का खतरा है। इसका मतलब यह है कि कोरिया एक ऐसे संघर्ष में फंस सकता है, जिसमें अमेरिका शामिल है। वाशिंगटन की ओर से अमेरिका-कोरिया गणराज्य गठबंधन को अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति का लिंचपिन बनाने का प्रस्ताव, चीन के उदय सहित उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए गठबंधन के दायरे को उत्तर कोरिया के डर से आगे बढ़ाने का एक स्पष्ट संदेश है। हालाँकि, सियोल वाशिंगटन के गठबंधन परिवर्तन के प्रस्ताव से सहज नहीं है, लेकिन उत्तर कोरियाई सुरक्षा चुनौती के बढ़ते स्तर और अमेरिकी गठबंधन से मिलने वाले सामान्य सुरक्षा आवरण को देखते हुए अमेरिकी मांग को अस्वीकार या अनदेखा करना आसान नहीं है।25 एक ऐसे प्रकरण में जहां ट्रम्प प्रशासन गठबंधन परिवर्तन के लिए बड़ा दबाव डालता रहा है, अमेरिका के साथ 'हिंद-प्रशांत रणनीति' में शामिल होने की दिशा में कोरिया द्वारा उठाया गया हालिया कदम उलझाव-परित्याग दुविधा से बाहर निकलने की एक समझौता स्थिति है।
वाशिंगटन के दबाव के अलावा, यूएस हिंद-प्रशांत रणनीति का विकास और हिंद-प्रशांत धारणा के विस्तार ने भी कोरियाई दृष्टिकोण को प्रभावित किया है। पिछले दो वर्षों में, हिंद-प्रशांत के प्रति वाशिंगटन की व्याख्या, जिसमे शुरुआत में टकराव का सुर था जैसा कि 2017 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में व्यक्त किया गया था, विकसित हुई है और इसमें क्षेत्र के देशों के साथ अमेरिका के सहयोग के दायरे और महत्व को बढ़ाया गया है।26 उदाहरण के लिए, 1 जून, 2019 को अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा हिंद-प्रशांत रणनीति पर जारी की गई रिपोर्ट में तैयारियों, साझेदारी और नेटवर्क वाले क्षेत्र के प्रोन्नति के माध्यम से इस क्षेत्र के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता पर बल दिया गया था। इसमें चार सिद्धांतों को व्यक्त किया गया है जो कोरिया गणराज्य साझा करता है, जिसमें सभी देशों की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए सम्मान, विवादों का शांतिपूर्ण समाधान, स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार, और नैविगेशन की स्वंतंत्रता और ऊपरी उड़ानों सहित अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानदंडों का पालन करना शामिल है।27 इसी प्रकार, विदेश विभाग द्वारा प्रकाशित एक दस्तावेज, ‘एक स्वतंत्र और खुला हिन्द-प्रशांत: एक साझा दृष्टि को आगे बढ़ाना’ व्यापार, अवसंरचना, ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हुए राजनयिक और आर्थिक सहयोग पर अधिक बल देता है। रिपोर्ट में कहा गया है, “हिंद-प्रशांत के संबंध में अमेरिका की दृष्टि में किसी भी राष्ट्र को बाहर नहीं रखा गया है”। हम देशों से अपने साथी या किसी दूसरे के बीच चयन करने को नहीं कहते हैं। इसके बजाय, हम चाहते हैं कि जब ये सिद्धांत नई खतरों में पड़े हैं, वे समय-समय पर क्षेत्रीय व्यवस्था के मूल सिद्धांत को कायम रखें”।28 यूएस हिंद-प्रशांत का अद्यतन संस्करण जो क्षेत्रीय व्यवस्था में एक समावेशी और बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल करता है, कोरिया को अमेरिका और चीन के बीच किसी एक को चुनने की दुविधा में डाले बिना वाशिंगटन की क्षेत्रीय पहल के साथ काम करने के लिए अधिक युक्तियाँ लगाने की अनुमति देता है।
हिंद-प्रशांत धारणा का विकास स्वयं में एक ऐसा अन्य कारक था जिसने कोरियाई दृष्टिकोण को प्रभावित किया। क्योंकि विभिन्न देशों ने हिन्द-प्रशांत अवधारणा के प्रति अपना अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, इसलिए इस अवधारणा के संबंध में कोरिया की शंका गायब होती प्रतीत होता है।29 हिन्द-प्रशांत विमर्शों के विस्तारण एवं विविधिकरण के साथ, कोरिया इस अवधारणा से संबंधित विभिन्न दृष्टिकोणों की न केवल सराहना करने लगा है बल्कि ‘अमेरिका की एक बड़ी कूटनीति’ की अपनी शुरुआती व्याख्या से उबरने लगा है, इसने विचार के भौगोलिक और सामरिक धारणा के बीच अंतर भी बताया है।30 इस संबंध में, कोरिया ने ‘हिन्द-प्रशांत पर आसियान का आउटलुक’ का भी स्वागत किया और भारत और ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों की हिन्द-प्रशांत पहल के साथ जुड़ाव शुरू करने लगा।
निष्कर्ष
एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, कोरिया एशिया में विकसित होते क्षेत्रीय संरचना में एक महत्वपूर्ण हितधारक है। हालाँकि, एक विभाजित देश के रूप में इसकी स्थिति और प्रतिस्पर्धी शक्तियों के बीच पूर्वोत्तर एशिया में इसकी अवांछनीय भूराजनीतिक अवस्थिति, कोरिया की प्रभावित करने की क्षमता को सीमित करता है, लेकिन क्षेत्रीय मुद्दों पर एक सुसंगत रुख अपनाने के रास्ते में भी आता है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता का असर कोरिया की रणनीतिक स्थिति और उसकी विदेश नीति की गहराती दुविधा पर पड़ा है। हिंद-प्रशांत के प्रति कोरिया का दृष्टिकोण एक ऐसा मामला है जो इसकी विदेश नीति में एक उभरती हुई रणनीतिक दुविधा का चित्रण करता है लेकिन हिंद-प्रशांत एकमात्र उदाहरण नहीं है जिसमें कोरिया को रणनीतिक संदिग्धता का सहारा लेते हुए देखा गया है। दक्षिण चीन सागर और बीआरआई के प्रति कोरियाई दृष्टिकोण भी इसी तरह की विदेश नीति व्यवहार को दर्शाता है।31
पिछले दो वर्षों में, हिन्द-प्रशांत के प्रति कोरिया का दृष्टिकोण, अस्वीकृति की प्रारंभिक स्थिति से सावधानीपूर्ण जुड़ाव में विकसित हुआ है। इस विकास के बावजूद, सियोल हिंद-प्रशांत अवधारणा पर संदिग्धता बनाए हुआ है। इस संदिग्धता को इसके रुख की अभिव्यक्ति के अभाव या विचार के समर्थन के अभाव के रूप में देखा जा सकता है। इस संदर्भ में, क्षेत्रीय व्यवस्था के लिए अपने दृष्टिकोण के रूप में एनएसपी की प्रोन्नति, स्वायत्तता बरक़रार रखने और एक स्वतंत्र क्षेत्रीय अभिकर्ता के रूप में अपनी छवि को बढ़ाने का एक प्रयास है। ऐसा करने के लिए, सियोल अमेरिका और चीन के बीच एक मध्य-मार्ग तलाशने का प्रयास करता है ताकि बड़ी शक्तियों के भू-राजनैतिक दुश्मनी के प्रभावों को कम करते हुए क्षेत्रीय अवसरों का लाभ उठाया जा सके। हालांकि, एक स्वतंत्र रुख बनाए रखने की कोरिया की क्षमता कोरियाई प्रायद्वीप की सुरक्षा परिस्थितियों और अमेरिका-चीन दुश्मनी की तीव्रता के अधीन है। कोविड 19 महामारी के समय में बड़ी शक्तियों की दुश्मनी का गहराना सामान्य रूप से कोरियाई विदेश नीति और विशेष रूप से इसके क्षेत्रीय दृष्टिकोण के लिए बड़ी चुनौतियां उत्पन्न कर रही है।
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*डॉ. जोजिन वी. जॉन, शोधकर्ता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
टिप्पणियाँ
[1]Chengxin Pan (2014) The ‘Indo-Pacific’ and geopolitical anxieties about China's rise in the Asian regional order, Australian Journal of International Affairs, 68:4, 453-469.
