सारांश: साल 2021 में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट और वर्तमान आंतरिक संकट ने 1,643 किमी लंबे भारत– म्यांमार सीमा पर हथियारबंद समूहों की तस्करी और घुसपैठ संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है। इसका सीधा– सीधा असर पूर्वोत्तर भारत पर पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप भारत सहभागी भारत– म्यामांर सीमा प्रबंधन नीति पर पुनर्विचार कर रहा है।
1 फरवरी 2021 को म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट ने निर्वाचित सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया, परिणामस्वरूप स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन काउंसिल (एसएसी/SAC) के खिलाफ जनता ने विरोध प्रदर्शन किए, जैसा कि सत्ताधारी सेना ने खुद बताया, शुरुआत में सार्वजनिक विरोध और सविनय अवज्ञा के रूप में। हालांकि, यह प्रतिरोध सशस्त्र प्रतिरोध में बदल गया। अपदस्थ निर्वाचित सरकार नेशनल यूनिटी ग्रुप (एनयूजी/NUG) के रूप में पुनर्संगठित हुई और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ/PDF) को अपना सशस्त्र विंग बनाया। पीडीएफ को एथनिक आर्मर्ड ऑर्गेनाइजेशन (ईएओ/ EAOs) का समर्थन मिला।[i]
इस सशस्त्र विरोध के कारण आंतरिक अस्थिरता और कमज़ोर सुरक्षा स्थिति बन गई जो भारत के लिए चिंता का विषय है, विशेष रूप से मणिपुर, नगालैंड, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश में साझा 1,643 किमी की भारत– म्यांमार सीमा पर। कुछ उल्लेखनीय चिंताएं हैं– अवैध आप्रवासी, मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की तस्करी में बढ़ोतरी, जो पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा की स्थिति को संभावित रूप से कमज़ोर कर सकती है।[ii]
तख्तापलट की भूमिका और भविष्य
वर्ष 1948 में ब्रिटिश औपनिवेशक शासन से स्वतंत्रता के बाद, म्यांमार 1962 में जनरल नी विन द्वारा तख्तापलट किए जाने तक एक कमजोर लोकतंत्र था। जनरल विन ने 1987 के सरकार विरोधी दंगों के भड़कने और फिर 1988 में हुए छात्र विरोध प्रदर्शन तक देश पर शासन किया। इन विरोधों के कारण जनरल नी विन को पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद प्रशासन में सेवारत सैन्य अधिकारियों की अध्यक्षता में “राष्ट्रीय कानून एवं व्यवस्था बहाली परिषद” का गठन किया गया। यह व्यवस्था 1990 में चुनावी लोकतंत्र के साथ संक्षिप्त प्रयोग को रोके जाने और तख्तापलट किए जाने तक काम करती रही। साल 2008 के संविधान तक ऐसा नहीं था, जिसने लोकतांत्रिक सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया। इसके बाद 2010 में चुनाव हुए– इस चुनाव में जनरल श्वे चुने गए, जो अर्ध– लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर बदलाव का संकेत था। फिर 2015 के चुनाव में, दाव आंग सान सू ची के नेतृत्व वाली नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी/NLD) ने 80% वोट हासिल कर जीत दर्ज की और हतिन क्याव देश के राष्ट्रपति बने।[iii] साल 2020 के चुनावों में, एनएलडी एक बार फिर से जीती। हालांकि आधिकारिक परिणामों की घोषणा नहीं की गई थी, जनरल मिन आंग ह्लाइंग के नेतृत्व में एक सैन्य शासकगुट ने 2021 में तख्तापलट किया जिसमें दावा किया गया था कि चुनाव "स्वतंत्र और निष्पक्ष" नहीं था और चुनावों में संवैधानिक कानून का "अनुपालन नहीं किया" गया था।[iv] इस तख्तापलट ने शुरू में तो नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी/ NUG) नाम की एक समानांतर सरकार की स्थापना के माध्यम से व्यापक विरोध और नागरिक प्रतिरोध को जन्म दिया, जिसके सशस्त्र विंग– पीपुल्स डीफेंस फोर्स (पीडीएफ/PDF) ने एथनिक आर्मर्ड ऑर्गेनाइजेशन (ईएओ/ EAO) के समर्थन से एसएसी को सशस्त्र प्रतिरोध में शामिल किया।
