सीरिया में चल रहा गृह युद्ध अपने आठवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और अतीत में चलाए गए कई शांति पहल से कोई वांछनीय परिणाम प्राप्त न हो सका है। हालाँकि सीरियाई संकट की वर्तमान गतिशीलता को जिस घटना ने बदला है, वह हाल ही में फरवरी 2020 में इदलिब शहर में सीरिया की सेना द्वारा दो अलग-अलग हवाई हमलों में चालीस से अधिक तुर्की सैनिकों का मारा जाना है। राष्ट्रपति इरदुगान और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हाल में हुए बैठक के बावजूद, जमीनी राजनीतिक नाज़ुकता, मिलिशिया की ओर से प्रतिबद्धता की कमी और अलग-अलग हितधारकों की बदलती रुचि को देखते हुए शांति और स्थिरता पुनः एक दूर की वास्तविकता प्रतीत होती है। 2015 के गृहयुद्ध में रूस के प्रवेश ने परिस्थिति को राष्ट्रपति असद के पक्ष में कर दिया था और एक बार फिर से रूस ने सीरिया में तुर्की की रणनीतिक चाल को नाकाम कर दिया। कुछ समय पहले तक उत्तर-पश्चिम सीरिया का इदलिब शहर एक मात्र ऐसा शहर था जो असद की सेनाओं के नियंत्रण में नहीं था, लेकिन वर्तमान में रूस-सीरिया द्वारा चलाए गए संयुक्त अभियान ने इदलिब और आसपास के क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा सीरिया की सेना के नियंत्रण में वापस ले आया है। इदलिब पर छिड़े युद्ध ने अतीत के दो शांतिदूतों (तुर्की और रूस) के संबंधों को रणनीतिक दुश्मनी में बदल दिया है और उनकी बढ़ती शत्रुता ने सीरिया की राजनीति के पूरे खेल को बदल कर रख दिया है।
सोची युद्ध विराम और इदलिब में तुर्की बलों की तैनाती:
सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ने के कुछ समय बाद, सीरिया-तुर्की सीमा पर बदलती सुरक्षा स्थिति, शरणार्थियों पर हुए हमले और सीरिया में कुर्दों के नए पुनरुत्थान ने तुर्की को यूफ्रेट्स शील्ड (अगस्त 2016-मार्च 2017)1 अभियान, ओलिव ब्रांच (जनवरी 2018)2 अभियान और पीस स्प्रिंग (नवंबर 2019) अभियान जैसे कई अभियान शुरू करने के लिए मजबूर किया, जिसने इसे राष्ट्रपति असद की सेनाओं के साथ सीधे मुकाबले में लाकर खड़ा दिया। इन वर्षों में, राष्ट्रपति असद की सेना और उनके सहयोगियों ने इदलिब शहर, जो अल-नुसरा और अल-कायदा सहित असद विरोधी बलों और अन्य खूंखार मिलिशियों के लिए एक अभयारण्य था, को छोड़कर विद्रोही बलों, आईएसआईएस और अन्य मिलिशियों के नियंत्रण में रहे सभी क्षेत्रों को पुनः हथिया लिया है।3
इदलिब लगभग तीन मिलियन लोगों का घर है और तुर्की हमेशा इदलिब पर किसी भी हमले का विरोध करता रहा है क्योंकि उसे डर था कि शरणार्थी उनके क्षेत्रों में उमड़ पड़ेंगे। इसने हमेशा बातचीत के माध्यम से विद्रोही ताकतों को बाहर निकालने और इदलिब के निवासियों के लिए एक राजनीतिक समाधान खोजने को प्राथमिकता दी है। इसने काफी समय पहले एलेप्पो के पतन के बाद 2016 में इदलिब में कोई भी सैन्य कार्रवाई करने के खिलाफ चेतावनी दी थी।
तुर्की और रूस ने 17 सितंबर, 2018 को रूस के सोची शहर में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया, जिसमें इदलिब क्षेत्र में आतंकवादी समूहों के खिलाफ रूस-तुर्की द्वारा संयुक्त रूप से एक युद्ध छेड़ कर तुर्की द्वारा बनाए गए सुरक्षित क्षेत्र से कुर्द को हटाने का उद्देश्य रखा गया था।4 इस समझौते में इदलिब में सीरियाई बलों और विद्रोही बलों के बीच एक बफर ज़ोन के निर्माण की परिकल्पना की गई और अल-नुसरा और अल-कायदा जैसे कट्टरपंथी गुटों को अन्य क्षेत्रों में चले जाने के लिए एक महीने का समय दिया गया, जिसके दौरान यह क्षेत्र रूसी या सीरियाई हमले से सुरक्षित रहता।5 सोची समझौते ने विसैन्यीकृत क्षेत्र में बारह पर्यवेक्षण स्थलों के निर्माण की अनुमति भी दी थी जो तुर्की बलों द्वारा संचालित किया जाना था। पर्यवेक्षकों को इस बात की चिंता थी कि विपक्ष और आतंकवादी ताकतों के बीच कैसे अंतर किया जाए और कैसे तय किया जाए कि कौन क्षेत्र में रहेगा और कौन छोड़ कर जाएगा।
