बंगाल इनिसियेटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) सदस्य देशों ने 15-16 अक्टूबर, 2016 को भारत के गोवा में आयोजित ब्रिक्स-बिम्सटेक आउटरीच शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स नेताओं से मुलाकात की। बिम्सटेक के सदस्य देशों में भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं।
म्यांमार
राज्य काउंसलर और विदेश कार्य मंत्री, दाऊआंग सान सूकी ने 15-16 अक्टूबर, 2016 को आयोजित ब्रिक्स-बिम्सटेक आउटरीच बैठक में भाग लिया। वह 16 अक्टूबर, 2016 को भारत पहुंची। सूकी भारत की राजकीय यात्रा पर भी थीं, जो राजकीय तौर पर 17 अक्टूबर, 2016 से शुरू हुई।
ब्रिक्स आउटरीच बैठक में भाग लेने हेतु बिम्सटेक सदस्य देशों को आमंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने कहा कि इस पहल से ब्रिक्स और बिम्सटेक देशों के बीच अधिक सहयोग होगा।
यह गौर करने की बात है कि ब्रिक्स में अब एक ऐसी प्रथा बन गई है कि उसके सदस्य देश पड़ोसी देशों को आउटरीच सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। जैसा कि विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया था, “पिछले दो शिखर सम्मेलनों के दौरान हमने ब्रिक्स आउटरीच में भाग लिया था… हमारी लुक ईस्ट पॉलिसी के कारण हमने निर्णय लिया कि जिस समूह को हम आमंत्रित करेंगे, वह है बिम्सटेक और हमें बिम्सटेक के सभी भागीदारों से पुष्टि प्राप्त हुई। हमारे पास थाईलैंड, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान के प्रधानमंत्री की पुष्टि आई। श्रीलंका के राष्ट्रपति और म्यांमार से स्टेट काउंसलर अंग सान सूकी भाग लेंगे।"
बिम्सटेक बैठक के दौरान, सदस्य देशों ने 14 क्षेत्रों की पहचान की, जिसमें ब्ल्यू इकोनॉमी और काउंटर आतंकवाद के क्षेत्रों सहित सहयोग को गहरा करना है।
क्षेत्र |
मुख्य देश |
1. व्यापार और निवेश / उप-क्षेत्र 2. प्रौद्योगिकी / उप-क्षेत्र 3. ऊर्जा / उप-क्षेत्र 4. परिवहन और संचार / उप-क्षेत्र 5. पर्यटन / उप-क्षेत्र 6. मत्स्य / उप-क्षेत्र 7. कृषि / उप-क्षेत्र 8. सांस्कृतिक सहयोग / उप-क्षेत्र 9. पर्यावरण और आपदा प्रबंधन / उप-क्षेत्र 10. सार्वजनिक स्वास्थ्य / उप-क्षेत्र 11. जन-जन संपर्क / उप-क्षेत्र 12. गरीबी उन्मूलन / उप-सेक्टर 13. काउंटर आतंकवाद और परादेशीय अपराध / उप-क्षेत्र 14. जलवायु परिवर्तन |
बांग्लादेश श्रीलंका म्यांमार भारत भारत थाईलैंड म्यांमार भूटान भारत थाईलैंड थाईलैंड नेपाल भारत बांग्लादेश |
स्रोत: http://www.bimstec.org/index.php?page=sectors
म्यांमार के स्टेट काउंसलर ने अपने भाषण में कहा कि बिम्सटेक दुनिया में "सबसे कम एकीकृत, सबसे कम कनेक्टेड" क्षेत्र है। बैठक के दौरान, सदस्य देशों ने बिम्सटेक मोटर वाहन समझौते की संभावना का पता लगाने की सहमति व्यक्त की। उन्होंने आपदा प्रबंधन के मुद्दों और कृषि क्षेत्र में सहयोग करने का भी निर्णय लिया।
म्यांमार के लिए, बिम्सटेक दक्षिण एशियाई देशों के साथ जुड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। बिम्सटेक को दिया गया अधिक महत्व, स्वाभाविक रूप से म्यांमार की विदेश नीति में ‘वेस्टवर्ड ओरिएंटेशन’ लाएगा। भारत, म्यांमार के लिए महत्वपूर्ण पड़ोसी है। बांग्लादेश से खासकर अवैध प्रवासन के रूप में उत्पन्न सुरक्षा चिंताएं दक्षिण एशियाई क्षेत्र को समान्य रूप से और विशेष रूप से बांग्लादेश म्यांमार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
थाईलैंड
