ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमली रहमान ने दक्षिण एशिया के दो देशों: भारत और श्रीलंका की दिसम्बर, 2016 को यात्रा की। वे 12 से 14 दिसम्बर, 2016 तक श्रीलंका में थे और 14 से 18 दिसम्बर, 2016 तक भारत में थे। श्रीलंका की उनकी यात्रा महत्वपूर्ण थी क्योंकि वहां उनकी यह पहली यात्रा थी। भारत में उनकी छठी यात्रा थी। यह यात्रा व्यापार और निवेश में नए क्षेत्रों की तलाश के लिए ताजिकिस्तान द्वारा एक महत्वपूर्ण पहल थी। इससे विभिन्न क्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग की तलाश करने के लिए तीनों देशों के लिए एक मंच भी मिला है।
श्रीलंका की यात्रा
श्रीलंका की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति रहमान की श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपला सिरिसेना के साथ व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा और मादक पदार्थ की तस्करी सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों राष्ट्रपतियों ने दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कहा कि, व्यापार के अलावा, ‘श्रीलंका आगे के सहयोग विशेषकर राष्ट्रीय सुरक्षा, मादक पदार्थ नियंत्रण, पर्यटनऔर पनबिजली’ क्षेत्रों की तलाश कर रहा है। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति ने प्रौद्योगिकी बदलाव, युवा विकास, पर्यटन, रत्न उद्योग और वस्त्र उद्योग में अधिक संभावाओं की खोज और श्रीलंका से सीखने की अपनी दिलचस्पी व्यक्त की।
श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रनिलबिक्रम सिंघे ने द्विपक्षीय चर्चाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि चूंकि श्रीलंका ‘हिंद महासागर में आर्थिक केन्द्र बनने की ओर कार्य कर रहा है’’, इसलिए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के माध्यम से कई क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और जानकारी का आदान-प्रदान संभव है।
ताजिकिस्तान राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान एक श्रीलंका-ताजिकिस्तान व्यापार बैठक कोलंबो में 14 दिसम्बर, 2016 को हुई। दोनों ही देशों के व्यापार शिष्टमंडल ने वस्त्र, रबर आधारित उत्पादों, रत्न और आभूषण, पोर्सलीन, टेबलवेयर, आयुर्वेदिक औषधियों और मिष्टान आदि जैसे मुख्य उत्पाद क्षेत्रों के लिए श्रीलंका से ताजिकिस्तान हेतु एक अध्ययन और व्यापार मिशन को आयोजित किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। ताजिकिस्तान के मुक्त व्यापार क्षेत्र में पनबिजली उत्पादन और निवेश में श्रीलंका के निवेश की आवश्यकता का भी व्यापार बैठक के दौरान उल्लेख किया गया।
इस यात्रा के दौरान जिन सहयोग क्षेत्रों की चर्चा की गयी, वह बतलाता है कि दोनों की देश निवेश और व्यापार के अवसरों की तालाश के इच्छुक हैं। वर्तमान में, श्रीलंका का मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ व्यापार बहुत की कम है। उजबेकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है जो 2003- 2013 के दौरान मध्य एशिया में श्रीलंका का आयात और निर्यात देश रहा। उदाहरण के लिए, श्रीलंका के जनगणना और सांख्यिकी विभाग के अनुसार वर्ष 2012 में श्रीलंका का उजबेकिस्तान को निर्यात 1,208 मिलियन एसएलआर राशि की थी जिसका कुल मान 0.10 प्रतिशत है और वर्ष 2013 में निर्यात 5,655 मिलियन एसएलआर रहा जिसका श्रीलंका के कुल व्यापार का 0.2 प्रतिशत कुल मान था। मध्य एशियाई देश स्थल से घिरे देश हैं और यह व्यापार और आर्थिक अनुबंध को प्रभावित करता है।
रत्न, हीरे और आभूषण तथा वस्त्र श्रीलंका के निर्यात के महत्वपूर्ण भाग हैं। ताजिकिस्तान श्रीलंका से विशेषज्ञता सीखने और इन क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ाने को इच्छुक है क्योंकि इस मध्य एशियाई देश में कीमती और अर्द्ध कीमती पत्थरों और रत्नों विशेषकर गोर्ग्नो बडाखश्न क्षेत्र में इसकी मात्रा बहुत अधिक है।
सारणी -1: वस्त्र और रत्न क्षेत्र में श्रीलंका का निर्यात (मिलियन अमेरिकी डॉलर में)
निर्यात |
2007 |
2008 |
2009 |
2010 |
2011 |
2012 |
2013 |
2014 |
वस्त्र और कपड़ा |
3,336.9 |
3,477.6 |
3,261.1 |
3,356.0 |
4,191.2 |
3,991.1 |
4,508.3 |
4,929.9 |
