सारांश
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की 70वीं जयन्ती चीन के राज्य-स्वामित्व उपक्रमों (एसओई) के सुधार के रूबरू चीन की नीतियों को प्रदर्शित करने का एक अवसर उपलब्ध कराती है। चूँकि चीन में एसओई आर्थिक सुधारों की आधारशिला है अत: इन उपक्रमों की कुशल कार्यप्रणाली चीन के आर्थिक विकास की दिशा को व्यापक रूप से निर्धारित करती है।
चीन के राज्य-स्वामित्व उपक्रमों (एसओई) की गाथा को चीन के साम्यवादी शासन के सत्तर वर्षों की अवधि में दो व्यापक कालखण्डों में विभाजित किया जा सकता है। तीन दशकों वाली प्रथम अवधि में "तीन महान समाजवादी सुधार" के माध्यम से एसओई की स्थापना, "निजी सम्पत्ति के अधिकार" की समाप्ति तथा अनुगामी "राष्ट्रीय औद्योगीकरण" के कार्य हुए।1 उदारीकरण के पूर्व के वर्षों में एसओई अत्यन्त केन्द्रीकृत तथा सुनियोजित प्रबन्धन के तहत शाखाओं के रूप में या सरकारी विभागों से सम्बद्ध के रूप में कार्यरत रहे। केवल 1978 के बाद ही एओई में धीरे-धीरे आर्थिक प्रयोग किये जाने प्रारम्भ हुए।
इनमें से अनेक पहलें एसओई की स्वायत्तता के वर्धन की ओर निर्देशित थीं। इनमें से सिचुआन प्रान्त में 1978 में प्रारम्भ हुई पहली पहल सफल थी जिसके बाद इसे सम्पूर्ण देश में स्वीकार किया गया।2 इस पहल की एक प्रमुख उपलब्धि यह थी कि उपक्रमों को राज्य के लक्ष्यों को पूरा करने के उपरान्त कुछ लाभ ग्रहण करने की अनुमति दी गयी थी। किन्तु सामान्य रूप से विख्यात इस लाभ अर्जन प्रणाली में आर्थिक संकट तथा आर्थिक उत्तरदायित्व प्रणाली (ईआरएस) की चुनौतियों के कारण कुछ परिवर्तन किये गये और बाद में 1981 में स्वीकार किये गये।3
यद्यपि लाभ अर्जन इस प्रणाली का प्रमुख तत्व था किन्तु इससे कर्मचारी आय तथा एसओई निष्पादन के मध्य एक सीधा सम्बन्ध भी निर्मित हुआ। लेकिन यह एसओई की कुशलता में वृद्धि करने में नाकाम रहा। इसमें कोई निश्चित लाभ का कोटा नहीं था और अर्जन दरें उपक्रमों तथा पर्यवेक्षक प्राधिकरणों के मध्य सौदेबाजी पर निर्भर थीं। इस विकृत मूल्य प्रणाली के कारण लाभप्रद फर्में अतिरिक्त लाभ का लाभ प्राप्त करने में असफल रहीं। वे सरकार द्वारा आरोपित उच्चतर कोटा लक्ष्यों का शिकार हो गयीं जबकि दुर्बल उपक्रमों की क्षतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाती थी।4
इसके परिणामस्वरूप लाभप्रद एसओई ने अपने उत्पादन धीमे कर दिये जिससे 1981 एवं 1983 के बीच सरकारी राजस्व में अत्यधिक कमी आयी।5 एसओई की स्वायत्ता में पुन: वृद्धि करने के लिए डुअल-ट्रैक मूल्य प्रणाली लागू की गयी जिसने एसओई को नये अधिकार प्रदान किये और अनेक एसओई को फर्स्ट इन लाइट इण्डस्ट्री के रूप में समर्थ बनाया और फिर राज्य के लक्ष्यों की पूर्ति के उपरान्त धीरे-धीरे अपने उत्पादन के एक हिस्से को बाजारी दरों पर बेचने के लिए चीन की औद्योगिक अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में इसे लागू कर दिया गया।6 यद्यपि इस प्रणाली से एसओई के लाभ में वृद्धि जैसे कुछ अनुकूल परिणाम प्राप्त हुए, फिर भी उस काल के दौरान चीन में उचित मूल्य सुधारों के अभाव के कारण यह संकटग्रस्त बना रहा। अत: सरकार ने मौद्रिक नियन्त्रण में सख्ती बरती और डुअल ट्रैक मूल्य प्रणाली को 1986 में अनुबन्ध उत्तरदायित्व प्रणाली से प्रतिस्थापित कर दिया गया।7