ब्रिक्स-बिम्सटेक बैठक में थाईलैंड के विदेश मामलों के उप मंत्री वीरसाकादि फुत्राकुल ने भाग लिया। थाई महाराजा भुमिबोल अदुल्यादेज की मृत्यु के कारण, थाई प्रधानमंत्री प्रथुथ चान-ओचा ने अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी थी। थाईलैंड का प्रतिनिधित्व उप विदेश मंत्री द्वारा किया गया। फिर भी, थाई विदेश मंत्रालय ने इस पहल का स्वागत किया और उसमें सक्रिय रूप से भाग लिया।
थाईलैंड शुरू से ही बिम्सटेक प्रक्रिया में शामिल रहा है। वास्तव में, बिम्सटेक की उत्पत्ति थाईलैंड की 'लुक वेस्ट' नीति में निहित है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक को दिए गए काफी महत्व ने उप-क्षेत्रीय समूहीकरण को नए कूटनीतिक गतिकी में अधिक प्रासंगिक बना दिया है, जिससे थाईलैंड के प्रति भी अधिक ध्यान आकर्षित हो रहा है।
बैठक के दौरान, बिम्सटेक सदस्यों ने दिवंगत महाराजा के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, "हम महामहिम भुमिबोल अदुल्यादेज के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हैं, जिनके वैश्विक विकास में योगदान को संयुक्त राष्ट्र ने अपने पहले मानव विकास लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार में मान्यता दी थी। हम थाईलैंड के शाही परिवार, लोगों और थाईलैंड की सरकार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।”
बैठक के दौरान सदस्य देशों ने "आपराधिक मामलों में आपसी सहायता पर बिम्सटेक संधि पर हस्ताक्षर करने में तेजी लाने, और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, संयुक्त परादेशीय संगठित अपराध एवं अवैध ड्रग तस्करी को समाप्त करने में सहयोग पर बिम्सटेक संधि के शीघ्र अनुसमर्थन के लिए अपनी प्रतिबद्धत्ता व्यक्त की।"
यह आश्वस्त होकर कि विभिन्न रूपों में कनेक्टिविटी का विकास क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने की कुंजी है, सदस्य देशों ने बिम्सटेक क्षेत्र में मल्टी-मोडल भौतिक कनेक्टिविटी (वायु, रेल, सड़क और जलमार्ग) को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासों और पहल पर संतोष व्यक्त किया। बैठक के दौरान, बिम्सटेक परिवहन बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक अध्ययन की सिफारिशों के कार्यान्वयन की सराहना की गई और सदस्यों ने एक बिम्सटेक मोटर वाहन समझौता करने की संभावना की तलाश करने की भी सहमति व्यक्त की।
निष्कर्ष
बिम्सटेक के सदस्यों को आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार का निर्णय एक बड़ी पहल है। दक्षिण एशियाई भागीदारी के संदर्भ में, आउटरीच बैठक एक यथार्थवादी योजना थी क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मालदीव को छोड़कर, सार्क के अन्य सभी सदस्य भी बिम्सटेक के सदस्य हैं। बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित करने का अतिरिक्त लाभ यह था कि इसने भारत को पूर्वी समुद्री बोर्ड यानी म्यांमार और थाईलैंड में अपने दो सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसियों के साथ बातचीत करने का मौका दिया। आउटरीच सम्मेलन ने म्यांमार और थाईलैंड को यह विश्वास करने का अवसर दिया कि वे भारत की पड़ोस कूटनीति का भी हिस्सा हैं। अंत में, इसने ब्रिक्स देशों, विशेष रूप से ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका को बिम्सटेक देशों के साथ बातचीत करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया। इससे दोनों समूहों और इसके सदस्य देशों के बीच सहयोग के नए मायने खुल गए हैं।
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*डॉ. राहुल मिश्रा , भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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