सारांश:
उन्नीसवीं एससीओ बैठक बिश्केक, किर्गिस्तान में आयोजित की गई थी। भारत ने पूर्ण सदस्य के रूप में इस बैठक में दूसरी बार भाग लिया। बैठक में आर्थिक मामलों और आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के उन्नीसवें शिखर सम्मेलन की बैठक 13 से 14 जून, 2019 को बिश्केक, किर्गिस्तान में आयोजित की गई थी और इसमें भाग लेने वाले देशों ने खेल, स्वास्थ्य और पर्यावरण को आवृत करने वाले 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। बैठक के समापन पर रूस ने एससीओ के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला। अगला शिखर सम्मेलन रूस में होने वाला है और यह आतंकवाद और अफगानिस्तान और सीरिया में संकट के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह नाजीवाद पर जीत की 75वीं वर्षगांठ के समारोह को भी चिह्नित करेगा।1
यह दूसरा अवसर था जब भारत ने पूर्ण सदस्य के
रूप में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
आतंकवाद और आर्थिक अवसर दो प्रमुख मुद्दे हैं
जिन्हें नई दिल्ली द्वारा एससीओ में उठाया जा रहा
है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र (पीएम) मोदी ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य के खाके पर जोर दिया।
1“रूस ने शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता प्राप्त की है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एससीओ के सदस्य राज्यों की प्राथमिकताओं और दिशानिर्देशों के संयुक्त कार्य 2019-2020’ को 15 जून, 2019 के रोसकांग्रेस में प्रस्तुत किया है https://roscongress.org/en/news/russia-assumes-the-presidency-of-the-shanghai-cooperation- organisation-president-of-russia-vladimir-putin-presents-the-priorities-and-guidelines-of-the-sco-member-states- joint-work-in-2019-2020/,पर (17 जून, 2019 को उपयोग किया गया).
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र (पीएम) मोदी ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य (हेल्थ) की संरचना पर जोर दिया। अपने भाषण में उन्होंने तर्क दिया कि एससीओ को स्वास्थ्य देखभाल सहयोग के लिए एच से हेल्थ केयर कोऑपरेशन (स्वास्थ्य देखभाल निगम), ई से इकोनॉमिक कोऑपरेशन (आर्थिक सहयोग), ए से अल्टरनेट एनर्जी (वैकल्पिक ऊर्जा), एल से लिटरेचर और कल्चर (साहित्य और संस्कृति), टी से टेररिज्म फ्री सोसायटी (आतंकवाद मुक्त समाज) और एच से ह्यूमेनिटेरियन कोऑपरेशन (मानवीय सहयोग) के विचार के साथ सहयोग बढ़ाने के तरीकों की तलाश करनी चाहिए।2 'टी' पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को अपने निरंतर समर्थन देने के लिए पाकिस्तान का एक सूक्ष्म संदर्भ भी दिया। उन्होंने तर्क दिया, “आतंकवादियों को सहायता, समर्थन और सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार देशों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। एससीओ के सदस्यों को प्रभावी ढंग से शंघाई सहयोग संगठन की क्षेत्रीय आतंकवाद निरोधी संरचना (एससीओ-आरएटीएस) की आतंकवाद को खत्म करने की क्षमता का भी पता लगाना चाहिए। भारत आतंकवाद के संकट से निपटने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आह्वान करता है”।3 यह इस तर्क को रेखांकित करता है कि आतंकवाद हमेशा एससीओ शिखर सम्मेलन में चर्चा किए जाने वाले प्रमुख एजेंडों में से एक रहा है और यह वर्ष भी इससे अलग नहीं था। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान के अनुसार, सदस्य देशों ने एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें आतंकवाद के प्रति बहुत मजबूत दृष्टिकोण का प्रस्ताव था।4
शिखर सम्मेलन के मौके पर, प्रधानमंत्री मोदी ने किर्गिज़ गणराज्य के राष्ट्रपति, सूरोनबे जीनबेकोव, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको, मंगोलिया के राष्ट्रपति खाल्तमाजीन बटुलगा, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भेंट की। इन बैठकों के दौरान मुख्य रूप से द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान दिया गया। समय-निर्धारण की कठिनाइयों के कारण मोदी ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से नहीं मिल सके।5
2“एससीओ शिखर सम्मेलन 2019 (14 जून, 2019) में प्रधान मंत्री के हस्तक्षेप का अनुवाद " विदेश मंत्रालय, 15 जून, 2018को https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/31442/Translation_of_Prime_Ministers_intervention at_the_SCO_Summit_2019_June_14_2019, पर (17 जून, 2019 को उपयोग किया गया)।
3“एससीओ शिखर सम्मेलन 2019 (14 जून, 2019) में प्रधान मंत्री के हस्तक्षेप का अनुवाद " विदेश मंत्रालय, 15 जून, 2018 को https://www.mea.gov.in/Speeches- Statements.htm?dtl/31442/ Translation of_Prime_Ministers _intervention_at_the_SCO_Summit_2019_June_14_2019, पर (17 जून, 2019 को उपयोग किया गया)।
