इस वर्ष अप्रैल में ईरान के विरुद्ध राष्ट्रपति ट्रम्प की ‘अधिकतम दबाव’ की घोषणा द्वारा फारस की खाड़ी का संकट बढ़ गया और होरमुज जलसन्धि को बन्द करने की ईरान की बार-बार धमकी के बीच खाड़ी में तेल के जहाजों पर हुए आक्रमणों ने एक बार फिर इस क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा तथा स्थिरता के मुद्दे को गर्म कर दिया है। यह लेख फारस की खाड़ी में क्षेत्रीय सुरक्षा के उभरते परिदृश्य का विश्लेषण है।
फारस की खाड़ी में तेलवाहक जलयानों पर हालिया हमलों तथा इस क्षेत्र में अमेरिका (यूएस) द्वारा अतिरिक्त सैन्य आस्तियों की नियुक्ति ने एक बार पुन: ईरान तथा अमेरिका के बीच आसन्न सैन्य संघर्ष के भय को बढ़ा दिया है। दोनों देशों के मध्य तनाव अप्रैल, 2019 में अमेरिका की ‘अधिकतम दबाव’ की नीति के कारण उस समय तेजी से उभरा जब राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरानी तेल के बड़े क्रेताओं को अनुदानित प्रारम्भिक छूट समाप्त कर दी और ईरान की आईआरजीसी को अलकायदा अथवा आईएसआईएस जैसे समूहों की श्रेणी में डालते हुए विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में निर्दिष्ट किया। ईरान की प्रतिक्रिया उत्पीड़न की कूटनीति के इस तर्क के विरुद्ध रही। जून 2019 के एक भाषण में कहा गया कि ‘उत्पीड़क प्रतिबन्ध ईरान के विरुद्ध स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण कार्यवाही है’ और यह कि ईरान क्रान्ति तथा सैन्य क्षमताओं के रणनीतिक मुद्दों पर समझौता नहीं करेगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि ‘रणनीतिक धैर्य’ की अवस्था समाप्त हो चुकी है और ईरान अपने निजी दवाब के माध्यम का उपयोग करेगा।
जुलाई, 2019 से ईरान एकपक्षीय अमेरिकी प्रतिबन्धों को नाकाम करने में ईरान की सहायता के लिए कुछ अधिक करने हेतु नाभिकीय समझौते के प्रमुख यूरोपीय हस्ताक्षरियों जर्मनी, फ्रांस तथा ब्रिटेन को प्राथमिक तौर पर दबाव में लाने के लिए इस समझौते से चरणबद्ध आंशिक रूप से पीछे हटने की नीति का अनुसरण करता रहा है। किन्तु तेलवाहक जलयानों खाड़ी के प्रतिष्ठानों पर लगातार हमलों ने, जिसके लिए अमेरिका ने ईरान को दोषी ठहराया, एक बार पुन: यह तथ्य उजागर कर दिया कि फारस की खाड़ी अब भी अत्यधिक संघर्ष सम्भावित क्षेत्र बना हुआ है और उच्च स्तरीय सुरक्षा के प्रति आक्रान्त है।
अमेरिकी प्रतिक्रिया ईरान पर लगातार दबाव बनाये रखने और सुरक्षा सहयोग के साथ अरब खाड़ी के सहयोगियों को गतिशील करने की रही। रूस क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद के लिए ईरानी प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए सामने आया। इस लेख में फारस की खाड़ी क्षेत्र हेतु तीन प्रभावशाली सुरक्षा दृष्टिकोणों को समझने का प्रयास किया गया है।
अरब खाड़ी के देशों के सुरक्षा समुदाय सृजित करने के लिए अमेरिकी प्रयास
2017 में राष्ट्रपति का पद भार ग्रहण करने के बाद उनके पूर्ववर्ती की ‘विरासती विदेश नीति’ अर्थात जेसीपीओए के विरोध के साथ अमेरिकी-अरब सहयोगियों को गतिशील करने के प्रयास ईरान विरोधी गुटबन्दी प्रतीत होते हैं। मई, 2017 में राष्ट्रपति ट्रम्प के रियाद दौरे के समय मिडल ईस्ट सिक्योरिटी एलायंस (एमईएसए) को ‘क्षेत्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर शान्ति, स्थिरता तथा विकास हासिल करने’ के घोषित उद्देश्य सहित जीसीसी सदस्यों तथा मिस्र एवं जोर्डन (जीसीसी+2) के बीच आर्थिक, ऊर्जा, राजनीतिक एवं सुरक्षा घटकों के साथ समग्र साझेदारी के रूप में घोषित किया गया था।2 अनेक लोगों द्वारा इसे राष्ट्रपति ट्रम्प के ईरानी प्रभाव को समाप्त करने के लिए अरब-नाटो सृजित करने के प्रयास बताये जाने के बीच इस गठबन्धन का भाग्य जीसीसी देशों के मध्य विभाजन, विशेष रूप से विशेष रूप से सऊदी अरब, यूएई एवं बहरीन के साथी जीसीसी देशों द्वारा कतर की नाकेबन्दी द्वारा नष्ट कर दिया गया था।
