वुहान (27-28 अप्रैल, 2018) में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तथा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक सम्मेलन के दौरान विभिन्न मुद्दों पर निष्कर्षित व्यापक सहमतियों ने भारत-चीन सम्बन्धों में 'अग्रगामी दृष्टिकोण' को सूचित किया है। 2017 में 73 दिनों तक चलने वाली डोकलाम की घटना के बाद यह एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बैठक थी। इसके पश्चात किंगदाओ (जून 2018), जोहानिसबर्ग (जुलाई 2018), ब्यूनस आयर्स (नवम्बर 2018) तथा बिस्केक (जून 2019) में दोनों नेताओं के बीच बैठक ने न केवल दोनों एशियाई शक्तियों के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्धों को प्रगाढ़ किया बल्कि गुणात्मक रूप से नवीन सम्बन्धों के निर्माण के महत्त्व को भी रेखांकित किया। ये द्विपक्षीय बैठकें वुहान सम्मेलन की भावना द्वारा प्रेरित थीं।
राजनीतिक तथा रणनीतिक
वुहान सम्मेलन के दौरान प्रधानमन्त्री मोदी तथा राष्ट्रपति शी ने दोनों देशों के मध्य रणनीतिक संवाद की महत्ता को रेखांकित किया। यह भारत-चीन सीमा क्षेत्र के सभी क्षेत्रों में शान्ति एवं समरसता सुनिश्चित करने का एक सकारात्मक प्रतिफल था। सहमति बनने के सन्दर्भ में चीन के जन सुरक्षा एवं रक्षा मन्त्री के नई दिल्ली दौरे के रूप में सामने आई। नई दिल्ली में चीन के जन सुरक्षा एवं रक्षा मन्त्री तथा भारत के गृह मन्त्री के बीच (अक्टूबर 2018 में) तथा भारत तथा चीन के रक्षामन्त्री के बीच (अक्टूबर 2018 में) द्विपक्षीय बैठकों ने राजनीतिक तथा रणनीतिक मामलों पर दोनों देशों के बीच सम्पर्क को उन्नत करने में योगदान दिया।
किन्तु रणनीतिक संवाद ने कुछ उभरते हुए मुद्दों पर वांछित परिणाम नहीं दिए।
जैसा कि पूर्व नियोजित था, भारत के विदेश मन्त्री (ईएएम) डॉ. एस. जयशंकर ने 11-13 अगस्त, 2019 को सांस्कृतिक एवं जनता से जनता विनिमयों पर हाई लेवल मैकेनिज्म (एचएलएम) की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता के लिए बीजिंग का दौरा किया। चीनी विदेश मन्त्री के साथ भारतीय संसद द्वारा पारित जम्मू कश्मीर (जेएण्डके) पर हालिया विधान से सम्बन्धित मुद्दे बातचीत में चीन द्वारा उठाये गये थे। विदेश मन्त्री ने कहा कि "यह भारत का आन्तरिक मामला है। यह मुद्दा भारतीय संविधान के अस्थायी प्रावधान में परिवर्तन से सम्बन्धित था और यह हमारे देश का एकमात्र विशेषाधिकार है।"1 विधायी उपायों का लक्ष्य उत्तम प्रशासन तथा विकास पर केन्द्रित है। उन्होंने आश्वस्त किया कि "भारत की बाह्य सीमाओं अथवा चीन के साथ वास्तविक नियन्त्रण रेखा (एलएसी) का कोई निहितार्थ नहीं था। भारत किसी अतिरिक्त क्षेत्रीय दावे नहीं कर रहा है। अत: इस सम्बन्ध में चीन की चिन्ताएँ निराधार हैं।"2
9 अगस्त, 2019 को पाकिस्तान के विदेश मन्त्री के चीनी दौरे के समय चीन के विदेश मन्त्री ने कहा "इसे (जेएण्डके) संयुक्त राष्ट्र चार्टर, प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के समाधानों तथा द्विपक्षीय अनुबन्ध के आधार पर उचित एवं शान्तिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए।"3 यह वक्तव्य जम्मू एवं कश्मीर पर चीनी स्थिति के स्पष्ट परिवर्तन था जो इसे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानता था। यह स्पष्ट है कि चीन की इस नयी नीति को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्वीकार नहीं किया गया और इसे जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे पर यूएनएससी में अलग-थलग कर दिया गया।1 जम्मू-कश्मीर पर यूएनएससी में चीन का यह कदम भारत के महत्त्वपूर्ण हितों का उल्लंघन तथा वुहान सम्मेलन की भावना के विपरीत था।
