सारांश: एयरो इंडिया प्रोग्राम भारत की रक्षा क्षमता, विशेष रूप से वायु रक्षा क्षेत्र में iDEX और आकाशतीर जैसे नवाचारों के माध्यम से प्रदर्शित की जाती है। यह लेख इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारत किस तरह से अपने रक्षा निर्यात और निजी विनिर्माण प्रयासों के जरिए साझेदारियां कर रहा है ताकि रणनीतिक सुधारों और रक्षा कूटनीति कार्यक्रमों के माध्यम से उभरते रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत किया जा सके।
परिचय
10 से 14 फरवरी को बैंगलोर के येलहंका एयरफोर्स स्टेशन पर एयरो इंडिया 2025, भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र का महत्वपूर्ण कार्यक्रम, आयोजित किया जाएगा। "रनवे टू बिलियन ऑपर्च्युनिटीज़" का यह 15वां संस्करण नई साझेदारियों का विपणन कर एवं स्वदेशीकरण की गति को बढ़ाकर बेहतर करने का प्रयास करता है।[i] इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्रियों का एक सम्मेलन भी होगा जिसका विषय होगा “ब्रिज (BRIDGE)— अंतरराष्ट्रीय रक्षा और वैश्विक जुड़ाव के जरिए लचीलेपन का निर्मण,” सीईओ के “गोलमेज सम्मेलन,” iDEX स्टार्ट– अप इवेंट, लाइव और डायनेमिक एयरोबेटिक्स एंड एयर शो और 200 से अधिक प्रदर्शनी प्रदाताओं के साथ एक विशाल प्रदर्शनी क्षेत्र जिसका उद्देश्य भारतीय स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को दिखाना है।[ii] यह प्रदर्शनी भारत की एयरोस्पेस तकनीक और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ₹75,000 करोड़ से अधिक के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुबंध करने में मदद कर सकती है। भारत एवं दूसरे अंतरराष्ट्रीय रक्षा संगठनों के बीच एक सेतु के रूप में काम करते हुए, एयरो इंडिया 2025 स्थानीय एवियोनिक्स औद्योगिक विकास, साथ ही नवाचार को बेहतर बनाने और इस प्रकार की भारतीय संगठनों को वैश्विक उत्पादन चैनल में शामिल करने का प्रयास करेगा।
स्टार्ट–अप और एमएसएमई के लिए iDEX पवेलियन जैसे नवाचार स्थानीय विनिर्माण में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए स्वदेशी नवाचार का समर्थन करने की मंशा दर्शाते हैं। वायु रक्षा क्षेत्र में भारत की रक्षा स्वायत्तता के संभावित संकेतों को आकाशतीर प्रणाली के एकीकरण के जरिए उजागर किया जा सकता है जो भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित एक स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली है, जो निगरानी प्रणालियों, रडार और संचार उपकरणों की नेटवर्किंग के माध्यम से भारतीय सेना को बेहतर मदद प्रदान करती है। एयरबस स्पेन के साथ टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड के संयुक्त उद्यम में गुजरात के वडोदरा में देश के पहले निजी सैन्य विमान के निर्माण की शुरुआत[iii] देश के विमान उत्पादन क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ती है। इसके अलावा, अंतरिक्ष और रक्षा सहयोगात्मक भारत– अमेरिका कार्यक्रम में सात भारतीय स्टार्ट–अप की भागीदारी रक्षा नवाचारों को विकसित करने में प्राइवेट प्लेयर्स के बढ़ते महत्व को दिखाती है।[iv]
रक्षा स्वायत्ता के प्रति
“मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत" जैसी सरकारी नीतियों ने रक्षा क्षेत्र में, विशेष रूप से वायु रक्षा बाज़ार में, आत्मनिर्भर होने की भारत की क्षमता को बहुत बढ़ाया है। इन नीतियों के इच्छित लक्ष्य और उद्देश्य विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करना और भारतीय कंपनियों एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के बीच संबंधों को आसान बनाकर घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। उदाहरण के लिए, गुजरात के वडोदरा में C-295 सैन्य परिवहन विमानों का उत्पादन भारत के महत्वाकांक्षी “मेक इन इंडिया” अभियान का परिणाम है और रक्षा स्वायत्तता प्राप्त करने की दिशा में एक आधारशिला है। इस साझेदारी ने भारत में पहला निजी सैन्य विमान विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने में सक्षम बनाया है, एक ऐसा पहलू जिसे स्वदेशी एयरोस्पेस उत्पादन उद्योग में एक नया प्रतिमान बदलाव लाने वाला माना जाता है।[v]