सामूहिक सुरक्षा संगठन के रूप में जीसीसी अरब की उथल-पुथल से उस समय विखण्डित हो गया जब सऊदी और कतर के हितों में टकराव हुआ क्योंकि कतर को इस्लामी समूहों और विशेष रूप से मुस्लिम ब्रदरहुड (एमबी) के समर्थन ने वर्तमान यथास्थिति बनाये रखने के सऊदी हितों के लिए प्रत्यक्ष चुनौती प्रस्तुत कर दी।3 सऊदी अरब, यूएई एवं बहरीन ने मिलकर आतंक विरोधी त्रिक का निर्माण किया जिसने जून 2017 में एमबी तथा ईरान के साथ सम्बन्धों के कारण इसे दण्डित करते हुए कतर पर स्थलीय, समुद्री तथा वायु यातायात का प्रतिबन्ध लगा दिया। इसके पश्चात सऊदी अरब तथा यूएई ने दिसम्बर, 2017 में कुवैत में जीसीसी सम्मेलन से पहले जीसीसी को प्रभावी ढंग से निरर्थक करते हुए जीसीसी से एलग एक नवीन आर्थिक एवं सैन्य साझेदारी कर ली।4
अमेरिका के एक प्रमुख सहयोग तथा एमईएसए के एक स्तम्भ मिस्र के अप्रैल 2019 में अलग हो जाने से इस नवीन गुट की प्रभावशीलता पर सन्देह उत्पन्न हो गया।5 अमेरिका समर्थित तथा ईरान विरधी क्षेत्रीय सुरक्षा ढाँचे सृजित करने के प्रयास एक बार पुन: मई 2019 से खाड़ी के समुद्री क्षेत्र में जलयानों पर आक्रमणों की शृंखलाओं सहित ‘अन्तर्राष्ट्रीय नौपरिवहन सुरक्षा संरचना’ के रूप में पुनर्जीवित हो गये थे। अमेरिकी नेतृत्व वाले संगठन में इंग्लैण्ड, बहरीन तथा आस्ट्रेलिया एवं बाद में सऊदी अरब तथा यूएई शामिल हो गये। खाड़ी में ‘नौवहन की स्वतन्त्रता, नौपरिवहन सुरक्षा को प्रोत्साहन तथा क्षेत्रीय तनाव में कमी’ के प्रकरणों का बचाव करने के सन्दर्भ में यह इसके लक्ष्यों को परिभाषित करता है किन्तु पूर्व के अमेरिकी नेतृत्व वाले क्षेत्रीय सुरक्षा गठबन्धनों की भाँति यह व्यापक रूप से ईरान से उत्पन्न होने वाले खतरों पर केन्द्रित है।6 यह पहल ईरान या इसके क्षेत्रीय सहयोगियों में कोई भय नहीं उत्पन्न कर सकी। फारस की खाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा समुदाय सृजित करने के अमेरिका समर्थित प्रयास साकार होने में असफल रहे क्योंकि उन्होंने स्वयं को अत्यन्त राजनीतिकृत ‘ईरानी खतरे’ पर आधारित कर लिया जो खाड़ी के अनेक देशों जैसे कतर तथा यूएई के राष्ट्रीय एवं आर्थिक हितों का अतिक्रमण करते थे जिन्होंने इस क्षेत्र में वर्तमान संकट के समाधान के लिए राजनीतिक प्रयासों की वकालत की थी।
इसके अतिरिक्त, यमन के हाउती विद्रोहियों द्वारा सऊदी अरब के पूर्वी प्रान्त के तेल प्रतिष्ठानों पर हालिया हमलों तथा ईरान के विरुद्ध प्रतिकार करने में ट्रम्प प्रशासन की अनिच्छा ने खाड़ी के देशों में इस विचार के उभरने में सहयोग किया कि वे अपनी सुरक्षा हेतु अमेरिका पर और अधिक निर्भर नहीं रह सकते हैं।
(जून 2019 में निमित्ज-श्रेणी का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस अब्राहम लिंकन ओमान के पूर्वी अन्तर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र से तथा ईरान के दक्षिणी तट से लगभग 200 मील दूरी से गुजर रहा था, स्रोत: https://www.voanews.com)
फारस की खाड़ी में स्वदेशी सामूहिक सुरक्षा हेतु ईरान का जोर