इदलिब: एक नई आग भड़की
इस प्रकार सोची समझौता का विफल होना सुनिश्चित था और इसलिए इदलिब में हमले और मारपीट बेरोकटोक जारी रहे। रूस ने हमेशा दावा किया है कि इदलिब आतंकवाद के पनपने का अड्डा रहा है और वहां के विद्रोही रासायनिक हथियार तैयार कर रहे थे6 और युद्धविराम के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखा रहे थे। दूसरी ओर, सीरिया कहता रहा कि इदलिब में जो भी मारे जा रहे हैं वो आतंकवादी थे, जबकि तुर्की ने बताया कि मारे गए लोगों में नागरिक भी शामिल थे। सोची समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से, 1800 नागरिक मारे गए हैं और लगभग 1.7 मिलियन लोग इदलिब छोड़ कर चले गए हैं और सीरिया-तुर्की सीमा पर बहुत भीड़ इकट्ठा हो गई है।7 दिसंबर 2019 के बाद से, 380 लोग मारे गए हैं और 800,000 लोग इदलिब शहर छोड़कर भाग गए हैं।8 सीरियाई संकट में बड़ा मोड़ तब आया जब 3 फरवरी, 2020 को इदलिब में ड्यूटी पर तैनात आठ तुर्की सैनिकों की हत्या कर दी गई और दुबारा 28 फरवरी को तुर्की ने सीरिया के हवाई हमलों में अपने तैंतीस सैनिकों को खो दिया। तुर्की ने भी 309 सीरियाई सैनिकों का खातमा करने और 200 सरकारी ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया। आज, तुर्की के कई अनुवीक्षण स्थल सीरियाई सेना से घिरे हुए हैं जो लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं और किसी को भी उनके भाग्य का पता नहीं है। रूसी पक्ष इदलिब में सीरियाई राष्ट्रीय सेना का समर्थन कर रहा है और सभी प्रकार की हवाई सुरक्षा प्रदान कर रहा है।
सैनिकों की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए, राष्ट्रपति इरदुगान ने रूस सरकार पर इदलिब में नरसंहारों का समर्थन करने का आरोप लगाया।9 उन्होंने सीरियाई बलों को फरवरी तक पर्यवेक्षण स्थलों से पीछे हटने की चेतावनी दी है। उन्होंने बल देकर कहा है कि सोची समझौते को न मानते हुए उनकी सेनाएँ हर जगह शासन की सेनाओं पर हमला करेगी।10 तुर्की ने इस घटना के बाद इदलिब में लगभग 1500 टैंक और 5000 अतिरिक्त सैनिकों को स्थानांतरित कर दिया है। रूस कथित रूप से जमीन पर सीरियाई सेना को हवाई सुरक्षा प्रदान कर रहा है। सीरिया ने और भी अधिक तुर्की सेनाओं पर हमला करने की धमकी दी है और उनकी उपस्थिति को एक अवैध कार्य और इसकी संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया है। इरदुगान सरकार के एक सहयोगी और तुर्क राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख, देवेल्त बाहक्लिहस ने राष्ट्रपति इरदुगान को सीरिया में सेना भेजने की सलाह दी।11 उन्होंने रूस के साथ अपने पिछले समझौतों को संशोधित करने को भी कहा और उसे तुर्की सैनिकों की हत्या का दोषी ठहराया।
रूस और तुर्की के बीच एक-दूसरे पर आरोप लगाने का खेल:
इदलिब में संघर्ष बढ़ने के बीच, रूस और तुर्की दोनों ने एक-दूसरे पर सोची समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। तुर्की ने रूस पर आरोप लगाया है कि उसने सीरिया पर होने वाले हमलों और इदलिब में अपने आंदोलनों को नहीं रोका है। दूसरी ओर, रूस ने तुर्की पर आतंकवादी समूह को बेअसर करने में विफल रहने, सोची समझौते का पालन न करने और इसके बजाय विरोधी समूहों को परिष्कृत हथियारों की आपूर्ति करने का आरोप लगाया है। ऐसी ख़बरें सुनने में आई हैं कि इदलिब में सीरियाई हेलीकॉप्टरों को तुर्की द्वारा आपूर्ति की गई एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम की मदद से मार गिराया गया था।