इस प्रतिरोध के परिणामस्वरूप सैन्य शासकगुट ने उत्तर– पश्चिमी क्षेत्र, विशेष रूप से भारतीय सीमा पर, अपना नियंत्रण अराकान आर्मी (एए), कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए) और अन्य जैसे ईएओ के हाथों खो दिया।
भारत के लिए, म्यांमार दक्षिण– पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में भूमि और समुद्री संपर्क प्रदान करता है जो सहयोग के महत्व को दर्शाता है। हालांकि, म्यांमार में इस अशांति ने भारत की आर्थिक और संपर्क पहलों को बाधित किया है।[v] इसने म्यांमार में भारत की विकास सहायता (आईडीए/IDA) के पूरा होने को भी प्रभावित किया है; इनमें "कलादान मल्टी– मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट" शामिल है, जिसमें म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से पूर्वोत्तर क्षेत्र तक सड़क, रेल और समुद्री परिवहन शामिल है; और भारत– म्यांमार– थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (आईएमटी/ IMT) आदि शामिल हैं।[vi]
इस संघर्ष के कारण भारत को म्यांमार से 95,600 से अधिक विस्थापितों को शरण देनी पड़ी है।[vii] ये विस्थापित ज्यादातर म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र, चिन राज्य और माग्वे क्षेत्र से हैं और मुख्य रूप से मिज़ोरम और मणिपुर राज्यों में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं।[viii]
इस आंतरिक स्थिति के कारण, देश में अवैध गतिविधियों में तेज़ी देखी गई है। जैसे, 22 जनवरी 2025 को भारत– म्यांमार सीमा पर 32 वाहनों के साथ 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 231 किलोग्राम से अधिक की मेथामफेटामाइन की गोलियां, 16 किलोग्राम हेरोइन और 1,375 किलोग्राम मारिजुआना जब्त किया गया, इन सब का बाज़ार मूल्य 355 करोड़ रुपयों से भी अधिक है।[ix] इसके अलावा, म्यांमार में हुई घटनाओं के कुछ और परिणाम देखने को मिले हैं जो सीधे तौर पर भारत को प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता के लिए। म्यांमार से बढ़ती सशस्त्र घुसपैठ और नशीली दवाओं की तस्करी मणिपुर में मैतई और कुकी संप्रदायों में सांप्रदायिक अशांति के मुख्य कारकों में से एक है।[x] दूसरी ओर, नशीली दवाओं की आमद के कारण अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय सीमावर्ती आबादी में नशीली दवाओं की जांच अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा सीमा क्षेत्र में कई हिंसक घटनाएं भी हुई हैं। उदाहरण के लिए, 27 जनवरी 2025 को मणिपुर में भारत– म्यांमार सीमा पर म्यांमार स्थिर कुकी नेशनल आर्मी– बर्मा (केएनए– बी/ KNA-B) ने अज्ञात प्रतिद्वंद्वी सशस्त्र समूह के साथ गोलीबारी की।[xi] इन घटनाओं के कारण भारत ने अपने सीमा प्रबंधन नज़रिए पर पुनर्विचार किया है।
भारत का अपने सीमा प्रबंधन पर पुनर्विचार
कहा जाता है कि सीमाएं पड़ोसी देशों के बीच संबंधों का निर्धारण करती हैं और सुरक्षा परिणामों को दिशा देती हैं, साथ ही व्यापार और जनसंख्या की गतिशीलता की भागीदारी को भी स्वीकार करती हैं। इसी प्रकार, भारत और म्यांमार ने आज़ादी के बाद से अपनी सीमा को बनाए रखने के लिए घनिष्ठ सहयोग किया है, विशेष रूप से दोनों देशों के सीमावर्ती गांवों के बीच जातीय संबंधों में। इन घनिष्ठ संबंधों ने भारत और म्यांमार को मुक्त आवागमन व्यवस्था (फ्री मूवमेंट रीजीम/ FMR) की नीति अपनाने को विवश किया।