किन्तु 1997 में 15वीं पार्टी कांग्रेस एसओई के लिए एक प्रमुख क्रान्तिकारी कदम सिद्ध हुई जब "बड़ों को पकड़ो और छोटों को जाने दो" (झुआ दा फैंग जिआओ) की घोषणा की गयी थी।8 केन्द्रीय समिति का पकड़ने का अभिप्राय था कि वृहत एसओई को औद्योगिक पिण्डों में समामेलित किया जाये और इन पिण्डों पर केन्द्रीय या स्थानीय सरकारों का नियन्त्रण स्थापित किया जाये। उदाहरण के लिए चीन के स्टील क्षेत्र में बाओस्टील समूह, वुस्टील समूह तथा एनस्टील समूह जैसे बड़े औद्योगिक समूह केन्द्र सरकार के अधीन हो गये जबकि हेबी स्टील समूह तथा शैंडोंग स्टील समूह को प्रान्तीय सरकारों के अधीन किया गया।9 "छोटों को छोड़ दो" का अर्थ था कि एसओई का या तो निजीकरण किया जायेगा या बन्द कर दिया जायेगा। 1998 के अन्त तक 80 प्रतिशत से अधिक प्रान्तीय स्तर या इससे नीचे की राज्य तथा सामूहिक फर्मों का पुनर्निर्माण कर दिया गया।10
हालाँकि एसओई के सुधारीकरण के सन्दर्भ में यह नीति अपेक्षाकृत सफल रही किन्तु अनेक समस्याएँ यथावत बनी रहीं। सबसे पहली बात यह कि, "बड़ों को पकड़ो और छोटों को जाने दो" की नीति बिना किसी योजना के जल्दबाजी में लागू की गयी।11 दूसरे, "बड़ों को पकड़ो" की नीति क्रियान्वयन चीनी सरकार के सभी स्तरों पर अत्यधिक गम्भीरता से किया गया जिसने बड़े एकाधिकारियों को सृजित करने के क्रम में उपक्रमों के विलय के लिए राजनीतिक तथा प्रशासनिक उपायों का उपयोग करने का प्रयास किया। वे केवल "बड़े" शब्द को ध्यान में रखते थे और अन्य आर्थिक तथा सामाजिक चिन्ताओं पर विचार नहीं करते थे। दूसरी ओर, "छोटों को जाने दो" तथा "बड़ों को पकड़ो", इन दोनों नीतियों ने "पराजितों के सुधार" का सृजन किया। इसका परिणाम रोजगारहीनता तथा कार्यशक्ति के आकार में कमी के रूप में परिणत हुआ। 1995 तथा 2001 के बीच नगरीय राज्य क्षेत्र में 36 मिलियन रोजगार की कमी हुई जो कुल नगरीय रोजगार के 59 प्रतिशत से कम होकर 32 प्रतिशत रह गया।12
एसओई के पुनर्संगठन में विभिन्न मन्त्रालयों को एकलय करने के असफल प्रयासों के उपरान्त चीन सरकार ने 2003 में प्रमुख पर्यवेक्षक निकाय के रूप में स्टेट-ओन्ड एसेट्स सुपरविजन एण्ड एडमिनिस्ट्रेशन कमीशन (एसएएसएसी) का सृजन किया।13 अत: एसओई के सुधार के चौथे चरण की प्रक्रिया अर्थात एसएएसएसी के संकेतन ने खण्डित से संकेन्द्रित विनियामक शक्ति की ओर स्थानान्तरित हो गयी।