रत्न, हीरा और आभूषण |
474.1 |
514.5 |
402.4 |
409.0 |
531.5 |
558.9 |
445.5 |
393.6 |
स्रोत: सेंट्रल बैंक आफ श्रीलंका
वर्तमान में, ‘हांगकांग, अमेरिका, स्वीटजरलैंड, थाईलैंड, यूएई, फ्रांस, भारत, जर्मनी, जापान, बेल्जियम, इजराइल और चीन श्रीलंका के रत्न, हीरे और आभूषण के निर्यात के मुख्य निर्यात स्थल हैं, जबकि वस्त्र के मुख्य निर्यात स्थल अमेरिका, यूके, इटली, जर्मनी, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, कनाडा, चीन और यूएई हैं।
श्रीलंका और ताजिकिस्तान ने इस दौरे के दौरान चार द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। ये हैं- श्रीलंका के विदेश मंत्रालय और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बीच राजनीतिक परामर्श के संबंध में एमओयू; पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग संबंधी समझौता; शारीरिक प्रशिक्षण और खेल के क्षेत्र में सहयोग संबंधी समझौता; तथा परस्पर सहयोग के लिए श्रीलंका के विकास रणनीति व अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय और ताजिकिस्तान के आर्थिक कार्य मंत्रालय के बीच प्रारूप समझौते पर एड मेमोआयर ।
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति के श्रीलंका दौरे और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध में बढ़ती दिलचस्पी प्रकट रूप से कुछ घटनाक्रमों पर आधारित है। प्रथमत: यह यात्रा श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रनिल बिक्रमसिंघे की 2-4 अगस्त, 2016 को जकार्ता, इंडोनेशिया में हुए 12वें विश्व इस्लामिक आर्थिक मंच (डब्लूआईईएफ) की बैठक में ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमली रहमान के साथ द्विपक्षीय चर्चा की अनुवर्ती कार्रवाई थी। इस मंच पर दोनों नेताओं के भाषण में व्यापार और निवेश के संबंध में सरकार की नीति का दृष्टिकोण दिया हुआ है। जहां पनबिजली, क्षेत्रीय परिवहन, खनिज संसाधन, कृषि और पर्यटन के क्षेत्र में ताजिकिस्तान की व्यापक आर्थिकक्षमता का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति रहमान ने ‘व्यापक समाकलन को बढ़ावा देने, परस्पर सहयोग को पुन: मजबूत करने, परस्पर सहयोग को और मजबूत करनेएवं व्यापार और निवेश को बढ़ाने को शीर्ष रणनीतिक उद्देश्यों के रूप में रखने के आवश्यकता पर बल दिया। श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने जकार्ता मंच पर बोलते हुए कहा, ‘ऐसे बहुत सारे कार्य हैं जिन्हें धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र इस्लामी वाणिज्यिक कानून के सिद्धांतों से सीख सकते हैं विशेषकर उचित औद्योगिक संबंधों, उचित संविदा और वाणिज्यिक ईमानदारी के सिद्धांत से तथा श्रीलंकाई सरकार दशकों के अत्यधिक विभाजक राजनीति के बाद राजनीतिक स्थिरता स्थापित करने तथा अपने विकास संबंधी कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए कतिपय अभिसरण संबंधी लाभ ले रही है।
यह टिप्पणी बतलाती है कि दोनों देश अपने आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए निवेश और व्यापक क्षेत्रीय अनुबंध की तलाश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ताजिकिस्तान विभिन्न सामाजिक नीतियों के माध्यम से गरीबी के स्तर को वर्ष 2015 में 80 प्रतिशत से 30 प्रतिशत ले आया और वह विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किए जाने की खोज कर रहा है जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।
दूसरा, श्रीलंका की वित्तीय सहायता हेतु सउदी अरब में स्थित इस्लामी विकास बैंक (आईडीबी) में शामिल होने की इच्छा मध्य एशियाई राष्ट्र के साथ बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ती रूचि दूसरा कारण हो सकती है। ताजिकिस्तान आईडीबी का सदस्य है। इस बैंक की सदस्यता से श्रीलंका को आर्थिक और सामाजिक विकास हेतु उत्पादन परियोजनाओं व उपक्रमों एवं वित्तीय सहायता के अन्य रूपों हेतु ईक्विटी पूंजी भागीदारी सहित इसके वित्तीय सहायेता कार्यक्रम से लाभ होगा। रिपोर्ट यह बतलाती है कि श्रीलंका के केन्द्रीय बैंक के गवर्नर ने आईडीबी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए सउदी अरब की यात्रा की थी। श्रीलंका वित्तीय मदद चाह रहा है क्योंकि इसका सकल बाह्य कर्ज वर्ष 2015 में 44,797 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में बाहरी कर्ज 54.4 प्रतिशत है। ऐसी स्थिति में जहां परंपरागत वित्तीय स्रोत घट रहा है, यदि श्रीलंका आईडीबी की सदस्यता पाने में सफल हो जाता है तो, इससे उसकी आर्थिक मजबूती में योगदान प्राप्त हो सकता है।
