परिचय
पश्चिम एशिया और उत्तर अफ्रीका (डब्ल्यूएएनए/WANA) का क्षेत्र विश्व राजनीति और वैश्विक मीडिया का केंद्रबिन्दु बना हुआ है जिसके कई कारण हैं। हाल के दशकों में इज़रायल– फिलिस्तीन के बीच हुए क्रूर युद्धों में से एक अभी भी पूरे क्षेत्र में गूंज रहा है, जिसकी शुरुआत 7 अक्टूबर 2024 को हमास के आतंकवादी हमले से हुई, रणनीतिक समुदाय का ध्यान इज़रायल– गाज़ा युद्ध विराम के बने रहने की संभावना की व्याख्या करने और समझने में गंभीरता से लगा हुआ था; 8 दिसंबर 2024 को दमिश्क (सीरिया) में असद शासन के अचानक पतन के फिर से पूरे विमर्श को गाज़ा से सीरिया की ओर मोड़ दिया। इस भूकंपीय घटना ने न केवल एक नए रणनीतिक मंथन को जन्म दिया है बल्कि इसका उद्देश्य सीरिया की गतिशीलता को नया आकार देना और पूरे क्षेत्र में नई राजनीतिक वास्तविकताओं को लागू करना भी है।
दमिश्क में विद्रोही बलों के आने के तुरंत बाद, यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि असद के सुरक्षा बलों में उनसे लड़ने की न तो इच्छा थी और न ही क्षमता। हयात तहरीर अल– शाम (एचटीएस/ HTS), अबू मोहम्मद अल– जोलानी, निर्विरोध और वास्तविक शासक के रूप में उभरे, जिन्होंने एक अंतरिम सरकार नियुक्त की और देश के राजनीतिक परिवर्तन के लिए समय– सीमा की घोषणा की।
असद को हटाने वाले लोग खुद इस बात से हैरान होंगे कि रूस, ईरान और हिज़बुल्लाह के समर्थन से एक दशक तक चलने वाले शासन का पतन कितनी तेज़ी से हुआ। बीते कुछ वर्षों में असद की थकी हुई राष्ट्रीय सेना ने भी निकट भविष्य में आर्थिक या राजनीतिक प्रोत्साहन की आशा के बिना राजनीतिक कुलीनों की रक्षा करने की इच्छा खो दी है।
असद के पतन की बारीकियाँ, विपक्षी ताकतों का उदय, क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों की बढ़ती महत्वाकांक्षाएं और इन कारकों के बीच जटिल अंतर्क्रियाएं असद के बाद के सीरिया में चुनौतियों एवं संभावनाओं को उजागर करने के लिए गहन जांच की मांग करती हैं। देश के राजनीतिक क्षितिज से असद के अचानक बाहर निकलने से न केवल सीरिया की आंतरिक राजनीति की गतिशीलता पर विदेशी शक्तियों की सीमाएं उजागर हुई हैं, बल्कि इसने इज़राइल– गाज़ा युद्ध के बाद उभरी वर्तमान राजनीतिक वास्तिवकताओं में नई जटिलताएं भी जोड़ दी हैं। कोई निश्चित नहीं है कि हालिया घटनाक्रम सीरिया के अराजक अतीत को खत्म कर देगा या सीरियाई लोकतांत्रिक राजनीति को मजबूत बनाएगा। उपरोक्त के आलोक में, यह मुद्दे का संक्षिप्त विवरण शासन के पतन की प्रक्रिया की जांच करेगा और यह भी बताएगा कि ईरान और रूस ने असद को बचाने की कोई इच्छा क्यों नहीं दिखाई। यह पत्र यह भी बताएगा कि असद शासन के पतन से किसे लाभ हुआ और किसे नुकसान हुआ एवं अपदस्थ राष्ट्रपति ने सीरिया एवं दूसरे देशों के लिए क्या चुनौतियां छोड़ी हैं।
ये सब कैसे हुआ
यह सब 27 नवंबर 2024 को सीरिया के उत्तर– पश्चिम में एक कम तीव्रता वाले युद्ध (डी– एस्केलेटेड) [i] क्षेत्र इदलिब में शुरू हुआ जब एचटीएस और उसके अन्य सहयोगियों से संबंधित मिलिशिया ने रूस–तुर्किए की मध्यस्थता वाले डी– एस्केलेशन डील (मार्च 2020) के सीरियाई सशस्त्र बलों द्वारा लगातार उल्लंघन के बीच, डेटरेंस ऑफ अग्रेशन,[ii] नामक एक सैन्य अभियान शुरू किया। एक अनुमान के अनुसार, एचटीएस के पास करीब 40,000 लड़ाके और लगभग 80,000 आरक्षित सेना हैं।[iii] इदलिब से निकले लड़ाकों के विशाल दल ने सबसे पहले अलेप्पो शहर (सीरिया की आर्थिक राजधानी और दूसरा सबसे बड़ा शहर) पर कब्ज़ा किया। अलेप्पो शहर हमेशा से अपदस्त शासन के लिए संप्रभुता का प्रतीक रहा है और 2016 में असद की सेनाओं द्वारा आईएसआईएस के नियंत्रण से इसे वापस लेने के बाद यह जश्न का विषय बन गया था। महत्वपूर्ण प्रतिरोध के अभाव में, मिलिशिया होम्स और हमा की तरफ आगे बढ़े और आखिरकार दमिश्क[iv] पहुँचे जहाँ 8 दिसंबर 2024 को दमिश्क में शाही महल की छत पर अपना झंडा फहराया गया, जिस पर असद परिवार ने 1970 से आधी सदी से अधिक समय तक कब्जा किया था। असद परिवार का अंतिम सदस्य (बशर असद) रूस भाग गया और एक बर्बाद राष्ट्र को उन लोगों के हाथों में छोड़ गया जिनकी विचारधारा और राजनीतिक एवं सामाजिक नज़रिए इतने स्पष्ट नहीं हैं।
