आईसिस मिश्र की देवी है जिसे प्रकृति और जादू के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है। वह फारोह की शक्तियों का एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है। आज यह इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) का संक्षिप्ताक्षर बन गया है जो उग्रवादियों का समूह है जिनके पास इराक में आश्चर्यजनक गति के साथ कब्जाए गए भू-भाग हैं। उनके प्रवक्ता ने पहले ही कह दिया है कि उनके समूह का उद्देश्य बगदाद पर कब्जा करना और एशिया पर आधारित इस्लाम राज्य की स्थापना करना है। इस समूह के उदय ने इराक में पंथवादी हिंसा को पुन: भड़का दिया है जो अभी उस युद्ध के प्रयासों से उबर ही रहा है जिसके परिणामस्वरूप सद्दाम हुसैन और उसकी सरकार का पतन हुआ था।
आईएसआईएस का विकास इराक में अल-कायदा से जुड़े संगठन के रूप में इसकी भूमिका से हुआ था तथा अब इसमें लगभग 15,000 लड़ाके हैं जो स्वयं को उसके साथ समर्पण के साथ जोड़ते हैं। यह समूह इराक और सीरिया के उग्रवादी गुटों और व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया का पर्याप्त उपयोग करने में भी सफल रहा है। सद्दाम युग के अधिकारियों और जवानों सहित सुन्नी उग्रवादी समूह तथा गैर-प्रभावित सुन्नी पुरुष लड़ाके इसकी आक्रामक कार्रवाइयों में शामिल हो गए। इनके अलावा युवा ब्रिटेन में जन्मे मुसलमान भी इससे जुड़ गए। इस समूह की मुख्य शिकायत इराकी सरकार से है, जिस पर वे आरोप लगाते हैं कि उसने शक्ति पर एकछत्र शासन कर लिया है और अल्पसंख्यक सुन्नी अरब समुदाय की मांगों की अनदेखी की है।
यह समूह प्रांतीय राजधानी शहर रामंडी तथा लगभग समस्त फलूजा पर पूर्ण नियंत्रण बनाए हुए हैं जो बगदाद से लगभग 70 किमी की दूरी पर है। इसने बैजी तेल परिष्करणशाला पर भी कब्जा जमा लिया है। यह सूचित किया गया है कि इस समूह ने जार्डन में तुरईबिल और सीरिया में वालिद पर तथा सीरिया के साथ लगे कुछ गांवों जैसे हदिया, अनाह, रावा और रोला पर भी कब्जा जमा लिया है। इन सीमावर्ती कस्बों और गांवों पर कब्जा करना उल्लेखनीय था क्योंकि इससे समूह को हथियारों और अन्य उपकरणों को लाने-ले जाने में सहायता मिलेगी तथा उन व्यक्तियों के मुक्त संचालन को भी अनुमति प्रदान की जाएगी जो समूह में भर्ती होना चाहते हैं।
उस गति के अलावा, जिसके साथ आईएसआईएस ने गांवों और शहरों पर कब्जा किया है, जिस अन्य बात ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और इराकी सरकार को चौंकाया है, वह समूह द्वारा प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों और दिए जाने वाले प्रशिक्षण का स्तर है। उनके सैद्धांतिक दृष्टिकोण अर्थात उन व्यक्तियों, जो उनका विरोध करते हैं, के विरुद्ध नृशंस ताकत का प्रयोग तथा हिंसक न्याय, का अर्थ यह है कि छोटे शहरों ने सरकार पर अपना विश्वास खो दिया है तथा सरकार उनके आत्मसमर्पण पर बातचीत कर रही है। इराकी सशस्त्र बलों ने नरसंहार को देखते हुए बड़े पैमाने पर पलायन की सूचना दी। इराकी सरकार ने आईएसआईएस को पराजित करने में उसकी सरकार ने आईएसआईएस को पराजित करने में उसकी सहायता करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका की ओर रुख किया है।
अमेरिका ने 'आतंक के खिलाफ युद्ध' के उपरांत 2011 में इराक से अपनी सैन्य टुकड़ियां वापस ले ली थी। राष्ट्रपति ओबामा ने अपने दोनों राष्ट्रपति चुनाव अभियानों में कहा है कि उनका प्रशासन दोनों युद्ध क्षेत्रों - इराक और अफगानिस्तान से अपनी सैन्य टुकड़ियां वापस करने के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है। वर्तमान में, अमेरिका अपनी सेनाओं की योजनाबद्ध वापसी के लिए अफगानिस्तान के साथ सुरक्षा संधियो पर वार्ता करने की प्रक्रिया संचालित कर रहा है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति ओबामा ने इराक में अमेरिकी सेनाओं को भेजने की संभावना से इंकार किया है। इराकी सरकार द्वारा आईएसआईएस के विरुद्ध लक्षित हवाई हमलों को संचालित करने के लिए किए गए अनुरोध को वर्तमान में अमेरिका द्वारा ठुकरा दिया गया है। सेना के विशेषज्ञों ने उल्लेख किया कि बिना किसी पर्याप्त ख़ुफ़िया सूचना के, हवाई हमले पर्याप्त रूप से नागरिकों के जीवन को संकट में डाल सकते हैं।
अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की है कि वइ इराकी सरकार को उसकी सशस्त्र सेना को प्रशिक्षित करने के लिए 300 सैन्य परामर्शक प्रदान करेगा। अमेरिका ने हथियार और गोला-बारूद भेजने के लिए भी सहमति व्यक्त की है। इराक की सेना से बड़े पैमाने पर सैनिकों के हटने से अमेरिका ने, स्थानीय जनसंख्या की ही भांति, सरकार सेना में अपना विश्वास खो दिया। राष्ट्रपति ओबामा ने यह स्पष्ट किया है कि वर्तमान स्थिति इराकी सरकार द्वारा अपनाई गई दोषपूर्ण नीतियों का परिणाम है जिसने सुन्नियों और कुर्दों की चिंताओं को नजरअंदाज किया। सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जॉन केरी ने बगदाद की अपनी हाल की यात्रा के दौरान यह आश्वासन दिया कि अमेरिका उस स्थिति में "गहन और सतत् सहायता" प्रदान करने के लिए सहमत है यदि "इराकी नेता उग्रवादी ताकतों से संघर्ष करने के लिए संगठित होते हैं।" प्रधानमंत्री नूरी अल-अलीकी के पास अमेरिका द्वारा सहायता प्रदान करने से पूर्व नई सरकार का गठन करने की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए 01 जुलाई, 2014 तक का समय था, जिसमें सभी पंथ शामिल थे।
अमेरिका के पास सेनाएं तैनात करने के लिए सैन्य क्षमता और क्षेत्रीय सहयोग है, लेकिन यह भय है कि अमेरिका द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई स्थिति को खराब कर सकती है। क्षेत्र में अमेरिका-विरेाधी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, अमेरिका शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी अन्य साधनों का प्रयोग करने से पूर्व अपनी सैन्य ताकतों का प्रयोग करने के लिए अनिच्छुक था।
अमेरिका के समक्ष शांति समाधान की वार्ता करने में सहायता करने के लिए गैर-सैन्य विकल्प क्षेत्रीय शक्तियों विशेष रूप से इरान को शामिल करने की है, जिसने पहले ही संकेत दिया है कि वह सहायता करने के लिए इच्छुक है। ईरान के लिए आईएसआईएस भविष्य में उसके लोकतांत्रिक सुरक्षा प्रतिमान में एक अस्थिरीकरण कारक सिद्ध हो सकता है। ईरान को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके देश के भीतर सुन्नी बहुल क्षेत्र शांतिपूर्ण बने रहें। अमेरिका भी ईरान की सहायता चाहता है क्योंकि एकमात्र अधिकारिक शिया राज्य होने के कारण, यह अमेरिका की इराक में शिते सरकार की सहायता करने में मदद कर सकता है ताकि वहां से अधिसंख्य सुन्नी आईएसआईएस पर कब्जा जमाया जा सके। यह दोनों देशों के हित में है कि वे वर्तमान संकट के दौरान सहयोग करें और उसे नियंत्रण में रखे जिसने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल मूल्यों को प्रभावित किया है। यह क्षेत्र में अमेरिका के मित्र-राष्ट्रों जैसे सउदी अरब और इजराइल में भी सुरक्षा संबंधी चिंताओं में वृद्धि कर रहा है। दोनों ने अमेरिका द्वारा ईरान से सहायता लेने पर विचार किए जाने पर आपत्तियां जताई हैं।
अमेरिका ने इस स्थिति में एक सतर्क दृष्टिकोण अपनाया है। इराकी सरकार ने एक लंबे समय तक पंथवाद की नीति का पालन किया जिसका महत्व उन लोगों के लिए भी था, जो आईएसआईएस द्वारा स्थापित लक्ष्यों को साझा नहीं करते थे और समझते थे कि उनके सामने आईएसआईएस को समर्थन देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। ऐसी स्थिति में अमेरिकी कार्यवाही एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकती है जिससे इराक शासन योग्य नहीं रहेगा अथवा उससे पंथवादी विभाजन के साथ देश का भी विभाजन हो जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तथा इराक को यह सत्य स्वीकारना होगा कि इराकी नीतियों को क्रियान्वित करने की अमेरिकी योग्यता अत्यंत सीमित है। इसे यह भी समझना होगा कि अमेरिका अपनी सफलताओं तथा इराक और अफगानिस्तान की असफलताओं से लाभान्वित हो रहा है। इसने पहचान की है कि अमेरिका की शक्ति का मुख्य स्रोत "एक विकासशील अर्थव्यवस्था है जो हर किसी को अवसर प्रदान करती है....।" जैसाकि राष्ट्रपति ओबामा ने यूनाइटेड स्टेट्स मिलिट्री एकेडमी, वेस्ट प्वांइट में अपने भाषण में कहा था (28 मई 2014), "...(जब) वैश्विक चिंता के मुद्दे पर अमेरिका के लिए प्रत्यक्ष खतरा उत्पन्न नहीं करते हैं....जब ऐसे संकट उत्पन्न होते हैं जो हमारी चेतना को झकझोर देते हैं अथवा विश्व को अधिक खतरनाक दिशा में मोड़ देते हैं परंतु प्रत्यक्षत: हमें चुनौती नहीं देते हैं....तब सैन्य कार्यवाही का परिमाण उच्च रखा जाना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में, अमेरिका को अकेले नहीं चलना चाहिए.....। "
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*डॉ.स्तुति बनर्जी , भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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