4“Trबिश्केक में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन 2019(14 जून, 2019) में सचिव (पश्चिम) द्वारा मीडिया ब्रीफिंग की प्रतिलिपि विदेश मंत्रालय, 15 जून, 2019 https://www.mea.gov.in/media-briefings.htm?dtl/31446/Transcript_of_ Media_Briefing_by_Secretary_West_at_SCO_Summit_2019_in_Bishkek_June_14_2019 पर (17 जून, 2019 को उपयोग किया गया)।
5“समय निर्धारण मुद्दों के कारण प्रधानमंत्री मोदी, ईरान के राष्ट्रपति रूहानी मिलने में असमर्थ" द इकोनॉमिक टाइम्स, 14 जून 2019//economictimes.indiatimes.com/articleshow/69792001.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium= text&utm_campaign= cppst पर (17 जून, 2019 को उपयोग किया गया)।
6“चीन नजदीकी विकास साझेदारी के लिए भारत के साथ शामिल होने के लिए तैयार” शिन्हुआ, 14 जून 2019 http://www.xinhuanet.com/english/2019-06/14/c_138141074.htm, पर (17 जून, 2019 को उपयोग किया गया)।
शी जिनपिंग के साथ बैठक में दोनों पक्षों ने आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। शी ने इस बात पर जोर दिया कि, “विकास के लिए चीन और भारत को एक दूसरे को अवसरों की पेशकश करने वाले मूलभूत निर्णय पर टिके रहना चाहिए और एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं उत्पन्न करना चाहिए साथ ही उन्होंने दोनों देशों से आपसी विश्वास को गहरा रखने के लिए सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने तथा अपने विवादों को ठीक से संभालने का आह्वान किया ताकि द्विपक्षीय संबंध को उनके संबंधित विकास के लिए एक सकारात्मक तत्व में परिवर्तित कर दिया जाए”।6 यह बढ़ता हुआ संबंध द्विपक्षीय व्यापार के बढ़ते आंकड़ों से स्पष्ट है जो 2018 में 95 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया था और 2019 में इसके 100 अरब अमरीकी डॉलर को पार करने का अनुमान है।7
भारतीय पक्ष ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर अपने विचार दोहराये। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने बीआरआई के लिए का समर्थन किया जबकि भारत इस सूची का हिस्सा नहीं था।8 भारत ने निवेश की पारदर्शिता के बारे में भी अपनी चिंता व्यक्त की और तर्क दिया कि देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।9
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ कोई बैठक नहीं हुई थी, हालांकि नेताओं के लाउंज में आमने-सामने आने पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनके साथ अभिवादन का आदान-प्रदान किया। इमरान खान ने मोदी को उनकी हाल की जीत पर बधाई दी। हालांकि, दोनों पक्षों ने इसके पहले की सभी व्यस्तताओं से एक-दूसरे से परहेज किया था। रिपोर्टें बताती हैं कि पाकिस्तानी पक्ष ने भारत को पत्र लिखकर द्विपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया था। एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले इमरान खान और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद द्वारा ये अनुरोध किए गए थे।10
भारत द्वारा उठाए गए एससीओ सहयोग की आर्थिक गतिशीलता को मजबूत करने का आह्वान का उज्बेकिस्तान द्वारा जोरदार समर्थन किया गया था। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव ने एससीओ सदस्यों के आर्थिक मंच की आवश्यकता व्यक्त की, जिसकी बैठक हर वर्ष की जा सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि, "हम अपने देशों के व्यापारिक क्षेत्रों के संपर्कों को तेज करने के लिए, एक क्षेत्रीय प्रारूप सहित, एक नियमित एससीओ आर्थिक मंच को शामिल करने के पक्ष में हैं।"11
हाल ही में संपन्न एससीओ शिखर सम्मेलन नई दिल्ली को मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ बातचीत करने, आतंकवाद और प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक और मंच प्रदान करता है। मध्य एशिया के सदस्य देशों ने, उनकी किसी अन्य प्रमुख आर्थिक समूह तक पहुंच न होने की पृष्ठभूमि के साथ, एससीओ सदस्यों के बीच आर्थिक सहयोग पर चर्चा को मजबूत करने की अपनी इच्छा का संकेत दिया। चल रहे व्यापार युद्ध और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) प्रणाली का कमजोर होना 2019 की बैठक में व्यक्त आर्थिक चिंताओं का एक बड़ा कारण था। यह देखना रुचिकर होगा कि एससीओ की बैठकें अफगानिस्तान और ईरान के विकास को कैसे प्रभावित करती हैं। हालांकि, एससीओ के सफल होने के लिए सदस्य राज्यों को मौजूदा द्विपक्षीय मुद्दों पर अपने तरीके से काम करना होगा और संगठन को समग्र रूप से अपनी मध्य एशियाई आवाज को मजबूत करते हुए रूस और चीन को आंतरिक रूप से संतुलित करने के लिए रचनात्मक तरीके खोजने होंगे।
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* डॉ गुंजन सिंह, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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