सार
संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ़ डिफेंस (डीओडी)) ने जून 2019 में संयुक्त राज्य अमेरिका भारत-प्रशांत रणनीति रिपोर्ट और आर्कटिक रणनीति दोनों को जारी किया। दोनों दस्तावेजों में संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधित क्षेत्रों में परस्पर संबंधित सुरक्षा हितों को विकसित करने की अवधारणा को रेखांकित किया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका डीओडी के लिए, संचालन के दोनों थिएटर समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। वास्तव में, कुछ सुरक्षा हित जैसे कि नौपरिवहन और ऊपर से उड़ान (ओवर फ्लाइट) की स्वतंत्रता बनाए रखना और रूस और चीन द्वारा उत्पन्न चुनौती दोनों के लिए समान हैं। दोनों रणनीति दस्तावेज साझा विचारों जैसे आपसी सम्मान, संप्रभुता, पारदर्शिता आदि के आधार पर साझेदारी बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में दोनों क्षेत्र शांतिपूर्ण, समृद्ध और सुरक्षित रहें।
परिचय
संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग (डीओडी) ने जून 2019 में संयुक्त राज्य अमेरिका भारत-प्रशांत रणनीति रिपोर्ट1 और आर्कटिक रणनीति दोनों जारी की,2 जिसमें उसके चारों ओर के जल सीमा क्षेत्रों में संयुक्त राज्य अमेरिका के सुरक्षा हितों को स्पष्ट व्यक्ति किया गया। दोनों दस्तावेजों को एक के बाद एक जारी करना उन तरीकों का संकेत है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका इन दोनों क्षेत्रों भारत-प्रशांत और आर्कटिक में अपनी रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का लक्ष्य रख रहा है।
दोनों दस्तावेज एक साथ एक दीर्घकालिक नीति के दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हैं जो रेखांकित करता है कि आज डीओडी कहां पर है, और यह भविष्य के लिए उसके लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु नीति नियोजन और कार्यान्वयन प्रक्रिया है। भारत-प्रशांत पर प्रथम नीति दस्तावेज इसे उन चार सिद्धांतों के साथ एक स्वतंत्र और खुले क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है जो यहां अमेरिकी नीति को संचालित करते है: (ए) संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए सम्मान; (बी) विवादों का शांतिपूर्ण समाधान; (सी) मुक्त, निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार; और (डी) अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानदंडों का पालन। 2016 में डीओडी द्वारा इस तरह के अंतिम दस्तावेज जारी किए जाने के तीन साल बाद 2019 आर्कटिक रणनीति आई है। यह रणनीति दस्तावेज उच्च प्रशासन में मौजूदा प्रशासन की नीति को समझने में महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जबकि क्षेत्र में चीनी और रूसी कार्रवाई के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका महत्वपूर्ण हो जाता है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) दस्तावेज में व्यक्त की गई आलोचना एवं साथ ही चीन और रूस के बारे में राष्ट्रीय रक्षा रणनीति (एनडीएस) की निरंतरता में है। जबकि निकट भविष्य में आर्कटिक में सैन्य संघर्षों की कम संभावना है, फिर भी, चीन और रूस के दीर्घकालिक रणनीतिक निवेशों और व्यस्तताओं, और कुछ अन्य आर्कटिक राज्यों ने क्षेत्र में अमेरिकी तत्परता में संभावित कमजोरियों को उजागर किया है।
2019 भारत-प्रशांत रणनीति
भारत-प्रशांत पर पहली रणनीति रिपोर्ट इस क्षेत्र को “…प्राथमिकता थिएटर के रूप में पहचानती है।“3 अमेरिका के ऐतिहासिक संबंधों के आधार पर क्षेत्र के संबंध में यह ‘‘साझा समृद्धि जो निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार, खुले वाणिज्य और नौपरिवहन की स्वतंत्रता से आती है’’ के समान लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग के लिए कहती है।4 संयुक्त राज्य अमेरिका भारत-प्रशांत रणनीति का मूल स्वतंत्र और खुला भारत-प्रशांत है, जो क्षेत्र के लिए सुरक्षा वास्तुकला विकसित करने, आर्थिक सहयोग बढ़ाने, और स्थिर शासन का विकास करने की आवश्यकता के आधार पर है।