ईरानी नेताओं ने समस्त क्षेत्रीय देशों एवं बिना किसी विदेशी दखल सहित स्वदेशी सामूहिक सुरक्षा की विचारधारा को काफी समय तक प्रचारित किया। किन्तु, इस्लामी गणराज्य पर अमेरिका द्वारा प्रत्येक बार डाले गये दबाव के साथ ही ईरानियों ने साझा सुरक्षा तन्त्र के अपने प्रयासों में तेजी दिखाई। 2007 में अपने परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को निलम्बित करने से मना करने और अमेरिका सैन्य कार्यवाही की धमकी के पश्चात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा ईरान पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद सशक्त एक्सपेडिएन्सी काउंसिल की अनुसंधान शाखा सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक रिसर्च के तत्कालीन अध्यक्ष हसन रूहानी ने कतर में विश्व आर्थिक मंच पर “फारस की खाड़ी में सहयोग, सुरक्षा तथा विकास को प्रोत्साहित करने के लिए 10 सूत्री योजना” का प्रस्ताव रखा।7 अयातुल्ला खामेनी के सुप्रीम लीडर के विशेष राजदूत के रूप में रुहानी ने कहा कि ईरान तथा इराक सहित छ: सदस्यीय राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 598 के उपबन्ध 8 के अनुसार फारस की खाड़ी में सुरक्षा तथा सहयोग के लिए एकजुट हो जाना चाहिए जो कि आठ वर्ष के लम्बे भयावह युद्ध के पश्चात ईरान तथा इराक के बीच युद्धविराम का आह्वान था। नाभिकीय मुद्दों के समाधान के लिए राजनीतिक प्रयासों की वकालत करते हुए रुहानी ने मध्य पूर्व को भीषण विनाश के हथियारों से मुक्त करने की दिशा में आणविक क्षेत्र में क्षेत्रीय देशों के मध्य विश्वास निर्माण का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ट्रम्प के ‘अधिकतम दबाव’ अभियान के आलोक में ईरान ने नियन्त्रित प्रसार की नीति से प्रत्युत्तर दिया जिसे जेसीपीओए के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं से वापसी करना और होरमुज जलसन्धि को बन्द करने की धमकी का नाम दिया गया। इसी समय यह इस संकट के समाधान के लिए राजनीतिक-कूटनीतिक प्रयासों पर बल देते हुए एक रचनात्मक भूमिका निभाने का भी प्रयास कर रहे थे। मई, 2018 में जेसीपीओए से अमेरिका के बाहर होने पर ईरानी विदेश मन्त्री जव्वाद जरीफ ने फारस की खाड़ी के तटीय देशों तथा जीसीसी राष्ट्रों इराक एवं ईरान के मध्य सुरक्षा संवाद मंच के नवीकरण का आह्वान किया।2018 के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन तथा वलदाई डिस्कशन क्लब कान्फ्रेंस में जरीफ ने सामूहिक सुरक्षा तथा गुट निर्माण एवं शक्ति सन्तुलन के तर्क के विरुद्ध अपने ‘सुरक्षा नेटवर्किंग’ के दृष्टिकोण को रेखांकित किया जिसने इस क्षेत्र में अमेरिकी रणनीति को नियन्त्रित किया।8 अपनी संकल्पना को उजागर करते हुए विदेश मन्त्री जरीफ ने कहा कि ‘सुरक्षा नेटवर्किंग एक गैर-शून्य उपागम है जो स्वीकार करता है कि सुरक्षा गुटों तथा समूहों के विपरीत अविभाज्य है जो कि मूलत: अन्य की असुरक्षा की कीमत पर सुरक्षा प्राप्त करने के निष्क्रिय शून्य-योग उपागम पर आधारित है।’9 जरीफ ने कहा का ईरानी नाभिकीय कार्यक्रम गैर-शूनय् योग विचारधारा का प्रतिफल था जिसमें कठिन बातचीत में सभी पक्षों को साझा लक्ष्य के साथ-साथ विरोधाभास प्रतीत हुआ किन्तु साथ ही एक-दूसरे के हितों का सम्मान किया जायेगा। मास्को के वलदाई सम्मेलन में ईरानी विदेश मन्त्री ने कहा कि रूस इस क्षेत्र में सुरक्षा संरचना की इस अवधारणा परिवर्तन को साकार करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इस क्षेत्र में अपने बढ़ते प्रभाव का उपयोग कर सकता है।