सेना की संचार लाइन हैक कर ली गई और जल्द ही बड़े पैमाने पर सेना के लोग भाग गए। राष्ट्रपति असद ने पलायन को रोकने के लिए सैन्य कर्मियों के वेतन में 50%[v] की वृद्धि की घोषणा की। जैसे– जैसे स्थिति खराब होने लगी, राष्ट्रपति असद ने इराक से सैन्य मदद एवं यूएई से वित्तीय मदद मांगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।[vi] रूसी विदेश मंत्री ने कथित तौर पर अपने ईरानी और तुर्किए के समकक्षों से संपर्क किया, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। कथित तौर पर तुर्किए ने रूसी और ईरानी पक्षों से कहा कि यदि वे हस्तक्षेप करते हैं तो तुर्किए भी सैन्य कार्रवाई करेगा। आरंभ में, रूस की वायु सेना ने इदलिब और हामा जैसे अलेप्पो के कुछ क्षेत्रों पर बमबारी की, लेकिन विपक्ष के मार्च को न रोक सकी। राष्ट्रपति असद ने 2 दिसंबर 2024 को ईरान के विदेश मंत्री का स्वागत किया जिन्होंने कहा, “हम अभी ज़मीन पर आतंकवाद के खिलाफ जंग जारी रखेंगे,” जबकि जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने कहा, “हम अपने सीरियाई भाईयों एवं उनके क्षेत्रयी अखंडता और संप्रभुता के साथ खड़े हैं।”[vii] उच्च– स्तरीय बयानों के बावजूद, असद को सच्चा समर्थन नहीं मिल पाया।
जब असद द्वारा एक के बाद एक शहर खो देने के बाद स्थिति गंभीर लगने लगी तो रूस और अमेरिका के बीच 2017 में खोली गई हॉटलाइन को फिर से शुरू किया गया और रूस, ईरान एवं तुर्किए (असताना हस्ताक्षरकर्ता) के विदेश मंत्रियों ने 7 दिसंबर 2024 को दोहा फोरम के दौरान मुलाकात की और तत्कालीन राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा, “सीरिया में नए चरण का प्रबंधन बहुत शांति से किया जा रहा है।”[viii] नवनिर्वाचित राष्ट्रपति– डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अगर रूस को सीरिया से बाहर निकाल दिया जाता है तो यह सबसे अच्छी बात हो सकती है।[ix]
ये सब तब हुआ जब राष्ट्रपति असद ने अपनी खोई हुई वैधता वापस पा ली थी और वे यूएई एवं सऊदी अरब के दौरे पर जा चुके थे। देश एक दशक पुराने मनमुटाव के बाद फिर से अरब लीग में शामिल हो गया था। दूसरे देश सीरिया के साथ अपने कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को पुनर्जीवित करने की कगार पर थे।
असद विरोधी पूरे अभियान का नेतृत्व एचटीएस ने किया था, जो सीरिया में स्थित एक कट्टर सुन्नी इस्लामी आतंकवादी संगठन है जो असद के खिलाफ तब तक डटा रहा जब तक कि असद को उखाड़ फेंका नहीं गया। यहाँ यह भी याद रखना जरूरी है कि एचटीएस के अतीत में कई अवतार रहे हैं।
पहले यह अल– कायदा का हिस्सा था, बाद में आईएसआईएस के दिनों में सीरिया में नुसरत फ्रंट के रूप में उभरा और अंत में स्वयं को हयात तहरीर अल– शाम के रूप में नामित किया। वर्तमान में इसका नेतृत्व अबू मोहम्मद अल–जोलानी (अहमद अल– शारा) कर रहा है जिसके सिर पर अमेरिका ने 1 अरब डॉलर[x] का इनाम घोषित किया था, जिसे अब असद विरोधी ताकतों द्वारा सीरिया पर कब्ज़ा करने के बाद वापस ले लिया गया है।[xi]
एचटीएस ने इदलिब (विघटित क्षेत्र) पर अपना नियंत्रण बनाए रखा, जबकि अधिकांश क्षेत्रों को असद ने अपने सहयोगियों के समर्थन से पुनः प्राप्त कर लिया। एचटीएस ने इदलिब में एक तरह का स्वायत्त क्षेत्र स्थापित कर लिया था और मोहम्मद अल–बशीर के नेतृत्व में साल्वेशन सरकार के बैनल तले सभी मामलों का प्रबंधन कर रहा था जो अब असद के बाद के सीरिया के कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं।
सीरिया के कार्यवाहक सरकार में रक्षा मंत्री मरहाफ़ अबुल क़सरा (अबू हसन) ने एक साक्षात्कार में कहा, “पहले हमने केवल अलेप्पो पर कब्ज़ा करने के बारे में विचार किया था लेकिन जब तक हम वहाँ पहुँचे हमें एहसास हुआ कि सीरियाई अरब सेना की कमज़ोरी को देखते हुए हम दमिश्क पर भी कब्ज़ा कर सकते हैं।”[xii] मरहाफ अबुल क़सरा ने यह भी कहा कि जीत इसलिए आसान हो गई क्योंकि असद के सहयोगियों के पास न तो समय था और न ही असद को बचाने की इच्छा। उनके अनुसार, सैन्य उन्नति की वास्तविक योजना रूस और तुर्किए के बीच 2020 में इदलिब को विसैन्यीकृत क्षेत्र बनाने के अनुबंध होने के तत्काल बाद ही बना ली गई थी। युद्ध की तीव्रता में कमी (डी– एस्केलेशन) की कवायद ने असद विरोधी ताकतों को एकजुट होने और स्वयं को हथियारबंद करने का रास्ता तैयार किया। साल 2020 और 2024 के बीच, एचटीएस के वरिष्ठ सदस्यों ने सैन्य प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया एक सैन्य कॉलेज और प्रशिक्षण के सामान्य प्रशासन की स्थापना की[xiii] और असंतुष्ट युवाओं को असद विरोधी ताकतों में शामिल होने के लिए तैयार करने के लिए एक नया सैन्य सिद्धांत बनाया।[xiv] उन्होंने उन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की भी मदद मांगी, जिन्होंने हाल ही में असद की सेना को छोड़ दिया था। इदलिब में साल्वेशन सरकार ने हथियार उत्पादन इकाईयां स्थापित की थीं जो रॉकेट लांचर, स्नाइपर्स, ड्रोन, मिसाइल, टैंक, बुलडोज़र, स्वीपर, टोही विमान और मोर्टार और गोले बनाती थीं। उनके कुछ टोही विमान हमीमिम में रूसी हवाई अड्डे तक पहुँच सकते थे। उन्होंने फ़तेह– मुबीन नामक एक ऑपरेशन रूप बनाया था और अलग– अलग बटालियनों को अलग– अलग नाम दिए थे और सबसे प्रमुख “शाहीन” बटालियन थी, जिसका नाम एचटीएस के प्रति सहानुभूति रखने वाले वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा निर्मित विमान के नाम पर रखा गया था। मरहाफ़ अबुल क़सरा के अनुसार, उनकी लड़ाई दो मुख्य सिद्धांतों द्वारा निर्देशित थी– व्यापक तैयारी और उचित पल की प्रतीक्षा करना।