हालांकि, इस प्रकार के विकास को हासिल करने के बाद भी बाधाएं बनी रहती हैं। समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड के अनुसार, भारतीय रक्षा क्षेत्र मुख्य रूप से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), भारत डायनमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स जैसी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों पर निर्भर है, लेकिन इन कंपनियों को समय पर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्बाध रूप से काम करना होगा।[vi] हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र का दबदबा बना हुआ है, निजी कंपनियों द्वारा इस अंतर को भरने की आवश्यकता है। लार्सन एंड टुब्रो के मुख्य वित्तीय अधिकारी, आर. शंकर रमण ने कहा, “भारत में रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वदेशी प्राइवेट प्लेयर्स को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।”[vii]
इसके अलावा, भारत की अपने अधिकांश रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भरता कुछ मुद्दों से जुड़ी हुई है, और यह स्थिति भारत के लिए अपनी सामरिक सुरक्षा के लिए स्वदेशी रूप से वायु रक्षा प्रणालियों को डिजाइन एवं उत्पादन करने की आवश्यकता को सामने लाती है। समाधान के रूप में रक्षा विनिर्माण नीतियों, निजी क्षेत्र की भागीदारी और प्रौद्योगिकी रणनीति के नीतिगत सुधारों के साथ एक व्यापक नीतिगत ढांचे की आवश्यकता है ताकि रक्षा स्वायत्त राष्ट्र बनाया जा सके, जिसमें “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे कार्यक्रमों ने रक्षा स्वायत्त राष्ट्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया है, विशेष रूप से एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में।
प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में भारत
आर्मेनिया और फिलीपींस जैसे देशों के लिए एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में भारत का उदय देश में उत्पादित रक्षा प्रणालियों के निर्यात के पक्ष में नीतिगत उपायों के कारण संभव हुआ है। वित्त वर्ष 2023–24 में रक्षा निर्यात लगभग 2.6 बिलियन डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2014–15 में 241 मिलियन डॉलर था, इसमें 2.44 बिलियन डॉलर का इज़ाफा हुआ।[viii] यह वृद्धि भारत की अपनी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को आगे बढ़ाने और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के विपणन एवं निर्यात को बढ़ाने के दृढ़ संकल्प के कारण हुई। यह वृद्धि भारत की अपनी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने और अपने वैश्विक पदचिन्हों का विस्तार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। एक रक्षा क्षेत्र में है जहाँ भारत आर्मेनिया के साथ रक्षा साझेदारी कर रहा है। साल 2022 में, आर्मेनिया ने 15 आकाश वायु रक्षा प्रणालियां खरीदीं, जिनकी लागत लगभग 720 मिलियन डॉलर थी।[ix] भारत ने रक्षा सहयोग के क्षेत्र में एक नए युग का संकेत देते हुए नवंबर 2024 तक आकाश हथियार प्रणाली की पहली खेप आर्मेनिया को सौंप दी थी। आर्मेनिया ने अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय मूल की 155 मिमी कैलिबर की तोपों के साथ– साथ पिनाका मल्टी– बैरल रॉकेट सिस्टम भी खरीदी है।[x]