तीसरा, ताजिकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का सदस्य है, जहां श्रीलंका एक वार्ता साझेदार है। जिन आधारों पर एशिया के देशों की एससीओ के साथ संबद्ध होने की इच्छा है उनमें से एक आधार क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है। साथ हीं, देश और क्षेत्रीय स्तर पर परियोजनाओं के लिए मजबूत एससीओ अर्थव्यवस्थाओं से वित्तपोषण प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ताजिकिस्तान ने हाइड्रोपावरइंजीनियरिंग, मोटर रोड निर्माण और अन्य क्षेत्रों में लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लिए वर्ष 2009 में एससीओ में लगभग दस परियोजनाओं को चीन के विचारार्थ सौंपा।
भारत दौरा
भारत और मध्य एशियाई देश में निकट और सौहार्द्रपूर्ण संबंध है, जो पिछले 25 वर्षों के कूटनीतिक संबंध के कारण और मजबूत हुआ है। राष्ट्रपति रहमान के भारत दौरे के दौरान प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक बातचीत हुई। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से भी मुलाकात की।
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति का दौरा जुलाई, 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की उस क्षेत्र में यात्रा की अनुवर्ती यात्रा थी जिस दौरान उन्होंने इस क्षेत्र के सभी गणतंत्रों की यात्रा की थी।
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के हालात पर चर्चा की और इस पर जोर दिया कि आतंकवाद और चरमपंथ सभी देशों की शांति, स्थायित्व और प्रगति के लिए खतरा है। प्रधानमंत्री ने चरमपंथी, उग्रवादी और आतंकवादी ताकतों के विरूद्ध डटे रहने के लिए मध्य एशियाई क्षेत्र में ताजिकिस्तान की भूमिका की सराहना की।
भारत और ताजिकिस्तान अफगानिस्तान में की सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंतित हैं और उस क्षेत्र से उभरने वाले आतंकवाद से पीड़ित हैं, दोनों ही नेताओं ने ‘अफगान-नीत और अफगान-स्वाधिकृत शांति प्रक्रिया और देश में राष्ट्रीय सामंजस्य’ का आह्वान किया है। हाल हीं में तालिबान ने कुंडुज के उत्तरी शहर को कब्जा कर लिया था जो देश के लिए मध्य एशिया का प्रवेश द्वार था। अफगानिस्तान का तीन मध्य एशियाई देशों यथा ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ साझी सीमा है।
भारत का ताजिकिस्तान के साथ सुरक्षा सहयोग है। उनका आतंकवाद रोधी संबंधी संयुक्त कार्य समूह और रक्षा सहयोग के संबंध में संयुक्त कार्य समूह है। भारत की सशस्त्र बल टीम तत्स्थानिक प्रशिक्षण के लिए ताजिकिस्तान का दौरा करती है और ताजिक कैडेट राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में प्रशिक्षण के लिए भारत आते हैं। भारत ने ताजिकिस्तान में एयनी वायु क्षेत्र विकसित किया है और अफगानिस्तान की सीमा के निकट एक सैन्य अस्पताल की स्थापना की है। भारत - ताजिकिस्तान मैत्री अस्पताल कार्य कर रहा है और यह न केवल रक्षा कर्मियों का बल्कि आमलोगों का भी उपचार करता है।
भारत और ताजिकिस्तान के बीच आर्थिक अनुबंध क्षमता से बहुत कम माना जाता है।
सारणी-2: ताजिकिस्तान के साथ भारत का व्यापार (मिलियन अमेरिकी डालर में)
|
2011-2012 |
2012-2013 |
2013-2014 |
2014-2015 |
2015-2016 |
निर्यात |
21.28 |
35.16 |
54.27 |
53.71 |
22.26 |
आयात |
8.86 |
12.86 |
0.86 |
4.39 |
9.98 |
कुल व्यापार |
30.13 |
48.01 |
55.13 |
58.09 |
32.24 |
स्रोत: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