क्षेत्रीय संरचना हेतु ईरान के इस प्रस्ताव में तटवर्ती देशों के हित तथा आकार की असमानता के विवाद की अवहेलना नहीं की गयी है बल्कि ‘सुरक्षा नेटवर्किंग’ इस क्षेत्र के देशों की सुरक्षा अन्तर्निर्भरता को महत्त्व देती है। यह सत्य है कि खाडी देशों के प्रशासनिक मूल्यों को ईरान के राजतन्त्रीय इस्लामवाद से खतरा है और एमबी फारस की खाड़ी क्षेत्र में मौजूदा सुरक्षा अन्तर्निर्भरता को महत्त्व देता है।10 अत: दीर्घकालीन सुरक्षा तथा स्थायित्व के लिए एक-दूसरे के प्रमुख मूल्यों को मान्यता देना तथा स्वीकार करना और दूसरों की क्षेत्रीय अखण्डता एवं प्रभुसत्ता के आदर के सिद्धान्तों को स्वीकार करना तथा अन्य देशों के आन्तरिक मामलों में दखल न देना अपेक्षित होगा। इन सिद्धान्तों के अनुपालन को ‘टिकट सिद्धान्त’ तथा ईरानी प्रस्ताव में विश्वास निर्माण के उपाय के रूप में चिन्हित किया गया।
(संयुक्त राष्ट्र महासभा 2019 में ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी जहां उन्होंने हॉर्मुज पीस इनिशिएटिव (HOPE) का अनावरण किया। स्रोत: संयुक्त राष्ट्र समाचार)
अभी हाल ही में 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में राष्ट्रपति रुहानी ने “होरमुज जलसन्धि क्षेत्र के सभी निवासियों के लिए शान्ति, स्थायित्व, प्रगति तथा कल्याण” के घोषित लक्ष्य के साथ इस क्षेत्र के सभी राष्ट्रों को ‘होरमुज शान्ति प्रयास’ (होप) में शामिल होने के लिए आमन्त्रित किया।11 उन्होंने कहा कि इस पहल से “एक-दूसरे के घरेलू मामलों में गैर-आक्रामक तथा गैर-दखल” के सिद्धान्तों के तहत सभी प्रकार के हितों जैसे “ऊर्जा सुरक्षा, नौपरिवहन की स्वतन्त्रता तथा होरमुज जलसन्धि एवं इसके परे से तेल का मुक्य आवागमन” को प्रोत्साहन मिलेगा।12 इस क्षेत्र के लिए अमेरिकी दृष्टिकोण के विपरीत अपने प्रस्ताव में उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सुरक्षा तथा शान्ति केवल “आन्तरिक लोकतन्त्र तथा बाह्य कूटनीति” के माध्यम से ही सुनिश्चित हो सकेगी और इसमें “अमेरिकी हथियारों तथा हस्तक्षेप” का प्रावधान नहीं होगा।
फारस की खाड़ी में सामूहिक सुरक्षा हेतु रूस का प्रस्ताव
चूँकि अरब राष्ट्रों के लिए विविध खतरों के परिदृश्य तथा सुरक्षा हितों के कारण फारस की खाड़ी क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव वाली सुरक्षा व्यवस्था पुनर्जीवित करने के प्रयास कठिन सिद्ध हो रहे हैं अत: खाड़ी के दोनों पक्षों के सभी खिलाड़ियों के साथ कार्यशील सम्बन्धों को विकसित करने में समर्थ होने वाला रूस एक ऐसी क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था के सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का इच्छुक है जो इस क्षेत्र में प्रमुख सुरक्षा प्रदाता अमेरिका के प्रभाव को समाप्त करेगा। जुलाई 2019 में अमेरिका-ईरान के मध्य चरम तनाव के बीच रूस के उप विदेश मन्त्री मिखाइल बोगदेनोव द्वारा प्रस्तुत फारस की खाड़ी में सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा का प्रमुख आधार फारस की खाड़ी क्षेत्र में गैर-क्षेत्रीय राष्ट्रों के सैन्य गठबन्धनों की स्थायी नियुक्ति छोड़ देना है।14 यह ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, लीग ऑफ अरब स्टेट्स, जीसीसी आदि सहित इच्छुक पक्षों….. के मध्य द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय परामर्शों के स्वीकरण द्वारा’ सुरक्षा व्यवस्था विकसित करने में क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय उपागम का समर्थन करता है।15 फारस की खाड़ी में सुरक्षा तथा सहयोग पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने हेतु यूएनएससी में रूस के प्रस्ताव का चीन ने तुरन्त समर्थन किया था।
(संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप स्थायी प्रतिनिधि दमित्री पोलिएंस्की 8 अगस्त, 2019 को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता के दौरान फारस की खाड़ी हेतु रूस की सामूहिक सुरक्षा अवधारणा के विषय में पत्रकारों से बात करते हुए, स्रोत : http://www.xinhuanet.com)
जेसीपीओए से बाहर निकलने के बाद ईरान पर अमेरिकी प्रतिबन्धों के कारण रूस तथा चीन दोनों ने अमेरिकी प्रतिबन्धों से त्रस्त ईरान की सकारात्मक सहायता की। एक ओर जहाँ चीन ने अमेरिकी प्रतिबन्धों की धमकियों के बावजूद ईरान से तेल खरीदना जारी रखा तो वहीं जुलाई में जिब्राल्टर के तट पर रॉयल मेराइनों द्वारा ईरानी तेल टैंकरों को जब्त किये जाने पश्चात रूस ने ईरान से क्रीमियाई बन्दरगाहों के माध्यम से अपने कच्चे तेल का परिवहन करने का प्रस्ताव दिया।16 इसके अतिरिक्त रूस और ईरान ने होरमुज जलसन्धि तथा फारस की खाड़ी सहित उत्तरी हिन्द महासागर में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास संचालित करने के लिए जुलाई 2019 में एक समझौता भी किया।17 ईरान की राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार चीन भी भागीदार देशों के मध्य राजनीतिक एवं रणनीतिक प्रगति को महत्त्व देते हुए संयुक्त अभ्यास में भाग लेगा।18
फारस की खाड़ी के देशों तथा ईरान के प्रति खतरे के परिदृश्यों एवं सुरक्षा हितों में भिन्नताओं के बावजूद इस क्षेत्र में भावी अस्थिरता अथवा युद्ध के प्रति साझा विमुखता इस क्षेत्र में उन्हें मतभेदों को प्रबन्धित करने तथा स्थिरता स्थापित करने के सामूहिक प्रयासों के मार्ग पर आगे ले जा सकती है। भविष्य में तनाव वृद्धि कम करने की इच्छा से स्वयं स्पष्ट होता है कि यूएई ने सऊदी के तेल प्रतिष्ठानों पर हालिया आक्रमणों के पीछे ईरान को अपराधी मानने से क्यों इनकार कर दिया और साथ ही तनाव कम करने का आह्वान भी किया। हाल ही में जुलाई 2019 में यूएई ने फारस की खाड़ी में तनाव के परिणामस्वरूप नौपरिवहन तथा सीमा सुरक्षा पर परिचर्चा के लिए दो प्रतिनिधिमण्डल भी ईरान भेजे। ईरानी मीडिया ने इस दौरे को "शान्ति के प्रतिनिधिमण्डल" के रूप में प्रस्तुत किया, यूएई ने इस दौरे "कुछ नया नहीं" बताया।19 यूएनजीए में यूएई के विदेश मन्त्री शेख अब्दुल्ला बिन जायेद अल नहयान ने ईरान के व्यवहार के सभी पक्षों पर विचार न करने के कारण ईरान के नाभिकीय समझौते की आलोचना करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा समर्थित राजनीतिक पहलों के माध्यम से क्षेत्र की समस्याओं के स्थायी समाधान का आह्वान किया। ईकान के साथ फारस की खाड़ी के द्वीपों के विवाद का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने तनाव कम करने के लिए राजनीतिक प्रयासों का समर्थन किया और इस क्षेत्र में राष्ट्रों के बीच विश्वास निर्माण की आवश्यकता का उल्लेख किया।20