हांगकांग स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन (एचकेएसएआर) में भारी विरोध प्रदर्शनों अथवा जिनजियांग उइगर ऑटोनॉमस रीजन (एक्सयूएआर) की स्थिति पर भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि भारत इसे चीन का आन्तरिक मामला मानता है। किन्तु जम्मू-कश्मीर पर चीन की बदलती नीति को देखते हुए भारत की प्रमुख परिचर्चाओं से स्पष्ट है कि इस नयी परिस्थिति में जैसे को तैसा की नीति उचित होगी।
स्रोत : fmprc.com.cn, 2019
1 चीन ने 1990 से भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दों पर एक प्रकार की तटस्थता दिखानी प्रारम्भ कर दी थी। 2 दिसम्बर, 1996 को पाकिस्तानी संसद के एक विशेष सत्र में राष्ट्रपति जियांग जेमिन का भाषण इस सम्बन्ध में पर्याप्त स्पष्ट था।
आर्थिक
वुहान सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों ने "पारस्परिक लाभ एवं स्थायी ढंग से घनिष्ठ एवं सशक्त विकासपरक साझेदारी" का निर्णय लिया था।4 विशेष रूप से कृषि उत्पादों के क्षेत्र में कुछ सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं।
वुहान सम्मेलन के पश्चात कृषि उत्पाद क्षेत्र पर भारत और चीन के बीच प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये गये
क्र.सं. |
वस्तु |
हस्ताक्षर का वर्ष |
टिप्पणी |
1 |
बासमती चावल तथा गैर-बासमती चावल |
9 जून, 2018 |
दोनों किस्मों के लिए |
2 |
मछली/मछली का तेल |
28 नवम्बर, 2018 |
चीन को मछली उत्पाद तथा मछली के तेल के निर्यात हेतु स्वच्छता तथा निरीक्षण अपेक्षाओं के लिए प्रोटोकॉल |
3 |
तम्बाकू की पत्तियाँ |
21 जनवरी, 2019 |
पहला प्रोटोकॉल 4 वर्ष की अवधि हेतु 14 जनवरी, 2008 को हस्ताक्षरित किया गया था। इसे 21 जनवरी 2019 को नवीकृत किया गया। |
4 |
मिर्च खाद्य |
9 मई, 2019 |
भारतीय मिर्च खाद्य चीन को निर्यात करने हेतु एसपीएस प्रोटोकॉल। |
स्रोत : कृषि सहयोग/निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईसी) विभाग से संकलित, भारत सरकार, 2019
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि वुहान सम्मेलन के बाद बासमती चावल तथा गैर-बासमती चावल, मछली खाद्य/मछली के तेल, तम्बाकू की पत्तियों तथा मिर्च आहार से सम्बन्धित चार प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये गये। निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य विकास है। किन्तु, औषधियों एवं फार्मास्यूटिकल्स, आईटी एवं आईटी सम्बन्धी सेवाओं के क्षेत्र में भारतीय उत्पादों हेतु बाजार तक पहुँच के मुद्दों को सन्तुलित एवं सतत आर्थिक साझेदारी सुनिश्चित करने के लिए हल करने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर, 2018-19 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 50 बिलियन डॉलर से अधिक था और इस मुद्दे को आगे की दिशा में ले जाने की आवश्यकता है।
जनता से जनता
सांस्कृतिक तथा जनता-से-जनता विनिमयों का प्रतिष्ठापन वुहान सम्मेलन का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिफल था। एचएलएम की प्रथम बैठक की सह-अध्यक्षता तत्कालीन विदेश मन्त्री सुषमा स्वराज तथा चीन के विदेश मन्त्री वांग यी के साथ 21 दिसम्बर, 2018 को नई दिल्ली में की गयी। एचएलएम ने संस्कृति, कला, पर्यटन, मीडिया, फिल्म तथा शिक्षा सहित प्रतिभाओं एवं युवा विनिमयों के आदान-प्रदान के माध्यम से दोनों देशों के मध्य व्यापक आधार वाले सम्बन्ध की इच्छा प्रदर्शित की।