रणनीति रिपोर्ट संयुक्त राज्य अमेरिका भारत-प्रशांत संलग्नता के सुरक्षा पहलुओं को काफी समझती है। क्षेत्र के लिए डीओडी की रणनीति को रेखांकित करते हुए, दस्तावेज में उल्लेख किया गया है कि, “विभाग समान चुनौतियों का सामना करने के लिए समान विचारधारा वाले सहयोगियों और भागीदारों के साथ सहयोग करना चाहता है।5 संयुक्त राज्य अमेरिका स्वीकार करता है कि सहयोगी और साझेदार शांति और अन्तरसक्रिय पारस्परिकता के लिए कई गुना बल हैं, जो एक स्थिर, असममित और अद्वितीय लाभ का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका कोई प्रतियोगी या प्रतिद्वंद्वी मेल नहीं कर सकता है।’’6 रणनीति दस्तावेज क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए चार चुनौतियों की पहचान करता है।
प्रथम, चीन को एक ‘संशोधनवादी शक्ति’ के रूप में पहचाना गया है, जो अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को कमजोर कर रहा है। यह दावा करता है कि “...भारत-प्रशांत विस्तार अधिक आत्मविश्वास के साथ सामना कर रहा है और अधिकार द्योतक चीन क्षेत्र में संघर्ष को स्वीकार करने के लिए तैयार है। (अवधारणा संकलित)। चिंता के क्षेत्र दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण और संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच के युद्धरत संबंध हैं। डीओडी का लक्ष्य चीन के साथ दीर्घकालिक संबंधों को विकसित करना है जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान देगा। दूसरी चुनौती संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच के अंतर के रूप में है ... ‘‘भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्वयं को फिर से स्थापित करने के प्रयास में रूस अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। यह बमवर्षक विमान उड़ा रहा है, अभ्यास कर रहा है और भारत-प्रशांत के जल सीमा क्षेत्रों में सामरिक पर्यवेक्षण का संचालन कर रहा है।’’7 चीन और रूस के बीच सेक्टरों के एक विस्तृत स्पेक्ट्रम के बीच बढ़ती निकटता अमेरिकी हितों के लिए दीर्घकालिक खतरे के रूप में पहचानी जाती है। तीसरे, उत्तर कोरिया को एक ‘दुष्ट राष्ट्र’ के रूप में पहचाना जाता है जो अमेरिका और उसके सहयोगियों दोनों के लिए एक चुनौती बना हुआ है। और अंत में, कमजोर और असभ्य शासन के अलावा अंतरराष्ट्रीय अपराध, प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न खतरा जैसे कि कंबोडिया में लोकतांत्रिक पथभ्रष्टता और बर्मा में मजबूत लोकतंत्र की कमी के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका को इस क्षेत्र में निवेश करने की आवश्यकता है।
चित्र 1 - संयुक्त राज्य अमेरिका इन‘डो पैसेफिक कमांड
स्त्रोत: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत-प्रशांत कमांड (2019) https://www.pacom.mil/About USINDOPACOM/USPACOM-Area-of- Responsibility/
भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपने रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण करेगा और अपने प्रतिद्वंद्वियों पर काबू पाने की क्षमता बढ़ाएगा। यह अपने विभिन्न सैन्य ठिकानों के माध्यम से क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और पहुंच बढ़ाएगा, जबकि जिम्मेदारियों और सुरक्षा बोझों को साझा करने की अनुमति देने वाले साझेदारियां विकसित होंगी। अपनी साझेदारी का विस्तार करते हुए, 2019 का रणनीति दस्तावेज भारत को एक मूल्यवान भागीदार के रूप में पहचान देता है जो समान रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय आज्ञा आधारित नियमों के विकास में निवेशित है। भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की नींव पर आधारित, रणनीति दस्तावेज उपक्रमों को रेखांकित करता है जो कि रक्षा सहयोग और अंतर्संचालनीयता को मजबूत करने के लिए चल रहे हैं, जैसे कि वर्ष में बाद में होने वाली प्रथम भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका त्रिकोणीय सेवा अभ्यास। इसका बड़ा उद्देश्य एक भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका साझेदारी विकसित करना है जो केवल भारत-प्रशांत क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें वैश्विक मुद्दों पर विचारों की समानता शामिल है।