असद के सहयोगियों ने उसे क्यों हारने दिया
असद के पतन की पूरा प्रक्रिया का सबसे आश्चर्यजनक तत्व वह तेज़ी थी जिसके साथ असद का पतन हुआ। असद शासन की रक्षा में रूस, ईरान और हिज्बुल्लाह की भूमिका के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। सबसे पहले, यह ईरान था जिसने आईआरजीसी (IRGC) और हिजबुल्लाह की मदद से विद्रोही बलों को कमज़ोर किया और बाद में यह रूसी वायु शक्ति एवं संयुक्त राष्ट्र में अपने राजनयिक कवच के साथ जिसने 2015 में आईएसआईएस के सुनहरे दिनों के बीच असद के आसन्न पतन को रोक दिया।[xv] सीरिया में अपनी उपस्थिति के माध्यम से रूस ने सीरियाई मामलों में द्विपक्षीय प्रभाव में मास्को की प्रमुख हिस्सेदारी को पुनःस्थापित कर दिया था और कई लोगों के लिए यह शीत युद्ध के 21वीं सदी के संस्करण की वापसी थी। ईरान के लिए सीरिया क्षेत्र में अपने वैचारिक और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाने में उत्प्रेरक था, असद शासन का अंत शायद क्षेत्र के ईरानीकरण की प्रक्रिया को रोक देगा। ईरान ने कथित तौर पर असद को बचाने में लगभग 30–50 अरब डॉलर का निवेश किया[xvi] जबकि रूस ने इसके लिए सालाना 1– 2 अरब डॉलर खर्च किए।[xvii] लेकिन सैन्य हमलों के वर्तमान दौर में, असद के भरोसेमंद सहयोगी उसके पतन को भांपने में या ऐसी स्थिति पैदा करने में विफल रहे जिससे उसका पतन रोका जा सकता था।
फरवरी 2022 में रूस– यूक्रेन युद्ध छिड़ने के कारण, ऐसा लगता है कि रूस ने अपनी विदेश नीति की प्राथमिकता से सीरिया को हटा दिया है और जिस चीज़ ने ईरान और हिज़बुल्लाह को सीरिया से विचलित किया, वह था इज़रायल– गाज़ा युद्ध और लेबनान एवं ईरान की ओर उसका बढ़ना। हिज़बुल्लाह असद को बचाने के लिए पहले की तरह कुछ खास नहीं कर सकता क्योंकि इज़रायल के साथ उसके युद्ध ने उसे सीरिया में कार्रवाई करने के लिए बहुत कमज़ोर बना दिया था। चूंकि लेबनान की दक्षिणी सीमा पर हिजबुल्लाह की सेनाएं कम होती जा रही थीं, इसलिए असद शासन की मदद हेतु तैनात इसकी बटालियनों को सितंबर 2024 में इज़रायल द्वारा ज़मीनी अभियान शुरू करने के बाद लेबनान ले जाया गया।
इज़रायल– गाज़ा युद्ध के शुरुआती चरण में, ईरान ने सीरिया में अपनी कमान की धज्जियां उड़ते हुए देखी थीं, जब आईआरजीसी और राजनयिक कोर के शीर्ष सदस्यों को इज़रायल द्वारा गोपनीय अभियानों में सीरिया में मार डाला गया था।[xviii] आईआरजीसी (IRGC) के कई सदस्यों की हत्या ने शीर्ष ईरानी अधिकारियों के बीच यह धारणा भी पैदा की कि असद के शासन में सशस्त्र कर्मी आईआरजीसी सदस्यों के गुप्त स्थान के बारे में इज़रायली अधिकारियों के साथ जानकारी साझा कर रहे थे। सीरिया भी सीरिया में ईरान के वैचारिक और धार्मिक विस्तार से बहुत खुश नहीं था। ईरान के तिरस्कार के लिए असद ने ईरानी मिलिशिया (रक्षक योद्धा) को इज़रायल से सीधे भिड़ने के लिए गोलान हाइट्स में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी।[xix] ईरान के लिए, असद एक अविश्वसनीय सहयोगी बन गया था क्योंकि उसने एक स्वतंत्र विदेशी नीति अपनानी आरंभ कर दी थी, जो कभी– कभी ईरान के समग्र क्षेत्रीय उद्देश्यों के साथ टकराव में रहती थी, विशेष रूप में असद के संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के दौरे और सीरिया के अरब लीग में वापस आने के बाद।
ईरान और रूस दोनों ही असद की बढ़ती हठधर्मिता से निराश हो चुके थे। दोनों के लिए असद तब तक उनका आदमी था जब तक कि वह खत्म नहीं हो गया।[xx] ऐसा लग रहा था कि रूस तुर्किए के साथ इदलिब में तनाव कम करने के लिए किए गए अनुबंध के लगातार उल्लंघन से नाराज़ है। रूस को असद से और भी दूर करने वाली बात यह थी कि वह तुर्की के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए लगातार अड़ियल रवैया अपना रहा था। रूस चाहता था कि असद तुर्किए में फंसे सीरियाई शरणार्थियों की वापसी के बारे में एर्दोगन से वार्ता करे।[xxi]