एफएमआर (FMR) दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय नागरिकों को बिना पासपोर्ट या परमिट के एक– दूसरे के क्षेत्रों में आने– जाने और सात दिनों तक ठहरने की अनुमति देता है।[xii] हालाँकि, म्यांमार में उभरती सुरक्षा चिंताओं के कारण, भारत ने “बॉर्डर पास सिस्टम” के साथ केवल 10 किमी तक मुक्त आवागमन की अनुमति देना का फैसला किया है जो पहले 16 किमी के लिए था और सीमा पर 8 सीमा– पार स्थानों की संख्या को बढ़ाकर 43 सीमा– पार स्थान बनाने का निर्णय लिया है।[xiii]
सीमा सुरक्षा के लिए, एक “स्मार्ट फेंसिंग सिस्टम” (एसएफएस/SFS) प्रस्तावित है,[xiv] जिसमें भौतिक अवरोध, सेंसर, कैमरे और संचार प्रणाली होगी जो समय के साथ गश्त और निगरानी कार्यों को और कुशल बनाएगी। जैसा कि भारत के गृहमंत्री श्री अमित शाह जी ने बताया, बाड़ लगाने का काम शुरू किया जा चुका है।
इसके अलावा, वर्तमान में असम राइफल्स की 20 बटालियन सीमा पार से घुसपैठ और अवैध गतिविधियों पर नज़र रखने और जांच करने के लिए तैनात हैं। हालांकि सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बढ़ने के साथ असम राइफल्स को सीमा सुरक्षा बल की 15 बटालियनों का सहयोग भी दिया जा रहा है जिससे सीमा सुरक्षा बल के लिए भारत– म्यांमार सीमा की सुरक्षा प्राथमिक कार्य बन गया है। यह अतिरिक्त व्यवस्था एफएमआर (FMR) और बाड़ लगाने का पूरक है।[xv]
हालांकि, इन उपायों के सामने कई चुनौतियां है, विशेष रूप से बाड़ लगाने और एफएमआर (FMR) के मामले में। सीमा के दोनों ओर के स्थानीय समुदाय जो एफएमआर के प्राथमिक लाभार्थी थे, ने, नए प्रतिबंधों और स्मार्ट बाड़ लगाकर सीमा को सुरक्षित बनाने के भारत की मंशा का विरोध किया है। इसका प्राथमिक कारण यह है कि सीमावर्ती समुदाय जातीय संबंध, आर्थिक हित एवं सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को साझा करते हैं। इन कारणों के उत्तर में, भारत सरकार ने निर्दिष्ट पार– स्थलों की संख्या को 8 से बढ़ाकर 43 कर दिया है, साथ ही स्थानीय समुदायों की जरूरतों को संतुलित करते हुए प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक पार– स्थल पर सुरक्षा का सख्त प्रोटोकॉल भी लगाया है।
इसके अलावा, भारत – म्यांमार सीमा की भौगोलिक जटिलताएं बाड़ लगाने के प्रयासों में कुछ महत्वपूर्ण बाधाएं डालती हैं। भौगोलिक स्थिति में ऊबड़– खाबड़ पहाड़ी इलाके, घने जंगल, चट्टानों और नदियों से भरी खड़ी पहाड़ियां और चोटियां हैं। ये सब सीमा पर बाड़ लगाने और सैनिकों के गश्त करने के में बड़ी चुनौती पेश करते हैं।[xvi]
निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर, भारत– म्यांमार सीमा की ऐतिहासिक जटिलताओं एवं चुनौतियों ने जो 2021 के सैन्य तख्तापलट से और भी बढ़ गई हैं, विद्रोही समूहों के विकास को बढ़ावा दिया है और इस क्षेत्र में अवैध गतिविधियों को तेज़ कर दिया है। इन कारकों के अलावा, मणिपुर में संघर्ष को बढ़ावा देने के साथ– साथ इसने सीमा रणनीति पर नई दिल्ली की नीति को भी प्रभावित किया है और उसमें बदलाव कराया है। फिर, जबकि भारत की सीमा गतिशील परिदृश्य़ के अनुकूल होती जा रही है, सीमा को प्रतिकूल चिंताओं से सुरक्षित करने के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर सुरक्षा से लेकर भूगोल तक की चुनौतियों को अपनाने और उनका समाधान करने की आवश्यकता पर विचार किए जाने की भी जरूरत है। साथ ही भारत और म्यांमार के बीच ऐतिहासिक रूप से सीमा– पार संबंधों को बनाए रखना भी आवश्यक है।
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*लीवन विक्टर लैमकांग, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण:
[i] Jazeera, A. (2023, February 1). Timeline: Two years since the Myanmar military coup. Al Jazeera. https://www.aljazeera.com/news/2023/2/1/timeline-two-years-since-the-myanmar-military-coup.