2019 आर्कटिक रणनीति
भारत-प्रशांत रणनीति रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद जारी विभाग की आर्कटिक रणनीति, आर्कटिक क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए तीन राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की पहचान करती है। ये हैं: प्रथम‘‘... अमेरिकी संप्रभुता और मातृभूमि की रक्षा करना, मिसाइल रक्षा विकसित करना ... और आर्कटिक की क्षेत्र जागरूकता।’’8 द्वितीय, एक सुरक्षित और स्थिर आर्कटिक के निर्माण के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना। अन्त में, वैश्विक शक्ति प्रक्षेपण के लिए लचीलापन बनाए रखना, जिसमें नौपरिवहन और उड़ानों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना शामिल है; और चीन और रूस की क्षमता को सीमित करने हेतु प्रतिस्पर्धा के लिए एक गलियारे के रूप में उस क्षेत्र का लाभ उठाना जो उनके रणनीतिक उद्देश्यों को दुर्भावनापूर्ण या जबरदस्तीपूर्ण व्यवहार के माध्यम से आगे बढ़ाता है।9 डीओडी की रणनीति ने संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के यूरोप और भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते मतभेदों के परिणामस्वरूप आर्कटिक में अधिक से अधिक प्रतिस्पर्धा की संभावनाओं के बारे में बताया। 2019 डीओडी आर्कटिक रणनीति पिछली 2016 डीओडी आर्कटिक रणनीति को अपडेट करती है।
चित्र 2 : आर्किटक राज्य
स्रोत: अमेरिकन फॉरेन सर्विस एसोसिएशन (2019) https://www.afsa.org/getting-game-americas-arctic-policy
2016 के रणनीति दस्तावेज के विपरीत, 2019 आर्कटिक रणनीति है ‘‘2017 एनएसएस द्वारा सूचित और 2018 एनडीएस की प्राथमिकताओं में संलग्न हुई और दीर्घकालिक संयुक्त राज्य अमेरिका सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रमुख चुनौती के रूप में चीन और रूस के साथ प्रतिस्पर्धा पर वह केंद्रित है…’’10 नवीनतम रिपोर्ट भी 2016 के रणनीति दस्तावेज में प्रस्तुत की गई व्यापक रूपरेखा के विपरीत संक्षिप्त तरीके में संयुक्त राज्य अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की स्पष्ट अभिव्यक्ति करती है। उत्तरवर्ती तीन हितों की पहचान करती है: (ए) संयुक्त राज्य अमेरिका मातृभूमि के रूप में आर्कटिक (बी) एक साझा क्षेत्र के रूप में आर्कटिक (सी) रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के लिए संभावित गलियारे के रूप में आर्कटिक। अंतिम बिंदु का एक संभावित कारण चीन के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा पर दस्तावेज में ध्यान केंद्रित करना है जो इसके पहले के नीति दस्तावेज के विपरीत है, जिसमें चीन का उल्लेख नहीं है।
नवीनतम दस्तावेज, यह स्वीकार करते हुए कि आर्कटिक में चीन की परिचालन उपस्थिति सीमित है, भविष्य के चीनी सैन्य के लिए और इन जल सीमा क्षेत्रों में व्यावसायिक उपस्थिति के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की तैयारियों का आह्वान करता है। 2019 के दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि कोई क्षेत्रीय दावे नहीं होने के बावजूद, चीन आर्कटिक प्रशासन में भूमिका चाहता है। हालाँकि, हालिया दस्तावेज में जलवायु परिवर्तन का कोई उल्लेख नहीं है जबकि पिछले दस्तावेज आर्कटिक में डीओडी के मिशनों पर जलवायु परिवर्तन की पहचान और मूल्यांकन के लिए बुलाए गए थे। आर्कटिक क्षेत्र से प्राकृतिक संसाधनों के निष्कर्षण और कठोर सैन्य तैयारियों पर उच्च ध्यान केंद्रित करने के साथ, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चूक के लिए संभावित स्पष्टीकरण वर्तमान प्रशासन की निम्न प्राथमिकता हो सकती है।