रूस, ईरान और तुर्की के कहने पर 2017 में शुरू की गई असताना शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए असद की अनुच्छा से नाखुश था।[xxii] असद ने जिनेवा शांति प्रक्रिया में शामिल होने का दिखावा किया था।[xxiii] इसी तरह, असद ने सोची वार्ता (2018) के मुख्य घटक को लागू करने में कोई उत्सुकता नहीं दिखाई, जिसमें सशस्त्र विपक्षी ताकतों समेत हितधारकों की भागीदारी के साथ एक व्यापक राजनीतिक वार्ता शुरू करने का आह्वान किया गया था।[xxiv]
इसके अलावा, असद के पुराने सहयोगियों (ईरान और रूस) के पास इज़रायल– गाज़ा युद्ध के मद्देनज़र विकसित हो रहे भू– राजनीतिक परिदृष्य के बीच उसे फिर से बचाने हेतु संसाधन और इच्छाशक्ति दोनों की कमी थी। आंतरिक संकट को हल करने के सभी प्रयासों को लगातार अनदेखा किया जा रहा था। ब़शर ने अपने अनुयायियों को इस नारे के साथ एकजुट किया था, “असद या कोई नहीं और असद या हम देश को जला देंगे।”[xxv] जब 2015 में उनका पतन निश्चित दिखाई देने लगा तो उन्होंने विपक्षी ताकतों के साथ गंभीर वार्ता शुरू करने के अपने सहयोगियों से किए गए वादों को नज़रअंदाज़ कर दिया। अन्य क्षेत्रीय देशों, जिन्होंने सीरिया को अरब के पाले में वापस लाने में मदद की थी, ने, उनके रवैये में कोई बदलाव नहीं देखा क्योंकि उनके अधीन नशीली दवाओं का साम्राज्य फलता– फूलता रहा, जिससे पूरा क्षेत्र प्रभावित हुआ।
असद और सहयोगियों के बीच बढ़ते मतभेदों के अलावा, ऐसे अन्य प्रमुख कारक भी थे जिन्होंने शासन के पतन में योगदान दिया। वर्षों से वैश्विक प्रतिबंध, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और तेल समृद्ध क्षेत्रों तक पहुँच के नुकसान ने पहले ही सीरियाई अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया था।[xxvi] कभी– कभी, सशस्त्र बलों के शीर्ष अधिकारियों को ईरानी और हिजबुल्लाह अधिकारियों के निर्देश के तहत काम करना पड़ता था, जिसे वे अपने देश में अपमान के रूप में देखते थे। [xxvii] असद की सेना इस बात से भी दुखी थी कि उन्होंने एक राष्ट्र की नहीं बल्कि अकेले एक व्यक्ति की रक्षा के लिए इतना निवेश किया था।
कौन फायदे में रहा, किसे हुआ नुकसान
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीरिया के राजनीतिक क्षितिज से असद के बाहर जाने से देश में एक नया राजनीतिक खाका तैयार होगा, जिससे एक नया क्षेत्रीय रणनीतिक समीकरण बनेगा। असद के बाद का सीरिया उन अनेकों लोगों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा जो बहुत समय से सीरिया में राजनीतिक दिशा तय करने और अपना राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं। असद के पुराने सहयोगियों को असद के पतन में अपनी रणनीतिक और राजनीतिक प्रासंगिकता पर बड़ा झटका लगेगा। असद शासन के पतन के बाद सबसे बड़ा नुकसान ईरान और हिजबुल्लाह को होगा क्योंकि दोनों ही प्रतिरोध की धुरी के प्रमुख स्तंभ थे।
सीरिया में गृह युद्ध छिड़ने के बाद ही प्रतिरोध की धुरी बनी। ईरान ने अपनी ज़मीन पर हमास नेता की हत्या, सीरिया समेत अपने कई आईआरजीसी एवं सैन्य कर्मियों की हत्या और ईरान के खिलाफ इज़रायली हवाई हमलों को देखते हुए विदेशों में अपने रक्षक योद्धाओं के लिए पैंतरेबाज़ी का आधार पहले ही खो दिया है। असद के न होने से, हिजबुल्लाह को सैन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की ईरान की क्षमता पर असर पड़ा है। इससे हिजबुल्लाह और कमज़ोर होगा।
इसी तरह, हिजबुल्लाह पूरे इलाके में अपनी राजनीतिक पकड़ खो देगा। इज़रायल के साथ एक साल तक चले युद्ध, जिसमें 37,00 लोग मारे गए और दक्षिणी लेबनान से लगभग 12 लाख लेबनानी विस्थापित हुए, के बाद इसने अपनी राजनीतिक और वैचारिक पकड़ एवं सैन्य क्षमताएं खो दी हैं। [xxviii] हिजबुल्लाह ने कई दिग्गजों को गंवाया। इसमें लंबे समय से हिजबुल्लाह के महासचिव रहे हसन नसरुल्लाह भी हैं। इज़रायल–गाज़ा युद्ध के कारण हिज़बुल्लाह पहले से ही बहुत दबाव में था लेकिन असद के पतन के बाद यह और कमज़ोर हो जाएगा और वर्तमान महासचिव नईम कासिम ने भी इस बात को स्वीकार किया है।[xxix]
ईरान भी, असद के पतन के बाद, इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि प्रतिरोध की धुरी के रूप में उसकी रणनीतिक विशेषता, अगर ध्वस्त नहीं हुई है तो बहुत हद तक समाप्त जरूर हो गई है। तेहरान ने हमेशा सीरिया को इस क्षेत्र में खुद को शिया शक्ति के रूप में प्रस्तुत करने की अपनी महत्वकांक्षा के चश्मे से देखा है।[xxx] हालाँकि, सीरिया में पराजय ने अनजाने में क्षेत्र के बढ़ते शियाकरण को भी रोक दिया है।[xxxi] हिज़बुल्लाह के कमज़ोर होने से ईरान ने अपना एक गुट या विंग खो दिया था लेकिन असद के नुकसान से उसने पूरा देश ही खो दिया है जो प्रतिरोध की धुरी का एक अविभाज्य हिस्सा था।[xxxii] गृहयुद्ध के चरम दिनों के दौरान, ऐसा कहा जाता था कि ईरान अपने रक्षक योद्धाओं के छद्मयुद्ध के जरिए और घरेलू राजनीति को प्रभावित कर चार अरब राजधानियों (बगदाद, बेरूत, दमिश्क और सना) को नियंत्रित करता था लेकिन अब ऐसा लगता है कि उसने सब कुछ खो दिया है।