दक्षिण– पूर्व एशिया में, फिलीपींस भारतीय रक्षा उपकरणों के आयात के क्षेत्र का एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है। अगस्त में, पहली बार, फिलीपींस ने भारत से 375 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस एंटी– शिप मिसाइल सिस्टम खरीदी।[xi] यह सौदा भारत की मिसाइल तकनीक विकसित करने की क्षमता को दर्शाता है जिसे निर्यात किया जा सकता है और दूसरे देशों को उनके रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए भारत के पास कई दृष्टिकोण हैं कि रक्षा निर्यात वैश्विक दक्षिण देशों की मदद करे। सस्ते और कुशल स्वदेशी रक्षा समाधान प्रदान करके, भारत इन देशों को परंपरागत पश्चिमी विक्रेताओं पर कम निर्भरता के साथ अपनी रक्षा प्रणालियों को मजबूत करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह द्विपक्षीय साझेदारी के साथ– साथ क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने में भी मदद करता है।
हालांकि, जहाँ भारत 2024–25 की पहली तिमाही में 78% के बढ़ते निर्यात का जश्न मना रहा है,[xii] वहीं देश अभी भी वर्ष 2025 के लिए 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने से दूर है। इस अंतर को पाटने के लिए, भारत को नवाचार जारी रखना चाहिए, गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करना चाहिए और रक्षा व्यापार को प्रभावित करने वाले जटिल भू– राजनीतिक परिदृश्य को नेविगेट करना चाहिए। विभिन्न देशों को रक्षा निर्यातक के रूप में भारत की सफलता को रक्षा विनिर्माण उद्योगों के विकास और एक सशक्त विदेश नीति के रूप में देखा जा सकता है। आकाश वायु रक्षा प्रणाली और ब्रह्मोस मिसाइल जैसी स्वदेशी स्रोत प्रणालियों के साथ, भारत न केवल साझेदार देशों की रक्षा क्षमताओं की बेहतरी का समर्थन करता है, बल्कि साथ ही एक जिम्मेदार और भरोसेमंद रक्षा साझेदार के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करता है।
रक्षा कूटनीति को मजबूत करना
भारत की रक्षा कूटनीति, रक्षा उपकरणों के निर्यात के साधन से बढ़कर रणनीतिक साझेदारी और सहयोग को सुविधाजनक बनाने वाली प्रक्रिया में बदल गई है। सबसे पहले, यह रणनीति दुनिया के अलग– अलग क्षेत्रों में भारत के दांव को बेहतर बनाती है और इसे भू– राजनीति को प्रभावित करने में भूमिका देती है। भारत– अमेरिका अंतरिक्ष और रक्षा सहयोग कार्यक्रम कंपनियों के लिए सात भारतीय स्टार्टअप का चयन, जैसे कि KaleidEO और EtherealX जो उपग्रह पर्यवेक्षण और अन्य उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों को संचालित करने की संभावना रखते हैं, विशाल बाज़ार और अपार राजस्व पैदा कर सकते हैं।[xiii]
भारत की रक्षा कूटनीति दुनिया भर में रणनीतिक साझेदारों को विकसित करने की प्रक्रिया को दर्शाती है। भारत और नाइज़ीरिया ने पश्चिमी अफ्रीका में समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद निरोध पर सहयोग बढ़ाने की कसम खाई है। वैश्विक स्तर पर, भारत ने दक्षिण– पूर्व एशियाई देशों के साथ रक्षा और सुरक्षा संबंधों को गहरा किया है, जिसमें आसियान सदस्यों के साथ समुद्री– सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वियतनाम जैसे देशों के साथ भारत के हथियार सौदे भी क्षेत्रीय व्यवहार के प्रति एक रणनीतिक दृष्टिकोण हैं, जो मुख्य रूप से चीन के कारण हैं।[xiv]
रक्षा कूटनीति में उपरोक्त उपलब्धियों के बावजूद, भारत की प्रणाली में चुनौतियां हैं। रक्षा निर्यात को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए, अंतरराष्ट्रीय मानकों पर गहन ध्यान देने के साथ परिवर्तन और सुधार अनिवार्य रूप से निरंतर हैं। जर्मनी की थिसेनक्रुप्प (Thyssenkrupp) के साथ 5 बिलियन डॉलर की पनडुब्बी डील जैसे कुछ अच्छे संकेत हैं।[xv] हालांकि, ऐसी वृद्धि प्रवृत्तियों को प्राप्त करने के लिए चुनौतियों का सामना उत्पादन एवं अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सफल भागीदारी को बनाए रखना है।
प्रगति की दिशा
भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र को निजी क्षेत्र के साथ जोड़ने के लिए सरकारी नीतियों के माध्यम से विस्तार की आवश्यकता है जो घरेलू कंपनियों के लिए व्यावसायिक बाधाओं को सीमित करती हैं, जैसे कि गुजरात में C-295 विमान निर्माण हेतु टाटा– एयरबस संयुक्त उद्यम। यह प्रयास एक बड़ी प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है जिसे पूरे भारत में रक्षा क्षेत्र की सभी परियोजनाओं तक विस्तारित किया जाना चाहिए। सार्वजनिक– निजी भागीदारी मॉडल दक्षता को लाभ पहुँचाते हैं जबकि एचएएल जैसी सरकारी स्वामित्व वाली फर्मों पर निर्भरता कम करते हैं। घरेलू रक्षा तकनीक विकसित करने वाले एमएसएमई और स्टार्ट– अप की सुविधा के लिए iDEX प्रोग्राम को तेज़ी से लागू करने की आवश्यकता है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने आकाशतीर वायु रक्षा प्रणाली के साथ नवाचार का प्रदर्शन किया है जो निगरानी और संचार संचालन को जोड़ती है ताकि भारत की आयात पर निर्भरता कम हो सके। भारतीय रक्षा उद्योग ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश वायु रक्षा प्रणाली के विपणन प्रयासों के माध्यम से निर्यात वृद्धि को बनाए रख सकता है जो कि फिलीपीन और अर्मेनियाई अनुबंधों द्वारा दर्शाया गया है। ये रणनीतिक साझेदारियां भारत के व्यापारिक प्रदर्शन को बढ़ावा देती हैं और इसकी क्षेत्रीय अधिकार स्थिति को बेहतर बनाती हैं। विभिन्न देशों और आसियान के सदस्यों के साथ साझेदारी के माध्यम से, भारत को आतंकवाद का मुकाबला करते हुए समुद्री सुरक्षा को सुविधाजनक बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए। अमेरिका के साथ अंतरिक्ष– रक्षा पहल के माध्यम से, भारत महत्वपूर्ण रणनीतिक प्रौद्योगिकियों के विकास में अपनी बढ़ती भूमिका साबित करता है। भारत तकनीकी प्रगति के साथ– साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाकर, विशेष रूप से नौसेना के युद्धपोत निर्माण में उत्पादन क्षमता के अंतर को पाट सकता है, जैसे कि जर्मनी के थिसेनक्रुप्प (Thyssenkrupp) के साथ पनडुब्बी परियोजना, जो बताती है कि घरेलू विनिर्माण क्षमता को कैसे बढ़ाया जाए।
निष्कर्ष
एयरो इंडिया “मेक इन इंडिया”— प्रौद्योगिकी, मौलिकता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से रक्षा, विशेष रूप से एयरोस्पेस के क्षेत्र में भारत की प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। आकाशतीर एयर डिफेंस नेटवर्क और टाटा एयरबस C-295 निर्माण संयंत्र जैसी स्वदेशी प्रणालियों द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी अवधारणाओं की प्रभावशीलता को साबित करता है। इन नीतियों ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया है, निर्यात को मजबूत किया है और एयरोस्पेस उद्योग के उत्पादक परिवर्तन को आगे बढ़ाया है। फिर भी, कुछ चुनौतियां अभी भी मौज़ूद हैं जैसे आयात पर निर्भरता, स्वदेशी स्वामित्व वाले उद्यमों में अक्षमता और विश्व शक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा। इन समस्याओं को कम करने के लिए नीतिगत सुधारों, निजी क्षेत्र की भागीदारी और विनिर्माण क्षमताओं में सुधार की आवश्यकता है। साथ ही, रणनीतिक रक्षा कूटनीति को कूटनीतिक उपायों और वैश्विक राजनीतिक मानचित्र के मौजूद़ा और उभरते मानकों से बात करनी चाहिए। एयरो इंडिया 2025 भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए एक रणनीतिक दिशा प्रदान कर सकता है जो अभिनव स्वदेशीकरण को प्रोत्साहित करता है।
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*लिपुन कुमार संबाद, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] “Raksha Mantri Shri Rajnath Singh to Chair Ambassadors’ Round-Table in New Delhi in the Run up to Aero India 2025,” published on January 9, 2025. https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2091447.