[ii] Samarth.Pathak. (n.d.). India: Presentation of key findings from UNODC's World Drug Report 2024 to mark the International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking. https://www.unodc.org/southasia/frontpage/2024/June/india_-presentation-of-key-findings-from-unodcs-world-drug-report-2024-to-mark-the-international-day-against-drug-abuse-and-illicit-trafficking.html.
[iii] Key events in Myanmar, long under military rule | AP News. (2021, February 3). AP News. https://apnews.com/article/key-events-timeline-myanmar-dee0f68fa82b5f7729191d1bf7beec84.
[iv] Irrawady, T. (2021, November 8). How military electoral interference led to coup in Myanmar. The Irrawady. Retrieved February 4, 2025, from https://www.irrawaddy.com/specials/how-military-electoral-interference-led-to-coup-in-myanmar.html.
[v] Yousuf, D. (2024, March 22). Myanmar crisis and future of India's Act East policy. CLAWS. Retrieved January 22, 2025, from https://www.claws.in/myanmar-crisis-and-future-of-indias-act-east-policy/.
[vi] North East Now. (2024, July 13). Manipur: Jiribam-Imphal railway line completion by late 2025. https://nenow.in/north-east-news/manipur/manipur-jiribam-imphal-railway-line-completion-by-late-2025.html.
[vii] Situation Myanmar situation. (n.d.). https://data.unhcr.org/en/situations/myanmar.
[viii] Lakshman, V. S. (2024b, June 20). Over 5,000 Myanmar refugees take shelter in Manipur's Naga district. The Hindu. https://www.thehindu.com/news/national/over-5000-refugees-sheltering-in-manipurs-naga-district-fearing-aerial-bombardment-attacks-in-myanmar-assam-rifles-dg/article68313232.ece.
[ix] DRI seized 32 kg methamphetamine tablets worth around Rs 32 crore in two cases in the North East Region; three were arrested. (n.d.). https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2095227.
[x] Victor, L. (2024, September 18). Manipur’s civil unrest: a growing threat to India’s national security. South Asia Monitor. Retrieved February 4, 2025, from https://www.southasiamonitor.org/spotlight/manipurs-civil-unrest-growing-threat-indias-national-security.
[xi] The Sangai Express English. (2025, January 28). 4 KNA-B cadres slain in gun battle with Manipur outfits. The Sangai Express - Largest Circulated News Paper in Manipur. https://www.thesangaiexpress.com/Encyc/2025/1/28/By-Our-Staff-ReporterIMPHAL-Jan-27-At-least-4-Kuki-militants-have-been-killed-in-a-gunfight-in-an-area-und.html.
[xii] Press Trust of India. (2025, January 5). Border pass now mandatory for citizens of India and Myanmar living within 10-km radius. Firstpost. https://www.firstpost.com/india/border-pass-now-mandatory-for-citizens-of-india-and-myanmar-living-within-10-km-radius-13849965.html.
[xiii] Bobichand, R. (2024, December 28). India’s Changing Policy on Free Movement Regime (FMR) with Myanmar Continues to be an Issue of Conflict in Manipur – Imphal Review of Arts and Politics. https://imphalreviews.in/indias-changing-policy-on-free-movement-regime-fmr-with-myanmar-continues-to-be-an-issue-of-conflict-in-manipur/.
[xiv] Team, E. I. (2023, October 10). ENSURE IAS - best UPSC and IAS Coaching Institute in Delhi, India. Smart Fencing System Along India-Myanmar Border. https://www.ensureias.com/blog/current-affairs/smart-fencing-system-along-india-myanmar-border.
[xv] Pandit, R. (2014, May 10). Defence ministry allows BSF to guard India-Myanmar border, but with rider. The Times of India. https://timesofindia.indiatimes.com/india/Defence-ministry-allows-BSF-to-guard-India-Myanmar-border-but-with-rider/articleshow/34944260.cms.
[xvi] Yumlembam, O. (2024, May 18). Indo-Myanmar Border Fencing Initiative: Assessing Imperatives and Challenges. Observer Research Foundation. Retrieved January 24, 2025, from https://www.orfonline.org/expert-speak/indo-myanmar-border-fencing-initiative-assessing-imperatives-and-challenges.