हाल के वर्षों में रूस और सऊदी के सम्बन्धों में भी प्रगाढ़ता आई है। दोनों देश आउटपुट में कटौती करने तथा तेल के वैश्विक मूल्यों को स्थिर करने के निर्णय के लिए ओपेक+ प्रारूप में सहयोग करते रहे हैं। अक्टूबर 2017 में पहली बार सऊदी राजतन्त्र के शासन में रूस का प्रथम दौरा करने वाले किंग सलमान के रूसी दौरे के समय से ऐसी खबरे हैं कि सऊदी अरब रूस से रक्षा उपकरणों की खरीद करेगा जिसमें एस400 मिसाइल प्रणाली भी शामिल है। रूस का मध्य-पूर्व में दखल वाणिज्यिक तथा रणनीतिक हितों द्वारा निर्देशित है। परम्परागत अमेरिकी सहयोगी के साथ घनिष्ठ सम्बन्धों वृद्धि करते हुए रूस की भूमिका अब केवल वाशिंगटन के विरुद्ध शक्ति सन्तुलन तक ही सीमित नहीं है। यदि सीरिया के इदलिब क्षेत्र में शान्ति समझौते ने दलालों की सहायता करने वाले रूस, ईरान और तुर्की के बीच हालिया बैठक एक निर्देशिका है तो फारस की खाड़ी में रूस का प्रस्ताव इस क्षेत्र में अमेरिकी सहयोगियों के मध्य कुछ सहायक प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
ईरानी उपक्रम हेतु अमेरिका तथा रूस की संलिप्तता से उत्पन्न फारस की खाड़ी में सुरक्षा संरचना के दो दृष्टिकोण व्यापक भूराजनीतिक संघर्ष के अंग हैं जिसमें राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका अमेरिकी नेतृत्व वाली सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने का इच्छुक है और अपने स्थानीय सहयोगियों से रक्षा के साझा बोझ को बाँटने के लिए उकसा रहा है, और रूस चीन के समर्थन से विशेष रूप में एशिया में सुरक्षा की नवीन गैर-पदानुक्रमी दृष्टिकोण को शामिल करना चाहता है। सामूहिक सुरक्षा सम्बन्धी रूस का प्रस्ताव ऐसे समय पर आया जब विश्वसनीय सुरक्षा के रूप में खाड़ी के देशों का अमेरिका पर विश्वास कम हुआ है और क्षेत्रीय सैन्य संघर्ष बढ़े रहने की सम्भावना उन लोगों को आकर्षित कर सकती है जो इस क्षेत्र के वर्तमान संकट को समाप्त करने के लिए राजनीतिक विकल्प की तलाश में हैं।
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*डॉ. दीपिका सारस्वत, शोधकर्ता, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
* तरंग जैन, शोध प्रशिक्षु, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं न कि परिषद के।
अन्त्य टिप्पणी
1 ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खमीनी का भाषण (2019) द नेशनल विद द एनेमी इज डिसेप्शन। यूआरएल : http://english.khamenei.ir/news/6866/Negotiation-with-the-enemy-is-deception [15 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
2यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट (2019). मध्य पूर्व की सुरक्षा अब भी अमेरिका के लिए महत्त्वपूर्ण है। यूआरएल:https://www.defense.gov/Newsroom/News/Article/Article/1829813/middle-east-security-still-critical- | to-us/ [10 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
3आजम, जेड. तथा हार्ब, आई. (2018). एक वर्ष बाद जीसीसी संकट। पृष्ठ 101-109. [ऑनलाइन] यूआरएल :http://arabcenterdc.org/wp-content/uploads/2019/05/The-GCC-Crisis-at-One-Year.pdf [9 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
4द हिन्दू (2017). यूएई, सऊदी अरब जीसीसी से अलग एक नया समूह बनायेंगे। [ऑनलाइन] यूआरएल: https://www.thehindu.com/news/international/uae-and-saudi-form-new-group-separate-from- | gcc/article21268680.ece [20 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
5द नेशनल (2019). मिस्र के अलग होने से मीसा गुट की आशाएँ धूमिल किन्तु मृत नहीं। [ऑनलाइन] यूआरएल: https://www.thenational.ae/world/mena/with-egypt-s-withdrawal-hopes-for-mesa-alliance-are- | diminished-but-not-dead-1.849401 [13 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