ताजिकिस्तान के पास पनबिजली की बहुत क्षमता है और इस देश ने कई छोटी और मध्यम पनबिजली परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए भारतीय कंपनियों से निवेश को आमंत्रित किया है। निकट आर्थिक संबंधों को बाधित करने का एक मुख्य कारण सीधे भूसंपर्क का नहीं होना रहा है। कनेक्टिविटी की कमी न सिर्फ ताजिकिस्तान के साथ भारत के व्यापार को प्रभावित करता है बल्कि शेष मध्य एशियाई देशों और अफगानिस्तान के साथ व्यापार को भी प्रभावित करता है। अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी में सुधार करने तथा विद्यमान क्षमता के उपयोग के लिए भारत ने हाल ही में ईरान और अफगानिस्तान के साथ समझौता किया है। ईरान से होते हुए अफगानिस्ता, मध्य एशिया और आगे उत्तर में काउकस और यूरोप तक चाबहार मार्ग एक महत्वपूर्ण अंतक्षेत्रीय लिंक के रूप में उभर रहा है। यात्रा पर आए ताजिक राष्ट्रपति ने यह कहकर स्वागत किया कि चाबहार कनेक्टिविटी समझौते से ताजिकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय जल मार्ग तथा दक्षिण एशिया के बाजारों तक पहुंच मिलेगी। इस दौरे के दौरान हस्ताक्षर किए गए द्विपक्षीय निवेश से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बढ़ने की संभावना है।
इस दौरे के दौरान भारत और ताजिकिस्तान ने निम्नलिखित दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए: ताजिकिस्तान की टेलिविजन और रेडियो समिति तथा भारत के प्रसार भारती के बीच दृश्य-श्रव्य कार्यक्रमों के आदान-प्रदान में प्रसारण संबंधी सहयोग पर समझौता ज्ञापन; आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान से बचने एवं राजस्व वंचन के बचने के लिए समझौते में संशोधन करते हुए प्रोटोकॉल; भारत की वित्तीय सूचना एकक और ताजिकिस्तान के राष्ट्रीय बैंक के तहत वित्तीय निगरानी विभाग के बीच धन शोधन संबंधी अपराध और आतंकी वित्तपोषण पर समझौता ज्ञापन; और द्विपक्षीय निवेश संधि।
भारत अपनी अल्प लागत और उच्च कुशल श्रम की उपलब्धता के कारण वैश्विक आभूषण बाजार के केन्द्र के रूप में उभर रहा है। भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग विश्व के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है जिसकी वैश्विक आभूषण खपत में हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है। यहां हीरों की कटाई और पॉलिशिंग का विश्व का सबसे बड़ा केन्द्र है। रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद् (जीजेईपीसी) के अनुसार, यह देश विश्व का 95 प्रतिशत पोलिशयुक्त हीरा निर्यात करता है।वर्ष 2014-15 में रत्न और आभूषण का कुल निर्यात लगभग 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। भारत, श्रीलंका और ताजिकिस्तान वहनीय, आकर्षक और व्यापक श्रृंखला वाले रत्न और आभूषण को संयुक्त रूप से खरीद करने, संसाधित करने, तैयार माल के रूप में विकसित करने एवं विद्यमान बाजारों में निर्यात करने तथा नए व उभरते बाजारों की खोज करने के लिए एक ‘त्रिपक्षीय रत्न और आभूषण गिलयारा’ बना सकते हैं। इससे न केवल तीनों देशों में राजस्व का सृजन होगा बल्कि रोजगार व पर्यटन अवसरों का भी सृजन होगा।
निष्कर्ष
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमामोली रहमान की श्रीलंका और भारत यात्रा के दो उद्देश्य थे – सुरक्षा सहयोग बढ़ाना तथा मध्य एशिया व दक्षिण एशिया के बीच आर्थिक विकास करना। चाबहार पत्तन लिंकेज तथा अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के शुरू होने के साथ ही मध्य एशियाई क्षेत्र की श्रीलंका सहित दक्षिण एशिया के साथ कनेक्टिविटी में सुधार होने की संभावना है। बढ़ी हुई कनेक्टिविटी से तीनों देशों, विशेषकर हितों के अभिसरण यथा रत्न और आभूषण एवं वस्त्र उद्योगों के क्षेत्रों में आर्थिक संबंधों को गति प्राप्त होगी। दूसरी ओर भारत पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में शामिल होने के लिए पूर्णत: तैयार है। ताजिकिस्तान इस यूरेशियाई संगठन में भारत के प्रवेश का समर्थन करता है। एससीओ में भारत की पूर्ण सदस्यता से क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के लिए इन तीनों देशों के लिए एक अन्य बहुपक्षीय प्लेटफार्म प्राप्त होगा। इस दौरे ने आर्थिक, सुरक्षा और आतंकवाद रोधी और साथ हीं सूचना साझा व चरमपंथ को समाप्त करने के संबंध में एक मंच का सृजन किया है।
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* डॉ. अथर ज़फर और डॉ. डॉ. समता मलमपति, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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अस्वीकरण: व्यक्त मंतव्य लेखक के हैं और परिषद के मंतव्यों को परिलक्षित नहीं करते।