2019 की रणनीति ने जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप बदलते भौतिक वातावरण के परिणामस्वरूप आर्कटिक के तेजी से बदलते सुरक्षा वातावरण पर जोर दिया है। रिपोर्ट में रूस द्वारा क्षेत्र के बढ़ते सैन्यीकरण के कारण हो रहे बदलावों पर प्रकाश डाला गया है, नए नौवहन मार्ग उभर रहे हैं और समुद्री बर्फ के घटने के कारण प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच बढ़ रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, ‘‘रूस के आर्कटिक क्षेत्र में वाणिज्यिक निवेश निरंतर रक्षा निवेश और गतिविधियों से मेल खाते हैं, जो उसके क्षेत्रीय रक्षा और एनएसआर (उत्तरी समुद्री मार्ग) को नियंत्रित करने की क्षमता दोनों को मजबूत करते हैं।’’11 इसमें आगे कहा गया है कि रूस ने घोषणा की है कि वह बल का उपयोग करेगा, यदि विदेशी जहाज एनएसआर के माध्यम से पार करते समय रूसी नियमों का पालन नहीं करते हैं। ध्रुवीय समुद्री मार्गों को नौपरिवहन कंपनियों द्वारा देखा जा रहा है जिससे वे पारगमन समय को काफी कम कर सकें, ईंधन और अन्य परिचालन लागत की बचत हो सके। ‘आर्कटिक परिस्थितियों’ के लिए बनाए जा रहे जहाजों के साथ नए जहाज भी टन भार के संदर्भ में अधिक कार्गो का परिवहन करेंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका चाहता है कि एनएसआर, जो आर्कटिक जलों में और रूस के एक्सक्ल्यूसिव इकोनोमिक ज़ोन (ईईजेड) के अंदर है, वह एक अंतर्राष्ट्रीय गलियारा हो जो कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए खुला हो। संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति नौपरिवहन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय जलों के बाहर ‘‘निर्दोष मार्ग’’ की अवधारणा का आह्वाहन करती है, क्योंकि यह दक्षिण चीन सागर में नियमित रूप से स्थानांतरित होते हैं। यह नीति चीन की बेल्ट एंड रोड उपक्रम को संबोधित करने के लिए भी है जो उसकी आर्थिक गतिविधियों और आर्कटिक के लिए उसकी व्यापक रणनीति से जुड़ा है। “चीन ने आर्कटिक में दोहरे उपयोग के बुनियादी ढांचे में निवेश करने के अवसरों की तलाश जारी रखी है। चीन के ‘‘आर्कटिक राज्य के निकट’’ होने के दावे के बावजूद, संयुक्त राज्य अमेरिका ऐसी किसी भी स्थिति को मान्यता नहीं देता है।’’12 (अवधारणा संलग्नित)
संयुक्त राज्य अमेरिका नौसेना एनएसआर के खुलते ही अमेरिकी वाणिज्यिक हितों और संसाधनों की सुरक्षा के लिए आर्कटिक महासागर में सतही जहाज भेजने की योजना बना रही है। यह अपने बेड़े को एनएसआर से गुजरने की अनुमति देगा लेकिन रूस के क्षेत्रीय जल के बाहर, जो संकेतन इस क्षेत्र में रूस की प्रधानता को चुनौती देता है। मार्ग की निगरानी के लिए अलास्का में एक रणनीतिक आर्कटिक बंदरगाह विकसित करने के लिए आहवाहन किए गए हैं। भविष्य में इस मार्ग का उपयोग करने वाले वाणिज्यिक जहाजों को सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका तटरक्षक क्षमता और योग्यता का निर्माण कर रहा है। 2019 के दस्तावेज में व्यक्त लक्ष्य है “चीन और रूस की क्षमता को सीमित करने के लिए प्रतिस्पर्धा के लिए गलियारे के रूप में उस क्षेत्र का लाभ उठाना जो उनके रणनीतिक उद्देश्यों को दुर्भावनापूर्ण या आक्रामक व्यवहार के माध्यम से आगे बढ़ाता है।“13