सीरिया में रूस का प्रभाव भी कम हो जाएगा और यह एक प्रमुख शक्ति के रूप में इसकी छवि को धूमिल कर देगा। इस क्षेत्र में रूस की भावी महत्वाकांक्षाओं को रोक सकता है। जो लोग इस क्षेत्र में रूस के अधीन एक नई सुरक्षा संरचना बनाने की कल्पना कर रहे थे, उन्हें अपने रणनीतिक कदम और आकलन का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत होगी। असद को हटाने के तुरंत बाद, रूस ने कथित तौर पर भूमध्य सागर पर अपने एकमात्र नौसैनिक अड्डे टार्टस से अपने युद्धपोत को हटाना शुरू कर दिया। [xxxiii]
सीरिया में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के बीच, असद के पतन से सबसे ज्यादा फायदा तुर्किए को ही हुआ है। तुर्किए ने सीरिया में अपनी भूमिका को अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाया है, विशेष रूप से असताना और सोची शांति प्रक्रियाओं के बाद। कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि तुर्किए ने सीरिया में विद्रोही ताकतों जैसे कि सीरियन नेशनल आर्मी को सैन्य और रसद मदद उपलब्ध कराई जिसने एचटीएस और अन्य छोटे संगठनों के साथ मिलकर असद के शासन को समाप्त करने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई। दमिश्क पर कब्ज़ा करने से बहुत पहले, राष्ट्रपति एर्दोगन ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्हों दमिश्क में विद्रोही ताकतों के जल्द आगे बढ़ने की उम्मीद है। [xxxiv]
सीरिया में तुर्किए की मुख्य चिंता सीरिया– तुर्किए सीमा पर सक्रिए कुर्द बलों को नियंत्रित करना है। साल 2016 से, तुर्किए ने सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस और उसके सशस्त्र विंग, पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट (वाईपीजी/YPG) की प्रगति को रोकने के लिए तुर्किए– सीरिया सीमा पर चार बड़े सैन्य अभियान शुरू किए हैं जिन्हें तुर्किए में कुर्द वर्कर पार्टी का विस्तारित विंग कहा जाता है।[xxxv] सीरिया के नए शासक अहमद अल– शारा ने पहले ही सीरिया की धरती से किसी भी तरह की तुर्क विरोधी गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी दी है। लेकिन कुर्द बहुल उत्तरपूर्वी सीरिया में तुर्क समर्थित बलों और कुर्द बलों के बीच झड़पों की खबरें हैं।[xxxvi]
असद को हटाने से तुर्किए को अपने सामरिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए एक व्यापक नीति बनाने का अवसर मिलेगा। अब तुर्किए के पास सीरियाई शरणार्थियों के मुद्दों को हल करने और सीरिया के भविष्य में योगदान देने के लिए अधिक गुंजाइश होगी। यह कोई संयोग नहीं था कि तुर्किए के जासूस प्रमुख इब्राहिम कल्लिन ने असद के पतन के अगले दिन दमिश्क में ओमायद मस्जिद का दौरा किया।[xxxvii] कल्लिन के दौरे के बाद तुर्किए के विदेश मंत्री हकान फ़िदान का दौरा हुआ। तुर्किए दमिश्क में अपना मिशन खोलने वाला पहला देश था।[xxxviii] अपने दौरे के दौरान, हकान फ़िदान ने कहा कि तुर्किए को इतिहास के सही पक्ष में होने पर गर्व है।[xxxix] यहाँ यह याद रखना चाहिए कि गृह युद्ध के शुरुआती दिनों में असद को सत्ता से हटाने की मांग करने वाले पहले कुछ देशों में तुर्किए भी शामिल था।[xl] तुर्किए असद के बाद के सीरिया के साथ अपने संबंधों की परिधि का विस्तार करना चाहता है और रियल एस्टेट, ऊर्जा एवं रक्षा जैसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहता है।[xli] तुर्किए के उद्यमियों को आशा है कि तुर्किए की कंपनियां मूल्यवान अनुबंध प्राप्त करने की दौड़ में होंगी। इस्तांबुल स्टॉक एक्सचेंज में रियल एस्टेट शेयरों में तेज़ उछाल आया और प्रमुख निर्माण कंपनियों के कुछ शेयरों में 4% से 10% के बीच वृद्धि हुई।[xlii]