[ii] “The Runway to a Billion Opportunities: Aero India 2025 to Be Held in Bengaluru From February 10 to 14,” published on January 6, 2025. https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2090516®=3&lang=1.
[iii] Airbus. “Tata Advanced Systems and Airbus Inaugurate C295 Final Assembly Line in Vadodara, India.” Airbus, October 28, 2024. https://www.airbus.com/en/newsroom/press-releases/2024-10-tata-advanced-systems-and-airbus-inaugurate-c295-final-assembly-line-vadodara-india.
[iv] . Bhattacharjee, Nivedita. “Exclusive: First Indian startups picked for Indo-US defence programme, investor says.” Reuters, January 17, 2025. https://www.reuters.com/technology/space/first-indian-space-startups-picked-indo-us-defence-programme-sources-say-2025-01-17/
[v] Peri, Dinakar. “Airbus, Tata Team up to Set up India’s First Private Helicopter Assembly Line,” January 26, 2024. https://www.thehindu.com/news/national/airbus-tata-team-up-to-set-up-indias-first-private-helicopter-assembly-line/article67779870.ece/amp/.
[vi] Singh, Bhasha. “Modi Government Itself Ruined 1000 Defence Manufacturing Companies.” National Herald, November 17, 2018. https://www.nationalheraldindia.com/amp/story/india/modi-government-itself-ruined-100-defence-manufacturing-companies.
[vii] Kay, Chris. “India Must Use Private Defence Suppliers More, Says Larsen & Toubro.” Financial Times, July 29, 2024. https://www.ft.com/content/be15e505-e551-4af5-ad13-4ccf91e34f42.
[viii] “Defence Exports Touch Record Rs 21,083 Crore in FY 2023-24, an Increase of 32.5% Over Last Fiscal; Private Sector Contributes 60%, DPSUs - 40%,” April 01, 2024. https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2016818.
[ix] Triffaux. “Armenia Receives New Indian-Made Akash Surface-to-Air Defense System,” November 12, 2024. https://armyrecognition.com/news/army-news/army-news-2024/armenia-receives-new-indian-made-akash-surface-to-air-defense-system.
[x] Moneycontrol. “Boost for Make in India: Armenia Orders Artillery Guns Developed Jointly by India and France.” January 16, 2025. https://www.moneycontrol.com/news/india/boost-for-make-in-india-armenia-orders-artillery-guns-developed-jointly-by-india-and-france-12912039.html/amp.
[xi] Jazeera, Al. “Philippines to Acquire Missile System from India for $375m.” Al Jazeera, January 15, 2022. https://www.aljazeera.com/amp/news/2022/1/15/philippines-to-acquire-missile-system-from-india-for-375-mln.
[xii] https://m.economictimes.com/news/defence/indias-defence-exports-skyrocket-by-78-in-q1-fy-2024-25-sets-new-benchmarks/amp_articleshow/112469912.cms.
[xiii] Bhattacharjee, Nivedita. “Exclusive: First Indian startups picked for Indo-US defence programme, investor says”. Reuters, January 17, 2025. https://www.reuters.com/technology/space/first-indian-space-startups-picked-indo-us-defence-programme-sources-say-2025-01-17/.
[xiv] Solanki, Viraj. “India’s increased defence and security engagement with Southeast Asia.” IISS, May 1, 2024. https://www.iiss.org/online-analysis/online-analysis/2024/04/indias-increased-defence-and-security-engagement-with-southeast-asia/.
[xv] Reuters. “Germany Looks to Strengthen Defence, Military Ties With India.” Economic Times, October 25, 2024. https://m.economictimes.com/news/defence/germany-looks-to-strengthen-defence-military-ties-with-india/amp_articleshow/114577424.cms.