6यूएस सेंट्रल कमाण्ड, अन्तर्राष्ट्रीय नौपरिवहन सुरक्षा संरचना में बहरीन का स्वागत करते हुए जनरल केनेथ एफ. मैकेंजी, जूनियर, कमाण्डर, यू.एस. सेंट्रल कमाण्ड का वक्तव्य (2019) यूआरएल:https://www.centcom.mil/MEDIA/STATEMENTS/Statements-View/Article/1937733/[12 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
7विश्व बुलेटिन। ईरान ने फारस खाड़ी सुरक्षा योजना का अनावरण किया। यूआरएल:https://www.worldbulletin.net/iran-unveils-a- persian-gulf-security-plan-makale,475.html [10 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
8द ईरान प्रीमियर। खाड़ी सुरक्षा संवाद हेतु लैवरोव का आह्वान। यूआरएल: https://iranprimer.usip.org/blog/2018/mar/06/zarif-lavrov-call-gulf-security-dialogue [10 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
9आइबिड।
10आचार्य, ए. 1992. तृतीय विश्व में 'क्षेत्रीय सुरक्षा जटिलताएँ : स्थायित्व एवं सहयोग। अप्रकाशित निबन्ध [ऑनलाइन]यूआरएल : https://pdfs.semanticscholar.org/e424/160ae9ca3575f9b77c1b225ac7376143040b.pdf
11ईरान गणराज्य के राष्ट्रपति हसन रुहानी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए। (न्यूयार्क, 24-30 सितम्बर, 2019) यूआरएल: http://webtv.un.org/search/iran-president-addresses-general-debate-74th-session/6089411848001/?term=&lan=english&cat=74th%20Session&page=3
12आईबिड।
13आईबिड।
14वेस्तनिक कावकाजा, रूस के विदेश मन्त्री सामूहिक सुरक्षा की अवधारण प्रस्तुत करते हुए (2019) यूआरएल:http://vestnikkavkaza.net/news/Russian-Foreign-Ministry-presents-concept-of-collective-security-in- Gulf.htm [11 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
15तास, फारस की खाड़ी में सामूहिक सुरक्षा की अपनी अवधारणा प्रस्तुत संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तुत करते हुए रूस (2019)। यूआरएल: https://tass.com/world/1070933 [11 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
16प्रेस टीवी, टैंकर जब्त होने के बाद क्रीमिया ईरानी तेतल के पारगमन हेतु तैयार (2019)। यूआरएल: https://www.presstv.com/Detail/2019/08/28/604688/Iran-Russia-Crimea-oil-Gibraltar-US-Britain-tanke [11 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
17प्रेस टीवी, ईरान, रूस फारस की खाड़ी में संयुक्त अभ्यास की योजना बनायेंगे : ईरान के नौसेना प्रमुख (2019)। यूआरएल:https://www.presstv.com/Detail/2019/07/29/602186/Iran-Hossein-Khanzadi-Russia-joint-naval-drills [11 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
18प्रेस टीवी, शीर्ष सैन्य अधिकारी : ईरान, रूस और चीन 'निकट भविष्य में' नौसैनिक अभ्यास करेंगे। 29 सितम्बर, 2019। यूआरएल: https://www.presstv.com/Detail/2019/09/21/606738/Iran-Ghadir-Nezami-naval-drills-Russia-China- | Indian-Ocean-Oman-Sea [11 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
19एल कैफिएरो, जी. (2019)। यूएई और ईरान की नौपरिवहन पर वार्ता। [ऑनलाइन] लोबलॉग। यूआरएल: https://lobelog.com/the- | uae-and-irans-maritime-talks/. [20 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]
20गल्फ न्यूज, संयुक्त राष्ट्र महासभा : शेख अब्दुल्ला ने 'मध्य पूर्व में संकट के राजनीतिक समाधान' की अपील की। यूआरएल:https://gulfnews.com/uae/government/un-general-assembly-sheikh-abdullah-urges-political-solutions-to- crises-in-the-middle-east-1.1569701364414 [20 सितम्बर, 2019 को एक्सेस किया गया]