तुर्किए के बाद, सीरिया में जो कुछ हुआ, उसका एक और लाभार्थी इज़रायल प्रतीत होता है। हमास, हिजबुल्लाह के खात्मे और ईरान के कमज़ोर पड़ने के बाद सीरिया इज़रायल के पड़ोस का एकमात्र शत्रु राष्ट्र था, हालांकि यह इज़रायल– हमास और इज़राल– हिजबुल्लाह युद्धों के दौरान उदासीन बना रहा। असद विरोधी ताकतों द्वारा दमिश्क पर कब्जा करने के तत्काल बाद, इज़रायलियों ने 1974 की विघटन संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद पहली बार सीरियाई– नियंत्रित गोलान हाइट्स में प्रवेश किया। इसने 1974 की संधि से स्वयं को बाहर करने की घोषणा की[xliii] और बफ़र ज़ोन एवं प्रमुख स्थानों का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया। नेतन्याहू ने घोषणा की कि राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए इज़रायली सेना वहाँ रहेगी।[xliv] असद के मॉस्को जाने के 48 घंटों के भीतर, इज़रायली सेना ने लगभग 480 हवाई हमले किए जिससे सीरिया की 70–80 फीसदी सैन्य क्षमताएं नष्ट हो गईं।[xlv] इज़रायल स्वयं यह दावा करता है कि सीरिया के खिलाफ हाल ही में किया गया अभियान इतिहास का सबसे बड़ा अभियान था।[xlvi] असद को सत्ता से हटाने से इज़राइल के लिए देश और क्षेत्र में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो गई है।
भविष्य की चुनौतियाँ
असद शासन के अचानक पतन से निकट भविष्य में सीरिया और क्षेत्रीय राजनीति के लिए कई चुनौतियां पैदा होने की संभावना है क्योंकि नई राजनीतिक ताकतों का उदय हुआ है जिससे ईरान और हिजबुल्लाह जैसी परंपरागत क्षेत्रीय ताकतें कमज़ोर हो गई हैं, विशेष रूप से इज़रायल– गाज़ा युद्ध के बाद।
आज सीरिया असद परिवार के शासन के लगभग पांच दशकों के बाद राजनीति के एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। अब जो सवाल उठता है वह यह है कि क्या एचटीएस समायोजन और समावेश की नीति अपनाएगा अतीत की विभाजनकारी राजनीति में ही उलझा रहेगा। कई चुनौतियाँ हैं लेकिन सबसे बड़ी चुनौती देश में किसी भी विघटनकारी ताकत के उदय को रोकने के लिए एक नयी सुरक्षा रूपरेखा बनाने की होगी। अन्य चुनौतियों में देश का पुनर्निर्माण शामिल है जो एक दशक पुराने गृहयुद्ध के दौरान तबाह हो गया है। देश का अधिकांश बुनियादी ढांचा समाप्त हो चुका है और अधिकांश स्कूल भवन और अस्पताल पहचान से परे हैं। किसी भी पुनर्निर्माण प्रक्रिया में दशकों लगेंगे और अरबों डॉलर की राशि खर्च होगी। यह नई व्यवस्था एवं सीरिया के लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
इसके अलावा, सीरिया के कुछ हिस्सों में आईएसआईएस के कुछ गुट अभी भी सक्रिए हैं,[xlvii] और नई सरकार इस खतरे एवं दूसरे अस्पष्ट आतंकवादी संगठनों से कैसे निपटेगी, यह देखने की जरूरत है। उन्हें फिर से उभरने और नई सुरक्षा चुनौतियाँ प्रस्तुत करने से रोकने के लिए उनकी क्षमता को न्यूनतम करना होगा।
अधिकांश पश्चिमी देश रूस और ईरान की भूमिका को समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन वे असद की जगह किसी कट्टरपंथी या किसी उग्रवादी इस्लामी ताकत को नहीं देखना चाहेंगे जैसा कि कई देशों में हुआ है, जिन्होंने अतीत में शासन को उखाड़ फेंका है। यह देखना होगा कि क्या ईरान उभरती हुई राजनीति या ईरान से रहित एक नई राजनीतिक इमारत के उदय से संतुष्ट रहेगा या फिर वह अपने प्रतिरोध की धुरी को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेगा– जो अब तक ईरान की क्षेत्रीय राजनीति का एक स्तंभ रहा है।
अमेरिका को एचटीएस के उदय से निपटने में एक नई दुविधा का सामना करना पडेगा और अगर अमेरिका ने खाड़ी, इज़रायल और फिलिस्तीन के लिए सीरिया को छोड़ने का फैसला किया, तो संभावना है कि तुर्किए जैसी शक्ति अमेरिका की नाराज़गी के लिए शक्ति शून्य को समाप्त कर देगी। गृहयुद्ध के कारण, सीरियाई अरब सेना पूरी तरह थक चुकी है और उसका शस्त्रागार बर्बाद हो चुका है; इसलिए राष्ट्रीय सेना का सुदृढ़ीकरण और पुनर्गठन भविष्य की सरकार के लिए एक और महत्वपूर्ण चुनौती होगी।
इन सबसे बीच, शुरुआती रुझान बहुत आशाजनक लग रहे हैं क्योंकि सीरिया में नया नेतृत्व राजनीतिक परिपक्वता के सभी संकेत दिखा रहा है और उसने बदले की राजनीति या बहिष्कार की राजनीति के बारे में बात नहीं की है। सऊदी विदेश मंत्री समेत कई क्षेत्रीय नेताओं ने सीरिया का दौरा किया और अहमद अल–शरा ने स्वयं तुर्किए और सऊदी अरब दोनों का दौरा किया।
निष्कर्ष