2Paik, Wooyeal, Jaehyun Lee et al. 2020. The Quad Countries' Indo-Pacific Strategies and Ensuing Responses by South Korea, Seoul: Asan Institute of Policy Studies), https://bit.ly/2XoDRQI. Accessed on May 12, 2020; Kim, Jaechun "South Korea’s Free and Open Indo-Pacific Dilemma", Diplomat, April 27, 2018, https://thediplomat.com/2018/05/south-koreas-free-and-open-indo-pacific-dilemma/ Accessed on May 12, 2020
3Op.cit. Paik, Wooyeal, Jaehyun Lee et al. 2020
4"President Donald J. Trump’s Visit to the Republic of Korea", The White House, November 8, 2017, https://www.whitehouse.gov/briefings-statements/president-donald-j-trumps-visit-republic-korea/. Accessed on May 12, 2020
5Op.cit. Kim, Jaechun, "South Korea’s Free and Open Indo-Pacific Dilemma”.
6Ibid
7"South Korea’s “support of the ASEAN Outlook on the Indo-Pacific”", Hankyoreh, November 28, 2019, english.hani.co.kr/arti/english_edition/e_editorial/918905.html. Accessed on May 12, 2020
8"ASEAN-Republic of Korea Joint Vision Statement for Peace, Prosperity and Partnership" November 26, 2019, https://asean.org/asean-republic-korea-joint-vision-statement-peace-prosperity-partnership/ Accessed on May 12, 2020
9"The ASEAN-ROK Joint Vision Statement", November 4, 2019, https://asean.org/storage/2019/11/The-ASEAN-ROK-Joint-Vision-Statement-Final-formatted-4-November-201....pdf. Accessed on May 12, 2020
10"Opening Remarks by President Moon Jae-in at Joint Press Conference Following Korea-U.S. Summit", Ministry of Foreign Affairs, ROK, June 30, 2019, www.mofa.go.kr/eng/brd/m_5674/view.do?seq=319902&srchFr=&srchTo=&srchWord=&srchTp=&multi_itm_seq=0&itm_seq_1=0&itm_seq_2=0&company_cd=&company_nm=. Accessed on May 12, 2020
11“U.S. & ROK Issue a Joint Factsheet on their Regional Cooperation Efforts", US Embassy in Korea, November 2, 2019, https://kr.usembassy.gov/110219-joint-fact-sheet-by-the-united-states-and-the-republic-of-korea-on-cooperation-between-the-new-southern-policy-and-the-indo-pacific-strategy/
12“The Republic of Korea and the United States Working Together to Promote Cooperation between the New Southern Policy and the Indo-Pacific Strategy”, US Embassy, Seoul, November 2, 2019, https://kr.usembassy.gov/110219-joint-fact-sheet-by-the-united-states-and-the-republic-of-korea-on-cooperation-between-the-new-southern-policy-and-the-indo-pacific-strategy/. Accessed on May 12, 2020
13"Australia-Republic of Korea Foreign and Defence Ministers' 2+2 Meeting 2019 Joint Statement", Department of Defence, Australia, 12 December 2019, https://www.minister.defence.gov.au/minister/lreynolds/statements/australia-republic-korea-foreign-and-defence-ministers-22-meeting-2019. Accessed on May 12, 2020
14Ibid
15See, Jaechun Kim; In-Hyo Seol “Trump's Administration Indo-Pacific Strategy, KIDA Defense Issues & Analyses, http://www.kida.re.kr/cmm/viewBoardImageFile.do?idx=26600. Accessed on May 12, 2020
16Op.cit. Paik, Wooyeal, Jaehyun Lee et al. 2020