यद्यपि एसएएसएसी को केन्द्रीय तथा स्थानीय सरकारी स्तर पर एसओई अधिकारियों को नियुक्त करने की शक्ति प्राप्त है, किन्तु, वास्तव में यह चीनी पार्टी-स्टेट ही है जो रणनीतिक एसओई पर अपना सर्वोच्च नियन्त्रण रखने के लिए महत्त्वपूर्ण नियुक्तियाँ करती है। उदाहरण के लिए केन्द्रीय एसओई में बोर्ड के शीर्ष प्रबन्धक तथा चेयरमैन कम्युनिस्ट सेंट्रल कमेटी ऑर्गेनाइजेशन ब्यूरो द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।14 साथ ही विभिन्न प्रतिलाभ प्रणाली के प्रावधान द्वारा एसओई को निगमित करने के एसएएसएसी के प्रयास प्राय: उन राज्य संरक्षण के अतिरेक द्वारा जोखिम में पड़ जाते हैं जो एसओई की प्रतिस्पर्द्धी शक्ति तथा दक्षता को कम करती है।
हम बैंकिंग क्षेत्र का उदाहरण लेते हैं। चीन की बैंकिंग प्रणाली एसओई सुधार का एक अपरिहार्य अंग बना हुआ है। बैंक के ऋण तथा ब्याज दरें ही चीनी राज्य तथा एसओई के मध्य सम्बन्ध को पुनर्परिभाषित करती हैं। राज्य स्वामित्व के बैंक (एसओबी) न केवल चीनी राज्य पूँजीवाद के प्रमुख स्तम्भ हैं बल्कि स्वयं उपक्रमों के ऐसे संगुट के रूप में कार्य करते हैं जो अत्यन्त विनियमित हैं। इन्हें प्राय: अपनी प्रिय परियोजनाओं में धन की उगाही के पार्टी के लक्ष्य की पूर्ति के रूप में और चीनी राज्य के लिए राजनीतिक समर्थन तथा वैधता को परिवर्द्धित करने की प्रक्रिया में प्रयुक्त किया जाता है।15 वृहत एसओबी के आनुभविक प्रमाणों से स्पष्ट है कि कठिनाई से लाभों द्वारा प्रेरित विनियामक ढाँचे तथा ऋण देने के निर्णय उनकी दक्षता तथा प्रभावशीलता को बाधित करते हैं।16 यद्यपि चीन के नॉन-परफॉर्मिंग ऋणों (एनपीएल) की वास्तविक राशि का कोई स्पष्ट चित्र नहीं है किन्तु यह बैंकिंग क्षेत्र में चीन का भावी सुधारों के लिए एक बाधा बन गया है।
चीन में बढ़ता हुआ कर्ज (स्रोत : worldfinance.com, 2017)
2012 के अन्त में 18वें पार्टी कांग्रेस को चीन में एसओई सुधार के नये एवं पाँचवें चरण की शुरुआत माना जा सकता है। 18वीं केन्द्रीय समिति के तीसरे पूर्ण अधिवेशन में ऐसे व्यापक सुधार कार्यक्रम को स्वीकार किया गया जिसमें एसओई सुधार के लिए समर्पित एक खण्ड है। यह गति 19वें राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से जारी रही जब राष्ट्रपति शी ने एसओई को "अधिक सशक्त, उत्तम तथा वृहत" बनाने का संकल्प लिया। किन्तु सुधारों की प्रकृति अब धीरे-धीरे प्रश्नों के घेरे में आ रही है।17
एसओई को पुन: केन्द्रीकृत करने के प्रयास पूर्व की अपेक्षा अधिक सशक्त हैं जो चीनी राज्य के विस्तार में स्वयं को रूपान्तरित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नोमेन्क्लाट्यूरा प्रणाली (गैंब्योरेन्मिग्झी डू) के माध्यम से एसओई में महत्त्वपूर्ण पदों की नियुक्ति तथा क्रॉस-नियुक्तियाँ चरम पर हैं जिसने उपक्रम व्यवस्था प्रणाली पर कठोर नियन्त्रण बनाये रखने के लिए शी सरकार को सक्षम बनाया।18 इसने निगमीकरण की प्रक्रिया तथा सरकार से उपक्रमों को अलग करने की अपूर्ण प्रक्रिया को अपनाया। अमेरिका-चीन के जारी व्यापार युद्ध के प्रमुख मुद्दों में से एक चीन सरकार की एसओई के प्रति नीतियाँ रहीं जिसने न केवल घरेलू निजी एवं विदेशी कम्पनियों को बल्कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के विरुद्ध भी भावना को आहत किया।19