हाल ही में, आर्कटिक थिएटर में खतरों का मुकाबला करने के लिए तैयारियों में कमी के लिए अमेरिकी प्रशासन की आलोचना की गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका तटरक्षक और नौसेना दोनों ही इस क्षेत्र में आकस्मिकता का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार नहीं हैं। इस कमी को संबोधित करते हुए, विभाग ने उन नई क्षमताओं को हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है जो आर्कटिक वातावरण के लिए सबसे उपयुक्त हैं, जिसमें कर्मियों के ठंडे मौसम प्रशिक्षण भी शामिल हैं। भविष्य के संभावित संघर्षों को देखते हुए, रणनीति दस्तावेज आर्कटिक की पहचान”… संयुक्त राज्य अमेरिका शक्ति प्रक्षेपण के लिए एक वैकल्पिक संचालन के रूप में और अन्य क्षेत्रों में डीओडी संचालन के भाग में कौशल के रूप में करता है। डीओडी वैश्विक गतिशीलता और अमेरिकी सैन्य बलों के प्रक्षेपण का समर्थन करने के लिए आर्कटिक तक पहुंच बनाए रखेगा।“ जैसा कि इसे भारत-प्रशांत रणनीति में पहचाना गया है, सहयोगियों और भागीदारों के साथ कार्य करना आर्कटिक क्षेत्र में सामूहिक निवारण के प्रमुख घटक के रूप में पहचाना गया है। डीओडी भी आक्रामकता को रोकने में सहायता करने के लिए नाटो के भीतर अपने सहयोग को बढ़ाएगा।
निष्कर्ष
दोनों दस्तावेज, जब संयुक्त राज्य अमेरिका नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी डॉक्यूमेंट (राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति) और नेशनल डिफेंस स्ट्रेटजी (राष्ट्रीय रक्षा रणनीति) के साथ विचार किया जाते है, तो संयुक्त राज्य अमेरिका की दो क्षेत्रों में परस्पर संबद्ध सुरक्षा हितों को विकसित करने की अवधारणा को रेखांकित करते हैं। बदलते सुरक्षा परिवेश को पहचानने में, संयुक्त राज्य अमेरिका अपने साथी देशों के साथ अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों में काफी विस्तार कर रहा है। भारत-प्रशांत क्षेत्र और आर्कटिक दोनों में सुरक्षा में सुधार, संयुक्त राज्य अमेरिका को समान विचारधारा वाले उन राष्ट्रों के साथ अपने संसाधनों को साझा करने की अनुमति देगा, जो संकट पर प्रतिक्रिया करने और संघर्ष को रोकने की उसकी क्षमता बढ़ाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका स्वयं को एक प्रशांत और आर्कटिक राष्ट्र के रूप में पहचानता है। संयुक्त राज्य अमेरिका डीओडी के लिए, संचालन के दोनों थिएटर समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। वास्तव में, कुछ सुरक्षा हित जैसे कि नौपरिवहन और उड़ान की स्वतंत्रताओं को बनाए रखना और रूस एवं चीन द्वारा उत्पन्न चुनौती दोनों के लिए समान हैं। दोनों रणनीति दस्तावेज साझा विचारों जैसे आपसी सम्मान, संप्रभुता, पारदर्शिता आदि के आधार पर साझेदारी बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में दोनों क्षेत्र शांतिपूर्ण, समृद्ध और सुरक्षित रहेंगे।
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* लेखिका, शोधकर्ता, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं न कि परिषद के।
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1 The report is available at https://media.defense.gov/2019/May/31/2002139210/-1/-1/1/DOD_INDO_PACIFIC_STRATEGY_REPORT_JUNE_2019.PDF
2 The report is available at https://media.defense.gov/2019/Jun/06/2002141657/-1/-1/1/2019-DOD-ARCTIC-STRATEGY.PDF
3 US Department of Defence, “Indo-Pacific Strategy Report: Preparedness, Partnerships, and Promoting a Networked Region June 2019,” https://media.defense.gov/2019/May/31/2002139210/-1/-1/1/DOD_INDO_PACIFIC_STRATEGY_REPORT_JUNE_2019.PDF, Accessed on 07 June 2019, pp i
4 Ibid, pp 02
5 Ibid, pp 16
6 Ibid, pp 07
7 Ibid, pp 11.
8 US Department of Defence, “Report to Congress Department of Defense Arctic Strategy,” https://media.defense.gov/2019/Jun/06/2002141657/-1/-1/1/2019-DOD-ARCTIC-STRATEGY.PDF, Accessed on 11 June 2019, pp 05
9 Ibid, pp 05
10 Ibid, pp 02
11 Ibid, pp 04
12 Ibid, pp 05
13 Ibid, pp 05
14 Ibid, pp 12