अब असद ढाई दशक तक सत्ता में रहने के बाद जा चुके हैं लेकिन इस प्रकार की घटना का घरेलू, क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति पर कई तरह के प्रभाव होंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनका हटाया जाना अप्रत्याशित था और इसके परिणामस्वरूप देश में राजनीतिक और रणनीतिक चुनौतियां पैदा हुई हैं। सबसे बड़ी चुनौती देश में उभरती राजनीतिक वास्तिवकताओं और व्हाइट हाउस में ट्रंप के फिर से प्रवेश, पूरे क्षेत्र में इज़रायल की आक्रामक सैन्य एवं कूटनीतिक मुद्रा, क्षेत्रीय राजनीति में ईरान और हिजबुल्लाह के घटते प्रभाव और अरब विश्व में उभरती नई सुरक्षा संरचना के मुद्देनज़र विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्यों के बीच एक स्थायी प्रतिध्वनि पैदा करनी होगी। यह बदलाव समावेशी और लोकतांत्रिक राजनीति की स्थापना हेतु आधार बनाने का अवसर दर्शाता है जिससे सीरिया लंबे समय से वंचित है। हालांकि, नई राजनीति की ओर बढ़ना तभी संभव होगा जब क्षेत्रीय हितधारक अतीत की तरह बिगाड़ने वाले के रूप में काम न करें और सीरिया में कार्यवाहक प्रशासन प्रतिशोध की राजनीति या शुद्धतावादी, एक–विचारधारा वाली या सांप्रदायिक राजनीति का अनुसरण न करे जैसा कि विश्व के कई हिस्सों में देखा जाता है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूहों के बीच दुश्मनी के बजाय विश्वास का मार्ग प्रश्स्त करने के लिए एक नया माहौल बनाना होगा। सीरिया में भविष्य की कोई भी राजनीति अच्छे शासन, समावेशी नागरिकों के सम्मान और अधिकारों एवं स्वतंत्रता को बढ़ावा देने पर आधारित होनी चाहिए। ध्वस्त हो चुकी राष्ट्रीय सेना को पुनर्जीवित करते समय, सरकार को क्षेत्रीय, सांप्रदायिक और जातीय प्राथमिकताओं से प्रभावित नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, सेना को राष्ट्रवाद और मानवतावाद के दर्शन का प्रशिक्षण देना चाहिए। आखिर में असद के सीरिया से नए सीरिया में सुरक्षित संक्रण हेतु कई जटिल परिस्थितियों की जरूरत होती है, सबसे खास बात यह है कि एक खुला नेतृत्व जो सुरक्षित राजनीतिक संक्रमण को प्राप्त करने में सभी को शामिल करना चाहता है।
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*डॉ. फ़ज़ुर रहमान सिद्दीकी आईसीडब्ल्यूए (ICWA) में वरिष्ठ शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार लेखिका के व्यक्तिगत विचार हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] Idlib was one of the four deescalated zones identified under the Astana Peace Process, not supposed to be entered by Assad’s forces.
[ii]That is How we prepared ourselves the fall of Assad: Syria’s New Défense Minister, Majella, (Arabic Weekly), January 21, 2025, accessed https://shorter.me/6cO2A January 25, 2025.
[iii] Whole Story of How Assad Fled, ( Arabic Weekly), January 18, 2025, accessed https://shorter.me/Bnxk5 January 23, 2025.
[iv] Haleigh Bartos & Others, Assad’s Downfall in Syria: Who Wins and Who Losses? Modern War Institute, December 12, 2024, accessed https://shorter.me/vtyzn January 23, 2025.
[v] Assad Hikes Soldiers’ Salery, The Syrian Observers, December 6, 2024, accessed https://shorter.me/NCfEN January 12, 2025.
[vi]Whole Story of How Assad Fled, (Arabic Weekly), January 18, 2025, accessed https://shorter.me/Bnxk5 January 22, 2025.
[vii] Whole Story of How Assad Fled, (Arabic Weekly), January 18, 2025, accessed https://shorter.me/Bnxk5 January 22, 2025.
[viii] Whole Story of How Assad Fled, (Arabic Weekly), January 18, 2025, accessed https://shorter.me/Bnxk5 January 22, 2025.
[ix] Whole Story of How Assad Fled, (Arabic Weekly), January 18, 2025, accessed https://shorter.me/Bnxk5 January 22, 2025.
[x] decided to lift US $ 10 million bounty on the head of Al-Jolani, Jerusalem Post, 20 December 2024, accessed https://shorter.me/XuKn- 5 January, 2025.
[xi] US decided to lift US $ 10 million bounty on the head of Al-Jolani, Jerusalem Post, 20 December 2024, accessed https://shorter.me/XuKn- 5 January, 2025.
[xii] That is how we prepared ourselves the fall of Assad: Syria’s New Défense Minister, Majella, (Arabic Weekly), January 21, 2025, accessed https://shorter.me/6cO2A January 25, 2025.
[xiii] That is How we prepared ourselves the fall of Assad: Syria’s New Défense Minister, Majella (Arabic Weekly), January 21, 2025, accessed https://shorter.me/6cO2A January 25, 2025.
[xiv] That is How we prepared ourselves the fall of Assad: Syria’s New Défense Minister, Majella, (Arabic Weekly), January 21, 2025, accessed https://shorter.me/6cO2A January 25, 2025.
[xv]Ahmad Mustaf Ghar, Syria after Assad: Mapping Poer and Zones of Influence, Sautul Qahira (Voice of Cairo) [Arabic], December 19, 2024, accessed https://shorter.me/89TzH December 23 25, 2025.