वर्तमान में, चीन के एसओई सुधार क्षेत्र में मिश्रित स्वामित्व एक प्रचलित शब्द है। एसओई में केवल निजी पूँजी के प्रवाह को अनुमति देने वाली 1990 की स्वामित्व पुनर्निर्माण प्रक्रिया के विपरीत वर्तमान सुधार में एसओई में निजी कम्पनियों के हित धारण और निजी फर्मों में एसओई द्वारा निवेश दोनों शामिल किये गये हैं।20 इसमें घबराने वाली बात निजी क्षेत्र में एसओई का निवेश है जो निजी फर्मों की कार्यप्रणाली तथा वित्तपोषण में राज्य के हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त करती है (गुओजिनमिनतुई)।21
इस प्रकार पीआरसी की 70वीं जयन्ती चीन द्वारा निर्मित नीति विकल्पों तथा इसके एसओई सुधारों को प्रतिबिम्बित करती है। चीन की अर्थव्यवस्था वर्तमान में व्याकुलता के दौर से गुजर रही है। प्रमाणों से स्पष्ट है कि चीन के एसओई सुधारों ने ऐसे मार्ग का अनुसरण किया है जिसे विकेन्द्रीकरण तथा केन्द्रीकृत नियन्त्रण की परिवर्तनशील मात्रा द्वारा वर्गीकृत किया गया है। जैसे-जैसे अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध विकराल होता है और एसओई आस्तियों पर प्रतिलाभ तेजी से कम होता है,22 अत: यह देखना शेष है कि राष्ट्रपति शी किस सीमा तक निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करते हैं, एसओई की सब्सिडी में कटौती करते हैं तथा राज्य उपक्रमों के प्रबन्धन को निर्देशित करने के लिए बाजारोन्मुखी नीतियों को लागू करते हैं। यही समय है कि चीनी सरकार स्वामी के रूप में कार्य करना बन्द कर दे और राज्य की फर्मों का रखवाला बने।
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* डॉ. प्रियंका पण्डित, शोधकर्ता, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं न कि परिषद के।
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1Sheng, H., & Zhao, N. (2013). China's state-owned enterprises: Nature, performance and reform (Vol. 1). World Scientific.
2Tsui, A. S., & Lau, C. M. (eds.). (2012). The management of enterprises in the People’s Republic of China. Springer Science & Business Media.
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1Nomenklatura system involves two essential elements: a hierarchical list of leadership positions to be filled by the Communist Party and a list of persons (party cadres) suitable for these positions.
3Tian, G. (1996). „Approach and steps of China's state enterprise reform and economic system transition: on three stages of China's economic reform‟, in Xu, Dianqing and Wen, Guanzhong (eds), Reform of China's State-owned Enterprises, China Economy Press, Beijing (in Chinese).
4McMillan, J., & Naughton, B. (1996). Reforming China‟s state-owned firms. Reforming Asian socialism: The growth of market institutions, 167174.