सांस्कृतिक तथा जनता-से-जनता विनिमय पर एचएलएम की दूसरी बैठक की सहअध्यक्षता विदेश मन्त्री जयशंकर तथा वांग यी के बीच बीजिंग में 12 अगस्त, 2019 को हुई। दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने, परम्परागत औषधि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, म्यूजियम प्रबन्धन में सहयोग तथा राष्ट्रीय खेल संघों और खिलाड़ियों के मध्य विनिमय के प्रोत्साहन के लिए चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक तथा जनता-से-जनता सम्बन्धों को अधिक प्रगाढ़ करने के लिए 100 गतिविधियाँ आयोजित करने के लिए कुछ नये प्रस्तावों/विचारों पर चर्चा की और सहमति व्यक्त की।6 ये स्वागत योग्य विकास हैं और इससे भारत-चीन सम्बन्धों को सशक्त करने के लिए जनता के समर्थन में वृद्धि हो सकती है।
निष्कर्ष
जनता-से-जनता के सम्पर्क तथा आर्थिक सम्बन्धों के प्रसंग में भारत-चीन द्विपक्षीय सम्बन्धों में कुछ गति प्रतीत होती है। किन्तु, हालिया राजनीतिक तथा रणनीतिक मुद्दों ने वुहान की भावना की सकारात्मकता के विपरीत नकारात्मक कमियों का समाधान नहीं किया है। भारत में जनता की सोच जम्मू-कश्मीर मामले पर चीन की बदलती स्थिति को प्रत्युत्तर देने की बनी है। आशा की जाती है कि चीन जम्मू-कश्मीर पर अपनी धारणा पर पुन: विचार करेगा और वुहान सम्मेलन के पश्चात द्विपक्षीय सम्बन्धों के इस नये युग में इस गतिहीनता को नियन्त्रित करने के लिए कदम उठायेगा। जून, 2018 में शांगरी ला संवाद के दौरान प्रधानमन्त्री मोदी के वक्तव्य का उद्धरण देना उचित होगा। उन्होंने कहा था, "एशिया तथा विश्व का भविष्य तभी उज्ज्वल रहेगा जब भारत और चीन विश्वास और भरोसे, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होकर साथ मिलकर कार्य करेंगे।" भारत-चीन के सम्बन्ध इन सिद्धान्तों के लिए पारस्परिक सम्मान पर निर्भर करेंगे।
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* डॉ. संजीव कुमार, शोधकर्ता, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त विचार शोधार्थी के हैं न कि परिषद के।
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1“Visit of the External Affairs Minister to Beijing (August 12, 2019)” https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/31727/Visit_of_the_External_Affairs_Minister_to_Beijing_August_12_2019, Accessed on August 16, 2019
2 Ibid
3 “Wang Yi Held Talks with Pakistani Foreign Minister Qureshi”, https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/zxxx_662805/t1687792.shtml Accessed on August 14, 2019
4 “Press Release “India-China Informal Summit at Wuhan”, April 28, 2018, http://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/29853/IndiaChina_Informal_Summit_at_Wuhan Accessed on August May 10, 2018
5“India and China sign protocol for Export of Indian Chilli Meal” Department of Agriculture Cooperation/Export Inspection Council (EIC), http://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1571781 Accessed on August 20, 2019
6 Visit of the External Affairs Minister to Beijing (August 12, 2019)” https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/31727/Visit_of_the_External_Affairs_Minister_to_Beijing_August_12_2019 Accessed on August 16, 2019
7 See for example, “India must respond to Chinese provocation”, https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/view-india-must-respond-to-chinese-provocation/articleshow/70730720.cms, accessed on August 19, 2019