17"S. Korea needs to consider its own national interests ahead of the US’", Hankyoreh, November 19, 2019, english.hani.co.kr/arti/english_edition/e_international/917637.html; Lee Dae Woo, U.S. Indo-Pacific Strategy, Sejong Policy Briefing, July 26, 2018, http://www.sejong.org/boad/1/egofiledn.php?conf_seq=3&bd_seq=4410&file_seq=11288. Accessed on May 12, 2020
18In-Hyo Seol “Trump's Administration Indo-Pacific Strategy, KIDA Defense Issues & Analyses, http://www.kida.re.kr/cmm/viewBoardImageFile.do?idx=26600. Accessed on May 12, 2020
19Terminal High Altitude Area Defense (THAAD), is an American anti-ballistic missile defence system. Korea’s decision to deploy THAAD in 2016, ensued a controversy between Seoul and Beijing. See, Jojin John, “Towards a “New Normal”: Explaining Developments in South Korea- China Relations”, ICWA Issue Brief, May 2, 2018, /show_content.php?lang=1&level=3&ls_id=4935&lid=1734. Accessed on May 12, 2020
20"Cooperation with the US, Japan important to deal with tension with Pyongyang: South Korea's Moon", Chanel News Asia, November 3, 2017, https://www.channelnewsasia.com/news/asia/cooperation-with-the-us-japan-important-to-deal-with-tension-9373348. Accessed on May 12, 2020
21Op.cit. Jojin John , “Towards a “New Normal”: Explaining Developments in South Korea- China Relations”
22John Power, "What does South Korea think of China’s belt and road? It’s complicated", South China Morning Post, https://www.scmp.com/news/asia/southeast-asia/article/3012713/what-does-south-korea-think-chinas-belt-and-road-its. Accessed on May 12, 2020
23Ibid
24Ellen Kim and Victor Cha, "Between a Rock and a Hard Place: South Korea’s Strategic Dilemmas with China and the United States," Asia Policy 21 (2016): 101-121.
25Anthony V Rinna, "Containing China through the South Korea–US alliance" East Asia Forum, 21 November 2019, https://www.eastasiaforum.org/2019/11/21/containing-china-through-the-south-korea-us-alliance; Clint Work, "Beyond North Korea: Fractures in the US-South Korea Alliance", The Diplomat, February 11, 2020, https://thediplomat.com/2020/02/beyond-north-korea-fractures-in-the-us-south-korea-alliance/. Accessed on May 12, 2020
26“Indo Pacific Strategy Report: Preparedness, Partnerships, and Promoting a Networked Region.” US Department of Defense, June 1, 2019, https://www.documentcloud.org/documents/6111634; “A Free and Open In do Pacific: Advancing a Shared Vision”, US State Department, November 3 2019 https://www.state.gov/a free and open indo pacific advancing a shared vision/. Accessed on May 12, 2020
27Lee, Sook Jong, “ROK-US Cooperation in an Era of US-China Strategic Competition”, EAI Issue Briefing, November 26, 2019, http://www.eai.or.kr/main/english/publication_01_view.asp?intSeq=10351&board=eng_report&keyword_option=&keyword=&more=. Accessed on May 12, 2020
28“ A Free And Open Indo-Pacific”, US State Department, November 4, 2019, https://www.state.gov/wp-content/uploads/2019/11/Free-and-Open-Indo-Pacific-4Nov2019.pdf
29Paik, Wooyeal, Jaehyun Lee et al. 2020. The Quad Countries' Indo-Pacific Strategies and Ensuing Responses by South Korea
30Ibid
31Moon, C.-I and Boo, S. “Coping with China’s rise”, Asian Journal of Comparative Politics 2 no.1 (2017): 3–23.