5Ibid.
6Lin, Justin Yifu. (2004), “Lessons of China‟s Transition from a Planned Economy to a Market Economy”, Distinguished Lecture Series, 17th December, URL: http://www.tiger.edu.pl/publikacje/dist/lin.pdf, Accessed on 20 September 2019.
7Fewsmith, J. (1994). Dilemmas of Reform in China: Political Conflict and Economic Debate, Armonk, NY: ME Sharpe,
8Jiang, Z. (2013), Selected Works of Jiang Zemin, Vol. III, Translated by the Bureau for the Compilation and Translation of Marx, Engels, Lenin and Stalin Under the Central Committee of the Communist Party of China, Beijing: Foreign Language Press.
9Hsieh, C. & Zheng, M. (2015), “Grasp the Large, Let Go of the Small: The Transformation of the State Sector in China,” NBER Working Paper, 21006.
10Ibid.
11Yongnian Zheng ,Minjia Chen (2017), “China‟s recent State-owned Enterprise reform and its social consequences”, China Policy Institute, Issue 23, URL: https://www.nottingham.ac.uk/iaps/documents/cpi/briefings/briefing-23-china-state-owned-enterprise-reform.pdf, Accessed on 01 October 2019
12The Economist (2009), “China's „going out‟ strategy”, 21 July 2009, [Online: web] Accessed 12 June 2016 URL: https://www.economist.com/blogs/freeexchange/2009/07/chinas_going_out_strategy.
13Ho, D., & Young, A. (2013). China‟s experience in reforming its state-owned enterprises: something new, something old and somethingChinese?. International Journal of Economy, Management and Social Sciences, 2(4), 84-90.
14Jia, X. &Tomasic, R. (2010), Corporate Governance and Resource Security in China, New York: Routledge.
15Okazaki, K. (2017). Banking system reform in China: The challenges to improving its efficiency in serving the real economy. Asian Economic Policy Review, 12(2), 303-320.
16Bejkovský, I. J., (2016), “State Capitalism in China: The Case of the Banking Sector”, Proceedings of the International Academic Research Conference on Small & Medium Enterprises (Vietnam SME Conference), Danang City, 2-4 August 2016, URL: http://globalbizresearch.org/IAR16_Vietnam_Conference_2016_Aug/docs/doc/PDF/VS611.pdf, Accessed on 24 September 2019
17Zoey Ye Zhang (2018), “China‟s SOE Reforms: What the Latest Round of Reforms Mean for the Market”, China Briefing, https://www.china-briefing.com/news/chinas-soe-reform-process/, Accessed on 01 October 2019.
18Brødsgaard, K. E. (2018). Can China Keep Controlling its SOEs, The Diplomat, URL: https://thediplomat.com/2018/03/can-china-keep-controlling-its-soes/, Accessed on 01 October 2019
19Gan, Nectar (2018), “Xi says it‟s wrong to „bad mouth‟ China‟s state firms... but country needs private sector as well”, South China Morning Post, 28 September, URL: https://www.scmp.com/news/china/politics/article/2166108/xi-jinping-reassures-chinas-state-owned-enterprises-and-private, Accessed on 01 October 2019.
20Zhang, Lin (2018), “The three dangers of China‟s mixed-ownership reform”, South China Morning Post, URL: https://www.scmp.com/news/china/economy/article/2158036/three-dangers-chinas-mixed-ownership-reform, Accessed on 01 October 2019.
21“China‟s private sector faces an advance by the state”, The Economist, 8th December, https://www.economist.com/business/2018/12/08/chinas-private-sector-faces-an-advance-by-the-state, Accessed on 01 October, 2019.
22 Lardy, Nicholas (2019), “Xi Jinping‟s turn away from the market puts Chinese growth at risk”, Financial Times, URL: https://www.ft.com/content/3e37af94-17f8-11e9-b191-175523b59d1d, Accesesed on 01 October, 2019.