[xvi] Nichole Grajewski, why Did Iran Allow Basha al-Asad’s Downfall? Carnegie, December 9, 2024, accessed https://shorter.me/jJpLq December 31, 2025.
[xvii] Ahmad Mustaf Ghar, Syria after Assad: Mapping Poer and Zones of Influence, Sautul Qahira (Voice of Cairo) [ Arabic], December 19, 2024, accessed https://shorter.me/89TzH December 23–25, 2025.
[xviii] Nichole Grajewski, why Did Iran Allow Basha al-Asad’s Downfall? Malcom H. Kerr Carnegie Middle East Centre, December 9, 2024, accessed https://shorter.me/jJpLq December 31, 2025.
[xix] Nichole Grajewski, why Did Iran Allow Basha al-Asad’s Downfall? Malcom H. Kerr Carnegie Middle East Centre, December 9, 2024, accessed https://shorter.me/jJpLq December 31, 2025.
[xx] Nichole Grajewski, why Did Iran Allow Basha al-Asad’s Downfall? Malcom H. Kerr Carnegie Middle East Centre, December 9, 2024, accessed https://shorter.me/jJpLq December 31, 2025.
[xxi] Nichole Grajewski, why Did Iran Allow Basha al-Asad’s Downfall? Malcom H. Kerr Carnegie Middle East Centre, December 9, 2024, accessed https://shorter.me/jJpLq December 31, 2025.
[xxii] The Astana Peace Process talked of gradual peacebuilding through negotiation with the opposition and the creation of some de-escalated zones.
[xxiii] Zaki Kaf Al-Ghazal, End of House of Assad: How and Why Now, Middle East Monitor, December 9, 2024, accessed https://shorter.me/-4jp4 December 10, 2024.
[xxiv] https://shorter.me/-7bAy.
[xxv] https://shorter.me/-7bAy.
[xxvi]https://shorter.me/jjfDc.
[xxvii] Zaki Kaf Al-Ghazal, End of House of Assad: How and Why Now, Middle East Monitor, December 9, 2024, accessed https://shorter.me/-4jp4 December 10, 2024.
[xxviii]Jo Adetuji, Assad’s fall in Syria will further weaken Hezbollah and curtail Tehran’s Iranianisation in the region, The Conversation, December 11, 2024, accessed https://shorter.me/nzzpQ December 22, 2024.
[xxx]Haleigh Bartos & Others, Assad’s Downfall in Syria: Who Wins and Who Losses? Modern War Institute, December 12, 2024, accessed https://shorter.me/vtyzn January 23, 2025.
[xxxi] Jo Adetuji, Assad’s fall in Syria will further weaken Hezbollah and curtail Tehran’s Iranianisation in the region, The Conversation, December 11, 2024, accessed https://shorter.me/nzzpQ December 22, 2024.
[xxxii] Why Supreme Leader is Stubborn Despite Losing, Al-Quds Al-Arabi (Arabic Daily), December 30, 2024, accessed https://shorter.me/OUgUb January 12, 2025.
[xxxiii] Haleigh Bartos & Others, Assad’s Downfall in Syria: Who Wins and Who Losses? Modern War Institute, December 12, 2024, accessed https://shorter.me/vtyzn January 23, 2025.
[xxxiv] https://mwi.westpoint.edu/assads-downfall-in-syria-who-wins-and-who-loses/
[xxxv] Reasons for Türkiye’s Growing Influence in Post-Assad Syria, Annahar (Arabic), January 19, 2025, accessed https://shorter.me/Xs7-T January 26, 2025.
[xxxvi]Reasons for Türkiye’s Growing Influence in Post-Assad Syria, Annahar (Arabic), January 19, 2025, accessed https://shorter.me/Xs7-T January 26, 2025.
[xxxvii] Reasons for Türkiye’s Growing Influence in Post-Assad Syria, Annahar (Arabic), January 19, 2025, accessed https://shorter.me/Xs7-T January 26, 2025.
[xxxviii]Reasons for Türkiye’s Growing Influence in Post-Assad Syria, Annahar (Arabic), January 19, 2025, accessed https://shorter.me/Xs7-T January 26, 2025.
[xxxix]Reasons for Türkiye’s Growing Influence in Post-Assad Syria, Annahar (Arabic), January 19, 2025, accessed https://shorter.me/Xs7-T January 26, 2025.
[xl]Reasons for Türkiye’s Growing Influence in Post-Assad Syria, Annahar (Arabic), January 19, 2025, accessed https://shorter.me/Xs7-T January 26, 2025.
[xli]Reasons for Türkiye’s Growing Influence in Post-Assad Syria, Annahar (Arabic), January 19, 2025, accessed https://shorter.me/Xs7-T January 26, 2025.
[xlii] https://shorter.me/SxpQ._
[xliii] Israeli terminated 1974 Treaty with Syria, Al-Quds-Al-Arabi, 8 December 2024, accessed https://shorter.me/yLHEF 8 January ,2025
[xliv] Analytical Map: Israeli Penetration into Syrian territories after fall of Assad, Harmon Centre for Contemporary Studies, January 11, 2025, accessed https://shorter.me/xiN7w January 26, 2025.
[xlv] Analytical Map: Israeli Penetration into Syrian territories after fall of Assad, Harmon Centre for Contemporary Studies, January 11, 2025, accessed https://shorter.me/xiN7w January 26, 2025.
[xlvi] Amar Salahi, Syria wakes up from Assadist Nightmare: But What Comes Next, The New Arab, December 16, 2024, accessed https://shorter.me/HwKMg January 2, 2025.
[xlvii] Ahmad Mustaf Ghar, Syria after Assad: Mapping Power and Zones of Influence, Sautul Qahira (Vice of Cairo) [ Arabic], December 19, 2024, accessed https://shorter.me/89TzH December 23–25,2025