12 कई प्रयासों के बावजूद, राष्ट्रपति इरदुगान राष्ट्रपति पुतिन के साथ सीधी बातचीत नहीं कर पाए हैं और रूस ने तुर्की की इस मांग पर ध्यान नहीं दिया है कि वह सीरिया से पर्यवेक्षण स्थलों से आगे न बढ़ने को कहे। तुर्की सरकार ने इदलिब में सीरिया की सेना पर हमला करने के लिए अपनी सेनाओं को निर्देश दिया है और नाटो की मदद मांगी है, लेकिन 2015 में एक रूसी विमान को गलती से मार गिराने के बाद जैसा आश्वासन प्राप्त हुआ था, उस तरह का कोई आश्वासन प्राप्त करने में विफल रहा है।13 यहां यह याद रखने योग्य है कि नवंबर 2015 में, तुर्की-सीरिया सीमा के पास तुर्की के एफ -16 लड़ाकू जेट ने रूसी सुखोई एसयू -24 विमान को मार गिराया था। यह पहली बार था कि उसी साल सीरिया में प्रो-असद अभियान शुरू होने के बाद रूसी विमान को मार गिराया गया था। लगभग एक वर्ष तक दुश्मनी बने रहने के बाद आख़िरकार तुर्की रूस के साथ अपने संबंधों को सुधारने में सक्षम रहा और एक समय ऐसा लग रहा था कि इससे युद्ध भी हो सकता है।
राष्ट्रपति पुतिन ने सीरिया के आतंकी समूहों के खातमा के लिए लगभग अठारह महीने तक इंतजार किया लेकिन राष्ट्रपति इरदुगान अपने दायित्व को पूरा करने में विफल रहे और तुर्की भी सीरिया के दक्षिण पूर्व में स्थित हमीमिम के एयर बेस पर अल-नुसरा के हमलों को रोकने में विफल रहा जो वर्तमान में रूसी सेनाओं द्वारा संचालित है। वह घटना जो इस संकट के मध्य रूस की दुश्मनी का कारण बना, वो था राष्ट्रपति इरदुगान का यूक्रेन दौरा, और यूक्रेन में क्रीमियाई क्षेत्र की वापसी का समर्थन करना जो वर्तमान में रूस की नियंत्रण में है।14
निष्कर्ष:
इदलिब में परिस्थिति की बढ़ती तीव्रता और चालीस से अधिक तुर्की सैनिकों के मौत ने सीरियाई संकट की गतिशीलता को बदल दिया है। रूस ने पहले इदलिब में सीरिया के जिन कदमों का समर्थन किया था, उन्ही कदमों ने न केवल सीरिया और तुर्की के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि तुर्की-रूस संबंधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है। तुर्की द्वारा कई प्रयास किए जाने के बाद आख़िरकार मास्को में 6 मार्च को राष्ट्रपति इरदुगान और उनके रूसी समकक्ष के बीच एक मुलाकात हुई। दोनों पक्ष इदलिब में सैन्य युद्ध विराम के लिए सहमत हुए। इसी तरह के पिछले युद्धविराम समझौतों के रिकॉर्ड को देखते हुए, किसी भी स्थायी शांति की संभावनाएं नाज़ुक लगती हैं। तुर्की सैनिकों की पक्ष से पहले ही जवाबी कार्रवाई की खबरें आने लगीं हैं जिसमें सीरियाई बलों के दो मिसाइल लॉन्चरों को नष्ट कर दिया गया था। किसी को नहीं पता कि यह सैन्य युद्ध विराम कब तक टिकेगा और इदलिब में शांति कैसे स्थापित होगी जो विद्रोहियों का आखरी गढ़ है। हालाँकि इदलिब को लेकर रूस और तुर्की के बीच मतभेद न केवल सीरिया में शांति बहाली में देरी कर सकते हैं, बल्कि सीरिया में एक नया मोर्चा भी खोल सकते हैं जो इस मामले को और उलझा देगा और सीरियाई नागरिकों को इसका खामियाज़ा भुगतने पर मजबूर होना पड़ेगा।
रूस और तुर्की दोनों की सीरिया को लेकर अलग-अलग महत्वाकांक्षाएं हैं। रूस अपने नए अधिग्रहित क्षेत्रीय और वैश्विक आकांक्षाओं सहित ध्यान टिकाए हुए है जबकि तुर्की अपने राष्ट्रीय सुरक्षा और नए रणनीतिक और राजनीतिक उद्देश्यों को लेकर चिंतित है। आख़िरकार, शरणार्थियों की आमद को रोकने के बहाने इदलिब या सीरिया के किसी भी हिस्से में तुर्की की मौजूदगी को जारी रखना मुश्किल होगा क्योंकि यह सीरिया की संप्रभुता और उसकी क्षेत्रीय अखंडता पर असर डालता है।
*****
* डॉ. फज़ूर रहमान सिद्दीकी , शोधकर्ता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
टिप्पणियां: